BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS
Canto One. The World-Stair
Alone he moved watched by the infinity
Around him and the Unknowable above.
एकाकी नृप चल रहा था, शाश्वत द़ृष्टि का सुरक्षा-घेरा
उसके चहुं ओर था और परम अज्ञेय ऊर्ध्व से देखता था।
All could be seen that shuns the mortal eye,
All could be known the mind has never grasped;
All could be done no mortal will can dare.
वहां से वह समस्त देख सकता था जो नश्वर द़ृष्टि से अगोचर है,
वह समस्त ज्ञात हो सकता था जिसे हमारा मन कभी जान नहीं पाया;
वह समस्त सम्पादित हो सकता था जिसे कोई मनोरथ पूर्ण नहीं कर सका।
A limitless movement filled a limitless peace.
एक अनन्त शान्ति का अन्तर एक असीम गति से पूर्ण था।
In a profound existence beyond earth’s,
Parent or kin to our ideas and dreams
Where Space is a vast experiment of the soul,
In a deep oneness of all things that are,
The universe of the Unknown arose.
धरती से परे एक गम्भीर गहन अस्तित्व में,
जो हमारे आदर्शों और सपनों का जनक या सुहृद् है
और जहां का दिगन्तर इस जीव-सत्ता की एक विशाल प्रयोगशाला है,
एक अपार्थिव द्रव्य तत्त्व द्वारा यह हमारे लोक से जुड़ा है,
यहां समस्त सृष्टि के पदार्थ एक गहन एकात्मता में स्थित हैं
परम अज्ञेय का यह विश्व वहां उदित हो उठा।
A self-creation without end or pause
Revealed the grandeurs of the Infinite:
It flung into the hazards of its play
A million moods, a myriad energies,
The world-shapes that are fancies of its Truth
And the formulas of the freedom of its Force.
अविराम या अनन्त एक आत्म-सृष्टि ने
चिरन्तन प्रभु के वैभवों को अभिव्यक्त कर दिया:
जिसने अपनी लीला के असंख्य मनोभावों, असंख्य शक्तियों को,
साहसी संकटों से पूर्ण कर्मों में झोंक दिया है,
इस जगत् के आकार इसके शाश्वत सत्य की कल्पनाएं हैं
और इसकी आद्या-शक्ति की स्वतन्त्रता के सूत्र हैं।
It poured into the Ever-stable’s flux
A bacchic rapture and revel of Ideas,
A passion and motion of everlastingness.
इसने सनातन-स्थैर्य के प्रवाह में उंडेल दिया है
एक मदहोशी के आह्लाद और परा-भावों के उत्सव को,
एक आवेश और गति की चिर अनन्तता को।
There rose unborn into the Unchanging’s surge
Thoughts that abide in their deathless consequence,
Words that immortal last though fallen mute,
Acts that brought out from Silence its dumb sense,
Lines that convey the inexpressible.
वहां उस अविकारी दिव्य उफान में अजात उदित हो उठे
ऐसे परम-विचार जो अपने अमर परिणाम में बसते हैं
ऐसे दिव्य-शब्द जो चिर अमर हैं पर मूक हो गये हैं,
वे सत्कर्म जो चिर नीरवता से अपना मौन अर्थ निकाल लाये हैं,
परिपूर्ण रेखाएं जो अव्यक्त का वर्णन करती हैं।
The Eternal’s stillness saw in unmoved joy
His universal Power at work display
In plots of pain and dramas of delight
The wonder and beauty of her will to be.
चिरन्तन ब्रह्म की निश्चल स्थिरता ने अटल-हर्ष से
अपनी वैश्विक पराशक्ति को कर्मरत अवलोका,
जो पीड़ा के कथानकों में और सुखपूर्ण नाटकों में
अपने अस्तित्व के संकल्प के आद़्भुत्य और सौन्दर्य को अभिव्यक्त करती है।
All, even pain, was the soul’s pleasure here;
Here all experience was a single plan,[95]
The thousandfold expression of the One.
यहां समस्त, यहां तक कि पीड़ा भी आत्म-आह्लाद है,
यहां पर सकल अनुभव एक ही योजना के भाग हैं,
उस परमैकम् प्रभु की सहस्त्रमुखी अभिव्यक्ति हैं।
All came at once into his single view;
Nothing escaped his vast intuitive sight,
Nothing drew near he could not feel as kin:
He was one spirit with that immensity.
ये सब नृप की एकाकी द़ृष्टि के सम्मुख एक साथ आ प्रकटे;
उसकी विशाल अन्तर्द़ृष्टि से अब कुछ भी बचा नहीं रहा था;
कुछ भी ऐसा पास न आया जो उसे अपने जैसा नहीं लगा:
उस विराटता के साथ वह अब एकात्म था।
Images in a supernal consciousness
Embodying the Unborn who never dies,
The structured visions of the cosmic Self
Alive with the touch of being’s eternity
Looked at him like form-bound spiritual thoughts
Figuring the movements of the Ineffable.
एक दिव्य परा-चेतना के प्रतिबिम्बों ने
जो अमर अजात प्रभु को रूपायित करते थे,
ब्रह्माण्डीय परमात्मा के इन सुनिर्मित देवदर्शनों ने
जो सत्ता की शाश्वतता के स्पर्श से सजीव थे,
उसे आध्यात्मिक विचारों से गठित आकार सम देखा
जो अनिर्वचनीय परम की गतियों को रूपायित कर रहा था।
Aspects of being donned world-outline; forms
That open moving doors on things divine,
Became familiar to his hourly sight;
The symbols of the Spirit’s reality,
The living bodies of the Bodiless
Grew near to him, his daily associates.
उसकी सत्ता के पक्षों ने जगत्-रूप-रेखा को धारण कर लिया;
इन आकारों ने दिव्य वस्तुओं पर संचारित द्वारों को खोल दिया,
उसकी घण्टों में विभाजित द़ृष्टि के लिए अब वे परिचित हो गये;
ये उसके लिए परमात्मा की यथार्थता के प्रतीक थे,
अदेही प्रभु के जीवित शरीर रूप थे
जो उसके समीप खिंच आये उसकी दिनचर्या के सहचर थे।
The exhaustless seeings of the unsleeping Mind,
Letterings of its contact with the invisible,
Surrounded him with countless pointing signs;
The voices of a thousand realms of Life
Missioned to him her mighty messages.
निद्राविहीन उच्चमन के इन अक्लान्त द़ृश्यों ने
अद़ृश्य के साथ हुए इसके सम्पर्क के वचनों ने,
योगी को अनगिनत संकेत करते चिह्नों के साथ चहुं ओर से घेर लिया;
महाप्राण के सहस्त्र राज्यों की ये वाणियां
अपने प्रबल सन्देशों को राजा तक पठातीं।
The heaven-hints that invade our earthly lives,
The dire imaginations dreamed by Hell,
Which if enacted and experienced here
Our dulled capacity soon would cease to feel
Or our mortal frailty could not long endure,
Were set in their sublime proportions there.
वे स्वर्गिक-संकेत जो हमारे पार्थिव जीवनों पर आक्रमण करते हैं,
घोर नरक द्वारा सपनायी गयी वे क्रूर कल्पनाएं,
यदि उनका अनुभव हम यहां पर कर पाये या वे यहां कार्यान्वित हो जायें
तब अनुभूति की हमारी दुर्बल क्षमता शीघ्र ही पतित हो नष्ट हो जायेगी
या हमारी मानवीय निर्बल सामर्थ्य उसे अधिक समय सह नहीं पायेगी,
किन्तु वहां अपने सूक्ष्म दिव्य अनुपात में वे सुनियोजित थीं।
There lived out in their self-born atmosphere,
They resumed their topless pitch and native power;
Their fortifying stress upon the soul
Bit deep into the ground of consciousness
The passion and purity of their extremes,
The absoluteness of their single cry
And the sovereign sweetness or violent poetry
Of their beautiful or terrible delight.[96]
वहां अपने आत्म-जात वातावरण में वास करतीं,
अब उन्होंने अपनी उच्चतम-स्वरमान तथा नैसर्गिक शक्ति पुनः धारण कर ली;
उसकी चैत्य सत्ता पर पड़ते उनके सुद़ृढ़ दबाव ने
गहनता तक काट डाला चेतना की भूमि को
अपनी विशुद्ध पवित्रता और आवेश की पराकाष्ठा तक उठा दिया,
अपनी अद्वितीय चीत्कार की परिपूर्णता
और अपनी निरंकुशी मधुरता या काव्य की उग्रता तक पहुंचा दिया
जो उनके सौन्दर्य की अथवा प्रचण्ड सुख की पराकाष्ठा थी।
All thought can know or widest sight perceive
And all that thought and sight can never know,
All things occult and rare, remote and strange
Were near to heart’s contact, felt by spirit-sense.
वह सब जिसे विचार द्वारा जाना अथवा दूर-द़ृष्टि द्वारा देखा जा सकता है
और वह समस्त जिसे विचार औ’ द़ृष्टि से कभी कोई जान नहीं सका है,
सकल वस्तुएं जो गुह्य औ’ दुर्लभ अति दूर औ’ अपरिचित हैं
अब उसके हृदय-संस्पर्श के समीप, आत्मबोध द्वारा अनुभव की जाती थीं।
Asking for entry at his nature’s gate.
They crowded the widened spaces of his mind,
His self-discovery’s flaming witnesses,
Offering their marvel and their multitude.
उसकी प्रकृति के द्वारों से प्रवेश करने की अनुमति मांगती
राजा के मन के विस्तृत प्रांगणों में वे भीड़ लगाये थीं,
वे उसके आत्मानुसंधान एवं आत्मसिद्धि की तेजस्वी साक्षी थीं,
अब वे अपने चमत्कार औ’ विविधताओं को उसे अर्पित कर रही थीं।
These now became new portions of himself,
The figures of his spirit’s greater life,
The moving scenery of his large time-walk
Or the embroidered tissue of his sense:
These took the place of intimate human things
And moved as close companions of his thoughts,
Or were his soul’s natural environment.
ये सकल अब उसके व्यक्तित्व के नवीन अंश बन गयीं,
उसकी चैत्य-सत्ता के महत्तर जीवन की आकृतियां बन गयीं,
उसके महान् त्रिकालीय-विचरण की ये चलती-फिरती द़ृश्यावलियां थीं
या उसके संवेदन की कसीदा की हुई महीन तंतुजाल थीं:
इन्होंने उसकी अभिन्न मानवीय वस्तुओं का स्थान ले लिया था
और उसके विचारों के अंतरंग साथियों सम समीप खिंच आयी थीं,
अथवा उसके आत्म-परिवेश का सहज वातावरण बन गयीं।
Tireless the heart’s adventure of delight,
Endless the kingdoms of the Spirit’s bliss,
Unnumbered tones struck from one harmony’s strings;
Each to its wide-winged universal poise,
Its fathomless feeling of the All in one,
Brought notes of some perfection yet unseen,
Its single retreat into Truth’s secrecies,
Its happy sidelight on the Infinite.
उसके हृदय की साहसी-यात्रा का हर्ष क्लान्तिहीन अथक था,
जीवात्मा के आनन्द के साम्राज्य अनन्त हैं,
एक तालमयी वीणा के तारों से असंख्य मधुर तरंगें फूटतीं;
प्रत्येक अपने विशाल पंखों पर विश्व-सन्तुलन धारण किये,
सर्व-भूतात्मा में एकात्मा की अपनी अगाध भावना लिये थी,
अभी तक अनदेखी किसी परिपूर्णता से वे स्वरों को निकाल लायी थीं,
दिव्य सत्य की गोपनीयताओं के अपने एकाकी आश्रय से,
चिरन्तन के अपने सुखदायी परोक्ष प्रकाश से बाहर ले आयीं।
All was found there the Unique had dreamed and made
Tinging with ceaseless rapture and surprise
And an opulent beauty of passionate difference
The recurring beat that moments God in Time.
वहां पर यह समस्त विद्यमान था जिसे अद्वितीय-प्रभु ने सपनाया औ’ रचा था,
सब अविरत आह्लाद औ’ आद़्भुत्य से गुंजित रहता
और आवेशपूर्ण विभेद के एक समृद्धिशाली सौन्दर्य से भरा रहता
सकल पुनरावर्ती धड़कन है जिसने प्रभु को काल के क्षणों में बांट दिया।
Only was missing the sole timeless Word
That carries eternity in its lonely sound,
The Idea self-luminous key to all ideas,
The integer of the Spirit’s perfect sum
That equates the unequal All to the equal One,
The single sign interpreting every sign,
The absolute index to the Absolute.
केवल एकमात्र कालातीत आदि शब्द का अभाव था
जो अपने एकाकी नाद में चिरन्तन को धारण कर चलता है,
वह विभाव जो समस्त भावों की आत्म-ज्योतित कुंजी है,
विश्वात्मा के परिपूर्ण योग फल का पूर्णांक है
वही विषम समष्टि को परमैकम् के समान सम कर देता है,
वही अकेला चिह्न है जो प्रत्येक चिह्न की व्याख्या करता है,
परिपूर्ण-तत्त्व को दर्शाती परम निर्देश-तालिका है।
There walled apart by its own innerness [97]
In a mystical barrage of dynamic light
He saw a lone immense high-curved world-pile
Erect like a mountain chariot of the Gods
Motionless under an inscrutable sky.
वहां अपनी आन्तरिकता द्वारा चारदीवारी में पृथक्
ओजपूर्ण-प्रकाश के एक गुह्य बांध में घिरा
राजा ने एक एकाकी अतिविशाल उन्नत वक्राकार जगत्-पुंज देखा
जो देवताओं के हिमगिरि रथ के समान सीधा खड़ा
एक निगूढ़ अम्बर तले अचल गतिहीन स्थित था।
As if from Matter’s plinth and viewless base
To a top as viewless, a carved sea of worlds
Climbing with foam-maned waves to the Supreme
Ascended towards breadths immeasurable;
It hoped to soar into the Ineffable’s reign:
A hundred levels raised it to the Unknown.
मानों जड़तत्त्व की नींव और अगोचर आधार से
एक उतने ही अद़ृश्य शिखर तक ऊंचा, यह लोकों के
एक उत्कीर्ण सिंधुसम फेनिल लहरों से सज्जित, परमेश के
मापातीतविस्तारों की ओर आरोहण करता चढ़ रहा था;
वह अनिर्वचनीय देवके साम्राज्य तक उन्नत हो जाने की आशा करता:
एक शतक-स्तरों ने उसे अज्ञेय प्रभु तक उठा दिया था।
So it towered up to heights intangible
And disappeared in the hushed conscious Vast
As climbs a storeyed temple-tower to heaven
Built by the aspiring soul of man to live
Near to his dream of the Invisible.
अत: यह स्पर्शागम्य उच्चताओं तक उन्नत हो गया
और नीरव चैतन्य विराट् में ऐसे लोप हो गया
जैसे अनेक स्तरों के एक मन्दिर का शिखर नभ को छू रहा हो,
जिसे मानव की अभीप्सु आत्मा ने निर्माण किया था
अपने स्वप्न के अगोचर प्रभु के समीप वास करने को।
Infinity calls to it as it dreams and climbs;
Its spire touches the apex of the world;
Mounting into great voiceless stillnesses
It marries the earth to screened eternities.
ज्यों ज्यों यह सपनाता है औ’ आरोहण करता है चिरन्तन इसे टेरता है;
इसका शिखर जगत् के शिरोबिन्दु का स्पर्श करता है;
महती निशब्द स्थिर अचलताओं में चढ़ता
यह पृथ्वी का गठबन्धन पटाच्छादित शाश्वतताओं से कर देता है।
Amid the many systems of the One
Made by an interpreting creative joy
Alone it points us to our journey back
Out of our long self-loss in Nature’s deeps;
Planted on earth it holds in it all realms:
It is a brief compendium of the Vast.
परम ब्रह्म की अनेक व्यवस्थाओं के मध्य
इसे एक व्याख्याकार सर्जनात्मक आनन्द ने बनाया है
केवल यही इंगित कर हमें हमारी वापसी की यात्रा दिखाता है,
जो अपरा प्रकृति के गर्तों में हमारे दीर्घ आत्मविस्मृति से बाहर निकलने का पथ;
यह पृथ्वी पर रोपित हो अपने में सकल स्तरों को धारण किये हैं:
परम-विराट् रूप का यह एक संक्षिप्त सारसंग्रह है।
This was the single stair to being’s goal.
सत्ता को लक्ष्य तक ले जाता केवल यही एक सोपान है।
A summary of the stages of the spirit,
Its copy of the cosmic hierarchies
Refashioned in our secret air of self
A subtle pattern of the universe.
आत्म-पुरुष की विभिन्न अवस्थाओं का एक सारांश है,
विश्व क्रम-परम्पराओं की अपनी ही प्रतिलिपि है,
यह हमारी चैत्य सत्ता के गुह्यवातावरण में पुनः सजाया गया
इस ब्रह्माण्ड का एक सूक्ष्म-नमूना है।
It is within, below, without, above.
यह अन्तर में है, अधर में, बाहर और ऊर्ध्व में है।
Acting upon this visible Nature’s scheme
It wakens our earth-matter’s heavy doze
To think and feel and to react to joy;
It models in us our diviner parts,
Lifts mortal mind into a greater air,[98]
Makes yearn this life of flesh to intangible aims,
Links the body’s death with immortality’s call:
Out of the swoon of the Inconscience
It labours towards a superconscient Light.
यह द़ृश्य विश्व-प्रकृति की योजना पर अनवरत कार्य करते हुए
हमारी पार्थिव जड़ता को तमसिलतन्द्रा से जगा देता है
उसे सोचने औ’ अनुभव करने हर्ष कीओर प्रेरित करता है;
यह हमारे अन्तर में हमें दिव्यतर आदर्शों की ओर ढालता है,
मानव-मन को एक महत्तर परिवेष कीओर समुन्नत कर देता है,
इस भोगी जीवन को अतीन्द्रिय लक्ष्यों की ओर लालायित करता है,
इस देह की मृत्यु के साथ अमरत्व की पुकार जोड़ देता है:
घोर-अचित् की इस मूर्छा से बाहर निकल
यह एक पराचेतना की दिव्यज्योति कीओर बढ़ने का प्रयास करता है।
If earth were all and this were not in her,
Thought could not be nor life-delight’s response:
Only material forms could then be her guests
Driven by an inanimate world-force.
यदि यहां पर मात्र सब जड़माटी ही होता और उसमें सत् का अस्तित्व न होता,
तब विचार का अस्तित्व न होता और न प्राण में आह्लाद का प्रत्युत्तर गूंजताः
केवल जड़ आकार ही तब धरा के अतिथि होते
एक अचेत भौतिक जड़ ऊर्जा द्वारा सब संचारित होते।
Earth by this golden superfluity
Bore thinking man and more than man shall bear;
This higher scheme of being is our cause
And holds the key to our ascending fate;
It calls out of our dense mortality
The conscious spirit nursed in Matter’s house.
पृथ्वी ने इस स्वर्णिम अतिशयता द्वारा
मनीषी मानव को उत्पन्न किया और अब अतिमानव को वहन करेगी;
सत्ता की यही महत्तर योजना ही हमारा कारण है
जिसमें हमारे उन्नत होते महत्तर भाग्य की कुंजी छिपी है;
हमारी सघन जड़ नश्वरता से यह बाहर पुकारती है
उस सचेत चैत्य-सत्ता को जिसे पूर्णत: जड़-तत्त्व के घर में पोषा गया है।
The living symbol of these conscious planes,
Its influences and godheads of the unseen,
Its unthought logic of Reality’s acts
Arisen from the unspoken truth in things,
Have fixed our inner life’s slow-scaled degrees.
यही सजीव प्रतीक है इन सचेत स्तरों की,
इसके प्रभावों की और अगोचर के दिव्यांशों की,
इसके विचारहीन विवेक में जाग्रत् परम सत् के कार्यों की
जो वस्तुओं में निहित अकथ सत्य से उदित हो,
हमारे अन्तर्जीवन की चिर-कालिक गति-मात्राओं को निश्चित कर देत हैं।
Its steps are paces of the soul’s return
From the deep adventure of material birth,
A ladder of delivering ascent
And rungs that Nature climbs to deity.
पार्थिव-जन्म की गम्भीर दुःसाहसी यात्रा से
आत्मा के प्रत्यावर्तन की गतियां भी इसी के चरण हैं,
मुक्तिदायिनी आरोहण की यह एक सीढ़ी है
और श्रेणियां हैं जिस पर से प्रकृति देवत्व की ओर चढ़ती है।
Once in the vigil of a deathless gaze
These grades had marked her giant downward plunge,
The wide and prone leap of a godhead’s fall.
एक समय अमर चितवन के निरीक्षण में
इन लोक-श्रेणियों ने उसका घोर अधोमुखी पतन लक्ष्य किया था,
एक देवत्व के पतन की यह विशाल सीधी छलांगथी।
Our life is a holocaust of the Supreme.
हमारा यह जीवन परम पुरुष की एक पूर्णाहुति है।
The great World-Mother by her sacrifice
Has made her soul the body of our state;
Accepting sorrow and unconsciousness
Divinity’s lapse from its own splendours wove
The many-patterned ground of all we are.
परमेश्वरी जगन्माता ने अपने बलिदान द्वारा
अपनी आत्म-सत्ता से हमारे भौतिक स्तर की इस देह को रचा है;
दुःख और अज्ञानता की अचेतनता को स्वीकारा है
उसने दिव्यता को त्यागकर अपनी आत्म-विभूतियों एवं भव्यताओं से
हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व की विविधताओं से पूर्ण भूमि को बनाया है।
An idol of self is our mortality.
हमारी नश्वर अनित्यता आत्म-तत्त्व से बनी एक प्रतिमा है।
Our earth is a fragment and a residue;
Her power is packed with the stuff of greater worlds
And steeped in their colour-lustres dimmed by her drowse;[99]
An atavism of higher births is hers,
Her sleep is stirred by their buried memories
Recalling the lost spheres from which they fell.
हमारी पृथ्वी एक अंश और एक अवशेष है;
महत्तर लोकों के तत्त्वों से उसका ऊर्जा बल भरपूर है
और उनके रंगों की आभा से निमज्जित है जो जड़-तन्द्रा से धूमिल हो गयी है;
दैवी-महत्तर जन्मों की एक वंशावली उसकी है,
जिनकी दबी स्मृतियां उसे नीद में व्याकुल कर जाती हैं
उन विस्मृत स्तरों की जहां से वह गिरी थी याद दिला जाती हैं।
Unsatisfied forces in her bosom move;
They are partners of her greater growing fate
And her return to immortality;
They consent to share her doom of birth and death;
They kindle partial gleams of the All and drive
Her blind laborious spirit to compose
A meagre image of the mighty Whole.
उसका वक्षस्थल असन्तुष्ट शक्तियों से आन्दोलित हो उठता है;
ये अस्थिर ऊर्जाएं उसके महत्तर उन्नत होते भाग्य की सहभागी हैं
और अमरत्व कीओर उसकी वापिसी की सहचरी हैं;
उन्होंने जन्म औ’ मृत्यु के सर्वनाश में उसका साथ स्वीकारा है;
वे सर्वेश्वर की आर्थिक झलकें सबमें प्रज्वलित करती हैं
और पृथ्वी की अन्धी श्रमरत चैत्य सत्ता को संचारित करती हैं
उस सर्व-समर्थ पूर्णेश्वर की एक लघु प्रतिछवि रचने को।
The calm and luminous Intimacy within
Approves her work and guides the unseeing Power.
अन्तर में रहती शान्त दीप्तिपूर्ण परम-दिव्य अंतरंगता
उसके श्रम का समर्थन करती है और इस अन्धी महाशक्ति का मार्गदर्शन करती है।
His vast design accepts a puny start.
परम-पुरुष की विशाल योजना ने एक लघु आरम्भ स्वीकारा है।
An attempt, a drawing half-done is the world’s life;
Its lines doubt their concealed significance,
Its curves join not their high-intended close.
इस जगत् का जीवन एक प्रयास, एक अधूरा बना चित्र है;
जिसकीरेखाएं अपनी गोपित महत्ता पर शंका करती हैं,
क्योंकि इसके गोल-घुमाव उच्च अभीष्ट रेखाओं को जोड़ते नहीं लगते हैं।
Yet some first image of greatness trembles there,
And when the ambiguous crowded parts have met
The many-toned unity to which they moved,
The Artist’s joy shall laugh at reason’s rules;
The divine intention suddenly shall be seen,
The end vindicate intuition’s sure technique.
फिर भी किसी सुमहत्ता की प्रथम छवि वहां कम्पित है,
और जब उस धूमिल चित्र के विभिन्न खण्ड आपस में
उस बहुरंगी एकता में जिसकी ओर वे गतिशील थे जुड़ मिल जायेंगे
तब वह दिव्य-कलाकार आनन्द से तर्क के नियमों पर हंसेगा;
दिव्य अभिप्राय सहसा प्रत्यक्ष हो जायेगा,
अन्त में यह परिणाम अन्तर्बोध की निश्चित योजना सिद्ध कर देगा।
A graph shall be of many meeting worlds,
A cube and union crystal of the gods;
A Mind shall think behind Nature’s mindless mask,
A conscious Vast fill the old dumb brute Space.
तब सृष्टि बहु-सम्मिलित लोकों की एक मापचित्र होगी,
देवताओं का एक स्फटिक सम पारदर्शी संघ औ’ संयोजना होगी;
अपरा-प्रकृति के मनहीन मुखौटे के पीछे एक सत्य-मन मनन करेगा,
एक सचेत विराट् इस पुरातन मूक जड़ दिगन्तर को भर देगा।
This faint and fluid sketch of soul called man
Shall stand out on the background of long Time
A glowing epitome of eternity,
A little point reveal the infinitudes.
अन्तरात्मा का यह धूमिल और अस्थिर रेखांकन जिसे मानव कहा जाता है
दीर्घ युगों की पृष्ठभूमि पर अलग खड़ा दमकेगा
चिरन्तनता का एक दीप्तिमय सारांश यह,
नित्यताओं को प्रकटाता एक नन्हा बिन्दु है।
A Mystery’s process is the universe.
यह विश्व एक परम-रहस्य की प्रक्रिया है।
At first was laid a strange anomalous base,
A void, a cipher of some secret Whole,
Where zero held infinity in its sum
And All and Nothing were a single term,
An eternal negative, a matrix Nought:[100]
Into its forms the Child is ever born
Who lives for ever in the vasts of God.
यहां सर्वप्रथम एक अनोखा अनियमित आधार रखा गया था,
यह किसी गुह्य पूर्णब्रह्म का एक सिफर, एक शून्य था,
अपने योगफल में शून्य अनन्तता को समेटे था
और अखिल और निखिल एक संज्ञा थी एक एकाकी शब्द था,
एक शाश्वत नकार, महाशून्य एक गर्भकोष है:
इसके आकारों में शिशु-रूप नित्य परमात्मा जन्मता है
जो परमेश्वर के विस्तारों में सतत वास करता है।
A slow reversal’s movement then took place:
A gas belched out from some invisible Fire,
Of its dense rings were formed these million stars;
Upon earth’s new-born soil God’s tread was heard.
तब एक धीमी प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया घटित हुई:
किसी अद़ृष्ट महाज्वाल से एक गैस का बादल फूट पड़ा,
जिसके घन-चक्रों से इन लक्ष-लक्ष तारों का सर्जन हुआ;
पृथ्वी की नवजात माटी पर प्रभु-चरणों की चाप सुनायी दी।
Across the thick smoke of earth’s ignorance
A Mind began to see and look at forms
And groped for knowledge in the nescient Night:
Caught in a blind stone-grip Force worked its plan
And made in sleep this huge mechanical world,
That Matter might grow conscious of its soul
And like a busy midwife the life-power
Deliver the zero carrier of the All.
भूमि की अज्ञानता की प्रगाढ़ धूम्रता के उस ओर से
एक मन-चेतना ने देखना और आकारों का निरीक्षण आरम्भ कर दिया
और निश्चेतना की महारात्रि में ज्ञान के लिए टटोलने लगा:
एक अन्धी वज्र पकड़ में जकड़ीदैवीशक्ति ने अपनी योजना पर कार्य कर
तामसिक तन्द्रा में विशाल यान्त्रिक जग रच डाला,
जिससे जड़तत्त्व अपनी चैत्य सत्ता के प्रति सचेत हो सके
और एक व्यस्त धाय समान यह प्राण-शक्ति
उस महाशून्य का प्रसव करा दे जो सर्वेश्वर को धारण किये है।
Because eternal eyes turned on earth’s gulfs
The lucent clarity of a pure regard
And saw a shadow of the Unknowable
Mirrored in the Inconscient’s boundless sleep,
Creation’s search for self began its stir.
क्योंकि शाश्वत नयनों की एक विशुद्ध चितवन
अभिदीप्त विमलता से पूर्ण हो धरती के गर्तों की ओर घूम गयी
और जड़-अचित् की अगाध निद्रा में प्रतिबिम्बित
अज्ञेय-प्रभु की एक छाया उसमें दिखायी दी,
सृष्टि में आत्म-तत्त्व की खोज हित इसका अन्तर मन्थन आरम्भ हो गया।
A spirit dreamed in the crude cosmic whirl,
Mind flowed unknowing in the sap of life
And Matter’s breasts suckled the divine Idea.
इस अधबने ब्रह्माण्डीय भंवर में एक आत्म-चेतना ने सपना देखा,
प्राण-जीवन के सार-तत्त्व में मन अनजाने प्रवाहित हो उठा
और जड़-तत्त्व के स्तनों से दिव्य-विभाव ने पोषण पाया।
A miracle of the Absolute was born,
Infinity put on a finite soul,
All ocean lived within a wandering drop,
A time-made body housed the Illimitable.
सच्चिदानन्द का एक चमत्कार यहांजन्मा,
चिरन्तन ने एक सान्त-जीव का रूप धर लिया,
इस एक भ्रमणशील बिन्दु के अन्तर में समस्त सागर आ समाया,
एक काल-रचित देह में असीम-प्रभु ने घर बना लिया।
To live this Mystery out our souls came here.
इसी दिव्य रहस्य के समाधान हित हमारी आत्माएं यहां उतरी हैं।
A Seer within who knows the ordered plan
Concealed behind our momentary steps,
Inspires our ascent to viewless heights
As once the abysmal leap to birth and life.
हमारे अन्तर में एक आत्म-द्रष्टा है वह इस नियमित योजना को जानता है
जो हमारे क्षणिक संसारी कदमों के पीछे आवृत है,
वह अद़ृश्य उच्चताओं की ओर हमारे आरोहण को प्रेरित करता है
जैसे कि कभी पृथ्वी और जीवन के अथाह सागर में कूदने को किया था।
His call had reached the Traveller in Time.
अब उस परम द्रष्टा का आवाहन महाकाल के योगी पथिक तक पहुंच गया था।
Apart in an unfathomed loneliness,
He travelled in his mute and single strength
Bearing the burden of the world’s desire.[101]
एक अगाध गहन एकाकीपन में सबसे पृथक्,
वह अपनी मूक और अकेली शक्ति में
संसार कामना का भारी बोझ उठाये यात्रा करता गया।
A formless stillness called, a nameless Light.
एक निराकारी चरम अटल स्थिरता ने, एक अनामी पराज्योति ने उसे पुकारा था।
Above him was the white immobile Ray,
Around him the eternal Silences.
उसके ऊर्ध्व में शुभ्र अटल दिव्य किरण स्थित थी,
उसके चहुं-दिश शाश्वत आत्म-नीरवताओं की शान्ति थी।
No term was fixed to the high-pitched attempt;
World after world disclosed its guarded powers,
Heaven after heaven its deep beatitudes,
But still the invisible Magnet drew his soul.
उस उच्च-स्तरीय प्रयास हित कोईशर्त और अवधि निश्चित नहीं थी;
लोक के बाद लोक अपनी गोपित सुरक्षित शक्तियां प्रकटाते गये,
स्वर्ग के परे अन्य स्वर्ग अपना गम्भीर आनन्द लुटाते गये,
किन्तु अभी भी अद़ृश्य दैवी-आकर्षण उसकी आत्मा को खींचता था।
A figure sole on Nature’s giant stair,
He mounted towards an indiscernible end
On the bare summit of created things.[102]
विशाल-प्रकृति के विराट् सोपान पर वह एक अकेला आकार था,
सृष्ट पदार्थों के परे उस नग्न शिखर पर खड़ा
वह एक अद़ृश्य अस्पष्ट लक्ष्य कीओर बढ़ता जा रहा था।
END OF CANTO ONE