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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Three. Canto Four (Eng-Hindi)

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BOOK THREE. THE BOOK OF THE DIVINE MOTHER

Canto Four. The Vision and the Boon

 

Then suddenly there rose a sacred stir.

तभी हठात् वहां एक पावन गति संचरित हो उठी।

Amid the lifeless silence of the Void
In a solitude and an immensity
A sound came quivering like a loved footfall
Heard in the listening spaces of the soul;
A touch perturbed his fibres with delight.

उस अनन्त महाशून्यता की प्राणहीन नीरवता के मध्य
एक नितान्त निर्जनता और घोर विशालता में
एक प्रिय पदचापों की मानों कम्पित ध्वनि आती
आत्माकाश की श्रोता दिशाओं में सुनायी दी;
एक स्पर्श ने उसकी देह तन्त्रियों को आनन्द से झंकृत कर दिया।

An influence had approached the mortal range,
A boundless Heart was near his longing heart,
A mystic Form enveloped his earthly shape.

उस मर्त्य-क्षेत्र में एक प्रभु-सान्निध्य प्रवेश कर गया,
एक अनन्त महाप्राण उसके आतुर हृदय के समीप था,
एक गुह्य दिव्याकार ने उसकी पार्थिव देह को अधिकृत कर लिया।

All at her contact broke from silence’ seal;
Spirit and body thrilled identified,
Linked in the grasp of an unspoken joy;
Mind, members, life were merged in ecstasy.

उस दिव्यता का संस्पर्श पा सबने अपना मौन व्रत भंग कर दिया,
आत्मा और काया ने पुलकित हो एक दूसरे को पहचान लिया,
एक अवाक् सुख हर्ष से भरे आलिंगन में वे जुड़ गये;
मन, प्राण और अन्य अंग भी आनन्द में डूब एक हो गये।

Intoxicated as with nectarous rain
His nature’s passioning stretches flowed to her
Flashing with lightnings, mad with luminous wine.

सुधारुपी वर्षा ने जैसे सबको मदहोश कर दिया हो
उसके स्वभाव के सब रागात्मक विस्तार भगवती की ओर बहने लगे,
विद्युती चमकों से, झिलमिलाती मदिरा से वे उन्मत्त थे।

All was a limitless sea that heaved to the moon.

समस्त सत्ता एक असीम सिन्धु सम सुधाकर की ओर उमड़ रही थी।

A divinising stream possessed his veins,
His body’s cells awoke to spirit sense,
Each nerve became a burning thread of joy:
Tissue and flesh partook beatitude.

उसकी नाड़ियों में एक दिव्य धारा प्रवाहित थी,
उसकी देह के कोषाणुओं में आत्म-बोध जाग उठा,
प्रत्येक स्नायु आह्लाद का एक ज्वलन्त सूत्र बन गयाः
ऊतक और मांसपेशियां भी इस दिव्य हर्ष में भागीदार थीं।

Alight, the dun unplumbed subconscient caves
Thrilled with the prescience of her longed-for tread
And filled with flickering crests and praying tongues.

अंधेरी, अज्ञात अवचेतन कन्दराएं भी आलोकित हो उठीं
माता के पदचाप हित लालायित भावी सुख की भावना से पुलकित हो
उन्होंने कन्दराओं को अपने चमकते श्रृंगों और प्रार्थना में लपलपाती जिह्वाओं से भर दिया।

Even lost in slumber, mute, inanimate
His very body answered to her power.

सुषुप्ति में खोयी, मूक और जड़ बनी
उसकी अपनी काया ने भी माता की शक्ति का प्रयुत्तर दिया।

The One he worshipped was within him now:
Flame-pure, ethereal tressed, a mighty Face
Appeared and lips moved by immortal words;
Lids, wisdom’s leaves, drooped over rapture’s orbs.

जिस कैवल्यादेवी को योगी पूजता था अब वह उसके अन्तर में थीः
पावन ज्वाला सम, स्वर्गिक केशों से सज्जित एक तेजोमय मुखमण्डल प्रकटा
और अमर अधरों से अमृत दिव्यवाचा फूटी;
पलकें, प्रज्ञा के पल्लवों सम, प्रहर्ष पर अर्धचन्द्राकार झुकी थीं।

A marble monument of ponderings, shone[334]
A forehead, sight’s crypt, and large like ocean’s gaze
Towards Heaven two tranquil eyes of boundless thought
Looked into man’s and saw the god to come.

ध्यानमग्नता का स्फटिक स्मारक सम चमकता एक भाल था,
कन्दरा सम गहन दृष्टि, और सागर सम विशाल चितवन से
स्वर्ग की ओर देखते, अनन्त विचारपूर्ण दो शान्त नेत्र थे
जिन्होंने नर के नेत्रों में झांक नारायण के आगमन को देख लिया।

A shape was seen on threshold Mind, a Voice
Absolute and wise in the heart’s chambers spoke:
“O Son of Strength who climbst creation’s peaks,
No soul is thy companion in the light;
Alone thou standest at the eternal doors.

सत्यमानस की देहरी पर एक देवाकार दिखायी दिया,
हृदय के गुह्य कक्षों में एक परम और विज्ञ दिव्यगिरा बोलीः
‘‘हे शक्तिपुत्र, सृष्टि-शिखरों के आरोही,
इस भौतिक-प्रकाश में एक भी आत्मा तेरी सहचरी नहीं है;
इन शाश्वत के द्वारों पर खड़ा होने वाला तू एकाकी नर है।

What thou hast won is thine, but ask no more.

जो सिद्धि तूने जय कर ली है वह तेरी है, किन्तु अब और नहीं मांगना।

O Spirit aspiring in an ignorant frame,
O Voice arisen from the Inconscient’s world,
How shalt thou speak for men whose hearts are dumb,
Make purblind earth the soul’s seer-vision’s home
Or lighten the burden of the senseless globe?

एक अज्ञानी काया में अभीप्सा करती, ओ आत्मा,
घोर अचित् के संसार से उठती ओ मानवीय-वाचा,
मूढ़ और मूक हृदय के मानव हित तू क्या कहेगी,
इस आधी अन्धी धरा को कैसे आत्म-द्रष्टा का धाम बनायेगी
या इस अबोध भूगोलक का भार कैसे कम कर पायेगी?

I am the Mystery beyond reach of mind,
I am the goal of the travail of the suns;
My fire and sweetness are the cause of life.

जो मन की पहुंच से परे है मैं वह परम गुह्यता हूं,
सूर्यों की श्रमसाध्य परिक्रमाओं की मैं लक्ष्य हूं;
मेरी ज्वाला और माधुर्य ही इस जीवन का कारण है।

But too immense my danger and my joy.

किन्तु मेरा संकट और मेरे हर्ष अति घोर हैं।

Awake not the immeasurable descent,
Speak not my secret name to hostile Time;
Man is too weak to bear the Infinite’s weight.

इस अमेय अवतरण को जगाने का तू हठ छोड़ दे,
द्वेषपूर्ण दिक्काल में मेरे गुह्य नाम को पुकारना त्याग दे;
अभी इस नित्यता का भार उठाने हित मानव अति निर्बल है।

Truth born too soon might break the imperfect earth.

समय आने से पहले शाश्वत सत्य का जन्म इस अधूरी धरा को तोड़ सकता है।

Leave the all-seeing Power to hew its way:
In thy single vast achievement reign apart
Helping the world with thy great lonely days.

इस सर्वद्रष्टा दिव्य शक्ति को अपना पथ स्वयं निर्मित करने देः
अपनी इस अद्वितीय विशाल सिद्धि में पृथक् शासन चला
अपने महान् एकाकी दिवसों द्वारा इस संसार का सहायक बन जा।

I ask thee not to merge thy heart of flame
In the Immobile’s wide uncaring bliss,
Turned from the fruitless motion of the years,
Deserting the fierce labour of the worlds,
Aloof from beings, lost in the Alone.

मैं नहीं कहती तुझसे निज तेजस्वी हृदय को
इस अचल ब्रह्म के विस्तृत उदासीन आत्मानन्द में लय करने को,
वर्षों की इस निष्फल गति से मुंह मोड़कर
इन लोकों की कठोर तपस्या को त्यागकर,
प्राणियों से विलग हो, परमैकम् में विलय हो जाने को।

How shall thy mighty spirit brook repose
While Death is still unconquered on the earth
And Time a field of suffering and pain?

क्योंकि तेरा तेजोमय आत्मपुरुष अवकाश सह नहीं पायेगा
जब तक इस पृथ्वी पर मृत्यु का साम्राज्य रहेगा,
और दिक्काल के क्षेत्र पर यातना और पीड़ा का राज्य रहेगा।

Thy soul was born to share the laden Force;
Obey thy nature and fulfil thy fate:
Accept the difficulty and godlike toil,[335]
For the slow-paced omniscient purpose live.

भाराक्रान्त महाशक्ति के भार में हिस्सा बंटाने तेरी आत्मा जन्मी थी;
निज स्वभाव का अनुसरण कर अपनी नियति की पूर्ति करः
इस कठिनाई और देवोपम श्रम को स्वीकार कर,
अतः इस मन्द-गति सर्वज्ञता के उद्देश्य-पूर्तिहित जीवित रह।

The Enigma’s knot is tied in human kind.

मानवजाति के अन्तर में ही इस घोर समस्या की ग्रन्थि है।

A lightning from the heights that think and plan,
Ploughing the air of life with vanishing trails,
Man, sole awake in an unconscious world,
Aspires in vain to change the cosmic dream.

उच्चताओं से एक विद्युती प्रकाश ने मनन कर योजना बनायी
जीवन के लोप होते पथचिह्नों को पुनः प्राण से भर दिया,
इस अचेत जगत् में एकाकी जाग्रत् प्राणी, मानव है,
जो व्यर्थ ही इस विश्व-स्वप्न को बदलने का अभीप्सु है।

Arrived from some half-luminous Beyond
He is a stranger in the mindless vasts;
A traveller in his oft-shifting home
Amid the tread of many infinitudes,
He has pitched a tent of life in desert Space.

किसी अर्ध-आलोकित परलोक से यहां आ पहुंचा है
इस मन-विहीन जड़ विस्तारों में वह एक अजनबी है;
अपने अस्थिर अस्थायी घर में वह एक यात्री है
जिसने अनेक चिरन्तनताओं की पथयात्राओं के मध्य से
गुजर, निज जीवन का डेरा दिक्काल की मरुभूमि में गाड़ दिया है।

Heaven’s fixed regard beholds him from above,
In the house of Nature a perturbing guest,
A voyager twixt Thought’s inconstant shores,
A hunter of unknown and beautiful Powers,
A nomad of the far mysterious Light,
In the wide ways a little spark of God.

ऊर्ध्व से देवलोक की दृढ़ दृष्टि इस पर लगी है,
विश्व-प्रकृति के भुवन में यह अशान्त बेचैन अतिथि
विचार-शक्ति के अस्थिर तटों के मध्य चलता एक आरोही
अनजान और रमणीक दिव्यशक्तियों का एक आखेटक,
सुदूर के रहस्यमय दैवी प्रकाश का एक बंजारा,
इस विशाल युगपथों पर प्रभु का एक नन्हा स्फुलिंग है।

Against his spirit all is in dire league,
A Titan influence stops his Godward gaze.

उसकी आत्मचेतना के विरुद्ध सब भीषण रुप से संगठित हैं,
एक आसुरी प्रभाव उसकी प्रभु-उन्मुख दृष्टि को रोकता है।

Around him hungers the unpitying Void,
The eternal Darkness seeks him with her hands,
Inscrutable Energies drive him and deceive,
Immense implacable deities oppose.

निर्दयी घोर महाशून्य उसे चहुं ओर से भक्षण हित घेरे है,
शाश्वत घोर अन्धकार उसे निज करों से टटोलता खोजता है,
अभेद्य घोर ऊर्जाएं उसे चलाती और छलती हैं
भीषण विशालकाय अप्रशम्य दैवी सत्ताएं उसका विरोध करती हैं।

An inert Soul and a somnambulist Force
Have made a world estranged from life and thought;
The Dragon of the dark foundations keeps
Unalterable the law of Chance and Death;
On his long way through Time and Circumstance
The grey-hued riddling nether shadow-Sphinx,
Her dreadful paws upon the swallowing sands,
Awaits him armed with the soul-slaying word:
Across his path sits the dim camp of Night.

एक तामसिक जड़ात्मा और एक निद्राचारी महाशक्ति ने
एक संसार रचा है जो प्राण और मानस से विरक्त है;
इस अंधकारमय मूलाधारों का नागदेव ड्रैगन रखवाला है,
जो अपने दैवयोग और मृत्यु के अटल विधान को दृढ़ रखता है;
त्रिकाल और घटनाचक्रों के अपने दीर्घ पथ पर चलते हुए
मानव की प्रतीक्षा में धूसररंगी पाताल-निवासिनी
छिद्रान्वेषी प्रेतिनी नरसिंहनी जो अपने भीषण पंजों को
भक्षिणी रेत पर टिकाये और आत्मघाती घोर शब्द से सज्जितः
उसके पथ पर अन्धी काली रात्रि के धूमिल डेरे पर बैठी है।

His day is a moment in perpetual Time;
He is the prey of the minutes and the hours.

मानव का दिवस इस अविरत कालगति में मात्र एक क्षण है;
वह इन पलों और इन घड़ियों का मात्र एक शिकार है।

Assailed on earth and unassured of heaven,
Descended here unhappy and sublime,[336]
A link between the demigod and the beast,
He knows not his own greatness nor his aim;
He has forgotten why he has come and whence;
His spirit and his members are at war;
His heights break off too low to reach the skies,
His mass is buried in the animal mire.

पृथ्वी पर आक्रामित और स्वर्ग की ओर से आश्वासित नहीं,
इस भू पर यह उदात्त जीव उतरा है पर सुखी नहीं है,
अर्ध-देव और पशु के बीच की एक कड़ी,
वह अपनी आत्म महत्ता और निज ध्येय से अनजान है;
वह कहां से आया और क्यों आया यह भूल चुका है।
उसका जीव और सत्ता के अंग परस्पर संघर्षरत हैं;
उसकी पराकाष्ठाएं आकाश तक पहुंचने से पहले ही टूट जाती हैं,
उसकी जड़ स्थूलदेह पशु पंकिलता में दबी है।

A strange antinomy is his nature’s rule.

उसके स्वभाव में एक विचित्र विरोधी विधान है।

A riddle of opposites is made his field:
Freedom he asks but needs to live in bonds,
He has need of darkness to perceive some light
And need of grief to feel a little bliss;
He has need of death to find a greater life.

जिसने उसके कार्यक्षेत्र को विरोधी जटिलताओं से भर दिया हैः
मुक्ति वह मांगता है पर बन्धनों में रहना उसकी अनिवार्यता है,
कुछ प्रकाश की अनुभूति लेने को उसे अन्धकार की आवश्यकता है,
अल्प आनन्द का सुख भोगने को उसे दुःख की आवश्यकता है;
एक महत्तर जीवन की प्राप्ति हेतु उसे मृत्यु की आवश्यकता है।

All sides he sees and turns to every call;
He has no certain light by which to walk;
His life is a blind-man’s-buff, a hide and seek;
He seeks himself and from himself he runs;
Meeting himself, he thinks it other than he.

उसकी दृष्टि चहुं ओर है और प्रत्येक पुकार की ओर मुड़ जाता है;
पर निज मार्ग पर चलने को उसके पास कोई निश्चित प्रकाश नहीं है;
उसका जीवन एक अन्धे का अनुमान, एक आंख-मिचौनी है;
वह स्वयं को खोजता और निज आत्मा से पीछे हट जाता है;
जब निज आत्मा को भेंटता है तब उसे अपने से पराया जैसा सोचता है।

Always he builds, but finds no constant ground,
Always he journeys, but nowhere arrives;
He would guide the world, himself he cannot guide;
He would save his soul, his life he cannot save.

वह सतत रचता है, किन्तु एक भी स्थायी भूमि नहीं पाता,
अविराम यात्रा करता है, किन्तु कहीं भी पहुंच नहीं पाता;
संसार का मार्ग-दर्शन करता, किन्तु स्वयं भटकता रहता है;
अपनी आत्मा को सुरक्षित रखता, किन्तु जीवन को बचा नहीं पाता।

The light his soul has brought his mind has lost;
All he has learned is soon again in doubt;
A sun to him seems the shadow of his thoughts,
Then all is shadow again and nothing is true:
Unknowing what he does or whither he tends
He fabricates signs of the Real in Ignorance.

जो ज्योति उसकी आत्मा लेकर आयी थी मन ने उसे खो दिया;
जो सकल ज्ञान वह पाता है शीघ्र ही वह शंका से घिर जाता है;
एक सूर्य भी उसे अपने विचारों की छाया सम दिखता है,
फिर सब छाया सम है और कुछ भी सत्य नहीं लगताः
पर अनजाने वह जो करता या जिस ओर प्रवृत्त होता है
घोर अज्ञानता में वह परम सत्य के चिह्नों की कल्पना करता है।

He has hitched his mortal error to Truth’s star.

उसने अपनी नश्वर भ्रान्ति को शाश्वत सत्य के तारे के संग जोत दिया है।

Wisdom attracts him with her luminous masks,
But never has he seen the face behind:
A giant Ignorance surrounds his lore.

प्रज्ञा उसे अपने तेजोमय मुखौटों से लुभाती है,
किन्तु उसने कभी भी पीछे छिपा वास्तविक मुखमण्डल नहीं देखाः
उसका बौद्धिक ज्ञान एक विशाल अज्ञान से घिरा हुआ है।

Assigned to meet the cosmic mystery
In the dumb figure of a material world,
His passport of entry false and his personage,
He is compelled to be what he is not;
He obeys the Inconscience he has come to rule [337]
And sinks in Matter to fulfil his soul.

एक भौतिक संसार के मूकाकार में
वह इस ब्रह्माण्डीय रहस्य को सुलझाने को नियुक्त हुआ था,
किन्तु उसका व्यक्तित्व और उसका प्रवेशपत्र दोनों मिथ्या हैं
वह जो है नहीं वह बनने को विवश कर दिया गया है;
जिस जड़ अचित् पर शासन करने आया था उसका अनुचर बन गया है
और अपनी आत्मा को परिपूर्ण करने को जड़तत्त्व में डूब गया है।

Awakened from her lower driven forms
The Earth-Mother gave her forces to his hands
And painfully he guards the heavy trust;
His mind is a lost torch-bearer on her roads.

प्रकृति द्वारा संचालित अपनी निम्नतर आकृतियों से प्रबुद्ध हो
धरती माता ने उसी के हाथों में निज शक्तियों को दे दिया है
और वह उस बोझिल विश्वास की अति कष्ट से रक्षा कर पाता है;
पार्थिव पथों पर मानव मन एक भटकता खोया मशाल वाहक है।

Illumining breath to think and plasm to feel,
He labours with his slow and sceptic brain
Helped by the reason’s vacillating fires,
To make his thought and will a magic door
For knowledge to enter the darkness of the world
And love to rule a realm of strife and hate.

जो श्वास को सोचने और रक्त-सार को अनुभूति हित प्रकाश देता है,
वह अपने मन्द और शंकित मस्तिष्क से श्रम करता है
विवेक की अनिश्चित ज्वाला की सहायता से,
अपने विचार औ’ संकल्प को एक जादुई द्वार बनाने को
इस जगत् के अन्धकार में प्रवेश करने हित ज्ञान पाने को
और संघर्ष और घृणा के इस राज्य पर शासन हित प्रेम पाने को संघर्षरत है।

A mind impotent to reconcile heaven and earth
And tied to Matter with a thousand bonds,
He lifts himself to be a conscious god.

एक मानस जो स्वर्ग और धरा का मेल कराने में असमर्थ है
और जो जड़तत्त्व के सहस्त्रों बन्धनों से बंधा है,
पर वह स्वयं को एक सचेत देवता बनाने को उन्नत कर लेता है।

Even when a glory of wisdom crowns his brow,
When mind and spirit shed a grandiose ray
To exalt this product of the sperm and gene,
This alchemist’s miracle from plasm and gas,
And he who shared the animal’s run and crawl
Lifts his thought-stature to the Immortal’s heights,
His life still keeps the human middle way;
His body he resigns to death and pain,
Abandoning Matter, his too heavy charge.

और उसके भाल पर प्रज्ञा का एक किरीट सुशोभित होता है,
उसका मन और चैत्य चेतना एक यशस्वी किरण बिखेरती हैं
जो वीर्य और जीवाणु से रचित इस उत्पादन को उदात्त बना देती हैं,
जीवद्रव्य और प्राणश्वास से निर्मित यह परम कीमियागिरी का एक चमत्कार,
जिसने पशु की दौड़ और रेंगने में कभी भाग लिया था
अपने विचार-स्तर को अमर देवों की पराकाष्ठा तक उठा देता है,
पर अपना जीवन अभी भी मानवीय मध्यम विधि से चलाता है;
अपने शरीर को वह मृत्यु और पीड़ा के भरोसे रहने देता है,
अपने विचार-स्तर को अमर देवों की पराकाष्ठा तक उठा देता है,
पर अपना जीवन अभी भी मानवीय मध्यम विधि से चलाता है;
अपने शरीर को वह मृत्यु और पीड़ा के भरोसे रहने देता है,
अपने अति बोझिल उत्तरदायित्व इस जड़तत्त्व को त्याग देता है।

A thaumaturge sceptic of miracles,
A spirit left sterile of its occult power
By an unbelieving brain and credulous heart
He leaves the world to end where it began:
His work unfinished he claims a heavenly prize.

एक बाजीगर है जो प्रकृति के चमत्कारों पर संशय करता है
अपनी गुह्यशक्ति से हीन एक आत्मचेतना है
जिसे एक अविश्वासी मस्तिष्क और मूढ़ हृदय ने वन्ध्या कर दिया है,
वह इस संसार को वैसा ही छोड़ जाता है जैसा यह आरम्भ में थाः
वह अधूरा कार्य छोड़कर एक स्वर्गिक पुरस्कार का अधिकारी हो जाता है।

Thus has he missed creation’s absolute.
Halfway he stops his star of destiny:
A vast and vain long-tried experiment,
An ill-served high conception doubtfully done,
The world’s life falters on not seeing its goal,—
A zigzag towards unknown dangerous ground
Ever repeating its habitual walk,
Ever retreating after marches long [338]
And hardiest victories without sure result,
Drawn endlessly an inconclusive game.

इस तरह वह सृष्टि की परिपूर्णता का अवसर खो देता है
वह अपनी नियति के तारे को आधे पथ पर रोक देता हैः
एक विशाल और दीर्घकाल तक किया फलहीन प्रयोग रह जाता है,
एक उच्च धारणा जिसे शंकालु मन ने उचित ढंग से पूरा नहीं किया,
इस तरह यह जग-जीवन अपने ध्येय से अन्धा बना लड़खड़ाता चलता जाता है,
अज्ञात संकटपूर्ण भूमि के एक टेढे़-मेढे़ कुण्डलित पथ पर
सतत अपनी चलने की आदत दुहराता अज्ञात की ओर बढ़ता है,
लम्बे प्रयाणों के पश्चात बारम्बार वहीं लौट आता है
और अनिश्चित परिणाम की कठिनतम विजयों से,
एक सारांशहीन खेल में अनन्त काल से खिंचा आता है।

In an ill-fitting and voluminous robe
A radiant purpose still conceals its face,
A mighty blindness stumbles hoping on,
Feeding its strength on gifts of luminous Chance.

एक ढीले-ढाले अनुपयुक्त माप के लबादे में
एक उज्ज्वल उद्देश्य अभी भी अपना मुख छिपाये है,
एक शक्तिशाली अन्धता आशान्वित बनी ठोकर खाती चलती है,
यह अपनी शक्ति को संयोगों द्वारा घटित चमकीली भेंटों से पोषित करती है।

Because the human instrument has failed,
The Godhead frustrate sleeps within its seed,
A spirit entangled in the forms it made.

क्योंकि यह मानवीय यन्त्र असफल रहा है,
अतः मानव का देवांश निराश हो अपने बीज-कोश में सोया है,
एक जीव स्व-रचित आकृतियों में उलझा फंसा रहता है।

His failure is not failure whom God leads;
Through all the slow mysterious march goes on:
An immutable Power has made this mutable world;
A self-fulfilling transcendence treads man’s road;
The driver of the soul upon its path,
It knows its steps, its way is inevitable,
And how shall the end be vain when God is guide?

किन्तु जिसे परमेश पथ दर्शाता है उसकी असफलता पराजय नहीं है;
यह मन्द गुह्य प्रयाण सकल परिस्थितियों में आगे बढ़ता रहता हैः
एक अविकारी आदि-पराशक्ति ने इस विकारी संसार को रचा है;
एक स्वयं-सिद्धा परात्परता मानव के पथ पर साथ चलती है;
इस जीव को अपने मार्ग पर चलाती यही सारथी है,
यह अपने कदमों की ज्ञाता है इसका मार्ग भी अटल है,
फिर जब प्रभु पथ-प्रदर्शक हैं तो अन्त क्यों कर निष्फल होगा?

However man’s mind may tire or fail his flesh,
A will prevails cancelling his conscious choice:
The goal recedes, a bourneless vastness calls
Retreating into an immense Unknown;
There is no end to the world’s stupendous march,
There is no rest for the embodied soul.

तथापि नर का मन क्लान्त हो सकता है उसका शरीर जीर्ण हो जाता है,
एक संकल्प प्रबल है जो उसके सचेत चुनाव को रद्द कर देता हैः
भौतिक ध्येय पीछे छूट जाता है, एक अमेय विशालता का जब आवाहन आता है
एक विशाल परम अज्ञेय उसे पीछे लौट आने को पुकार लगाता है;
इस जगत् के भीषण प्रयाण का कोई अन्त नहीं है,
देहधारी अन्तरात्मा हित कोई विश्राम नहीं है।

It must live on, describe all Time’s huge curve.

इसे चलते जाना है, युगों की विशाल उतार-चढ़ाव रेखा को आंकते रहना है।

An Influx presses from the closed Beyond
Forbidding to him rest and earthly ease,
Till he has found himself he cannot pause.

उस अवरुद्ध परात्परता से एक बहाव धकेलता है
जो उसे विश्राम और पार्थिव सुख-चैन में नहीं डूबने देता,
जब तक वह आत्मसिद्ध नहीं हो जाता वह विराम नहीं ले सकता।

A Light there is that leads, a Power that aids;
Unmarked, unfelt it sees in him and acts:
Ignorant, he forms the All-conscient in his depths,
Human, looks up to superhuman peaks:
A borrower of Supernature’s gold,
He paves his road to Immortality.

एक पराज्योति उसका नेतृत्व करती है, एक महाशक्ति सहायक है;
यह अचिह्नित, अनुभूति से परे होकर भी उसमें देखती औ’ कार्य करती है;
अनजाने ही मानव निज गहनताओं में सर्व-चैतन्य को आकार देता रहता है,
मानव होकर भी अतिमानवीय पराकाष्ठाओं की ओर देखता हैः
परा-प्रकृति के स्वर्ण को एक ऋणी बनकर ग्रहण करता है
और अमरत्व की ओर जाते अपने मार्ग का निर्माण कर लेता है।

The high gods look on man and watch and choose
Today’s impossibles for the future’s base.

ऊर्ध्व में देवगण मानव पर दृष्टि लगाये सतर्क देखते हैं
और वर्तमान की असम्भावनाओं को भविष्य का आधार बना चुनाव करते हैं।

His transience trembles with the Eternal’s touch,
His barriers cede beneath the Infinite’s tread;[339]
The Immortals have their entries in his life:
The Ambassadors of the Unseen draw near;
A Splendour sullied by the mortal air,
Love passes through his heart, a wandering guest,
Beauty surrounds him for a magic hour,
He has visits of a large revealing joy,
Brief widenesses release him from himself,
Enticing towards a glory ever in front
Hopes of a deathless sweetness lure and leave.

चिरन्तनता का स्पर्श पा मानव की नश्वरता कांप उठती है,
शाश्वत प्रभु के चरणों तले उसकी सीमाएं मिट जाती हैं;
उसके जीवन में अमर-देवों का प्रवेश हो जाता है;
अगोचर प्रभु के ये देवदूत समीप खिंच आते हैं।
यह मर्त्य वातावरण एक दिव्य-शोभा को भी मलिन बना देता है
जब दिव्य प्रेम, एक विचरण करते अतिथि सम, मानव हृदय से गुजरता है।
एक चमत्कारी घड़ी के लिए दिव्य सौन्दर्य उसे घेर लेता है,
एक विशाल प्रहर्ष प्रकट हो उसे भेंटने आता है,
ये अल्प विस्तृतताएं उसे स्वयं अपने अहम् से मुक्त कर देती हैं,
सतत सम्मुख रहती एक महिमा की ओर लुभाती हैं
एक अमर माधुरी की आशाएं उसे ललचाकर छोड़ जाती हैं।

His mind is crossed by strange discovering fires,
Rare intimations lift his stumbling speech
To a moment’s kinship with the eternal Word;
A masque of wisdom circles through his brain
Perturbing him with glimpses half-divine.

विचित्र अनुसन्धानी अग्नियां उसके मानस को पार करती हैं,
उसकी हकलाती वाचा दुर्लभ संचारों द्वारा उन्नत हो उठती है
और उस शाश्वत परम शब्द से एक क्षणिक सम्बन्ध जोड़ लेती है;
उसकी बुद्धि के मध्य प्रज्ञादेवी का एक दर्शन परिक्रमा करता है
और उसे अर्ध-दिव्यता की झलकों से व्यथित कर देता है।

He lays his hands sometimes on the Unknown;
He communes sometimes with Eternity.

वह यदा-कदा अपने हाथों को अज्ञेय प्रभु पर धर देता है;
वह कभी-कभी शाश्वत प्रभु से वार्तालाप करता है।

A strange and grandiose symbol was his birth
And immortality and spirit-room
And pure perfection and a shadowless bliss
Are this afflicted creature’s mighty fate.

मानव का जन्म एक अद़्भुत और भव्य प्रतीक है
और अमरत्व और आत्मचेतना का कक्ष है
और विशुद्ध पूर्णता और एक निर्मल आत्मानन्द है
इस संतप्त जीव का यही सामर्थ्यशाली भाग्य है।

In him the Earth-Mother sees draw near the change
Foreshadowed in her dumb and fiery depths,
A godhead drawn from her transmuted limbs,
An alchemy of Heaven on Nature’s base.

उसी के अन्तर में धरती-माता उस रुपान्तर को समीप आते देखती है
जो उसकी मूक और घोर गहनताओं में पूर्वाभासित छिपा था,
पृथ्वी के आरोपित अंगों से गठित यह एक दिव्यांश है,
जड़-प्रकृति की आधारशिला पर एक सुरलोक की कीमियागिरी है।

Adept of the self-born unfailing line,
Leave not the light to die the ages bore,
Help still humanity’s blind and suffering life:
Obey thy spirit’s wide omnipotent urge.

तू आत्म-जात सफल परम्परा की लीक में चतुर है,
अब युगान्तरों द्वारा धारण की इस ज्योति को बुझने न देना,
अभी तक मानव के अन्धे और पीड़ित जीवन की सहायता करनाः
अपनी आत्मा की विशाल सर्व-सम्पन्न प्रेरणा का आज्ञापालन करना।

A witness to God’s parley with the Night,
It leaned compassionate from immortal calm
And housed desire, the troubled seed of things.

प्रभु के तमस्-अन्धरात्रि के साथ हुए समझौते की एक साक्षी,
यह अमर शान्ति से करुणामयी देवी नीचे झुक आयी थी
और पदार्थों के इस क्लेशकारी बीज-कामना को निज अन्तर में बसा लिया था।

Assent to thy high self, create, endure.

अपनी उच्च आत्म-महत्ता को स्वीकार, सर्जन कर और वहन कर।

Cease not from knowledge, let thy toil be vast,
No more in earthly limits pen thy force;
Equal thy work with long unending Time’s.

आत्म-ज्ञान से पीछे न हट, अपने श्रम को विशाल बना, विस्तृत कर।
पार्थिव सीमाएं तेरे तेज-ओज को अब बांध नहीं सकेंगी;
अपने कर्म को दीर्घ चिरकाल के कार्य का समकक्ष बना दे।

Traveller upon the bare eternal heights,[340]
Tread still the difficult and dateless path
Joining the cycles with its austere curve
Measured for man by the initiate Gods.

नग्न शाश्वत शिखरों के ओ पथिक।
अभी तो और कठिन एवं कालातीत पथ पर आगे बढ़ना है,
यही पथ युगचक्रों को अपनी तपश्चर्यो की वक्ररेखा से जोड़ रहा है
इसे आदि-देवों ने मानव हित माप कर तैयार किया है।

My light shall be in thee, my strength thy force.

मेरी ज्योति तेरे अन्तर में रहेगी, मेरी शक्ति तेरा आत्मबल बनेगी।

Let not the impatient Titan drive thy heart,
Ask not the imperfect fruit, the partial prize.

निज हृदय को असहिष्णु शैतान द्वारा संचालित न होने दे,
आधे-पके फल का वरदान न मांग, यह तो आंशिक पुरस्कार है।

Only one boon, to greaten thy spirit, demand;
Only one joy, to raise thy kind, desire.

अपनी आत्मसत्ता को महत्तर करने को, केवल एक वरदान तू मांग ले;
अपनी जाति के उत्थान हित, केवल एक सुख-हर्ष की कामना कर ले।

Above blind fate and the antagonist powers
Moveless there stands a high unchanging Will;
To its omnipotence leave thy work’s result.

अन्धी नियति और इन घोर विरोधी बलों के ऊर्ध्व में
एक महान् अपरिवर्तनीय दिव्य संकल्प अटलता से स्थिर है;
इसकी सर्वशक्तिमत्ता पर तू निज-कर्म का परिणाम छोड़ दे।

All things shall change in God’s transfiguring hour.”

परमेश की रुपान्तरकारी घड़ी में सकल वस्तुओं का परिवर्तन अवश्यम्भावी है।’’

 

August and sweet sank hushed that mighty Voice.

वह महती और मधुर शक्तिशाली देववाणी मौन नीरवता में डूब गयी।

Nothing now moved in the vast brooding space:
A stillness came upon the listening world,
A mute immensity of the Eternal’s peace.

उस विराट् ध्यानमग्न दिशा में कोई गति अब नहीं थीः
सकल श्रोता जगत् पर एक निस्तब्धता छायी हुई थी,
चिरन्तन-शान्ति की एक मूक विशालता फैली थी।

But Aswapathy’s heart replied to her,
A cry amid the silence of the Vasts:
“How shall I rest content with mortal days
And the dull measure of terrestrial things,
I who have seen behind the cosmic mask
The glory and the beauty of thy face?
Hard is the doom to which thou bindst thy sons!

किन्तु अश्वपति के हृदय ने उस देवी को उत्तर दिया;
उन दिव्य विस्तारों के मध्य एक आर्त-निवेदन गूंजाः
‘‘मां! मैं कैसे इन नश्वर दिवसों में सन्तुष्ट सुख से रहूंगा
और इन पार्थिव पदार्थों की नीरस सीमा को सह पाऊंगा,
मैं, जिसने इस विश्व मुखौटे के पीछे छिपी
तेरे मुखश्री की शोभा महिमा देख ली है,
मां, तूने निज संतति को अति कठोर दुर्भाग्य से बांधा है!

How long shall our spirits battle with the Night
And bear defeat and the brute yoke of Death,
We who are vessels of a deathless Force
And builders of the godhead of the race?

हम जो एक अमर दिव्य तेजस्विता के अधिकारी हैं
और दिव्य-जाति के निर्माता हैं,
कबतक हमारी अन्तरात्माएं इस काल अन्धरात्रि से लड़तीं
यमराज की कराल दासता और पराजय को सहन करेंगी?

Or if it is thy work I do below
Amid the error and waste of human life
In the vague light of man’s half-conscious mind,
Why breaks not in some distant gleam of thee?

यदि नीचे पृथ्वी पर मैं तेरा ही कार्य करता हूं
तो इस मानव जीवन के दोष और व्यर्थता के मध्य
मानव के अर्ध-चेतन मानस के धूमिल प्रकाश के मध्य,
तेरी ज्योति की कोई सुदूर किरण-आभा क्यों नहीं फूटी?

Ever the centuries and millenniums pass.

सतत शताब्दियां और युग निकल बीतते जाते हैं।

Where in the greyness is thy coming’s ray?

तेरे आगमन की किरण इस धूसरता में कहां छिपी है?

Where is the thunder of thy victory’s wings?

तेरे विजयी पंखों की गड़गड़ाहट कहां गूंजी?

Only we hear the feet of passing gods.[341]

हमें तो यहां केवल देवताओं की गुजरती पदचाप सुनायी देती है।

A plan in the occult eternal Mind
Mapped out to backward and prophetic sight,
The aeons ever repeat their changeless round,
The cycles all rebuild and ever aspire.

गुह्य अविनाशी शाश्वत सत्यमानस में एक योजना का मानचित्र
पुराकाल में त्रिकाल-द्रष्टा ऋषि द्वारा आंका गया था,
पर सतत अपने अपरिवर्तनीय कर्मों को दोहराते युग बीत जाते हैं
कालचक्र अभीप्सा से पूर्ण हो सब पुनः नव-सर्जन करते रहते हैं।

All we have done is ever still to do.

हमने आज तक जो सब किया है आगे भी सतत वही करना है।

All breaks and all renews and is the same.

सब नष्ट होता और पुनः नवसर्जन होता है और सब वैसा ही रहता है।

Huge revolutions of life’s fruitless gyre,
The new-born ages perish like the old,
As if the sad Enigma kept its right
Till all is done for which this scene was made.

जीव की विशाल क्रान्तियां भी जीवन के फलहीन परिभ्रमण मात्र हैं,
नव-जात युग सब पुरातन युगों सम नष्ट हो जाते हैं,
मानों यह विषादपूर्ण दिव्य रहस्य तब तक अपना अधिकार बनाये रखेगा
जब तक वह समस्त सिद्ध नहीं हो जाता जिसके लिए यह दृश्य जग रचा गया था।

Too little the strength that now with us is born,
Too faint the light that steals through Nature’s lids,
Too scant the joy with which she buys our pain.

वह शक्ति अति लघु है जिसके साथ अभी हम जन्म लेते हैं,
वह ज्योति अति धूमिल है जो हमारी प्राकृतिक पलकों के माध्यम से आती है
अति क्षुद्र है वह हर्ष जिससे वह हमारे लिए पीड़ाओं का विक्रय करती है।

In a brute world that knows not its own sense,
Thought-racked upon the wheel of birth we live,
The instruments of an impulse not our own
Moved to achieve with our heart’s blood for price
Half-knowledge, half-creations that soon tire.

इस पशु-जगत् में जिसे अपना आत्मबोध तक नहीं है,
विचार से चहुं ओर आक्रान्त हम इस जीवन-मरण-चक्र पर घूमते हैं,
एक आवेश के यन्त्र बन जाते हैं जो हमारे अपने नहीं होते
अपने हृदय-रक्त का मूल्य चुका हम सफलता पाने को सक्रिय रहते हैं
अधूरे ज्ञान और अधूरी रचनाओं को पाने को, जो शीघ्र थका देते हैं।

A foiled immortal soul in perishing limbs,
Baffled and beaten back we labour still;
Annulled, frustrated, spent, we still survive.

एक पराजित अमर आत्मा इन नाशवान अंगों में कैद है,
संभ्रमित और हताश होकर भी हम श्रमरत रहते हैं;
नष्ट, हतोत्साहित और बलहीन होकर भी हम बचे रहते हैं।

In anguish we labour that from us may rise
A larger-seeing man with nobler heart,
A golden vessel of the incarnate Truth,
The executor of the divine attempt
Equipped to wear the earthly body of God,
Communicant and prophet and lover and king.

परिताप से पूर्ण हम श्रम में लगे हैं कि हममें से
एक उदार-द्रष्टा श्रेष्ठ हृदय का महामानव उदित हो जाये,
अवतारी दिव्य सत्य का एक स्वर्ण पात्र निर्मित हो जाये,
इस दिव्य प्रयास का यह निष्पादक यन्त्र हो
प्रभु की पार्थिव देह धारण करने में समर्थ हो,
दिव्य सूचना का वाहक और ऋषि और प्रियतम एवं भूपति हो।

I know that thy creation cannot fail:
For even through the mists of mortal thought
Infallible are thy mysterious steps,
And, though Necessity dons the garb of Chance,
Hidden in the blind shifts of Fate she keeps
The slow calm logic of Infinity’s pace
And the inviolate sequence of its will.

मुझे ज्ञात है कि तेरी सृष्टि कभी असफल नहीं हो सकतीः
क्योंकि मर्त्य-नश्वर विचारों की इस धुंध के मध्य भी
तेरे रहस्यपूर्ण चरणों के चिह्न अमोघ दिखते हैं,
और, यद्यपि दिव्य-अनिवार्यता दैवयोग का बाना पहन आती है,
किन्तु जगभाग्य के अन्धे बदलावों में वह छिपा रखती है
चिरन्तन की गति के मन्द शान्त विधान को
और इसके संकल्प के अक्षत परिच्छेद के सूत्र को।

All life is fixed in an ascending scale
And adamantine is the evolving Law;[342]
In the beginning is prepared the close.

सकल जीवनगति एक आरोहणकारी मापदण्ड से युक्त है
और यह विकासक्रम का दिव्य विधान वज्र कठोर है;
जिसके आरम्भ में ही अन्त निश्चित कर लिया जाता है।

This strange irrational product of the mire,
This compromise between the beast and God,
Is not the crown of thy miraculous world.

इस दलदल की माटी का मानव एक विचित्र उत्पादन है,
पशु और देवता के मध्य का एक समझौता है,
तेरे विलक्षण जगत् का क्या यही शीर्ष-मुकुट नहीं है।

I know there shall inform the inconscient cells,
At one with Nature and at height with heaven,
A spirit vast as the containing sky
And swept with ecstasy from invisible founts,
A god come down and greater by the fall.

मैं जानता हूं कि इन अचित् कोषाणुओं को अनुप्राणित करती,
विश्व-प्रकृति के साथ और उच्चता में स्वर्ग के साथ एक बनी,
एक चित्-शक्ति है जो विशालता में इस आकाश सम सबको धारण करती है
और अगोचर स्त्रोतों से हर्षोल्लास से उमगती बहती,
एक देवी नीचे उतरी और पतित हो और महत्तर हो गयी।

A power arose out of my slumber’s cell.

मेरे निद्रित कोषाणुकक्ष से एक महाशक्ति उठ बाहर आयी।

Abandoning the tardy limp of the hours
And the inconstant blink of mortal sight,
There where the Thinker sleeps in too much light
And intolerant flames the lone all-witnessing Eye
Hearing the word of Fate from Silence’ heart
In the endless moment of Eternity,
It saw from timelessness the works of Time.

यह नश्वर घण्टों की शिथिल घिसटन त्याग
और मर्त्य चितवन की चंचल झपकी तज जा पहुंची,
वहां जहां परम-मनीषी अति प्रखर ज्ञानप्रकाश में सोता है
और असह्य ज्वालाओं से प्रज्वलित एकाकी सर्वद्रष्टा दिव्य नेत्र है
इसने हृदय की परम नीरवता से उठता विधाता का शब्द
चिरन्तन प्रभु के उस अनन्त दिव्य मुहूर्त में सुना,
एवं अकाल तत्त्व के त्रिकालीय कर्मों को इसने देखा।

Overpassed were the leaden formulas of the Mind,
Overpowered the obstacle of mortal Space:
The unfolding Image showed the things to come.

वहां मनशक्ति के बोझिल सूत्रों-नियमों को त्याग दिया गया था,
मर्त्य-दिशाओं की बाधाओं को अभिभूत कर लिया गया थाः
उस दिव्य छवि ने उद़्घाटित हो भविष्य की वस्तुओं को दर्शा दिया।

A giant dance of Shiva tore the past,
There was a thunder as of worlds that fall;
Earth was o’errun with fire and the roar of Death
Clamouring to slay a world his hunger had made;
There was a clangour of Destruction’s wings:
The Titan’s battle-cry was in my ears,
Alarm and rumour shook the armoured Night.

शिव के एक ताण्डव नृत्य ने भूतकाल को छिन्न-भिन्न कर डाला;
लोक टूट-टूट गिर रहे हों ऐसा वहां एक विद्युती गर्जन का घोष था;
धरती अग्निज्वालाओं से उजाड़ थी और भयानक मृत्युदेव अट्टहास करता
अपनी क्षुधा हित रचित एक जग को काट डालने को गरज रहा था;
महासर्वनाशी प्रलय के पंखों की गड़गड़ाहट का धमाका थाः
शैतान की विकराल युद्ध चीत्कार मेरे कानों में सुनायी दी थी,
शस्त्रों से सुरक्षित कालरात्रि का अन्तर व्याकुल और आशंका से भयभीत था।

I saw the Omnipotent’s flaming pioneers
Over the heavenly verge which turns towards life
Come crowding down the amber stairs of birth;
Forerunners of a divine multitude
Out of the paths of the morning star they came
Into the little room of mortal life.

मैंने सर्वशक्तिशाली परमेश के प्रज्वलित अग्रगामियों को
स्वर्ग की उस सीमा पर देखा जो पार्थिव जीवन की ओर मुड़ती है
जन्म के अम्बर-सोपानों पर से वे समूहों में नीचे उतर रहे थे;
वे एक दिव्यता के अग्रदूत संख्या में अनेक थे,
प्रभात के शुभ्र तारे के पथों से बाहर निकल रहे थे,
मर्त्य-जीवन के इस लघु कक्ष में प्रवेश करने आ रहे थे।

I saw them cross the twilight of an age,
The sun-eyed children of a marvellous dawn,
The great creators with wide brows of calm,[343]
The massive barrier-breakers of the world
And wrestlers with destiny in her lists of will,
The labourers in the quarries of the gods,
The messengers of the Incommunicable,
The architects of immortality.

एक युगान्तर के सांध्य प्रकाश में मैने उन्हें पार करते देखा,
एक अद़्भुत उषा के उन सूर्य सम चमकते नेत्रों वाले बालवृंद को,
शान्त विशाल भाल के उन महान् स्त्रष्टाओं को,
इस जग-संरचना के घोर स्थूल सीमा-भंजकों को
और नियति के साथ उसके संकल्पों से जूझनेवाले मल्लयोद्धाओं को
देवों की खदानों में कार्य करने वाले श्रमिकों को,
अनिवर्चनीय प्रभु के संदेशवाहकों को,
अमरता के दिव्य शिल्पकारों को देखा।

Into the fallen human sphere they came,
Faces that wore the Immortal’s glory still,
Voices that communed still with the thoughts of God,
Bodies made beautiful by the Spirit’s light,
Carrying the magic word, the mystic fire,
Carrying the Dionysian cup of joy,
Approaching eyes of a diviner man,
Lips chanting an unknown anthem of the soul,
Feet echoing in the corridors of Time.

वे इस पतित मानवीय स्तर में उतर आये,
तब भी उनके मुखमण्डल अमर-देवों की शोभा से सुशोभित थे,
तब भी उनकी वाणियों में प्रभु के विचार गूंज रहे थे,
उनके शरीर आत्म-तेज के सौन्दर्य से आलोकित थे
वे निज अन्तर में मान्त्रिक शब्द, गुह्याग्नि को धारण किये थे
हर्ष के मदमस्त करते पात्र को वहन कर ला रहे थे,
एक दिव्यतर मानव के समीप आते नयन थे,
अन्तरात्मा की एक अनजानी ऋचा उच्चारते अधर थे,
महाकाल के प्रांगणों में उनके चरण-चाप गूंजते थे।

High priests of wisdom, sweetness, might and bliss,
Discoverers of beauty’s sunlit ways
And swimmers of Love’s laughing fiery floods
And dancers within rapture’s golden doors,
Their tread one day shall change the suffering earth
And justify the light on Nature’s face.

वे प्रज्ञा, माधुर्य, सामर्थ्य और आनन्दातिरेक के श्रेष्ठ पण्डित थे,
सूर्यालोकित मार्गों की सुरम्यता के संधाता थे
और दिव्य प्रेम के हंसते आवेगपूर्ण प्रवाहों के तैराक थे
और प्रहर्ष के स्वर्ण-द्वारों के अन्दर नाचते नर्तक थे,
उनका पदक्षेप अवश्य एक दिन इस शोकार्त धरा को रुपान्तरित कर
और विश्व-प्रकृति के आनन की ज्योति का औचित्य सिद्ध कर देगा।

Although Fate lingers in the high Beyond
And the work seems vain on which our heart’s force was spent,
All shall be done for which our pain was borne.

यद्यपि यह दिव्य भाग्य उन्नत परात्परता में विलम्ब करता छिपा है
और यह कार्य जिस पर हम हृदय की शक्ति गंवा चुके, व्यर्थ ही लगता है,
किन्तु जिसके लिए हमने कष्ट उठाया वह सकल कार्य अवश्य सिद्ध होगा।

Even as of old man came behind the beast
This high divine successor surely shall come
Behind man’s inefficient mortal pace,
Behind his vain labour, sweat and blood and tears:
He shall know what mortal mind barely durst think,
He shall do what the heart of the mortal could not dare.

ज्यों पशु के पश्चात् आदि मानव धरा पर आया था
वैसे ही मानव की असमर्थ निर्बल नश्वर चाल के पश्चात्
यह उन्नत दिव्य उत्तराधिकारी यहां निश्चय ही आयेगा,
उसके निष्फल श्रम, स्वेद और रक्त एवं अश्रुओं के अर्घ्य के बाद अवश्य आयेगा;
जिसे यह मर्त्य मन अति कठिनाई से सोच पाता है वह सबका ज्ञान पा जायेगा।
जिस कार्य को करने का यह मानव हृदय साहस नहीं पाता वह कर दिखायेगा।

Inheritor of the toil of human time
He shall take on him the burden of the gods;
All heavenly light shall visit the earth’s thoughts,
The might of heaven shall fortify earthly hearts;
Earth’s deeds shall touch the superhuman’s height,
Earth’s seeing widen into the infinite.

मानवीय काल के परिश्रम का वह उत्तराधिकारी होगा
और देवताओं का भार भी वह निज कन्धों पर उठा लेगा;
स्वर्ग की सम्पूर्ण तेजस्विताएं धरा के विचारों को भेंटेंगी,
स्वर्ग की सामर्थ्य पार्थिव हृदयों को दृढ़ बना देगी;
तब पृथ्वी की कृतियां अतिमानव के शिखरों का स्पर्श करेंगी,
पृथ्वी की दृष्टि अनन्तता तक विस्तृत हो जायेगी।

Heavy unchanged weighs still the imperfect world;[344]
The splendid youth of Time has passed and failed;
Heavy and long are the years our labour counts
And still the seals are firm upon man’s soul
And weary is the ancient Mother’s heart.

पर यह अपूर्ण जगती अभी तक अपरिवर्तनीय रूढ़ियों से भाराक्रान्त है;
युग की भव्य तरुणाई असफल हो बीत गयी है;
हमारे कठोर श्रम के वर्षों की गणना बोझिल और दीर्घ लगती है
और फिर भी मानव की अन्तरात्माओं पर लगी मुहर टूटी नहीं है
और आदि जगज्जननी का हृदय भी अब क्लान्त है।

O Truth defended in thy secret sun,
Voice of her mighty musings in shut heavens
On things withdrawn within her luminous depths,
O Wisdom-Splendour, Mother of the universe,
Creatrix, the Eternal’s artist Bride,
Linger not long with thy transmuting hand
Pressed vainly on one golden bar of Time,
As if Time dare not open its heart to God.

निज गुह्य सूर्य में सुरक्षित बसती ओ सत्यमयी दिव्यता,
आवृत स्वर्गों में चिन्तनमग्न, ओ सूर्य शक्ति वाचा,
दीप्तिमय गहनताओं के अन्तर में निवृत्ति में रहते पदार्थों पर विचार करती,
ओ प्रज्ञामयी श्रीशोभा, इस विश्व की जगन्माता,
सृष्टि की रचनाकार, चिरन्तन की दिव्यवधू कलाकार,
अब निज रुपान्तरकारी वरदहस्त से और विलम्ब न लगा
जो त्रिकाल की एक स्वर्ण अर्गला पर निष्फल ही धरा हुआ है,
क्योंकि महाकाल निज हृदय को प्रभु की ओर खोलने का साहस जुटा नहीं पाया है।

O radiant fountain of the world’s delight
World-free and unattainable above,
O Bliss who ever dwellst deep hid within
While men seek thee outside and never find,
Mystery and Muse with hieratic tongue,
Incarnate the white passion of thy force,
Mission to earth some living form of thee.

जगदानन्द की ओ कान्तिमयी निर्झरणी
तू संसार से मुक्त है और परात्परता में भी अगम्या है,
ओ आनन्दमयी तू सतत हमारे हृदय की गुह्यता में बसती है
जब कि मानव तुझे बाहर खोजता है और कभी नहीं पाता है,
तू दिव्य रहस्य और वैदिक भाषा की देवी सरस्वती है,
अपनी तेजस्विनी शक्ति के विशुद्ध आवेग के साथ अवतरित हो, मां,
इस पृथ्वी पर निज चैतन्य जीवन्त रूप को दिव्यकार्य पूर्ति हेतु पठा दे मां!

One moment fill with thy eternity,
Let thy infinity in one body live,
All-Knowledge wrap one mind in seas of light,
All-Love throb single in one human heart.

एक क्षण को अपनी अमरता से पूर्ण कर दे,
एक देह में अपनी नित्यता को बसा दे,
एक मानस को पूर्ण सत्य-ज्ञान के ज्योति-सागर में डुबो दे,
एक मानवीय हृदय में विश्व-प्रेम का एकाकी स्पन्दन जगा दे।

Immortal, treading the earth with mortal feet
All heaven’s beauty crowd in earthly limbs!

अमर दिव्यता, नाशवान् चरणों से इस धरती पर विचरण करे
पार्थिव अंगों में सकल सुरलोक का रूप-लावण्य एकत्रित हो जाये!

Omnipotence, girdle with the power of God
Movements and moments of a mortal will,
Pack with the eternal might one human hour
And with one gesture change all future time.

ओ शक्तिमयी, एक मानवीय संकल्प की गतियों और क्षणों में
प्रभु-ओजस्विता की मेखला पहना दे
एक मानव की घड़ी को अनन्त सामर्थ्य से भर दे
और एक भंगिमा के संकेत से सकल भावी काल को रुपान्तरित कर दे।

Let a great word be spoken from the heights
And one great act unlock the doors of Fate.”

मां, निज उच्च शिखरों से एक महामन्त्र उच्चारित कर दे
और एक महती क्रिया द्वारा घोर नियति के द्वारों को खोल दे।’’

 

His prayer sank down in the resisting Night
Oppressed by the thousand forces that deny,
As if too weak to climb to the Supreme.

विरोध करती कालरात्रि में उसकी प्रार्थना गिरकर डूब गयी
निषेध करती सहस्त्रों शक्तियों द्वारा दमित कर दी गयी,
मानों उस परमेश्वरी तक आरोहण हित यह अति दुर्बल थी।

But there arose a wide consenting Voice;[345]
The spirit of beauty was revealed in sound:
Light floated round the marvellous Vision’s brow
And on her lips the Immortal’s joy took shape.

किन्तु तभी वहां एक विशाल स्वीकृति की देववाणी गूंज उठी;
सौन्दर्य की आत्मा उस गिरा में प्रकट हो उठीः
उस अद़्भुत दिव्य-दर्शन के भाल के चहुं ओर प्रभामण्डल प्रवाहित था
और उसके अधरों पर परमानन्द रूपायित हो रहा था।

“O strong forerunner, I have heard thy cry.

‘‘हे वीर अग्रदूत, मैंने तेरा आर्त निवेदन सुन लिया है।

One shall descend and break the iron Law,
Change Nature’s doom by the lone Spirit’s power.

निश्चय ही एक अद्वितीया अवतरित हो इस लौह दैवी विधान को भंग करेगी,
अपनी एकाकी आत्मा की शक्ति द्वारा विश्व-प्रकृति के सर्वनाश को बदल देगी।

A limitless Mind that can contain the world,
A sweet and violent heart of ardent calms
Moved by the passions of the gods shall come.

एक असीम सत्य-मानस होगा जिसमें यह जगत् समा सकेगा,
प्रबल प्रशान्तताओं का एक मधुर और आवेगी हृदय
देवताओं के आवेशों द्वारा संचालित हो उठेगा।

All mights and greatnesses shall join in her;
Beauty shall walk celestial on the earth,
Delight shall sleep in the cloud-net of her hair
And in her body as on his homing tree
Immortal Love shall beat his glorious wings.

उस दिव्यता में सकल सामर्थ्य और महत्ताओं का संयोजन होगा;
अलौकिक श्रीशोभा इस पृथ्वी पर विचरण करेगी,
उसके केशरूपी घन-पाश में हर्ष शयन करेगा,
और उसकी काया पर एक वृक्ष समान निज नीड़ पर प्रेम देवता
पक्षी बन निज भव्य पंखों को फड़फड़ाता आ बसेगा।

A music of griefless things shall weave her charm;
The harps of the Perfect shall attune her voice,
The streams of Heaven shall murmur in her laugh,
Her lips shall be the honeycombs of God,
Her limbs his golden jars of ecstasy,
Her breasts the rapture-flowers of Paradise.

शोक-विहीन तत्त्वों का एक संगीत उसकी मोहिनी का जाल बुनेगा;
दिव्य-पूर्णता की वीणाएं उसकी वाणी से संगत करेंगी,
उसके हास्य में सुर-सरिताओं की कलकल ध्वनि गुंजित होगी,
उसके अधर प्रभु के मधु-कोष होंगे,
उसके अंग परमोल्लास के स्वर्णपात्र होंगे,
उसके उरोज स्वर्गिक आह्लाद के पारिजात पुष्प होंगे।

She shall bear Wisdom in her voiceless bosom,
Strength shall be with her like a conqueror’s sword
And from her eyes the Eternal’s bliss shall gaze.

उसके नीरव वक्षस्थल में सरस्वती का वास होगा,
एक विजेता के खड्ग सम बल उसके संग रहेगा
और उसके नेत्रों से चिरन्तन का आनन्द-रस छलकेगा।

A seed shall be sown in Death’s tremendous hour,
A branch of heaven transplant to human soil;
Nature shall overleap her mortal step;
Fate shall be changed by an unchanging will.”

मृत्युदेवता की प्रचण्ड घड़ी में एक बीज रोपित होगा,
स्वर्ग की एक शाखा इस मानवीय धरती पर प्रत्यारोपित होगी;
सम्पूर्ण-प्रकृति अपने मर्त्य-चरण को कूद कर उलांघ जायेगी;
एक दृढ़ अपरिवर्तित संकल्प द्वारा नियति बदल दी जायेगी।’’

 

As a flame disappears in endless Light
Immortally extinguished in its source,
Vanished the splendour and was stilled the word.

यथा एक ज्वाला अनन्त परम प्रकाश में विलीन हो जाये
अपने स्त्रोत में पहुंच अमरता में घुलमिल जाये
वैसे ही वह श्रीशोभा लोप हो गयी और गिरा मौन हो गयी।

An echo of delight that once was close,
The harmony journeyed towards some distant hush,
A music failing in the ear of trance,
A cadence called by distant cadences,
A voice that trembled into strains withdrawn.[346]

सुखानन्द की वह गूंज जो कभी अति समीप थी,
वह सामञ्जस्यता किसी सुदूर प्रशान्ति की ओर लौट गयी,
समाधिस्थ श्रवणों में एक संगीत सुनायी देना बन्द हो गया,
एक आलाप सुदूर स्वर के उतार-चढ़ावों में जा डूब गया,
तानों में कम्पित एक वाणी प्रत्यागमन कर गयी।

Her form retreated from the longing earth
Forsaking nearness to the abandoned sense,
Ascending to her unattainable home.

वह मोहिनी आकृति इस लालायित धरती से लौट गयी
मानव के चित्त बोध का सान्निध्य त्याग
अपने अगम्य धाम की ओर आरोहण कर गयी।

Lone, brilliant, vacant lay the inner fields;
All was unfilled inordinate spirit space,
Indifferent, waste, a desert of bright peace.

अब योगी का आन्तरिक क्षेत्र, एकाकी, दीप्तिमय और रिक्त था;
समस्त आत्माकाश अपूरित विश्रृंखलित शून्य था,
उदासीन, बंजर, उज्ज्वल शान्ति का एक मरुस्थल था।

Then a line moved on the far edge of calm:
The warm-lipped sentient soft terrestrial wave,
A quick and many-murmured moan and laugh,
Came gliding in upon white feet of sound.

तब उस प्रशान्ति के सुदूर तट पर एक रेखा संचरित हो उठीः
यह तप्त अधरों की चेतन मृदुल पार्थिव लहर थी,
इसके विभिन्न उच्छ्वास और हास्य ध्वनियां अति तीव्र गति से
नाद के शुभ्र-पगों पर फिसलती रपटती उसके अन्तर में प्रवेश कर गयीं।

Unlocked was the deep glory of Silence’ heart;
The absolute unmoving stillnesses
Surrendered to the breath of mortal air,
Dissolving boundlessly the heavens of trance
Collapsed to waking mind. Eternity
Cast down its incommunicable lids
Over its solitudes remote from ken
Behind the voiceless mystery of sleep.

परम नीरव हृदय की गहन गरिमा आज मुक्त हो प्रकट हो उठी;
वे सर्वोच्च अचल स्थिरताएं
मर्त्य वातावरण के श्वास जीवन के प्रति समर्पित थीं,
स्वर्गों की समाधि को पूर्णतः निर्बाध रुप से भंग कर
अब वे प्रबुद्ध मानस के अन्तर में ढह उससे जुड़ गयीं।
चिरन्तनता ने अपने अव्यवहारी पलकों के पट गिरा
सुषुप्ति की नीरव गुह्यता के पीछे छिपे
अपने सुदूर के एकाकी धाम को ढक लिया।

The grandiose respite failed, the wide release.

वह विशाल मुक्ति, वह भव्य विश्रान्ति काल अब समाप्त हो गया।

Across the light of fast-receding planes
That fled from him as from a falling star,
Compelled to fill his human house in Time
His soul drew back into the speed and noise
Of the vast business of created things.

तीव्र गति से पीछे हटते स्तरों के प्रकाश को पार करके
वे योगी से एक टूटते तारे सम भागते दूर हो रहे थे,
अपने काल में निर्मित मानवीय गेह को भरने विवश बनी
उसकी आत्मा इस गति और कोलाहल में पीछे खिंची
और इन निर्मित पदार्थों के विस्तृत व्यापार में लौट आयी।

A chariot of the marvels of the heavens
Broad-based to bear the gods on fiery wheels,
Flaming he swept through the spiritual gates.

देवताओं को वहन करने को विशालाकार और अग्निल चक्रों के
एक अलौकिक चमत्कारों से निर्मित रथ समान
योगी ज्वलन्त शिखा सम दीप्तिमान उन आध्यात्मिक द्वारों से बाहर आ गया।

The mortal stir received him in its midst.

मृत्यु लोक की हलचल ने अपने मध्य उसका स्वागत किया।

Once more he moved amid material scenes,
Lifted by intimations from the heights
And twixt the pauses of the building brain
Touched by the thoughts that skim the fathomless surge
Of Nature and wing back to hidden shores.

एक बार पुनः वह भौतिक दृश्यों के मध्य विचरण करने लगा,
पराकाष्ठाओं से आते संसर्गों सन्देशों से उन्नत हो उठा
और निज निर्माणशील मस्तिष्क के विरामों के मध्य
वह उन विचारों का संस्पर्श पाता जो विश्व-प्रकृति के अगाध अन्तर से
चक्कर लगाते उमड़ते आते और पुनः अदृश्य तटों को उड़ते लौट जाते।

The eternal seeker in the aeonic field
Besieged by the intolerant press of hours
Again was strong for great swift-footed deeds.[347]

इस युगान्तरीय क्षेत्र का वह शाश्वत शोधकर्ता
जो कभी समयाभाव के असह्य दबाव से ग्रसित था
अब पुनः इन महान् त्वरित कर्मों को सम्पादित करने को शक्तिशाली था।

Awake beneath the ignorant vault of Night,
He saw the unnumbered people of the stars
And heard the questioning of the unsatisfied flood
And toiled with the form-maker, measuring Mind.

अविद्या रात्रि के अज्ञ तहखानों के तले वह सचेत जाग्रत रहता,
अन्य लोकों से आये असंख्य जनसमूह से भेंटता
और असन्तुष्ट बहुलता के प्रश्नों को सुनता
और विश्वकर्मा, माप-कर्ता सत्य-मन के संग श्रम में जुटा रहता।

A wanderer from the occult invisible suns
Accomplishing the fate of transient things,
A god in the figure of the arisen beast,
He raised his brow of conquest to the heavens
Establishing the empire of the soul
On Matter and its bounded universe
As on a solid rock in infinite seas.

निगुह्य अगोचर सूर्यों से आया वह पर्यटक
इन नश्वर वस्तुओं की नियति के सम्पादन में लगा,
इस उन्नत पशु देह में एक देवता था,
मानों अनन्त सागरों के मध्य एक दृढ़ चट्टान पर
इस जड़तत्त्व पर और उससे संलग्न विश्व पर
आत्मा के साम्राज्य की स्थापना हेतु
उसने अपना विजयी मस्तक स्वर्गों की ओर उठाया था।

The Lord of Life resumed his mighty rounds
In the scant field of the ambiguous globe.[348]

विश्व-जीवन के प्रभु ने अपनी समर्थ दिनचर्याओं को
इस संदिग्ध भू-गोलार्ध के अल्प क्षेत्र में पुनः आरम्भ कर दिया।

END OF CANTO FOUR, BOOK THREE
END OF PART ONE