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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Six. Canto Two (Eng-Hindi)

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BOOK SIX. THE BOOK OF FATE

Canto Two. The Way of Fate and the Problem of Pain

 

A silence sealed the irrevocable decree,
The word of Fate that fell from the heavenly lips
Fixing a doom no power could ever reverse
Unless heaven’s will itself could change its course.

उस अटल निर्णय-घोष पर एक मौन की मुहर लग गयी,
भाग्यविधाता के जो शब्द देवर्षि के ओठों से निकले
उन्होंने मृत्यु-घड़ी निश्चित कर दी, जिसे कभी कोईशक्ति टाल नहीं सकी थी,
केवल देवताओं की संकल्प शक्ति ही इसकी गति बदल सकती थी।

Or so it seemed; yet from the silence rose
One voice that questioned changeless destiny.

या ऐसा हीलगता था: फिर भी उस मौन से एक वाचा उठी
एक वाणी जिसने अपरिवर्तनीय विधि के विधान पर आपत्ति की।

A will that strove against the immutable Will,
A mother’s heart had heard the fateful speech
That rang like a sanction to the call of death
And came like a chill close to life and hope.

एक इच्छाशक्ति जो उस अटल दैवी संकल्प के विरुद्ध प्रयासरत थी,
एक जननी-हृदय ने उस दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य को सुना
जो उसके कानों में मृत्यु-घोष के आदेश सम गूंज उठा
और जीवन और आशा पर तुषार सम गिरा।

Yet hope sank down like an extinguished fire.

उसकी आशा का तारा एक बुझे अंगार सम डूब गया था।

She felt the leaden inevitable hand
Invade the secrecy of her guarded soul
And smite with sudden pain its still content
And the empire of her hard-won quietude.

माता ने निज वक्ष पर एक अनिवारी भारी हाथ अनुभव किया,
जिसने उसकी सुरक्षित आत्मा की गुह्यता पर आक्रमण कर
इसके स्थिर सन्तोष के साम्राज्य को हठात् पीड़ादे नोच डाला
और अति श्रम द्वारा विजित उसकी शान्ति को नष्ट कर दिया।

Awhile she fell to the level of human mind,
A field of mortal grief and Nature’s law
She shared, she bore the common lot of men
And felt what common hearts endure in Time.

कुछ देर को वह मानव के मानसिक स्तर तक उतर गयी
जो अपरा-प्रकृति के विधान और मर्त्य-दुःख का एक क्षेत्र है;
उसने साधारण मानव की नियति का बोझ उठाने में हिस्सा बंटाया
और जीवनकाल में सामान्य हृदय जो सहते हैं इसका अनुभव पाया।

Voicing earth’s question to the inscrutable power
The queen now turned to the still immobile seer:
Assailed by the discontent in Nature’s depths,
Partner in the agony of dumb driven things
And all the misery, all the ignorant cry,
Passionate like sorrow questioning heaven she spoke.1)

पृथ्वी की समस्या को उस अभेद्य शक्ति के सम्मुख जैसे ध्वनित करती
अब रानी स्थिर अचल बैठे द्रष्टा ऋषि कीओर घूम गयी:
प्राण-प्रकृति की गहराइयों में बसे असन्तोष से वह आक्रामित थी,
मूक सतायी वस्तुओं की व्यथा में भागीदार सी
और सकल दुःख, समस्त अज्ञानी चीत्कार की मूर्ति बनी,
अपनी वाणी को जैसे पृथ्वी की धरातली आत्मा को उधार देती,
वह इस जगत् के मूक हृदय की वेदना से आक्रामित थी
और अपने अनजाने भाग्य के विरोध में मानव की चीत्कार प्रकटायी।
साक्षात् शोक सम आवेश से भरी स्वर्ग से प्रश्न पूछती वह बोलीः

“O seer, in the earth’s strange twi-natured life,[437]
By what pitiless adverse Necessity
Or what cold freak of a Creator’s will,
By what random accident or governed Chance
That shaped a rule out of fortuitous steps,
Made destiny from an hour’s emotion, came
The direr mystery of grief and pain?

‘‘हे काल-द्रष्टा, इस पृथ्वी कीविचित्र धूमिल स्वभावी जीवन यात्रा में,
किस क्रूर विरोधी घोर आवश्यकता द्वारा संचालित हो
या एक दैवी सर्जनहार के संकल्प की किस सनक से प्रेरित हो,
एक हठात् घटित किस दुर्घटना से या दैवयोग से हम शासित होते हैं
जो दैवाधीन गतियों द्वारा एक नियम बन जाता है
एवं एक घड़ी-भर के भावावेश से हम नियति रच डालते हैं,
त्रिकाल के इस अग्राह्य रहस्य में आकार ले
यह दुःख और पीड़ा का भीषण रहस्य कहांसे आया है?

Is it thy God who made this cruel law?

क्या इस निर्दय क्रूर विधान का रचयिता तुम्हारा ईश्वर है?

Or some disastrous Power has marred his work
And he stands helpless to defend or save?

या किसी विनाशी महाशक्ति ने उसके कार्य को दूषित कर दिया है
और वह उससे रक्षा करने एवं सुरक्षा देने में असहाय है?

A fatal seed was sown in life’s false start
When evil twinned with good on earthly soil.

सम्भव है जीवन के मिथ्यारम्भ में एक घातक बीजारोपण हो गया था
जब इस धरती पर अशुभ शुभ से जुड़वां-सम लिपट गया था।

Then first appeared the malady of mind,
Its pang of thought, its quest for the aim of life.

तभी सर्वप्रथम मन की व्याधि प्रकटी थी।
और इसमें विचार की कसक और जीवन के ध्येय की खोज जागी थी।

It twisted into forms of good and ill
The frank simplicity of the animal’s acts;
It turned the straight path hewn by the body’s gods,
Followed the zigzag of the uncertain course
Of life that wanders seeking for its aim
In the pale starlight falling from thought’s skies;
It guides the unsure idea, the wavering will.

इसने पशु जीवन की क्रियाओं की मुक्त सरलताओं को
विकृत कर पाप और पुण्य के आकारों में बदल दिया;
शरीर के देवताओं द्वारा निर्मित सीधे मार्ग को मोड़ जटिल कर दिया
जीवन को इन अनिश्चित पथ के टेढे़ सीधे चक्करों में घुमाया;
विचार के नभों से आते तारों के मद्धिम प्रकाश में
मानव जीवन अपने उद्देश्य-पूर्ति हित भटकता रहता है,
इसकी पथदर्शिका अनिश्चित भावना और चंचल इच्छाशक्ति है।

Lost was the instinct’s safe identity
With the arrow-point of being’s inmost sight,
Marred the sure steps of Nature’s simple walk
And truth and freedom in the growing soul.

उसी समय से सहजबोध की सुरक्षित पहचान खो गयी
और जीव की अन्तर्दृष्टि की तीर सम तीक्ष्णतालोप हो गयी,
जिसने भौतिक प्रकृति की सहज गति के निश्चित कदमों को
और विकास करती अन्तरात्मा के सत्य और स्वतन्त्रता को मलिन कर दिया।

Out of some ageless innocence and peace,
Privilege of souls not yet betrayed to birth,
Cast down to suffer on this hard dangerous earth
Our life was born in pain and with a cry.

किसी कालातीत अबोधता और शान्ति से बाहर आयी आत्माओं को,
जिनके आत्म-अधिकारों को जन्म ने अभी तक छला नहीं था,
इस कठोर खतरनाक धरती पर दुःख भोगनेको फेंक दिया गया,
हमारे जीवन का आरम्भ ही पीड़ा और रोदन के साथ हुआ था।

Although earth-nature welcomes heaven’s breath
Inspiring Matter with the will to live,
A thousand ills assail the mortal’s hours
And wear away the natural joy of life;
Our bodies are an engine cunningly made,
But for all its parts as cunningly are planned,[438]
Contrived ingeniously with demon skill,
Its apt inevitable heritage
Of mortal danger and peculiar pain,
Its payment of the tax of Time and Fate,
Its way to suffer and its way to die.

यद्यपि पार्थिव-प्रकृति स्वर्ग की प्राणवायु का स्वागत करती है
जो इसके जड़तत्त्व को जीने हित संकल्प प्रदान करती है,
तथापि हमारी नश्वर घड़ियां सहस्र विपदाओं को सहती हैं
जो जीवन के स्वाभाविक हर्ष को क्षीण कर देती है;
अति चतुराई से निर्मित हमारा शरीर तो एक यन्त्र है,
इसके समस्त अंग भी वैसी ही दक्षता से नियोजित हैं,
जिनका मायावी शिल्प के साथ आविष्कार किया गया है,
नश्वरता का खतरा और विशेष प्रकार की पीड़ाएं
इसकी अनिवार्य उपयुक्त पैतृकता हैं,
यह इसके महाकाल में जन्म लेने और विधाता का कर-भुगतान है,
यही इसके भोगने का ढंग और इसके मरण का साधन है।

This is the ransom of our high estate,
The sign and stamp of our humanity.

हमारी उन्नत स्थिति के लिए चुकाया गया यही मूल्य है,
हमारी मनुष्यता का चिह्न और मुद्रा है।

A grisly company of maladies
Come, licensed lodgers, into man’s bodily house,
Purveyors of death and torturers of life.

व्याधियों की एक वीभत्स मण्डली चली आती है,
और स्वेच्छाचारी किरायेदारों समान मानव देह में बस जाती है,
वे मृत्यु के प्रबन्धक दूत और जीवन के आततायी हैं।

In the malignant hollows of the world,
In its subconscient cavern-passages
Ambushed they lie waiting their hour to leap,
Surrounding with danger the sieged city of life:
Admitted into the citadel of man’s days
They mine his force and maim or suddenly kill.

इस संसार के खोखले सांघातिक अवतलों में,
इसकी अवचेतना के कन्दरा सम गलियारों में
वे आक्रमण की घड़ी की प्रतीक्षा में छिपे घात लगाये रहते हैं,
जीवन नगर पर घेरा डाले आपदाओं से सुसज्जित बैठे रहते हैं:
मानवीय दिवसरूपी दुर्ग में प्रवेश कर वे
उसके बल को खोदकर उसे विकृत बना देते हैं या हठात् निहत कर देते हैं।

Ourselves within us lethal forces nurse;
We make of our own enemies our guests:
Out of their holes like beasts they creep and gnaw
The chords of the divine musician’s lyre
Till frayed and thin the music dies away
Or crashing snaps with a last tragic note.

हम अपने अन्तर में घातक बलों का पोषण करते हैं;
हम अपने ही शत्रुओं को अपना अतिथिबना लेते हैं:
वे अपने बिलों से पशु समान रेंगते बाहर आते हैं
और दिव्य संगीतकार कीवाणी के तारों को काटते रहते हैं
जब तक घिसकर वे क्षीण नहीं हो जाते और दिव्य संगीत अन्तर में मर नहीं जाता
या एक अन्तिम वेदना की चीत्कार के संग टूट नहीं जाता।

All that we are is like a fort beset:
All that we strive to be alters like a dream
In the grey sleep of Matter’s ignorance.

हमारे अस्तित्व एक किले समान चहुं ओर से घिरे हैं:
जिस समस्त को बदलने का हम प्रयास करते है सब एक स्वप्न है
जिसे जड़तत्त्व की अज्ञानी धूमिल निद्रा में हम देखते हैं।

Mind suffers lamed by the world’s disharmony
And the unloveliness of human things.

इस संसार के असामञ्जस्य और मानव निर्मित कुरूप पदार्थों से
हमारा मन दुःख भोगता और क्लेश पाता है।

A treasure misspent or cheaply, fruitlessly sold
In the bazaar of a blind destiny,
A gift of priceless values from Time’s gods
Lost or mislaid in an uncaring world,
Life is a marvel missed, an art gone wry;
A seeker in a dark and obscure place,
An ill-armed warrior facing dreadful odds,
An imperfect worker given a baffling task,
An ignorant judge of problems Ignorance made,[439]
Its heavenward flights reach closed and keyless gates,
Its glorious outbursts peter out in mire.

यह जीवन एक निधि है जिसे अन्धी नियति के बाजार में
सस्ते में खर्च कर दिया जाता है या लुटाकर बेमोल बेच दिया जाता है,
त्रिकाल के देवताओं से प्राप्त यह अमूल्य उपहार है
जिसे एक बेसुध जगत् में खो दिया है या गलत उपयोग किया है,
जीवन एक खो गया चमत्कार है, एक विकृत कर दी गयी कला है;
एक अन्धकारपूर्ण और धूमिल नैराश्यपूर्ण स्थल में एक खोजी है,
एक अपूर्णता से सजा हुआ योद्धा भीषण विषमताओं के समक्ष खड़ा है,
एक अपटु कारीगर जिसे एक जटिल कार्यभार दिया गया है,
घोर अविद्या द्वारा रचित समस्याओं का एक अज्ञानी न्यायाधीश है,
इसकी स्वर्ग कीओर उड़ानें बन्द कुंजीहीन द्वारों तक ही पहुंचती हैं,
इसके भव्य प्रस्मृठटन थूत्न में मिल नष्ट हो जाते है।

On Nature’s gifts to man a curse was laid.
All walks inarmed by its own opposites,
Error is the comrade of our mortal thought,
And falsehood lurks in the deep bosom of truth,
Sin poisons with its vivid flowers of joy
Or leaves a red scar burnt across the soul;
Virtue is a grey bondage and a gaol.

मानव को विश्व-प्रकृति द्वारा प्रदत्त उपहार भी अभिशापित हैं:
यहां सब अपने आत्म-विरोधी गुणों के साथ विचरण करते हैं
हमारे नश्वर विचारों की सहचरी भूल-भ्रान्ति है
और सत्य की गहनता में मिथ्यात्व छिपा रहता है,
पाप अपने हर्ष के विविध पुष्पों में विष आरोपित कर देता है
या जीव के वक्ष पर एक प्रदाही रक्त का धब्बा छोड़ जाता है;
पुण्य एक धूमिल बन्धन है एक कारागृह है।

At every step is laid for us a snare.
Alien to reason and the spirit’s light,
Our fount of action from a darkness wells;
In ignorance and nescience are our roots.

हमारे कर्म का स्त्रोत एक अन्धकूप से फूटता है,
यह विवेक और आत्मा के प्रकाश से अनजान अपरिचित है;
हमारी जड़े अज्ञान और निश्चेतना में जमी हैं।

A growing register of calamities
Is the past’s account, the future’s book of Fate:
The centuries pile man’s follies and man’s crimes
Upon the countless crowd of Nature’s ills;
As if the world’s stone load was not enough,
A crop of miseries obstinately is sown
By his own hand in the furrows of the gods,
The vast increasing tragic harvest reaped
From old misdeeds buried by oblivious Time.

विपदाओं का सतत बढ़ता एक बही-खाता हमारा पिछला हिसाब है,
यही हमारे भविष्य के भाग्यविधाता की पुस्तक है:
सदियों तक मानव की मूर्खताओं और अपराधों की राशि
अपरा प्रकृति के दोषों के अपार ढेर में जमा होती रहती है;
जैसे कि संसार का पाषाणी भार ही पर्याप्त नहीं हो,
मानव अपने ही दुराग्रही हाथों से कष्टों की एक खेती
देवों द्वारा जोती सीताओं में बो देता है,
जब यह विशाल दुःख की फसल बढ़ जाती है तो इसे काटता है
जो भूतकाल के गर्त में दबे विस्मृत दुष्कर्मों से उपजती है।

He walks by his own choice into hell’s trap;
This mortal creature is his own worst foe.

वह नरक के जाल में स्वयं अपनी ही इच्छा से फंसा है;
वह नश्वर प्राणी स्वयं अपना ही सबसे बड़ा शत्रु है।

His science is an artificer of doom;
He ransacks earth for means to harm his kind;
He slays his happiness and others’ good.

एक विनाश के शिल्प विज्ञान का वह निर्माता है
अपने वर्ग को क्षति पहुंचाने के साधन खोजने वह धरती छान डालता है;
वह अपनी प्रसन्नता और दूसरों के शुभ का वध कर डालता है।

Nothing has he learnt from Time and its history;
Even as of old in the raw youth of Time,
When earth ignorant ran on the highways of Fate,
Old forms of evil cling to the world’s soul:
War making nought the sweet smiling calm of life,
Battle and rapine, ruin and massacre
Are still the fierce pastimes of man’s warring tribes;
An idiot hour destroys what centuries made,
His wanton rage or frenzied hate lays low[440]
The beauty and greatness by his genius wrought
And the mighty output of a nation’s toil.

उसने युगकाल और उसके इतिहास से कुछ भी सबक नहीं सीखा,
अभी भी यह वैसा ही है जैसा आदिकाल की कच्ची किशोरावस्था में था,
जब अज्ञानी पृथ्वी विधाता रचित राजपथों पर अनजान दौड़ती थी,
अभी तक इस जगत् की अन्तरात्मा में पापों के पुराने आकार चिपके हैं:
युद्ध अभी भी जीवन की मधुर मुस्कुराती शान्ति नष्ट कर देता है,
संग्राम औ’ लूटमार, विनाश एवं हत्याकाण्ड
अभी तक मानवीय लड़ाकू जातियों के भीषण मनोरंजन हैं;
एक मूढ़ता की घड़ी उस सबको नष्ट कर देती है जिसके निर्माण में सदियां लगी हैं,
उसका अनियन्त्रित क्रोध या उन्मादी घृणा धूलि में मिला देती है
उसकी अपनी प्रतिभा द्वारा गठित महानताऔ’ सौन्दर्य को,
और राष्ट्र के परिश्रम से अर्जित महान् उत्पादन को।

All he has achieved he drags to the precipice.

अब तक जो उसकी उपलब्धि है उसे खींच कर विनाश के कगार तक ले जाता है।

His grandeur he turns to an epic of doom and fall;
His littleness crawls content through squalor and mud,
He calls heaven’s retribution on his head,
And wallows in his self-made misery.
A part author of the cosmic tragedy,
His will conspires with death and time and fate,
His brief appearance on the enigmaed earth
Ever recurs, but brings no high result
To this wanderer through the aeon-rings of God
That shut his life in their vast longevity.

अपने गौरव को वह एक पतन और विनाश के महाकाव्य में बदल देता है;
उसकी क्षुद्रता सन्तुष्ट पुन: दूषित और पतित माटी में रेंगने लगती है,
वह स्वयं ही देवताओं के प्रतिशोध को अपने शीश पर बुलाता है
और आत्मरचित दुःखों के भोग भोगता है
इस वैश्विक दुःख-नाटिका का वह भी आंशिक लेखक है,
उसका अपना संकल्प ही मृत्यु औ’ काल और भाग्य के साथ षड्यन्त्र रचता है।
इस रहस्यमयी धरती पर उसका अल्प आगमन
सतत दोहराया जाता है किन्तु कोई उत्तम परिणाम नहीं निकला
प्रभु के युगचक्रों के मध्य घूमते इस पर्यटक ने
स्वयं अपने को युगों की बृहत् दीर्घायु में बन्द कर दिया है।

His soul’s wide search and ever returning hopes
Pursue the useless orbit of their course
In a vain repetition of lost toils
Across a track of soon forgotten lives.

इसके प्राणपुरुष की विस्तृत खोज और सतत लौटती आशाएं
अति तीव्रता से विस्मृत होते जीवन-पथों पर
अपने मार्ग के निष्फल वृत्त का पीछा करती रहती हैं
व्यर्थ ही श्रम-चक्रों कोविफलतासे दोहराती रहती हैं।

All is an episode in a meaningless tale.

यह सब एक अर्थहीन कथा का मात्र एक प्रसंग है।

Why is it all and wherefore are we here?

तब यह सब ऐसा क्यों है और हम सब यहां किसलिए हैं?

If to some being of eternal bliss
It is our spirit’s destiny to return
Or some still impersonal height of endless calm,
Since That we are and out of That we came,
Whence rose the strange and sterile interlude
Lasting in vain through interminable Time?

यदि किसी चिर-आत्मानन्द कीसत्ता में
लौट जाना ही हमारी आत्मा की नियति है
या किसी चिर-शान्ति की अचल निर्वैयक्तिक उच्चता में ही लोप हो जाना है,
क्योंकि हम भी तो वही तत् सत् हैं और उसी तत् सत् से हम आये थे,
तब यह विचित्र और फलहीन नीरस जीवन-प्रहसन कहांसे आया है
क्या व्यर्थ ही अनन्त महाकाल के मध्य यह नाटक चल रहा है?

Or if these beings must be and their brief lives,
What need had the soul of ignorance and tears?

इस विश्व की रचना या मिथ्या-कल्पना करने वाला कौन है
इस हृदयहीन और व्योमाकाश की अनन्त रिक्तता में?

Whence rose the call for sorrow and for pain?
Or all came helplessly without a cause?

या यदि इन प्राणियों को सत्ता में आना और अपना क्षणिक जीवन जीना ही है,
तब इस अज्ञानी और रोते जीवपुरुष की क्या आवश्यकता है?

What power forced the immortal spirit to birth?

यह दुःख और पीड़ा की पुकार कहां से उठी है?

The eternal witness once of eternity,
A deathless sojourner mid transient scenes,
He camps in life’s half-lit obscurity
Amid the debris of his thoughts and dreams.

या सब असहाय हैं और अकारण ही यहां आ गये हैं?
कौन-सी शक्ति ने इस अमर-आत्मा को जन्महित बाध्य किया है?
जा कभी शाश्वतता का चिर साक्षी-पुरुष था,
इन नश्वर दृश्यों के मध्य एक अमर प्रवासी था,
वह जीवन के धुंधले अर्धप्रकाशित क्षेत्र में आ बसा
और अपने विचारों और सपनों के खण्डहरों में डेरा डाल दिया।

Or who persuaded it to fall from bliss
And forfeit its immortal privilege?[441]

या किसने इसे परमानन्द से पतन हित बाध्य किया
और किसने इसे अमरत्व के अधिकार से वंचित कराया?

Who laid on it the ceaseless will to live
A wanderer in this beautiful sorrowful world,
And bear its load of joy and grief and love?

किसने सतत जीवित रहने का संकल्प भरा है
इस रम्य शोकार्त जगत् के इस घुमन्तू पथिक में,
किसने उस पर सुख और दुःख औ’ प्रेम का भार ढोने को दिया है?

Or if no being watches the works of Time,
What hard impersonal Necessity
Compels the vain toil of brief living things?

यदि इन युगों के कार्यों का कोईसत्ता निरीक्षण नहीं करती है,
तो कौन-सी निर्दय निर्वैयक्तिक आवश्यकता बाध्य कर देती है
इन क्षणजीवी पदार्थों को व्यर्थ ही परिश्रम करने को?

A great Illusion then has built the stars.

एक महामाया ने इन तारामण्डलों को रचा है।

But where then is the soul’s security,
Its poise in this circling of unreal suns?

किन्तु फिर इस जीव-सत्ता की सुरक्षा कहां है,
इन मिथ्या सूर्यों की इस परिक्रमा में इसका क्या स्थान है?

Or else it is a wanderer from its home
Who strayed into a blind alley of Time and chance
And finds no issue from a meaningless world.

या यह निज धाम से निकला एक पथहारा बटोही है
जो महाकाल और दैवयोग की एक अन्धी गली में भटक आ गया है
और एक अर्थहीन जगत् से बाहर जाने का निर्गमद्वार नहीं पा रहा है।

Or where begins and ends Illusion’s reign?

या इस महामाया के शासन का कहां से आरम्भ और कहां पर अन्त है?

Perhaps the soul we feel is only a dream,
Eternal self a fiction sensed in trance.”

सम्भव है यह अन्तरात्मा जिसे हम अनुभव करते हैं केवल एक स्वप्न है,
समाधि में अनुभव किया गया यह शाश्वत-तत्त्व मात्र एक कल्पित कथा है।’’

Then after a silence Narad made reply:
Tuning his lips to earthly sound he spoke,
And something now of the deep sense of fate
Weighted the fragile hints of mortal speech.

तब कुछ देर चुप रहकर नारद ने उत्तर दिया:
निज ओष्ठोंको पार्थिव ध्वनि से समस्वर कर वे बोले,
और अब जैसे नियति के गहन बोध से किसी वस्तु ने उठकर
उसकी मानवीय वाणी के भंगुर संकेतों को बोझिल बना दिया था।

His forehead shone with vision solemnised,
Turned to a tablet of supernal thoughts
As if characters of an unwritten tongue
Had left in its breadth the inscriptions of the gods.

उनका मस्तक भावी दर्शन के गाम्भीर्य से चमक रहा था,
जो परा-विचारों के एक पट्ट समान लग रहा था
मानों एक अभी तक अलिखित लिपि के वर्णों ने
इस पट्टिका की चौड़ाई पर देवताओं का शिलालेख लिख दिया हो।

Bare in that Light Time toiled, his unseen works
Detected, the broad-flung far-seeing schemes
Unfinished which his aeoned flight unrolls
Were mapped already in that world-wide look:
“Was then the sun a dream because there is night?

उस प्रकाश में महाकाल का परिश्रम स्पष्ट दिखायी दे रहा था,
अगोचर कार्य सब पहचान में आ गये थे; तथा दूर तक फैली दूरदर्शी योजनाएं
जो अधूरी थी पर जिन्हें ऋषि की युगान्तरीय दृष्टि के सामने प्रकटा दिया।
क्योंकि उस विश्व-विशाल चितवन में वे पहले से ही अंकित थीं।
वे बोले, ‘‘तब यह सूर्य क्या एक स्वप्न है क्योंकि रात्रि का अस्तित्व है?

Hidden in the mortal’s heart the Eternal lives:
He lives secret in the chamber of thy soul,
A light shines there nor pain nor grief can cross.

मर्त्य मानव के हृदय में छिपा चिरन्तन बसता है:
वह तेरी अन्तरात्मा के कक्ष में गोपनीयता से रहता है,
वहां एक पराज्योति प्रकाशित है जिसे दुःख-दर्द स्पर्श नहीं कर पाता है।

A darkness stands between thyself and him,
Thou canst not hear or feel the marvellous Guest,
Thou canst not see the beatific sun.

तेरी व्यक्तिसत्ता और उस प्रभु के मध्य एक अन्धकार का पट पड़ा है,
उस अद्भुत दिव्य अतिथि को तू न सुन सकती है न अनुभव कर सकती है,
उस चमत्कारी सूर्य का तू दर्शन नहीं कर सकती।

O queen, thy thought is a light of the Ignorance, [442]
Its brilliant curtain hides from thee God’s face.

हे रानी, तेरे विचार अविद्या को ही प्रकाशित करते हैं,
जिसका जगमगाता पर्दा तुझसे प्रभु का मुख छिपा लेता है।

It illumines a world born from the Inconscience,
But hides the Immortal’s meaning in the world.

यह अचित् जड़ता से उत्पन्न एक जगत् का ज्ञान देता है
किन्तु इस संसार में गोपित अमरत्व का अर्थ हमसे छिपा लेता है।

Thy mind’s light hides from thee the Eternal’s thought,
Thy heart’s hopes hide from thee the Eternal’s will,
Earth’s joys shut from thee the Immortal’s bliss.

तेरे अपने मन के प्रकाश ने तुझसे चिरन्तन का विचार छिपा लिया है,
तेरे हृदय की आशाओं ने तुझसे चिरन्तन का संकल्प छिपा,
पृथ्वी के सुखों ने तुझे अमरत्व के आनन्द से दूर कर दिया है।

Thence rose the need of a dark intruding god,
The world’s dread teacher, the creator, pain.

तभी तो यहां एक काली दिव्यता के प्रवेश की आवश्यकता उठ आयी,
जो इस संसार की दारुण शिक्षिका, निर्माता, पीड़ा है।

Where Ignorance is, there suffering too must come;
Thy grief is a cry of darkness to the Light;
Pain was the first-born of the Inconscience
Which was thy body’s dumb original base;
Already slept there pain’s subconscient shape:
A shadow in a shadowy tenebrous womb,
Till life shall move, it waits to wake and be.

जहां पर अज्ञ-अविद्या का राज्य है, वहां शोक संताप आयेगा हीः
तेरी दुःख वेदना की यह आर्त पुकार अन्धकार की पराप्रकाश हित है;
पीड़ा ही प्रथम सन्तान है इस आदि अचित् जड़तत्त्व की
जो तेरी देह का मूक आदि आधार थी;
वहां पर पीड़ापहले से ही अवचेतन रूप में सोयी थी:
एक धूमिल निरानन्दी कोख में एक छाया-सी,
प्राण के गतिशील होने तक इसने प्रतीक्षा की, जागकर अस्तित्व में आने की।

In one caul with joy came forth the dreadful Power.

यह भीषण महाशक्ति हर्ष के साथ एक ही जरायु से जुड़ी आयी।

In life’s breast it was born hiding its twin;
But pain came first, then only joy could be.
Pain ploughed the first hard ground of the world-drowse.

जीवन के वक्ष में यह अपने जुड़वां को साथ छिपाये जन्मी,
हर्ष के अस्तित्व में आने से पहले पीड़ा ही प्रथम आती है
इस जग-तमस् की कठोर भूमि को पीड़ा रूपी हल ने सबसे पहले जोता है।

By pain a spirit started from the clod,
By pain Life stirred in the subliminal deep.

पीड़ा के द्वारा माटी के ढेले में एक आत्मा जागी,
पीड़ा के साथ ही प्राणशक्ति गहन अवचेतन में अनुप्राणित हो उठी।

Interned, submerged, hidden in Matter’s trance
Awoke to itself the dreamer, sleeping Mind;
It made a visible realm out of its dreams,
It drew its shapes from the subconscient depths,
Then turned to look upon the world it had made.

जड़तत्त्व की समाधि में गोपित, निमग्न सोयी वह मनःशक्ति
जो स्वप्नदृष्टा है अपने अस्तित्व के प्रति सचेत हो जाग उठीः
तब इसने अपने सपनों का एक प्रत्यक्ष जगत् रच डाला,
इसने अवचेतन कीगहनताओं से इसके आकारों को खींच निकाला,
फिर इस स्वयं रचित संसार को पीछे मुड़ कर देखा।

By pain and joy, the bright and tenebrous twins,
The inanimate world perceived its sentient soul,
Else had the Inconscient never suffered change.

दुःख एवं सुख, इन प्रतिभाशाली और गुंथे हुए जुड़वाओं के द्वारा,
इस अचेत संसार ने अपनी सचेत आत्मा का अनुभव पाया,
अन्यथा यह जड़-अचित् कभी भी परिवर्तित नहीं हो पाता।

Pain is the hammer of the gods to break
A dead resistance in the mortal’s heart,
His slow inertia as of living stone.

पीड़ा देवों का हथौड़ाहै जो तोड़ने का कार्य करता है,
मनुष्य के हृदयों में बसे एक जड़ प्रतिरोध को,
जीवित पाषाण सम उसके मन्द तमस् को।

If the heart were not forced to want and weep,
His soul would have lain down content, at ease,
And never thought to exceed the human start
And never learned to climb towards the Sun.[443]

यदि यह हृदय अभाव और रोदन द्वारा बाध्य नहीं होता
तो उसका जीव सन्तुष्ट पड़ा, नीचे आराम से सोता,
और इस मानवता से उन्नत होने को कभी न सोचता
और सत्य के परम-सूर्य की ओर आरोहण करना कभी न सीखता।

This earth is full of labour, packed with pain;
Throes of an endless birth coerce her still;
The centuries end, the ages vainly pass
And yet the godhead in her is not born.

यह धरती कठिन श्रम से भरपूर है और यहांकष्टों की भरमार है;
एक अन्तहीन जन्म की प्रसूति पीड़ा उसे अभी भी सताती है;
युग-युगान्तर निष्फल गुजर जाते हैं और सदियां बीत जाती हैं
और तब भी अभी तक देवत्व को जन्म नहीं दे पायी है।

The ancient Mother faces all with joy,
Calls for the ardent pang, the grandiose thrill;
For with pain and labour all creation comes.

आदि-पुरातन जननी सब हर्ष से सहती जाती है,
और प्रबल पीड़ा को स्वीकारती है, उस भव्यता की पुलकन को;
क्योंकि पीड़ा और कठोर श्रम से ही सकल सृष्टि जन्मती है।

This earth is full of the anguish of the gods;
Ever they travail driven by Time’s goad,
And strive to work out the eternal will
And shape the life divine in mortal forms.

देवताओं की वेदना से यह पृथ्वी भरी पड़ी है;
महाकाल के अंकुश द्वारा वे घोर परिश्रम हित संचालित हैं,
और शाश्वत संकल्प सिद्ध करने के प्रयास में लगे हैं
और इस नश्वर काया में दिव्य जीवन रूपायण हित कार्य करते हैं।

His will must be worked out in human breasts
Against the Evil that rises from the gulfs,
Against man’s ignorance and its obstinate strength,
Against the deep folly of his human mind,
Against the blind reluctance of his human heart.

मानव-अन्तर में प्रभु संकल्प को कार्यान्वित करना होगा
इन गर्तों से उठते इस अशिव घोर पाप का सामना करना होगा,
संसार की अविद्या और इसके दुराग्रही बल के विरोध में,
मानव के विकृत संकल्प की लड़खड़ाती ठोकरों के,
और उसके मन की गहन मूढ़ता के,
और हृदय की अन्धी अनिच्छा के विरोध में दिव्य संकल्प सिद्ध करना होगा।

The spirit is doomed to pain till man is free.

यह जीव दुःख सहने को दण्डित है जब तक मानव मुक्ति नहीं पा जाता।

There is a clamour of battle, a tramp, a march:
A cry arises like a moaning sea,
A desperate laughter under the blows of death,
A doom of blood and sweat and toil and tears.
Men die that man may live and God be born.

यहां पर संग्राम का एक कोलाहल, एक प्रयाण, एक पददलन है:
एक विलाप करते सागर सम एक चीत्कार उठती है,
मृत्यु के थपेड़ोंतले एक नैराश्य का हास्य है,
रक्त और स्वेद औ’ श्रम एवं अश्रुओं का एक विनाश-नृत्य है
मनुष्य मरते हैं कि मनुष्य जीवित रह सकें और प्रभु जन्म ले सकें।

An awful Silence watches tragic Time.

एक भीषण दैवी मौन इस दुःखपूर्ण काल-नाटिका का निरीक्षक है।

Pain is the hand of Nature sculpturing men
To greatness: an inspired labour chisels
With heavenly cruelty an unwilling mould.

पीड़ा वह हाथ है जिससे प्रकृति देवी मानव को महानता में
ढाल कर गढ़ती है: एक आत्मप्रेरणा से पूरित कठोर श्रम से
वह दैवी निर्दयता से एक अनिच्छुक ढांचे को तराशती है।

Implacable in the passion of their will,
Lifting the hammers of titanic toil
The demiurges of the universe work;
They shape with giant strokes their own; their sons
Are marked with their enormous stamp of fire.

अपने संकल्प के आवेश में अशमनीय
इस विश्व-कार्य के ये विश्व-शिल्पी
घोर कठिन श्रम रूपी हथौड़ों को उठा लेते हैं;
वे अपने वज्र प्रहारों से अपने जीवों का रूपायण करते हैं;
अपनी ही निज सन्तानों को वे अग्नि की तपती मुद्रा से दागते हैं।

Although the shaping god’s tremendous touch
Is torture unbearable to mortal nerves,
The fiery spirit grows in strength within
And feels a joy in every titan pang.

यद्यपि इस विश्वकर्मा का यह भीषण स्पर्श
मानवीय नाड़ियों हित असहनीय यातना है,
किन्तु अन्तर में तेजस्वी आत्माशक्ति विकसित होती है,
और प्रत्येक घोर वेदना में यह एक आनन्द की अनुभूति पाती है।

He who would save himself lives bare and calm;[444]
He who would save the race must share its pain:
This he shall know who obeys that grandiose urge.

वह जो स्वयं को बचाना चाहता है वह संन्यासी बना शान्त रहता है;
जिसे मानव जाति को बचाना है उसे इसकी व्यथा में भाग लेना पड़ता है,
यह सत्य वही जानता है जो इस भव्य प्रेरणा का अनुसरण करता है।

The great who came to save this suffering world
And rescue out of Time’s shadow and the Law,
Must pass beneath the yoke of grief and pain:
They are caught by the Wheel that they had hoped to break,
On their shoulders they must bear man’s load of fate.

वह महात्मा जो इस दुःखी जगत् को सुरक्षा देने
और इसे काल की छाया और घोर विधान से मुक्ति दिलाने आया है,
उसे दुःख और पीड़ा के इस जुए तले से गुजरना पड़ता है;
वे स्वयं इस कालचक्र में पीसे जाते हैं जिसे तोड़ने की आशा से आते हैं,
निज कन्धों पर उन्हें मानव-नियति का बोझ ढोना पड़ता है।

Heaven’s riches they bring, their sufferings count the price
Or they pay the gift of knowledge with their lives.

स्वर्ग के वैभव वे अपने संग लाते हैं, और निज कष्टोंसे उनका मोल चुकाते हैं
या अपने जीवनों से वे ज्ञान के उपहार की कीमत देते हैं।

The Son of God born as the Son of man
Has drunk the bitter cup, owned Godhead’s debt,
The debt the Eternal owes to the fallen kind
His will has bound to death and struggling life
That yearns in vain for rest and endless peace.

परमेश का पुत्र यहां पर मानव का पुत्र बन जन्म लेता है
वह जीवन का कड़वा घूंट पीता है, देवत्व का ऋण स्वीकारता है,
निम्न अधोगत जाति के इस ऋण के देनदार स्वयं चिरन्तन प्रभु हैं
उसी के संकल्प से बंधा वह मृत्यु औ’ संघर्षरत जीवन से बाध्य है
वह यहां पर निष्फल ही विश्राम और असीम शान्ति हित लालायित है।

Now is the debt paid, wiped off the original score.

अब उस ऋण का भुगतान हो गया है, आदि मूल हिसाब चुकता हो गया है।

The Eternal suffers in a human form,
He has signed salvation’s testament with his blood:
He has opened the doors of his undying peace.

एक मानवाकार में चिरन्तन प्रभु ने ही दुःख भोगा है,
उसीने मुक्ति के दावेनामे पर निज रक्त से हस्ताक्षर किये हैं:
उसने निज अमरशान्ति के द्वार खोल दिये हैं।

The Deity compensates the creature’s claim,
The Creator bears the law of pain and death;
A retribution smites the incarnate God.

इस प्राणी के हरजाने की मांगपूर्ति स्वयं परमदेव करता है,
स्वयं सर्जनहार इस दुःख और मृत्यु का विधान वहन करता है;
वह अवतारी ईश्वर है पर एक प्रतिशोध का प्रहार सहता है।

His love has paved the mortal’s road to Heaven:
He has given his life and light to balance here
The dark account of mortal ignorance.

उसी के प्रेम ने मर्त्य मानव का पथ सुरलोक हित निर्माया है:
उसने अपने प्राण और प्रकाश का बलिदान दिया है
मर्त्य जीवन के अज्ञानमय काले हिसाब को सन्तुलित करने को।

It is finished, the dread mysterious sacrifice,
Offered by God’s martyred body for the world;
Gethsemane and Calvary are his lot,
He carries the cross on which man’s soul is nailed;
His escort is the curses of the crowd;
Insult and jeer are his right’s acknowledgment;
Two thieves slain with him mock his mighty death.

यह भीषण रहस्यमय बलिदान, अब समाप्त हो गया है,
जिसे प्रभु की हुतात्मा देह ने इस जगत् हित अर्पित किया था;
‘गेट्सेमेन’ और ‘कैलवरी’ उसका भाग्य बन गया था,
वह क्रूस उठाये चलता है जिस पर मानव की आत्मा कीलितटंगी है;
जीवन की भीड़ के अभिशाप उसके साथ चलते हैं;
उसके अधिकार की स्वीकृति-रूप में निरादर औ’ उपहास साथ जुडे़ हैं;
दो चोरों को उसके संग सूली पर लटका उसके बलिदान की खिल्ली उड़ाते हैं।

He has trod with bleeding brow the Saviour’s way.

रक्तरंजित मस्तक लिये वह परम-उद्धारक के पथ पर चलता जाता है।

He who has found his identity with God
Pays with the body’s death his soul’s vast light.

वह जिसने अपनी आत्म-पहचान को प्रभु के संग एकात्मता में पाया है
वह अपनी आत्मा के सत्य प्रकाश कीकीमत निज देह की मृत्यु से चुकाता है।

His knowledge immortal triumphs by his death.

उसकीमृत्यु के पश्चात् ही उसके ज्ञान को अमर विजय प्राप्त होती है।

Hewn, quartered on the scaffold as he falls[445]
His crucified voice proclaims, “I, I am God;”
“Yes, all is God,” peals back Heaven’s deathless call.

ज्यों ही उसकी खंडित काया सूली से गिर छितराती है
उसकी बलिदानी वाणी ‘‘मैं, मैं ईश्वर हूं’’ घोषित करती है;
‘‘हां, सब ईश्वर हैं,’’ देवलोक की अमर गिरा गुंजित हो उठती है।

The seed of Godhead sleeps in mortal hearts,
The flower of Godhead grows on the world-tree:
All shall discover God in self and things,
But when God’s messenger comes to help the world
And lead the soul of earth to higher things,
He too must carry the yoke he came to unloose;
He too must bear the pang that he would heal:
Exempt and unafflicted by earth’s fate,
How shall he cure the ills he never felt?

मर्त्य हृदयों में परमेश का बीज सोया है,
देवत्व का पुष्प इस जगसृष्टि के वृक्ष पर ही खिलता है:
सकल जगत् एक दिन स्वयं में और वस्तुओं में ईश्वर खोज लेगा।
किन्तु जब प्रभु का दूत इस संसार की सहायता हेतु आता है
और पृथ्वी की आत्मा को महत्तर पदार्थों कीओर ले जाता है,
तब उसे भी उस जुए को ढोना पड़ता है जिससे मुक्ति दिलाने वह आया है;
उस व्यथा को सहना होता है जिसका अन्त करने आया है:
यदि इस पृथ्वी की नियति से वह अछूता और मुक्त रहता,
तो उन दोषों का उपचार कैसे करता जिनका अनुभव उसने नहीं पाया?

He covers the world’s agony with his calm;
But though to the outward eye no sign appears
And peace is given to our torn human hearts,
The struggle is there and paid the unseen price;
The fire, the strife, the wrestle are within.

वह संसार की यन्त्रणा को अपनी शान्ति की चादर से ढक देता है;
यद्यपि जग की बहिर्दृष्टि के सम्मुख एक भी चिह्न दिखायी नहीं देता है
पर हमारे विदीर्ण मानव हृदयों को शान्ति मिल जाती है,
संघर्ष वहां होता रहता है और इसकी अदृश्य कीमत भी चुकायी जाती है;
यह अग्नि, यह मतभेद और यह टकराव सबका स्रोत अन्तर में है।

He carries the suffering world in his own breast;
Its sins weigh on his thoughts, its grief is his:
Earth’s ancient load lies heavy on his soul;
Night and its powers beleaguer his tardy steps,
The titan adversary’s clutch he bears;
His march is a battle and a pilgrimage.

महात्मा इस व्यथित जग को अपने अन्तर में वहन कर चलता है;
इसके पाप उसके मानस पर बोझ हैं, इसका दुःख उसका अपना है:
पृथ्वी का आदि पुरातन भार उसकी आत्मा को दबाये रहता है;
अन्धकारी रात्रि और इसकी शक्तियों ने उसकी मन्द चाल को घेर रखा है,
इसके दानवी विरोध की पकड़ को वह सहन करता है;
उसका जीवन-प्रयाण एक संग्राम और एक तीर्थयात्रा है।

Life’s evil smites, he is stricken with the world’s pain:
A million wounds gape in his secret heart.

मानव-जीवन के पाप प्रहार करते हैं, वह जगत्-पीड़ा का आघात वहन करता है:
उसका अन्तर हृदय लक्ष-लक्ष घावों से घायल है।

He journeys sleepless through an unending night;
Antagonist forces crowd across his path;
A siege, a combat is his inner life.

एक अन्तहीन अन्धरात्रि में उसकी निद्राहीन यात्रा चलती रहती है;
विरोधी शक्तियों की भीड़ उसका मार्ग रोके खड़ी है;
उसके अन्तर्जीवन का संग्राम एक चक्रव्यूह का घेरा है।

Even worse may be the cost, direr the pain:
His large identity and all-harbouring love
Shall bring the cosmic anguish into his depths,
The sorrow of all living things shall come
And knock at his doors and live within his house;
A dreadful cord of sympathy can tie
All suffering into his single grief and make
All agony in all the worlds his own.

उसे इससे कहीं बदतर कीमत चुकानी पड़ सकती है,घोर कष्ट पा सकता है:
उसकी उदार एकात्मता और समस्त को आश्रय देता प्रेम
उसकी अन्तर्गहनताओं को विश्व-वेदना से भर देगा,
सकल जीवित पदार्थों का दुःख वह वहन करेगा
और जो उसका द्वार खटखटा कर उसके गेह में आ बस जायेगा;
सहानुभूति का एक भीषण सूत्र उसकी एकाकी वेदना को
सबकी दुःख-वेदना से बांध देता है और
सकल लोकों की समस्त व्यथा को उसकी अपनी बना देता है।

He meets an ancient adversary Force,[446]
He is lashed with the whips that tear the world’s worn heart;
The weeping of the centuries visits his eyes:
He wears the blood-glued fiery Centaur’s shirt,
The poison of the world has stained his throat.

उसे एक पुरातन विरोधी महाशक्ति आ भेंटती है,
यह उस पर कशाघातों से प्रहार करती है जो इस जग का अन्तर विदीर्ण कर देती है;
सदियों का रोदन अश्रुओं के रूप में उसके नेत्रों से बहता हैः
वह रौद्ररूपी ‘सैंतोर’ का रक्तरंजित अग्निल कुर्ता पहन लेता है,
इस संसार के करालविष ने उसके कण्ठ को नीला कर दिया है।

In the market-place of Matter’s capital
Amidst the chafferings of the affair called life
He is tied to the stake of a perennial Fire,
He burns on an unseen original verge
That Matter may be turned to spirit stuff:
He is the victim in his own sacrifice.

जड़-तत्त्व की राजधानी के हाट बाजार में
जीवन नामी इस व्यवसाय के मोल-भाव के मध्य में
उसे एक अनन्त महाज्वाल के खूंटे से बांध दिया है;
और वह एक आदि मूल तट पर अनदेखा अविराम जलता रहता है
जिससे एक दिन यह जड़तत्त्व पुनः आत्म-तत्त्व में रूपान्तरित हो जाये:
वह अपने ही आत्म-बलिदान का शिकार है।

The Immortal bound to earth’s mortality
Appearing and perishing on the roads of Time
Creates God’s moment by eternity’s beats.

इस पृथ्वी की नश्वरता से बंधा हुआ परम अमरतत्त्व है
यह महाकाल के मार्गों पर अभिव्यक्त होता और नष्ट होता रहता है
चिरन्तन की धड़कनों द्वारा यह प्रभु के मुहूर्त की सृष्टि करता है।

He dies that the world may be new-born and live.

वह मरता है जिससे यह जगत् नवजन्म ले नवजीवन धारण करे।

Even if he escapes the fiercest fires,
Even if the world breaks not in, a drowning sea,
Only by hard sacrifice is high heaven earned:
He must face the fight, the pang who would conquer Hell.

तथापि यदि वह इन भीषणतम ज्वालाओं से बच जाता,
और जगत् उसके लिए एक डुबो देने वाला सागर न हो जाता,
केवल कठिन आत्म बलिदान द्वारा ही उसे उन्नत स्वर्ग मिल पाता है:
इस घोर नरक को जीतने को उसे युद्ध और पीड़ा का सामना करना होगा।

A dark concealed hostility is lodged
In the human depths, in the hidden heart of Time
That claims the right to change and mar God’s work.

एक काला अन्धा विरोध हमारे अन्तरों में छिपा बसा है,
यह कालयुग के हृदय में भी गोपित है,
यह प्रभु के कार्य को नष्ट करने और बदल देने के अधिकार का दावा करता है।

A secret enmity ambushes the world’s march;
It leaves a mark on thought and speech and act:
It stamps stain and defect on all things done;
Till it is slain peace is forbidden on earth.

एक गुप्त शत्रु है जो जग के प्रयाण-पथ पर घात लगाये रहता है;
यह विचार एवं वाणी और कर्म पर एक कलुष चिह्न छोड़ जाता है:
प्रत्येक सिद्ध वस्तुओं को दोष और कलंक से कलुषित कर देता है;
जब तक इसका वध नहीं हो जाता इस पृथ्वी पर शान्ति असम्भव है।

There is no visible foe, but the unseen
Is round us, forces intangible besiege,
Touches from alien realms, thoughts not our own
Overtake us and compel the erring heart;
Our lives are caught in an ambiguous net.

यहां कोई प्रत्यक्ष शत्रु नहीं है, केवल अगोचर चहुं ओर छाया है,
हमारे चारोंओर अस्पर्श्य शक्तियों का घेरा है,
अनजान लोकों से स्पर्श आते हैं, विचार जो हमारे अपने नहीं हैं
हम पर अधिकार जमा लेते हैं, और दोषी हृदय को विवश कर देते हैं;
हमारे जीवन एक धुंधले मायाजाल में फंस जाते हैं।

An adversary Force was born of old:
Invader of the life of mortal man,
It hides from him the straight immortal path.

एक विद्वेषी महाशक्ति आदि काल मेंजन्मी थी:
मानव के मर्त्य जीवन की यह आक्रमणकारिणी,
यह उसकी दृष्टि से सीधे सहज अमर पथ को ओझल कर देती है।

A power came in to veil the eternal Light,
A power opposed to the eternal will
Diverts the messages of the infallible Word,[447]
Contorts the contours of the cosmic plan:
A whisper lures to evil the human heart,
It seals up wisdom’s eyes, the soul’s regard,
It is the origin of our suffering here,
It binds earth to calamity and pain.

शाश्वत परा-ज्योति को आच्छादित करने यह शक्ति उत्तरी है,
जो इस शाश्वत संकल्प को चिर-विरोधिनी
अमोघ परम-शब्द के संदेशों को उल्टा घुमा देती है,
ब्रह्माण्डीय योजना की रूपरेखा विकृत कर देती है:
एक फुसफुसाहट मानव हृदय को अशुभ कीओर लुभाती है,
यह प्रज्ञा की दृष्टि को, इस आत्मपुरुष के सम्मान को नष्ट कर देती है,
यहीं से हमारे कष्ट भोग का आदि मूल आरम्भ हुआ है,
जिसने धरा को विनाश और व्यथा से बांध दिया है।

This all must conquer who would bring down God’s peace.

भागवत शान्ति को नीचे उतार लाने वाले नर को इस सब पर विजय पानी है।

This hidden foe lodged in the human breast
Man must overcome or miss his higher fate.

यही मानव के वक्ष में रहने वाला गुप्त वैरी है
मानव को इसे विजित करना होगा अन्यथा वह अपनी महत्तर नियति खो देगा।

This is the inner war without escape.

यह अन्तर्युद्ध है जिससे कोई बच नहीं पायेगा।

 

Hard is the world-redeemer’s heavy task;
The world itself becomes his adversary,
His enemies are the beings he came to save.
Those he would save are his antagonists:
This world is in love with its own ignorance,
Its darkness turns away from the saviour light,
It gives the cross in payment for the crown.

इस जग-उद्धारक का कार्य अति बोझिल है;
यह जगत् स्वयं ही उसका विरोधी बन जाता है,
जिनकी वह रक्षा करता है वे ही उसके विरोधी हो जाते हैं;
यह संसार स्वयं अपने अज्ञ अन्धकारसेप्रेम करता है,
इसका अन्धकार अपनी परित्राता-ज्योति से मुंह फेर लेता है,
अपने प्रमुख दाताओं को यह सूली चढ़ाकर कीमत चुकाता है।

His work is a trickle of splendour in a long night;
He sees the long march of Time, the little won;
A few are saved, the rest strive on and fail:
A Sun has passed, on earth Night’s shadow falls.

एक दीर्घ अन्धरात्रि में बूंद-बूंद रिसती कृपा समान इस सत्पुरुष का कार्य है;
वह युगों के दीर्घ प्रयाण को लक्ष्य कर देखता है कि अत्यल्प क्षेत्र विजित हुआ है;
कुछ को ही वह बचा पाया है शेष का प्रयास असफल रहा है:
फिर यह आत्म-सूर्य अस्त हो जाता है, धरती पर कालरात्रि की छाया आ गिरती है।

Yes, there are happy ways near to God’s sun;
But few are they who tread the sunlit path;
Only the pure in soul can walk in light.

हां, इस दिव्यता के सूर्य के समीप जाते अन्य प्रसन्न पथ भी हैं;
किन्तु अति अल्पजन इस सूर्यालोकित मार्ग पर विचरण कर सकते हैं;
केवल निर्मल विशुद्धात्मा इस प्रकाश में चल पाते हैं।

An exit is shown, a road of hard escape
From the sorrow and the darkness and the chain;
But how shall a few escaped release the world?

एक और निष्कासन है, इस क्लेश और अन्धकार और जीवन श्रृंखला से
छूटने का एक कठोर पलायनवादी मार्ग बताया है;
किन्तु कुछ अल्पजनों का पलायन कैसे इस संसार को मुक्त कर सकता है?

The human mass lingers beneath the yoke.

जब सकल मानवजाति इस दुःख के जुए तले दबी सिसक रही है।

Escape, however high, redeems not life,
Life that is left behind on a fallen earth.

पलायन कितना भी श्रेष्ठ क्यों न हो, जीवन का उद्धार नहीं कर सकता है,
उस जीवन का जो एक पतित धरा पर पीछे छूट जाता है।

Escape cannot uplift the abandoned race
Or bring to it victory and the reign of God.

पलायन इस परित्यक्त जाति को उन्नत नहीं कर सकता
या विजय और रामराज्य इस पृथ्वी पर नहीं ला सकता।

A greater power must come, a larger light.

उसके लिए एक महत्तर शक्ति, एक विशालतर ज्योति को आना ही होगा।

Although Light grows on earth and Night recedes,
Yet till the evil is slain in its own home
And Light invades the world’s inconscient base[448]
And perished has the adversary Force,
He still must labour on, his work half done.

यद्यपि धरती पर आत्म-ज्योति विकसित होगी और अन्धरात्रि का अवसान अवश्य होगा,
तथापि जब तक इस पाप का वध न हो यह निज गेह में निर्मूल नहीं होता
और पराज्योति इस जग अचित् की जड़ तक में नहीं छा जाती
और विरोधी आसुरी शक्ति का विनाश नहीं कर देती,
सत्पुरुष का कार्य अधूरा ही है, उसे श्रम में जुटे रहना होगा।

One yet may come armoured, invincible;
His will immobile meets the mobile hour;
The world’s blows cannot bend that victor head;
Calm and sure are his steps in the growing Night;
The goal recedes, he hurries not his pace,
He turns not to high voices in the Night.

अभी भी कोई अद्वितीय अजेय, क्वचित् वीर धरा पर सम्भव है आ जाये;
जिसका दृढ़व्रती संकल्प उस अस्थिर घड़ी से टकरा सके;
उस वीर जयी मस्तक को संसार के आघात झुका नहीं पाये;
इस बढ़ती कालरात्रि में भी उसके व्रती चरण शान्त और निश्चिन्त हैं;
लक्ष्य यदि पीछे हटता है, वह तब भी अपनी गति तीव्र नहीं करता,
कालरात्रि में उठते तीव्र स्वरों की ओर वह नहीं मुड़ता।

He asks no aid from the inferior gods;
His eyes are fixed on the immutable aim.

वह निम्न स्तर के देवों कीओर सहायता हित हाथ नहीं फैलाता;
उसकी दृष्टि तो अपने अनिर्वचनीय उद्देश्य पर दृढ़ता से स्थिर रहती है।

Man turns aside or chooses easier paths;
He keeps to the one high and difficult road
That sole can climb to the Eternal’s peaks;
The ineffable planes already have felt his tread;
He has made heaven and earth his instruments,
But the limits fall from him of earth and heaven;
Their law he transcends but uses as his means.

सामान्यजन एक ओर हट जाता है या सहज मार्ग चुन लेता है;
पर वह उसी एक उन्नत और कठिन मार्ग पर चलता रहता है
यही एकाकी आरोहण चिरन्तन प्रभु-शिखरों तक जाता है;
अनिर्वचनीय स्तरों ने उसके चरण-चाप का अनुभव पाया है;
वह स्वर्ग एवं धरा दोनों का अपना साधन बना लेता है,
पृथ्वी और स्वर्ग की सीमाओं से वह सौमित्र नहीं है;
उनके विधान का अतिक्रमण कर वह उन्हें निज साधन सम उपयोग करता है।

He has seized life’s hands, he has mastered his own heart.

वह अपने जीवन की डोर सम्भालता है, अपने हृदय पर पूर्ण प्रभुत्व रखता है।

The feints of Nature mislead not his sight,
Inflexible his look towards Truth’s far end;
Fate’s deaf resistance cannot break his will.

अपरा-प्रकृति का मायाजाल उसकी दृष्टि को भ्रमित नहीं कर सकता,
ऋत के अन्तिम छोर पर टिकी उसकी अटल दृष्टि स्थिर है;
भाग्य-विधान का बधिर विरोध उसके व्रती संकल्प को भंग नहीं कर सकता।

In the dreadful passages, the fatal paths,
Invulnerable his soul, his heart unslain,
He lives through the opposition of earth’s Powers
And Nature’s ambushes and the world’s attacks.

भीषण मार्गों में, इन प्राणघाती पथों पर,
उसका चैत्यपुरुष अजेय है, उसका हृदय अक्षय,
वह पृथ्वी की जड़-घोर शक्तियों के विरोध के मध्य
और अपरा-प्रकृति के आघातों और संसारी आक्रमणों में वास करता है।

His spirit stature transcending pain and bliss
He fronts evil and good with calm and equal eyes.

उसकी आत्मा का स्तर पीड़ा और सुखानुभूतिसे परे है
वह सम और शान्त नेत्रों से शुभ और अशुभ का सामना करता है।

He too must grapple with the riddling Sphinx
And plunge into her long obscurity.

इस रहस्यपूर्ण पशु-देव रूपी स्फ़िंक्स से भी उसे जूझना है
और इसकी दीर्घ अनिश्चित धूमिलता में डूब कर उभरना है।

He has broken into the Inconscient’s depths
That veil themselves even from their own regard:
He has seen God’s slumber shape these magic worlds.

उसने घोर अचित् की उन गहराइयों में प्रवेश पा लिया है
जो अचेतनता में स्वयं को अपनी ही दृष्टि से छिपा रखती है:
उसने परमेश की सुषुप्ति को इन जादुई लोकों की रचना करते देखा है।

He has watched the dumb God fashioning Matter’s frame,
Dreaming the dreams of its unknowing sleep,
And watched the unconsious Force that built the stars.

उसने मूक परमेश को जड़-तत्त्व का आकार गठित करते अवलोका है,
और उसकी अचेत महाशक्ति को तारों का सर्जन करते,
एवं उसकी अज्ञ-घोर निद्रा के सपनों को सपनाते देखा है।

He has learnt the Inconscient’s workings and its law,[449]
Its incoherent thoughts and rigid acts,
Its hazard wastes of impulse and idea,
The chaos of its mechanic frequencies,
Its random calls, its whispers falsely true,
Misleaders of the hooded listening soul.

उसने घोर अचित् महाशक्ति की प्रक्रिया और इसके विधान का ज्ञान पा लिया है,
इसके अनर्गल विचारों और दृढ़, अनम्य कर्मों का,
आवेश और धारणा की इसकी संकटकारिणी बर्बादी का,
इसके यान्त्रिक आवर्तनों की अन्धव्यवस्था का,
इसकी उद्देश्यहीन पुकारों, एवं झूठी-सच्चीखुसफुसाहट का,
गोपित श्रोता जीव को पथभ्रष्ट करती शक्तियों का वह ज्ञान पा गया है।

All things come to its ear but nothing abides;
All rose from the silence, all goes back to its hush.

उसके श्रोता कान में सब प्रवेश करता किन्तु स्थिर कुछ भी नहीं रह पाता है;
सब मौन हो उठता है, पुनः उसी नीरव निःशब्द में समा जाता है।

Its somnolence founded the universe,
Its obscure waking makes the world seem vain.

अचित् जड़तत्त्व की सुषुप्ति इस ब्रह्माण्ड की आधारशिला है,
इसका धूमिल अर्धजागरण इस संसार को निस्सार जैसा दिखाता है।

Arisen from Nothingness and towards Nothingness turned
Its dark and potent nescience was earth’s start;
It is the waste stuff from which all was made;
Into its deeps creation can collapse.

महाशून्य से उत्पन्न हो यह असत्-शून्य की ओर घूम गया है।
और इसकीकाली और सामर्थ्यशाली निश्चेतना से पृथ्वी का आरम्भ हुआ था;
यह अपशिष्ट द्रव्य है जिससे यह सब रचा गया था;
इसकी अगाध गहनताओं में यह सृष्टि विलीन हो सकती है।

Its opposition clogs the march of the soul,
It is the mother of our ignorance.

इस मत का विरोध हमारे आत्मपुरुष के प्रयाण में बाधा है,
यही विश्वास हमारे सकल अज्ञान की माता है।

He must call light into its dark abysms,
Else never can Truth conquer Matter’s sleep
And all earth look into the eyes of God.

सत्पुरुष को इसकी अंधेरी खाड़ियों में प्रकाश लाना होगा,
अन्यथा परम-सत्य इस जड़तत्त्व के तमस् को कभी जीत नहीं पायेगा
और सकल पृथ्वी प्रभु के नेत्रों का कभी दर्शन नहीं पायेगी।

All things obscure his knowledge must relume,
All things perverse his power must unknot:
He must pass to the other shore of falsehood’s sea,
He must enter the world’s dark to bring there light.

सकल कलुषित पदार्थों को उसे प्रभु के ज्ञान द्वारा दीप्तिमय बनाना होगा,
समस्त विकृत पदार्थों की ग्रन्थी को निज शक्ति से खोलना होगा:
उसे इस मिथ्या-तत्त्व के सागर को पार कर उस तट पर पहुंचना होगा,
उसे जग के अन्धकार में प्रकाश लाने को वहां प्रवेश करना होगा।

The heart of evil must be bared to his eyes,
He must learn its cosmic dark Necessity,
Its right and its dire roots in Nature’s soil.

उसे निज दृष्टि के सामने पाप के हृदय का निरावरण करना होगा।
उसे इसकी काली वैश्विक आवश्यकता का अर्थ जानना होगा,
एवं भौतिक प्रकृति की धरती में फैली इसकी भीषण जड़ों और इसके अधिकार के यथार्थ को।

He must know the thought that moves the demon act
And justifies the Titan’s erring pride
And the falsehood lurking in earth’s crooked dreams:
He must enter the eternity of Night
And know God’s darkness as he knows his Sun.

एवं उसे इस दानवी कर्म को संचारित करते विचार-संकल्प को जानना होगा
और उसको जो इसके आसुरी दोषो अहंकार को न्यायोचित ठहराता है
और पृथ्वी के विकृत सपनों में छिपे मिथ्यात्व को समझना होगा:
उसे काल-निशा की शाश्वतता में प्रवेश करना होगा
और प्रभु के अन्धकार को वैसे ही जानना होगा जैसे उसके ज्योतिर्मय सूर्य को जानता है।

For this he must go down into the pit,
For this he must invade the dolorous Vasts.

इसके लिए उसे काल-गर्त में नीचे उतरना होगा,
और नैराश्य के घोर विस्तारों पर आक्रमण करना होगा।

Imperishable and wise and infinite,
He still must travel Hell the world to save.

वह अविनाशी और प्रज्ञावान् और नित्य है,
फिर भी जगत्-उद्वार हेतु उसे घोर नरक की यात्रा करनी है।

Into the eternal Light he shall emerge
On borders of the meeting of all worlds;[450]
There on the verge of Nature’s summit steps
The secret Law of each thing is fulfilled,
All contraries heal their long dissidence.

सकल लोकों की सीमाओं के संगम स्थल पर
उसे चिरन्तन परा-प्रकाशमें उदित होना है;
विश्व-प्रकृति के शिखर-चरणों की चरम सीमा पर जहां
प्रत्येक द्रव्य का गुह्य विधान परिपूर्णता को प्राप्त होता है,
सकल विरोधियों के लम्बे विवाद शान्त हो जाते हैं।

There meet and clasp the eternal opposites,
There pain becomes a violent fiery joy;
Evil turns back to its original good,
And sorrow lies upon the breasts of Bliss:
She has learnt to weep glad tears of happiness;
Her gaze is charged with a wistful ecstasy.

वहां पर चिर-द्वन्द्व आपस में मिल जुड़ एक हो जाते हैं,
एवं पीड़ा एक उत्कट ज्वलन्त हर्ष बन जाती है;
और अशुभता उलटकर अपना मौलिक शुभ-रूप हो जाती है,
और दुःख-वेदना वहां परमानन्द के वक्ष पर शयन करती है:
उसने प्रसन्नता के सुखी अश्रुओं से रोना सीख लिया है;
उसकी दृष्टि अनुरागी प्रहर्ष की एक उत्कण्ठा से आरोपित है।

Then shall be ended here the Law of Pain.
Earth shall be made a home of Heaven’s light,
A seer heaven-born shall lodge in human breasts;
The superconscient beam shall touch men’s eyes
And the truth-conscious world come down to earth
Invading Matter with the Spirit’s ray,
Awaking its silence to immortal thoughts,
Awaking the dumb heart to the living Word.

तब यहां पर घोर पीड़ा के दैवीविधान का अन्त हो जायेगा,
और भूदेवी स्वर्ग की दिव्य-ज्योति का धाम बन जायेगी,
स्वर्ग में जन्मा एक द्रष्टा मानव के अन्त:स्थल में आ बस जायेगा;
पराचित्शक्ति का प्रकाश मानव नेत्रों में चमकेगा
और सत्य-चेतना का धाम धरा पर उतर आयेगा,
जो आत्मा की किरण को साथ लेजड़तत्त्व पर आक्रमण कर,
इसके नीरव अन्तर में अमर विचारों को जगाकर,
इस मौन हृदय में जीवन्त जाग्रत् परम शब्द झंकृत कर देगा।

This mortal life shall house Eternity’s bliss,
The body’s self taste immortality.

यह नश्वर जीवन तब चिदानन्द का चिर धाम बनेगा,
इस देह का आत्मपुरुष अमरत्व का स्वाद पायेगा।

Then shall the world-redeemer’s task be done.

तब जाकर इस जगत्राता का परिश्रम सफल हो पायेगा।

 

Till then must life carry its seed of death
And sorrow’s plaint be heard in the slow Night.

‘‘पर तब तक जीवन को इस मृत्यु-बीज को वहन करना होगा
और लम्बी धीमी कालनिशा में दुःख का विलाप सुनाई देता रहेगा।

O mortal, bear this great world’s law of pain,
In thy hard passage through a suffering world
Lean for thy soul’s support on Heaven’s strength,
Turn towards high Truth, aspire to love and peace.

हे मानवी, इस महान् जग-पीड़ा के विधान को सहन कर,
इस दुःख-भोगते संसार में अपनी इस कठोर यात्रा-पथ पर
तू निज आत्म-सहारे हित भागवत शक्ति पर भरोसा रख,
परम दिव्य-सत्य कीओर मुड़ जा, प्रेम और शान्ति की अभीप्सा कर।

A little bliss is lent thee from above,
A touch divine upon thy human days:
Make of thy daily way a pilgrimage,
For through small joys and griefs thou mov’st towards God.

देवताओं से तुझे अल्पानन्द उधार मिला है,
अपने मानवीय दिवसों पर एक दिव्य स्पर्श तूने पाया है।
अपनी दैनिक दिनचर्या को एक तीर्थ-यात्री बना ले,
और इन सुखों दुःखों के छोटे पड़ावों से गुजर प्रभु की ओर गतिशील हो।

Haste not towards Godhead on a dangerous road,
Open not thy doorways to a nameless Power,
Climb not to Godhead by the Titan’s road.

इस संकटपूर्ण मार्ग पर तू देवत्व को पाने की शीघ्रता न दिखा,
अपने द्वारों को किसी अनामीविद्वेषी महाशक्ति हित न खोल देना,
आसुरी मार्ग से देवत्व कीओर आरोहण न करना।

Against the Law he pits his single will,
Across its way he throws his pride of might.[451]

जो व्यक्ति अपने संकल्प को दैवी-विधान के विरोध में अड़ा देता है,
वह इसके मार्ग पर निज गर्वीले बल को बाधा बना खड़ाकर देता है।

Heavenward he clambers on a stair of storms
Aspiring to live near the deathless Sun.

वह झंझावाती सोपानों से स्वर्ण की ओर चढ़ने को हाथ पांव फेंकता है
अमर आदित्य के समीप बसने की अभीप्सा से भरा रहता है।

He strives with a giant strength to wrest by force
From life and Nature the immortals’ right;
He takes by storm the world and fate and heaven.

एक आसुरी बल द्वारा वह प्राण और विश्व प्रकृति से
उनके अमरत्व के अधिकार को छीनने का प्रयास करता है;
वह संसार, एवं नियति तथा स्वर्ग कीओर तूफानी वेगसे झपटता है।

He comes not to the high world-maker’s seat,
He waits not for the outstretched hand of God
To raise him out of his mortality.

वह सर्वोच्च देव विश्वकर्मा के आसन तक नहीं पहुंच पाता है,
वह स्वयं को अपनी नश्वरता से उठाने हेतु
प्रभु के फैले हुए हाथ की प्रतीक्षा नहीं करता है।

All he would make his own, leave nothing free,
Stretching his small self to cope with the infinite.

वह समस्त को अपने अधिकार में कर किसी को स्वाधीन नहीं रहने देता,
निज लघु अहम् को खींच अनन्तता से स्पर्धा करने की आकांक्षा रखता है।

Obstructing the gods’ open ways he makes
His own estate of the earth’s air and light;
A monopolist of the world-energy,
He dominates the life of common men.

देवताओं के मुक्त प्रवाह-पथों पर बाधा बन के
वह पृथ्वी के परिवेश और प्रकाश को अपनी जागीर बना लेता है;
इस जग-ऊर्जा पर निज एकाधिकार जमा लेता है,
वह जन-साधारण के जीवन पर शासन करता है।

His pain and others’ pain he makes his means:
On death and suffering he builds his throne.

अपनी पीड़ा और दूसरों की पीड़ा को अपना साधन बना लेता है:
मृत्यु और कष्ट-भोग के ऊपर वह निज सिंहासन रख लेता है।

In the hurry and clangour of his acts of might,
In a riot and excess of fame and shame,
By his magnitudes of hate and violence,
By the quaking of the world beneath his tread
He matches himself against the Eternal’s calm
And feels in himself the greatness of a god:
Power is his image of celestial self.

अपने कर्मों की प्रचण्डता केवेग और कोलाहल में,
प्रसिद्धि और लज्जा के विस्फोटन और आधिक्य में,
घृणा और हिंसा के अपने फैलाव के द्वारा,
अपने चरण तले कांपते चिंचियाते इस संसार को साधन बना,
वह स्वयं को शाश्वत प्रभु के शान्त-विस्तार के विरोध में खड़ा कर देता है
और स्वयं में एक देवता की महानता को अनुभव करता है:
शक्ति-बल ही उसके लिए दिव्य-व्यक्तित्व का रूप है।

The Titan’s heart is a sea of fire and force;
He exults in the death of things and ruin and fall,
He feeds his strength with his own and others’ pain;
In the world’s pathos and passion he takes delight,
His pride, his might call for the struggle and pang.

इस घोर असुर का अन्तर अग्नि और बल का एक सिंधु है;
वह वस्तुओं के पतन औ’ विनाश एवं मृत्यु में उल्लसित होता है,
वह अपनी शक्ति अपनी आत्म-वेदना और अन्यों की पीड़ा द्वारा वर्धित करता है;
वह संसार की दीनता और रागावेश द्वारा सुख पाता है,
उसका अहंकार, उसका बल संघर्ष और कष्ट को न्योता देता है।

He glories in the sufferings of the flesh
And covers the stigmata with the Stoic’s name.

वह देह की यन्त्रणा में गौरव अनुभव करता है
और इस कलंक को तपस्वी की तितिक्षा का नाम दे ढक देता है।

His eyes blinded and visionless stare at the sun,
The seeker’s sight receding from his heart
Can find no more the light of eternity;
He sees the beyond as an emptiness void of soul
And takes his night for a dark infinite.

उसके नेत्र अन्धे औ’ दृष्टिविहीन हो सूर्य को घूरते हैं,
उसके हृदय में जिज्ञासु की अन्तर्दृष्टि मिट चुकी है
यह चिरन्तन की ज्योति को अब और प्राप्त नहीं कर सकती;
यहां से परे उसे आत्मा से विहीन एक शून्य असत् की अनुभूति होती है।
अतः वह अपनी अज्ञ-रात्रि को एक काली अनन्तता सम लेता है।

His nature magnifies the unreal’s blank[452]
And sees in Nought the sole reality:
He would stamp his single figure on the world,
Obsess the world’s rumours with his single name.

उसका स्वभाव उस असत् शून्य को अति वर्धित कर देता है
और अनन्त निषेध में ही एकमात्र यथार्थ देखता है:
वह इस संसार पर केवल निज आकार की छाप लगाना चाहता है,
इस संसार की चर्चाओं में केवल अपना नाम सुनने की सनक से ग्रस्त है।

His moments centre the vast universe.

अपने क्षणों को इस विशाल विश्व का केन्द्र मानता है।

He sees his little self as very God.

वह अपने लघु व्यक्तित्व का स्वयं परमेश्वर सम देखता है।

His little “I” has swallowed the whole world,
His ego has stretched into infinity.

उसके क्षुद्र ‘अहम्’ ने सकल जगत् को निगल लिया है,
उसका अहंकार अनन्तता तक खिंच गया है।

His mind, a beat in original Nothingness,
Ciphers his thought on a slate of hourless Time.

तथापि उसका मानस, आदि मूल असत् में एक धड़कन मात्र है,
जो उसके विचारों को अकाल महाकाल की एक तख्ती पर नगण्य कर देता है।

He builds on a mighty vacancy of soul
A huge philosophy of Nothingness.

वह अपनी आत्मा के शक्तिशाली आत्म-शून्य को आधार बना
असत् महाशून्य का एक विशाल दर्शन रच डालता है।

In him Nirvana lives and speaks and acts
Impossibly creating a universe.

उसके अन्तर में निर्वाण रहता और बोलता और कर्म करता है
वह असम्भावना से फिर एक विश्व रच लेता है।

An eternal zero is his formless self,
His spirit the void impersonal absolute.

उसका निराकारी आत्म-तत्त्व एक शाश्वत शून्य है,
उसकी आत्मा चरम निर्वैयक्तिकता की रिक्तता है।

Take not that stride, O growing soul of man;
Cast not thy self into that night of God.

हे मानव की प्रगतिशील चैत्यसत्ता, इस पथ पर चरण नहीं धरना;
स्वयं को प्रभु की असत् रात्रि में नहीं उतारना।

The soul suffering is not eternity’s key,
Or ransom by sorrow heaven’s demand on life.

जीव का कष्ट भोगना अमरत्व की कुंजी नहीं है,
या यन्त्रणा द्वारा जीवन का मूल्य चुकाना देवताओं की मांग नहीं है।

O mortal, bear, but ask not for the stroke,
Too soon will grief and anguish find thee out.

हे मानवी, धीरज धर, किन्तु वज्राघात का आवाहन न कर,
नहीं तो शीघ्र ही शोक, सन्ताप तुझे खोज निकालेंगे।

Too enormous is that venture for thy will;
Only in limits can man’s strength be safe;
Yet is infinity thy spirit’s goal;
Its bliss is there behind the world’s face of tears.

तेरे संकल्प के लिए तब यह दुःसाहस अति भारी पड़ जायेगा;
मानव की शक्ति अपनी सीमा में ही सुरक्षित रहती है;
फिर तेरी आत्मा का लक्ष्य तो अमरता है;
इस जगत् के अश्रु-सिंचित मुख के पीछे चिदानन्द छिपा है।

A power is in thee that thou knowest not;
Thou art a vessel of the imprisoned spark.

तेरे अन्तर में एक आत्म-शक्ति है जिसके प्रति तू अनजान है;
उस बंदिनी आत्म-स्फुलिंग की तू केवल एक पात्र है।

It seeks relief from Time’s envelopment,
And while thou shutst it in, the seal is pain:
Bliss is the Godhead’s crown, eternal, free,
Unburdened by life’s blind mystery of pain:
Pain is the signature of the Ignorance
Attesting the secret god denied by life:
Until life finds him pain can never end.

जो महाकाल के घेरे से छुटकारा खोजती है,
और जब तक तू इसे कैद रखेगी, इस पर पीड़ा की मुहर लगी रहेगीः
इस देवांश का शीर्ष मुकुट आनन्द-सुख, शाश्वत और मुक्त है,
जीवन की अन्धी पीड़ा के रहस्य से यह भारमुक्त है:
पीड़ा-व्यथा तो घोर अविद्या का हस्ताक्षर है
जीवन द्वारा नकारे गये उस दिव्य देवता का प्रमाणपत्र हैः
जब तक जीवन में हम उसे प्राप्त नहीं कर लेते पीड़ा का अन्त नहीं होगा।

Calm is self’s victory overcoming fate.

आत्मा की विजय शान्ति है जिससे भाग्य अधिकृत होगा।

Bear; thou shalt find at last thy road to bliss.[453]

सहन कर; अन्त में तू भी अपना आनन्द-मार्ग पा जायेगी।

Bliss is the secret stuff of all that lives,
Even pain and grief are garbs of world-delight,
It hides behind thy sorrow and thy cry.

आनन्द सकल प्राणियों का गुह्य सार-द्रव्य है,
यहां तक कि पीड़ाऔर व्यथा जगदानन्द के परिधान हैं,
यही तेरे दुःख और चीत्कार के पीछे छिपा है।

Because thy strength is a part and not God’s whole,
Because afflicted by the little self
Thy consciousness forgets to be divine
As it walks in the vague penumbra of the flesh
And cannot bear the world’s tremendous touch,
Thou criest out and sayst that there is pain.

क्योंकि तेरी शक्ति एक अंशमात्र है और प्रभु के समान परिपूर्ण नहीं है,
इस क्षुद्र व्यक्तित्व से ग्रसित
तेरी चेतना ने अपनी दिव्यता विस्मृत कर दी है।
जब इस हाड़मांस के पुतले की धुंधली छाया में तू विचरण करती है
और इस संसार के घोर स्पर्श का सह नहीं सकती,
तब तू चीत्कार कर उठती है और पीड़ा दु:ख की दुहाई देने लगती है।

Indifference, pain and joy, a triple disguise,
Attire of the rapturous Dancer in the ways,
Withhold from thee the body of God’s bliss.

उदासीनता, पीड़ा और हर्ष, ये तीनों त्रिरूपी मुखौटे हैं,
जीवन पथ पर आनन्दमग्न नटेश्वर के त्रिगुणीय वस्त्र हैं,
जो तुझसे आनन्दघन प्रभु की छाया छिपा देते हैं।

Thy spirit’s strength shall make thee one with God,
Thy agony shall change to ecstasy,
Indifference deepen into infinity’s calm
And joy laugh nude on the peaks of the Absolute.

जब तेरी आत्म-चित्शक्ति तुझे प्रभु से एकात्म कर देगी,
तेरी व्यथा तब भावसमाधि में रूपान्तरित हो जायेगी,
उदासीनता और गहन हो चिर-प्रशान्तिबन जायेगी,
और परमेश्वर के शिखरों पर नग्न हर्षोल्लास की हंसी बिखरेगी।

 

“O mortal who complainst of death and fate,
Accuse none of the harms thyself hast called;
This troubled world thou hast chosen for thy home,
Thou art thyself the author of thy pain.

‘‘हे मानवी तू जो मृत्यु और नियति की शिकायत करती है,
आत्म-निमन्त्रित क्षतियों के लिए किसी को दोष न दे;
इस दुःखमय संसार को तूने ही निज निवासस्थान चुना है,
तू स्वयं ही अपने दुःख-क्लेश की रचनाकार है।

Once in the immortal boundlessness of Self,
In a vast of Truth and Consciousness and Light
The soul looked out from its felicity.

एकदा परमात्मा की अमर अनन्तता में,
एक ऋत की विशालता और सत्यचेतना और सत्य प्रकाश में
स्थित जीवपुरुष ने अपने आनन्दधाम से बाहर देखा।

It felt the Spirit’s interminable bliss,
It knew itself deathless, timeless, spaceless, one,
It saw the Eternal, lived in the Infinite.

इसने परमात्मा के अविराम अनन्त ऐश्वर्य का अनुभव पाया,
इसने अपने अमर, कालातीत, दिशाहीन कैवल्य रूप को जाना,
इसने चिरन्तन प्रभु को नित्यता में बसते देखा।

Then, curious of a shadow thrown by Truth,
It strained towards some otherness of self,
It was drawn to an unknown Face peering through night.

फिर, यह परम-सत्य द्वारा क्षेपित एक परछाईं से जिज्ञासा-भरा,
यह आत्म-तत्त्व के किसी अन्य भाव कीओर मुड़ गया,
यह रात्रि में झांकते एक अनजान भीषण मुख की ओर खिंच गया।

It sensed a negative infinity,
A void supernal whose immense excess
Imitating God and everlasting Time
Offered a ground for Nature’s adverse birth
And Matter’s rigid hard unconsciousness[454]
Harbouring the brilliance of a transient soul
That lights up birth and death and ignorant life.

एक नकारात्मक अनन्तता की इसे अनुभूति मिली,
यह एक दिव्य-शून्यता जिसकी विशाल बहुलता प्रभु की अनुकृति जैसी थी
और जिसे चिर-त्रिकाल ने एक आधार भूमि प्रदान कर दी
विश्व-प्रकृति के विरोधी तत्त्वों को जन्म लेने हित
और जड़तत्त्व की कठोर अनम्य अचेतनता हित
और इसने एक क्षणिक जीव की द्युति को स्वयं में समा लिया
जिससे जन्म और मृत्यु और अज्ञ जीवन प्रकाश में आ गया।

A Mind arose that stared at Nothingness
Till figures formed of what could never be;
It housed the contrary of all that is.

एक मनःशक्ति उदित हो गयी जो अनन्त शून्यता में एकटक देखती रही
और तब उस निराकारी रिक्तता में से असम्भव आकृतियों का गठन संभव हो सका;
इस मनःशक्ति ने सम्पूर्ण अस्तित्व के द्वन्द्वों को आश्रय दिया।

A Nought appeared as Being’s huge sealed cause,
Its dumb support in a blank infinite,
In whose abysm spirit must disappear:
A darkened Nature lived and held the seed
Of Spirit hidden and feigning not to be.

एक चरम शून्यता जीव-सत्ता के विशाल गोपित कारण सम प्रकटी,
जिसका मूक मूलाधार एक रिक्त अनन्तता में है,
इसी के अगाध गर्त्त में जीवात्मा को लोप होना पड़ता है:
एक तमसिल प्रकृति जीवित रहती है और उस बीज को धारण करती है
जो गोपित जीवसत्ता का है पर उसके अस्तित्व का वह निषेध करती लगती है।

The eternal Consciousness became the home
Of some unsouled almighty Inconscient;
One breathed no more as spirit’s native air.

यह शाश्वत चित्शक्ति इस तरह एक सनक बन गयी
किसी आत्महीन सर्वशक्तिशाली जड़-अचित् की
और, अब यह आत्मा के स्वाभाविक वातावरण में श्वास नहीं लेती।

A stranger in the insentient universe,
Bliss was an incident of a mortal hour.

इस अर्ध-चेतन विश्व में एक अपरिचित सम भटकता,
आनन्द एक नश्वर घड़ी में घटित हुआ एक घटनामात्र रह गया।

As one drawn by the grandeur of the Void
The soul attracted leaned to the Abyss:
It longed for the adventure of Ignorance
And the marvel and surprise of the Unknown
And the endless possibility that lurked
In the womb of Chaos and in Nothing’s gulf
Or looked from the unfathomed eyes of Chance.

जैसे कोई घोर शून्यता की महिमा कीओर आकर्षित हो
यह जीव-सत्ता भी उस घोर गर्त की ओर झुक गयी:
घोर अविद्या के जग की साहसी यात्रा हित लालायित हो उठी
और परम-अज्ञेय की अद़्भुतता और वैचित्र्यसे ललचायी
यह इसमें छिपी असीम सम्भावनाओं से खिंच गयी,
जो अराजकता और जड़-महाशून्य के गर्त गर्भ में छिपी थीं
या जैसे कि उसने दैवयोग के अगाध नेत्रों से यह दृश्य देखा हो।

It tired of its unchanging happiness,
It turned away from immortality:
It was drawn to hazard’s call and danger’s charm,
It yearned to the pathos of grief, the drama of pain,
Perdition’s peril, the wounded bare escape,
The music of ruin and its glamour and crash,
The savour of pity and the gamble of love
And passion and the ambiguous face of Fate.

यह अपने अविकारी सुख से थक गयी थी,
अत: उसने अमरता से मुख मोड़ लिया:
यह विपत्ति के आवाहन और संकट की मोहिनी से आकर्षित थी,
यह दुःख की करुणकथा, पीड़ा के नाटक हित लालायित रहती,
विनाश की सम्भावना, आहत हो बाल बाल बच निकलना,
सर्वनाश का संगीत और टकराव की मोहकता,
दया कर उद्धार करना और प्रेम में गोटी फेंक जुआ खेलना
और महाभाग्य का धूमिल छिपा मुख और रागावेश उसे खींचता।

A world of hard endeavour and difficult toil
And battle on extinction’s perilous verge,
A clash of forces, a vast incertitude,
The joy of creation out of Nothingness,
Strange meetings on the roads of Ignorance
And the companionship of half-known souls[455]
Or the solitary greatness and lonely force
Of a separate being conquering its world,
Called it from its too safe eternity.

कठोर प्रयास और कठिन श्रम के एक संसार ने
सर्वनाश के संकटपूर्ण कगार पर होते संघर्ष ने,
शक्तियों के एक टकराव ने, एक विशाल व्यापक अनिश्चयता ने,
नगण्यता से बाहर निकली सृष्टि के आनन्द ने,
अविद्या के मार्गों पर होते मिलन के वैचित्र्य ने
और अर्ध-ज्ञात अन्तरात्माओं की सहयोगिता ने
या एक पृथक् एकाकी सत्ता की संसार-विजय
की अकेली शक्ति और एकाकी महानता ने,
इसे पुकारा अपनी अति सुरक्षित शाश्वतता से बाहर आने को।

A huge descent began, a giant fall:
For what the spirit sees, creates a truth
And what the soul imagines is made a world.

घोर पतन का एक विशाल अवतरणआरम्भ हो गया:
क्योंकि आत्म-चेतना जो देखती है, एक सत्य की सृष्टि कर देती है
और यह जीव सत्ता जो कल्पना करती है एक संसार रच लेती है।

A Thought that leaped from the Timeless can become,
Indicator of cosmic consequence
And the itinerary of the gods,
A cyclic movement in eternal Time.

अकाल से निकला एक संकल्प जो उछल बाहर आता है,
ब्रह्माण्डीय परिणाम का सूचक यन्त्र बन जाता है
और यह देवताओं की यात्रा का विवरण हो सकता है,
शाश्वत महाकाल में एक गतिचक्र का आवर्तन आरम्भ कर सकता है।

Thus came, born from a blind tremendous choice,
This great perplexed and discontented world,
This haunt of Ignorance, this home of Pain:
There are pitched desire’s tents, grief’s headquarters.

इस प्रकार एक अन्धे घोर विकल्प से उत्पन्न हो,
यह विशाल जटिल और असन्तुष्ट संसार अस्तित्व में आ गया,
अन्धी अविद्या का यह धाम, विश्व-वेदना का यह निवास स्थल:
यहीं पर कामनाओं के डेरे गड़े हैं, दु:ख-पीड़ा के मुख्य कार्यालय हैं।

A vast disguise conceals the Eternal’s bliss.”

एक विराट् माया ने चिरन्तन के आनन्द को छिपा लिया है।’’

 

Then Aswapathy answered to the seer:
“Is then the spirit ruled by an outward world?

तब राजा अश्वपति ने त्रिकालदर्शी ऋषि को उत्तर दिया:
‘‘क्या हमारी आत्मा एक बहिर्जगत् द्वारा शासित है?

O seer, is there no remedy within?

हे देवर्षि, क्या हमारे अन्तर में इसका कोई उपचार नहीं है?

But what is fate if not the spirit’s will
After long time fulfilled by cosmic Force?

किन्तु यह नियति है क्या, यदि हमारी जीवात्मा का कोई संकल्प नहीं है
जिसे वैश्विक महाशक्ति को युगान्तरों में पारित करना है?

I deemed a mighty Power had come with her;
Is not that Power the high compeer of Fate?”

मैं जानता हूं कि सावित्री एक सामर्थ्यशाली दिव्यशक्ति ले जन्मी है;
क्या यह महाशक्ति विधाता के विधान की ही उन्नत समकक्ष नहीं है?’’

But Narad answered covering truth with truth:
“O Aswapathy, random seem the ways
Along whose banks your footsteps stray or run
In casual hours and moments of the gods,
Yet your least stumblings are foreseen above.

किन्तु नारद उस सत्य को अन्य सत्य से आच्छादित कर बोले:
‘‘हे अश्वपति, ये संसार के रास्ते अति विचित्र दिखाई देते हैं
जिनके तटों पर तुम्हारे कदम भटक जाते हैं
देवताओं की घड़ियों में या असावधान क्षणों में दौड़ते हैं,
तथापि तुम्हारी तनिक-सी ठोकर भी ऊर्ध्व में पूर्वनिर्दिष्ट है।

Infallibly the curves of life are drawn
Following the stream of Time through the unknown;
They are led by a clue the calm immortals keep.

जीवन की ऊंची-नीची वक्ररेखाएं अचूकतासे अंकित हैं
जो युग की त्रिकालीय धारा के मध्य बहतीं अज्ञेय की ओर चलती हैं;
ये शान्त देवताओं द्वारा रचित एक सूत्र द्वारा परिचालित हैं।

This blazoned hieroglyph of prophet moons
A meaning more sublime in symbols writes
Than sealed Thought wakes to, but of this high script
How shall my voice convince the mind of earth?

भविष्य के प्रभातों की यह जगमगाती सुदर्शन गूढ़ लिपि है
प्रतीकों में लिखा इसका अर्थ अतिभौतिक दिव्य है
और अन्तर का गुह्य संकल्प भी इसके प्रति जाग्रत् नहीं है,
तब इस उदात्त लिपि को मेरी वाचा पार्थिव मानस को कैसे समझाये?

Heaven’s wiser love rejects the mortal’s prayer;[456]
Unblinded by the breath of his desire,
Unclouded by the mists of fear and hope,
It bends above the strife of love with death;
It keeps for her her privilege of pain.

देवलोक का यह दिव्य प्रेम मानव की याचना ठुकरा देता है;
क्योंकि यह मानवीय कामना के श्वास से अन्धा नहीं होता,
भय और आशा की धुंध उसे ढक नहीं सकती,
यह प्रेम और मृत्यु के संघर्ष के परे ऊर्ध्व के वशीभूत है;
इसी ने सावित्री को पीड़ित करने का विशेषाधिकार रखा है।

A greatness in thy daughter’s soul resides
That can transform herself and all around,
But must cross on stones of suffering to its goal.

तेरी पुत्री की अन्तरात्मा में एक दैवी महानता बसती है
जो उसका और उसके चहुं ओर का परिवर्तन कर सकती है
किन्तु अपने लक्ष्य तक पहुंचने को उसे दुःखों का पाषाणी मार्ग पार करना है।

Although designed like a nectar cup of heaven,
Of heavenly ether made she sought this air,
She too must share the human need of grief
And all her cause of joy transmute to pain.

यद्यपि अलौकिक अमृतकलश सम उसकी देह गठित है,
स्वर्गिक आकाशीय द्रव्य से रचित होकर भी उसने भौतिक परिवेश को चुना है,
अत: उसे इस मानवीय दुःख की अनिवार्यता में भाग लेना होगा
और अपने हर्ष-सुख के समस्त कारण को पीड़ा में परिवर्तित करना होगा।

The mind of mortal man is led by words,
His sight retires behind the walls of Thought
And looks out only through half-opened doors.

इस मर्त्य मानव का मानस शब्दों द्वारा संचालित है,
पर उसका दृष्टिकोण परा विचार के पर्दे के पीछे छिपा सोया है
और यह मन केवल अपने द्वारों से बाहर देखता है।

He cuts the boundless Truth into sky-strips
And every strip he takes for all the heavens.

यह अन्तहीन परम सत्य को आकाशीय धज्जियों में काट देता है
और प्रत्येक धज्जी को वह सम्पूर्ण स्वर्ग सम लेता है।

He stares at infinite Possibility
And gives to the plastic Vast the name of Chance.
He sees the long results of an all-wise Force
Planning a sequence of steps in endless Time,
But in its links imagines a senseless chain
Or the dead hand of cold Necessity;
He answers not to the mystic Mother’s heart,
Misses the ardent heavings of her breast
And feels cold rigid limbs of lifeless Law.

यह अनन्त सम्भावना को उसमें देखता है
और इस नमनीय विराटाकाश को दैवयोग कह पुकारता है;
वह एक सर्व-प्रज्ञावती विश्व शक्ति के दीर्घ परिणामों को देखता है
जो अन्तहीन युगकालीन पगों की एक श्रृंखलाबद्ध योजना है,
किन्तु इसकी कड़ियों में वह एक बोधहीन श्रृंखला की कल्पना करता है
या निर्दयविश्व-अनिवार्यता का मृत जड़ हस्तक्षेप समझता है;
वह गुह्य भगवती माता के हृदय को प्रत्युत्तर नहीं देता,
उसके वक्ष के गहन उच्छ्वासों को नहीं समझता
और केवल निष्प्राण दैवी-विधान के उदासीन कठोर अंगों का अनुभव पाता है।

The will of the Timeless working out in Time
In the free absolute steps of cosmic Truth
Appears a hard machine or unconscious Fate.

अकाल-तत्त्व का जो संकल्प यहां त्रिकाल में कार्यान्वित हो रहा है
जो वैश्विक परम-सत्य के परिपूर्ण मुक्त पगों में सिद्ध हो रहा है
उसे यह एक निर्दय मशीन या निरर्थक दैवी-विधान जैसा लगता है।

A Magician’s formulas have made Matter’s laws
And while they last, all things by them are bound:
But the Spirit’s consent is needed for each act
And freedom walks in the same pace with Law.

एक मायापति के सूत्रों ने जड़तत्त्व के नियमों को बनाया है
और जब तक वे अस्तित्व में हैं, समस्त पदार्थ उनसे बंधे हैं;
किन्तु प्रत्येक कार्य के लिए आत्मपुरुष की स्वीकृति आवश्यक है
और आत्म स्वतन्त्रता इसी दैवी-विधान के अनुसार उससे बाधित यहां अस्तित्व में है।

All here can change if the Magician choose.

यदि मायापति चाहे तो यहां सब रूपान्तरित हो सकता है।

If human will could be made one with God’s,
If human thought could echo the thoughts of God,
Man might be all-knowing and omnipotent;[457]
But now he walks in Nature’s doubtful ray.

यदि मानव-संकल्प प्रभु के साथ एकात्म हो सकता,
यदि मानवीय विचार भागवत संकल्प से गुंजित होता,
तो मानव सर्वज्ञाता और सर्वशक्तिशाली हो जाता;
किन्तु अभी तो वह अपरा-प्रकृति की शंकालु किरण में विचरण करता है।

Yet can the mind of man receive God’s light,
The force of man can be driven by God’s force,
Then is he a miracle doing miracles.

तथापि यह मानव मन दिव्य प्रकाश की प्राप्ति कर सकता है,
मानव का बल भागवत ऊर्जासे संचारित हो सकता है,
तब वह चमत्कारों का कर्ता स्वयं एक चमत्कार हो जाता है।

For only so can he be Nature’s King.

क्योंकि केवल वही सम्पूर्ण प्रकृति का अधीश्वर हो सकता है।

It is decreed and Satyavan must die;
The hour is fixed, chosen the fatal stroke.

आज्ञप्ति यही है और सत्यवान् की मृत्यु निश्चित है;
यह घड़ी अटल है, घातक प्रहार का चुनाव हो चुका है।

What else shall be is written in her soul,
But till the hour reveals the fateful script
The writing waits illegible and mute.

इसके अतिरिक्त जो भावी है वह सावित्री की आत्मा पर अंकित है,
किन्तु जब तक वह घड़ी आकर उस भाग्य रेखा को प्रकटा नहीं देती
तब तक वह लिखावट अस्पष्ट औ’ मूक बनी प्रतीक्षा करेगी।

Fate is Truth working out in Ignorance.

विधि का विधान परम सत्य है जो अज्ञ जग में कार्य सम्भव करता है।

O King, thy fate is a transaction done
At every hour between Nature and thy soul
With God for its foreseeing arbiter.

हे राजन्, तेरी नियति तो एक सम्पादित व्यापार है
जो विश्व-प्रकृति और तेरी आत्मा के मध्य प्रत्येक घण्टे घटित होता है
इसका निर्णायक भविष्य द्रष्टा प्रभु स्वयं होता है।

Fate is a balance drawn in Destiny’s book.

विधाता के बही-खाते में बकाया जमा खर्च को भाग्य का नाम दिया गया है।

Man can accept his fate, he can refuse.

मानव निज भाग्य को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।

Even if the One maintains the unseen decree
He writes thy refusal in thy credit page:
For doom is not a close, a mystic seal.

यद्यपि परमैकम् प्रभु उस अदृश्य आज्ञप्ति को सुरक्षित रखता है
तथापि वह तेरी अस्वीकृति को ऋण के पृष्ठ पर लिख लेता है:
क्योंकि सर्वनाश एक अन्त नहीं है, एक गुह्य मुहर नहीं है।

Arisen from the tragic crash of life,
Arisen from the body’s torture and death,
The spirit rises mightier by defeat;
Its godlike wings grow wider with each fall.

जीवन के दुःखदायी पतन से उठकर,
दैहिक यन्त्रणा और मृत्यु से आगे बढ़कर,
यह जीवात्मा पराजय द्वारा अधिक शक्ति पा उन्नत होती है:
प्रत्येक पतन के साथ इसके पंखों की देवतुल्य उड़ान विस्तृत होती जाती है।

Its splendid failures sum to victory.

इस प्रकार इसकी भव्य असफलताएं विजय का जोड़ बन जाती हैं।

O man, the events that meet thee on thy road,
Though they smite thy body and soul with joy and grief,
Are not thy fate; they touch thee awhile and pass;
Even death can cut not short thy spirit’s walk:
Thy goal, the road thou choosest are thy fate.

हे मानव, इस जीवन-यात्रा पर तुझे जो घटनाएं भेंटती हैं
यद्यपि तेरी देह और अन्तरात्मा को सुख-दुःख से कचोटती हैं,
पर यह तेरी नियति नहीं हैं, वे तो तुझे केवल स्पर्श कर निकल जाती हैं;
मृत्यु तक तेरी जीवात्मा के विचरण को काटकर छोटा नहीं कर सकती है:
तेरा लक्ष्य, तेरा चुना हुआ पथ ही तेरी नियति है।

On the altar throwing thy thoughts, thy heart, thy works,
Thy fate is a long sacrifice to the gods
Till they have opened to thee thy secret self
And made thee one with the indwelling God.

इसी की वेदी पर तू निज विचारो, भावनाओं औ’ कर्मों की बलि देता है,
तेरी नियति तो देवताओं को समर्पित एक दीर्घ यज्ञ है
यह तब तक होता रहेगा जब तक वे तेरा गुह्य अन्तर खोल नहीं देते
और तुझे तेरे अन्तर्यामी प्रभु के साथ तदात्म नहीं कर देते हैं।

O soul, intruder in Nature’s ignorance,
Armed traveller to the unseen supernal heights,
Thy spirit’s fate is a battle and ceaseless march[458]
Against invisible opponent Powers,
A passage from Matter into timeless Self.

विश्व प्रकृति की अज्ञता में कूदकर प्रवेश करने वाली, ओ आत्मा,
तू अगोचर दिव्य शिखरों कीओर जाते पथ की सुसज्जित यात्री है,
तेरी अन्तरात्मा के भाग्य में एक संग्राम एवं अविराम प्रयाण है
जो तुझे इन अदृश्य विरोधी घोर बलों के विरुद्ध करना है,
इस घोर जड़तत्त्व से अकाल आत्मतत्त्व तक एक पथ बनाना है।

Adventurer through blind unforeseeing Time,
A forced advance through a long line of lives,
It pushes its spearhead through the centuries.

अन्धे अप्रत्याशित दिक्काल के मध्य गतिशील तू साहसी यात्री है,
जन्मों की एक दीर्घ-पंक्ति के मध्य प्रगति हित बाध्य है,
यह जीव शताब्दियों को भाले की नोक सम छेदता चलता रहता है।

Across the dust and mire of the earthly plain,
On many-guarded lines and dangerous fronts,
In dire assaults, in wounded slow retreats,
Or holding the ideal’s battered fort
Or fighting against odds in lonely posts,
Or camped in night around the bivouac’s fires
Awaiting the tardy trumpets of the dawn,
In hunger and in plenty and in pain,
Through peril and through triumph and through fall,
Through life’s green lanes and over her desert sands,
Up the bald moor, along the sunlit ridge
In serried columns with a straggling rear
Led by its nomad vanguard’s signal fires,
Marches the army of the waylost god.

इस धरातल की धूलि और कीचड़ को पार करता है,
अनेक सुरक्षित सीमाओं और खतरनाक मोर्चों से गुजरता है,
भीषण आक्रमणों में, आहत पराजयों की वापसी में,
आदर्श के जर्जर चहुं ओर से घिरे दुर्ग की पकड़ में
या एकाकी चौकी पर विरोधी विषमताओं से होते संघर्ष में,
या रात्रि-शिविर के अलाव के चहुं ओर डेरा डाले
यह प्रतीक्षारत है उषा-आगमन के मन्द भेरी-निनाद के लिए,
भूख-प्यास में या बहुतायत में तथा पीड़ा में,
विपत्ति अथवा विजय में या पराजय के पतन के मध्य भी,
जीवन की हरी-भरी वीथिकाओं में और मरुभूमि की रेत पर,
शुष्क बंजर घाट के, या सूर्य ज्योतित कगारों के ऊपर,
पंक्तिबद्ध कर्मचारियों की एक पथभ्रष्ट टुकड़ी के पिछाड़ी भाग में
जो अपने यायावर नेता की सांकेतिक मशाल से संचालित होती है:
इन पथभूले देवताओं की सेना सतत प्रयाण करती रहती है।

Then late the joy ineffable is felt,
Then he remembers his forgotten self;
He has refound the skies from which he fell.

तब बहुत समय के पश्चात् अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति होती है,
औ’ उसे अपने विस्मृत आत्मतत्त्व की याद आती है;
जिन स्वर्गों से वह पतित हुआ था वह उन्हें पुन: प्राप्त कर लेता है।

At length his front’s indomitable line
Forces the last passes of the Ignorance:
Advancing beyond Nature’s last known bounds,
Reconnoitring the formidable unknown,
Beyond the landmarks of things visible,
It mounts through a miraculous upper air
Till climbing the mute summit of the world
He stands upon the splendour-peaks of God.

अन्त में आत्मपुरुष के मोर्चे की दुर्दमनीय अगाड़ी पंक्ति
घोर अविद्या के अन्तिम पड़ावों, मार्गों को विवश कर देती है:
विश्व-प्रकृति की अन्तिम ज्ञात सीमाओं को पार कर आगे बढ़ने को,
इस अज्ञात कठिन दुर्जेय का पुनः संधान करने को,
दृश्य-जगत् के इन परिचित संकेतों से परे जाने को,
वह एक अद्भुत स्वर्गिक वातावरण के मध्य आरोहण करता है
जब तक यह इस संसार के मूक शिखर को पार नहीं कर जाता
और तब वह प्रभु के भव्य श्री शिखरों पर जा खड़ा होता है।

In vain thou mournst that Satyavan must die;
His death is a beginning of greater life,
Death is the spirit’s opportunity.

हे राजन्, तू सत्यवान् की मृत्यु से व्यर्थ ही दुःखी है;
उसकी मृत्यु महत्तर जीवन का एक आरम्भ है,
मृत्यु तो जीवात्मा की प्रगति का अवसर है।

A vast intention has brought two souls close
And love and death conspire towards one great end.

ये दो आत्माएं एक विशाल अभिप्राय हित समीप आयी हैं
और प्रेम और मृत्यु दोनों मिलकर एक महान् अन्त के लिए कार्यरत हैं।

For out of danger and pain heaven-bliss shall come,[459]
Time’s unforeseen event, God’s secret plan.

क्योंकि विपत्ति और पीड़ा से तपकर ही दिव्यानन्द की प्राप्ति होती है,
महाकाल की अदृश्य घटना, प्रभु की रहस्यमयी योजना है।

This world was not built with random bricks of chance,
A blind god is not destiny’s architect;
A conscious power has drawn the plan of life,
There is a meaning in each curve and line.

दैवयोग की निरुद्देश्य ईंटों से इस जगत् की रचना नहीं हुई है,
एक अन्धा देवता भाग्य का सर्जनहार नहीं है;
एक चित्शक्ति ने जीवन-योजना का चित्र आंका है,
जिसकी प्रत्येक रेखा और घुमाव में एक अर्थ छिपा है।

It is an architecture high and grand
By many named and nameless masons built
In which unseeing hands obey the Unseen,
And of its master-builders she is one.

यह एक अति भव्य एवं उदात्त वास्तुकला है
जिसे अनेक नामी और बेनामी वास्तुकारों ने निर्माया है
जिनके अन्तर में परम अगोचर के अदृश्य करों की आज्ञा का पालन होता है
और इसके मुख्य निर्माताओं में सावित्री भी एक है।

Queen, strive no more to change the secret will;
Time’s accidents are steps in its vast scheme.

‘‘रानी, इस गुह्य संकल्प को बदलने का प्रयत्न न कर;
युग-काल में घटित घटनाएं सब इसकी विशाल योजना के अंश हैं।

Bring not thy brief and helpless human tears
Across the fathomless moments of a heart
That knows its single will and God’s as one:
It can embrace its hostile destiny;
It sits apart with grief and facing death,
Affronting adverse fate armed and alone.

अपने इन क्षणिक असहाय मानवीय अणुओं को बाधा बना
एक हृदय के गहनतम क्षणों के सामने लाकर इसका मार्ग न रोक,
यह जानती है कि इसका एकनिष्ठ संकल्प और प्रभु-संकल्प एक हैं:
यह अपनी विद्वेषी नियति का आलिंगन कर सकती है;
अपने दुःख को साथ ले मृत्यु के सामने यह सबसे पृथक् खड़ी है,
विरोधी वैरी भाग्य का सामना करने यह सुसज्जित और अकेली है।

In this enormous world standing apart
In the mightiness of her silent spirit’s will,
In the passion of her soul of sacrifice
Her lonely strength facing the universe,
Affronting fate, asks not man’s help nor god’s:
Sometimes one life is charged with earth’s destiny,
It cries not for succour from the time-bound powers.

इस भीषण संसार में सबसे पृथक् एकाकी सावित्री
अपनी मूक आत्मा के संकल्प के सामर्थ्य में आज खड़ी है,
निज आत्म-बलिदान के भावावेश में भरी
उसकी एकाकी चित्शक्ति इस ब्रह्माण्ड के सामने अड़ी है,
भाग्य को चुनौती देती, यह मानव या देवता की सहायता नहीं मांगती:
कभी-कदाच जब किसी का जीवन धरा-भाग्य से जुड़ जाता है,
तब वह काल में बंधी शक्तियों को सहायता हेतु नहीं पुकारता।

Alone she is equal to her mighty task.

अपने महान् कार्य-पूर्ति हेतु उसकी अकेली सामर्थ्य ही पर्याप्त है।

Intervene not in a strife too great for thee,
A struggle too deep for mortal thought to sound,
Its question to this Nature’s rigid bounds
When the soul fronts nude of garbs the infinite,
Its too vast theme of a lonely mortal will
Pacing the silence of eternity.

हे रानी, यह संघर्ष तेरे लिए अति महान् है इसमें हस्तक्षेप नहीं करना,
यह युद्ध इतना गहन है कि नश्वर विचार इसकी भनक भी नहीं पायेगा,
इस जड़-प्रकृति के कठोर अनम्य बंधनों पर यह प्रश्न उठायेगी
जब इसकी आत्मा आवरणहीन नग्न अनन्तता के सामने खड़ी होगी,
एक अकेले मानवीय संकल्प व्रत हित यह अति विशाल अनुष्ठान हैं
जो चिरन्तनता की मूक नीरवता में तीव्रता से प्रगति कर रहा है।

As a star, uncompanioned, moves in heaven
Unastonished by the immensities of space,
Travelling infinity by its own light,
The great are strongest when they stand alone.

एक तारे समान, साथीहीन, स्वर्ग में यह विचरण करता
दिशा के विस्तारों से जो चकित नहीं होता,
अपने आत्मप्रकाश द्वारा ज्योतित अनन्तता की यात्रा करता है,
महात्मा तभी सर्वशक्तिवान् होते हैं जब वे संघर्ष में एकाकी खड़े होते हैं।

A God-given might of being is their force,[460]
A ray from self’s solitude of light the guide;
The soul that can live alone with itself meets God;
Its lonely universe is their rendezvous.

एक प्रभु-प्रदत्त आत्म-बल ही उनकीशक्ति है,
चैत्य व्यक्तित्व के एकान्त से प्रकटी ज्योति एक मार्गदर्शक किरण है;
वह आत्मसत्ता जो एकाकी रह सकती है वह निज आत्म-भाव में प्रभु कोभेंटती है;
इसका एकाकी विश्व उनकी मिलन-स्थली होती है।

A day may come when she must stand unhelped
On a dangerous brink of the world’s doom and hers,
Carrying the world’s future on her lonely breast,
Carrying the human hope in a heart left sole
To conquer or fail on a last desperate verge.
Alone with death and close to extinction’s edge.
Her single greatness in that last dire scene,
She must cross alone a perilous bridge in Time
And reach an apex of world-destiny
Where all is won or all is lost for man.

एक दिन आ सकता है जब सावित्री असहाय अकेली खड़ी हो,
इस संसार के प्रलय तट पर और अपने विनाश के घोर कगार पर,
अपने अकेले हृदय में इस संसार के भविष्य को वहन कर
एक अन्तिम दुःसाहसी घोर सीमा पर विजय या पराजय हेतु अड़ जाये,
मानव-आशा को एक एकाकी हृदय में संजोये
वह मृत्यु के साथ प्रलय के किनारे पर खड़ी हो जाये।
उस अन्तिम भीषम दृश्य में उसकी अद्वितीय महत्ता को
त्रिकाल के भयानक सेतु को अकेले ही पार करना होगा
और जगत्-नियति के अन्तिम शिखर पर पहुंचना होगा
जहां पर मानव हित या तो पूर्ण विजय होगी या सर्वस्व लुट जायेगा।

In that tremendous silence lone and lost
Of a deciding hour in the world’s fate,
In her soul’s climbing beyond mortal time
When she stands sole with Death or sole with God
Apart upon a silent desperate brink,
Alone with her self and death and destiny
As on some verge between Time and Timelessness
When being must end or life rebuild its base,
Alone she must conquer or alone must fall.

उस घोर निस्तब्धता में अकेली एकाकी
और इस संसार-नियति की एक निर्णायक घड़ी में खोयी-सी,
जब इस मर्त्य-काल की सीमा को उलांघकर निज आत्मा में आरोहण करेगी
वह एकाकी मृत्युदेव के साथ या परमेश के साथ खड़ी होगी
एक नीरव नैराश्य के तट पर सबसे पृथक् दूर हटी,
वह निज चैत्य सत्ता और मृत्यु और नियति के साथ अकेली होगी
मानों महाकाल और अकाल विराट् के मध्य किसी सीमा पर पहुंच जाये
जहां जीव के अस्तित्व का अन्त हो जाता या जीवन का आधार पुनः रचा जाता है,
वह अकेले ही या तो विजय पायेगी या फिर सर्वस्व गंवा आयेगी।

No human aid can reach her in that hour,
No armoured God stand shining at her side.

उस घड़ी उसके पास कोई मानवीय सहायता नहीं पहुंच पायेगी,
कोई संरक्षक देवता उसके पार्श्व में खड़ा नहीं हो पायेगा।

Cry not to heaven, for she alone can save.

तू किस दिविलोक की दुहाई देती है, क्योंकि स्वयं सावित्री ही तो जगत्राता है।

For this the silent Force came missioned down;
In her the conscious Will took human shape:
She only can save herself and save the world.

केवल इस उद्देश्य पूर्ति हेतु यह मूक महाशक्ति नीचे उतरी है;
उसी के अन्तर चित्संकल्प ने मानवीय रूप धर जन्म लिया है:
वही कैवल्या है जो स्वयं और इस संसार को सुरक्षा दे सकती है।

O queen, stand back from that stupendous scene,
Come not between her and her hour of Fate.

हे रानी, इस भीषण अलौकिक दृश्य से तू पीछे हट जा,
तू उसके और विधाता द्वारा नियत घड़ी के बीच में न आ।

Her hour must come and none can intervene:
Think not to turn her from her heaven-sent task,
Strive not to save her from her own high will.

उसकी घड़ी अनिवार्य है और इसमें कोई हस्तक्षेप कर नहीं पायेगा:
देवता द्वारा प्रेषित उसके कर्म से उसे लौटा लाने को नहीं सोचना,
उसे अपने महान् व्रत से बचाने का प्रयास नहीं करना।

Thou hast no place in that tremendous strife;
Thy love and longing are not arbiters there,
Leave the world’s fate and her to God’s sole guard.[461]

उस घोर भयानक संघर्ष में तेरी कोई भूमिका नहीं है;
तेरी ममता और लालसा वहां मध्यस्थ नहीं हैं।
तू उसको और इस संसार-भाग्य को एकमात्र प्रभु-सुरक्षा में सौंप दे।

Even if he seems to leave her to her lone strength,
Even though all falters and falls and sees an end
And the heart fails and only are death and night,
God-given her strength can battle against doom
Even on a brink where Death alone seems close
And no human strength can hinder or can help.

यदि देवता भी तुझे सावित्री को उसकी अकेली शक्ति के भरोसे छोड़ता लगे,
और यह सब डगमगाता, ध्वंस होता और समाप्त होता दीखे
और यह हृदय डूब जाये, केवल मृत्यु और अन्धकार दिखायी दे,
तब भी ऐसे सर्वनाश के विरुद्ध भी उसकी प्रभु-प्रदत्त शक्ति लड़ सकती है,
अस्तित्व के परे उस घोर तट पर जहां केवल असत् मृत्यु का सान्निध्य है
और जहां कोई मानवीय शक्ति हस्तक्षेप या सहायता नहीं कर सकती।

Think not to intercede with the hidden Will,
Intrude not twixt her spirit and its force
But leave her to her mighty self and Fate.”

इस गुप्त दिव्य-संकल्प के मध्य तू बाधा डालने का विचार त्याग दे,
उसकी आत्मा और इसकी चित्शक्ति के मध्य बलात् प्रवेश का विचार छोड़ दे,
बल्कि उसे उसके सामर्थ्यशाली आत्मतत्त्व और विधाता को सौंप दे।’’

 

He spoke and ceased and left the earthly scene.

इतना कह उनकी वाणी थम गयी और इस धरा परिवेश को छोड़ वे चले गये।

Away from the strife and suffering on our globe,
He turned towards his far-off blissful home.

इस गोलार्ध पर होते संघर्ष और भोग से दूर हट गये,
सुदूर स्थित निज आनन्द-धाम कीओर मुड़ गये।

A brilliant arrow pointing straight to heaven,
The luminous body of the etereal seer
Assailed the purple glory of the noon
And disappeared like a receding star
Vanishing into the light of the Unseen.
But still a cry was heard in the infinite,
And still to the listening soul on mortal earth
A high and far imperishable voice
Chanted the anthem of eternal love.[462]

इस अलौकिक द्रष्टा कीतेजोमयी काया
एक द्युतिमान तीर सम सीधी सुरलोक की ओर इंगित करती,
उस दोपहरी की नीलाभ लालवर्णी शोभा को चीरती
एक डूबते तारे सम लोप हो गयी
अगोचर प्रभु के प्रकाश में विलीन हो गयी।
किन्तु चिरन्तनतासे अभी भी एक गूंज आ रही थी,
और इस नाशवान् धरती पर श्रोता आत्मा के अन्तर में भी
शाश्वत प्रेम की वन्दना और संकीर्तन की
दूर से आती एक महती अमर वाणी गुंजित थी।

END OF CANTO TWO
END OF BOOK SIX

  1. ( Alternative to the passage starting with “Awhile”:
    Awhile she lost her spirit’s tranquil poise,
    Awhile she shared the lot of common souls
    And bore the heavy hand of Death and Time
    And felt the anguish in life’s stricken deeps. []