
Read/Download PDF file (2023 08)
सावित्री पर आधारित हिन्दी–प्रार्थनायें
{निवेदन : मांत्रिक–शक्ति तो केवल ‘सावित्री’ के मूलमंत्रों में ही निहित है }
Mother ने 1960 में एक आश्रमवासी (मोना सरकार) से बात करते समय ‘सावित्री’ के बारे में कुछ गहन सत्य समझाये थे, जिनको उन्होंने अपनी स्मृति से लिख लिया। यह स्मृति-लिखित अंश 1967 में प्रकाशन के पूर्व Mother के सम्मुख रखे गये, जिसको पढ़कर उन्होंने प्रकाशन के लिये अनुमोदित किया। उसमें यह वाक्य हैं:
“Each verse of Savitri is like a Mantra which surpasses all that man possessed by way of knowledge, and I repeat this, the words are expressed and arranged in such a way that the sonority of the rhythm leads you to the origin of sound, which is OM… It is of immense value – spiritual value and all other values; it is eternal in the subject, and infinite in its appeal, miraculous in its mode and power of execution; it is a unique thing, the more you come in contact with this, the higher will you be uplifted. Ah, truly it is something! It is most beautiful thing he has left for man, the highest possible.”
(Mother, 4.12.1967)
और, थियोसोफिकल सोसायटी की योगिनी एनी बेसेंट ने अपनी एक पुस्तक में मंत्रों के बारे में लिखा है:
“…A Mantra is a definite succession of sounds. Those sounds repeated rhythmically over and over again in succession, synchronise the vibrations of the vehicles into unity with themselves. Hence a Mantra can not be translated, translation alters the sounds… If you translate the words, you may have a very beautiful prayer, but not a Mantra. Your translation may be beautiful inspired poetry, but it is not a living Mantra… The poetry, the inspired prayer, these are mentally translatable. But a Mantra is unique and untranslatable.”
(Annie Besant, Introduction to Yoga, 1908)
इस तरह, प्रथमत: यह स्पष्ट है कि ‘सावित्री’ श्रीअरविन्द की चेतना के उच्चतम स्तरों से अवतरित एक मांत्रिक महाकाव्य है, जिसका पूर्ण आध्यात्मिक लाभ उसके मूलमंत्रों के सस्वर–उच्चारण अथवा श्रवण से ही मिल सकता है। दूसरी बात यह कि मंत्रों का अनुवाद सम्भव नहीं है, मंत्रों पर आधारित प्रार्थनायें तो हो सकती हैं, किंतु अनुवाद कभी नहीं। अत: यहां प्रस्तुत हिन्दी की रचनायें ‘सावित्री’ का अनुवाद नहीं हैं, यह केवल हिन्दी में ‘सावित्री’ पर आधारित कुछ प्रार्थनायें मात्र हैं।
‘सावित्री’ के गहन ज्ञान–आलोक में हम यह भूल जाते हैं कि ‘सावित्री’ मूलत: एक महाकाव्य है, सुन्दर लय में बहती हुई एक दिव्य–कविता ! ‘सावित्री’ का सस्वर–पाठ करते समय ही उसमें निहित इस लय का आनन्द प्राप्त होता है। हिन्दी की इन पद्य–प्रार्थनाओं में ‘सावित्री’ की इसी लय (rhythm) के प्रति आग्रह है। गद्य में तो मिलता–जुलता अनुवाद फिर भी किया जा सकता है, परंतु पद्य में तो शत–प्रति–शत अनुवाद सम्भव ही नहीं है। इस कारण से भी इसको अनुवाद, यहां तक कि भावानुवाद भी, नहीं कहना चाहिये। ‘सावित्री’ की मूल पंक्तियों के प्रति पूर्ण निष्ठा रखते हुए भी, हिन्दी में यह प्रार्थनायें तो ‘सावित्री’ के अर्थ का केवल लयबद्ध संकेत मात्र हैं (only INDICATIVE meaning), यह अनुवाद नहीं हैं।
किसी भी मंत्र के स्पंदनों के दो अंश होते हैं— पहला मंत्र की ध्वनि का स्पंदन, जो बिना उस भाषा को जाने हुए भी श्रोता पर प्रभाव डालता ही है; और दूसरा मंत्र के अर्थ का स्पंदन, जो उस मंत्र के अर्थ अथवा ज्ञान को समझ लेने पर श्रोता के भीतर तक गूंजने लगता है, उस व्यक्ति को गहराई तक मंत्र से जोड़ देता है। हिन्दी, अथवा अन्य भाषाओं के रूपान्तर, मंत्र के अर्थ को समझने में पाठक की सहायता करते हैं, इस तरह वे रूपान्तर मूल इंग्लिश ‘सावित्री’ से पाठक को अधिक गहराई से जोड़ते हैं। अत: यह अपूर्ण–प्रार्थनायें भी हिन्दी के पाठकों को उसी ओर जाने में सहायता करती हैं— ‘सावित्री’ के मूल इंग्लिश मंत्रों का सस्वर एवं अर्थपूर्ण उच्चारण !!
इसके अतिरिक्त एक और गहन सत्य यह भी है कि हिन्दी में लिखी हुई पंक्तियां, हमारी अपनी मातृभाषा में बोली गई प्रार्थनायें बन जाती हैं ! हम सभी यह स्पष्ट अनुभूत करते हैं कि मातृभाषा में बोली गई प्रार्थनाओं में बहुत अधिक सच्चाई होती है !! और Mother किसी भी भाषा में की गई सच्ची प्रार्थना को निश्चित रूप से सुन लेती हैं !!!
जो हिन्दीभाषी अंग्रेज़ी भी जानते हैं, वे तो ‘सावित्री’ के इंग्लिश मूलमंत्र का सौभाग्य और मातृभाषा हिन्दी में प्रार्थना का सौभाग्य— दोनों ही लाभ ले सकते हैं ! हिन्दी–पाठकों से विनम्र निवेदन है कि यदि आप इंग्लिश जानते हैं, तो इन हिन्दी प्रार्थनाओं के द्वारा ‘सावित्री’ की मूल पंक्तियों के अर्थ का संकेत पाकर, ‘सावित्री’ के मूलमंत्रों का सस्वर–पाठ अवश्य करें। मांत्रिक–शक्ति तो सत्यत: केवल ‘सावित्री’ के मूलमंत्रों में ही निहित है, हिन्दी में प्रार्थनायें तो केवल मूल इंग्लिश ‘सावित्री’ तक पहुंचने की एक सीढ़ी मात्र है !!
हर हिन्दी–प्रार्थना के साथ–साथ ही अंग्रेज़ी में ‘सावित्री’ की मूल पंक्तियां भी दी गई हैं। आरम्भ में मूल पंक्तियां तथा ‘सावित्री’ के Book Number, Canto Number, Page Number ‘सावित्री’ के प्रथम संस्करण First Edition (1950-51) पर आधारित थीं। किंतु AUROMA.ORG website पर 1993 के संशोधित संस्करण का संदर्भ दिया जाता है, अत: इस website पर आने के बाद सभी Book Number, Canto Number, Page Number ‘सावित्री’ के 1993 के संशोधित संस्करण पर आधारित हैं।
‘सावित्री’ की पंक्तियों के अर्थ को समझने के लिये श्री नलिनी कान्त गुप्त, श्री MP पंडित, प्रो. मंगेश नादकर्णी, डा. आलोक पांडे की पुस्तकों एवं व्याख्याओं की सहायता ली गई है। हिन्दी में शब्द–चयन के लिये आश्रम द्वारा प्रकाशित दो हिन्दी–अनुवादों— विद्यावती कोकिल (1982 संस्करण) एवं सुषमा गुप्ता (1996 संस्करण)— की सहायता ली गई है। इस Savitri website को बनाने में ऋतम् उपाध्याय की paintings का उपयोग किया गया है। इन सभी व्यक्तियों एवं संस्थाओं के प्रति गहन आभार !!
अंत में एक स्पष्ट स्वीकृति— Mother की कृपा से ही इस गूंगे व्यक्ति को मातृभाषा हिन्दी में प्रार्थना के कुछ शब्द मिले हैं, मूकम् करोति वाचालम् !! तो यह सारी प्रार्थनायें Mother के श्रीचरणों में ही अर्पित हैं !! ‘सावित्री’ के विशाल सागर में से कुछ बूंद पानी लेकर, ‘सावित्री’ के उसी विराट सागर को एक तुच्छ–सा अर्पण !!
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