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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Two. Canto Eight (Eng-Hindi)

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BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS

Canto Eight. The World of Falsehood, the Mother of Evil and the Sons of Darkness

 

Then could he see the hidden heart of Night:
The labour of its stark unconsciousness
Revealed the endless terrible Inane.

तब अश्वपति घोर अन्धकार का गुप्त अन्तर केन्द्र देख सका:
इसकी नितान्त कटु अचेतनता के कठोर परिश्रम ने
उस अनन्त अगाध भीषण असत् को प्रकटा दिया।

A spiritless blank Infinity was there;
A Nature that denied the eternal Truth
In the vain braggart freedom of its thought
Hoped to abolish God and reign alone.

एक आत्महीन रीती अनन्तता का वहां अस्तित्व था;
एक घोर प्रकृति जोशाश्वत परम सत्य को नकारती
अपने विचार स्वातन्त्र्य की घमण्डी व्यर्थ आत्म-श्लाघा में लगी रहती
और ईश्वर को मिटाकर अकेली शासन करने की आशा करती।

There was no sovereign Guest, no witness Light;
Unhelped it would create its own bleak world.

वहां कोई भी परम देव-अतिथि नहीं था, कोई साक्षी परा-ज्योति नहीं थी;
बिना किसी सहायता के इसने अपना निरानन्दी संसार रच डाला था।

Its large blind eyes looked out on demon acts,
Its deaf ears heard the untruth its dumb lips spoke;
Its huge misguided fancy took vast shapes,
Its mindless sentience quivered with fierce conceits;
Engendering a brute principle of life
Evil and pain begot a monstrous soul.

इसके विशाल अंधे नेत्र आसुरी कर्मों का सर्वेक्षण करते,
इसके मूक ओष्ठ जो कहते उसी असत्य को बधिर कान सुनते;
इसकी भ्रान्तिपूर्णभीषण कल्पनाएं बृहदाकार रूपों को धर लेतीं,
इसकी मनविहीना अधोचेतना प्रचण्ड मिथ्यागर्व से सिहरती;
जीवन के एक पाशविक मूलतत्त्व का बीज रोपण कर
पाप और पीड़ा ने एक आसुरी-जीव उत्पन्न किया था।

The Anarchs of the formless depths arose,
Great Titan beings and demoniac powers,
World-egos racked with lust and thought and will,
Vast minds and lives without a spirit within:
Impatient architects of error’s house,
Leaders of the cosmic ignorance and unrest
And sponsors of sorrow and mortality
Embodied the dark Ideas of the Abyss.
A shadow substance into emptiness came,
Dim forms were born in the unthinking Void
And eddies met and made an adverse Space
In whose black folds Being imagined Hell.

आकारहीन गहनताओं की दानवी अराजकताएं ऊपर उठ आयीं
महान् आसुरी सत्ताएं और दानवी बल खड़े हो गये,
संसार के अहम् सब विलास और तर्क और कामना में फंस गये,
विराट् मन और जीवन थे पर अन्तर आत्मचेतनाहीन थेः
मिथ्या ज्ञान-भवन के अधीर शिल्प-कर्मियों ने,
वैश्विक अज्ञान और उत्तेजना के नेताओं ने
और दुःख-यातना और मर्त्यता के समर्थकों ने
उस घोर गर्त की काली घोर धारणाओं को साकार बना दिया
रीतेपन में तत्त्व की एक प्रेत छाया आ गयी,
उस विचारहीन असार शून्य में धुंधली आकृतियां उत्पन्न हो गयीं
और चक्रवातों ने मिल एक विरोधी अन्तराकाश बना लिया
जिसकी काली पर्तों में परम-सत्ता ने घोर नरक की कल्पना कर डाली।

His eyes piercing the triple-plated gloom
Identified their sight with its blind stare:
Accustomed to the unnatural dark, they saw[220]
Unreality made real and conscious Night.

योगी की द़ृष्टि अन्धकार का त्रिगुणीय कवच बेधकर
इसकी अंधी टकटकी के साथ उनके लक्ष्य से एक हो गयी:
उस अस्वाभाविक अन्धकार के अभ्यस्त हो, उसके नेत्रों ने
अयथार्थ को यथार्थ बनते और उस काल रात्रि को सचेत होते देखा।

A violent, fierce and formidable world,
An ancient womb of huge calamitous dreams,
Coiled like a larva in the obscurity
That keeps it from the spear-points of Heaven’s stars.

एक हिंसक, भयानक और दुर्जेय संसार,
विशाल अनर्थकारी दुस्स्वप्नों का एक आदि-गर्भाशय,
यह अन्धकार में एक डिंभक सम कुण्डलित था
जो इसे स्वर्गिक नक्षत्रों के तीक्ष्ण शूलाग्रों से बचाता।

It was the gate of a false Infinite,
An eternity of disastrous absolutes,
An immense negation of spiritual things.

यह एक मिथ्या चिरन्तनता का द्वार था,
विनाशकारी निरंकुशताओं का एक शाश्वत तत्त्व था
आत्मिक तत्त्वों का एक घोर अभाव था।

All once self-luminous in the spirit’s sphere
Turned now into their own dark contraries:
Being collapsed into a pointless void
That yet was a zero parent of the worlds;
Inconscience swallowing up the cosmic Mind
Produced a universe from its lethal sleep;
Bliss into black coma fallen, insensible,
Coiled back to itself and God’s eternal joy
Through a false poignant figure of grief and pain
Still dolorously nailed upon a cross
Fixed in the soil of a dumb insentient world
Where birth was a pang and death an agony,
Lest all too soon should change again to bliss.

वह समस्त जो कभी आत्म-भाव में स्वयं-प्रकाशित था
अब अपने ही आत्म-अन्धकार के विरोधाभासों में परिवर्तित था:
अस्तित्व एक लक्ष्यहीन शून्य में ढह चुका था
तथापि वही शून्य इन लोकों का भी एक जनक था;
इस घोर अचित् ने विश्व चित्-शक्ति को निगलकर
निज सांघातिक सुषुप्ति से एक विश्व उत्पन्न कर दिया;
आत्मानन्द एक काली मूर्छा में संज्ञाहीन हो गिर,
अपने में ही कुण्डलित हो गया और प्रभु का शाश्वत हर्ष
दुःख और पीड़ा का एक मिथ्या कटु रूप लेकर
अभी तक एक मूक निर्जीव जगत् की माटी में
द़ृढ़ता से एक क्रूस पर दुःखी उदास टंगा था,
जहां जीवन एक पीड़ा था और मृत्यु एक यन्त्रणा,
जिससे कहीं यह सब अतिशीघ्र ही आनन्द में पुनः रूपान्तरित न हो जाये।

Thought sat, a priestess of Perversity,
On her black tripod of the triune Snake
Reading by opposite signs the eternal script,
A sorceress reversing Life’s God-frame.

यद्यपि घोर विकृति की एक पुरोहित बनी मूलविचारशक्ति आसीन थी,
त्रिगुणी कालसर्प की अपनी काली तिपाई पर बैठी
यह पाप उपासिका शाश्वत-लिपि को विपरीत संकेतों से पढ़ रही थी,
एक मायाविनी इस प्राण-जीवन के भागवत ढांचे को उलट रही थी।

In darkling aisles with evil eyes for lamps
And fatal voices chanting from the apse,
In strange infernal dim basilicas
Intoning the magic of the unholy Word,
The ominous profound Initiate
Performed the ritual of her Mysteries.

अंधेरे कक्षों में जहां अशुभ द़ृष्टि बत्तियों समान जलतीं
और घातक वाणियां अर्ध-चन्द्राकारी प्रांगण से नाम उच्चारतीं,
विचित्र धूमिल नारकीय मुख्य-पूजाकक्षों में
पातकी घोर-नाम का जादू ध्वनित हो रहा था,
इस प्रकार वह अमंगली अशुभ प्रकाण्ड महापण्डिता
अपने घोर रहस्यों के अनुष्ठान सम्पादित करती।

There suffering was Nature’s daily food
Alluring to the anguished heart and flesh,
And torture was the formula of delight,
Pain mimicked the celestial ecstasy.

वहां पर उत्पीड़न उस घोर-प्रकृति का दैनिक भोजन था
जो सन्तप्त हृदय और देह को आकर्षित करता,
यातना देना जैसे सुख देने का नियम था,
पीड़ा स्वर्गिक आह्लाद होने का स्वांग करती।

There Good, a faithless gardener of God,[221]
Watered with virtue the world’s upas-tree
And, careful of the outward word and act,
Engrafted his hypocrite blooms on native ill.

वहां पर शुभ-कल्याण प्रभु का एक श्रद्धाहीन माली था,
जो संसार के विष-वृक्ष को गुणों के पानी से सींचता
और, ऊपरी वाणी और कर्म के प्रति सावधान हो,
उसने निज पाखण्डी पुष्पों की कलमें पार्थिव दोष पर रोप दीं।

All high things served their nether opposite:
The forms of Gods sustained a demon cult;
Heaven’s face became a mask and snare of Hell.

सकल उत्तम पदार्थ अपने निम्न विरोधों की सेवा में लगे थे:
देवों के रूप भी एक दानवीय-उपासना को पोषण देते;
स्वर्ग का आनन भी घोर नरक का मुखौटा और एक पाश बन गया था।

There in the heart of vain phenomenon,
In an enormous action’s writhen core
He saw a shape illimitable and vague
Sitting on Death who swallows all things born.

वहां उस सारहीन द़ृश्य प्रपंच के अन्तर में,
एक घोर-कर्म के छटपटाते मर्म-स्थल में
योगी ने एक असीम और अस्पष्ट-सी आकृति देखी
यह यम की छाती पर सवार सकल जन्मे पदार्थों का भक्षण करती।

A chill fixed face with dire and motionless eyes,
Her dreadful trident in her shadowy hand
Outstretched, she pierced all creatures with one fate.

अचल दारुण विकराल नेत्रों की एक भावशून्य ठंडे मुखवाली आकृति
निज छायाभासी कर में अपना भयंकर त्रिशूल थामे
हाथ बढा़, वह समस्त प्राणियों को एक ही नियति से छेद रही थी।

 

When nothing was save Matter without soul
And a spiritless hollow was the heart of Time,
Then Life first touched the insensible Abyss;
Awaking the stark Void to hope and grief
Her pallid beam smote the unfathomed Night
In which God hid himself from his own view.

जब यहां अन्तरात्मा-हीन जड़तत्त्व के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं था
और एक निस्तेज रीतापन ही युगकाल का हृदय बना हुआ था,
तब प्राणशक्ति ने सर्वप्रथम इस संज्ञाहीन घोर अगाध गर्त का स्पर्श किया था;
उस ढीठ महाशून्य को आशा और दुःख के स्पन्दन के प्रति जगा
प्राण की मन्द किरण ने उस अगाध घोररात्रि को कचोटा था
जिसके अन्तर में परमेश ने स्वयं को अपनी ही आत्मद़ृष्टि से छिपा लिया था।

In all things she sought their slumbering mystic truth,
The unspoken Word that inspires unconscious forms;
She groped in his deeps for an invisible Law,
Fumbled in the dim subconscient for his mind
And strove to find a way for spirit to be.

सकल वस्तुओं में उसने उनके सुप्त गुह्य सत्य को खोजा,
उस मौन शब्दब्रह्म को जो अचित् आकृतियों का संचालन करता है;
प्राणशक्ति ने उसकी अतलताओं में एक अद़ृश्य परम विधान खोजा,
उस मन्द अवचेतना में उसके चित्त के लिए छानबीन की
और फिर आत्म-अभिव्यक्ति हेतु एक मार्ग खोजने के प्रयास में जुट गयी।

But from the Night another answer came.

किन्तु उसे घोर कालरात्रि से एक दूसरा ही प्रत्युत्तर मिला।

A seed was in that nether matrix cast,
A dumb unprobed husk of perverted truth,
A cell of an insentient infinite.

उस निम्नस्थ गर्भाशय में एक बीजबोया जा चुका था,
जो विकृत सत्य का एक गूढ़ तुष था जिसका परीक्षण नहीं किया गया,
यह एक जड़ संज्ञाहीन अनन्तता का एक कोषाणु था।

A monstrous birth prepared its cosmic form
In Nature’s titan embryo, Ignorance.

एक घोर विकराल जन्म ने इसका विश्वाकार तैयार किया था
परा प्रकृति के दानवी भ्रूण में, यह आदि-अज्ञान था।

Then in a fatal and stupendous hour
Something that sprang from the stark Inconscient’s sleep
Unwillingly begotten by the mute Void,
Lifted its ominous head against the stars;
Overshadowing earth with its huge body of Doom[222]
It chilled the heavens with the menace of a face.

तब एक सांघातिक और भीषण घड़ी में
उस कठोर नग्न आदि-अचित् की निद्रा से हठात् कुछ उछल पडा़
जिसका उस मूक महाशून्य ने अनिच्छा से प्रजनन किया था,
इसने अपना अमंगली शीश तारों के विरोध में उठाया;
सर्वनाश ने अपनी विशाल देह की छाया से पृथ्वी को आवृत कर दिया
अपनी विकराल मौखिक धमकी से सुरलोकों को भय से जमा दिया।

A nameless Power, a shadowy Will arose
Immense and alien to our universe.

एक अनामी भीषण महाबल, एक धूमिल छाया सम घोर संकल्प जाग उठा
जो हमारे विश्व के लिए प्रचण्ड और अपरिचित था।

In the inconceivable Purpose none can gauge
A vast Non-Being robed itself with shape,
The boundless Nescience of the unconscious depths
Covered eternity with Nothingness.

उस अकल्पित घोर उद्देश्य के प्रयोजन की कोई थाह न ले पाया
इसमें एक विराट् असत्-सत्ता ने स्वयं को रूपायित कर लिया।
यह अचेतन गर्तों का एक असीम भीषण निश्चेतन
जिसने शाश्वतता को निस्सारता के घोर भाव से ढक दिया था।

A seeking Mind replaced the seeing Soul:
Life grew into a huge and hungry death,
The Spirit’s bliss was changed to cosmic pain.

द्रष्टा जीवात्मा का स्थान एक शोधकर्ता मन-शक्ति ने ले लिया:
विश्व-जीवन एक क्षुधित और प्रचण्ड मृत्यु में वर्धित हो गया,
महाप्राण का आनन्द वैश्विक पीड़ा में परिवर्तित हो गया।

Assuring God’s self-cowled neutrality
A mighty opposition conquered Space.

प्रभु की आत्म-गोपित उदासीनता पर आश्वासित हो
एक बलवान् विरोध ने विश्वाकाश को जय कर लिया।

A sovereign ruling falsehood, death and grief,
It pressed its fierce hegemony on earth;
Disharmonising the original style
Of the architecture of her fate’s design,
It falsified the primal cosmic Will
And bound to struggle and dread vicissitudes
The long slow process of the patient Power.

एकाधिपति शासक नियन्त्रक मिथ्यात्व, मृत्यु और दुःख ने
अपनी भयानक नेतागिरी से पृथ्वी को पददलित कर दिया;
उसकी भाग्य-संरचना की मौलिक शैली की
रूप-रेखा का सामञ्जस्य नष्ट कर दिया,
इसने आदि वैश्व संकल्प को मिथ्या कर दिया
और धीर प्राण-शक्ति की दीर्घ धीमी प्रक्रिया को
संघर्ष और भीषण परिवर्तन-आवर्तनोंसे बांध दिया।

Implanting error in the stuff of things
It made an Ignorance of the all-wise Law;
It baffled the sure touch of life’s hid sense,
Kept dumb the intuitive guide in Matter’s sleep,
Deformed the insect’s instinct and the brute’s,
Disfigured man’s thought-born humanity.

वस्तुओं के द्रव्य में दोष आरोपित कर
इसने सर्वज्ञ के परम विधान को एक अविद्या बना दिया;
इसने जीवन के गुप्त बोधेन्द्रिय का अमोघ स्पर्श निकल कर
जड़-तत्त्व की निद्रा में स्थित सहज पथ-प्रदर्शक को मूक बना,
कीट और पशु की सहजवृत्ति को विकृत कर दिया,
मानव के विचार से जन्मी मानवीयता को कुरूप बना दिया।

A shadow fell across the simple Ray:
Obscured was the Truth-light in the cavern heart
That burns unwitnessed in the altar crypt
Behind the still velamen’s secrecy
Companioning the Godhead of the shrine.

उस सहज प्राणरश्मि पर एक काली छाया ने गिर धूमिल कर दिया:
उस गुह्य हृदय में दिव्यसत्य-ज्योति धुंधली हो गयी
जो एक स्थिर यवनिका की गोपनीयता से ढकी
गुह्य गृह की वेदी पर अलक्षित सतत जलती है
और अन्तरवासी चैत्य-पुरुष की सहचारिणी है।

Thus was the dire antagonist Energy born
Who mimes the eternal Mother’s mighty shape
And mocks her luminous infinity
With a grey distorted silhouette in the Night.

इस प्रकार यह भयंकरी क्रूर विरोधात्मक घोर ऊर्जाजन्मी थी
यह शाश्वती जग-जननी के परम रूपकी नकल करती है
और उसकी तेजस्विनी अमरता का अपरा रात्रि में
एक धूसर कलुषित विकृत छाया रूप धर उपहास करती है।

Arresting the passion of the climbing soul,
She forced on life a slow and faltering pace;[223]
Her hand’s deflecting and retarding weight
Is laid on the mystic evolution’s curve:
The tortuous line of her deceiving mind
The Gods see not and man is impotent;
Oppressing the God-spark within the soul
She forces back to the beast the human fall.

इसने ऊर्ध्वगामी प्राण पुरुष के उत्साह को बांध कर,
जीवन को एक तामसिक लड़खड़ाती चाल हित बाध्य कर दिया;
पथ से विचलित करता और पीछे खींचता उसका बोझिल हाथ
जीवन के रहस्यपूर्ण क्रम-विकास की वक्र रेखा पर रखा है:
उस शक्ति के कपटी मन की कुटिल रेखा को
देवगण अनदेखा कर देते हैं और मानव असमर्थ हैं;
अन्तरात्मा के अन्दर के प्रभु-स्फुलिंग का दमन कर
वह मानव का पतन कर उसे पशुता कीओर मुड़ने को बाध्य कर देती है।

Yet in her formidable instinctive mind
She feels the One grow in the heart of Time
And sees the Immortal shine through the human mould.

तथापि अपने दुरूह मन के अन्तर्बोध में
वह परमैकम् को दिक्काल के हृदय में विकसित होता अनुभव करती है
और अमर तत्त्व को मानव ढांचे में से चमकता देखती है।

Alarmed for her rule and full of fear and rage
She prowls around each light that gleams through the dark
Casting its ray from the Spirit’s lonely tent,
Hoping to enter with fierce stealthy tread
And in the cradle slay the divine Child.

निज आधिपत्य हित भयाकुल और आक्रोश से भरी
वह अंधेरे में चमकती प्रत्येक ज्योति के पीछे लग जाती है
विश्वात्मा के एकाकी डेरे से निकलती किरण के प्रकाश को खोजती है,
हिंसक चोर चाल से प्रवेश करने की आशा में
और पालने में लेटे दिव्य-शिशु का वध करने की लालसा में।

Incalculable are her strength and ruse,
Her touch is a fascination and a death;
She kills her victim with his own delight;
Even Good she makes a hook to drag to Hell.
For her the world runs to its agony.

उसकीशक्ति और छल-छंद अनिश्चित एवं गणनातीत हैं,
उसके स्पर्श में वशीकरणी एक जादू और एक मौत है;
वह अपने शिकार को स्वयं उसी के निज सुखाधिक्यसे मार देती है
यहां तक कि शुभ को भी घोर नरक कीओर धकेलता एक अंकुश बना लेती है
उसी के कारण यह संसार अपनी यन्त्रणा की ओर दौड़ता है।

Often the pilgrim on the Eternal’s road
Ill-lit from clouds by the pale moon of Mind,
Or in devious by-ways wandering alone,
Or lost in deserts where no path is seen,
Falls overpowered by her lion leap,
A conquered captive under her dreadful paws.

प्राय: चिरन्तन प्रभु के पथ पर चलने वाला एक तीर्थयात्री है
जो मन-शक्ति के विवर्ण चन्द्र के मेघाच्छादित धूमिल प्रकाश में चलता है,
या भ्रान्त उप-मार्गों पर एकाकी भटकता है,
या जहां कोई मार्ग नहीं दिखता ऐसे मरुस्थलों में खो जाता है,
उसके सिंहनी जैसे झपट्टे द्वारा पराभूत हो गिर जाता है,
उसके विकराल पंजों तलेजकड़ा एक पराजित बन्दी बन जीता है।

Intoxicated by a burning breath
And amorous grown((( Alternative reading: “groan”.))) of a destroying mouth,
Once a companion of the sacred Fire,
The mortal perishes to God and Light,
An Adversary governs heart and brain,
A Nature hostile to the Mother-force.

उसके एक दाहक तपते श्वास द्वारा मदहोश
और एक सर्वनाशी मुख के प्रेमावेश में उत्तेजित हो,
वह जो कभी उस पावन दिव्य-पावक का एक सहचर था,
वही मानव प्रभु और आत्म-ज्योति के लिए मर जाता है,
एक प्रतिकूल घोर शक्ति का उसके हृदय और बुद्धिपर शासन हो जाता है,
एक विरोधी प्राण-प्रकृति का जो भगवती मातृ-शक्ति की विद्वेषी है।

The self of life yields up its instruments
To Titan and demoniac agencies
That aggrandise earth-nature and disframe:
A cowled fifth-columnist is now thought’s guide;
His subtle defeatist murmur slays the faith[224]
And, lodged in the breast or whispering from outside,
A lying inspiration fell and dark
A new order substitutes for the divine.

इस जीवन की व्यक्ति-सत्ता अपने समस्त उपकरणों को
आसुरी और शैतान के प्रतिनिधियों को सौंप देती है
वह पार्थिव-स्वभाव और इसके विकारी आकार को बढा़वा देती है:
एक छिपी घर-भेदिया विदेशिनी गुप्तचरी शंका अब विचार की मार्गदर्शिका है;
उसको सूक्ष्म पराजयवादी मंत्रणा की फुसफुसाहट विश्वास हनन कर देती है
और या तो अन्तर में छिप अथवा बाहर की कानाफूसी में बोलती है,
एक पतित और कलुषित मिथ्या प्रेरणा बन
यह दिव्यता के बदले एक नयी व्यवस्था चलाती है।

A silence falls upon the spirit’s heights,
From the veiled sanctuary the God retires,
Empty and cold is the chamber of the Bride;
The golden Nimbus now is seen no more,
No longer burns the white spiritual ray
And hushed for ever is the secret Voice.

आत्म-पुरुष की उच्चताओं पर एक नीरवता छा जाती है,
अन्तर के गुह्य-गृह में से प्रभु निकल जाते हैं
आत्म-वधू का कक्ष सूना और प्राणहीन हो जाता है;
स्वर्ण आभा-मण्डल अब और दिखायी नहीं देता,
वह शुभ्र धवल आत्म-किरण की दीप-शिखा और नहीं जलती
और वह अन्तर की गुह्य देव-वाचा सदा के लिए मौन हो जाती है।

Then by the Angel of the Vigil Tower
A name is struck from the recording book;
A flame that sang in Heaven sinks quenched and mute,
In ruin ends the epic of a soul.

तब उस परलोक के निरीक्षक-स्तम्भपर आसीन देव प्रहरी द्वारा
अपनी लेखा-जेखा बही से एक नाम काट दिया जाता है,
दिव्य संगीत की गायिका एक ज्वाला अब बुझकर मूक हो डूब जाती है,
एक जीव का महाकाव्य खण्डहर हो मिट जाता है।

This is the tragedy of the inner death
When forfeited is the divine element
And only a mind and body live to die.

इस आन्तरिक आत्म-मृत्यु की यही दुःखान्त कथा है
जब दिव्य अंश का अपहरण हो जाता है
केवल मन और शरीर रह जाते हैं जो मृत्यु की प्रतीक्षा में जीते हैं।

 

For terrible agencies the Spirit allows
And there are subtle and enormous Powers
That shield themselves with the covering Ignorance.

क्योंकि परमात्मा इन घोर माध्यमों का अनुमंता है
और वहां पर सूक्ष्म और प्रचण्ड महाशक्तियां हैं
जो स्वयं को पूर्ण अज्ञान के पीछे सुरक्षित रखती हैं।

Offspring of the gulfs, agents of the shadowy Force,
Haters of light, intolerant of peace,
Aping to the thought the shining Friend and Guide,
Opposing in the heart the eternal Will,
They veil the occult uplifting Harmonist.

इन खाड़ियों की सन्तानें, धूमिल घोर ऊर्जा के प्रतिनिधि हैं,
जो प्रकाश से घृणा करते हैं, शान्ति को सहन नहीं कर सकते हैं
विचार के सम्मुख तेजस्वी परम मित्र और महान् पथ-प्रदर्शक सम स्वयं को दिखलाते हैं,
किन्तु अन्तर में भागवत दिव्य संकल्प का विरोध करते हैं,
वे उस लीलाधर आनन्दमय मुरलीवाले पर भी पर्दा डाल देते हैं।

His wisdom’s oracles are made our bonds;
The doors of God they have locked with keys of creed
And shut out by the Law his tireless Grace.

उसके परम ज्ञान की देववाणियों को हमारा बन्धन बना देते हैं;
प्रभु के द्वारों को उन्होंने सम्प्रदाय की कुंजियों से बन्द कर दिया है
और अपने कठोर विधान द्वारा उसकी अथक दिव्य कृपा को अन्दर आने से रोक दिया है।

Along all Nature’s lines they have set their posts
And intercept the caravans of Light;
Wherever the Gods act, they intervene.

सकल विश्व प्रकृति की धाराओं के साथ-साथ उन्होंने अपने पहरे बिठा दिये हैं
और दिव्य ज्योति के काफिलों पर प्रतिबन्ध लगा दिये हैं;
जहां कहीं भी देवगण कार्य करते हैं,वे हस्तक्षेप करते हैं।

A yoke is laid upon the world’s dim heart;
Masked are its beats from the supernal Bliss,
And the closed peripheries of brilliant Mind
Block the fine entries of celestial Fire.

इस संसार के धूमिल हृदय पर एक जुआ धरा हुआ है;
परमानन्द से इसकी धड़कनें छद्म-आवरण द्वारा छिपी हैं,
और प्रतिभाशाली मानस के बन्द और सीमित घेरे
दिव्य देवाग्नि के शुभ प्रदेशों को अवरुद्ध कर देते हैं।

Always the dark Adventurers seem to win;[225]
Nature they fill with evil’s institutes,
Turn into defeats the victories of Truth,
Proclaim as falsehoods the eternal laws,
And load the dice of Doom with wizard lies;
The world’s shrines they have occupied, usurped its thrones.

सदैव ये दुःसाहसी कुकर्मी ही जीतते लगते हैं;
वे सकल मानव स्वभाव को दुष्प्रवृत्ति की संस्थाओं से भर देते हैं,
सनातन सत्य की विजयों को पराजयों में बदल देते हैं,
शाश्वत नियमों को मिथ्या सम घोषित करते हैं,
घोर विनाशकारी जुए की गोटी को छल द्वारा असत्य से भर देते हैं;
इस संसार के पवित्र स्थानों पर अधिकार जमा, इसके सिंहासनों को हथिया लेते हैं।

In scorn of the dwindling chances of the Gods
They claim creation as their conquered fief
And crown themselves the iron Lords of Time.

देवताओं के क्षीण होते प्रभावों और अवसरों पर अवज्ञा से भर
वे सृष्टि को अपनी विजित जागीर सम घोषित कर देते हैं
और स्वयं को युग के लौह स्वामियों सम सिंहासन पर आसीन कर लेते हैं।

Adepts of the illusion and the masque,
The artificers of Nature’s fall and pain
Have built their altars of triumphant Night
In the clay temple of terrestrial life.

मायावी छल छंद और भेष बदलने में निपुण,
मानव स्वभाव के पतन और पीड़ा के इन शिल्पकारों ने
विजयी कालरात्रि की अपनी पूजा-वेदियां
पार्थिव जीवन की माटी के मन्दिर में बना ली हैं।

In the vacant precincts of the sacred Fire,
In front of the reredos in the mystic rite
Facing the dim velamen none can pierce,
Intones his solemn hymn the mitred priest
Invoking their dreadful presence in his breast:
Attributing to them the awful Name
He chants the syllables of the magic text
And summons the unseen communion’s act,
While twixt the incense and the muttered prayer
All the fierce bale with which the world is racked
Is mixed in the foaming chalice of man’s heart
And poured to them like sacramental wine.

पावन देवाग्नि के रिक्त परिवेश में,
गुह्यानुष्ठान में वेदी-पटल के सामने
उस धूमिल पर्दे के सम्मुख खड़ा होकर, जिसे कोई पार नहीं कर सकता है
इनका किरीटधारी पादरी अपने गम्भीर भजनों को उच्चारता है
इनकी भयप्रद घोर उपस्थिति को निज अन्तर में आवाहन करता है:
इनको भीषण विचित्र महानाम से विभूषित कर
वह उस मायावी ग्रन्थ से शब्दों का कीर्तन करता है
और उस अगोचर से संलाप की क्रिया का आवाहन करता है,
और जब तक धूप और प्रार्थना की फुसफुसाहट चलती रहती है
उसी के बीच समस्त विकराल त्रास, जिससे यह संसार संतप्त है
मानव हृदय के पात्र में एक फेनिल घोल उंड़ेल देता है
और यह उन्हें पूत-मदिरा सम ढाल पिला देता है।

Assuming names divine they guide and rule.

दिव्य नामों को धारण कर वे शासन चलाते और पथ-प्रदर्शन करते हैं।

Opponents of the Highest they have come
Out of their world of soulless thought and power
To serve by enmity the cosmic scheme.
Night is their refuge and strategic base.

पुरुषोत्तम का विरोध करने वे आये हैं,
अपनी आत्म-चेतनाहीन विचार और शक्ति के संसार से निकल वे
द्वेष-भावना द्वारा वैश्विक योजना-पूर्ति में सहायक बनते हैं
यह तमस् अन्धरात्रि उनका विश्रामगृह और सामरिक महत्त्व का आधार क्षेत्र है।

Against the sword of Flame, the luminous Eye,
Bastioned they live in massive forts of gloom,
Calm and secure in sunless privacy:
No wandering ray of Heaven can enter there.

आलोक ज्वाला की कटार के विरोध में, दीप्तिमान दिव्य नेत्र के विरुद्ध वे
उदास नैराश्य के अति विशाल दुर्गों में,
सूर्य-प्रकाशहीन एकान्त में शान्त सुरक्षित रहते हैं:
देवलोक की कोई भटकती किरण वहां प्रवेश नहीं कर सकती।

Armoured, protected by their lethal masks,
As in a studio of creative Death
The giant sons of Darkness sit and plan[226]
The drama of the earth, their tragic stage.

कवचित, अपने विषैले मुखौटों द्वारा सुरक्षित बन रहते हैं,
मानों मृत्यु देवी के रचनात्मक एक कलाकक्ष में बैठे
घोर अन्धकार के ये दानवी पुत्र योजना बनाते हैं
इस पृथ्वी के नाटक की और अपने त्रासदायी दुःखान्त रंगमंच की।

All who would raise the fallen world must come
Under the dangerous arches of their power;
For even the radiant children of the gods
To darken their privilege is and dreadful right.

उन सबको जिन्हें इस पतित संसार का उत्थान करना है
उन्हें इनके घोर बल के खतरनाक तोरणों के नीचे से गुजरना पड़ता है,
क्योंकि देवों की तेजस्वी सन्तानों को भी कलंकित कर
कलुषित बना देने की सुविधा और भीषण विशेषाधिकार इन्हें प्राप्त है।

None can reach heaven who has not passed through hell.

कोई भी नरक में प्रवेश बिना किये स्वर्ग तक नहीं पहुंच सकता है।

 

This too the traveller of the worlds must dare.

लोकों के इस पथिक को भी इस चुनौती का सामना करना होगा।

A warrior in the dateless duel’s strife,
He entered into dumb despairing Night
Challenging the darkness with his luminous soul.

अकाल द्वन्द्व संघर्ष में एक वीर योद्धा सम,
गूढ़ निराशापूर्ण विषादी काल-रात्रि में वह प्रवेश कर गया
निज तेजस्विनी आत्मा से घोर अन्धकार को चुनौती देता।

Alarming with his steps the threshold gloom
He came into a fierce and dolorous realm
Peopled by souls who never had tasted bliss;
Ignorant like men born blind who know not light,
They could equate worst ill with highest good,
Virtue was to their eyes a face of sin
And evil and misery were their natural state.

अपने पांवों की आहट से देहरी पर पड़ी निराशा को चौंकाता
वह एक भीषण और कष्ट-पीड़ित राज्य में आ पहुंचा
जिसमें बसे जीवों ने कभी आत्मानन्द का स्वाद तक न जाना था;
वे उन मनुष्यों समान अज्ञानी थे जिन्होंने जन्मान्ध होने से प्रकाश कभी नहीं देखा था,
वे सर्वोत्तम शुभ की बराबरी में निकृष्टतम पाप को रखते थे,
सद़ृगुण उनकी द़ृष्टि में पाप का ही एक मुखड़ा था
और दुर्बुद्धि दोष और दुर्गति उनकी स्वाभाविक अवस्था थी।

A dire administration’s penal code
Making of grief and pain the common law,
Decreeing universal joylessness
Had changed life into a stoic sacrament
And torture into a daily festival.

एक निर्मम दुःशासन की दण्ड-संहिता द्वारा
दुःख और पीड़ा को सर्व-साधारण विधान बना दिया था,
विश्व की निरानन्दी स्थिति को आदेश दे
जीवन को एक उदासीन विरक्ति की तपश्चर्या में बदल देते
और उत्पीड़न यातना को एक दैनिक उत्सव बना देते।

An act was passed to chastise happiness;
Laughter and pleasure were banned as deadly sins:
A questionless mind was ranked as wise content,
A dull heart’s silent apathy as peace:
Sleep was not there, torpor was the sole rest,
Death came but neither respite gave nor end;
Always the soul lived on and suffered more.

अन्तरप्रसन्नता को दण्डित करने को एक अधिनियम जारी कर दिया;
हास्य और सुखविहार पर घातक दुष्कर्मों सम प्रतिबन्ध था:
एक अन्धविश्वासी मन सुबुद्ध और सन्तोषी की पदवी पाता,
एक मन्द तामसिक हृदय की मूढ़ उदासीनता को शान्ति समझा जाता:
निद्रा की विश्रान्ति वहां नहीं थी, जड़ निष्क्रिय आलस्य ही एकमात्र विश्राम था,
मृत्यु आती किन्तु अपने साथ न तो राहत और न अवसान लाती;
जीवात्मा सतत जीवित रहती और अधिक दुःखों को झेलती।

Ever he deeper probed that kingdom of pain;
Around him grew the terror of a world
Of agony followed by worse agony,
And in the terror a great wicked joy
Glad of one’s own and other’s calamity.

योगी उस पीड़ा की राजधानी का जितनी अधिक गहराई से निरीक्षण करता गया,
उसके चहुं ओर उस विभीषिका का एक साम्राज्य और फैलता गया;
यन्त्रणा के बाद घोरतर यन्त्रणा की परतें खुलती गयीं,
और उस संत्रासऔर आतंक में एक महान् निर्मम सुख था
जो स्वयं अपनों कीतथा दूसरों की विपत्ति में हर्षाता था।

There thought and life were a long punishment,[227]
The breath a burden and all hope a scourge,
The body a field of torment, a massed unease;
Repose was a waiting between pang and pang.

वहां पर मनन-चिन्तन और जीवन एक लम्बी सजा समान थे,
श्वास एक बोझ और सकल आशा एक उत्पीड़न थी,
यह देह यन्त्रणा का एक क्षेत्र, अशान्ति का एक ढेर थी;
पीड़ा और पीड़ा के मध्य की प्रतीक्षा ही एक विश्राम-स्थली थी।

This was the law of things none dreamed to change:
A hard sombre heart, a harsh unsmiling mind
Rejected happiness like a cloying sweet;
Tranquillity was a tedium and ennui:
Only by suffering life grew colourful;
It needed the spice of pain, the salt of tears.

वस्तुओं का यही विधान था जिसे बदलने का कोईसपना तक नहीं देखता:
एक कठोर कलुषित अन्तर, एक रुक्ष उदास कटु मन ने
प्रसाद को एक चिपचिपी उकताऊ मिठाई सम त्याग दिया था;
प्रशान्ति वहां एक नीरस और खिन्नता की अवस्था थीः
केवल यन्त्रणा और कष्ट भोग कर ही जीवन में रंगीनी आ पाती,
इसे पीड़ा का मसाला और अश्रुओं के नमक की आवश्यकता होती।

If one could cease to be, all would be well;
Else only fierce sensations gave some zest:
A fury of jealousy burning the gnawed heart,
The sting of murderous spite and hate and lust,
The whisper that lures to the pit and treachery’s stroke
Threw vivid spots on the dull aching hours.

यदि सत्ता स्वयं को शेष कर पाती तो सबसे उत्तम होता;
अन्यथा केवल भीषण आवेशों से ही कुछ मजा मिल पाता:
क्षय हुए हृदय को ईर्ष्या की एक आग जलाती,
घातक द्वेष और घृणा औ’ वासना के विषैले डंक मारती,
पतन के गर्त कीओर खिंचती फुसफुसाहट और विश्वासघाती प्रहार
इन ऊबाऊ पीड़ित घड़ियों पर तीखे धब्बे डाल देते थे।

To watch the drama of infelicity,
The writhing of creatures under the harrow of doom
And sorrow’s tragic gaze into the night
And horror and the hammering heart of fear
Were the ingredients in Time’s heavy cup
That pleased and helped to enjoy its bitter taste.

दुर्भाग्य के इस नाटक को देखना
विनाश के सर्वनाश में जीवों का छटपटाना
उस रात्रि में दुःख कीवेदनापूर्ण चितवन
और भयाकुल हृदय का आतंक से घन सम धड़कना
त्रिकाल के बोझिल पात्र में मदिरा के यही संघटक थे
जो इसके कटु तीक्ष्ण स्वाद को वर्धित कर सुख भोगने में सहायक होते।

Of such fierce stuff was made up life’s long hell:
These were the threads of the dark spider’s-web
In which the soul was caught, quivering and wrapt;
This was religion, this was Nature’s rule.

ऐसे हीभीषण तत्त्व से जीवन का यह दीर्घ नरक रचा गया था:
काली मकड़ी-जाले के ये तन्तु थे
जिसमें तड़फड़ाती सम्मोहित यह जीवात्मा पकड़ी जाती;
यही धर्म था और सकल प्रकृति का नियम था।

In a fell chapel of iniquity
To worship a black pitiless image of Power
Kneeling one must cross hard-hearted stony courts,
A pavement like a floor of evil fate.

पाप के एक निर्दयी पतित पूजा कक्ष में
घोर शक्ति की एक काली हृदयहीन प्रतिमा को पूजने जाते हुए
पुजारी को घुटने के बल घिसट कठोर पाषाणी अन्तर कक्षों को पार करना पड़ता,
और दुर्भाग्य के एक फर्श समान कठिन फुटपाथ से गुजरना होता।

Each stone was a keen edge of ruthless force
And glued with the chilled blood from tortured breasts;
The dry gnarled trees stood up like dying men
Stiffened into a pose of agony,
And from each window peered an ominous priest
Chanting Te Deums for slaughter’s crowning grace,
Cities uprooted, blasted human homes,
Burned writhen bodies, the bombshell’s massacre.[228]

प्रत्येक पत्थर उस निर्मम ऊर्जा की एक तीखी धार थी
और जो संतप्त वक्षों से बहे बर्फीले रुधिर द्वारा जोड़ी गयी थी;
वहां सूखे ठूंठदार वृक्ष मृतप्राय मनुष्यों समान खड़े
घोर व्यथा की एक मुद्रा में अकड़ गये थे,
और प्रत्येक खिड़की से एक अमंगली पुरोहित झांकता
जो बलि की सर्वोच्च कृपा के लिए भजनों को गा रहा था,
उजड़े हुए नगर में मानवीय आवास सब ध्वंस थे,
जले हुए विकृत शरीर थे, बमविस्फोट के नर संहार के द़ृश्य थे।

“Our enemies are fallen, are fallen”, they sang,
“All who once stayed our will are smitten and dead;
How great we are, how merciful art Thou.”

‘‘हमारे शत्रु सब पराजित हो विनष्ट हो गये’’, वे गा रहे थे,
‘‘वे सब जो हमारी इच्छा के विरोधी थे आहत हो मर गये;
हम कितने महान् हैं, हे देव तू कितना दयालु है।’’

Thus thought they to reach God’s impassive throne
And him command whom all their acts opposed,
Magnifying their deeds to touch his skies,
And make him an accomplice of their crimes.

इस प्रकार वे ईश्वर के उदासीन असत् साम्राज्य तक पहुंचने की
और उसको अपने नियन्त्रण में लेने की सोचते पर उनके कर्म उसका सतत विरोध करते
अपने कुकर्मों को बढ़ा-चढ़ावर्धित कर देते उसके आकाशों को छू लेने को,
और उसे अपने पापों में एक सहयोगी बना लेने को।

There no relenting pity could have place,
But ruthless strength and iron moods had sway,
A dateless sovereignty of terror and gloom:
This took the figure of a darkened God
Revered by the racked wretchedness he had made,
Who held in thrall a miserable world,
And helpless hearts nailed to unceasing woe
Adored the feet that trampled them into mire.

उस जगत् में द्रवित करुणा के लिए कोई स्थान नहीं था
किन्तु निष्ठुर बल और लौह मनोवृति का शासन चलता था,
आतंक और उदास निराशा का एक अनन्त साम्राज्य था:
इसने ही एक अन्धकारमय परमदेव का रूप धर लिया
जो अपने द्वारा रचित शोषित हतभागी दरिद्रता द्वारा पूजित था,
इसी ने एक दुखियारी जगती को दासत्व में बांध रखा था,
और उन असहाय हृदयों को जो सतत दुःख सेकीलित थे
वे उन चरणों को पूजते जिन्होंने उन्हें कीचड़ में रौंदा था।

It was a world of sorrow and of hate,
Sorrow with hatred for its lonely joy,
Hatred with others’ sorrow as its feast;
A bitter rictus curled the suffering mouth;
A tragic cruelty saw its ominous chance.

यह दुःख-दर्द और घृणा का एक संसार था,
शोक और द्वेष ही इसका एकमात्र सुख था,
दूसरों के दुःखों में उनके साथ घृणित व्यवहार करना इसकी मौज थी;
एक कटु भंगिमा ने उस दुःखी चेहरे को वक्र बना दिया था;
एक संघाती निर्ममता को अपना अशुभ अवसर मिल गया था।

Hate was the black archangel of that realm;
It glowed, a sombre jewel in the heart
Burning the soul with its malignant rays,
And wallowed in its fell abysm of might.

उस राज्य की घृणा ही काली देवदूती थी;
यह एक कलुषित रत्न सम हृदय में सुलगती
अपनी विषाक्त किरणों से जीव को जला डालती,
और शक्ति के अपने पतित गर्त में मोद से लोटपोट होती।

These passions even objects seemed to exude,—
For mind overflowed into the inanimate
That answered with the wickedness it received,—
Against their users used malignant powers,
Hurt without hands and strangely, suddenly slew,
Appointed as instruments of an unseen doom.

पदार्थ तक इन्हीं नीचावेशों को स्रवित करते लगते थे-
क्योंकि मन अचेतनावस्था में डूबा हुआ
वह जो प्राप्त करता वैसी ही दुष्टता से प्रत्युत्तर देता था,-
और प्रयोगकर्ताओं के विरुद्ध घातक शक्तियां प्रयोग मेंलाता,
यह करविहीन होने पर भी आहत कर, विलक्षणता से हठात् मार देता,
वे एक अगोचर संहारी शक्ति के उपकरणों सम नियुक्त थे।

Or they made themselves a fateful prison wall
Where men condemned wake through the creeping hours
Counted by the toilings of an ominous bell.

या उन्होंने स्वयं को एक दुर्भाग्यपूर्ण बन्दीघर की दीवार बना लिया था
जहां पर दण्डित जन घिसटती घड़ियों मध्य जागते
और एक अपशकुनी घण्टे के निनादों द्वारा गिनते।

An evil environment worsened evil souls:
All things were conscious there and all perverse.

एक दूषित परिवेश नेइन पापात्माओं को अधिक अशुभ बना दिया:
वहां समस्त पदार्थ जीवित थे और सभी विकृत थे।

In this infernal realm he dared to press
Even into its deepest pit and darkest core,[229]
Perturbed its tenebrous base, dared to contest
Its ancient privileged right and absolute force:
In Night he plunged to know her dreadful heart,
In Hell he sought the root and cause of Hell.

इस नारकीय ज्वाला के साम्राज्य में उसने आगे बढ़ने का साहस किया
इसके गहनतम गर्त में औरनिविड़तम अन्धकार के मर्मस्थल में,
उसने इसके तिमिराच्छन्न आधार को व्यथित कर दिया, तथा साहस जुटाया
इसके सनातन विशेषाधिकार और सार्वभौम बल का सामना करने का:
उस घोर रात्रि के भीषण हृदय की थाह लेने वह उसमें डुबकी मार गया,
घोर नरक का आदि कारण और मूल खोजने उसने नरक में छलांग लगा दी।

Its anguished gulfs opened in his own breast;
He listened to clamours of its crowded pain,
The heart-beats of its fatal loneliness.

इसकी व्यथित खाड़ियां अब उसके अपने अन्तर में खुल पडीं;
उसने इनकी सामूहिक पीड़ा का आर्तनाद सुना,
इसके घातक एकाकीपन की हृदय-धड़कनों को सुना।

Above was a chill deaf eternity.
In vague tremendous passages of Doom
He heard the goblin voice that guides to slay,
And faced the enchantments of the demon Sign,
And traversed the ambush of the opponent Snake.

ऊर्ध्व में एक बर्फीली बधिर शाश्वतता का विस्तार था
महाप्रलय की ओर जाते धूमिल भयानक मार्गों पर
उसे पैशाचिक भीषण वाणी सुनायी दी जो वध हित उकसाती थी,
और उसने दानवीय घोर संकेत के वशीकरणी सम्मोहनों का सामना किया,
और विरोधी विषैले महानाग का घात विफल कर दिया।

In menacing tracts, in tortured solitudes
Companionless he roamed through desolate ways
Where the red Wolf waits by the fordless stream
And Death’s black eagles scream to the precipice,
And met the hounds of bale who hunt men’s hearts
Baying across the veldts of Destiny,
In footless battlefields of the Abyss
Fought shadowy combats in mute eyeless depths,
Assaults of Hell endured and Titan strokes
And bore the fierce inner wounds that are slow to heal.

संकटभरे मार्गों पर, त्रासदायी एकान्त निर्जनता में
साथीविहीन वह एकाकी सूनसान पथों पर भटकता रहा
जहां पर खूनी नृशंस भेड़िया एक नदी के घाटहीन तट पर घात लगाये बैठा था
और यम के काले गिद्ध नंगी चोटियों से चीखते,
और उसे विनाश के श्वान मिले जो मनुष्यों के हृदयों के शिकारी हैं
हतभाग्य के घास के मैदानों के उस पार से भौंक रहे थे,
नारकीय गर्त के पथहीन युद्धक्षेत्रों में उसने
नीरव अन्धी गहराइयों में छायाप्रेतों का सामना कर संघर्ष किया,
उसने नरक के आक्रमणों को और दानवीय प्रहारों को सहा
और उन भीषण अन्तर-घावों को झेला जो दीर्घकाल में भरते हैं।

A prisoner of a hooded magic Force,
Captured and trailed in Falsehood’s lethal net
And often strangled in the noose of grief,
Or cast on the grim morass of swallowing doubt,
Or shut into pits of error and despair,
He drank her poison draughts till none was left.

एक मिथ्यावादी मायावी घोर बल का एक कैदी,
जिसे दानवी असत्य के एक विषैले जाल में बांध घसीटा गया था
और प्रायः शोक के गलफंद से उसका दम घोटा जाता,
या निगलने वाली शंका के कराल दलदल पर फेंक दिया जाता,
या भ्रान्ति और निराशा के विषैले गड्ढों में बन्द कर दिया जाता
पर वह विष-घूंटों को पीता गया जब तक कुछ भी शेष न रहा।

In a world where neither hope nor joy could come
The ordeal he suffered of evil’s absolute reign,
Yet kept intact his spirit’s radiant truth.

एक ऐसे संसार में जहां आशा औ’ हर्ष का प्रवेश नहीं था
उसने अनिष्ट के निरंकुश शासन की घोर परीक्षा की यातना भोगी,
तथापि अपनी आत्मा के उज्जवल सत्य को अक्षत रखा।

Incapable of motion or of force,
In Matter’s blank denial gaoled and blind,
Pinned to the black inertia of our base
He treasured between his hands his flickering soul.

गति करने तथा बल-प्रयोग करने में असमर्थ,
जड़ता के भावशून्य निषेध में बन्दी और अन्धा बना,
हमारे जड़ाधार की उस काली तामसिकता में गड़ा हुआ
वह अपनी अंजलि के मध्य अपनी कम्पित झिलमिलाती आत्मा संजोये था।

His being ventured into mindless Void,
Intolerant gulfs that knew not thought nor sense;[230]
Thought ceased, sense failed, his soul still saw and knew.

उसकी चैत्य सत्ता ने उस मन-हीन घोर शून्यता में प्रवेश करने का साहस किया,
उन असहिष्णु खाड़ियों में जहां विचार या संवेदन नहीं था, पैठने का जोखिम उठाया;
विचारधारा सूख गयी बोध निष्फल हो गया पर आत्मा अभी भी देख और जान रही थी।

In atomic parcellings of the Infinite
Near to the dumb beginnings of lost Self,
He felt the curious small futility
Of the creation of material things.

चिर-नित्यता के अल्पाणु संविभाजनों में
लुप्त-परमात्म तत्त्व के मूक आदि-आरम्भ के आसपास में,
उसने जड़ वस्तुओं की सर्जनता में
एक अति विचित्र लघु असारता की अनुभूति पायी।

Or, stifled in the Inconscient’s hollow dusk,
He sounded the mystery dark and bottomless
Of the enormous and unmeaning deeps
Whence struggling life in a dead universe rose.

या, अचित्-असत् कीखोखली धूसरता में श्वासरोधित होने पर भी,
उसने उस काली और अथाह रहस्यमयता की
उन विकराल प्रचण्ड और निरर्थक गहनताओं की खोज की
जहां से संघर्षरत प्राण एक मृत विश्व में जागा था।

There in the stark identity lost by mind
He felt the sealed sense of the insensible world
And a mute wisdom in the unknowing Night.

वहां निज मन से विलग हो उस नग्न एकात्मता में
उसने उस निश्चेतन संसार के मुहरबन्द संवेदन की
और उस अज्ञ अन्ध-रात्रि में एक मूक प्रज्ञा की अनुभूति पायी।

Into the abysmal secrecy he came
Where darkness peers from her mattress, grey and nude,
And stood on the last locked subconscient’s floor
Where Being slept unconscious of its thoughts
And built the world not knowing what it built.

वह एक अतल घोर गोपनीयता में आ पहुंचा था
जहां पर धूसर-रंगी और नग्न कालिमा निज बिछौने पर दिखायी दी,
और अब वह अवचेतना के अन्तिम गर्त में खड़ा था
जहां परम-सत् अपने विचार के प्रति अचेत पड़ा सोता था
और इस जग की रचना करता था किन्तु क्या रचा है इसके प्रति अनजान था।

There waiting its hour the future lay unknown,
There is the record of the vanished stars.

वहीं पर भवितव्यता अनजान अपनी घड़ी की प्रतीक्षा कर रही थी,
विलुप्त सितारों का अभिलेख भी लिपिबद्ध रखा था।

There in the slumber of the cosmic Will
He saw the secret key of Nature’s change.

वहां ब्रह्माण्डीय दिव्य संकल्प की उस सुषुप्ति में
उसने विश्व-प्रकृति रूपान्तर की गुह्य कुंजी देखी।

A light was with him, an invisible hand
Was laid upon the error and the pain
Till it became a quivering ecstasy,
The shock of sweetness of an arm’s embrace.

एक ज्योति योगी के साथ थी, एक अद़ृश्य हाथ
उस दोष और पीड़ा के ऊपर धरा सहला रहा था
जब तक यह एक कम्पित आह्लाद में बदल नहीं गया,
एक बाहु-आलिंगन का मधुर-आघात न बन गया।

He saw in Night the Eternal’s shadowy veil,
Knew death for a cellar of the house of life,
In destruction felt creation’s hasty pace,
Knew loss as the price of a celestial gain
And hell as a short cut to heaven’s gates.

उसने काली-रात्रि में चिरन्तन प्रभु का छायादार घूंघट देखा,
जीवन-भवन का एक तहखाना मृत्यु है, यह जान गया,
विनाश में सृष्टि की उग्रवेशीशीघ्रता का इसने अनुभव पाया,
एक स्वर्गिक लाभ प्राप्ति का दाम हानि से चुकाया जाता है
और नरक को स्वर्ग कीओर जाता एक संक्षिप्त मार्ग सम जाना।

Then in Illusion’s occult factory
And in the Inconscient’s magic printing house
Torn were the formats of the primal Night
And shattered the stereotypes of Ignorance.

तब मोहमाया के गुह्य कारखाने में
और महा अचित् के जादुई छापेखाने में
आद्या घोर रात्रि की पुस्तकों के बाहरी ढांचे फाड़ दिये गये थे
और अविद्या की रूढ़ि धारणाओं को छिन्न-भिन्नकर दिया था।

Alive, breathing a deep spiritual breath,
Nature expunged her stiff mechanical code
And the articles of the bound soul’s contract,[231]
Falsehood gave back to Truth her tortured shape.

प्राणशक्ति वहां एक गहरा आध्यात्मिक श्वास लेती,
संजीवनी, प्राण-प्रकृति ने अपनी कठोर नियमावली मिटा दी
और उस बन्दी आत्मपुरुष को अनुबंधित अनुच्छेदों से मुक्त कर दिया,
वहां मिथ्यात्व ने अनादि सत्य को अपना पीड़ित रूप लौटा दिया था।

Annulled were the tables of the law of pain,
And in their place grew luminous characters.

प्राण-पीड़ा के विधान की सब तालिकाएं रद्द कर मिटा दी गयीं,
और उनके स्थान पर दीप्तिमान अक्षर उभर आये थे।

The skilful Penman’s unseen finger wrote
His swift intuitive calligraphy;
Earth’s forms were made his divine documents,
The wisdom embodied mind could not reveal,
Inconscience chased from the world’s voiceless breast;
Transfigured were the fixed schemes of reasoning Thought.

चतुर शिल्पी देव-लिपिक की अद़ृश्य अंगुलि ने
योगी के तात्कालिक अन्तर्दर्शन को सुलेख में लिख सजा दिया;
पृथ्वी के सब आकार अब प्रभु के दिव्य प्रमाण पत्र बना दिये गये,
उस प्रज्ञा को प्रकटा दिया जिसे मन अभिव्यक्त नहीं कर पाया है
जगत् के वाणीहीन वक्षस्थल से घोर अचित् को बाहर निकाल दिया;
विवेचना के विवेकी-विचार की अटल योजनाओं का रूपान्तर हो गया।

Arousing consciousness in things inert,
He imposed upon dark atom and dumb mass
The diamond script of the Imperishable,
Inscribed on the dim heart of fallen things
A paean-song of the free Infinite
And the Name, foundation of eternity,
And traced on the awake exultant cells
In the ideographs of the Ineffable
The lyric of the love that waits through Time
And the mystic volume of the Book of Bliss
And the message of the superconscient Fire.

निर्जीव पदार्थों में चेतना जाग्रत् कर,
उसने काले परमाणु और मूक स्थूल द्रव्य पर
अविनाशी प्रभु की ज्योतिर्मयी हीरक लिपि आरोपित कर दी,
पतित वस्तुओं के मूढ़ अन्तर पर अंकित कर दिया
मुक्त नित्यता के एक स्तुति-गायन को
और प्रभु नाम को, जो चिरन्तनता का मूलाधार है,
और जाग्रत् आह्लादित कोषाणुओं पर उकेर दिया
अनिर्वचनीय की भावना से पूर्ण लिपियों में
उन प्रेम के गीतों को जो युगों से प्रतीक्षा में मूक थे,
और आत्मरति के शास्त्र के गुह्य आदि-ग्रन्थ को,
और परा-चैत्याग्नि के मूल-सन्देश को अंकित कर दिया।

Then Life beat pure in the corporeal frame;
The infernal Gleam died and could slay no more.

तब इस पार्थिव आकार में प्राणशक्ति विशुद्ध रूप से स्पन्दित हो उठी;
वह नारकीयता की चमक मिट गयी और अब किसी का वध न करती।

Hell split across its huge abrupt façade
As if a magic building were undone,
Night opened and vanished like a gulf of dream.

नरक निज विकराल विषम बनावट के मध्य से टूट बिखर गया
जैसे कि एक मायावी भवन हठात् मिट गया हो
अन्ध-रात्रि फट गयी और एक स्वप्न की खाड़ी सम लुप्त हो गयी।

Into being’s gap scooped out as empty Space
In which she has filled the place of absent God,
There poured a wide intimate and blissful Dawn,
Healed were all things that Time’s torn heart had made
And sorrow could live no more in Nature’s breast:
Division ceased to be, for God was there.

उसकी सत्ता में खोद बनाये आकाश सम रिक्त अन्तराल में
जिसे प्रभु की अनुपस्थिति में कालरात्रि ने भर रखा था,
अब वहां एक विस्तृत आत्मीय आनन्दमयी चिर उषा का अवतरण हो गया;
युग के विदीर्ण हृदय द्वारा बनाये सब पदार्थ सुस्वस्थ हो उठे
विश्व-प्रकृति के अन्तर में क्लेश अब और वास नहीं कर पाया:
विभाजन का अन्त हो गया, क्योंकि ईश्वर वहां स्वयं साक्षात् थे।

The soul lit the conscious body with its ray,
Matter and Spirit mingled and were one. [232]

आत्मा ने निज चैत्य रश्मि द्वारा देह को अचेत कर आलोक से भर दिया,
अब जड़तत्त्व और आत्मतत्त्व घुलमिल एक थे।

END OF CANTO EIGHT