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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Two. Canto Five (Eng-Hindi)

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BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS

Canto Five. The Godheads of the Little Life

 

A fixed and narrow power with rigid forms,
He saw the empire of the little life,
An unhappy corner in eternity.

एक द़ृढ़ जड़ सीमित शक्ति, जिसके आकार अनम्य थे,
ऐसी लघु प्राणशक्ति के साम्राज्य को योगी ने देखा,
शाश्वतता में यह एक आनन्दविहीन कोना था।

It lived upon the margin of the Idea
Protected by Ignorance as in a shell.

विभाव के एक सीमान्त पर यह स्थित
एक सीपी के कोशसम अविद्या में सुरक्षित रहता।

Then, hoping to learn the secret of this world
He peered across its scanty fringe of sight,
To disengage from its surface-clear obscurity
The Force that moved it and the Idea that made
Imposing smallness on the Infinite,
The ruling spirit of its littleness,
The divine law that gave it right to be,
Its claim on Nature and its need in Time.

तब, इस जग के रहस्य को जानने की आशा में
उसने इसकी छितरी झालर के द़ृश्य से परे झांका
जिससे इसकी सतही स्वच्छ दिखती धूमिलता से पृथक् कर देख सके
उस दिव्य-ऊर्जा को जो इसकी संचालिका है और इसके स्रष्टा विभाव को,
जिसने अनन्तता पर यह लघुता अध्यारोपित की है,
इस लघुता की अधिष्ठात्री उस आत्म-सत्ता को देख सके,
उस दैवी विधान को जिसने इसे अस्तित्व में आने का अधिकार दिया है,
त्रिकाल में इसकी अनिवार्यता को और विश्व-प्रकृति पर इसके दावे को जान सके।

He plunged his gaze into the siege of mist
That held this ill-lit straitened continent
Ringed with the skies and seas of ignorance
And kept it safe from Truth and Self and Light.

योगी ने अपनी द़ृष्टि कुहासे की घेराबन्दी में डुबो दी
जिसने इस अल्प-प्रकाश के संकीर्ण महाद्वीप का जकड़ रखा था
यह अज्ञान के महासागरों और आकाशों से आच्छादित था
जो इसकी अमर सत्य और परमतत्त्व औ’ दिव्य ज्योति से रक्षा करते थे।

As when a searchlight stabs the Night’s blind breast
And dwellings and trees and figures of men appear
As if revealed to an eye in Nothingness,
All lurking things were torn out of their veils
And held up in his vision’s sun-white blaze.

जैसे कि एक तीव्र विद्युतीय प्रकाश उस घोर रात्रि के अंधे वक्ष को वेध जाये
और हठात् आवासों और वृक्षों और मानवकारों को प्रकटा दे
मानों शून्याकाश में एक नेत्र के समक्ष सब प्रकाश में आ जाये,
समस्त छिपी चिपकी वस्तुओं को उनके आवरण से निकाल लिया गया
और एक सूर्य-ज्योति-पुंज सम उसकी द़ृष्टि के समक्ष धर लिया गया।

A busy restless uncouth populace
Teemed in their dusky unnoted thousands there.

यह एक व्यस्त अस्थिर असभ्य जनसमाज था
वहां यह अलक्ष्य अपनी निरानन्दी अवस्था में सहस्त्रों की संख्या में भरा हुआ था।

In a mist of secrecy wrapping the world-scene
The little deities of Time’s nether act
Who work remote from Heaven’s controlling eye,
Plotted, unknown to the creatures whom they move,
The small conspiracies of this petty reign
Amused with the small contrivings, the brief hopes
And little eager steps and little ways[151]
And reptile wallowings in the dark and dust,
And the crouch and ignominy of creeping life.

कुहरे के रहस्यमय पर्दे के पीछे छिपे इस जग-द़ृश्य के
लघु-देवता हैं जो त्रिकाल के निम्नस्तरीय कर्म के कार्यकर्ता हैं
ये सुरलोक के नियन्त्रणकारी नेत्र से दूर कार्यरत हैं,
वे षड्यन्त्र रचते, उन प्राणियों के अनजाने जिनका वे संचालन करते,
इस क्षुद्र साम्राज्य की इन छोटी कपट-युक्तियों से
इन लघु कपट चालों से वे अपना मनोरंजन करते,
क्षणिक आशाओं और छोटे आतुर चरणों और अपनी निम्न विधाओं से,
और अन्धकार एवं माटी में मुदित लोटते सरीसृपों से,
घिसटते जीवन के अपयश और पतन से हर्षित होते।

A trepidant and motley multitude,
A strange pell-mell of magic artisans
Was seen moulding the plastic clay of life,
An elfin brood, an elemental kind.

एक त्रास में पड़ेऔर बेमेल जीवनों की भीड़ थी,
इस क्षेत्र में मायावी शिल्पियों की एक विचित्र रेल-पेल थी
जो जीवन की नमनीय माटी से गढ़ते दिख रहे थे,
एक बौने के कुलोंको, जो आदिकालीन प्राथमिक वर्ग के थे।

Astonished by the unaccustomed glow,
As if immanent in the shadows started up
Imps with wry limbs and carved beast visages,
Sprite prompters goblin-wizened or faery-small,
And genii fairer but unsouled and poor
And fallen beings, their heavenly portion lost,
And errant divinities trapped in Time’s dust.

मानों एक अनभ्यस्त चमक से चौंक कर,
उन छायाओं में छिपे अन्तर्यामी ने आरम्भ कर दिये
टेढ़े तिरछे हाथ-पांव के और पाशविक मुखों के आकारों को,
भूत जिन्न संचालकों को, कंकाली पिशाचों या छोटी परियों को,
सुन्दर जिन्नियों को जो आत्महीन और दरिद्र थीं
और पतित सत्ताओं को, जो स्वर्गिक अंश खो चुकी थीं
और पथभ्रष्ट दिव्यताओं को जो काल की धूलि में कैद थीं।

Ignorant and dangerous wills but armed with power,
Half-animal, half-god their mood, their shape.

घोर अज्ञानी और संकट से पूर्ण संकल्प बल से सज्जित थे,
उनकी आकृतियां अर्धपशु की, उनके मनोरथ अर्धदिव्य थे।

Out of the greyness of a dim background
Their whispers come, an inarticulate force,
Awake in mind an echoing thought or word,
To their sting of impulse the heart’s sanction draw,
And in that little Nature do their work
And fill its powers and creatures with unease.

एक धूमिल पृष्ठभूमि की कालिमा से
उनकीफुसफुसाहटें बाहर आतीं, एक अस्पष्ट-सी ऊर्जा सम,
मन में एक विचार या शब्द गुंजित कर देतीं,
उनके आवेश की दंशता हृदय से स्वीकृति खींच लेती,
और इस लघु विश्व-प्रकृति द्वारा वे निज कार्य-पूर्ति करतीं
और इसकी शक्तियों और प्राणियों को अशान्ति से भर देतीं।

Its seed of joy they curse with sorrow’s fruit,
Put out with error’s breath its scanty lights
And turn its surface truths to falsehood’s ends,
Its small emotions spur, its passions drive
To the abyss or through the bog and mire:
Or else with a goad of hard dry lusts they prick,
While jogs on devious ways that nowhere lead
Life’s cart finding no issue from ignorance.

इसके हर्ष के बीज को वे शोकरूपी फल से शापित करते
इसकी अति दुर्बल ज्योतियों को भूल-भ्रान्ति के श्वास से बुझा देते
और इसके धरातली सत्यों को मिथ्यावादी परिणामों में बदल देते,
इसकी क्षुद्र भावनाएं ठोकर लगातीं, इसके रागावेश धक्कादे
गर्त में गिरा या कीचड़ और दलदल के मध्य धकेल देते:
अन्यथा कठोर शुष्क वासनाओं के अंकुश से वे छेदते,
अंधी गलियों के भ्रान्त मार्गों पर जो कहीं नहीं ले जाते, दौड़ाते,
जीवन की इस गाड़ी को अज्ञान से निकलने का कोई निर्गम नहीं मिलता है।

To sport with good and evil is their law;
Luring to failure and meaningless success,
All models they corrupt, all measures cheat,
Make knowledge a poison, virtue a pattern dull
And lead the endless cycles of desire
Through semblances of sad or happy chance
To an inescapable fatality.[152]

शुभ और अशुभ के साथ खेलना उनका नियम है;
अर्थहीन सफलता और असफलता कीओर आकर्षित करते हैं,
सब प्रतिमानों को वे भ्रष्ट कर, सब मानदण्डों से कपट करते हैं,
ज्ञान को एक विष बना देते हैं, सद़्गुण को एक नीरस प्रतिमान
और कामना के इन अनन्त चक्रों में घूमते रहते हैं
दुःख और सुख के संयोग से मिले द़ृश्य प्रतीकों के मध्य चक्कर दे
वे एक अनिवार्य मृत्यु कीओर ले जाते हैं।

All by their influence is enacted there.

उस क्षेत्र में सब उनके प्रभाव के अन्तर्गत कार्य करते हैं।

Nor there alone is their empire or their role:
Wherever are soulless minds and guideless lives
And in a small body self is all that counts,
Wherever love and light and largeness lack,
These crooked fashioners take up their task.

पर उनका साम्राज्य या उनकी भूमिका केवल यहीं तक सीमित नहीं है:
जहां कहीं भी आत्माहीन मन और अनियन्त्रित जीवन है
और एक लघु काया में अहम् ही सबसे अधिक महत्त्व रखता है,
जहां कहीं प्रेम एवं प्रकाश तथा उदारता का अभाव है,
वहीं ये कुटिल शिल्पी अपना काम आरम्भ कर देते हैं।

To all half-conscious worlds they extend their reign.

सकल अर्ध-चेतन लोकों तक ये अपना राज्य-विस्तार करते हैं।

Here too these godlings drive our human hearts,
Our nature’s twilight is their lurking place.

इस पृथ्वी पर भी ये क्षुद्र-देव हमारे मानव हृदयों का संचालन करते हैं,
हमारे स्वभाव के अर्ध-प्रकाशित भागों में ये छिपे रहते हैं।

Here too the darkened primitive heart obeys
The veiled suggestions of a hidden Mind
That dogs our knowledge with misleading light
And stands between us and the truth that saves.

यहां पर भी एक धूमिल आदि-हृदय है जो एक गोपित आदि-मस्तिष्क के
आच्छादित सुझावों का अनुसरण कर उस पर चलता है,
यह मनशक्ति भ्रामक ऊपरी प्रकाश के साथ हमारे ज्ञान का पीछा करती है
और हमारे तथा संरक्षणकर्ता परमसत्य के मध्य पर्दा बन जाती है।

It speaks to us with the voices of the Night:
Our darkened lives to greater darkness move;
Our seekings listen to calamitous hopes.

यह अज्ञ कालरात्रि की वाचाओं के रूप में हमसे बोलती है:
हमारे कलुषित जीवनों को विशालतर अन्धकार की ओर धकेल देती है;
हमारी जिज्ञासाएं अनर्थकारी आशाओं की वाणी सुनती हैं।

A structure of unseeing thoughts is built
And reason used by an irrational Force.

अन्धेविचारों-संकल्पों का एक महल रच लेती है
और इसके लिए एक अविवेकी महाशक्ति तर्क का उपयोग करती है।

This earth alone is not our teacher and nurse;
The powers of all the worlds have entrance here.

मात्र यह पृथ्वी ही हमारी अकेली शिक्षिका और धात्री नहीं है;
यहां पर सकल लोकों की शक्तियां प्रवेश करती हैं।

In their own fields they follow the wheel of law
And cherish the safety of a settled type;
On earth out of their changeless orbit thrown
Their law is kept, lost their fixed form of things.

वे अपने निजी क्षेत्रों में अपने विधान-चक्रानुसार चलती हैं
और एक स्थिर निश्चित ढंग की सुरक्षा को पसन्द करती हैं;
पर जब वे अपनी अपरिवर्तनशील कक्षा से पृथ्वी पर क्षेपित हो आती हैं
तब अपना नियम सुरक्षित रखती हैं, पर अपनी वस्तुओं का निश्चित रूप खो देती हैं।

Into a creative chaos they are cast
Where all asks order but is driven by Chance;
Strangers to earth-nature, they must learn earth’s ways,
Aliens or opposites, they must unite:
They work and battle and with pain agree:
These join, those part, all parts and joins anew,
Till all have found their divine harmony.

यहांवे एक सर्जनात्मक अन्धेरगर्दी में ढाल दी जाती हैं
यहां जहां सब व्यवस्था की मांग करते हैं किन्तु दैवयोग से संचालित होते हैं;
पार्थिव-स्वभावसे अपरिचित, उन्हें पृथ्वी के ढंगों को सीखना होता है,
विदेशी हो या विरोधी, उन्हें एकता में जुड़ना होता है:
वे कार्य और संघर्ष करती हैं और पीड़ा को स्वीकारती हैं:
वे जुड़ती हैं, पृथक् होती हैं, फिर सबसे पृथक हो नवीनता से जुड़ जाती हैं,
किन्तु हम इस सत्य को कभी नहीं जानते और इस सत्य में नहीं जी सकते
जब तक सब अपनी दिव्य सामञ्जस्यता नहीं पा लेते हैं।

Our life’s uncertain way winds circling on,
Our mind’s unquiet search asks always light,
Till they have learnt their secret in their source,
In the light of the Timeless and its spaceless home,
In the joy of the Eternal sole and one. [153]

हमारा जीवन अनिश्चित पथ पर चक्कर लगाता घूमता है,
हमारे मन का अशान्त संधान सदैव प्रकाश मांगता है,
जब तक वह अपने मूल तत्त्व में इस रहस्य को नहीं प्राप्त कर लेता,
अकाल प्रभु के प्रकाश में और इसके दिशाहीन भुवन में,
एकाकी, अद्वितीय चिरन्तन के आनन्द में इस रहस्य को नहीं जान जाता।

But now the Light supreme is far away:
Our conscious life obeys the inconscience’ laws;
To ignorant purposes and blind desires
Our hearts are moved by an ambiguous force;
Even our mind’s conquests wear a battered crown.

किन्तु अभी तो वह पराज्योति अति सुदूर है:
हमारा सचेत जीवन इस अचित् के विधानों का अनुसरण करता है;
अज्ञानी उद्देश्यों और अन्धी कामनाओं की ओर
हमारे हृदय एक असत् शक्ति द्वारा संचारित होते हैं;
यहां पर हमारी मानसिक सफलताएं भी एक भग्न किरीट धारण किये हैं।

A slowly changing order binds our will.

एक शिथिल जड़परिवर्तन का नियम हमारे संकल्प को जकड़ रखता है।

This is our doom until our souls are free.

यही हमारा सर्वनाश है जब तक हम जीव-मुक्त नहीं हो जाते।

A mighty Hand then rolls mind’s firmaments back,
Infinity takes up the finite’s acts
And Nature steps into the eternal Light.

एक शक्तिशाली वरद-हस्त तब हमारे मन के पटों को उठा देता है,
तब नित्यता इन अनित्य कर्मों का भार उठा लेती है
और अपरा-प्रकृति शाश्वत पराज्योति में पदार्पण करती है।

Then only ends this dream of nether life.

केवल तब इस निम्न प्राण-जीवन का यह स्वप्न समाप्त हो सकता है।

 

At the outset of this enigmatic world
Which seems at once an enormous brute machine
And a slow unmasking of the Spirit in things,
In this revolving chamber without walls
In which God sits impassive everywhere
As if unknown to himself and by us unseen
In a miracle of inconscient secrecy,
Yet is all here his action and his will.

यह जटिल संसार अपनी आरम्भिक अवस्था में
यह एक दीर्घाकारी जड़-यन्त्र सम दिखायी देता है
और वस्तुओं में आत्मतत्त्व का एक अतिधीमा उद़्घाटन लगता है,
इस भित्तिहीन आवर्तनकारी कक्ष में
जिसमें प्रभु सर्वत्र उदासीन एवं तटस्थ आसीन है
वह स्वयं को ही नहीं पहिचानता और हमसे अगोचर रहता है,
जड़-अचित् की गोपनीयता के एक चमत्कार में बसता है,
फिर भी यहां समस्त उसी के कर्म और संकल्प हैं।

In this whirl and sprawl through infinite vacancy
The Spirit became Matter and lay in the whirl,
A body sleeping without sense or soul.

अनन्त आकाश के इस विस्तार और घूर्णन में
परमात्मा ही जड़तत्त्व बन इस आवर्तन में आ गया है,
बिना बोध की या आत्मा की एक देह बन सो गया है।

A mass phenomenon of visible shapes
Supported by the silence of the Void
Appeared in the eternal Consciousness
And seemed an outward and insensible world.

गोचर आकारों के एक द़ृश्यप्रपंच का अम्बार है
शून्यब्रह्म की नीरवता ने जिसे सम्हाल रखा था
अनन्त शाश्वत परम चेतना में यह प्रकट हो उठा था
और देखने में एक बहिर्मुखी और संज्ञाहीन जगत् सम लगता था।

There was none there to see and none to feel;
Only the miraculous Inconscient,
A subtle wizard skilled, was at its task.

उस जग में वहां देखने तथा अनुभव लेने को कोई नहीं था;
केवल उस चमत्कारी जड़-अचित् का साम्राज्य था,
वहां एक सूक्ष्म मायाविनी शिल्पी, निज कार्य में लगी थी।

Inventing ways for magical results,
Managing creation’s marvellous device,
Marking mechanically dumb wisdom’s points,
Using the unthought inevitable Idea,
It did the works of God’s intelligence
Or wrought the will of some supreme Unknown.[154]

यह जादुई परिणामों हित नये ढंग खोजती,
सृष्टि की अद्भुत यन्त्रप्रणाली की व्यवस्था करती,
मूक प्रज्ञा के संकेतों को यन्त्रवत् अंकित करती,
विचारहीन, कल्पनाहीन, अनिवार्य दिव्य विभाव का प्रयोग कर
यह प्रभु की दैवी-प्रज्ञा का कार्य सिद्ध करती
या किसी परम अज्ञेय प्रभू के संकल्प को ढालती।

Still consciousness was hidden in Nature’s womb,
Unfelt was the Bliss whose rapture dreamed the worlds.

विश्व-प्रकृति के गर्भ में अभी तक चेतना प्रच्छन्न शान्त सोयी थी,
उस परमानन्द की अनुभूति का अभाव था जिसके आह्लाद ने इन लोकों को सपनाया था।

Being was an inert substance driven by Force.

संभूति एक जड़-तत्त्व थी जिसे दैवी-ऊर्जा द्वारा चलाया जाता।

At first was only an etheric Space:
Its huge vibrations circled round and round
Housing some unconceived initiative:
Upheld by a supreme original Breath
Expansion and contraction’s mystic act
Created touch and friction in the void,
Into abstract emptiness brought clash and clasp:
Parent of an expanding universe
In a matrix of disintegrating force,
By spending it conserved an endless sum.

आरम्भ में केवल एक वायवीय व्योमाकाश था:
जिसके विशाल स्पन्दन वर्तुलाकार चक्कर लगाते घूमते
उनमें किसी अकल्पित प्रेरणात्मक शक्ति का वास था:
एक परम आदि प्राणश्वास ने उसे धारण कर रखा था
इसकी प्रसारण और संकोचन की एक गुह्य क्रिया द्वारा
उस शून्याकाशीय रिक्तता में आलिंगन और घर्षण की सृष्टि हुई,
जिसने उस भावात्मक अभाव में संघर्ष और आकर्षण को जन्म दिया:
एक विस्तृत होते विश्वजननी की
विघटित होती ऊर्जा के एक गर्भ में,
यह स्वयं का व्यय करके एक अनन्त योगफल का संचय करता है।

On the hearth of Space it kindled a viewless Fire
That, scattering worlds as one might scatter seeds,
Whirled out the luminous order of the stars.

महाव्योमाकाश कीवेदी पर इसने एक अद़ृश्य देवाग्नि जला दी है
जिसने लोकों को ऐसे बिखरा दिया जैसे कोई बीजों को बिखराये,
उससे तारों को यह दीप्तिमयी क्रम व्यवस्था वेग से घूमती निकल आयी।

An ocean of electric Energy
Formlessly formed its strange wave-particles
Constructing by their dance this solid scheme,
Its mightiness in the atom shut to rest;
Masses were forged or feigned and visible shapes;
Light flung the photon’s swift revealing spark
And showed, in the minuteness of its flash
Imaged, this cosmos of apparent things.

विद्युती दिव्य-ऊर्जा का एक सागर
अपने वैचित्र्यपूर्ण विद्युती तरंगकणों को निराकारी भाव से आकार देता है
एवं उनके नृत्य द्वारा इस स्थूल योजना की सृष्टि करता है,
इसने निज सामर्थ्य को उस अणु में बन्द कर सुला दिया है;
स्थूलतत्त्व-पुंजों और द़ृश्यकारों को गठित किया या कल्पना में देखा:
दैवी-प्रकाश ने विद्युती कणों (फोटोन) की द्रुत व्यक्त चिंगारियां क्षेपण कर
और इसकी क्षणिक दीप्ति की सूक्ष्म यथातथ्यता में प्रतिबिन्बित कर,
प्रत्यक्ष पदार्थों के इस ब्रह्माण्ड को प्रकटा दिया है।

Thus has been made this real impossible world,
An obvious miracle or convincing show.

इस प्रकार इस यथार्थ असम्भव संसार का निर्माण हुआ है,
यह एक विश्वासोत्पादक प्रदर्शन या एक प्रत्यक्ष चमत्कार है।

Or so it seems to man’s audacious mind
Who seats his thought as the arbiter of truth,
His personal vision as impersonal fact,
As witnesses of an objective world
His erring sense and his instruments’ artifice.

या मानव के साहसी मस्तिष्क को ऐसा ही प्रतीत हुआ है।
जो निज विचार को सत्य का पंच-परमेश्वर सम नियुक्त कर लेता है,
अपने व्यक्तिगत दर्शन को निर्वैयक्तिक यथार्थ सम लेता है,
अपने भ्रमित इन्द्रियबोध और अपनी उपकरणीय चातुरी को
एक वास्तविक जगत्-विषय का एक द्गष्टा-सम मानता है।

Thus must he work life’s tangible riddle out
In a doubtful light, by error seize on Truth
And slowly part the visage and the veil.

इस प्रकार उसे जीवन की जटिल समस्या का समाधान पाना है
एक संदिग्ध प्रकाश में, भूल या दोष द्वारा परम-सत्य को धरना है
और फिर शनै: शनै: इसके मुख पर पड़ेघूंघट को उठाना है।

Or else, forlorn of faith in mind and sense,
His knowledge a bright body of ignorance,[155]
He sees in all things strangely fashioned here
The unwelcome jest of a deceiving Force,
A parable of Maya and her might.

अन्यथा, निज चित्त और बोध में श्रद्धा से विमुख
उसका बौद्धिक ज्ञान एक अविद्या की चमकीली काया मात्र है,
वह यहां के समस्त पदार्थों को वैचित्र्य से रचित देखता है
एक मायावी महाशक्ति का अरुचिकर उपहास जैसा मानता है,
जग-माया और उसकी शक्ति का एक कथारूपक का प्रदर्शन समझता है।

This vast perpetual motion caught and held
In the mysterious and unchanging change
Of the persistent movement we call Time
And ever renewing its recurrent beat,
These mobile rounds that stereotype a flux,
These static objects in the cosmic dance
That are but Energy’s self-repeating whirls
Prolonged by the spirit of the brooding Void,
Awaited life and sense and waking Mind.

यह विस्तृत अविराम गति पकड़ी और धर ली गयी है
उस गुह्य और अपरिवर्तनशील परिवर्तन के
सतत संचालन प्रवाह में, जिसे हम त्रिकाल कह पुकारते हैं
और जो अपनी पुनरावर्ती धड़कन का सतत नवीकरण करता रहता है,
ये गोल घूमती परिक्रमाएं जो एक रूढ़िबद्ध बहाव की हैं,
ये स्थिर स्थाणुतत्त्व इस ब्रह्माण्डीय नृत्य में
केवल भागवत-ऊर्जा की आत्म-पुनरावर्ती प्रदक्षिणाएं हैं
जिन्हें समाधिस्थ असत्-ब्रह्म की आत्मा वर्धित करती रहती है,
इन्हें प्राण और संवेदनबोध और सचेत मानस की प्रतीक्षा है।

A little the Dreamer changed his pose of stone.

स्वप्नद्रष्टा-आत्मा ने निज जड़-आसन अल्प ही बदला।

But when the Inconscient’s scrupulous work was done
And Chance coerced by fixed immutable laws,
A scene was set for Nature’s conscious play.

किन्तु जब जड़-अचित् की नियमबद्ध व्यवस्था का कार्य पूर्ण हो गया
और दैवयोग इसके कठोर अविकारी निश्चित विधानों से बाध्य हो गया,
तब प्रकृति देवी की सचेत लीला हित एक द़ृश्य तैयार हो गया था।

Then stirred the Spirit’s mute immobile sleep;
The Force concealed broke dumbly, slowly out.

तब परमात्वतत्त्व की मूक अचल निद्रा में कुछ हलचल मच गयी;
वह आच्छादित आत्मशक्ति तमस् तोड़, धीरे से नीरव बाहर निकली।

A dream of living woke in Matter’s heart,
A will to live moved in the Inconscient’s dust,
A freak of living startled vacant Time,
Ephemeral in a blank eternity,
Infinitesimal in a dead Infinite.

जड़तत्त्व के हृदय में जीवन का एक स्वप्न जागा,
अचित्-जड़तत्त्व की धूलि में जीने का संकल्प संचालित हो उठा,
जीवन की एक सनक ने शून्य दिक्काल को चौंका दिया,
यह एक रीती शाश्वतता में मात्र एक क्षणभंगुरता थी,
यह एक मृत अनन्तता में एक परमाणु मात्र थी।

A subtler breath quickened dead Matter’s forms;
The world’s set rhythm changed to a conscious cry;
A serpent Power twinned the insensible Force.

एक सूक्ष्मतर श्वास ने मृत जड़तत्त्व की आकृतियां अनुप्राणित कर दीं;
इस जग की रूढगत द़ृढ़ नियमबद्ध लय एक सचेत पुकार में बदल दी;
एक कुण्डलिनी महाशक्ति इस संज्ञाहीन जड़ आदि ऊर्जा से लिपट गयी।

Islands of living dotted lifeless space
And germs of living formed in formless air.

जीवन्त द्वीपों ने इस प्राणहीन व्योमाकाश को बिन्दुओं सम भर दिया
और आकारहीन वातावरण में जीवन परमाणुओं ने आकार धर लिया।

A life was born that followed Matter’s law,
Ignorant of the motives of its steps;
Ever inconstant, yet for ever the same,
It repeated the paradox that gave it birth:
Its restless and unstable stabilities
Recurred incessantly in the flow of Time
And purposeful movements in unthinking forms
Betrayed the heavings of an imprisoned Will.[156]

जड़तत्त्व के विधान का अनुसरण करती एक प्राणशक्ति वहां जन्मी,
जो अपने कदमों के उद्देश्यों से अनजान थी;
सतत अस्थिर गतिशील थी, तथापि एक समान ही रहती,
उसी विरोधाभास को जिससे वह जन्मी थी सतत दोहराये जाती:
इसकी चंचल और अस्थिर स्थिरताएं
त्रिकालीय इस प्रवाह में अविराम दोहरायी जातीं
और विचारहीन आकृतियों में उद्देश्यपूर्ण गति-संचालन होते
जो अन्तर में बन्दी आत्म-संकल्प के उच्छ्वासों को प्रकटा देते।

Waking and sleep lay locked in mutual arms;
Helpless and indistinct came pleasure and pain
Trembling with the first faint thrills of a World-Soul.

जागरण और निद्रा एक दूसरे की बाहों में आबद्ध लेटे थे,
हर्ष और पीड़ा की अनुभूति असहाय और अस्पष्ट-सी उठती
यह एक जगदात्मा की प्रथम मन्द पुलकन से कांपती आती।

A strength of life that could not cry or move,
Yet broke into beauty signing some deep delight:
An inarticulate sensibility,
Throbs of the heart of an unknowing world,
Ran through its somnolent torpor and there stirred
A vague uncertain thrill, a wandering beat,
A dim unclosing as of secret eyes.

जीवन की एक शक्ति थी पर अभी पुकार गतिशील नहीं हो सकी थी,
फिर भी किसी गम्भीर गहन आनन्द के हस्ताक्षर सम सौन्दर्य बन प्रस्फुटित हो उठीः
एक अस्फुट अस्पष्ट संवेदनशीलता-सी,
यह एक अनजाने अपरिचित जग की ह्रदय धड़कनें बन गयीं,
इसकी तन्द्रिल जड़ता में यह दौड़ने लगी और वहां अनुप्राणित कर दी
एक धुंधली अनिश्चित रोमांच की पुलकन को, एक भटकती धड़कन को
मानों गुह्य नेत्रों का एक मन्द उन्मीलन हो।

Infant self-feeling grew and birth was born.

अहम्भाव की शिशुता विकसित होने लगी और जन्म का आरम्भ हो गया।

A godhead woke but lay with dreaming limbs;
Her house refused to open its sealed doors.

एक देवांश जाग गया किन्तु सपनाते अंगों से लेटा रहा;
उस दिव्यता के घर ने निज सीलबन्द द्वारों कोखोलने से इन्कार कर दिया।

Insentient to our eyes that only see
The form, the act and not the imprisoned God,
Life hid in her pulse occult of growth and power
A consciousness with mute stifled beats of sense,
A mind suppressed that knew not yet of thought,
An inert spirit that could only be.

हमारी द़ृष्टि जो केवल आकार देखती है उसे यह जीवन निर्जीव लगता है,
केवल कर्म को देखती है उसमें बंदी ईश को नहीं देखती,
पर प्राणशक्ति ने नाड़ी स्पन्दन के विकास और शक्ति की गुह्यता में
एक चेतना छिपा रखी थी जिसकी संवेदन की धड़कनें मौन और रुद्ध थीं,
उसमें मानस दमित था जिसने अभी तक मनन करना नहीं सीखा था,
यह संज्ञाहीन आत्मतत्त्व था जो केवल अस्तित्व में बना रह सका था।

At first she raised no voice, no motion dared:
Charged with world-power, instinct with living force,
Only she clung with her roots to the safe earth,
Thrilled dumbly to the shocks of ray and breeze
And put out tendril fingers of desire;
The strength in her yearning for sun and light
Felt not the embrace that made her breathe and live;
Absorbed she dreamed content with beauty and hue.

आरम्भ में उसने कोई आवाज नहीं उठायी किसी चेष्टा का साहस नहीं किया:
वैश्व शक्ति से संचालित, प्राण ऊर्जा से प्रेरणा पा
वह केवल धरती पर सुरक्षित अपनी जड़-मूल से चिपकी रही,
रश्मि और पवन के थपेड़ों से मूकभाव से रोमांचित होती
कामना की अंगुली रूपी कोंपल को बाहर निकालती;
सूर्य और प्रकाश हित उसकी लालायित शक्ति ने
उस आलिंगन का अनुभव नहीं पाया जिसने उसे प्राणश्वास और जीवन दिया;
सौन्दर्य और रंग में सन्तुष्ट वह आत्ममग्न सपनाती रही।

At last the charmed Immensity looked forth:
Astir, vibrant, hungering, she groped for mind;
Then slowly sense quivered and thought peered out;
She forced the reluctant mould to grow aware.

अन्त में उस मुग्ध विशालता ने सामने अवलोका:
पुलक कर, कम्पित, लालायित हो इसने मानस को खोजा;
तब धीरे से इन्द्रियबोध कांपा और विचार ने अन्तर से बाहर झांका;
मन ने अनिच्छुक ढांचे को सचेत होने को विवश कर दिया।

The magic was chiselled of a conscious form;
Its tranced vibrations rhythmed a quick response,
And luminous stirrings prompted brain and nerve,
Awoke in Matter spirit’s identity
And in a body lit the miracle[157]
Of the heart’s love and the soul’s witness-gaze.

एक सचेत-आकृति का जादुई चमत्कार गठित हो गया;
समाधिस्थ स्पन्दनों में एक द्रुत प्रत्युत्तर का संगीत गुंजित था,
और दीप्तिमय भावोद्दीपनों ने बुद्धि और स्नायु को प्रेरित कर दिया,
जड़तत्त्व में आत्मभाव की पहचान जाग उठी
और एक काया के हृदय में प्रेम और आत्मा में साक्षी-द़ृष्टि की
चमत्कारी ज्योति प्रज्ज्वलित हो उठी।

Impelled by an unseen Will there could break out
Fragments of some vast impulse to become
And vivid glimpses of a secret self,
And the doubtful seeds and force of shapes to be
Awoke from the inconscient swoon of things.

एक अद़ृश्य देवसंकल्प द्वारा बाध्य हो वहां पर
किसी विशाल आत्मप्रेरणा के अंश फूटकर अस्तित्व में आ गये
और एक गुह्य आत्मचेतना की स्पष्ट झलकें बनती दिखने लगीं,
और अचित् पदार्थों की संज्ञाहीनता से
भावी-आकृतियों की ऊर्जा और शंका के बीज भी जाग उठे।

An animal creation crept and ran
And flew and called between the earth and sky,
Hunted by death but hoping still to live
And glad to breathe if only for a while.

एक पशु-जगत् रेंगने और दौड़ने लगा
और पंखधारी प्राणी पृथ्वी और आकाश के मध्य उड़ते और चीखते,
मृत्यु उनके पीछे लगी थी किन्तु जीवन कीआशा बनाये रखते
चाहे थोड़ा ही समय क्यों न हो वे जीने में सुख पाते।

Then man was moulded from the original brute.

तब आदि पशु-जीवन से मानव का गठन हुआ।

A thinking mind had come to lift life’s moods,
A keen-edged tool of a Nature mixed and vague,
An intelligence half-witness, half-machine.

जीवन के मनोभावों का भार उठाने एक मनीषी मन आया,
विश्व-प्रकृति का एक तीक्ष्ण धार का यन्त्र जो अस्पष्ट और उलझा हुआ,
एक अर्ध साक्षी-भाव की प्रतिभा है, पर आधी मशीन है।

This seeming driver of her wheel of works
Missioned to motive and record her drift
And fix its law on her inconstant powers,
This master-spring of a delicate enginery,
Aspired to enlighten its user and refine
Lifting to a vision of the indwelling Power
The absorbed mechanic’s crude initiative:
He raised his eyes; Heaven-light mirrored a Face.

यह प्रकृति की प्रक्रियाओं के चक्र के चालक जैसा दिखता है
जो उसके बहाव के उद्देश्य का लेखा रखने को पठाया गया है
और उसकी अस्थिर शक्तियों पर अपना विधान निर्धारित करने,
एक सूक्ष्म उत्कृष्ट यन्त्र की यही मुख्य कमानी है,
यह अपने भोक्ता को सुसंस्कृत बनाने और प्रबुद्ध करने हित अभीप्सा करता है।
उस तल्लीन कारीगर की अनगढ़ प्रेरणा को
अन्तर्गोपित आत्मशक्ति के दर्शन तक उठा देता है:
इसने निज नेत्रों को ऊर्ध्व में उठाया; स्वर्गीय प्रकाश में एक देवानन प्रतिबिम्बित हो उठा।

Amazed at the works wrought in her mystic sleep,
She looked upon the world that she had made:
Wondering now seized the great automaton;
She paused to understand her self and aim,
Pondering she learned to act by conscious rule,
A visioned measure guided her rhythmic steps;
Thought bordered her instincts with a frame of will
And lit with the idea her blinded urge.

निज गुह्य सुषुप्ति की अवस्था में रचित कार्यों से चकित होकर,
उस शक्ति ने अपने द्वारा निर्मित इस जगत् को अवलोका:
उस महान् स्वचालित यान्त्रिकता को अब आश्चर्य ने धर लिया;
उसने निज आत्मतत्त्व और लक्ष्य को समझने को तनिक विराम लिया,
मनन करके उसने सचेत नियम द्वारा कर्म करना सीखा,
उसके छन्दमय चरणों को एक दूरदर्शिता का मानक पथ दर्शाता;
विचार उसकी प्रेरणाओं को एक संकल्प के चौखटे में सीमा सम मढ़ देता
और उसकी अन्धी प्रवृत्ति को अन्तर्भाव से प्रकाशित कर देता।

On her mass of impulses, her reflex acts,
On the Inconscient’s pushed or guided drift
And mystery of unthinking accurate steps
She stuck the specious image of a Self,
A living idol of disfigured spirit;
On Matter’s acts she imposed a patterned law;[158]
She made a thinking body from chemic cells
And moulded a being out of a driven force.

प्राणशक्ति के आवेशों के समूह पर, उसके प्रत्यावर्ती कार्यों पर,
इस जड़-अचित् द्वारा धकेले गये या निर्देशित बहाव पर
और अविचारित सही विशुद्ध चरणों के रहस्य पर
मनशक्ति ने एक परम-सत्ता की सत्याभासी छवि चिपका दी,
विकृत आत्म-तत्त्व की एक जीवित प्रतिमा बना दी;
जड़तत्त्व के कर्मों पर एक आदर्श बनावटी नियम आरोपित कर दिया;
उसने रासायनिक कोषों से एक मननशील काया की रचना कर दी
और एक संचालित ऊर्जा से एक सत्ता का गठन कर दिया।

To be what she was not inflamed her hope:
She turned her dream towards some high Unknown;
A breath was felt below of One supreme.

अभी तक जो नहीं था उसकी सम्भावना ने उसमें आशा प्रज्वलित कर दी:
उसने निज स्वप्न को किसी उच्च परम-अज्ञेय कीओर मोड़ दिया;
धरा ने नीचे परमैकम् की एक प्राणश्वास का अनुभव पाया।

An opening looked up to spheres above
And coloured shadows limned on mortal ground
The passing figures of immortal things;
A quick celestial flash could sometimes come:
The illumined soul-ray fell on heart and flesh
And touched with semblances of ideal light
The stuff of which our earthly dreams are made.

एक उद़्घाटित अन्तर ने उन्नत स्तरों की ओर ऊपर ताका
और इस मर्त्य धरती पर रंगीन दीप्त छायाओं को आंक दिया
अमर पदार्थों के ये क्षणभंगुर रेखांकन थे;
एक विद्युती कौंधन कभी-कदास तीव्र गति से प्रवेश कर जाती:
एक दीप्तिमान आत्म-किरण हृदय और देह पर आ गिरती
और आदर्श ज्योति के प्रतिभासों का स्पर्श दे जाती
यह वह तत्त्व है जिससे हमारे पार्थिव सपनों की रचना होती है।

A fragile human love that could not last,
Ego’s moth-wings to lift the seraph soul,
Appeared, a surface glamour of brief date
Extinguished by a scanty breath of Time;
Joy that forgot mortality for a while
Came, a rare visitor who left betimes,
And made all things seem beautiful for an hour,
Hopes that soon fade to drab realities
And passions that crumble to ashes while they blaze
Kindled the common earth with their brief flame.

एक क्षणभंगुर मानवीय प्रेम जो अधिक काल जीवित न रह सका
अहंकार के पतंगों जैसा इस दिव्य आत्मा को उन्नत करने प्रकटा,
अति क्षणिक काल हित एक धरातली शोभा अभिव्यक्त हो उठी
पर जो दिक्काल के अल्पविश्वासी श्वास द्वारा बुझा दी गयी;
आनन्द भी आया जिसने मर्त्यता को कुछ देर हित भुला दिया,
एक विरला आगंतुक जो समय से पहले ही चला गया,
और समस्त वस्तुओं को एक घड़ी के लिए सुन्दर बना गया,
आशाएं जो शीघ्र ही नीरस वास्तविकताओं में मुरझा जातीं
और रागावेशी भावनाएं जो शीघ्र राख हो जाती पर जब तक जलतीं
इस साधारण धरती को अपनी क्षणिक ज्वाला से प्रज्वलित कर देतीं।

A creature insignificant and small
Visited, uplifted by an unknown Power,
Man laboured on his little patch of earth
For means to last, to enjoy, to suffer and die.

एक नगण्य और लघु-प्राणी पथिक यहां आया,
जैसे एक अज्ञात महाशक्ति द्वारा उठा लाया गया,
यह मानव अपनी धरती के छोटे-से भूमिखण्ड पर श्रमरत रहता
साधनों कोस्थायी बनाने को, सुख-दुःख भोगने और मरने को कार्यरत रहता।

A spirit that perished not with the body and breath
Was there like a shadow of the Unmanifest
And stood behind the little personal form
But claimed not yet this earthly embodiment.

एक आत्मा जो देह और प्राणश्वास के साथ नष्ट नहीं होती है
वहां अनभिव्यक्त प्रभु की छाया सम उपस्थित थी
और इस लघु व्यक्तित्व के मानवाकार के पीछे खड़ी थी
पर अभी तक इसने पार्थिव देहाकार पर अधिकार नहीं किया था।

Assenting to Nature’s long slow-moving toil,
Watching the works of his own ignorance,
Unknown, unfelt the mighty Witness lives
And nothing shows the Glory that is here.

उसने भौतिक प्रकृति का दीर्घसूत्री चिरश्रम स्वीकारा है,
यह अपने ही निजी अज्ञानता के कार्यों का निरीक्षण करता है,
पर अज्ञेय, अबोधगम्य महान् परम-द्रष्टा इसमें निवास करता है
और यहां का कुछ भी उस परम-महिमा की उपस्थिति को नहीं दर्शाता है।

A Wisdom governing the mystic world,
A Silence listening to the cry of Life,[159]
It sees the hurrying crowd of moments stream
Towards the still greatness of a distant hour.

इस गुह्य जगत की अधिष्ठात्री देवी एक परा-प्रज्ञा है,
एक दैवी नीरवता है जो प्राणशक्ति की पुकार सुनती है,
यह शीघ्रता से बीतते पलों के अम्बार की धारा को देखती है
जो एक सुदूर की घड़ी की स्थिर महानता कीओर बह रही है।

 

This huge world unintelligibly turns
In the shadow of a mused Inconscience;
It hides a key to inner meanings missed,
It locks in our hearts a voice we cannot hear.

यह विशाल संसार अबोध अज्ञानता में परिक्रमा करता रहता है
एक आत्मलीन जड़-अचित् की छाया में घूमता है;
यह लुप्त अन्तर-अर्थों की कुंजी अपने में छिपाये है,
एक शब्द को इसने हमारे हृदय में बन्द कर दिया है जिसे हम सुन नहीं सकते हैं।

An enigmatic labour of the Spirit,
An exact machine of which none knows the use,
An art and ingenuity without sense,
This minute elaborate orchestrated life
For ever plays its motiveless symphonies.

यह जग जीवात्मा का एक जटिल परिश्रम है,
एक सटीक यन्त्र है जिसका उपयोग कोई नहीं जानता,
बिना बोध की एक कलाकृति और एक कौशल है,
यह सूक्ष्म विस्तृत रूप से निर्मित जीवन के वाद्यों का संगीत है
जो अपनी लक्ष्यहीन रागिनियां सतत बजाता रहता है।

The mind learns and knows not, turning its back to truth;
It studies surface laws by surface thought,
Life’s steps surveys and Nature’s process sees,
Not seeing for what she acts or why we live;
It marks her tireless care of just device,
Her patient intricacy of fine detail,
The ingenious spirit’s brave inventive plan
In her great futile mass of endless works,
Adds purposeful figures to her purposeless sum,
Its gabled storeys piles, its climbing roofs
On the close-carved foundations she has laid,
Imagined citadels reared in mythic air
Or mounts a stair of dream to a mystic moon:
Transient creations point and hit the sky:
A world-conjecture’s scheme is laboured out
On the dim floor of mind’s incertitude,
Or painfully built a fragmentary whole.

सत्य से पीठ फेर कर, यह मन सीखता है पर ज्ञान नहीं पाता है;
निज ऊपरी विचार के द्वारा यह सतही विधानों का अध्ययन करता है,
जीवन के चरणों का निरीक्षण करता है और विश्व-प्रकृति की प्रक्रिया को अवलोकता है,
किन्तु वह किसलिए कार्य करती औ’ हम क्यों जीते हैं, यह नहीं देखता;
उसके अथक युक्तिपूर्ण यन्त्र की सावधान देखभाल को वह लक्ष्य करता है,
अति सूक्ष्म विवरणों की जटिलता पर उसके धैर्य को देखता है,
सरल प्रवीणा अन्तरात्मा की साहसी आविष्कारी योजना को
उसके महान्, असफल, अनन्त कार्यों का अम्बार लक्ष्य कर लेता है,
उसके निरुद्देश्य योगफल में कुछ अर्थपूर्ण अंक जोड़ देता है,
उसकी त्रिभुजी मंजिलों के अम्बार को, इसकी ऊपर चढ़ती छतों को
जिन्हें प्रकृति ने महीन उत्कीर्ण आधारों पर रखा है,
मन कपोल-कल्पित परिवेश में हवाई महलों को पोषित करता है:
या स्वप्न का सोपान चढ़ एक रहस्यपूर्ण चांद तक पहुंच जाता है;
ये क्षणिक रचनाएं नभ को लक्ष्य करतींऔर टकराती हैं:
इस जगत् निराधारिता की योजना परिश्रम से तैयार कर
इस मन की धुंधली अनिश्चित धरती पर रची जाती है
या कष्ट से अंश-अंश जोड़ एक आकार बना लेता है।

Impenetrable, a mystery recondite
Is the vast plan of which we are a part;
Its harmonies are discords to our view,
Because we know not the great theme they serve.

अगम्य, एक गूढ़ रहस्य है यह लघु-प्राण का संसार
एक विशाल योजना है जिसके हम सब एक अंश हैं;
इसकी सुसंगतियां हमारी द़ृष्टि में विरोधाभासी हैं,
क्योंकि हम उस विराट् मूल विषय से अनजान है जिसकी वे पूरक हैं।

Inscrutable work the cosmic agencies.

ये ब्रह्माण्डीय मध्यस्थताएं निगुह्यता से कार्य करती हैं।

Only the fringe of a wide surge we see;
Our instruments have not that greater light,[160]
Our will tunes not with the eternal Will,
Our heart’s sight is too blind and passionate.

हम तो उस विस्तृत प्रवाह का केवल किनारा देख पाते हैं;
हमारे उपकरणों के पास उस महत्तर प्रकाश का अभाव है,
हमारे संकल्प नित्य प्रभु-संकल्प के साथ एकसुर नहीं हैं,
हमारे हृदय की द़ृष्टि अंधी और आवेशपूर्ण है।

Impotent to share in Nature’s mystic tact,
Inapt to feel the pulse and core of things,
Our reason cannot sound life’s mighty sea
And only counts its waves and scans its foam;
It knows not whence these motions touch and pass,
It sees not whither sweeps the hurrying flood:
Only it strives to canalise its powers
And hopes to turn its course to human ends:
But all its means come from the Inconscient’s store.

विश्व-प्रकृति की रहस्यपूर्ण चतुराई में भाग लेने में असमर्थ
इन वस्तुओं के मर्म को और नाड़ी को परखने में अपटु,
हमारा ज्ञान जीवन-सागर की थाह नहीं पा सकता है
और केवल तट से उसकी लहरें गिनता औ’ झाग निरखता है;
वह नहीं जानता कि कहां से ये चेष्टाएं उठतीं और हमें स्पर्श कर चली जाती हैं,
यह भी नहीं देखता कि कहां से तीव्र बाढ़ उठ सब बहा ले जाती है;
यह तो केवल इसकी ऊर्जाओं की गतियों को धाराबद्ध करने का प्रयास करता है
और इसकी दिशा को मानवीय उद्देश्यों की पूर्ति हित मोड़ने की आशा करता है:
परन्तु इसके सकल साधन जड़-अचित् के भण्डार से निकले हैं।

Unseen here act dim huge world-energies
And only trickles and currents are our share.

यहां पर धूमिल घोर विश्व-शक्तियां अद़ृश्य कार्यरत हैं
और जिसकी केवल कुछ टपकती बूंदें और धाराएं हमारे हिस्से में आती हैं।

Our mind lives far off from the authentic Light
Catching at little fragments of the Truth,
In a small corner of infinity,
Our lives are inlets of an ocean’s force.

दिव्य यथार्थ ज्योति से हमारा मन अति दूर निवास करता है
और परम-सत्य के कुछ अल्प अंशों को यह ग्रहण कर पाता है,
शाश्वत-काल के एक लघु कोने में,
प्राण-ऊर्जा के महासागर से निकले हमारे जीवन मात्र प्रवेशिकाएं हैं।

Our conscious movements have sealed origins
But with those shadowy seats no converse hold;
No understanding binds our comrade parts;
Our acts emerge from a crypt our minds ignore.

हमारी चेतन गतियों के मूल-स्रोत मुहरबन्द हैं
इनका छायावी अधिष्ठानों के संग कोई सम्पर्क नहीं है;
हमारे साथी अंगों को कोई अन्तर्बोध नहीं बांधता है;
जिस गुह्यगृह से हमारे कर्म उदित होते हैं हमारे मनों द्वारा वह उपेक्षित है।

Our deepest depths are ignorant of themselves;
Even our body is a mystery shop;
As our earth’s roots lurk screened below our earth,
So lie unseen our roots of mind and life.

हमारी गहनतम अतलताएं स्वयं अपने विषय में अनजान हैं;
यहां तक कि हमारी काया भी एक रहस्यपूर्ण दुकान है
जैसे हमारी पृथ्वी की मूल-जड़ें उसी के धरातल में नीचे प्रच्छन्न हैं
वैसे ही हमारे मन और प्राण की जड़ें अगोचर हममें छिपी हैं।

Our springs are kept close hid beneath, within;
Our souls are moved by powers behind the wall.

हमारे अन्तर में हमारे जीवन के स्रोत भी नीचे समीप में छिपे हैं;
इस पट के पीछे से महाशक्तियों द्वारा हम जीवों को चलाया जाता हैं।

In the subterranean reaches of the spirit
A puissance acts and recks not what it means;
Using unthinking monitors and scribes,
It is the cause of what we think and feel.

इस आत्मपुरुष के अन्तर्भौमिक प्रसारों में
एक परा-शक्ति कार्यरत है पर इसकी सार्थकता पर विचार नहीं करती है;
केवल अविचारी प्रतिनिधियों और मुंशियों का उपयोग करती है,
यही आदि कारण है हमारे सोचने और अनुभव करने का।

The troglodytes of the subconscious Mind,
Ill-trained slow stammering interpreters,
Only of their small task’s routine aware
And busy with the record in our cells,
Concealed in the subliminal secrecies[161]
Mid an obscure occult machinery,
Capture the mystic Morse whose measured lilt
Transmits the messages of the cosmic Force.

इस अवचेतन मन-शक्ति के ये कन्दरावासी हैं,
जो कुशिक्षित मन्द हकलाते दुभाषिये हैं,
वे अपनी तुच्छ दिनचर्या के कार्यों के प्रति सचेत हैं
और हमारे शारीरिक कोषाणुओं के लेखे-जोखे में व्यस्त हैं,
ये अवचेतना की गोपनीयता में
एक दुरूह गुह्य यान्त्रिकता के मध्य में छिपे हैं,
उस निगूढ़ संकेत-वाणी को धरकर पकड़ लेते हैं
जिसकी तालबद्ध लय ब्रह्माण्डीय महाशक्ति से सन्देशों को प्रसारित करती है।

A whisper falls into life’s inner ear
And echoes from the dun subconscient caves,
Speech leaps, thought quivers, the heart vibrates, the will
Answers and tissue and nerve obey the call.

प्राण के अन्तर्श्रवण में एक खुसफुसाहट सुनायी देती है
और अवचेतन कन्दराओं से गूंजें प्रतिध्वनित होती हैं,
गिरा उछल जाती है, विचार कांप जाता है, हृदय स्पन्दित हो उठता है,
संकल्प प्रत्युत्तर देता है और स्नायु और नाड़ी पुकार का अनुसरण करते हैं।

Our lives translate these subtle intimacies;
All is the commerce of a secret Power.

हमारे जीवन इन सूक्ष्म आत्मीयताओं को अपने में उतार लेते हैं;
यह समस्त एक गुह्य पराशक्ति का आदान-प्रदान है।

A thinking puppet is the mind of life:
Its choice is the work of elemental strengths
That know not their own birth and end and cause
And glimpse not the immense intent they serve.

यह प्राणिक मन एक विचारशील पुतला है:
आरम्भिक लघु शक्तियों द्वारा निर्धारित कार्य करना इसने चुना है
ये बल अपने जन्म और अन्त एवं कारण के विषय में अनजान हैं
और जिस महान् उद्देश्य के वे सेवक हैं उसकी ओर देखते तक नहीं हैं।

In this nether life of man drab-hued and dull,
Yet filled with poignant small ignoble things,
The conscious Doll is pushed a hundred ways
And feels the push but not the hands that drive.

इस निम्नतर प्राण में मानव जीवन धूमिल और नीरस है
फिर भी लघु तुच्छ वस्तुओं की उग्रता से पूर्ण है,
यह सचेत मानस पुतला सैकड़ों ढंगों से धकेला जाता है
यह धक्के तो अनुभव करता है किन्तु उन संचारी हाथों को नहीं देख पाता।

For none can see the masked ironic troupe
To whom our figure-selves are marionettes,
Our deeds unwitting movements in their grasp,
Our passionate strife an entertainment’s scene.

क्योंकि मुखौटों के पीछे छिपी स्वांग-मण्डली को कोई नहीं देख सकता
जिनके हाथों में हमारी व्यक्ति-सत्ताएं कठपुतलियां हैं,
हमारे कर्मों की गतिविधियां हमारे अनजाने उनकी मुट्ठी में हैं,
हमारे आवेशी संघर्ष उनके लिए एक मनोरंजक नाटक है।

Ignorant themselves of their own fount of strength
They play their part in the enormous Whole.

वे अपनी शक्ति के स्रोत के विषय में स्वयं भी अनजान हैं
वे इस विशाल विश्व-कार्यकलाप में अपनी भूमिका निबाहते हैं।

Agents of darkness imitating light,
Spirits obscure and moving things obscure,
Unwillingly they serve a mightier Power.
Ananke’s engines organising Chance,
Channels perverse of a stupendous Will,
Tools of the Unknown who use us as their tools,
Invested with Power in Nature’s nether state,
Into the actions mortals think their own
They bring the incoherences of Fate,
Or make a doom of Time’s slipshod caprice
And toss the lives of men from hand to hand
In an inconsequent and devious game.

ये प्रकाश की नकल करते अन्धकार के प्रतिनिधि हैं,
धूमिल सत्ताएं हैं जो अस्पष्ट पदार्थों को चलाती हैं,
अनिच्छा से वे एक महत्तर महाशक्ति की सेवा करती हैं
दैवी नियति की यन्त्र हैं जो दैवयोग की व्यवस्था करती हैं,
एक अतिविशाल दैवी-संकल्प की विकृत प्रणालियां हैं,
अज्ञेय प्रभु की यन्त्र हैं जो हमारे व्यक्तित्वों को अपने उपकरण बना लेती हैं,
प्राण-प्रकृति के निम्नतर क्षेत्र में ये दैवीबल से प्रतिष्ठापित हैं,
उन कर्मों में जिन्हें मनुष्य अपनी निजी सोचते हैं
इनमें दैवी-नियतिकी असंगतियां ले आती हैं,
या त्रिकालीय स्वेच्छाचारिता को एक सर्वनाशी रूप दे देती हैं
और मानव-जीवनों को हाथों-हाथ उछालती हैं
एक निरर्थक और कुटिलता से पूर्ण खेल में।

Against all higher Truth their stuff rebels;[162]
Only to Titan force their will lies prone.

वे अपनी सकल सामग्री से समस्त महत्तर सत्य का विरोध करती हैं;
केवल प्रचण्ड बल के सम्मुख उनका संकल्प झुकता है।

Inordinate their hold on human hearts,
In all our nature’s turns they intervene.

मानव हृदयों पर उनका अधिकार अत्यधिक विश्रृंखल है,
हमारे स्वभाव के सम्पूर्ण झुकावों में उनका हस्तक्षेप है।

Insignificant architects of low-built lives
And engineers of interest and desire,
Out of crude earthiness and muddy thrills
And coarse reactions of material nerve
They build our huddled structures of self-will
And the ill-lighted mansions of our thought,
Or with the ego’s factories and marts
Surround the beautiful temple of the soul.

निम्न-स्तरीय जीवनों के वे महत्त्वहीन वास्तुकार हैं
और स्वार्थ और कामना के अभियन्ता हैं,
अनगढ़ पार्थिवता और पंकिल आवेशी उत्तेजनाओं को,
और दैहिक स्नायु की अपरिष्कृत प्रतिक्रियाओं को,
वे दुराग्रह से भर विशाल आकार खड़े कर लेती हैं
और हमारे विचार के अर्ध-प्रकाशित भवन रच देती हैं,
या अहंकार के कारखानों और बाजारों से
इस आत्म-पुरुष के रम्य मन्दिर को चहुं ओर से घेर लेती हैं।

Artists minute of the hues of littleness,
They set the mosaic of Life’s comedy
Or plan the trivial tragedy of our days,
Arrange the deed, combine the circumstance
And the fantasia of the moods costume.

क्षुद्रता के रंगीन आभासोंकी ये सूक्ष्म शिल्पी हैं,
वे जीवन की हास्य नाटिका की रंगभूमि का निर्माण करती हैं
या हमारे दिवसों में घटित होते तुच्छ दुःखों की योजना बनाती हैं,
कार्यों की व्यवस्था कर, परिस्थितियों का मिश्रण कर
और मनोदशाओं के वस्त्र पहिना इस नाटक को रच डालती हैं।

These unwise prompters of man’s ignorant heart
And tutors of his stumbling speech and will,
Movers of petty wraths and lusts and hates
And changeful thoughts and shallow emotion’s starts,
These slight illusion-makers with their masks,
Painters of the decor of a dull-hued stage
And nimble scene-shifters of the human play,
Ever are busy with this ill-lit scene.

ये मानव के अज्ञानी हृदय की बुद्धिहीन प्रेरक संचालिका हैं
और उसकी लड़खड़ाती वाणी और संकल्प की शिक्षिका हैं,
उसके क्षुद्र आवेशों औ’ वासनाओं और घृणा की परिवाहिका हैं
और अस्थिर विचारों और थोथी भावनाओं की जन्मदात्री हैं,
ये दुर्बल माया प्रपंच की निर्मात्री अपने मुखौटों के पीछे छिपी हैं,
एक कालिमा से रंगी रंगमंच की सज्जा की चित्रकार हैं
और मानवीय नाटक के हठात् द़ृश्य की परिवर्तनकर्त्री हैं,
वे सदैव इस धूमिल अर्धप्रकाशित द़ृश्य में व्यस्त रहती हैं।

Ourselves incapable to build our fate
Only as actors speak and strut our parts
Until the piece is done and we pass off
Into a brighter Time and subtler Space.

हम स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करने में असमर्थ हैं
केवल पात्रों समान बोलकर हम गर्व से अपनी भूमिका पूरी कर लेते हैं
पर अभी भूमिका पूरी नहीं होती और हम निकल अतीत बन
एक उज्ज्वलतर त्रिकाल में और सूक्ष्मतरआकाश में पहुंच जाते हैं।

Thus they inflict their little pigmy law
And curb the mounting slow uprise of man,
Then his too scanty walk with death they close.

इस प्रकार ये अपने क्षुद्र-विधान को आरोपित करती हैं
और मानव के मन्द आरोहण को नियन्त्रित कर देती हैं,
फिर उसका यह अल्प आत्म-विहार मृत्यु द्वारा समाप्त कर देती हैं।

 

This is the ephemeral creature’s daily life.

यही इस क्षणभंगुर जीव की दिनचर्या का जीवन है।

As long as the human animal is lord
And a dense nether nature screens the soul,
As long as intellect’s outward-gazing sight[163]
Serves earthy interest and creature joys,
An incurable littleness pursues his days.
Ever since consciousness was born on earth,
Life is the same in insect, ape and man,
Its stuff unchanged, its way the common route.

जब तक यह नरपशु इसका स्वामी है
और एक धनी निम्न-प्रकृति आत्मा का प्रच्छन्न रखती है,
जब तक बुद्धि विवेक की द़ृष्टि बहिर्मुखी रहती है
इसकी पार्थिव अभिरुचियों की और प्राणिक हर्ष की पूर्ति करती है,
मानव के दिवसों का एक असाध्य क्षुद्रता पीछा करती है।
जब से इस धरती पर चेतना जन्मी थी,
प्राणशक्तिकीट,वानर और मानव में समान भाव से कार्यरत है,
इसका सारतत्त्व अपरिवर्तित है, इसका मार्ग एक ही दिशा कीओर जाता है।

If new designs, if richer details grow
And thought is added and more tangled cares,
If little by little it wears a brighter face,
Still even in man the plot is mean and poor.

यदि नूतन नमूने, अधिक समृद्ध ब्योरे विकसित होते हैं
और इसमें मननशीलता जुड़ती है तो चिन्ताएं अधिक जटिल हो जाती हैं,
यदि धीरे-धीरे उसका रूप उज्ज्वलतर होने लगता है
तथापि अभी तक मानव में इसका कथानक तुच्छ और दरिद्र ही है।

A gross content prolongs his fallen state;
His small successes are failures of the soul,
His little pleasures punctuate frequent griefs:
Hardship and toil are the heavy price he pays
For the right to live and his last wages death.

एक जड़ सन्तोष ने उसकी पतितावस्था को दीर्घ बना दिया है;
उसकी क्षुद्र सफलताएं उसकी अन्तरात्मा की पराजयें हैं,
उसके निरन्तर दुःखी जीवन में केवल उसे तुच्छ सुख विश्राम दे पाते हैः
कठिन श्रम और दुर्भाग्य से वह जीवित रहने के अधिकार की
भारी कीमत चुकाता है और उसका अन्तिम वेतन मृत्यु है।

An inertia sunk towards inconscience,
A sleep that imitates death is his repose.

अचित् कीओर गति में डूबती एक तामसिकता है,
मृत्यु की नकल करती एक नींद उसकीविश्रान्ति है।

A puny splendour of creative force
Is made his spur to fragile human works
Which yet outlast their brief creator’s breath.

उसकी सर्जन-शक्ति एक क्षुद्र-सीशोभा है
जो क्षणभंगुर मानवीय कर्मों को धक्का लगाने हेतु बनायी गयी है
उसकी कृतियां अपने क्षणिक रचनाकार का श्वास चुक जाने पर भी जीवित रहती हैं।

He dreams sometimes of the revels of the gods
And sees the Dionysian gesture pass,—
A leonine greatness that would tear his soul
If through his failing limbs and fainting heart
The sweet and joyful mighty madness swept:
Trivial amusements stimulate and waste
The energy given to him to grow and be.

मानव कभी-कभी सुरदेवों की रंगरेलियों का स्वप्न देखता है
और सोमदेवता की रसिक झलक को समीप से गुजरते देखता है,
यह एक सिंह समान शक्ति है जो उसके प्राण को चीर सकती है
यदि उसके दुर्बल अंगों और मूर्छित हृदय के मध्य से
उस शक्ति का मधुर, हर्षित महा उन्माद बह निकलता है:
तुच्छ मनोरंजन के उद्दीपन में व्यर्थ नष्ट हो जाती है
वह ऊर्जा जो उसे विकास और जीवित रहने हित प्रदान की गयी है।

His little hour is spent in little things.
A brief companionship with many jars,
A little love and jealousy and hate,
A touch of friendship mid indifferent crowds
Draw his heart-plan on life’s diminutive map.

उसकी लघुजीवन घड़ियां क्षुद्र वस्तुओं में बीत जाती हैं
जीवन एक छोटी-सी सहचारिता है जिसमें अनेक टकराव हैं,
अल्प घड़ी का प्रेम और ईर्ष्या घृणा भी साथ हैं,
तटस्थ भीड़ के मध्य एक मित्रता का स्पर्श है
वह जीवन के लघु मानचित्र पर निज हृदय योजना आंकता है।

If something great awakes, too frail his pitch
To reveal its zenith tension of delight,
His thought to eternise its ephemeral soar,
Art’s brilliant gleam is a pastime for his eyes,
A thrill that smites the nerves is music’s spell.[164]

यदि कुछ महानता अन्तर में जागती है, पर उसका स्वर बलहीन होता है
वह अपने आत्माह्लाद के चरम बिन्दु को प्रकट नहीं कर पाता है,
इसकी क्षणिक उडान को उसका संकल्प अमरत्व नहीं दे पाता है,
दिव्यकला की दीप्ति-किरण उसके नेत्रों के लिए मनोरंजन बन रह जाती है,
स्नायुओं का आघात एक दिव्य स्पन्दन संगीत की मोहिनी बन जाता है।

Amidst his harassed toil and welter of cares,
Pressed by the labour of his crowding thoughts,
He draws sometimes around his aching brow
Nature’s calm mighty hands to heal his life-pain.

अपने त्रासदीय परिश्रम और दुश्चिन्ताओं की उलझनों के मध्य,
निज विचारों की रेलपेल श्रमसाध्यता से भाराक्रान्त हो,
मानव अपने पीड़ित मस्तक पर प्रकृति के शान्त करों को
कभी-कदास खींच धर लेता है निज प्राण-पीड़ा हरने को।

He is saved by her silence from his rack of self;
In her tranquil beauty is his purest bliss.

प्रकृति की नीरवता उसे आत्म-विनाश से बचा लेती है;
उसी की शान्त सुषमा में उसे विशुद्ध सुखानुभूति होती है।

A new life dawns, he looks out from vistas wide;
The Spirit’s breath moves him but soon retires:
His strength was not made to hold that puissant guest.

एक नवजीवन उदित होता है, वह उन विशाल द़ृश्यों से बाहर अवलोकता है;
उसे परमात्म-भाव का श्वास द्रवित करता है पर शीघ्र लौट जाता है:
उस दिव्य अतिथि को धारण करने की सामर्थ्य उसे प्राप्त नहीं है।

All dulls down to convention and routine
Or a fierce excitement brings him vivid joys:
His days are tinged with the red hue of strife
And lust’s hot glare and passion’s crimson stain;
Battle and murder are his tribal game.

अत: पुनः सब उसी रूढ़िवाद में और पुरानी दिनचर्या की नीरसता में डूब जाता है
अथवा एक भीषण उत्तेजना उसके लिएविविध हर्षों को ले आती हैः
उसके दिवस संघर्ष के लाल रंगों से रंगीन बनते हैं
और आसक्ति को तप्त अग्नि और आवेश के रक्त धब्बों से;
युद्ध और हत्या तो उसके जात-कबीले के खेल हैं।

Time has he none to turn his eyes within
And look for his lost self and his dead soul.

अपने अन्तर में झांकने को उसके पास समय नहीं है
और अपने खोये आत्म-व्यक्तित्व की मृत-आत्मा को खोजने का भी समय नहीं है।

His motion on too short an axis wheels;
He cannot soar but creeps on his long road
Or if, impatient of the trudge of Time,
He would make a splendid haste on Fate’s slow road,
His heart that runs soon pants and tires and sinks;
Or he walks ever on and finds no end.

उसकी चेष्टाएं एक अति बौने चक्र-धुरी के चहुं ओर घूमती हैं;
वह अपने जीवन के दीर्घ मार्ग पर उड़ान नहीं भरता,घिसटता चलता है
अथवा, यदि काल की मन्थर-गति से अधीर हो जाता है,
और वह महाभाग्य के विलम्बकारी पथ पर एक दर्शनीय तीव्रता से बढ़ता है
तो उसका दौड़ता हृदय शीघ्र हांफने लगता है और थककर डूब जाता है;
अन्यथा वह अविराम चलकर किसी भी लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाता है।

Hardly a few can climb to greater life.

अल्पजन ही महत्तर जीवन की ओर चढ़ सकते हैं।

All tunes to a low scale and conscious pitch.

अधिकतर एक धीमी गति की सचेत उच्चता तक ही संगति कर पाते हैं।

His knowledge dwells in the house of Ignorance;
His force nears not even once the Omnipotent,
Rare are his visits of heavenly ecstasy.

मानव का ज्ञान अविद्या के भवन में बसता है;
उसके बल को एक बार भी सर्वशक्तिमत्ता का स्पर्श नहीं मिलता है,
स्वर्गिक आत्माह्लाद का दर्शन भी मिलना दुर्लभ होता है।

The bliss which sleeps in things and tries to wake,
Breaks out in him in a small joy of life:
This scanty grace is his persistent stay;
It lightens the burden of his many ills
And reconciles him to his little world.

वस्तुओं के अन्तर में सोया आनन्द जागने के प्रयास में व्यस्त है,
वही उसमें जीवन के लघु हर्ष के रूपों में प्रस्फुटित होता हैः
यही अल्प-सी कृपा ही उसकी सतत द़ृढ़ आधारशिला है;
जो उसकी अनेक विपत्तियों का बोझ हल्का कर देती है
और उसे अपने लघु सीमित संसार में सन्तुष्ट रखती है।

He is satisfied with his common average kind;
Tomorrow’s hopes and his old rounds of thought,
His old familiar interests and desires
He has made a thick and narrowing hedge [165]
Defending his small life from the Invisible;
His being’s kinship to infinity
He has shut away from him into inmost self,
Fenced off the greatnesses of hidden God.

वह अपने सामान्य औसत वर्ग में तृप्ति पाता है;
भावी-काल की आशाओंऔर अपने विचार के पुराने घेरों की,
अपनी पुरानी परिचित रुचियों और कामनाओं की
उसने एक घनी संकरी बाड़तैयार कर ली है
जिसमें बसा वह विराट् अद़ृश्य से अपने क्षुद्र जीवन की रक्षा करता है;
शाश्वतता से अपनी सत्ता के बन्धुत्व को
उसने अपनेसे दूर कर अपनी अन्तरात्मा की गहनता में कैद कर लिया है,
गोपित प्रभु की महानता पर सीमारेखा खींच दी है।

His being was formed to play a trivial part
In a little drama on a petty stage;
In a narrow plot he has pitched his tent of life
Beneath the wide gaze of the starry Vast.

उसकी सत्ता की रचना एक नगण्य भूमिका निबाहने को
एक तुच्छ रंगमंच पर एक लघु-नाटिका हेतु हुई थी;
एक सीमित संकीर्ण क्षेत्र में उसने जीवन का डेरा
इस विराट्तारामण्डल की विशाल द़ृष्टि तले गाड़ दिया था।

He is the crown of all that has been done:
Thus is creation’s labour justified;
This is the world’s result, Nature’s last poise!

अब तक प्रकृत्ति द्वारा सम्पादितसम्पूर्ण सृष्टि का वह शीर्ष है:
इसी से सृष्टि के कठिन श्रम का औचित्य सिद्ध होता है;
अरे !क्या इस संसार का यही परिणाम है, विश्व-प्रकृति का अन्तिम सन्तुलन है।

And if this were all and nothing more were meant,
If what now seems were the whole of what must be,
If this were not a stade through which we pass
On our road from Matter to eternal Self,
To the Light that made the worlds, the Cause of things,
Well might interpret our mind’s limited view
Existence as an accident in Time,
Illusion or phenomenon or freak,
The paradox of a creative Thought
Which moves between unreal opposites,
Inanimate Force struggling to feel and know,
Matter that chanced to read itself by Mind,
Inconscience monstrously engendering soul.

और यदि इतना ही प्रकृति का अभिप्राय था और अधिक तात्पर्य नहीं है,
यदि अभी जो दिखता है वही भवितव्यता की परिपूर्णता है,
यदि यह जीवन हमारे मार्ग का मात्र एक पड़ाव नहीं है
जिसके मध्य हो हम जड़तत्त्व से शाश्वत परमात्म तत्त्वकीओर जाते हैं,
पदार्थों के आदि-कारणतत्त्व की ओर, लोकों की स्रष्टा परा ज्योति की ओर यात्रा करते हैं,
अरे,तब हमारे मानस की सीमित द़ृष्टि की परिभाषा में
यह सकल सृष्टि महाकाल में हठात् घटित एक दैवयोग घटना है,
माया का प्रपंच है या द़ृष्टि का धोखा है या सब ढोंग है विडम्बना है,
एक सर्जनात्मक विज्ञानीविचार का एक विरोधाभास है
जो अयथार्थ के विरोधी ध्रुवों के मध्य गतिशील है,
अचेत महाशक्ति है जो संवेदन हित और जानने को संघर्षरत है,
जड़तत्त्व है जो स्वयं को मनशक्ति द्वारा पढ़ने को अवसर पा गया है,
पाशविक घोर अचित् है जिसमें विरूपता से आत्मा का बीजारोपण हो गया है।

At times all looks unreal and remote:
We seem to live in a fiction of our thoughts
Pieced from sensation’s fanciful traveller’s tale,
Or caught on the film of the recording brain,
A figment or circumstance in cosmic sleep.

कुछ अवसरों पर सब अवास्तविक और सुदूर दिखता हैः
हम अपने विचारों की एक गाथा में बसे रहते हैं
यात्री के इन्द्रिय-संवेदनों के टुकड़ों को कल्पित कथा में जोड़ लेते हैं,
या यह जगत् हिसाब-किताबी मस्तिष्क पटल पर धर लिया है,
मानों ब्रह्माण्डीय सुषुप्ति में सपनायीगयी एक कपोल कल्पना या घटना है।

A somnambulist walking under the moon,
An image of ego treads through an ignorant dream
Counting the moments of a spectral Time.

शशि तले रजनी में जैसे एक निद्राचारी विचरण करता हो,
वैसे ही अहम् का यह पुतला एक अपरिचित स्वप्न के मध्य
एक त्रिकाल की घड़ियां प्रेत समान गिनता पांव रखता है।

In a false perspective of effect and cause,
Trusting to a specious prospect of world-space,
It drifts incessantly from scene to scene,
Whither it knows not, to what fabulous verge.[166]

कार्य और कारण के एक मिथ्या परिप्रेक्ष्य में
जगत्-दिशा के सत्याभासी परिद़ृश्य पर विश्वास कर,
यह एक द़ृश्य से दूसरे द़ृश्य तक अविरत बहता जाता है,
किस विस्मयकारी तट पर उसे कहां पहुंचना है वह नहीं जानता।

All here is dreamed or doubtfully exists,
But who the dreamer is and whence he looks
Is still unknown or only a shadowy guess.

यहां पर सब सपनाया गया या अनिश्चित अस्तित्व है,
किन्तु यह स्वप्नद्रष्टा कौन है और कहां देख रहा है
जो अभी तक अज्ञात है या केवल अनुमानी आभास है।

Or the world is real but ourselves too small,
Insufficient for the mightiness of our stage.

या यह संसार वास्तविक है किन्तु हम स्वयं अति क्षुद्र हैं,
अपने इस विशाल रंगमंच की तुलना में हम अति तुच्छ हैं।

A thin life-curve crosses the titan whirl
Of the orbit of a soulless universe,
And in the belly of the sparse rolling mass
A mind looks out from a small casual globe
And wonders what itself and all things are.

इस एक आत्माहीन ब्रह्माण्डीय-कक्षा के इस भीषण गतिचक्र को
प्राण-जीवन की एक संकुचित पतली वक्ररेखा पार करती है,
और इस विकीर्ण घूमते लोटते स्थूल पुंज के उदर से
एक नन्हीं साधारण गोल पृथ्वी से एक मन बाहर देखता है
और यह अपने स्वयं के विषय में तथा सकल पदार्थों के बारे में आश्चर्य करता है।

And yet to some interned subjective sight
That strangely has formed in Matter’s sightless stuff,
A pointillage minute of little self
Takes figure as world-being’s conscious base.

फिर भी अन्तर में कैद किसी आत्मानुभूति की अन्तर्द़ृष्टि है
जो अद्भुत रूप से जड़तत्त्व के अन्धे द्रव्य में गठित हो गयी है,
यही हमारे लघु व्यक्तित्व का सूक्ष्म सारगर्भित एक चैत्य बिन्दु है
जो विश्व-सत्ता के सचेत आधार-सम रूप धारण कर लेता है।

Such is our scene in the half-light below.

इस अर्ध-ज्योतित भौतिक निम्नता में हमारा द़ृश्य ऐसा ही है।

This is the sign of Matter’s infinite,
This the weird purport of the picture shown
To Science the giantess, measurer of her field,
As she pores on the record of her close survey
And mathematises her huge external world,
To Reason bound within the circle of sense,
Or in Thought’s broad impalpable Exchange
A speculator in tenuous vast ideas,
Abstractions in the void her currency
We know not with what firm values for its base.

जड़तत्त्व की नित्यता का यही एक चिह्न है,
इस दिखायी देते चित्र का यही अलौकिक अभिप्राय है
परम-विज्ञान की यही महत्ता है, उसके प्रभाव-क्षेत्र का मापयन्त्र है,
जब वह विज्ञानमयी अपने सूक्ष्म सर्वेक्षण हित विवरण को जांचती है
और अपने विराट्-बहिर्जगत् के गणित की गणना करती है
तो इन्द्रिय-बोध के अन्तर्गत विवेकी चित्त को बांध देती है,
अथवा अन्तर-संकल्प के विस्तृत सूक्ष्म आत्मविनिमय में,
यह सूक्ष्म-विशाल-भाव-विचारों में एक सट्टेबाज बन कार्य करती है,
इस रिक्तता में उसकी मुद्राएं कपोल-कल्पनाएं लगती हैं
इसके आधार में कौन से द़ृढ़ मूल्य हैं हम यह भी नहीं जानते।

Only religion in this bankruptcy
Presents its dubious riches to our hearts
Or signs unprovisioned cheques on the Beyond:
Our poverty shall there have its revenge.

हमारे इस दिवालियेपन में केवल धर्म है
जो अपनी संदिग्ध सम्पत्तियां हमारे हृदय को भेंट करता है
या फिर परलोक के नाम पर ऐसा चैक देता है जो भुनाया नहीं जा सकता:
इस प्रत्याशा में कि वहां हमारी दरिद्रता का पूरा भुगतान मिल जायेगा।

Our spirits depart discarding a futile life
Into the black unknown or with them take
Death’s passport into immortality.

इस व्यर्थ जीवन को त्याग हमारी आत्माएं विदा ले चली जाती हैं
एक शून्य अज्ञात में या अपने संग अमरता में प्रवेश पाने को
ले जाती है मृत्यु के पारपत्र को।

Yet was this only a provisional scheme,
A false appearance sketched by limiting sense,
Mind’s insufficient self-discovery,[167]
An early attempt, a first experiment.

तथापि यह केवल एक अस्थायी अन्तरिम-योजना है,
सीमित इन्द्रिय-बोध द्वारा अंकित एक मिथ्या प्रतीति है
मानस का अपर्याप्त आत्म-संधान है,
एक प्रारम्भिक प्रयास है, एक प्रथम परीक्षण है।

This was a toy to amuse the infant earth;
But knowledge ends not in these surface powers
That live upon a ledge in the Ignorance
And dare not look into the dangerous depths
Or to stare upward measuring the Unknown.

यह तो एक खिलौना है जो शिशु-धरती को बहलाने को दिया गया है;
किन्तु इन सतही शक्तियों में ही, जो अन्ध अविद्या के तट पर बसती हैं
पराज्ञान की सीमा समाप्त नहीं हो जाती है,
वे इन खतरनाक गर्तों में झांकने का साहस नहीं कर पाती हैं
या अज्ञेय की थाह लेने ऊर्ध्व कीओर नहीं ताकती हैं।

There is a deeper seeing from within
And, when we have left these small purlieus of mind,
A greater vision meets us on the heights
In the luminous wideness of the Spirit’s gaze.

यहां अन्तरात्मा में एक गहन गम्भीरतर आत्म-द़ृष्टि है
और, जब हमारे मन इन लघु बाह्यांचलों को त्याग देते हैं,
तब उच्च शिखरों पर एक महत्तर आत्मदर्शन आ भेंटता है
परमात्मा की चितवन के दीप्तिमय विस्तारों में हमें आ मिलता है।

At last there wakes in us a witness Soul
That looks at truths unseen and scans the Unknown;
Then all assumes a new and marvellous face.
The world quivers with a God-light at its core,
In Time’s deep heart high purposes move and live,
Life’s borders crumble and join infinity.

अन्त में हमारे अन्तर में एक साक्षी आत्मपुरुष जाग जाता है
जो अद़ृश्य सत्यों की ओर देखता और अज्ञेय प्रभु को खोजता है;
तब अखिल एक नवीन और अद्भुत रूप धर लेता है:
यह संसार निज मर्मस्थल में एक दैवी-प्रकाश से स्पन्दित हो उठता है,
युग-काल के गहन हृदय में उच्च उद्देश्य गतिशील हो आ बसता है,
प्राण-जीवन की सीमाएं विनष्ट हो शाश्वतता से जुड़ जाती हैं।

This broad, confused, yet rigid scheme becomes
A magnificent imbroglio of the Gods,
A game, a work ambiguously divine.

व्यापक, भ्रमित तथापि दुर्नम्य परियोजनाएं बन जाती हैं
इन देवताओं द्वारा रचित एक भव्य उलझन का घोटाला,
यह एक क्रीड़ा और एक कर्म है जो कुछ अस्पष्ट दिव्य-सा दिखता है।

Our seekings are short-lived experiments
Made by a wordless and inscrutable Power
Testing its issues from inconscient Night
To meet its luminous self of Truth and Bliss.

हमारे संधान सब अल्प-कालजीवी प्रयोग हैं
जो एक मूक और ज्ञानातीत महाशक्ति द्वारा किये जाते हैं,
जो अचित् घोर-अज्ञरात्रि से उत्पन्न विषयों पर परीक्षण करती है
जिससे वह परम-सत्य और आत्मानन्द रूपी अपने ज्योतिर्मय तत्त्व को भेंट सके।

It peers at the Real through the apparent form;
It labours in our mortal mind and sense;
Amid the figures of the Ignorance,
In the symbol pictures drawn by word and thought,
It seeks the truth to which all figures point;
It looks for the source of Light with vision’s lamp;
It works to find the doer of all works,
The unfelt Self within who is the guide,
The unknown Self above who is the goal.

हमारे प्रत्यक्ष आकार में छिपे परम-सत् को देखती है;
यह हमारे नश्वर मन और इन्द्रियों द्वारा श्रम करती है;
इस अज्ञ-अविद्या की इन आकृतियों के मध्य,
शब्द और विचार द्वारा अंकित इन प्रतीक छवियों के मध्य,
यह उस सत्य को खोजती है जिसकी ओर प्रत्येक रूप इंगित करता है;
यह आत्मदर्शन के दीप से परा-ज्योति का उद़्गम खोजती है;
यह सकल कर्मों के परम-कर्ता को पा लेने को कार्यरत है,
अनुभूति से परे अन्तर्यामी पथप्रदर्शक परमात्मा का अनुभव पाने को,
उस परम-लक्ष्य अज्ञेय सर्वोच्च परमात्मा को जान लेने को।

All is not here a blinded Nature’s task:
A Word, a Wisdom watches us from on high,
A Witness sanctioning her will and works,
An Eye unseen in the unseeing vast;[168]
There is an Influence from a Light above,
There are thoughts remote and sealed eternities:
A mystic motive drives the stars and suns.

इस पृथ्वी पर सम्पूर्ण एक अन्धी अपरा प्रकृति का ही परिश्रम नहीं है:
एक ओंकार शब्दब्रह्म, एक दिव्य प्रज्ञा हमें ऊर्ध्व से अवलोकती है,
एक साक्षी परमात्मा उसके संकल्प और कार्यों को स्वीकृति देता है,
इस अगोचर विराट् में एक अद़ृश्य दिव्य-साक्षी द़ृष्टि है;
ऊर्ध्व से आती एक पराज्योति का यहां एक प्रभाव पड़ता है,
सुदूर से आये संकल्पों और मुहरबन्द शाश्वतताओं में;
एक गुह्य उद्देश्य इन तारों और सूर्यों का संचालन करता है।

In this passage from a deaf unknowing Force
To struggling consciousness and transient breath
A mighty supernature waits on Time.

एक बधिर अनभिज्ञ महाऊर्जा से आरम्भ हुई इस यात्रा में
जो संघर्षरत चेतना में और नश्वर प्राणश्वास में
एक महती परा-प्रकृति इस दिक्काल में परिचारिका सम नियुक्त है।

The world is other than we now think and see,
Our lives a deeper mystery than we have dreamed;
Our minds are starters in the race to God,
Our souls deputed selves of the Supreme.

अभी हम जैसा सोचते और देखते हैं यह संसार उससे भिन्न है,
हमारे जीवनों का रहस्य अब तक देखे गये सपनों से कहीं अधिक गहन है;
प्रभु कीओर दौड़ती इस दौड़ में हमारे मन तो मात्र आरम्भिक बिन्दु हैं,
हमारे आत्म-पुरुष परमात्मा द्वारा नियुक्त उसी के अपने अंश हैं।

Across the cosmic field through narrow lanes
Asking a scanty dole from Fortune’s hands
And garbed in beggar’s robes there walks the One.

ब्रह्माण्डीय क्षेत्र को पार कर इन संकुचित गलियों के मध्य विचरता
भाग्यदेवी के हाथों से एक तुच्छदान की भिक्षा मांगता
और भिक्षुक के वस्त्रों को पहन यहां परमैकम् स्वयं आया है।

Even in the theatre of these small lives
Behind the act a secret sweetness breathes,
An urge of miniature divinity.

इन लघु-जीवनों की इस रंगशाला में
कर्म की प्रक्रिया के पीछे एक रहस्यपूर्ण माधुरी श्वास लेती है,
लघुरूपी दिव्यता की यह एक प्रवृत्ति है।

A mystic passion from the wells of God
Flows through the guarded spaces of the soul;
A force that helps, supports the suffering earth,
An unseen nearness and a hidden joy.

प्रभु के कूपों से उठता एक गुह्य प्रेमावेग है
जो अन्तरात्मा के सुरक्षित अन्तराकाश में बहता है;
एक बल है जो इस पीड़ित धरा का सहारा और सहायक है,
एक अगोचर प्रभु सान्निध्य और एक अप्रत्यक्ष सुख है।

There are muffled throbs of laughter’s undertones,
The murmur of an occult happiness,
An exultation in the depths of sleep,
A heart of bliss within a world of pain.

मन्द अन्तर्हास्य के दमित स्फुरण वहां पुलकित हैं,
यह एक गुह्य आत्म-प्रसाद का गुंजन है,
सुषुप्ति की गहनताओं में एक उत्साह है,
पीड़ा के संसार के अन्तर में एक आनन्द का हृदय है।

An Infant nursed on Nature’s covert breast,
An Infant playing in the magic woods,
Fluting to rapture by the Spirit’s streams,
Awaits the hour when we shall turn to his call.

प्रकृति देवी के आच्छादित स्तन पर एक देव-शिशु पोषित है,
इन मायावी वनों में एक देवशिशु खेल रहा है,
आत्म-भाव की धाराओं के तट पर वंशी बजाता रसमाधुरी बहा रहा है,
कब हम उसकी पुकार की ओर मुड़ेंगे वह उस घड़ी की प्रतीक्षा में है।

In this investiture of fleshly life
A soul that is a spark of God survives
And sometimes it breaks through the sordid screen
And kindles a fire that makes us half-divine.

दैहिक जीवन की इस मांसलता के पट के पीछे
एक चैत्य-पुरुष जो प्रभु का स्फुलिंग है सुरक्षित है
और कभी-कभी इस कलुषित पट को वह तोड़ बाहर आ जाता है
और उस एक अग्नि को जो हमें अर्धदेव बनाती है प्रज्वलित कर देता है।

In our body’s cells there sits a hidden Power
That sees the unseen and plans eternity,
Our smallest parts have room for deepest needs;
There too the golden Messengers can come:[169]
A door is cut in the mud wall of self;
Across the lowly threshold with bowed heads
Angels of ecstasy and self-giving pass,
And lodged in an inner sanctuary of dream
The makers of the image of deity live.

हमारे शरीर के कोषाणुओं में एक गुप्त दैवी-शक्ति छिपी है
जो अद़ृश्य को देखती है और शाश्वतता की योजना बनाती है,
हमारे अणुतम अंगों में गहनतम आवश्यकताएं होती हैं;
वहां पर भी ये स्वर्णिम देवदूत पहुंच सकते हैः
व्यक्तित्व की माटी की दीवार में एक द्वार काट देते हैं:
इस नीची देहरी को पार कर शीश झुकाये
हर्षोल्लास और आत्मसमर्पण के देवदूत आ जाते हैं,
और स्वप्न की अन्त:स्थ आश्रयभूमि में बस जाते हैं
देवप्रतिमा के स्त्रष्टा ये निर्माता यहां रहने लगते हैं।

Pity is there and fire-winged sacrifice,
And flashes of sympathy and tenderness
Cast heaven-lights from the heart’s secluded shrine.

वहीं पर करुणा और आत्मबलिदानी तेजस्विता का वास है,
सहानुभूति की किरणें और दयालुता की दीप्ति-झलकें
उस ह्रदय की एकाकी वेदी से स्वर्गिक प्रकाश फेंकती हैं।

A work is done in the deep silences;
A glory and wonder of spiritual sense,
A laughter in beauty’s everlasting space
Transforming world-experience into joy,
Inhabit the mystery of the untouched gulfs;
Lulled by Time’s beats eternity sleeps in us.

उन गहन मूक नीरवताओं में एक कार्य सिद्धि होती है;
आत्मिक-बोध की एक महिमा और चमत्कार होती है,
सौन्दर्य के चिर-आकाश में एक उल्लसित हास्य उदित होता है
जो भौतिक अनुभव को आनन्दसुख में परिवर्तित कर देता है,
अगम्य गर्तों के इस रहस्य में प्रभु बसता है;
महाकालीय धड़कनों द्वारा थपकाया जाता चिरन्तन हमारे अन्तर में सोया है।

In the sealed hermetic heart, the happy core,
Unmoved behind this outer shape of death
The eternal Entity prepares within
Its matter of divine felicity,
Its reign of heavenly phenomenon.

इस वायु-रुद्ध हृदय में कैद, वह आनन्दघन सारतत्त्व है,
इस बाहरी मृत्यु-आकार के पीछे अचल स्थित
वह शाश्वत परम-सत्ता अन्तर में तत्पर
अपने दिव्यानन्द के द्रव्य कोतैयार करती है,
अपने स्वर्गिक द़ृश्याभासों के साम्राज्य को रचती है।

Even in our sceptic mind of ignorance
A foresight comes of some immense release,
Our will lifts towards it slow and shaping hands.

यहां तक कि हमारे अविद्या के संशयी मानस में
किसी विशाल मुक्ति हित एक भावी द़ृष्टिकोण उदित हो जाता है,
और इसकीओर हमारा संकल्प निज सुडौल हाथों को धीरे-धीरे बढ़ाता है।

Each part in us desires its absolute:
Our thoughts cover the everlasting Light,
Our strength derives from an omnipotent Force,
And since from a veiled God-joy the worlds were made
And since eternal beauty asks for form
Even here where all is made of being’s dust,
Our hearts are captured by ensnaring shapes,
Our very senses blindly seek for bliss.
Our error crucifies Reality
To force its birth and divine body here,
Compelling, incarnate in a human form
And breathing in limbs that one can touch and clasp,
Its knowledge to rescue ancient Ignorance,
Its saviour light the inconscient universe.[170]

हमारा प्रत्येक भाग अपनी चरम पूर्णता की इच्छा करता है।
उस अनन्त चिर प्रकाश की कामना से हमारे विचार भर जाते हैं,
एक सर्वशक्तिशाली दिव्य-ऊर्जा से हम अपना बल अर्जित करते हैं,
और क्योंकि एक प्रच्छन्न परमानन्द से ये लोक रचे गये हैं
और अमर दिव्य सौन्दर्य यहां रूपायित होने को आकार चाहता है
इस भौतिक लोक में भी जहां सब सत्ता धूलिकण से रचित है,
हमारे नश्वर हृदय भी रूपों की मोहिनी में धर लिये जाते हैं,
हमारी इन्द्रियां भी अन्धता में अनजाने आत्म-सुख को खोजती हैं,
हमारी भूल-भ्रान्ति परम-सत्य की बलि चढ़ा
उसे यहां पर जन्म लेने को और दिव्य देह हित बाध्य कर देती है,
एक मानवीय आकार में अवतरित होनेको विवश कर देती है
और अंगों में श्वास भर देती है जिससे वह इसे स्पर्श कर आलिंगन में ले सके,
इसकी विद्या एक पुरातन अविद्या से मुक्ति के लिए है
इसकीउद्धारिणी त्राता ज्योति इस अचित् विश्व के उद्धार हित है।

And when that greater Self comes sea-like down
To fill this image of our transience,
All shall be captured by delight, transformed:
In waves of undreamed ecstasy shall roll
Our mind and life and sense and laugh in a light
Other than this hard limited human day,
The body’s tissues thrill apotheosised,
Its cells sustain bright metamorphosis.

और जब वह महत्तर चरम-व्यक्तित्व सिंधु-सम नीचे अवतरित होगा
हमारी नश्वर माटी की इस प्रतिमा को परिपूर्ण करने,
तब समस्त को आनन्द से अधिकृत कर, रूपान्तरित कर देगा:
अकल्पित प्रेमानन्द की लहरों में लोटपोट होते
हमारे मानस और प्राण और इन्द्रिय एक प्रकाश में हंसेंगे
वे दिवस इस कटु, सीमित मानवीय दिन सेभिन्न होंगे,
इस काया के ऊतक दिव्यता प्राप्त कर पुलकित होंगे,
इसके कोषाणु तेजस्वी रूपान्तरण क्रिया का पोषण करेंगे।

This little being of Time, this shadow-soul,
This living dwarf-figure-head of darkened spirit
Out of its traffic of petty dreams shall rise.

युगान्तर की यह लघु सत्ता, यह छायाभासी आत्मा,
धूमिल आत्मा का यह जीवित, नाममात्र का स्वामी वामनाकार नर,
निज तुच्छ स्वप्नों के यातायात को तज, उन्नत हो जायेगा।

Its shape of person and its ego face
Divested of this mortal travesty,
Like a clay troll kneaded into a god
New-made in the image of the eternal Guest,
It shall be caught to the breast of a white Force
And, flaming with the paradisal touch
In a rose-fire of sweet spiritual grace,
In the red passion of its infinite change,
Quiver, awake, and shudder with ecstasy.

इसके व्यक्तित्व का आकार और इसके अहम् का चेहरा
अपने नश्वर विडम्बना के इस रूप से विमुक्त हो,
एक माटी के ढेले सम गूंधा जाकर एक देव सम प्रतिमा में
हमारे अन्तर्वासीशाश्वत दिव्य अतिथि की छवि में नवनिर्मित होगा,
तब यह एक विशुद्ध धवल जग-जननी के स्तन से जा चिपकेगा
और, उस स्वर्गिक स्पर्श से प्रज्वलित हो
मधुर आध्यात्मिक कृपा की गुलाबी अग्नि में,
इसके अनन्त रूपान्तर के अरुणिम रागावेश में सिहरता,
जाग उठेगा, और परमानन्द से पुलकित हो उठेगा।

As if reversing a deformation’s spell,
Released from the black magic of the Night,
Renouncing servitude to the dark Abyss,
It shall learn at last who lived within unseen
And seized with marvel in the adoring heart
To the enthroned Child-Godhead kneel aware,
Trembling with beauty and delight and love.

मानों एक विकृति के मोहपाश को उलटा कर,
इस अन्ध कालरात्रि के काले जादू से मुक्ति पा,
इस काले घोर गर्त की दासता को त्याग देगा,
अन्त में यह अन्तर्वासी अगोचर सत्ता के विषय में ज्ञान पायेगा
और अपने प्रेमी श्रद्धालु हृदय में आश्चर्य से चकित हो
उस अधिष्ठित बाल-प्रभु के सम्मुख सचेत हो नमित हो जायेगा,
श्री और आत्मानन्द और प्रेम से पुलकायमान हो सिहर उठेगा।

But first the spirit’s ascent we must achieve
Out of the chasm from which our nature rose.

किन्तु सर्वप्रथम उस गर्त से जहां से हमारा स्वभाव उदित हुआ है
बाहर निकल हमें अपनी आत्मसत्ता में आरोहण करना है।

The soul must soar sovereign above the form
And climb to summits beyond mind’s half-sleep;
Our hearts we must inform with heavenly strength,
Surprise the animal with the occult god.

जीव को इस काया के ऊपर एकाधिपत्य में उठना होगा
और मन की इस अर्ध-निद्रित स्थिति से परे शिखरों पर चढ़ना होगा;
अपने हृदय को दिव्य-शक्ति से अनुप्राणित कर,
इस नरपशु को गुह्य देवत्व से चकित करना होगा।

Then kindling the gold tongue of sacrifice,
Calling the powers of a bright hemisphere,
We shall shed the discredit of our mortal state,[171]
Make the abysm a road for Heaven’s descent,
Acquaint our depths with the supernal Ray
And cleave the darkness with the mystic Fire.

तब समर्पण की स्वर्ण-ज्वालाको प्रज्वलित कर,
एक तेजोमय अर्ध-गोलार्ध की शक्तियों का आवाहन कर,
हम अपनी मर्त्य अवस्था की अधोगति को त्याग देंगे,
तब इस अथाह गर्त को स्वर्ग अवतरण हेतु एक मार्ग बना देंगे,
अपनी अतलताओं की दिव्य आत्म-किरण से पहचान करा देंगे
और इस घोर अन्धता के अन्तर को आध्यात्मिक गुह्याग्नि से भर देंगे।

 

Adventuring once more in the natal mist
Across the dangerous haze, the pregnant stir,
He through the astral chaos shore a way
Mid the grey faces of its demon gods,
Questioned by whispers of its flickering ghosts,
Besieged by sorceries of its fluent force.

एक बार फिर से इस प्रासूतिक कुहरे की साहसी यात्रा पर बढ़ता
उस खतरनाक धुंध, और गर्भित आन्दोलित उत्तेजना को पार करता,
योगी इस नक्षत्रीय अव्यवस्था के मध्य एक राह बनाता
इसके आसुरी देवताओं के धूसर-रंगी मुखों के बीच से निकल गया,
इसके टिमटिमाते प्रेतों ने खुसफुसा कर शंकाएं उठायीं,
इसकी तरल-ऊर्जा बल ने जादू टोनों से घेराबन्दी डाली।

As one who walks unguided through strange fields
Tending he knows not where nor with what hope,
He trod a soil that failed beneath his feet
And journeyed in stone strength to a fugitive end.

जैसे कोई बिना पथ-प्रदर्शक के अनजानी भूमि में विचरण करता हो
किस ओर कहां जाना है किससे क्या आशा करे, पूरी तरह अनजान हो,
वह जिस भूमि पर पांव रखता वही असफल हो धसक जाती
और पाषाणीबल से भरा वह क्षणभंगुर अन्त कीओर यात्रा कर रहा था।

His trail behind him was a vanishing line
Of glimmering points in a vague immensity;
A bodiless murmur travelled at his side
In the wounded gloom complaining against light.

उसके पीछे छूटी पगडंडी के चिह्न लोप होती एक रेखा थी
जो एक धूसर-रंगी धूमिल विस्तार में टिमटिमाते बिन्दुओं की थी;
एक अशरीरी मरमरी ध्वनि उसके संग चल रही थी
उस आहत विषाद में यह प्रकाश के विरुद्ध शिकायत कर रही थी।

A huge obstruction its immobile heart,
The watching opacity multiplied as he moved
Its hostile mass of dead and staring eyes;
The darkness glimmered like a dying torch.

इसका जड़ अचल ह्रदय एक विशाल बाधा थी,
जैसे जैसे वह बढ़ता निरीक्षिका द़ृष्टि की धूमिलता कई गुणा बढ़ती जाती
जो इसकी मृत और घूरती आंखों की विद्वेषी भीड़ थी;
एक तम-कालिमा वहां एक बुझती मशाल सम सुलग रही थी।

Around him an extinguished phantom glow
Peopled with shadowy and misleading shapes
The vague Inconscient’s dark and measureless cave.

योगी के चहुं ओर एक बुझी हुई चिता कीलाल-दीप्ति थी
जो छायाभासी और भ्रामक रूपों से भरी हुई
यह अस्पष्ट अगाध घोर अचित् की काली असीम गुफा थी।

His only sunlight was his spirit’s flame.[172]

केवल योगी की अपनी आत्म-ज्योतिशिखा की वहां धूप चमक रही थी।

END OF CANTO FIVE