BOOK FOUR. THE BOOK OF BIRTH AND QUEST
Canto Four. The Quest
The world-ways opened before Savitri.
आज सावित्री के सम्मुख इस संसार के मार्ग खुल गये।
At first a strangeness of new brilliant scenes
Peopled her mind and kept her body’s gaze.
आरम्भ में नवीन-उज्ज्वल दृश्यों के वैचित्र्य ने
उसके मन और उसकी दैहिक दृष्टि को उलझाये रखा।
But as she moved across the changing earth
A deeper consciousness welled up in her:
A citizen of many scenes and climes,
Each soil and country it has made its home;
It took all clans and peoples for her own,
Till the whole destiny of mankind was hers.
किन्तु ज्यों-ज्योंवह इस बदलती धरती पर आगे बढ़ती गयी
एक गहनतर चित्शक्ति उसमें उमड़ने लगी:
अनेक दृश्यों और परिवेश की वह एक नागरिक थी,
प्रत्येक धरा और देश अब उसके अपने घर बन गये
उसने सकल जातियों और जनता को अपनत्व से अपना लिया,
जब तक सम्पूर्ण मानवजाति का भाग्य उसका अपना न बन गया।
These unfamiliar spaces on her way
Were known and neighbours to a sense within;
Landscapes recurred like lost forgotten fields,
Cities and rivers and plains her vision claimed
Like slow-recurring memories in front,
The stars at night were her past’s brilliant friends,
The winds murmured to her of ancient things
And she met nameless comrades loved by her once.
उसके मार्ग की अपरिचित लगती अनजान दिशाएं
उसके अन्तर्बोध को जाने-पहचाने पड़ोसी जैसे लगते,
प्रकृति-दृश्य सब भूले बिसरे प्रदेशों सम दिखते,
नगर और नदियां और पठार सब उसकी दृष्टि को ऐसे खींचते
जैसे कि धीमी गति से स्मृतियों के चलचित्र का पुनरावर्तन हो,
रात्रि में आकाशीय तारे उसके विगतकाल के चमकते बन्धु थे,
पवन उससे पुरातन पदार्थों केविषय में फुसफुसाते
और वह अनेक अनामी साथियों से मिली जो कभी उसके प्रिय रहे थे।
All was a part of old forgotten selves.
Vaguely or with a flash of sudden hints
Her acts recalled a line of bygone power,
Even her motion’s purpose was not new:
Traveller to a prefigured high event,
She seemed to her remembering witness soul
To trace again a journey often made.
यह सब उसके विस्मृत विगत व्यक्तित्वों के अंश थे:
कभी अस्पष्टता से या हठात् संकेतों की एक चमक से
उसके कार्य किसी विगत शक्ति की एक रेखा की याद दिला देते,
यहां तक कि उसकी इस यात्रा का उद्देश्य भी नया नहीं था:
एक पहले से संयोजित अति महत्त्वपूर्ण घटना की पथिक थी
वह निज स्मरणशील साक्षी पुरुष को ऐसे दिखती
जैसे कि अनेक बार की हुई उस यात्रा को पुन: दोहराती हो।
A guidance turned the dumb revolving wheels
And in the eager body of their speed
The dim-masked hooded godheads rode who move
Assigned to man immutably from his birth,
Receivers of the inner and outer law,
At once the agents of his spirit’s will
And witnesses and executors of his fate.[377]
एक पथप्रदर्शक इन मूक घूमते रथचक्रों को घुमा रहा था
और उन द्रुतगति से दौड़ते आतुर अश्वों पर
अंधेरे-मुखौटों में बन्द देवगण सवार चल रहे थे
जो मानव का उसके जन्म से ही निर्विकारी भाव से संचालन करते हैं,
वे ही उसके आन्तरिक और बहिर्विधान के अधिकारी हैं,
साथ ही उसके आत्म-संकल्प के प्रतिनिधि हैं
और उसके भाग्य के साक्षी और प्रतिपादक हैं।
Inexorably faithful to their task,
They hold his nature’s sequence in their guard
Carrying the unbroken thread old lives have spun.
अपने निर्धारित कर्तव्य के प्रति दृढ़ता से निष्ठावान्,
वे मानव स्वभाव के विधान को निज सुरक्षा में रखते हैं
और विगत जीवनों में काता उसका अखण्ड सूत हाथों में साधे रखते हैं।
Attendants on his destiny’s measured walk
Leading to joys he has won and pains he has called,
Even in his casual steps they intervene.
उसके भाग्य के नपे-तुले विचरण के वे परिचारक हैं
उसे विजित सुखों और स्वयं निमन्त्रित पीड़ाओं की ओर संचालित करते हैं,
यहां तक कि उसके सामान्य कदमों पर भी वे हस्तक्षेप करते हैं।
Nothing we think or do is void or vain;
Each is an energy loosed and holds its course.
हम जो सोचते या करते हैं वह कुछ भी शून्य या अर्थहीन नहीं है;
प्रत्येक एक मुक्त ऊर्जा है जो हमसे निकल अपने मार्ग पर चलती है।
The shadowy keepers of our deathless past
Have made our fate the child of our own acts,
And from the furrows laboured by our will
We reap the fruit of our forgotten deeds.
हमारे अमर भूतकाल के ये छायारूपी सूक्ष्म देहधारी संरक्षक हैं
जिन्होंने हमारे भाग्य को हमारी अपनी ही करनी का शिशु बना दिया है,
और अपने संकल्प के परिश्रम से जोती-खोदी क्यारियों से
हम अपने विस्मृत विगत कर्मों के फल काटते हैं।
But since unseen the tree that bore this fruit
And we live in a present born from an unknown past,
They seem but parts of a mechanic Force,
To a mechanic mind tied by earth’s laws;
Yet are they instruments of a Will supreme,
Watched by a still all-seeing Eye above.
किन्तु क्योंकि यह फल का वृक्ष हमें दिखायी नहीं देता
अत: एक अज्ञात अतीत से जन्में हम वर्तमान में रहते हैं,
इस प्रकार पार्थिव नियमों से बंधे इस यान्त्रिक मन को
सकल गतिविधान एक यान्त्रिक महाशक्ति का ही अंश दिखता है;
तथापि ये सब एक परम दिव्य संकल्प के उपकरण हैं,
ऊर्ध्व में एक नीरव स्थित सर्वद्रष्टा परम-दृष्टि उसे अपने निरीक्षण में रखती है।
A prescient architect of Fate and Chance
Who builds our lives on a foreseen design
The meaning knows and consequence of each step
And watches the inferior stumbling powers.
विश्व-नियति और दैवयोग का एक भविष्यज्ञानी विश्वकर्मा
हमारे जीवनों को एक भावी योजना के अनुरूप रचता है
वह प्रत्येक चरण का अर्थ और परिणाम जानता है
और निम्नतर लड़खड़ाते बलों पर दृष्टि रखता है।
Upon her silent heights she was aware
Of a calm Presence throned above her brows
Who saw the goal and chose each fateful curve;
It used the body for its pedestal,
The eyes that wandered were its searchlight fires,
The hands that held the reins its living tools;
All was the working of an ancient plan,
A way prepared by an unerring Guide.
अपने मौन शिखरों पर सावित्री सचेत थी
एक शान्त परम-सान्निध्य की जो उसके भ्रूमध्य ललाट पर आसीन थी
वही लक्ष्य देखती और प्रत्येक भाग्याधीन मोड़ का चुनाव करती;
यह उसके शरीर को निज पीठिका सम उपयोग करती;
चहुं ओर खोजती सावित्री के नेत्र इसी की खोजी-मशाल-ज्वालाएं थीं,
रथ की बागडोर सम्भालते हाथ उसी के जीवन्त यन्त्र थे;
यह सकल दृश्य एक सनातन योजना का कार्यक्रम था,
निर्मल निर्दोष परम पथदर्शी द्वारा सुझाया एक मार्ग था।
Across wide noons and glowing afternoons,
She met with Nature and with human forms
And listened to the voices of the world;
Driven from within she followed her long road,
Mute in the luminous cavern of her heart,
Like a bright cloud through the resplendent day.[378]
विस्तृत दोपहरों और जगमगाती संध्याओं को पार करती
वह विशाल प्रकृति और मानव-समुदायों को मिलती
और संसार कीविविध वाणियों को सुनती;
निज अन्तर से संचालित वह अपना दीर्घ पथ अनुसरती,
अपने हृदय के दीप्तिमय कंदराकक्ष में मौन बनी बढ़ रही थी,
एक उज्जवल सुनहरे दिवस के मध्य वह एक चमकते बादल सम थी।
At first her path ran far through peopled tracts:
Admitted to the lion eye of States
And theatres of the loud act of man,
Her carven chariot with its fretted wheels
Threaded through clamorous marts and sentinel towers
Past figured gates and high dream-sculptured fronts
And gardens hung in the sapphire of the skies,
Pillared assembly halls with armoured guards,
Small fanes where one calm Image watched man’s life
And temples hewn as if by exiled gods
To imitate their lost eternity.
पहले पहल उसका मार्ग जनपथों से होकर गुजरा:
राज्यों के सिंहद्वारों से वह प्रवेश कर जाती-
और मानवीय रंगभूमि के कोलाहलपूर्ण नाटकों को देखती,
उसका दर्शनीय रथ जिसके पहियों पर नक्काशी थी
मन्दगतिसे हो-हल्ले के बाजारों और प्रहरी मीनारों के मध्य हो
उच्च स्वप्न सम शिल्पित चित्रित द्वारों एवंड्योढ़ियों को छोड़ बढ़ जाता
और नीलमणि सम आकाश में लटके उपवनों से यह निकल जाता,
अनेक स्तम्भों के सभागृह के विशाल कक्षों में जहां सशस्त्र प्रहरी थे,
नन्हें पूजास्थलों में जहां एक शान्त दिव्य प्रतिमा मानव-जीवनों को अवलोकती,
वह मन्दिरों के खण्डहरों को देखती मानों बहिष्कृत देवताओं ने
अपनी खो गयी शाश्वततासम उन्हें भी विस्मृत कर दिया हो।
Often from gilded dusk to argent dawn
Where jewel-lamps flickered on frescoed walls
And the stone lattice stared at moonlit boughs,
Half-conscious of the tardy listening night
Dimly she glided between banks of sleep
At rest in the slumbering palaces of kings.
प्राय: स्वर्णिम संध्या से रजत सम उषा तक,
वह राजाओं के महलों में सुषुप्ति में खोयी विश्राम करती,
जहां पर रत्न-दीपक चित्रित रंगीन दीवारों पर टिमटिमाते
और पाषाणी जालियां ज्योत्स्ना में स्नात शाखाओं को अपलक देखतीं,
वह इन अलसायी निशाओं में अर्ध जाग्रत्-सी सुनती
और नींद के तटों के मध्य धूमिलता में फिसल सो जाती।
Hamlet and village saw the fate-van pass,
Homes of a life bent to the soil it ploughs
For sustenance of its short and passing days
That, transient, keep their old repeated course
Unchanging in the circle of a sky
Which alters not above our mortal toil.
गढ़ियां और ग्राम उस नियति के यान को गुजरते देखते,
उस एक जीवन के ये आवास थे जो उस माटी तक झुका हुआ था जिसे वह जोतता,
अपने अल्प और बीतते दिवसों के पोषण हित श्रमरत रहता
वह तत् है, अनित्य है, अपने पुरातन पुनरावर्ती मार्ग पर चलता है,
एक व्योम के सीमित घेरे में रहता वह बदला नहीं है
हमारे नश्वर श्रम के ऊर्ध्व में अविकारी आकाश बदलता नहीं है।
Away from this thinking creature’s burdened hours
To free and griefless spaces now she turned
Not yet perturbed by human joys and fears.
इस विचारमग्न प्राणी की बोझिल घड़ियों से दूर हो
अब वह मुक्त और शोक-रहित दिशाओं कीओर मुड़ गयी
यह स्थली अभी तक मानवीय हर्ष और भय द्वारा आक्रान्त नहीं थी।
Here was the childhood of primeval earth,
Here timeless musings large and glad and still,
Men had forborne as yet to fill with cares,
Imperial acres of the eternal sower
And wind-stirred grass-lands winking in the sun:
Or mid green musing of woods and rough-browed hills,
In the grove’s murmurous bee-air humming wild
Or past the long lapsing voice of silver floods
Like a swift hope journeying among its dreams
Hastened the chariot of the golden bride.[379]
यहीं पर आदि-धरा की शैशवावस्था थी,
जहां पर अकाल चिन्तनशील, विशाल, प्रसन्न औ’ शान्त था
अभी तक यहां का मानव चिन्ताओं के बोझ से दूर था,
यह उस शाश्वत चिरकृषक का भव्य दीर्घ क्षेत्र था
और हवा में लहराता घास का मैदान धूप में पलक झपकाता:
उन हरित ध्यानमग्न वनों और पथरीली खुरदरी पहाड़ियों के मध्य हो,
या मधुमक्खियों की गुनगुनाहट से मदमस्त हुए वनीय कुंजों से
या चांदी सम शुभ्र जलधाराओं की दीर्घ कलकल ध्वनि को छोड़ता
एक तीव्रगामी आशा सम जो निज सपनों के मध्य दौड़ती, यात्रा करता
उसका रथ उस कंचन-वदना वधू को लिये द्रुतगति से निकल जाता।
Out of the world’s immense unhuman past
Tract-memories and ageless remnants came,
Domains of light enfeoffed to an antique calm
Listened to the unaccustomed sound of hooves
And large immune entangled silences
Absorbed her into emerald secrecy
And slow hushed wizard nets of faery bloom
Environed with their coloured snare her wheels.
इस संसार के भीषण अवमानवी अतीत से निकली
स्मृतियों की पगडंडियां और शाश्वत अवशेष उसे मिले,
जिन्हें आदिम शान्ति जागीर में मिली थी ऐसे ज्योति के साम्राज्यों ने
अपने अनभ्यस्त कानों से उसके घोड़ों की टापों को सुना
और विशाल निरापद उलझी नीरवताओं ने
उसको अपने हरित रहस्य में समा लिया
और अलौकिक पुष्पों के मन्द मूक जादुई इन्द्र-जालों ने
उसके रथ-चक्रों को अपने रंगीन फंद-पाश से बांध लिया।
The strong importunate feet of Time fell soft
Along these lonely ways, his titan pace
Forgotten and his stark and ruinous rounds.
यहां पर कालदेव निज दुराग्रही चरणों को
इन सूनसान मार्गों पर कोमलता से धरता था, जैसे कि वह
निज भीषण चाल और विनाशकारी चक्करों को भूल गया हो।
The inner ear that listens to solitude,
Leaning self-rapt unboundedly could hear
The rhythm of the intenser wordless Thought
That gathers in the silence behind life,
And the low sweet inarticulate voice of earth
In the great passion of her sun-kissed trance
Ascended with its yearning undertone.
अन्तर श्रवण जो ऐकान्तिक निर्जनता को सुनता है,
वह आत्मलीन झुका हुआ अबाधता से सुन सकता था
उस तीव्रतर निःशब्द संकल्पित विचार के संगीत को
जो जीवन के पीछे की नीरवता में एकत्रित है,
और पृथ्वी की मद्धिम मधुर अस्पष्ट वाचा सुनता है
जो उसके सूर्य-चुम्बित समाधि के गहन प्रेमावेश में
निज लालायित अन्तर्धारा के साथ ऊपर उठती है।
Afar from the brute noise of clamorous needs
The quieted all-seeking mind could feel,
At rest from its blind outwardness of will,
The unwearied clasp of her mute patient love
And know for a soul the mother of our forms.
कोलाहलपूर्ण आवश्यकताओं के पाशविक शोर से अति दूर
मौन, शान्त, सर्वोन्मेषी मन वहां अनुभव कर सकता था,
यह अपनी इच्छा की अन्धी बहिर्मुखता से विश्रामरत रहता,
पृथ्वी के मूक धीर प्रेम का क्लान्तिहीन आलिंगन करता
और हमारे आकारों की जननी एक आत्मसत्ता है जान सकता था।
This spirit stumbling in the fields of sense,
This creature bruised in the mortar of the days
Could find in her broad spaces of release.
यह जीवपुरुष जो इन्द्रिय के विषयों में उलझा लड़खड़ाता है,
यह प्राणी जो दिवसों की ओखली में क्षत-विक्षतहोता रहता है
यहां पृथ्वी के खुले आकाशों के तले मुक्ति पा सकता था।
Not yet was a world all occupied by care.
उस काल में यह सकल जगत् चिन्ता से पूरी तरह नहीं घिरा था।
The bosom of our mother kept for us still
Her austere regions and her musing depths,
Her impersonal reaches lonely and inspired
And the mightinesses of her rapture haunts.
हमारी पृथ्वी माता ने निज वक्ष पर अभी भी हमारे लिए रखे हैं
अपने तपोवनी क्षेत्र और निज ध्यानमग्ना गहनताएं,
अपनी निर्जन और प्रेरणात्मक निर्वैयक्तिक प्रसारताएं
और जहां उसके भावोन्माद की शक्तियां विचरण करती हैं।
Muse-lipped she nursed her symbol mysteries
And guarded for her pure-eyed sacraments
The valley-clefts between her breasts of joy,
Her mountain-altars for the fires of dawn
And nuptial beaches where the ocean couched[380]
And the huge chanting of her prophet woods.
ध्यान-मग्न यह निज प्रतीकात्मक रहस्यों का पोषण करती
और अपने विशुद्ध निर्मल नेत्रों के पुण्य संस्कारों के हेतु
निज आनन्दरूपी पर्वत पयोधरों के मध्य की घाटी सुरक्षित रखती,
उषा की अग्नियों के लिए उसकी पर्वत यज्ञ-वेदिकाओं को
और तटीय लग्नमण्डपों को, जहां सागर शयन करता
और अपने याजकीय वनों के उच्च मन्त्रोचार हित सुरक्षित रखती।
Fields had she of her solitary mirth,
Plains hushed and happy in the embrace of light,
Alone with the cry of birds and hue of flowers
And wildernesses of wonder lit by her moons
And grey seer-evenings kindling with the stars
And dim movement in the night’s infinitude.
वहां उसके एकाकी उल्लसित हास्य के अपने क्षेत्र थे,
और प्रकाश को लपेटे हुए मूक और प्रमुदित विस्तार थे,
विहगों के कलरव और पुष्पोंसे रंजित वे अकेले थे,
और उसकी चन्द्रिकाओं से ज्योतित चमत्कारी वन-प्रदेश थे
और धूसर रंगी ऋषि-संध्याएं तारों से प्रज्वलित थीं
और निशा की असीमता में मन्द दबे पांव गति-संचालन होता।
August, exulting in her Maker’s eye,
She felt her nearness to him in earth’s breast,
Conversed still with a Light behind the veil,
Still communed with Eternity beyond.
उल्लसित, अपने सर्जनहार के नेत्रों में उत्साहभरी, यशस्विनी
सावित्री ने पृथ्वी के वक्ष में उसे अति समीप अनुभव किया,
वह पट के पीछे एक परा-प्रकाश के साथ अभी भी संलाप करती,
परात्पर चिरन्तनता के साथ वह अभी भी सम्पर्क रखती।
A few and fit inhabitants she called
To share the glad communion of her peace;
The breadths, the summit were their natural home.
विरले योग्य निवासियों को वह आमन्त्रित करती
अपने शान्त दिव्य सम्पर्क की प्रसन्नता में भाग लेने को बुलाती;
उनके ये विस्तार और ये उच्च शिखर सहज स्वाभाविक आवास थे।
The strong king-sages from their labour done,
Freed from the warrior tension of their task,
Came to her serene sessions in these wilds;
The strife was over, the respite lay in front.
सामर्थ्यशाली राज-ऋषि निज कर्तव्यों को समाप्त कर यहां आये थे
अपने योद्धा जीवन के संघर्षपूर्ण तनाव से मुक्ति पाने,
वे इन वनों में उसके शान्त सर्गों में आते;
उनका संघर्ष समाप्त हो गया था,विश्राम-काल सामने था।
Happy they lived with birds and beasts and flowers
And sunlight and the rustle of the leaves,
And heard the wild winds wandering in the night,
Mused with the stars in their mute constant ranks,
And lodged in the mornings as in azure tents,
And with the glory of the noons were one.
पशु-पक्षियों और पुष्पों के साथ वे प्रमुदित रहते
और सूरज की धूप और पत्तियों की चरमराहट में सुख लेते,
और रात्रि में वनीय पवनों की तीव्र चाल सुनते,
अपनी मौन एकनिष्ठता की श्रेणियों में तारों के संग ध्यान करते,
और प्रभात को शिखर-रूपी नील वितान तले वे व्यतीत करते,
और दोपहरी की ज्वलन्त महिमा के साथ वे एक हो वहां रहते।
Some deeper plunged; from life’s external clasp
Beckoned into a fiery privacy
In the soul’s unassailed star-white recess
They sojourned with an ever-living Bliss;
A Voice profound in the ecstasy and the hush
They heard, beheld an all-revealing Light.
कुछ तो और गहनता में डूब जाते; जीवन की बाह्य पकड़ से
अति दूर हो, वे एक अग्निल एकान्त में बुला लिये जाते
अन्तरात्मा की अविजित विमल तारे समान शुभ्र गुहा में
वे एक सतत-जीवी आत्मानन्द के साथ रमते;
भाव समाधि और नीरवता में वे एक दिव्य गुह्य वाचा सुनते,
और एक सर्वदर्शी आत्म-ज्योति के दर्शन पाते।
All time-made difference they overcame;
The world was fibred with their own heart-strings;
Close-drawn to the heart that beats in every breast,
They reached the one self in all through boundless love.
सम्पूर्ण काल द्वारा रचित विभाजन को उन्होंने जीत लिया था;
इस संसार का वस्त्र उनके निजी हृदय-सूत्रों सेबुना हुआ था;
प्रत्येक अन्तर में स्पन्दित हृदय के वे समीप खिंच आते,
वे सर्व-भूतात्मा तक अपने असीम मुक्त प्रेम द्वारा पहुंच जाते।
Attuned to Silence and to the world-rhyme,
They loosened the knot of the imprisoning mind;[381]
Achieved was the wide untroubled witness gaze,
Unsealed was Nature’s great spiritual eye;
To the height of heights rose now their daily climb:
Truth leaned to them from her supernal realm;
Above them blazed eternity’s mystic suns.
आत्म-नीरवता से लयबद्ध और इस जगत् से छन्दबद्ध थे,
उन्होंने बन्दी-बनाते मन की ग्रंथि खोल दी थी,
विशाल स्थिर द्रष्टा चितवन उन्होंने प्राप्त कर ली थी,
विश्व-प्रकृति का महान आध्यात्मिक नेत्र खुल गया था;
अब उनका आरोहण दिन पर दिन उच्चतर शिखरों पर चढ़ता:
निज परात्पर धाम से ऋत उन तक झुक आता;
उनके ऊर्ध्व में अनन्तता के गुह्य सूर्य प्रज्वलित थे।
Nameless the austere ascetics without home
Abandoning speech and motion and desire,
Aloof from creatures sat absorbed, alone,
Immaculate in tranquil heights of self
On concentration’s luminous voiceless peaks,
World-naked hermits with their matted hair
Immobile as the passionless great hills
Around them grouped like thoughts of some vast mood
Awaiting the Infinite’s behest to end.
अनामी ये कठोर संयमी तपस्वी गृह त्याग आये थे
यहां आ उन्होंने वाणी और संचालन औ’ कामना त्याग दी थी
सब प्राणियों से पृथक् एकाकी, आत्मलीन आसीन रहते,
आत्म-चेतना के शान्त शिखरों पर अविकारी भाव से
एकाग्रता कीज्योतितवाचाहीन पराकाष्ठा में स्थित,
सांसारिकता से नग्न संन्यासी जटाजूट-धारी वैरागी
वे उन रागहीन महान् स्थिर अचल पर्वतों समान थे
जो उन्हें चहुं ओर से किसी विशाल भाव के विचारों सम घेरे
अन्त हित चिरन्तन प्रभु आदेश की प्रतीक्षा में थे।
The seers attuned to the universal Will,
Content in Him who smiles behind earth’s forms
Abode ungrieved by the insistent days.
ये द्रष्टा ऋषि विश्व परम-संकल्प से एक ताल थे,
पृथ्वी के रूपों के पीछे गोपित मुस्कुराते परमेश में सन्तुष्ट रहते
जीवन के दुराग्रही दिवसों में शोक-रहित हो बसते।
About them like green trees girdling a hill
Young grave disciples fashioned by their touch,
Trained to the simple act and conscious word,
Greatened within and grew to meet their heights.
एक पहाड़ी को जैसे हरे तरुवर घेरे रहते हैं
निज हाथों से संवारे युवा गम्भीर शिष्य उन्हें घेरे रहते,
सामान्य कर्म और चैतन्य वाचा में दीक्षित हो, वे
अन्तर में महान् बन जाते और अपनी उच्चताओं को भेंटने वर्धित हो जाते।
Far-wandering seekers on the Eternal’s path
Brought to these quiet founts their spirit’s thirst
And spent the treasure of a silent hour
Bathed in the purity of the mild gaze
That, uninsistent, ruled them from its peace,
And by its influence found the ways of calm.
शाश्वत प्रभु के मार्ग पर दूर-दूर तक विचरण करते जिज्ञासु
इन शान्त निर्झरों तक अपनी आत्म-पिपासा ले आते पिपासु
और एक नीरव शान्त घड़ी हित निज कोष खाली कर
उनकी सरल कोमल चितवन की पवित्रता में स्नान करते
परम तत्-सत्, आग्रहहीन, निज शान्ति से इन पर शासन करता,
और इसके प्रभाव में वे शान्ति के मार्गों को पा जाते।
The Infants of the monarchy of the worlds,
The heroic leaders of a coming time,
King-children nurtured in that spacious air
Like lions gambolling in sky and sun
Received half-consciously their godlike stamp:
Formed in the type of the high thoughts they sang
They learned the wide magnificence of mood
That makes us comrades of the cosmic urge,
No longer chained to their small separate selves,[382]
Plastic and firm beneath the eternal hand,
Met Nature with a bold and friendly clasp
And served in her the Power that shapes her works.
देश-विदेशों के, राज्यों के राजकुंवर,
एक आगामी काल के धीर-वीर भावी नेतागण,
इन राजपुत्रों के समूह उस विस्तृत खुले वातावरण में पुष्टि पाते
सिंह शावकोंसम धूप और गगन तले खिलवाड़ करते
और अनजाने ही अपनी देवता सम छाप पा जाते:
उच्च विचारों के आदर्श में रूपायित हो वे गाते
मनोभाव की विशाल उदार गरिमा में वे शिक्षित होते
यही हममें विश्व-बन्धुत्व की भाव की प्रेरणा भरते,
क्योंकि वे अपने लघु अहम् की पृथक् सीमाओं सेऔर बंधे नहीं थे,
चिरन्तन के अभयहस्त तले नम्य और दृढ़ बने
विश्व-प्रकृति को एक साहसी और मैत्रीपूर्ण आलिंगन से भेंटते
और उसके कार्यों का रूपायण करती महाशक्ति की सेवा करते।
One-souled to all and free from narrowing bonds,
Large like a continent of warm sunshine
In wide equality’s impartial joy,
These sages breathed for God’s delight in things.
सर्वभूतात्मा के साथ एकात्म हो संकीर्ण बन्धनों से मुक्त हो,
विशाल समत्वभाव के निष्पक्ष आनन्द में
तप्त सूर्य की धूप के महाद्वीप सम विस्तृत हो जाते,
ये ऋषि तपस्वी वस्तुओं को प्रभु के हर्ष सेश्वासित करते।
Assisting the slow entries of the gods,
Sowing in young minds immortal thoughts they lived,
Taught the great Truth to which man’s race must rise
Or opened the gates of freedom to a few,
Imparting to our struggling world the Light
They breathed like spirits from Time’s dull yoke released,
Comrades and vessels of the cosmic Force,
Using a natural mastery like the sun’s:
Their speech, their silence was a help to earth.
देवताओं को अविलम्ब प्रवेश कराने में वे सहायक होते,
स्वयं आचरण में लाये अमर संकल्पों को वे युवा मनों में रोपते,
उन महान् अमर-सत्यों की जिन तक मानव को उठना है, शिक्षा देते
या कुछ के लिए मुक्ति के द्वारों को खोल देते।
संघर्षरत हमारे जगत् हित पराज्योति प्रदान करते
वे काल के नीरस जीवन से मुक्ति पाये आत्मपुरुषोंसम प्राणवान् थे,
ब्रह्माण्डीय दैवी-ऊर्जा के सहयोगी और साधन थे,
और सूर्य सम वे एक स्वाभाविक प्रभुता में व्यवहार करते:
उनकी वाणी, उनका मौन दोनों ही पृथ्वी के लिए सहायक थे।
A magic happiness flowed from their touch;
Oneness was sovereign in that sylvan peace,
The wild beast joined in friendship with its prey,
Persuading the hatred and the strife to cease
The love that flows from the one Mother’s breast
Healed with their hearts the hard and wounded world.
उनके स्पर्श में एक जादुई हर्ष प्रवाहित होता;
उस तपोवनी शान्ति में एकात्मता का साम्राज्य था,
जंगली जानवर अपने शिकार से मैत्री भाव में जुड़ा रहता;
वे घृणा और संघर्ष को मिटाने के यत्न में लगे रहते
उस आदि जननी के स्तनों से बहते प्रेम-पयोधि से पनपे
निज हृदयों से इस कठोर आहत जगत् को स्वस्थ करते।
Others escaped from the confines of thought
To where Mind motionless sleeps waiting Light’s birth,
And came back quivering with a nameless Force
Drunk with a wine of lightning in their cells;
Intuitive knowledge leaping into speech,
Hearing the subtle voice that clothes the heavens,
Carrying the splendour that has lit the suns,
They sang Infinity’s names and deathless powers
In metres that reflect the moving worlds,
Sight’s sound-waves breaking from the soul’s great deeps.
कुछ अन्य ऋषि विचार-शक्ति की कैद से छूटकर वहां जा पहुंचे थे,
जहां पर सत्य-मन अचल बना सोता है परा-प्रकाश के जन्म की प्रतीक्षा में,
और वे एक अनामी दिव्य तेज से स्पन्दित हो लौट जाते,
उनके कोषाणु एक विद्युती मदिरा से मदमस्त हो जाते;
उनकी वाणी में सम्बोधि-ज्ञान उछल-उछल पड़ता,
जो प्रेरक शब्द द्वारा गृहीत, स्पन्दित और प्रज्वलित होता,
वे सुरलोक से आती उस सूक्ष्म वाचा को सुनते,
सूर्यों को ज्योतित करती श्रीशोभा को धारण करते,
वे चिरन्तन प्रभु के नामोंऔर अमरशक्तियों का कीर्तन करते
उनके छन्दों में लोकों की गतियां प्रतिबिम्बित होतीं,
अन्तरात्मा की गहनताओं से देव-दृष्टि की ध्वनि-तरंगें उमड़ती आतीं।
Some lost to the person and his strip of thought
In a motionless ocean of impersonal Power,
Sat mighty, visioned with the Infinite’s Light,
Or, comrades of the everlasting Will,[383]
Surveyed the plan of past and future Time.
कुछ तपस्वी अपने व्यक्तित्व और सीमित विचार की सीमा को मिटा देते
और निर्वैयक्तिक महाशक्ति के एक स्थिर महासागर में डूब जाते,
पूर्ण समर्थ बन, चिरन्तन की ज्योति के दर्शन पाते,
अथवा नित्य परम-संकल्प के सहयोगी बने,
वे काल की भूत और भविष्य की योजना का निरीक्षण करते।
Some winged like birds out of the cosmic sea
And vanished into a bright and featureless Vast:
Some silent watched the universal dance,
Or helped the world by world-indifference.
कुछ तापस इस ब्रह्माण्डीय सागर से पक्षियों सम बाहर उड़ जाते
और एक ज्योतित किन्तु निराकारी विराट् निर्वाण में लीन हो जाते:
कुछ मौन बने इस वैश्विक नृत्य को अवलोकते,
या संसार से उदासीन बन संसार की सहायता करते।
Some watched no more merged in a lonely Self,
Absorbed in the trance from which no soul returns,
All the occult world-lines for ever closed,
The chains of birth and person cast away:
Some uncompanioned reached the Ineffable.
कुछ एक एकाकी परमात्म तत्त्व में लीन और मुड़कर नहीं देखते,
एक ऐसी समाधि में जहां से कोई लौट नहीं आता है,लीन हो जाते,
जहां सकल गुह्य पथ-रेखाएं जो संसार कीओर आती हैं सदा के लिए बन्द हो जातीं,
जन्म और व्यक्तित्व के बन्धन तोड़ फेंक दिये जाते:
ऐसे तपस्वी साथी विहीन परम अनिर्वचनीय में समा जाते।
As floats a sunbeam through a shady place,
The golden virgin in her carven car
Came gliding among meditation’s seats.
जैसे एक सूर्यरश्मि एक छायापूर्ण स्थान पर फिसलती प्रवेश करती,
वैसे ही वह कंचनवदना कन्या अपने रथ के सार्थवाह के साथ
उन तापसों के आसनों मध्य तैरती-सी पहुंच जाती।
Often in twilight mid returning troops
Of cattle thickening with their dust the shades
When the loud day had slipped below the verge,
Arriving in a peaceful hermit grove
She rested drawing round her like a cloak
Its spirit of patient muse and potent prayer.
प्रायःसन्ध्या में जब घर लौटते पशुओं के पगों से उठती
गोधूलि में छायाएं और गहन हो जातीं
जब यात्रा से बोझिल दिवस क्षितिज के तट पर नीचे फिसल जाता,
तब वह एक शान्तिपूर्ण तपोवन में पहुंच जाती
और इसकी आत्मचेतना की धीर समाधि और समर्थ प्रार्थना के
परिवेश को अपने चारोंओर एक दुशाले सम ओढ़ विश्राम करती।
Or near to a lion river’s tawny mane
And trees that worshipped on a praying shore,
A domed and templed air’s serene repose
Beckoned to her hurrying wheels to stay their speed.
अथवा एक नदी के समीप जिसका जल शेर के अयालों सम पीतवर्ण था
जिसके प्रार्थनारत तट पर जहां तरुवर पूजा में लीन खड़े थे,
एक गुम्बदीय मन्दिर का शान्त प्रसन्न वातावरण
शीघ्रता से दौड़ते उसके रथचक्रों को थाम लेने का आवाहन करता।
In the solemnity of a space that seemed
A mind remembering ancient silences,
Where to the heart great bygone voices called
And the large liberty of brooding seers
Had left the long impress of their soul’s scene
Awake in candid dawn or darkness mooned,
To the still touch inclined the daughter of Flame
Drank in hushed splendour between tranquil lids
And felt the kinship of eternal calm.
जैसे उस स्थली की गहन प्रशान्ति में एक मनाकाश हो
जो पुरातन नीरवताओं की स्मृति में खोया लगता था,
जहां उसके हृदय को महान् विगत वाचाएं पुकारती हों
और ध्यानमग्न ऋषियों की विशाल मुक्ति ने
आत्मा के दृश्य की दीर्घ दिव्य छाप वहां छोड़ी हो,
वहां उषाकाल हो या शशि की रात्रि वह सदैव सचेत जाग्रत् थी,
उस शान्ति के स्पर्श हित वह सूर्य-पुत्री सदैव इच्छुक रहती
वह उस मूक शोभा को निज शान्त पलकों के मध्य पी लेना चाहती
और उस शाश्वत शान्ति के साथ एकत्व की अनुभूति पाती।
But morn broke in reminding her of her quest
And from low rustic couch or mat she rose
And went impelled on her unfinished way[384]
And followed the fateful orbit of her life
Like a desire that questions silent gods,
Then passes starlike to some bright Beyond.
किन्तु प्रभात होते ही उसमें निज खोज की स्मृति जग जाती
और वह निज ग्रामीण शय्या या चटाई तज खड़ी हो जाती,
और अपना अधूरा कार्य पूरा करने को प्रेरित सी चल देती
निज जीवन के भाग्य-चक्र का अनुगमन करती बढ़ जाती
उस एक कामना सम जो मौन देवों से प्रश्न तो करती है
किन्तु फिर एक तारे समान किसी ज्योतित परात्परता में खो जाती है।
Thence to great solitary tracts she came,
Where man was a passer-by towards human scenes
Or sole in Nature’s vastness strove to live
And called for help to ensouled invisible Powers,
Overwhelmed by the immensity of his world
And unaware of his own infinity.
अब वह एक बृहत् वन के निर्जन पथों पर आ पहुंची,
जहां से मनुष्य पथिक सम निकल मानवीय आवासों की ओर बढ़ जाता
या फिर प्रकृति जगत् की विस्तृतता में एकाकी रहने का प्रयास करता
और अन्तरात्मा में गोपित अगोचर शक्तियों को सहायता हेतु पुकारता,
वह इस जगत् की विशालता से अभिभूत रहता
और अपनी निजी आत्म-अनन्तता के प्रति अनजान रहता है।
The Earth multiplied to her a changing brow
And called her with a far and nameless voice.
अब धरती ने बहुगुणित हो सावित्री को एक परिवर्तित रूप दर्शाया
और उसे एक दूर की अनामी वाणी में पुकारा।
The mountains in their anchorite solitude,
The forests with their multitudinous chant
Disclosed to her the masked divinity’s doors.
पर्वतों ने अपने अचल ऐकान्तिक आवास में,
वनों ने अपने बहु-प्राणियों की विविध ध्वनियों में
उद़्घाटित कर दिया उसके लिए अवगुण्ठित दिव्यता के द्वारों को।
On dreaming plains, an indolent expanse,
The death-bed of a pale enchanted eve
Under the glamour of a sunken sky,
Impassive she lay as at an age’s end,
Or crossed an eager pack of huddled hills
Lifting their heads to hunt a lairlike sky,
Or travelled in a strange and empty land
Where desolate summits camped in a weird heaven,
Mute sentinels beneath a drifting moon,
Or wandered in some lone tremendous wood
Ringing for ever with the crickets’ cry,
Or followed a long glistening serpent road
Through fields and pastures lapped in moveless light,
Or reached the wild beauty of a desert space
Where never plough was driven nor herd had grazed
And slumbered upon stripped and thirsty sands
Amid the savage wild-beast Night’s appeal.
सपनाते समतल भूमि-विस्तारों पर, शिथिलता में डूबे आकाश तले,
एक निस्तेज ढलते क्षितिज की शोभा के नीचे
जैसे एक पीली जादुई संध्या की मृत्यु-शय्या हो,
वह उदासीन शान्ति से ऐसे लेट जाती जैसे कि एक युग का अन्त हो,
या पहाड़ियों के झुण्ड को एक आग्रही अम्बार सम पार कर जाती
जो निज शिखरों को एक मांद सम आकाश में शिकार कीटोह में उठाये थीं,
या एक विचित्र और निर्जन प्रदेश में यात्रा करती
जहां की उदास चोटियां एक निराले स्वर्ग में डेरा डाले थीं,
मानों एक आवारा बहते शशि तले मूक प्रहरी सम खड़ी हों,
अथवा वह किसी सुनसान भीषण वन में भटकती
जहां झींगुरों की वंशी सतत अविराम बजती रहती
या एक दीर्घ प्रकाशमान सर्पिल मार्ग का अनुसरण करती
जो खेतों और गतिहीन प्रकाश से लिपटे चरागाहों से गुजरता,
या एक मरुस्थल की बीहड़ वनीय रमणीकता में जा पहुंचती
जहां कभी कोई हल नहीं चला था और न कोई पशु-झुण्ड चरा था,
वहांसावित्री उस नग्न और प्यासी रेत पर सो जाती
जंगली वन्य पशुओं के मध्य निशा के अनुरोध पर रात बिताती।
Still unaccomplished was the fateful quest;
Still she found not the one predestined face
For which she sought amid the sons of men.
अभी तक उसकी नियति-निर्देशित खोज सफल नहीं हुई थी;
अभी तक उसे अपना पूर्व-नियत जीवन-साथी नहीं मिला था
जिसे वह नर-पुत्रों के मध्य खोजती फिरती थी।
A grandiose silence wrapped the regal day.
The months had fed the passion of the sun[385]
And now his burning breath assailed the soil.
एक भव्य शान्ति ने उस राजसी दिवस को लपेट रखा था:
बीतते मासों ने दिनकर के आवेश को और पुष्ट कर दिया
और अब उसके ज्वलन्त श्वास ने धरा को आक्रमित कर रखा था।
The tiger heats prowled through the fainting earth;
All was licked up as by a lolling tongue.
मूर्छित पड़ी पृथ्वी पर ताप व्याघ्र सम विचरण कर रहा था;
एक लपलपाती जिह्वाने जैसे सबको चाट लिया हो।
The spring winds failed; the sky was set like bronze.[386]
बसंती बयार जा चुकी थी; सकल गगन को जैसे तांबेसे मढ़ दिया हो।
END OF CANTO FOUR
END OF BOOK FOUR