BOOK SIX. THE BOOK OF FATE
Canto One. The Word of Fate
In silent bounds bordering the mortal’s plane
Crossing a wide expanse of brilliant peace
Narad the heavenly sage from Paradise
Came chanting through the large and lustrous air.
मर्त्यलोक की सीमाओं के नीरव परिबन्धित क्षेत्र की
प्रकाशमयी शान्ति के एक विस्तृत विस्तार को पार करके
देवर्षि नारद स्वर्ग से नीचे उतरे,
उस विशाल और द्युतिमान परिवेश के मध्य कीर्तन करते।
Attracted by the golden summer-earth
That lay beneath him like a glowing bowl
Tilted upon a table of the Gods,
Turning as if moved round by an unseen hand
To catch the warmth and blaze of a small sun,
He passed from the immortal’s happy paths
To a world of toil and quest and grief and hope,
To these rooms of a see-saw game of death and life.
ग्रीष्मऋतु की स्वर्णमयी पृथ्वी से आकर्षित हो
जो उनके पग तले एक द्युतिमान कटोरे सम लेटी थी
देवों के एक समतल फलक पर तिरछी हो,
ऐसे घूम रही थी जैसे किसी अगोचर हाथ द्वारा संचालित हो।
एक नन्हें से सूर्य का ताप और ज्वाला ग्रहण करने को,
देवर्षि अमरदेवों के आनन्दपूर्ण मार्गों को पार कर, आ पहुंचे
श्रम और शोधों और पीड़ा एवं आशा के इस संसार में,
मृत्यु और जीवन के मध्य खेलते जीवों के इन कक्षों में।
Across an intangible border of soul-space
He passed from Mind into material things
Amid the inventions of the inconscient Self
And the workings of a blind somnambulist Force.
आत्माकाश की एक अस्पर्श्य सीमा-रेखा को पार करके
वे सत्यमानस से जड़-पदार्थों में आ गये
इस अचित्-व्यक्ति-सत्ता के आविष्कारों में
और एक अन्धी अर्ध जाग्रत् तमस् की महाशक्ति के व्यापारों में।
Below him circling burned the myriad suns:
He bore the ripples of the etheric sea;
A primal Air brought the first joy of touch;
A secret Spirit drew its mighty breath,
Contracting and expanding this huge world;
The secret might of the creative fire
Displayed its triple power to build and form,
Its infinitesimal wave-sparks’ weaving dance,
Its nebulous units grounding shape and mass,
Magic foundation and pattern of a world,
Its radiance bursting into the light of stars;
He felt a sap of life, a sap of death;
Into solid Matter’s dense communion
Plunging and its obscure oneness of forms
He shared with a dumb Spirit identity.[415]
उनके पदतले असंख्य आदित्य परिक्रमा करते प्रज्वलित थेः
विद्युतीय अलौकिक सागर की तरंगों को वे धारण किये थे;
एक आदि मरुत देव ने उन्हें स्पर्श के प्रथम सुख का अनुभव दिया;
एक गुह्य देवात्मा ने अपने शक्तिशाली प्राण से रेचक किया
जिससे यह विशाल जगत् संकुचित और विस्तृत होता है
इस विराट् शून्यता की अपने दुर्जेय परिपथ की परिधि में;
इस सर्जनशील देवाग्नि की यह गुह्यशक्ति है
इसने अपनी त्रिधाशक्ति के निर्माणकारी और रूपायण की सामर्थ्य दिखायी,
अपने परमाणु तरंग-स्फुलिंगों को बुनकर नृत्य दिखाया,
इसकी नीहारिका इकाइयां आकार और पुंज को चूर्ण-विचूर्ण कर,
एक जगत् की चमत्कारी आधारशिला और नमूना तैयार करती हैं,
इसी की तेजपूर्ण द्युति तारों के प्रकाश में विस्फोटित होती है;
देवर्षि ने प्राण के तथ्य, मृत्यु के एक सारतत्त्व को अनुभव किया;
घन जड़तत्त्व के एक स्थूल सम्पर्क में निमग्न हो
और इसकी आकृतियों के धूमिल एकत्व से एक हो
उन्होंने एक मूक परमात्मतत्त्व की तदात्मता में भाग लिया।
He beheld the cosmic Being at his task,
His eyes measured the spaces, gauged the depths,
His inner gaze the movements of the soul,
He saw the eternal labour of the Gods,
And looked upon the life of beasts and men.
उन्होंने विश्व-परमसत्ता को निज कार्य में व्यस्त अवलोका,
निज नेत्रों से दिशाओं को मापा, पातालों की गहनताओं को जाना,
उनकी अन्तर्दृष्टि ने जीवात्मा की गतिविधियों का निरीक्षण किया,
देवताओं के सनातन श्रम को देखा,
और इस भूतल पर पशुओं और मानव जीवन की ओर ताका।
A change now fell upon the singer’s mood,
A rapture and a pathos moved his voice;
He sang no more of light that never wanes,
And oneness and pure everlasting bliss,
He sang no more the deathless heart of love,
His chant was a hymn of Ignorance and Fate.
अब उस दिव्यगायक की मनोदशा में एक परिवर्तन आ गया,
उसकी वाणी को एक आह्लाद और करुण रस ने द्रवित कर दिया;
अब उसने अविकारी परा-ज्योति का गान और नहीं गाया,
एकात्मता और विशुद्ध अविनाशी परमानन्द को नहीं दोहराया,
उन्होंने अमर परमप्रेमी के हृदय का वर्णन नहीं किया,
अब उनका कीर्तन घोर अविद्या और विधाता के विधान का था।
He sang the name of Vishnu and the birth
And joy and passion of the mystic world,
And how the stars were made and life began
And the mute regions stirred with the throb of a soul.
वे विष्णु का नाम और जन्म का गायन करते,
हर्ष और आवेशपूर्ण गुह्य जगत् का वर्णन करते,
कैसे ये नक्षत्र बने और जीवन का आरम्भ कैसे हुआ
और कैसे इन मूक क्षेत्रों में एक परमात्म तत्त्व का स्पन्दन जागा।
He sang the Inconscient and its secret self,
Its power omnipotent knowing not what it does,
All shaping without will or thought or sense,
Its blind unerring occult mystery,
And darkness yearning towards the eternal Light,
And Love that broods within the dim abyss
And waits the answer of the human heart,
And death that climbs to immortality.
उन्होंने आदि जड़ता और इसके गुह्य आत्मतत्त्व को गाया,
जिसकी सर्वव्यापक शक्ति नहीं जानती कि वह क्या करती है,
बिना बोध या संकल्प या भावना के सबका रूपायण करती है,
इसका दृष्टिहीन निर्दोष गुह्य रहस्य है,
कि यह अन्धता सदैव शाश्वत पराज्योति हित लालायित है,
और उस परमप्रेम को गाया जो अन्धे अगाध गर्त में समाधिस्थ है
और मानव-हृदय में उत्तर की प्रतीक्षा में सोया है,
और अमरत्व की ओर आरोहण करती मृत्यु का गान गाया।
He sang of the Truth that cries from Night’s blind deeps,
And the Mother Wisdom hid in Nature’s breast
And the Idea that through her dumbness works
And the miracle of her transforming hands,
Of life that slumbers in the stone and sun
And mind subliminal in mindless life,
And the consciousness that wakes in beasts and men.
अचित् रात्रि की अन्धी गर्तों से पुकारते ऋत के विषय में गाया,
अपरा-प्रकृति के वक्ष में छिपी मां-प्रज्ञा का वन्दन किया
और उस दिव्यभाव का जो उसकी मूकता में कार्यरत है
औ भगवती के रूपान्तरकारी हाथों के चमत्कार का वर्णन किया,
पाषाण और सूर्य में सोये जीवन का
और मानसहीन प्राण में गोपित अवचेतन मनशक्ति का,
और पशु और मानव में जाग्रत् चित्तशक्ति का गीत गाया।
He sang of the glory and marvel still to be born,
Of the Godhead throwing off at last its veil,
Of bodies made divine and life made bliss,
Immortal sweetness clasping immortal might,
Heart sensing heart, thought looking straight at thought,
And the delight when every barrier falls,[416]
And the transfiguration and the ecstasy.
जन्म-हित प्रतीक्षारत उस महिमा औ’ आश्चर्य को सुनाया,
उस दिव्य आत्मांश का जो निज आवरण हटाने में सफल हो गया था,
दिव्यता प्राप्त शरीरों की और आत्मानन्द में डूबे जीवन की,
अमर माधुर्य से आवेष्टित अमरशक्ति की गाथा गायी,
हृदय जब हृदय का बोध पाता है, विचार द्वारा विचार जान लिया जाता है,
और उस उल्लास-सुख का जो सब बांध तोड़ बह निकलता है,
और रूपान्तर का और भावसमाधि के प्रहर्ष का गीत गाया।
And as he sang the demons wept with joy
Foreseeing the end of their long dreadful task
And the defeat for which they hoped in vain,
And glad release from their self-chosen doom
And return into the One from whom they came.
और उस संगीत का श्रवण कर दानव हर्ष से रोने लगे
देखकर निज घोर दीर्घ श्रम का अन्त निकट भविष्य में
और अपनी पराजय के निश्चय से, जिसके हित अब तक वे निष्फल आशा करते रहे,
और स्वयं चुने अपने विनाश से सुखदायी मुक्ति की आशा से
और जहां से आये थे उसी परमैकम् में पुनः लौट जाने की आशा में।
He who has conquered the immortals’ seats,
Came down to men on earth the Man divine.
वह देवात्मा जिसने अमरों के मध्य निज स्थान जीत लिया था,
वह दिव्यमानव आज मर्त्यलोक की भूमि पर उतर आया।
As might a lightning streak, a glory fell
Nearing until the rapt eyes of the sage
Looked out from luminous cloud and, strangely limned,
His face, a beautiful mask of antique joy,
Appearing in light descended where arose
King Aswapathy’s palace to the winds
In Madra, flowering up in delicate stone.
एक विद्युती रेखा सम चमकता उनका प्रभामण्डल उतरते हुए
और समीप आता गया तब महर्षि ने अपने समाधिस्थ नेत्रों से
द्युतिमान मेघ से बाहर देखा, और अद्भुत रुप से चमकता,
उनका मुखमण्डल, आदि आनन्द का एक सुन्दर मुखौटा,
प्रकाश में प्रकट हो वहां अवतरित हो गया, जहां
राजा अश्वपति का महल मद्रदेश की वायु में लहरा रहा था,
मानों सुकुमार पाषाण से रचित पुष्प खिल उठा था।
There welcomed him the sage and thoughtful king,
At his side a creature beautiful, passionate, wise,
Aspiring like a sacrificial flame
Skyward from its earth-seat through luminous air,
Queen-browed, the human mother of Savitri.
वहां पर ऋषि और मनीषी राजा ने उनका स्वागत किया,
राजा के साथ उनकी सुन्दरी, भावुक, बुद्धिमती भार्या
एक आहुति की दीपशिखा सम सीधी अभीप्सा से भरी
आकाश की ओर अपने पार्थिव-आसन से उस ज्योतिर्मय वातावरण में प्रज्वलित थी,
यह उच्च ललाट की महारानी सावित्री की मानवी मां थी।
There for an hour untouched by the earth’s siege
They ceased from common life and care and sat
Inclining to the high and rhythmic voice,
While in his measured chant the heavenly seer
Spoke of the toils of men and what the gods
Strive for on earth, and joy that throbs behind
The marvel and the mystery of pain.
वहां वे एक घड़ी जीवन की सामान्य चिन्ता से दूर हटे
इस पार्थिव घेराबन्दी से परे होकर बैठे रहे
देवर्षि की छन्दमय भव्य उदात्त वाणी का रस पीते,
जब तक वह देवर्षि निज तालमय उच्चारण से
मानव के श्रम की और धरती हित देवों के प्रयास की गाथा सुनाते रहे,
और पीड़ा के रहस्य के पीछे छिपे उसके
हर्ष की ओर गोपित स्पन्दन के सुख की कथा बताते रहे।
He sang to them of the lotus-heart of love
With all its thousand luminous buds of truth,
Which quivering sleeps veiled by apparent things.
उन्होंने प्रेम के पद्म-हृदय का गीत उन्हें सुनाया
जो सत्य की सहस्त्र ज्योतिर्मयी कलिकाओं के साथ खिला,
अभिव्यक्त वस्तुओं के पीछे कम्पित स्पन्दित यह सोया है।
It trembles at each touch, it strives to wake
And one day it shall hear a blissful voice
And in the garden of the Spouse shall bloom
When she is seized by her discovered lord.
यह कली प्रत्येक स्पर्श से चौंकती, जागने का प्रयास करती है
और एक दिन यह अवश्य एक आह्लाद की वाणी सुनेगी
और दिव्य प्रियतम के कानन में पुष्प बन खिल जायेगी
जब वह फिर से प्राप्त प्रभु द्वारा अधिकृत कर ली जायेगी।
A mighty shuddering coil of ecstasy
Crept through the deep heart of the universe.[417]
भाव-समाधि रसधारा की एक शक्तिशाली कम्पित कुण्डलिनी
इस गायन से जाग्रत् हो ब्रह्माण्ड के गहन हृदय को वेधती चली गयी।
Out of her Matter’s stupor, her mind’s dreams,
She woke, she looked upon God’s unveiled face.
अपनी जड़ता की मूर्छा त्याग, अपने मन के सपनों से बाहर आ
उसने सचेत हो प्रभु के आवरणहीन मुख का दर्शन पाया।
Even as he sang and rapture stole through earth-time
And caught the heavens, came with a call of hooves,
As of her swift heart hastening, Savitri;
Her radiant tread glimmered across the floor.
ज्यों ज्यों वे गाते रहे और आनन्दरस धरा-काल में विंधता गया
और स्वर्गों पर भी छा गया, वैसे ही घोड़ों की टापों के साथ आ पहुंची
सावित्री, निज द्रुत हृदय ताल के साथ क्षिप्र चाल से चलती;
उसकी तेजस्वी चाल की आभा से फर्श मानों चमक उठे।
A happy wonder in her fathomless gaze,
Changed by the halo of her love she came;
Her eyes rich with a shining mist of joy
As one who comes from a heavenly embassy
Discharging the proud mission of her heart,
One carrying the sanction of the gods
To her love and its luminous eternity,
She stood before her mighty father’s throne
And, eager for beauty on discovered earth
Transformed and new in her heart’s miracle-light,
Saw like a rose of marvel, worshipping,
The fiery sweetness of the son of Heaven.
उसकी गहन दृष्टि में एक सुखद आश्चर्य समाया था,
निज प्रेम के आभामण्डल से परिवर्तित दीप्तिमयी वह आयी;
हर्ष की एक चमकीली धुंध उसके नेत्रों में छायी थी
जैसे कोई एक स्वर्ग के दूतावास से लौटी हो
अपने हृदय का प्रिय गौरवशाली कार्य सम्पन्न कर आयी हो,
निज प्यार और इसके ज्योतित चिरसौभाग्य हित
देवताओं का अनुमोदन ले आयी हो,
वह अपने यशस्वी पिता के सिंहासन के सम्मुख खड़ी हो गयी
और, इस पृथ्वी पर आविष्कृत सौन्दर्य से वह अति आतुर थी,
निज हृदय की चमत्कारी ज्योति में वह परिवर्तित और नव रूप लिये थी,
देवर्षि के तेजस्वी माधुर्य को नमन करते हुए,
आराधना में लीन वह उन्हें एक अद्भुत गुलाब सम दिखी।
He flung on her his vast immortal look;
His inner gaze surrounded her with its light
And reining back knowledge from his immortal lips
He cried to her, “Who is this that comes, the bride,
The flame-born, and round her illumined head
Pouring their lights her hymeneal pomps
Move flashing about her? From what green glimmer of glades
Retreating into dewy silences
Or half-seen verge of waters moon-betrayed
Bringst thou this glory of enchanted eyes?
उन्होंने उस पर निज विशाल चितवन डाली,
उनकी अन्तर्दृष्टि ने उसे अपने प्रकाश से घेर लिया
और निज अमर होठों से ज्ञान-अश्व की रास पीछे खींचकर
वे उसकी ओर देख पुकार उठे, ‘‘यह इस ओर आती सुमंगली वधू कौन है?
सूर्य-ज्वाला की पुत्री है क्या? जिसके तेजस्वी भाल के चहुं ओर
उसके मंगल-लग्न की शोभाएं प्रकाश उंडेलतीं
विद्युत् सम उसके आसपास दमक रही हैं! किस हरियाले पथ पर
वन की ओस-भरी दूर्वा पर नीरवता में विश्राम कर आयी है?
अथवा चन्द्रिका द्वारा छले गये अर्धगोचर सागर के तट पर
तू अपने मोहक नेत्रों में उस ऐश्वर्य को भर लायी है?
Earth has gold-hued expanses, shadowy hills
That cowl their dreaming phantom heads in night,
And guarded in a cloistral joy of woods,
Screened banks sink down into felicity
Seized by the curved incessant yearning hands
And ripple-passion of the up-gazing stream:
Amid cool-lipped murmurs of its pure embrace
They lose their souls on beds of trembling reeds.[418]
पृथ्वी पर सुनहले रंग से रंजित क्षेत्र हैं, छायादार पहाड़ियां हैं
जो रात्रि में अपने सपनाते धूमिल शिखरों को छिपा लेती हैं,
और, वनों के एक सामूहिक हर्ष में सुरक्षित रहते पट के पीछे
छिपे तट हठात् नीचे गिर आनन्द में डूब जाते हैं
जिन्हें ऊर्ध्व की ओर देखती जलधारा का तरंगायित आवेग पकड़
थाम लेता है निज सतत बहते लालायित हाथों की अंजुरी में:
अपने विशुद्ध आलिंगन के शीतल अधरों की मरमरी ध्वनि के मध्य
वे निज प्राणों को कम्पित वेणु-पादपों की शय्या पर खो देते हैं।
And all these are mysterious presences
In which some spirit’s immortal bliss is felt,
And they betray the earth-born heart to joy.
और ये सब रहस्यपूर्ण सान्निध्य हैं
जिनमें किसी आत्मा के अमर हर्ष की अनुभूति होती है,
और वे पार्थिव हृदय को आनन्दानुभूति का छलावा देती हैं।
There hast thou paused, and marvelling borne eyes
Unknown, or heard a voice that forced thy life
To strain its rapture through thy listening soul?
क्या वहां तू ठहरी थी, और अनजान चकित नयनों को सहा था,
अथवा एक वाणी सुनी थी जिसने तेरे जीवन को विवश कर
तेरे श्रोता प्राण को हर्षोन्माद से उन्मत्त कर दिया?
Or, if my thought could trust this shimmering gaze,
It would say: thou hast not drunk from an earthly cup,
But stepping through azure curtains of the morn
Thou wast surrounded on a magic verge
In brighter countries than man’s eyes can bear.
या यदि मेरा चिन्तन इस दीप्तिमयी चितवन का विश्वास कर सकता,
तो कहता कि तू किसी लौकिक चषक से मधुपान कर नहीं आयी है,
वरन् दोपहर के पटों की नीलिमा हटा उसके अन्तर में प्रवेश कर
तुझे एक अलौकिक सीमा पर चहुं ओर से घेर लिया गया था
उन ज्योतिर्मय प्रदेशों में जिन्हें मानव नेत्र सह नहीं सकते।
Assailed by trooping voices of delight
And seized mid a sunlit glamour of the boughs
In faery woods, led down the gleaming slopes
Of Gundhamadan where the Apsaras roam,
Thy limbs have shared the sports which none has seen,
And in god-haunts thy human footsteps strayed,
Thy mortal bosom quivered with god-speech
And thy soul answered to a Word unknown.
हमारे प्रत्येक कदम पर एक फंद जाल बिछा हुआ है।
What feet of gods, what ravishing flutes of heaven
Have thrilled high melodies round, from near and far
Approaching through the soft and revelling air,
Which still surprised thou hearest? They have fed
Thy silence on some red strange-ecstasied fruit
And thou hast trod the dim moon-peaks of bliss.
देवताओं के किन चरणों ने, स्वर्ग की किस सम्मोहिनी वंशी ने
उदात्त रागिनियों से तुझे चहुं ओर से स्पन्दित कर दिया,
जो दूर और पास से मृदुल उमंगभरी वायु पर आरोहण करती
आयी थीं, जिन्हें सुनकर तू अभी तक चकित है? उन्होंने सम्भव है
तेरे मौन अन्तर को एक लाल विचित्र आनन्दफल खिला दिया है
और तू परमानन्द के धूमिल शशिशिखरों पर विहार कर आयी है।
Reveal, O winged with light, whence thou hast flown
Hastening bright-hued through the green-tangled earth,
Thy body rhythmical with the spring-bird’s call.
हे ज्योति पंखधारिणी, बता, तू कहां से उड़ती आयी है
चमकते रंगों वाली इस हरित जटिल धरा के मध्य क्यों दौड़ती आयी है?
तेरी काया वसन्त ऋतु की कोयल की पुकार सम संगीतमयी है।
The empty roses of thy hands are filled
Only with their own beauty and the thrill
Of a remembered clasp, and in thee glows
A heavenly jar, thy firm deep-honied heart,
New-brimming with a sweet and nectarous wine.
तेरे गुलाब सम रीते हाथ परिपूरित हैं
केवल अपने आत्म-सौन्दर्य और स्पन्दन से
और एक पराये कर की छुअन की स्मृति से भरपूर हैं और तेरे अन्तर में
एक अलौकिक प्रेमकलश चमक रहा है, तेरा व्रती गहन मधुमय हृदय छलक रहा है,
एक मीठी और अमृतमयी दिव्य सुरा की नवीनता से।
Thou hast not spoken with the kings of pain.
नहीं हुआ है तेरा परिचय पीड़ा के अधिपतियों से।
Life’s perilous music rings yet to thy ear
Far-melodied, rapid, grand, a Centaur’s song,[419]
Or soft as water plashing mid the hills,
Or mighty as a great chant of many winds.
जीवन विपदाओं का संगीत अभी तेरे कानों के लिए सुदूर गंधर्व के
गीत सम बजता है, द्रुत लय में है और अति उत्तम है,
या पहाड़ियों के बीच झरते जल सम मृदु कलकल नाद है,
या अनेक मरुतों का एक महान् शक्तिशाली निनाद है।
Moon-bright thou livest in thy inner bliss.
शशिसम ज्योतित तू निज आत्म-सुख में रम रही है।
Thou comest like a silver deer through groves
Of coral flowers and buds of glowing dreams,
Or fleest like a wind-goddess through leaves,
Or roamest, O ruby-eyed and snow-winged dove,
Flitting through thickets of thy pure desires
In the unwounded beauty of thy soul.
चमकते सपनों के मणिपुष्पों और कलियों के उपवनों से
निकल एक चांदी की हिरणी सम तू उछलती आयी है,
या एक पवनदेवी समान पल्लवों के मध्य उड़ती फिरती,
विहार करती, अपनी पूत विशुद्ध कामनाओं की झाड़ियों में
फुदक रही है, हे मणिनेत्री और हिमश्वेत परों की कपोती,
निज आत्मसत्ता के अक्षत-सौन्दर्य में रम रही है।
These things are only images to thy earth,
But truest truth of that which in thee sleeps.
ये सब पदार्थ तेरी पृथ्वी के लिए केवल छायाएं हैं,
किन्तु परम-सत्य का सत्य भी है, जो तेरे अन्तर में सोया है।
For such is thy spirit, a sister of the gods,
Thy earthly body lovely to the eyes,
And thou art kin in joy to heaven’s sons.
O thou who hast come to this great perilous world
Now only seen through the splendour of thy dreams,
Where hardly love and beauty can live safe,
Thyself a being dangerously great,
A soul alone in a golden house of thought
Has lived walled in by the safety of thy dreams.
क्योंकि तेरी आत्मा ऐसी ही है, देवताओं की आत्मजा है,
तेरी पार्थिव लावण्यमयी काया नेत्रों को लुभाती है
और तू अवश्य ही सुरपुत्रों के आनन्द की सजातीय है,
किन्तु अब तो तू इस भीषण कष्टोंसे भरे संसार में आ गयी है
अब तक इसे तूने अपने सपनों की भव्यताओं द्वारा देखा है,
यहां पर प्रेम और सौन्दर्य का जीवन सुरक्षित नहीं है,
फिर तू स्वयं एक महान सत्ता है,
चिन्तनमनन के एक स्वर्ण भुवन में एक एकाकी आत्मसत्ता है
जो निज सपनों की सुरक्षा में घिरी रहती आयी है।
On heights of happiness leaving doom asleep
Who hunts unseen the unconscious lives of men,
If thy heart could live locked in the ideal’s gold,
As high, as happy might thy waking be!
पर प्रसन्नता के शिखरों से हटकर घोर विनाश सोता है
जो अगोचर रहकर मानव के अचेत जीवनों का शिकार करता है,
यदि तेरा हृदय इस परम आदर्श के स्वर्ण घेरे में कैद रह सकता,
तब तेरा जागरण भी उतना ही उच्च और वैसा ही सुखी हो सकता!
If for all time doom could be left to sleep!”
यदि वह सर्वनाश सदा सोता ही रहता।’’
He spoke but held his knowledge back from words.
देवर्षि बोले किन्तु शब्दों में अपना ज्ञान नहीं प्रकटाया।
As a cloud plays with lightning’s vivid laugh,
But still holds back the thunder in its heart,
Only he let bright images escape.
एक मेघ समान वे विद्युती हास्य से खेलते तो रहे,
किन्तु उस घोर गर्जना को निज अन्तर में रखा छिपाये,
उन्होंने शब्दों में केवल उज्ज्वल प्रतिबिम्ब ही दर्शाये।
His speech like glimmering music veiled his thoughts;
Pitiful to mortals, only to them it spoke
As a wind flatters the bright summer air,
Of living beauty and of present bliss:
He hid in his all-knowing mind the rest.
उनकी वाणी ने झंकृत संगीत सम उनके भावों पर पर्दा डाल दिया;
जैसे एक पवन तप्त चमकते ग्रीष्म वातावरण को शीतलता दे जाये,
मर्त्य जीवों के लिए करुणा से भरे, केवल इतना ही बोलकर वे
जीवित सौन्दर्य की वाणी और वर्तमान सुख का उच्चारण करते रहे:
शेष उन्होंने निज सर्वज्ञानी अन्तर में रखा छिपाये।
To those who hearkened to his celestial voice,
The veil heaven’s pity throws on future pain[420]
The Immortals’ sanction seemed of endless joy.
लोगों ने उनकी स्वर्गिक वाचा का रस पान किया,
देवर्षि ने करुणावश हो भविष्य की पीड़ा पर पर्दा डाल दिया
और ऐसा प्रतीत हुआ कि अमरदेवों ने एक अनन्त सुख का वरदान दे दिया।
But Aswapathy answered to the seer;
His listening mind had marked the dubious close,
An ominous shadow felt behind the worlds,
But calm like one who ever sits facing Fate
Here mid the dangerous contours of earth’s life,
He answered covert thought with guarded speech:
“O deathless sage who knowest all things here,
If I could read by the ray of my own wish
Through the carved shield of symbol images
Which thou hast thrown before thy heavenly mind
I might see the steps of a young godlike life
Happily beginning luminous-eyed on earth;
Between the Unknowable and the Unseen
Born on the borders of two wonder-worlds,
It flames out symbols of the Infinite
And lives in a great light of inner suns.
For it has read and broken the hidden seals,
It has drunk of the Immortal’s wells of joy,
It has looked across the jewel bars of heaven,
It has entered the aspiring Secrecy,
It sees beyond terrestrial common things
And communes with the Powers that build the worlds,
Till through the shining gates and mystic streets
Of the city of lapis lazuli and pearl
Proud deeds step forth a rank and march of gods.
किन्तु अश्वपति ने देवर्षि को उत्तर दिया;-
उसके श्रोतामन ने उस संदिग्ध अन्त को लक्ष्य किया,
शब्दों के पीछे छिपी अशुभ छाया को भांप लिया,
किन्तु शान्त था उस धीर सम जो घोर नियति का सामना
करने को, इस मर्त्य जीवन के खतरनाक मोड़ों पर तत्पर था,
उसने ऋषि के गोपित विचार का उत्तर संयमित शब्दों में दिया:
‘‘हे अमर देवर्षि, आप तो जग के सकल पदार्थों के ज्ञाता हैं,
यदि मैं आपके दिव्य मन द्वारा प्रक्षेपित इस ढाल के पीछे
छिपी इस प्रतीक प्रतिबिम्बों की भाषा को
अपनी कामना के प्रकाश के माध्यम से पढ़ता तो
देखता, एक तरुण देव-सदृश जीवन के पगों को
इस धरा पर दीप्तिपूर्ण नेत्रों के साथ सुख से चलना आरम्भ करते;
परम अज्ञेय और चरम अगोचर के मध्यवर्ती क्षेत्रों के
दो चमत्कारी लोकों की सीमा पर सावित्री जन्मी है,
यह चिरन्तन प्रभु के प्रतीकों को प्रज्वलित करती
और अन्तर आदित्यों की महान् ज्योति में बसती है
क्योंकि इसने अन्तर की मायावी मुद्राओं को तोड़ पढ़ लिया है;
इसने अमर देवों के आनन्द कूपों से पान किया है,
स्वर्ग की रत्नजड़ित अवरोधों के उस पार अवलोका है,
इसने अभीप्सारत चरम-गुह्यता में प्रवेश किया है,
यह सामान्य पार्थिव पदार्थों के परे देखती है
और जग-स्रष्टा महाशक्तियों के साथ वार्तालाप करती है,
जब तक चमकते द्वारों के और गुह्य गलियों के
माणिक मोतियों से सज्जित इस देह-नगर के
गौरवशाली कर्म प्रतिष्ठित हो देवताओं की श्रेणी सम न हो जायें।
Although in pauses of our human lives
Earth keeps for man some short and perfect hours
When the inconscient tread of Time can seem
The eternal moment which the deathless live,
Yet rare that touch upon the mortal’s world:
Hardly a soul and body here are born
In the fierce difficult movement of the stars,
Whose life can keep the paradisal note,
Its rhythm repeat the many-toned melody
Tirelessly throbbing through the rapturous air[421]
Caught in the song that sways the Apsara’s limbs
When she floats gleaming like a cloud of light,
A wave of joy on heaven’s moon-stone floor.
यद्यपि हमारे मानवीय जीवनकाल के विरामों में
धरतीमाता मनुष्य हित कुछ अल्प और सुखी घड़ियां ही रखती है
जब त्रिकाल की यह अस्थिर गति ऐसी लगती है
जैसे अमर देवों द्वारा जीया हुआ वह शाश्वत क्षण हो,
तथापि मर्त्य जगत् को स्पर्श करते ऐसे क्षण अति दुर्लभ हैं:
नक्षत्रों की इस घोर कठिन गतिविधियों के चक्र में
अति कठिनाई से एक जीवात्मा इस देह में जन्म ले पाती है
जो निज जीवन में स्वर्गिक संगीत का स्वर रख पाती है,
अपने छन्द में यह विविध-रंगों की अपनी तान दोहराती
अथक भाव से उस भावविभोर परिवेश में स्पन्दित होती
उस गायन द्वारा धरी गयी थी जो अप्सराओं के अंगों को थिरकता है
जब वह एक द्युतिमान मेघ सम तिरती चमकती आती है,
तो स्वर्ग के चन्द्रशिलाफर्श पर हर्ष की लहर दौड़ जाती है।
Behold this image cast by light and love,
A stanza of the ardour of the gods
Perfectly rhymed, a pillared ripple of gold!
हे ऋषि, प्रकाश और प्रेम से रची इस प्रतिमा को निरखो,
जो देवों के उत्साह उल्लास सेसर्जित एक छन्द है
परिपूर्णता से संगीतबद्ध, स्वर्ण उर्मियों से रचित यह आकार है!
Her body like a brimmed pitcher of delight
Shaped in a splendour of gold-coloured bronze
As if to seize earth’s truth of hidden bliss.
आनन्द से छलकते एक कलश सम इसकी काया है
जिसे स्वर्ण-वर्णी कांस्य की शोभा से सजाया है
जैसे पृथ्वी के गोपित परम सुख को धरने को इसे बनाया है।
Dream-made illumined mirrors are her eyes
Draped subtly in a slumberous fringe of jet,
Retaining heaven’s reflections in their depths.
स्वप्न में रचित चमकते दर्पणों जैसे उसके नयन
अलसायी काली पलकों की रेखा में मृदुता से ढके हैं,
इन्होंने निज गहराइयों में स्वर्गिक आभास को संजो रखा है।
Even as her body, such is she within,
Heaven’s lustrous mornings gloriously recur,
Like drops of fire upon a silver page,
In her young spirit yet untouched with tears.
जैसा उसका तन है उसका अन्तर भी उतना ही सुन्दर है।
एक चांदी के पृष्ठ पर अग्नि के बिन्दुओं समान,
यह अपनी युवा चेतना में अभी तक अश्रुओं से अछूती रहीहै,
यद्यपि स्वर्ग के ज्योतिर्मय प्रभातों का भव्य पुनरावर्तन होता रहा है।
All beautiful things eternal seem and new
To virgin wonder in her crystal soul.
अपनी स्फटिक सम निर्मल आत्मा की अद्भुत कुमारी अवस्था में
उसे सब सुन्दर वस्तुएं शाश्वत और अभिनव लगती हैं।
The unchanging blue reveals its spacious thought;
Marvellous the moon floats on through wondering skies;
Earth’s flowers spring up and laugh at time and death;
The charmed mutations of the enchanter life
Race like bright children past the smiling hours.
अविकारी नीलाकाश अपना विशाल विचार प्रकटाता;
विस्मयकारी व्योमों के मध्य चमत्कारी चांद तैरता आता;
धरती के पुष्प प्रस्फुटित होते और काल और मृत्यु पर हंसते;
जादुई जीवन के मोहक परिवर्तन आते
प्रफुल्लित बालकों समान ये मुस्कराते घण्टे दौड़ निकल जाते।
If but this joy of life could last, nor pain
Throw its bronze note into her rhythmed days!
काश, यदि जीवन का यह हर्ष जीवित रहता,
दुःख अपना कर्कश स्वर उसके संगीतमय दिवसों पर न फेंकता!
Behold her, singer with the prescient gaze,
And let thy blessing chant that this fair child
Shall pour the nectar of a sorrowless life
Around her from her lucid heart of love,
Heal with her bliss the tired breast of earth
And cast like a happy snare felicity.
हे दिव्य गायक, उसे अपनी दूरदृष्टि से भली प्रकार देखो,
और निज आशीर्वाद के वचन उच्चारो, जिससे यह शुभ कल्याणी बालिका
एक दुःखहीन जीवन की अमृत वर्षा में स्नान करे
और अपने चहुं ओर निज प्रेमी हृदय का मधुरस बिखराये,
इस धरा के थकित वक्ष को निज परमानन्द से स्वस्थ बनाये
और एक प्रसन्न दिव्य उल्लास हर्ष को जाल समान फैला दे।
As grows the great and golden bounteous tree
Flowering by Alacananda’s murmuring waves,
Where with enamoured speed the waters run
Lisping and babbling to the splendour of morn
And cling with lyric laughter round the knees[422]
Of heaven’s daughters dripping magic rain
Pearl-bright from moon-gold limbs and cloudy hair,
So are her dawns like jewelled leaves of light,
So casts she her felicity on men.
जैसे एक महान् दानी स्वर्णिम तरुवर अलकनन्दा के
तट पर हरहराती लहरों सेपोषण पा पुष्पित होता है,
जहां पर जलधाराएं मनमोहिनी गति से
प्रभात की भव्यशोभा में कलकल करती और उफनती दौड़ती हैं
और संगीतपूर्ण हास्य के साथ लिपट जाती हैं
देवकन्याओं के घुटनों से, जिनके मेघ सम घने केशों से
और शशि सम स्वर्ण अंगोंसे मुक्तसम चमकता जल झरता है,
वैसे ही सावित्री की उषाएं ज्योति के रत्नजटित पृष्ठों सम हैं,
जिनसे वह अपना आनन्द मनुष्यों पर बिखरेती हैं।
A flame of radiant happiness she was born,
And surely will that flame set earth alight:
Doom surely will see her pass and say no word,
But too often here the careless Mother leaves
Her chosen in the envious hands of Fate:
The harp of God falls mute, its call to bliss
Discouraged fails mid earth’s unhappy sounds;
The strings of the siren Ecstasy cry not here
Or soon are silenced in the human heart.
दीप्तिपूर्ण हर्ष की एक ज्योतिसम वह जन्मी थी
और निश्चय ही यह दीपशिखा धरा को उज्ज्वलित करेगी:
सर्वनाश अवश्य उसके पास से गुजरेगा पर उसे स्पर्श नहीं कर पायेगा!
किन्तु इस पार्थिव जीवन में प्रायः असावधान मां भगवती
अपने चुने हुए बालकों को नियति के ईर्ष्यालु हाथों में छोड़ देतीं:
प्रभु की वंशी-ध्वनि मूक हो जाती है, इसकी परमानन्द की पुकार
धरा के आर्तनादों के मध्य असफल निराश हो जाती है;
दिव्य हर्षोल्लास की वीणा के तारों की झंकार और नहीं टेरती
या मानव के हृदय की वीणा मूक पड़ जाती है।
Of sorrow’s songs we have enough: bid once
Her glad and griefless days ring heaven here.
दुःखभरे गीत हमारे पास अनेक हैं: केवल एक बार आशीष दें
कि उसके शोकरहित, सुखी दिवस यहां स्वर्ग को उतार लायें।
Or must fire always test the great of soul?
या फिर महान् आत्माओं को यहां सदैव अग्निपरीक्षा देनी होगी?
Along the dreadful causeway of the gods,
Armoured with love and faith and sacred joy,
A traveller to the Eternal’s house
Once let unwounded pass a mortal life.”
देवताओं के इस भीषण दुर्गम सेतु पथ पर चलते हुए,
चिरन्तन के धाम कीओर यात्रा करते पथिक को,
जो प्रेम और श्रद्धा औ’ पुनीत आनन्द से सज्जित है,
एक बार तो आहत हुए बिना इसे एक मर्त्य जीवन से गुजर जाने दें।’’
But Narad answered not; silent he sat,
Knowing that words are vain and Fate is lord.
किन्तु नारद मौन रहे; वे चुपचाप बैठे रहे,
सर्वज्ञाता जानते थे कि शब्द निष्फल हैं और विधि का विधान सर्वोच्च है।
He looked into the unseen with seeing eyes,
Then, dallying with the mortal’s ignorance
Like one who knows not, questioning, he cried:
“On what high mission went her hastening wheels?
उन्होंने अदृश्य में निज दूरदर्शी नेत्रों से अवलोका,
फिर मानव के अज्ञान से खेलते हुए
अबोध से बन, प्रश्न करते हुए वे बोले:
‘‘यह तीव्रगति के रथ पर चढ़ किस उद्देश्य से गयी थी?
Whence came she with this glory in her heart
And Paradise made visible in her eyes?
What sudden God has met, what face supreme?”
और निज अन्तर में गरिमा से भरी कहां से आयी है?
निज नेत्रों में जैसे स्वर्ग को भर लायी है
किस पुरुषोत्तम का दर्शन पा किस देवता से भेंट कर आयी है?’’
To whom the king, “The red asoca watched
Her going forth which now sees her return.
नृप ने उत्तर दिया, ‘‘इस रक्तवर्णी अशोक वृक्ष ने
उसे जाते देखा था जैसे अब उसका लौटना देख रहा है।
Arisen into an air of flaming dawn
Like a bright bird tired of her lonely branch
To find her own lord, since to her on earth
He came not yet, this sweetness wandered forth
Cleaving her way with the beat of her rapid wings.[423]
अरुणिम उषाबेला में एक दिवस उठकर
एक उज्ज्वल विहगी सम निज एकाकी जीवन से थककर,
निज प्राणेश्वर को खोजने उड़गयी, क्योंकि अभी तक पृथ्वी पर
वह इसे मिला नहीं था, अतः यह मधुमति भ्रमण करने निकल गयी
निज शीघ्रगामी पंखों के स्पन्दन से अपना मार्ग बनाती उड़ गयी।
Led by a distant call her vague swift flight
Threaded the summer morns and sunlit lands.
उसकी अस्पष्ट तीव्र उड़ान किसी एक सुदूर के आवाहन हित प्रेरित थी
जो उसे ग्रीष्म प्रभातों और धूप से तपते प्रदेशों की ओर ले उड़ी।
The happy rest her burdened lashes keep
And these charmed guardian lips hold treasured still.
शेष सुखद समाचार उसकी बोझिल पलकें छिपाये हैं
और इन मोहक संरक्षक अधरों ने उस मूक निधि को अभी तक प्रकटाया नहीं है।
Virgin who comest perfected by joy,
Reveal the name thy sudden heart-beats learned.
हे कुमारी तू कहां से उल्लास से परिपूर्ण होकर आयी है?
उस नाम को प्रकटा दे जो तेरे हृदय धड़कनों में बस गया है।
Whom hast thou chosen kingliest among men?”
जिसका तूने वरण किया है, नरों के समाज में वह कौन राजेश्वर है?
And Savitri answered with her still calm voice
As one who speaks beneath the eyes of Fate:
“Father and king, I have carried out thy will,
One whom I sought I found in distant lands;
I have obeyed my heart, I have heard its call.
और सावित्री अपनी धीर शान्त वाणी में बोली
जैसे कोई विधाता की दृष्टि तले खड़ा बोल रहा हो:
‘‘हे पिता महाराज मैं आपकी इच्छा का पालन कर आयी हूं।
जिसे मैं खोज रही थी उसे सुदूर प्रदेश में पा लिया है;
मैंने निज अन्तर का आदेश माना, हृदय की पुकार का अनुसरण किया है।
On the borders of a dreaming wilderness
Mid Shalwa’s giant hills and brooding woods,
In his thatched hermitage Dyumathsena dwells,
Blind, exiled, outcast, once a mighty king.
एक सपनाती सुनसान वनीय सीमाओं पर
शाल्वदेश की विशाल पहाड़ियों और ध्यान में डूबे वनों के मध्य
अपनी पर्णकुटी के आश्रम में द्युमत्सेन रहते हैं,
अन्धे, निष्कासित और बहिष्कृत हैं, कभी वे एक समर्थ नरेश थे।
The son of Dyumathsena, Satyavan
I have met on the wild forest’s lonely verge.
My father, I have chosen. This is done.”
द्युमत्सेन का पुत्र, सत्यवान्,
जिसे मैं निर्जन वन की एकाकी सीमा पर मिली उसे
हे तात, मैंने वरण कर लिया है। कार्य सम्पादित हो गया है।’’
Astonished, all sat silent for a space.
सुनकर सब चकित थे, कुछ काल विमूढ़ बने मौन रहे।
Then Aswapathy looked within and saw
A heavy shadow float above the name
Chased by a sudden and stupendous light;
He looked into his daughter’s eyes and spoke:
“Well hast thou done and I approve thy choice.
तब अश्वपति ने अन्तर्दृष्टि से अवलोका
और एक धूमिल बोझिल छाया को उस नाम पर मंडराते पाया
उस छाया को हठात् एक अद्भुत ज्योति द्वारा खदेड़ते भी देखा;
उसने निज पुत्री की आंखों में झांका और कहा:
‘‘तूने बहुत उचित किया है और मैं तेरे चुनाव को स्वीकारता हूं।
If this is all, then all is surely well;
If there is more, then all can still be well.
यदि सब इतना ही है, तब निश्चय ही सब मंगलकारी है;
यदि कुछ और भी है, तब भी सब कल्याणकारी शुभ हो सकता है।
Whether it seem good or evil to men’s eyes,
Only for good the secret Will can work.
Our destiny is written in double terms:
Through Nature’s contraries we draw near God;
Out of the darkness we still grow to light.
मनुष्य की दृष्टि में यह शुभ या अशुभ कुछ भी हो सकता है,
पर गुह्य दिव्य प्रभु की इच्छा सदैव शुभमंगल हित कार्य करती है,
हमारी नियति द्वयर्थक शब्दों में लिखी जाती है:
विश्व-प्रकृति की प्रतिकूलताओं के माध्यम से हम प्रभु के समीप खिंच आते हैं;
अन्धकार से बाहर निकल हम प्रकाश की ओर बढ़ते हैं।
Death is our road to immortality.
मृत्यु हमारा अमरत्व कीओर जाता पथ है।
‘Cry woe, cry woe,’ the world’s lost voices wail,
Yet conquers the eternal Good at last.”
इस जग का निराश-क्रन्दन ‘हाय’ ‘हाय’ चिल्लाता है,
फिर भी चिर शाश्वत शिव अन्त में विजयी होता है।’’
Then might the sage have spoken, but the king [424]
In haste broke out and stayed the dangerous word:
“O singer of the ultimate ecstasy,
Lend not a dangerous vision to the blind,
Because by native right thou hast seen clear.
इससे पहले कि नारद कुछ बोलें नरेश पुनःबोल उठे
मानों शीघ्रता से बोल उस विपत्तिकारीशब्द को टाल रहे थे:
‘‘हे परमानन्द के प्रेम-विभोर गायक,
क्योंकि सहजाधिकार द्वारा आपने सब स्पष्ट देख लिया है
पर अन्धे मानव को इस विपत्तिदायक भावी का दृष्टिदान उधार न दें।
Impose not on the mortal’s tremulous breast
The dire ordeal that foreknowledge brings;
Demand not now the godhead in our acts.
भविष्य का पूर्वज्ञान एक भीषण अग्निपरीक्षा है
मर्त्य मानव की व्याकुल कम्पित छाती पर यह बोझ न डालें;
अभी हमारे कर्मों में देवत्व की अपेक्षा न रखें।
Here are not happy peaks the heaven-nymphs roam,
Or Coilas or Vaicountha’s starry stair,
Abrupt jagged hills only the mighty climb
Are here where few dare even think to rise;
Far voices call down from the dizzy rocks,
Chill, slippery, precipitous are the paths.
जहां स्वर्ग की अप्सराएं रमण करें ऐसे सुख के शिखर यहां नहीं हैं
या कैलास या वैकुण्ठ को जाते जगमगाते सोपान नहीं हैं:
नुकीली, तीखी पहाड़ियां हैं जहां केवल शक्तिशाली वीर चढ़ते हैं
विरले ही यहां पर हैं जो आरोहण का विचार मन में लाते हैं;
विशाल ऊंची चट्टानों से सुदूर के आवाहन नीचे आते हैं,
किन्तु ये मार्ग हिमाच्छादित, फिसलन-भरे और सीधी खड़ीढाल के हैं।
Too hard the gods are with man’s fragile race,
In their large heavens they dwell exempt from Fate
And they forget the wounded feet of man,
His limbs that faint beneath the whips of grief,
His heart that hears the tread of time and death,
The future’s road is hid from mortal sight:
He moves towards a veiled and secret face.
मानव की दुर्बल जाति के साथ देवगण अति कठोर हैं;
वे विधि के उतार-चढ़ाव से परे ऊंचे सुरलोक में सुख से रहते हैं
और मानव के आहत कदमों को भूले रहते हैं,
दुःख के कशाघातों के तले बेसुध पड़े उसके अंगों को,
काल और मृत्यु के पगों की आहट सुनते हृदय को।
मानव का भविष्य उसकी दृष्टि से छिपा रहता है:
फिर भी वह एक आच्छादित और गुह्य मुखड़े कीओर अग्रसर रहता है ।
To light one step in front is all his hope
And only for a little strength he asks
To meet the riddle of his shrouded fate.
एक अगले चरण को प्रकाशित करने की मात्र वह आशा करता है
और अपनी आच्छादित नियति की समस्या का सामना करने के लिए
वह केवल तनिक-सीशक्ति का वरदान मांगता है।
Awaited by a vague and half-seen force,
Aware of danger to his uncertain hours
He guards his flickering yearnings from her breath;
He feels not when the dreadful fingers close
Around him with the grasp none can elude.
एक धुंधली, अस्थिर, आधी अंधी ऊर्जा उसकी परिचारिका है,
अपनी अनिश्चित घड़ियों के खतरे के प्रति सावधान
वह अपनी टिमटिमाती लालसाओं की अभागे श्वास से सुरक्षा करता है;
जब काल का भीषण पंजा जिसकी पकड़ से कोई नहीं बचा है
उसके चहुं ओर कसता है तो वह जान भी नहीं पाता है।
If thou canst loose her grip then only speak,
Perhaps from the iron snare there is escape:
Our mind perhaps deceives us with its words
And gives the name of doom to our own choice;
Perhaps the blindness of our will is Fate.”
हे ऋषिवर यदि आप उसकी पकड़ ढीली कर सकते हैं तो बोलें।
सम्भव है उस लौह-फंद से अभी भी कोई बचाव हो:
हो सकता है हमारा मन अपने ही शब्दों द्वारा छला गया हो
और हमने अपने चुनाव को सर्वनाश का नाम दे दिया हो;
सम्भव है हमारी अपनी इच्छा की अन्धता का नाम ही दुर्भाग्य है।’’
He said and Narad answered not the king.
नरेश की बातों का नारद ने कोई उत्तर नहीं दिया।
But now the queen alarmed lifted her voice:
“O seer, thy bright arrival has been timed [425]
To this high moment of a happy life.
किन्तु चौंककर अब रानी ने आवाज उठायी और बोली:
‘‘हेऋषिवर एक सुखी जीवन के इस मंगल क्षण में
आपका आगमन समयानुकूल और अति शुभ है।
Then let the speech benign of griefless spheres
Confirm this blithe conjunction of two stars
And sanction joy with thy celestial voice.
हे प्रभु, दुःखविहीन स्वर्गलोक की निज कृपामयी वाचा से
इन दो तारों के सुखी मिलन की पुष्टि कर दें
और अपनी देववाणी के आशीष से हर्ष-सौभाग्य की स्वीकृति दे दें।
Here drag not in the peril of our thoughts,
Let not our words create the doom they fear.
हमारे विचारों को अन्धे गर्त में डूबने से बचा लें,
जिससे अपने शब्दों से इनके भयावने विनाश की हम सृष्टि न करें।
Here is no cause for dread, no chance for grief
To raise her ominous head and stare at love:
A single spirit in a multitude,
Happy is Satyavan mid earthly men
Whom Savitri has chosen for her mate,
And fortunate the forest hermitage
Where leaving her palace and riches and a throne
My Savitri will dwell and bring in heaven.
बतायें, यहांकोई आशंका का कारण तो नहीं है, दुःख का निज भीषण शीश उठा
इनके प्रेम कीओर कुदृष्टि डालने का कोई कुअवसर तो नहीं है।
इतने असंख्यजन की भीड़ में एक अकेला आत्मपुरुष
सत्यवान् इस पृथ्वी के नर समाज में अतिभाग्यशाली है
जिसे सावित्री ने अपना जीवनसाथी चुना है,
और वह तपोवन का आश्रम भी अतिभाग्यवान् है
यहां निज राजमहल औ’ सिंहासन का वैभव त्यागकर
मेरी सावित्री वनवासिनी बन स्वर्ग धरा पर उतार लायेगी।
Then let thy blessing put the immortals’ seal
On these bright lives’ unstained felicity
Pushing the ominous Shadow from their days.
हे देवर्षि अपना आशीष इन्हें दें और अमरता की मुहर
इन तेजस्वी जीवनों के विमल प्रेमानन्द पर लगा दें
और इनके दिवसों से इस अनिष्ट की काली छाया को हटा दें।
Too heavy falls a Shadow on man’s heart;
It dares not be too happy upon earth.
मानव हृदय पर गिरती एक भी काल-छाया अति बोझिल होती है;
इस धरा पर अधिक प्रसन्नता पाने का वह साहस नहीं कर पाता है।
It dreads the blow dogging too vivid joys,
A lash unseen in Fate’s extended hand,
The danger lurking in fortune’s proud extremes,
An irony in life’s indulgent smile,
And trembles at the laughter of the gods.
यह उज्ज्वल हर्षों का पीछा करते प्रहार से डरता है,
भाग्यविधाता के हाथ में पकड़ेकशाघात से,
सौभाग्य के गर्वीले शिखरों में छिपे खतरे से,
जीवन की प्रेममग्न मुस्कान में गोपित विडम्बना से,
और देवताओं के हास्य पर भय से थरथराता है।
Or if crouches unseen a panther doom,
If wings of Evil brood above that house,
Then also speak, that we may turn aside
And rescue our lives from hazard of wayside doom
And chance entanglement of an alien fate.”
या यदि कहीं एक चीता-रूपी विनाश अगोचर घात में बैठा है,
यदि घोर अशुभ के अमंगली पक्षी उस घर पर विचारमग्न बैठे हैं,
तब कृपया बता दीजिये, जिससे हम उस राह से बचकर निकल आयें
और उस पथ पर खड़े संकट से निज जीवनों की सुरक्षा कर लें
और एक अनजाने भाग्य की दैवयोग से घटी उलझन से बच जाये।’’
And Narad slowly answered to the queen:
“What help is in prevision to the driven?
और नारद ने धीरे-धीरे उस रानी को उत्तर दिया:
‘‘भाग्याधीन जन को पूर्वज्ञान क्या सहायता दे पायेगा?
Safe doors cry opening near, the doomed pass on.
सुरक्षा के द्वार टेरते समीप में खुले होते हैं पर हतभागी बगल से गुजर जाता है।
A future knowledge is an added pain,
A torturing burden and a fruitless light
On the enormous scene that Fate has built.
भावी का ज्ञान एक पीड़ा की वर्धित श्रृंखला बन जाता है,
विधाता द्वारा रचित इस भीषण घोर दृश्य पर
एक त्रासदायी भार और एक निष्फल प्रकाश हो जाता है।
The eternal poet, universal Mind,[426]
Has paged each line of his imperial act;
Invisible the giant actors tread
And man lives like some secret player’s mask.
उस शाश्वत कवि, वैश्व मन ने,
अपने प्रभूताशाली कार्यक्रम की प्रत्येक रेखा पृष्ठाकिंत कर ली है;
इसके भीमाकारी कार्यकर्ता अदृश्य हो चाल चलते हैं
और मानव किसी गुह्य अभिनेता का मुखौटा पहन जीता है।
He knows not even what his lips shall speak.
वह तो यह भी नहीं जानता कि अपने होठों से क्या बोलेगा।
For a mysterious Power compels his steps
And life is stronger than his trembling soul.
क्योंकि एक गुह्य महाशक्ति उसका गतिसंचालन करती है
और उसके कम्पायमान जीव की अपेक्षा जीवन अधिक बलशाली है।
None can refuse what the stark Force demands,
Her eyes are fixed upon her mighty aim;
No cry or prayer can turn her from her path,
She has leaped an arrow from the bow of God.”
उस आदि घोर दैवी-शक्ति की मांगों को कोई अस्वीकार नहीं कर सकता है:
उसकी दृष्टि सतत अपने शक्तिशाली लक्ष्य पर टिकी रहती है;
कोई चीत्कार या प्रार्थना उसे निज पथ से मोड़ नहीं सकती है।
वह परमेश्वर के धनुष से एक तीर छोड़ चुकी है।’’
His words were theirs who live unforced to grieve
And help by calm the swaying wheels of life
And the long restlessness of transient things
And the trouble and passion of the unquiet world.
नारद कीवाचा उनके लिए थी जो दुःख में अविचलित जीते हैं
और निज आत्मशान्ति से जीवन के डगमगाते चरणों को स्थिर बनाते हैं
और क्षणिक पदार्थों की अधीर चंचलता को
और अशान्त संसार के कष्टों और रागावेश को शान्त रखते हैं।
As though her own bosom were pierced the mother saw
The ancient human sentence strike her child,
Her sweetness that deserved another fate
Only a larger measure given of tears.
पर इन शब्दों ने तो जैसे उसके वक्ष को ही विदीर्ण कर दिया,
माता ने देखा आदि मानवीय दण्ड को अपनी पुत्री पर प्रहार करते,
उसकी मधुमयी पुत्री जो किसी शुभ सौभाग्य की अधिकारिणी थी
उसे अब केवल अश्रुओं के विशाल सागर में डूबते देखा।
Aspiring to the nature of the gods,
A mind proof-armoured mailed in mighty thoughts,
A will entire couchant behind wisdom’s shield,
Though to still heavens of knowledge she had risen,
Though calm and wise and Aswapathy’s queen,
Human was she still and opened her doors to grief;
The stony-eyed injustice she accused
Of the marble godhead of inflexible Law;
Nor sought the strength extreme adversity brings
To lives that stand erect and front the World-Power:
Her heart appealed against the impartial judge,
Taxed with perversity the impersonal One.
रानी यद्यपि देवताओं के स्वभाव की अभीप्सु थी,
उसका मन तथ्यों से सज्जित स्थित था, ऊर्ध्व में उच्च विचारों में सुरक्षित रहता,
उसमें प्रज्ञा की ढाल के पीछे एक पूर्ण संकल्प का वास था,
और ज्ञान के अटल स्वर्गों तक उसकी सत्ता उन्नत थी,
यद्यपि अश्वपति की रानी शान्त और बुद्धिमती थी,
फिर भी मानवी थी और निज द्वारों को सन्ताप हित खोल बैठी;
उसने अटल विश्वविधान के कठोर पाषाणी देवता की
पत्थर सम दृष्टि के अचल अन्याय पर दोषारोपण किया:
उसने उस शक्ति को नहीं खोजा जो घोर प्रतिकूल परिस्थिति में प्राप्त होती है,
प्राणों में जागती है जो सीधी खड़ी हो विश्व महाबल का सामना करती है:
उसके हृदय ने तो उस निष्पक्ष न्यायाधीश के विरुद्ध ही आवेदन किया,
और निर्वैयक्तिक परमैक को ही सकल विकारों का दोषी ठहराया।
Her tranquil spirit she called not to her aid,
But as a common man beneath his load
Grows faint and breathes his pain in ignorant words,
So now she arraigned the World’s impassive will:
“What stealthy doom has crept across her path
Emerging from the dark forest’s sullen heart,[427]
What evil thing stood smiling by the way
And wore the beauty of the Shalwa boy?
उसने निज शान्त चित्शक्ति को सहायता हेतु नहीं पुकारा,
वरन् एक साधारण नर समान जो अपने भार से दबा
संज्ञाशून्य हो अपने दुःख का अज्ञानी शब्दों में प्रलाप करता है,
वैसे ही उसने जगविधाता के पक्षपातहीन संकल्प पर आक्षेप कर कहा:
‘‘सावित्री के मार्ग को यह किस विनाशी छाया ने चोरी-छिपे काटा है
उस काले वन के अशुभ अन्तर से रेंगते हुए निकलकर,
उसके मार्ग पर यह कौन अमंगली आकार मुस्कुराता खड़ा था
और शाल्व के राजकुमार का सुरूप धारण किये था?
Perhaps he came an enemy from her past
Armed with a hidden force of ancient wrongs,
Himself unknowing, and seized her unknown.
हो सकता है यह सावित्री के भूतकाल का कोई वैरी था
जो पुराने पापों के एक गुप्त बल से सज्जित हो आया है,
वह स्वयं अपने से अनजान है और उसने सावित्री को अनजाने धर दबाया है।
Here dreadfully entangled love and hate
Meet us blind wanderers mid the perils of Time.
Our days are links of a disastrous chain,
Necessity avenges casual steps;
Old cruelties come back unrecognised,
The gods make use of our forgotten deeds.
अरे, इस संसार में प्रेम और घृणा भीषण रूप से उलझे हैं
इस जीवन के अन्धे भटकते संकट काल के मध्य वे हमें भेंटते हैं
हमारे दिवस अनर्थों की एक श्रृंखला की कड़ियां हैं,
हमारे असावधान चरणों का प्रतिशोध भी हमसे दैवी अनिवार्यता लेती है;
पुरातन क्रूरताएं जिन्हें हम पहचानते भी नहीं हमारे जीवनों में लौट आती हैं
देवशक्तियां हमारे विस्मृत कर्मों को साधन बना उपयोग करती हैं।
Yet all in vain the bitter law was made.
फिर इस कटुविधान की रचना ने सकल जीवन निष्फल कर दिया है।
Our own minds are the justicers of doom.
हमारे अपने मन ही इस विनाश को न्यायोचित सिद्ध करते हैं।
For nothing have we learned, but still repeat
Our stark misuse of self and others’ selves,
And fallen from his ethereal element
Love darkens to the spirit of nether gods.
क्योंकि हमने कुछ भी नया नहीं सीखा है किन्तु अभी भी हम अपनी
सत्ता का और दूसरों की आत्माओं का दुरुपयोग दोहराये जाते हैं,
यहां मानवीय हृदयों में अति घोर कीमियागिरी कार्यरत है
और दिव्य प्रेम स्वयं अपने स्वर्गिक तत्त्वों से पतित हो
पातालीय देवों की आत्मा तक कलुषित कर देता है।
The dreadful angel, angry with his joys
Woundingly sweet he cannot yet forego,
Is pitiless to the soul his gaze disarmed,
He visits with his own pangs his quivering prey
Forcing us to cling enamoured to his grip
As if in love with our own agony.
यह भीषण देवदूत अपने सुखों से क्रोधित रहता है
क्षत-विक्षत होकर भी प्रेम मधुर है अत: हमसे त्यागा नहीं जाता है
उसकी निशस्त्र चितवन जीव का अन्तर निर्दयता से वेध जाती है,
वह अपनी आत्म-व्यथाओं के साथ निज कांपते शिकार को भेंटता है
और हमें अपनी मोहक पकड़ में बंधे रहने को बाध्य कर देता है
जैसे कि हमें अपनी आत्मव्यथा से प्यार हो।
This is one poignant misery in the world,
And grief has other lassoes for our life.
इस जग की यह एक अति मार्मिक वेदना है,
पर हमारे जीवन हित दुःख के अन्य कोड़े और भी हैं।
Our sympathies become our torturers.
हमारी अपनी सहानुभूतियां ही हमारी यातनाएं बन जाती हैं।
Strength have I my own punishment to bear,
Knowing it just, but on this earth perplexed,
Smitten in the sorrow of scourged and helpless things,
Often it faints to meet other suffering eyes.
मेरे पास अपने निज दण्ड को सहने हित बल है,
उसके औचित्य को समझती हूं, किन्तु इस पृथ्वी के
असहाय जीवों के उत्पीड़नकारी दुःख सेमैं व्याकुल और हैरान हूं,
अन्यों के कष्ट भोगते नेत्रों में झांक कर मैं अचेत हो जाती हूं।
We are not as the gods who know not grief
And look impassive on a suffering world,
Calm they gaze down on the little human scene
And the short-lived passion crossing mortal hearts.
हम देवता नहीं हैं जो शोक से अनजान हैं
और वे इस शोक-संतप्त जग को उदासीन हो अवलोकते हैं,
शान्त नीरव वे इस क्षुद्र मानवीय दृश्य पर दृष्टि रखते हैं
और मर्त्य अन्तरों को वेधती रागावेश की क्षणिकता को देखते हैं।
An ancient tale of woe can move us still,
We keep the ache of breasts that breathe no more,[428]
We are shaken by the sight of human pain,
And share the miseries that others feel.
पर हम अभी भी एक पौराणिक कथा के दुःख से द्रवित हो उठते हैं,
हम निष्प्राण विगत अन्तरों की पीड़ाओं को भी अपना बना लेते हैं,
मानवीय पीड़ा के दृश्य से हम व्याकुल हो उठते हैं,
अन्यों के कष्टों के अनुभव में भी हम हिस्सा बंटाते हैं।
Ours not the passionless lids that cannot age.
हमारे नेत्र मोह-ममता से पूर्ण हैं एवं काल से ग्रस्त हैं।
Too hard for us is heaven’s indifference:
Our own tragedies are not enough for us,
All pathos and all sufferings we make ours;
We have sorrow for a greatness passed away
And feel the touch of tears in mortal things.
देवों की उदासीनता हमारे लिए अति दुःसाध्य हैः
निज दुःख क्लेश जैसे कि हमारे लिए पर्याप्त न हों
सकल वेदना सन्तापों को हम अपना बना लेते हैं;
एक महानता के गुजर जाने पर हम शोकाकुल हो उठते हैं
और नश्वर वस्तुओं में भी आंसुओं का स्पर्श पाते हैं।
Even a stranger’s anguish rends my heart,
And this, O Narad, is my well-loved child.
एक अपरिचित की वेदना भी मेरा हृदय चीर देती है,
और यह तो नारद, मेरी अति प्रिय लाडली बच्ची है।
Hide not from us our doom, if doom is ours.
यदि सर्वनाश ही हमारा भाग्य है, तो इसे हमसे आप न छिपायें।
This is the worst, an unknown face of Fate,
A terror ominous, mute, felt more than seen
Behind our seat by day, our couch by night,
A Fate lurking in the shadow of our hearts,
The anguish of the unseen that waits to strike.
एक अज्ञात दुर्भाग्य से अधिक भयावना क्या हो सकता है,
एक अशुभ विभीषिका, मूक, अगोचर जिसका अनुभव प्रतिदिन
हम अपनी पीठ के पीछे, रात्रि में शय्या तले पाते हैं,
एक कालनियति हमारे हृदयों की छाया में छिपी बैठी है,
इस अदृश्यता का संताप जो आघात करने की प्रतीक्षा कर रहा है।
To know is best, however hard to bear.”
फिर भी जानना सर्वोत्तम है, यद्यपि सहन करना अति कठिन है।’’
Then cried the sage piercing the mother’s heart,
Forcing to steel the will of Savitri
His words set free the spring of cosmic Fate.
तब जननी का अन्तर छेदती उस देवर्षि की वाचा गूंजी,
जिसने सावित्री के व्रत को लौह सम दृढ़ बना दिया।
उसके वचनों ने ब्रह्माण्डीय विधान के स्त्रोत को मुक्त कर दिया।
The great Gods use the pain of human hearts
As a sharp axe to hew their cosmic road:
They squander lavishly men’s blood and tears
For a moment’s purpose in their fateful work.
देवगण उपयोग करते हैं मानव हृदयों की वेदना को
एक तीक्ष्ण कुल्हाड़ी सम अपने विश्व-पथों के निर्माण हेतुः
वे मानव हृदय का रक्त और अश्रुओं को मुक्त हाथ से लुटाते हैं
भाग्य निर्दिष्ट कार्यपूर्ति के क्षणिक उद्देश्य के लिए बिखेर देते हैं।
This cosmic Nature’s balance is not ours
Nor the mystic measure of her need and use.
इस ब्रह्माण्डीय विश्व प्रकृति का सन्तुलन हमारे लिए नहीं है
और उसकी आवश्यकता और उपयोग के गुह्य माप हमारे हित में नहीं हैं।
A single word lets loose vast agencies,
A casual act determines the world’s fate.
एक एकाकी शब्द गुह्यशक्ति के माध्यमों को मुक्त कर देता है;
एक आकस्मिक कर्म इस जगत् का भाग्य निश्चित कर देता है।
So now he set free destiny in that hour:
“The truth thou hast claimed; I give to thee the truth.
इसी तरह उस मुहूर्त देवर्षि ने भी निज वाणी से भाग्य को मुक्त कर दिया।
‘‘तुमने सत्य को मांगा है, मैं तुम्हें सत्य ही दूंगा।
A marvel of the meeting earth and heavens
Is he whom Savitri has chosen mid men,
His figure is the front of Nature’s march,
His single being excels the works of Time.
इस धरा और स्वर्गों के संगम का एक चमत्कार है
वह, जिसे नरपुंगवों के मध्य सावित्री ने वरण किया है
उसका आकार विश्व-प्रकृति के विकास प्रयाण में अग्रणी है
उसकी अकेली सत्ता त्रिकालीय रचनाओं में श्रेष्ठ है।
A sapphire cutting from the sleep of heaven,
Delightful is the soul of Satyavan,[429]
A ray out of the rapturous Infinite,
A silence waking to a hymn of joy.
दिविलोक की निद्रा से तराशी हुई एक नीलमणि
चिरानन्दमयी आत्मा है सत्यवान् की,
प्रेममयी अनन्तता से निकली एक रश्मि है,
हर्षोल्लास के एक मन्त्रोच्चार से जागी एक शान्ति है।
A divinity and kingliness gird his brow;
His eyes keep a memory from a world of bliss.
एक दिव्यता और प्रभुता उसके ललाट पर शोभित है;
उसके नेत्रों ने आनन्द-धाम की एक स्मृति संजो रखी है।
As brilliant as a lonely moon in heaven,
Gentle like the sweet bud that spring desires,
Pure like a stream that kisses silent banks,
He takes with bright surprise spirit and sense.
स्वर्ग में एक एकाकी सुधाकर सम वह तेजस्वी है,
वसन्त-कामनाओं से प्रस्फुटित एक मधुर कलिका सम सौम्य है,
मूक तटों को चूमती एक जलधारा सम निर्मल पवित्र है,
वह प्रफुल्लित विस्मय से सचेत एवं प्राणवान् है।
A living knot of golden Paradise,
A blue Immense he leans to the longing world,
Time’s joy borrowed out of eternity,
A star of splendour or a rose of bliss.
स्वर्णिम द्युतिलोक की एक प्राणवान् ग्रन्थि है,
लालायित पृथ्वी पर झुका वह एक विराट् है,
शाश्वतता से उधार लिया गया युग का आह्लाद है,
श्रीशोभा का एक तारा है या आनन्द का एक खिला गुलाब है।
In him Soul and Nature, equal Presences,
Balance and fuse in a wide harmony.
उसके अन्तर में पुरुष औ’ प्रकृति, समकक्ष युगल दिव्य सान्निध्य हैं,
एक विशाल व्यापक समस्वरता में सन्तुलित और गुंथे हैं।
The Happy in their bright ether have not hearts
More sweet and true than this of mortal make
That takes all joy as the world’s native gift
And to all gives joy as the world’s natural right.
द्युतिमान ईथरीयलोक के आनन्दमय देवों के अन्तर भी
इस नश्वर रचना के आकार से अधिक मधुर और सत्य नहीं हैं
जो सम्पूर्ण आनन्द को संसार की सहज भेंट सम लेता है
और संसार के स्वाभाविक अधिकार सम सबको आनन्द देता है।
His speech carries a light of inner truth,
And a large-eyed communion with the Power
In common things has made veilless his mind,
A seer in earth-shapes of garbless deity.
उसकी वाणी में अन्तर्सत्य का एक प्रकाश झलकता है,
सामान्य वस्तुओं में निहित चित्शक्ति के साथ
एक उदार-दृष्टि-संलाप ने उसके मन को मुक्त कर दिया है,
पार्थिव रूपों में वह निराकारी देवता का एक द्रष्टा ऋषि है।
A tranquil breadth of sky windless and still
Watching the world like a mind of unplumbed thought,
A silent space musing and luminous
Uncovered by the morning to delight,
A green tangle of trees upon a happy hill
Made into a murmuring nest by southern winds,
These are his images and parallels,
His kin in beauty and in depth his peers.
स्थिर और नीरव व्योम का एक शान्त विस्तार है
जो विचारहीन मन समान इस संसार का निरीक्षण करता है,
ध्यानमग्न और प्रकाशपूर्ण एक निःशब्द आकाश है
जिसे सूर्योदय ने आनन्दरूप में प्रकटाया है
सुखदायी पर्वत पर हरियाले वृक्षों का एक झुरमुट है
जिसमें दक्षिणी पवन ने एक गुनगुनाता नीड़ रच डाला है,
यही उसके प्रतिबिम्ब हैं और समानताएं हैं,
वे सुरम्यता में उसके बन्धु हैं और गम्भीरता में उसके समकक्ष हैं।
A will to climb lifts a delight to live,
Heaven’s height companion of earth-beauty’s charm,
An aspiration to the immortals’ air
Lain on the lap of mortal ecstasy.
आरोहण का एक संकल्प जीवन को हर्ष से उठा देता है,
उसमें स्वर्ग की उच्चता पार्थिव सौन्दर्य की मनमोहक सहचरी है,
अमरों के वातावरण की ओर उठती एक अभीप्सा हो जैसे
जो नश्वर लोक की भावसमाधि की गोद में आ बैठी है।
His sweetness and his joy attract all hearts
To live with his own in a glad tenancy,[430]
His strength is like a tower built to reach heaven,
A godhead quarried from the stones of life.
उसकी मिठास और उसका हर्ष सकल हृदयों को लुभाता है
उसके अपने हृदय के एक प्रसन्न गेह में वास करने को बुलाता है,
उसकी शक्ति एक विजय-स्तम्भ है जो स्वर्ग तक पहुंचने को रचा गया है,
जीवन की चट्टानों से खोद कर निर्मित एक देवांश है।
O loss, if death into its elements
Of which his gracious envelope was built
Shatter this vase before it breathes its sweets,
As if earth could not keep too long from heaven
A treasure thus unique loaned by the gods,
A being so rare, of so divine a make!
In one brief year when this bright hour flies back
And perches careless on a branch of Time,
This sovereign glory ends heaven lent to earth,
This splendour vanishes from the mortal’s sky:
Heaven’s greatness came, but was too great to stay.
हे देव, कितनी क्षति है, मृत्यु पंचभूतों से रचित
इस अद्वितीय कलेवर रूपी घट को चूर्ण विचूर्ण कर नष्ट कर देगी,
इससे पहले कि यह निज मधुर श्वासों का पान कर पाये
मानों देवताओं द्वारा उधार दिये इस अनुपम कोष को
एक ऐसी दुर्लभ सत्ता को, इतनी दिव्य रचना को!
धरा अपने पास स्वर्ग से दूर उसे अधिक काल नहीं रख सकेगी,
एक वर्ष की छोटी-सी अवधि के बाद जब यह उज्ज्वल घड़ी लौटेगी
और निश्चिन्त-सी महाकाल की एक शाखा पर बैठेगी,
तब स्वर्ग से ऋण में ली गयी यह अद्वितीय भव्यता समाप्त हो जायेगी,
और मृत्युलोक के आकाश से यह श्रीशोभा विलीन हो जायेगी:
स्वर्ग की महत्ता उतरी किन्तु धरा पर अधिक ठहरने को अति महान् है।
Twelve swift-winged months are given to him and her;
This day returning Satyavan must die.”
तीव्रगति से उड़ते हुए केवल बारह महीने इन दोनों को दिये हैं;
एक वर्ष बाद जब यह दिन लौटेगा सत्यवान् का मृत्यु दिवस होगा।’’
A lightning bright and nude the sentence fell.
एक चमकती तेज नग्न बिजली सम यह वाक्य उन पर गिरा।
But the queen cried: “Vain then can be Heaven’s grace!
किन्तु रानी ने चीत्कार किया: ‘‘तब स्वर्ग की कृपा तो अर्थहीन हो जाती है!
Heaven mocks us with the brilliance of its gifts,
For Death is a cupbearer of the wine
Of too brief joy held up to mortal lips
For a passionate moment by the careless gods.
सुरलोक अपने वरदानों को चमका कर क्या हमारा उपहास करता है,
क्योंकि इस अति क्षणिक हर्ष की मदिरा का साक्षी तो मृत्युदेव स्वयं हैं
जो मानवीय अधरों तक क्षणभर के सुख के लिए उठा दी गयी है,
असावधान देवताओं द्वारा एक आवेशी क्षण में होठों से लगा दी गयी है।
But I reject the grace and the mockery.
किन्तु मैं उनकी इस कृपा और इस उपहास दोनोंको अस्वीकारती हूं।
Mounting thy car go forth, O Savitri,
And travel once more through the peopled lands.
ओ सावित्री, जा एक बार फिर अपने रथ पर आरोहण कर,
और जनपथीय देशों के मध्य पुनः यात्रा के लिए निकल जा।
Alas, in the green gladness of the woods
Thy heart has stooped to a misleading call.
हाय, वनों के हरित मुदित करते वातावरण से मोहित हो
तेरा हृदय एक भ्रामक आवाहन पर नीचे झुक गया है।
Choose once again and leave this fated head,
Death is the gardener of this wonder-tree;
Love’s sweetness sleeps in his pale marble hand.
तू एक बार फिर चुनाव कर और इस हतभागी पुरुष को छोड़ दे,
इस अद्भुत तरुवर का तो स्वयं यमराज माली है;
उसके संगमरमरी गोरे हाथों में प्रेम का माधुर्य सो गया है।
Advancing in a honeyed line but closed,
A little joy would buy too bitter an end.
एक मधुमयी रेखा पर तू बढ़ रही है, किन्तु यह तो बन्द है,
एक अल्पसुख हित तू कितने कटु अन्त को खरीद रही है।
Plead not thy choice, for death has made it vain.
अपने चुनाव की वकालत न कर, क्योंकि मृत्यु ने इसे निष्फल बना डाला है।
Thy youth and radiance were not born to lie
A casket void dropped on a careless soil;
A choice less rare may call a happier fate.”
तेरा यौवन और कान्ति धूल में मिल जाने को नहीं जन्मे
एक शून्य शव-पेटी सम एक असावधान धरती पर फेंक देने;
सम्भव है साधारण सुलभ पुरुष का चुनाव एक सुखतर भाग्य ले आये।’’
But Savitri answered from her violent heart,—[431]
Her voice was calm, her face was fixed like steel:
“Once my heart chose and chooses not again.
किन्तु सावित्री ने अपने आवेशपूर्ण प्रचण्ड हृदय से उत्तर दिया,-
उसकी वाणी शान्त थी, उसका मुख फौलाद सम दृढ़व्रती था:
‘‘मेरे हृदय ने एक बार वरण किया है यह दुबारा नहीं चुनेगा।
The word I have spoken can never be erased,
It is written in the record book of God.
जो वचन मैंदे चुकी हूं वह कभी मिटाया नहीं जायेगा,
वह तो परमेश्वर की पुस्तक में लिखा जा चुका है।
The truth once uttered, from the earth’s air effaced,
By mind forgotten, sounds immortally
For ever in the memory of Time.
एक बार उच्चारित अटल सत्य, इस पार्थिव परिवेश को छोड़ देता है,
मन से विस्मृत हो जाता है, किन्तु महाकाल की स्मृतिधारा में
सदैव शाश्वतता तक अमर बन गुंजित रहता है।
Once the dice fall thrown by the hand of Fate
In an eternal moment of the gods.
जब विधाता के हाथ से एक बार फेंका गया पांसा गिरता है
तब वह क्षण देवताओं का एक शाश्वत मुहूर्त होता है।
My heart has sealed its troth to Satyavan:
Its signature adverse Fate cannot efface,
Its seal not Fate nor Death nor Time dissolve.
मेरे हृदय ने स्वयं को सत्यवान् के साथ वचनबद्ध कर लिया है:
अब प्रतिकूल भाग्य भी इसका हस्ताक्षर नहीं मिटा सकता
इसकी मुहर अब स्वयं विधाता, यमराज और न ही महाकाल तोड़सकता है।
Those who shall part who have grown one being within?
जो अन्तर में एक प्राण बन चुके हैं उन्हें कौन अलग कर सकता है?
Death’s grip can break our bodies, not our souls;
If death take him, I too know how to die.
मृत्यु का पंजा हमारे शरीरों को तोड़ सकता है, हमारी आत्माओं को नहीं;
यदि मृत्यु उसे ले जा सकती है, तो मैं भी मरना जानती हूं।
Let Fate do with me what she will or can;
I am stronger than death and greater than my fate;
My love shall outlast the world, doom falls from me
Helpless against my immortality.
दैव-नियति मेरे साथ जो कर सकती है या करना चाहे उसे करने दो;
मैं अपनी नियति से महत्तर और मृत्यु से अधिक शक्तिशाली हूं;
मेरे प्रेम की आयु इस संसार से अधिक है,
मेरी अमरता के विरुद्ध खड़ा विनाश असहाय हो क्षय हो जायेगा।
Fate’s law may change, but not my spirit’s will.”
भाग्यविधाता का विधान बदल सकता है मेरी आत्मा का संकल्प नहीं बदलेगा।’’
An adamant will, she cast her speech like bronze,
But in the queen’s mind listening her words
Rang like the voice of a self-chosen Doom
Denying every issue of escape.
कांस्य में ढली हुई जैसी उसकी वाचा, एक दृढ़व्रती की थी।
किन्तु रानी के श्रोता अन्तरमन में उसकी वाणी
एक स्वयं-निर्वाचित घोर सर्वनाश की ध्वनि सम घनघनायी
जो बचाव के प्रत्येक निर्गमन को अस्वीकार रही थी।
To her own despair answer the mother made;
As one she cried who in her heavy heart
Labours amid the sobbing of her hopes
To wake a note of help from sadder strings:
“O child, in the magnificence of thy soul
Dwelling on the border of a greater world,
And, dazzled by thy superhuman thoughts,
Thou lendst eternity to a mortal hope.
अपनी आत्म-निराशा को स्वयं उत्तर देती वह जननी बोल उठी;
मानों वह अपने दुःख से बोझिल हृदय से कातर बनी
अपनी आशाओं की सिसकारी के मध्य श्रम में लगी थी
एक सहायता का स्वर दुःखभरी तन्त्रियों में जगाने हित प्रयासरत थी:
‘‘ओ मेरी पुत्री, भव्य गरिमामयी तेरी आत्मा
एक महत्तर लोक की सीमा पर बसती है,
और अपने परा-मानवीय विचारों द्वारा जगमगाती है,
तू एक नश्वर आशा को शाश्वतता प्रदान कर रही है।
Here on this mutable and ignorant earth,
Who is the lover and who is the friend?
यहां इस विकारमयी अज्ञानी धरती पर
कौन किसका प्रेमी है और कौन यहां पर मित्र है?
All passes here, nothing remains the same.
सब यहां अतीत में चला जाता है, कुछ भी एक समान नहीं रहता है।
None is for any on this transient globe.[432]
इस अनित्य भूगोलक पर कोई किसी के लिए नहीं है।
He whom thou lovest now, a stranger came
And into a far strangeness shall depart.
आज तू जिसके प्रेम में डूबी है, वह एक अपरिचित सम आया
और एक सुदूर अज्ञेय में एक दिन चला जायेगा:
His moment’s part once done upon life’s stage
Which for a time was given him from within,
To other scenes he moves and other players
And laughs and weeps mid faces new, unknown.
इस जीवन के रंगमंच पर अपनी क्षणभर की भूमिकापूरी कर
जो उसे निज अन्तर से एक अवधि हित दी गयी है,
पुनः वह अन्य दृश्यों और दूसरे खिलाड़ियों कीओर मुड़ जायेगा
और उन नये अनजान मुखड़ों के साथ रोयेगा औ’ हंसेगा।
The body thou hast loved is cast away
Amidst the brute unchanging stuff of worlds
To indifferent mighty Nature and becomes
Crude matter for the joy of others’ lives.
वह देह जो तुझे अति प्रिय थी दूर हटा दी जायेगी
इन लोकों के भीषण अपरिवर्तनशील द्रव्यों के मध्य
उदासीन शक्तिशाली विश्व-प्रकृति को देह सौंप दी जाती है
और तब यह दूसरे प्राणियों के सुख हित जड़द्रव्य बन जाती है।
But for our souls, upon the wheel of God
For ever turning, they arrive and go,
Married and sundered in the magic round
Of the great Dancer of the boundless dance.
किन्तु हमारे जीवों के लिए, इस ईश्वर के कालचक्रकी
अविराम घूमती परिक्रमा में, वे जीव सतत आते-जाते रहते हैं
इस जादुई चक्र पर मिलते और बिछुड़ते रहते हैं
महान् नटराज शिव के अनन्त नृत्य की परिक्रमा में।
Our emotions are but high and dying notes
Of his wild music changed compellingly
By the passionate movements of a seeking Heart
In the incessant links of hour with hour.
हमारी भावनाएं उन्नत होते और मिटते स्वर हैं
प्रभु के प्रचण्ड संगीत के, जो एक जिज्ञासु खोजी दिव्य महाप्राण के
भावावेशी संचालन द्वारा परिवर्तनहित बाध्य हो जाते हैं
घण्टे दर घण्टे में जुड़ी इन अस्थिर कड़ियों के काल में।
To call down heaven’s distant answering song,
To cry to an unseized bliss is all we dare;
Once seized, we lose the heavenly music’s sense;
Too near, the rhythmic cry has fled or failed;
All sweetnesses are baffling symbols here,
Love dies before the lover in our breast:
Our joys are perfumes in a brittle vase.
स्वर्ग के सुदूर प्रत्युत्तरी गान को नीचे उतरने का आवाहन करते,
एक अग्राह्य परमानन्द को टेरने का ही हम साहस कर पाते हैं;
एक बार धर लेने पर, हम उस स्वर्गिक संगीत का बोध खो देते हैं;
अति समीप आने पर, वह संगीतमय निवेदन असफल हो उड़ जाता है;
सकल प्रिय मधुरिमाएं यहां पर निष्फल चकराने वाले प्रतीक मात्र हैं।
हमारे अन्तर में प्रेम प्रेमी से पहले ही मर जाता है:
हमारे हर्ष मात्र क्षणिक सुगन्ध हैं जो एक भंगुर पुष्पपात्र में बसी है।
O then what wreck is this upon Time’s sea
To spread life’s sails to the hurricane desire
And call for pilot the unseeing heart!
हाय, तब इस महाकाल के सागर पर तू क्यों विनष्ट होती है
और जीवन नैया के पालों को झंझावाती कामना हित क्यों खोलती है
और इस अन्धे हृदय को अपना नाविक क्यों बनाती है!
O child, wilt thou proclaim, wilt thou then follow
Against the Law that is the eternal will
The autarchy of the rash titan’s mood
To whom his own fierce will is the one law
In a world where Truth is not, nor Light nor God?
ओ बच्ची, तू घोषणा कर रही है, इस शाश्वत संकल्प के
इस दैवी-विधान के विरुद्ध, इसे तू अनुसरण करेगी?
अरे, यह घोर प्रचण्डता के भाव का तेरा अहंतन्त्र है
जिसके लिए उसका निज पोषण संकल्प ही एकमात्र विधान है
इस अचित् संसार में, जहां न परम सत्य है, न ही दिव्य प्रकाश और न परमेश्वर है।
Only the gods can speak what now thou speakst.
तूने जो अभी उच्चारा है उसे तो केवल देवता ही बोल सकते हैं।
Thou who art human, think not like a god.
तू तो मानवी है एक देवता सम विचार करना छोड़दे।
For man, below the god, above the brute,[433]
Is given the calm reason as his guide;
He is not driven by an unthinking will
As are the actions of the bird and beast;
He is not moved by stark Necessity
Like the senseless motion of inconscient things.
क्योंकि मानव का स्तर देवता से नीचा एवं पशु से ऊपर है,
उसे शान्त विवेकअपने मार्गदर्शन हेतु दिया गया है;
वह एक अविचारी संकल्प द्वारा संचारित नहीं होता है
जैसे कि पक्षी और पशु की क्रियाएं होती हैं;
नग्न जड़-आवश्यकता द्वारा भी वह गतिशील नहीं होता
वह अचित् वस्तुओं की बोधहीन गति समान नहीं चलता।
The giant’s and the titan’s furious march
Climbs to usurp the kingdom of the gods
Or skirts the demon magnitudes of Hell;
In the unreflecting passion of their hearts
They dash their lives against the eternal Law
And fall and break by their own violent mass:
The middle path is made for thinking man.
दैत्य और असुर देवताओं के साम्राज्य पर
अधिकार जमाने को प्रचण्ड आरोहण करते हैं
या घोर नारकीय यन्त्रणा से घिर जाते हैं;
अपने हृदयों के अविवेकी आवेश में
वे अपने जीवनों को इस शाश्वत विधान से टकरा देते हैं
और अपनी निजी उग्र हिंसा के जोर से टूट कर गिर जाते हैं:
विचारशील मानव हित मध्यम मार्गबनाया गया है।
To choose his steps by reason’s vigilant light,
To choose his path among the many paths
Is given him, for each his difficult goal
Hewn out of infinite possibility.
जिससे वह निज कदमोंसेविवेक की सतर्क ज्योति में बढ़ सके,
इन अनेक मार्गों के समक्ष अपना पथ चुन सके,
यही उसे प्राप्त है, क्योंकि उसके प्रत्येक कठिन लक्ष्य को
अनन्त सम्भावनाओं से तराशा गया है।
Leave not thy goal to follow a beautiful face.
एक सौम्य मुख के लिए, तू अपने लक्ष्य को त्याग नहीं।
Only when thou hast climbed above thy mind
And liv’st in the calm vastness of the One
Can Love be eternal in the eternal bliss
And love divine replace the human tie.
केवल जब तू अपने मन से परे ऊर्ध्व में आरोहण करेगी
और परमैकम् की शान्त विशालता में रमण करेगी
तभी तू शाश्वत प्रेम में परमानन्द को प्राप्त करेगी
और दिव्य अमर प्रेम इस मानवीय ग्रन्थि का स्थान ले लेगा।
There is a shrouded law, an austere force:
It bids thee strengthen thy undying spirit;
It offers its severe benignances
Of work and thought and measured grave delight
As steps to climb to God’s far secret heights.
यहां पर एक आच्छादित नियम है, एक संयम की शक्ति हैः
यह तुझे अपनी अमर आत्मा को शक्तिशाली बनाने को कहती है;
यह अपने संयमी अनुग्रहों को प्रदान करती है
जो कल्याणकारी कर्म और विचार और सीमित गम्भीर आनन्द के लिए हैं
ये प्रभु की सुदूर गुह्य उच्चताओं तक उठते सोपान हैं।
Then is our life a tranquil pilgrimage,
Each year a mile upon the heavenly Way,
Each dawn opens into a larger Light.
तब हमारा जीवन एक शान्त तीर्थयात्रा हो जाता है,
प्रत्येक वर्ष उस दिव्य मार्ग पर एक मीलसूचक होता है,
प्रत्येक उषा एक महत्तर प्रभु-प्रकाश को उद़्घाटित करती है।
Thy acts are thy helpers, or events are signs,
Waking and sleep are opportunities
Given to thee by an immortal Power:
So canst thou raise thy pure unvanquished spirit
Till spread to heaven in a wide vesper calm,
Indifferent and gentle as the sky,
It greatens slowly into timeless peace.”[434]
तेरे कर्म ही तेरे सहायक हैं, सकल घटनाएं संकेत हैं,
जाग्रतावस्था और निद्रा सब अवसर प्रदान करते हैं
जो तुझे एक अमर चित्शक्ति द्वारा दिये जाते हैं।
इस प्रकार अपनी अदमनीय अजेय पावन आत्मा को उन्नत कर ले,
जब तक यह एक विशाल शीतल शान्ति में स्वर्ग तक न फैल जाये,
व्योम सम उदासीन और सौम्य बनी,
इस अकाल शान्ति में धीरे-धीरे महत्तर होती जायेगी।’’
But Savitri replied with steadfast eyes:
“My will is part of the eternal will,
My fate is what my spirit’s strength can make,
My fate is what my spirit’s strength can bear;
My strength is not the titan’s, it is God’s.
किन्तु सावित्री ने दृढ़ नेत्रों से स्थिर वाणी में उत्तर दिया:
‘‘मेरा संकल्प भी उसी शाश्वत परम संकल्प का अंश है,
जो मेरी आत्मा की चित्शक्ति द्वारा रचित है वही मेरी नियति है,
जो मेरी आत्मशक्ति वहन कर सकती है वही मेरी विधि है;
मेरी शक्ति आसुरी नहीं है; यह परमात्मा की है।
I have discovered my glad reality
Beyond my body in another’s being:
I have found the deep unchanging soul of love.
मैंने अपनी देह से परे एक दूसरी सत्ता में
अपने आनन्दमय सत्य को खोज लिया है:
मुझे प्रेम की आत्मा का गहन अविकारी पुरुष मिल गया है।
Then how shall I desire a lonely good,
Or slay, aspiring to white vacant peace,
The endless hope that made my soul spring forth
Out of its infinite solitude and sleep?
तब फिर मैं क्यों एक एकाकी पुण्य प्राप्त करने की कामना करूं,
या शुभ शून्य शान्ति हित अभीप्सा करती, वध कर दूं
इस अनन्त आशा का जिसने मेरी अन्तरात्मा को
अपने शाश्वत एकान्त और निद्रा से झटक उठा दिया है?
My spirit has glimpsed the glory for which it came,
Beating of one vast heart in the flame of things,
My eternity clasped by his eternity
And, tireless of the sweet abysms of Time,
Deep possibility always to love.
मेरी आत्मा ने उस महिमा की झलक पा ली है जिसके लिए यह आयी है,
एक विराट् हृदय में धड़कती उस ज्योति की, जो प्रत्येक वस्तु में प्रज्वलित है,
मेरी शाश्वतता उसकी शाश्वततासेजुड़ी एक है
और महाकाल की इस मधुर खाड़ी की दूरी से अक्लान्त है,
अरे, यह तो गहरी संभावना है सतत चिर प्रेम की।
This, this is first, last joy and to its throb
The riches of a thousand fortunate years
Are a poverty,. Nothing to me are death and grief
Or ordinary lives and happy days.
यही, यही मेरा प्रथम, अन्तिम सुख है और इसके स्पन्दन के समक्ष
एक सहस्र सौभाग्यशाली वर्षों के सकल वैभव
तुच्छ हैं। मेरे लिए मृत्यु और दुःख सब नगण्य हैं
या साधारण जीवन और सुखी दिवस सब निरर्थक हैं।
And what to me are common souls of men
Or eyes and lips that are not Satyavan’s?
मुझे अन्य पुरुषों की साधारण सत्ताओं से क्या लेना देना
यदि वे अधर और नेत्र सत्यवान् के नहीं है?
I have no need to draw back from his arms
And the discovered paradise of his love
And journey into a still infinity.
मुझे कोई आवश्यकता नहीं उसकी भुजाओं से बाहर निकल आने की
और खोज निकाले उसके प्रेम के स्वर्ग से परे जाने की
और एक स्थिर चिरन्तनता में यात्रा करने की।
Only now for my soul in Satyavan
I treasure the rich occasion of my birth:
In sunlight and a dream of emerald ways
I shall walk with him like gods in Paradise.
क्योंकि अब केवल सत्यवान् में बसे निज प्राण के लिए
मैंने अपने जन्म के भव्य शुभावसर को संजो रखा हैः
सूर्य के प्रकाश में और हरित पन्नगी मार्गों के एक स्वप्न में
मैं स्वर्ग में देवताओं समान उसके साथ विहार करूंगी।
If for a year, that year is all my life
And yet I know this is not all my fate
Only to live and love awhile and die.
यदि केवल एक वर्ष है, तो वह वर्ष ही मेरा सम्पूर्ण जीवन है
और फिर भी मैं जानती हूं कि यही मेरी नियति नहीं है
कि केवल जीना और कुछ अवधि तक प्यार करना और मर जाना।
For I know now why my spirit came on earth
And who I am and who he is I love.
क्योंकि अब मुझे ज्ञात है कि मेरी आत्मा धरा पर क्यों आयी है
और मैं कौन हूं और जिसे मैं प्यार करती हूं वह कौन है।
I have looked at him from my immortal Self,[435]
I have seen God smile at me in Satyavan;
I have seen the Eternal in a human face.”
मैंने उसे अपनी अमर आत्मा की दृष्टि से अवलोका है,
सत्यवान् की दृष्टि में मैंने परमात्मा को मुस्कुराते देखा है;
एक मानवीय मुखड़े में मैंने चिरन्तन प्रभु का दर्शन पाया है।’’
Then none could answer to her words. Silent
They sat and looked into the eyes of Fate. [436]
तब उसकेइन शब्दों का उत्तर किसी से देते न बना।
वे दैवनियति के नेत्रों में एकटक देखते बैठे रहे, मौन।
END OF CANTO ONE