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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Eleven. Canto One (Eng-Hindi)

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BOOK ELEVEN. THE BOOK OF EVERLASTING DAY

Canto One. The Eternal Day: The Soul’s Choice and the Supreme Consummation

 

A marvellous sun looked down from ecstasy’s skies
On worlds of deathless bliss, perfection’s home,
Magical unfoldings of the Eternal’s smile
Capturing his secret heart-beats of delight.

भावसमाधि के व्योम से एक अद्भुत सूर्य ने
अमरानन्द के धामों को, परिपूर्णता के भुवन को अवलोका,
प्रभु की चिरस्मित की जादुई परतों के प्रस्फुटन ने
चिरन्तन की हर्षित गुह्य हृदय-धड़कनों को प्रकटा दिया।

God’s everlasting day surrounded her,
Domains appeared((( Alternative: “Were there”))) of sempiternal light
Invading all Nature with the Absolute’s joy.

उसके चिर अमर दिवस ने सावित्री को चहुं ओर से घेर लिया,
दिव्य परम-ज्योति के क्षेत्र वहां अभिव्यक्त हो उठे
जिसने सकल विश्व-प्रकृति को परन्तप के परमानन्द से पूर दिया।

Her body quivered with eternity’s touch,
Her soul stood close to the founts of the infinite.

सावित्री की देह शाश्वतता का स्पर्श पा पुलकित हो कांप उठी,
उसकी चैत्यात्मा अब नित्यता के स्रोतों के समीप थी।

Infinity’s finite fronts she lived in, new
For ever to an everlasting sight.

नित्य के ऐसे अनित्य बहिर्क्षेत्रो में वह बस रही थी,
जो सतत एक चिरजीवी दृश्य में नवीनता लिये रहते।

Eternity multiplied its vast self-look
Translating its endless mightiness and joy
Into delight souls playing with Time could share
In grandeurs ever new-born from the unknown depths,
In powers that leaped immortal from unknown heights,
In passionate heart-beats of an undying love,
In scenes of a sweetness that can never fade.

चिरन्तनता ने अपना विराट् आत्म-दर्शन कई गुणा बढ़ा दिया
उसने अपने अनन्त सामर्थ्य और हर्ष को अनूदित कर दिया,
जिससे उस सुख में त्रिकाल में लीलारत जीवसत्ताएं भाग ले सकें
उस सतत नवजात श्री-शोभा में जो अज्ञात गर्तों से उदित होती हैं,
उन अमर ऊर्जाओं को जो हठात् अज्ञ शिखरों से आ कूदती हैं
एक अमर प्रेम की प्रेमावेशी हृदय-धड़कनों में बसती हैं,
एक अक्षय माधुरी के दृश्यों में जो कभी धूमिल नहीं होते।

Immortal to the rapturous heart and eyes,
In serene arches of translucent calm
From Wonder’s dream-vasts cloudless skies slid down
An abyss of sapphire; sunlight visited eyes
Which suffered without pain the absolute ray
And saw immortal clarities of form.

भावसमाधि में मग्न हृदय और नेत्रों हित अमर बने,
पारदर्शी शान्ति के सौम्य तोरणों के तले
परम आद़्भुत्य के स्वप्निल विस्तारों से एक नीलमणि खाड़ी जैसे
मेघहीन नभ फिसल नीचे आ जाते; सूर्य प्रकाश नेत्रों को भेंटते
पर वे उस परिपूर्ण रश्मि को बिना पीड़ा भोगते
और आकार की अमर स्पष्ट अमलताओं को देखते।

Twilight and mist were exiles from that air,
Night was impossible to such radiant heavens.

उस परिवेश में धूसरता और द्वाभा की धूमिलता नहीं थी,
उन दीप्तिमय सुरलोकों में अन्धरात्रि की सम्भावना नहीं थी।

Firm in the bosom of immensity
Spiritual breadths were seen, sublimely born
From a still beauty of creative joy;[671]
Embodied thoughts to sweet dimensions held
To please some carelessness of divine peace,
Answered the deep demand of an infinite sense
And its need of forms to house its bodiless thrill.

विराटे के विस्तार में दृढ़ता से स्थापित आध्यात्मिक क्षेत्र
दिखायी पड़ रहे थे, ये एक स्थिर सौन्दर्य के
रचनात्मक सर्जन के हर्ष से उदात्तता में जन्मे थे;
साकार संकल्पों ने मधुर आयामों को धारण कर रखा था
मानों किसी दिव्य शान्ति की निश्चिन्तता को प्रसन्न करने,
वे एक नित्य चित्तबोध की गहन कामना का उत्तर देते
और इसकी कायाहीन पुलकन को बसाने हित आकार की पूर्ति करते।

A march of universal power in Time,
The harmonic order of self’s vastitudes
In cyclic symmetries and metric planes
Harboured a cosmic rapture’s revelry
In an endless figuring of the spirit in things
Planned by the artist who has dreamed the worlds;
Of all the beauty and the marvel here,
Of all Time’s intricate variety
Eternity was the substance and the source;
Not from a plastic mist of Matter made,
They offered the suggestion of their depths
And opened the great series of their powers.

त्रिकाल में आती वैश्विक महाशक्तियों की एक शोभायात्रा में
आत्मतत्त्व की विशालताओं की उस सुसंगत व्यवस्था के
चक्रीय सन्तुलन में और संगीतमय छन्दबद्ध स्तरों में
एक विश्व आनन्दोत्सव की रंगीनियां बसी थीं,
पदार्थों में आत्मचेतना अनन्तता से रूपायित होती
यह इन लोकों के स्वप्नद्रष्टा परम कलाकार की योजना थी;
यहां के सकल सौन्दर्य और चमत्कार की,
सकल महाकाल की जटिल विविधताओं की
चिरन्तनता ही इसका उद़्गम एवं सारतत्त्व थी;
ये जड़तत्त्व की एक नमनीय धुंध से रचित नहीं थे,
ये पदार्थ अपनी गहनताओं का स्वयं परिचय देते
और अपनी शक्तियों की महान् श्रृंखला प्रकटा देते।

Arisen beneath a triple mystic heaven
The seven immortal earths were seen sublime:
Homes of the blest released from death and sleep
Where grief can never come nor any pang
Arriving from self-lost and seeking worlds
Alter Heaven-nature’s changeless quietude
And mighty posture of eternal calm,
Its pose of ecstasy immutable.

एक त्रिस्तरीय गुह्य देवलोक के नीचे व्यक्त होते
सप्त अमर पृथ्वियों के दिव्य-रूप दिखायी दिये:
ये मृत्यु और तमस्-निद्रा से मुक्त देवर्षियों के धाम थे
जहां क्लेश या कोई वेदना कभी प्रवेश नहीं पाती है,
ये आत्म-लुप्त और खोजी लोकों से यहां पहुंचकर
स्वर्ग की परा प्रकृति की अविकारी नीरवता को
और शाश्वत शान्ति के उदात्त आसन को बदल नहीं सकती,
इसकी दृढ़ भावसमाधि की मुद्रा अविकारी थी।

Plains lay that seemed the expanse of God’s wide sleep,
Thought’s wings climbed up towards heaven’s vast repose
Lost in blue deeps of immortality.

विस्तृत विस्तार था जो प्रभु की विशाल निद्रा का फैलाव सम लगता,
विचार-शक्ति पंख लगा स्वर्ग की विस्तृत विश्रान्ति में चढ़ जाती
अमरता की नील आकाशीय गहनता में खो जाती।

A changed earth-nature felt the breath of peace.

एक रूपान्तरित जड़-प्रकृति ने शान्ति के श्वास की अनुभूति पायी।

Air seemed an ocean of felicity
Or the couch of the unknown spiritual rest,
A vast quiescence swallowing up all sound
Into a voicelessness of utter bliss;
Even Matter brought a close spiritual touch,
All thrilled with the immanence of one divine.

वातावरण आनन्दानुभूति का एक सागर लगता
या अज्ञात आध्यात्मिक विश्राम की शय्या सम पसरा था,
एक विशाल निश्चल अन्तर शान्ति ने सब ध्वनियां निगल
एक विशुद्ध सुखानुभूति को नीरवता में ढाल दिया;
यहां पर जड़तत्त्व भी एक आध्यात्मिक स्पर्श समीप ले आता
अखिल जग एक दिव्यता की व्यापकता से मुदित था।

The lowest of these earths was still a heaven
Translating into the splendour of things divine[672]
The beauty and brightness of terrestrial scenes.

इन धाराओं में निम्नतम पृथ्वी भी एक स्वर्ग थी
जो लौकिक दृश्यों की सुषमा और उज्ज्वलता को
इन दिव्य पदार्थों की शोभा में रूपान्तरित कर रही थी।

Eternal mountains ridge on gleaming ridge
Whose lines were graved as on a sapphire plate
And etched the borders of heaven’s lustrous noon
Climbed like piled temple stairs and from their heads
Of topless meditation heard below
The approach of a blue pilgrim multitude
And listened to a great arriving voice
Of the wide travel hymn of timeless seas.

शाश्वत पर्वत-श्रेणियों के दीप्तिमय शिखर पर शिखर थे
जिनकी रेखाएं एक नीलम पट्टिका पर उकेरी सम दिखतीं
और स्वर्ग की उज्ज्वल दोपहरी इसकी सीमाएं आंकती,
ये मन्दिर की सीढ़ियों के अम्बार सम उन्नत हो चढ़ गयी थीं
और उनके शीर्षों की निश्चूड़ ध्यानमग्नता में नीचे से आती
सुनायी दी एक नील तीर्थयात्री-समूह के आगमन की आहट
और अकाल सागरों की विशाल यात्रा के मन्त्रोच्चार की ध्वनि,
एक महती आगमन वाणी जिसे वे ध्यान से सुनते लगते।

A chanting crowd from mountain bosoms slipped
Past branches fragrant with a sigh of flowers
Hurrying through sweetnesses with revel leaps;
The murmurous rivers of felicity
Divinely rippled, honey-voiced desires,
Mingling their sister eddies of delight,
Then, widening to a pace of calm-lipped muse
Down many-glimmered estuaries of dream
Went whispering into lakes of liquid peace.

एक संकीर्तन करती भीड़ पर्वतवक्ष से फिसलती सी उतरी
पुष्पों के उच्छ्वास से सुगन्धित शाखाओं को पार करती
उस मधुमय वातावरण के मध्य मस्ती से उछलती दौड़ गयी;
आनन्द से कलकल करती सरिताएं
दिव्य मधुमयी कामनाएं तरंगित हो,
हर्ष के अपने बन्धु चक्रवात से जा मिलतीं,
तब विस्तृत हो शान्त ओष्ठ से मन्त्र उच्चारती धीमी गति से बढ़तीं
स्वप्न के विविधरंगी संगमों के नीचे गुजरतीं
फुसफुसाती शान्ति की तरल झीलों में जा मिलतीं।

On a brink held of senseless ecstasy
And guarding an eternal poise of thought
Sat sculptured souls dreaming by rivers of sound
In changeless attitudes of marble bliss.

अचेत आह्लाद के तट पर धरी गयी
चिन्तन की एक शाश्वत मुद्रा की सुरक्षा करती बैठी
मूर्तिवत् चैत्यसत्ताएं नाद की सरिताओं के तट पर सपनाती
स्फटिक आत्मानन्द की अविकारी मुद्रा में आसीन थीं।

Around her lived the children of God’s day
In an unspeakable felicity,
A happiness never lost, the immortal’s ease,
A glad eternity’s blissful multitude.

सावित्री के चहुं ओर प्रभु-दिवस के बालक-वृन्द थे
वे एक अकथनीय भागवत आनन्द में रहते,
जो एक अक्षय प्रसन्न प्रसाद का और अमरता का विश्राम था,
यह एक प्रसन्न शाश्वतता का आनन्दमग्न समूह था।

Around, the deathless nations moved and spoke,
Souls of a luminous celestial joy,
Faces of stark beauty, limbs of the moulded Ray;
In cities cut like gems of conscious stone
And wonderful pastures and on gleaming coasts
Bright forms were seen, eternity’s luminous tribes.
Above her rhythming godheads whirled the spheres,
Rapt mobile fixities here blindly sought
By the huge erring orbits of our stars.

चहुं ओर अमर राष्ट्र गति करते और वार्तालाप करते;
अन्तरात्माओं का एक ज्योतित स्वर्गिक हर्ष था
नग्न सौन्दर्य के मुखमण्डल थे, दिव्य किरण से गठित अंग थे;
सचेत शिलाओं के रत्नों समान तराशे नगरों में
और अद्भुत खलिहानों और चमकते बंदरगाहों पर
तेजस्वी आकृतियां दिखायी देतीं, शाश्वतता की दीप्तिपूर्ण जन-जातियों की,
सावित्री के ऊर्ध्वाकाश में छंदोबद्ध देवांश खगोलों को घुमाते,
यहां हमारे तारों की विशाल भ्रमित कक्षाएं निज अज्ञ अन्धकार में
सतत खोजा करती हैं इन तन्मय गतिशील अचलताओं को।

Ecstatic voices smote at hearing’s chords,[673]
Each movement found a music all its own;
Songs thrilled of birds upon unfading boughs,
The colours of whose plumage had been caught
From the rainbow of imagination’s wings.

श्रवणतन्त्रियों पर भावविभोर वाणियां आघात कर कचोटतीं,
प्रत्येक गति अपने निजी संगीत से पूर्ण थी;
सतत हरी शाखाओं पर विहगों के गीत मोद से भर देते
जिनके पंखों पर रंगों को मानों चुरा लगाया था
इसे इन्द्रधनुषी शोभा के कल्पित पंखों से छीना था।

Immortal fragrance packed the quivering breeze,
In groves that seemed moved bosoms and trembling depths
The million children of the undying spring
Bloomed, pure unnumbered stars of hued delight
Nestling for shelter in their emerald sky:
Faery flower-masses looked with laughing eyes.

अमर सुगन्ध से बोझिल बना कम्पित समीर डोलता,
उन्नत वक्ष सम डोलते और कांपती गहराई के उपवनों में
अमर बसन्तऋतु के लक्ष-लक्ष शिशु सम पुष्प खिले थे,
जो रंगबिरंगे हर्ष के पुनीत असंख्य तारों समान
अपने पन्नगी हरिताकाश में शरण हेतु छिपे थे:
पुष्पों के ढेर परियों समान विहंसते नेत्रों से देखते।

A dancing chaos, an iridescent sea
Eternised to Heaven’s ever wakeful sight
The crowding petal-glow of marvel’s tints
Which float across the curtained lids of dream.

एक नृत्यशाला की अव्यवस्था के एक सतरंगी ढेर के सागर ने
देवलोक के इस सतत जाग्रत् दृश्य को अमर कर दिया,
इसके चमत्कारी रंगों की पुष्पदल की सामूहिक शोभा
जो सपनाती पलकों के पट पर बहती-सी गुजर जाती।

Immortal harmonies filled her listening ear;
A great spontaneous utterance of the heights
On titan wings of rhythmic grandeur borne,
Poured from some deep spiritual heart of sound
Strains trembling with the secrets of the gods.

अमर रागिनियों ने सावित्री की श्रवणतन्त्रियों को विभोर कर दिया;
संगीत के विशाल पंखों पर गौरव से आरोहण करती
परम उच्चताओं की एक महती सहज वाचा आ जाती,
यह नाद के किसी गहन आत्मिक अन्तर से उंडेल ढाली गयी,
इसकी तानें देव-रहस्यों से स्पन्दित कम्पित थीं।

A spirit wandered happily in the wind,
A spirit brooded in the leaf and stone;
The voices of thought-conscious instruments
Along a living verge of silence strayed,
And from some deep, a wordless tongue of things
Unfathomed, inexpressible, chantings rose
Translating into a voice the Unknown.

एक चैत्य सत्ता मुदित पवन में विहार करती डोलती,
पाषाण और पल्लव में एक चित्सत्ता ध्यानमग्न थी;
विचार-सचेत वाद्यों की ये ध्वनियां
नीरवता के एक जीवन्त तट पर बहकती विचरतीं,
और किसी गहनता से, वस्तुओं की एक निःशब्द वाचा से
एक अगाध, अव्यक्त संकीर्तन की ध्वनि गूंज उठी
जो परम अज्ञेय का एक वाणी में अनुवाद करने लगी।

A climber on the invisible stair of sound,
Music not with these few and striving steps
Aspired that wander upon transient strings,
But changed its ever new uncounted notes
In a passion of unforeseeing discovery,
And kept its old unforgotten ecstasies
A growing treasure in the mystic heart.

नाद के अदृश्य स्वरों का एक आरोही,
यह संगीत, हमारे इन सीमित एवं संघर्षरत पदों का नहीं है
जो इन नश्वर तन्त्रियों पर भटकता अभीप्सा करता है,
किन्तु वहां अपने सतत नूतन असंख्य स्वरों को
यह अनदेखी खोज को एक भावावेश में बदल देता,
और फिर भी अपने पुरातन अविस्मरणीय आह्लादों को
यह निज गुह्य हृदय के वर्धित कोष में संजोये रखता।

A consciousness that yearned through every cry
Of unexplored attraction and desire,
It found and searched again the unsatisfied deeps[674]
Hunting as if in some deep secret heart
To find some lost or missed felicity.
In those far-lapsing symphonies she could hear,
Breaking through enchantments of the ravished sense,
The lyric voyage of a divine soul
Mid spume and laughter tempting with its prow
The charm of innocent Circean isles,
Adventures without danger beautiful
In lands where siren Wonder sings its lures
From rhythmic rocks in ever-foaming seas.

एक चेतना जो अग्राह्य आकर्षण और कामना की थी
यह प्रत्येक पुकार में लालायित-सी गुंजित थी,
कभी यह खोज लेती, पर फिर से अतृप्त गहराइयों में खोजने लगती
जैसे किसी गहन गुह्य हृदय में खोज रही हो
किसी खो गयी या विस्मृत दिव्यानुभूति को,
उसके मनमोहक बोध के सम्मोहनों को भंग कर प्रवेश करती
उन सुदूर की रागिनियों में सावित्री सुन सकी
एक देवात्मा की सिंधु-यात्रा के उस गीत की धुन को
जो फेन और हास्य के मध्य उठ नौका की पतवार से लुभा रही थी
अप्सराओं के द्वीपों की भोलीभाली शोभासुन्दरी को,
ये दुस्साहसी यात्राएं बिना किसी संकट की अति सुहावनी थीं
उन प्रदेशों की, जहां अद्भुत दिव्य जलपरियां मोहक रूप में
अविरत फेनाते सागरों की संगीतमयी शिलाओं पर बैठ गाती हैं।

In the harmony of an original sight
Delivered from our limiting ray of thought,
And the reluctance of our blinded hearts
To embrace the Godhead in whatever guise,
She saw all Nature marvellous without fault.

एक आदि मूल दृश्य की सुसंगति में
जो हमारी विचारधारा की संकीर्ण सीमा से
और हमारे अन्धे हृदयों की उस अनिच्छा से मुक्त है,
जो प्रभु का प्रत्येक रूप में आलिंगन करने को तत्पर नहीं है,
सावित्री को सम्पूर्ण सृष्टि में निर्दोष चमत्कार दिखायी देते।

Invaded by beauty’s universal revel
Her being’s fibre reached out vibrating
And claimed deep union with its outer selves,
And on the heart’s chords made pure to seize all tones
Heaven’s subtleties of touch unwearying forced
More vivid raptures than earth’s life can bear.

वह सौन्दर्य के वैश्विक हर्षोल्लास से अभिभूत थी,
उसकी सत्ता के तन्तु स्पन्दित हो काया से बाहर आ गये
और अपनी अन्य बहिर्सत्ताओं से एकत्व का अधिकार मांगने लगे,
और सब स्वरों को धर लेने को हृदय-तन्त्रियों को विशुद्ध बना
स्पर्श की अलौकिक सूक्ष्मताओं ने अक्लान्त भाव से आरोपित कर दिया
सावित्री पर और अधिक आह्लादों को जिन्हें हमारा पार्थिव जीवन सह नहीं सकता।

What would be suffering here, was fiery bliss.

जो यहां दुःख भोग है, वहां वह अग्निल आत्मरति है।

All here but passionate hint and mystic shade
Divined by the inner prophet who perceives
The spirit of delight in sensuous things,
Turned to more sweetness than can now be dreamed.

यहां पर जो केवल आवेशपूर्ण चिह्न और गुह्य छायाभास लगता है
पर जिसे अन्तर्द्रष्टा ऋषि देख अनुमान कर जान लेता है
क्योंकि वह इन्द्रिय-भोग्य पदार्थों में आत्मानन्द की अनुभूति पाता है,
अभी हम जिस माधुर्य का सपना देखते हैं वहां पर यह और अधिक मीठा है।

The mighty signs of which earth fears the stress,
Trembling because she cannot understand,
And must keep obscure in forms strange and sublime,
Were here the first lexicon of an infinite mind
Translating the language of eternal bliss.

जिन शक्तिशाली संकेतों के कारण यह धरा तनाव से भयभीत है,
क्योंकि इन्हें समझ नहीं पाती अत: कम्पित है,
और इन्हें विचित्र और दिव्याकृतियों में छिपा रखती है,
यहां एक अविनाशी मन का प्रथम शब्दकोष व्याकरण है
जो शाश्वत आत्मरति की भाषा का अनुवाद कर रहा है।

Here rapture was a common incident;
The lovelinesses of whose captured thrill
Our human pleasure is a fallen thread,
Lay, symbol shapes, a careless ornament,
Sewn on the rich brocade of Godhead’s dress.[675]

यहां पर भावसमाधि एक सामान्य घटना है;
जिसकी ग्रहीत हृदय-पुलकन की मधुरिमा के
हमारे पार्थिव सुख एक परित्यक्त धागे के मात्र अवशेष हैं
जिसे प्रतीक आकारों में, लापरवाह सजावट में,
पुरुषोत्तम के परिधान पर वैभवपूर्ण कड़ाई के साथ में सिल दिया गया है।

Things fashioned were the imaged homes where mind
Arrived to fathom a deep physical joy;
The heart was a torch lit from infinity,
The limbs were trembling densities of soul.

यहां वस्तुओं की रचना में उन भुवनों की प्रतिछवि थी
जहां मन एक गहन शारीरिक सुख की थाह लेने आता;
हृदय शाश्वतता से प्रज्वलित एक मशाल था,
अंग सब आत्मा की सघनताओं से बने कम्पित आकार थे।

These were the first domains, the outer courts
Immense but least in range and least in price,
The slightest ecstasies of the undying gods.

ये स्तर प्रथम क्षेत्र थे, बाहरी दालान थे
पहुंच में सबसे छोटे होकर भी विशाल थे और मूल्य में सबसे कम थे,
अमर देवताओं के ये अति लघु रंगरेलियों के क्षेत्र थे।

Higher her swing of vision swept and knew,
Admitted through large sapphire opening gates
Into the wideness of a light beyond,
These were but sumptuous decorated doors
To worlds nobler, more felicitously fair.

सावित्री की अन्तर्दृष्टि विस्तृत हो ऊपर उठी और वह जान गयी
नीलमणि के विशाल उद़्घाटित द्वारों से वह प्रवेश कर
एक परात्पर ज्योति की विस्तृत विशालता में पहुंच गयी,
ये समृद्ध सज्जित द्वार उदात्ततर लोकों की ओर खुलते,
ये लोक अधिक रमणीय और दिव्य थे।

Endless aspired the climbing of those heavens;
Realm upon realm received her soaring view.

उन स्वर्गों पर आरोहण हित अनन्तताएं अभीप्सा करती हैं;
ये स्तर पर स्तर सावित्री की उन्नत होती चितवन का स्वागत करते।

Then on what seemed one crown of the ascent
Where finite and the infinite are one,
Immune she beheld the strong immortals’ seats
Who live for a celestial joy and rule
The middle regions of the unfading Ray.

तब उस आरोहण का जो सर्वश्रेष्ठ सम क्षेत्र दिख रहा था
जहां पर नित्य और अनित्य मिल एक हो जाते हैं,
वहां निरापदता में उसने शक्तिशाली अमरों के आसन देखे
जो अलौकिक परमानन्द हित रमते और शासन चलाते,
ये अमल अक्षय दिव्य किरण के मध्य-स्तरीय क्षेत्र हैं।

Great forms of deities sat in deathless tiers,
Eyes of an unborn gaze towards her leaned
Through a transparency of crystal fire.

देवताओं के महान् आकार वहां अमर पदों पर आसीन थे,
मणिभ ज्वाला की एक पारदर्शिता में
एक अजात चितवन के नेत्र उसकी ओर झुके थे।

In the beauty of bodies wrought from rapture’s lines,
Shapes of entrancing sweetness stilling bliss,
Feet glimmering upon the sun-stone courts of mind,
Heaven’s cup-bearers bore round the Eternal’s wine;
A tangle of bright bodies, of moved souls
Tracing the close and intertwined delight,
The harmonious tread of lives for ever joined
In the passionate oneness of a mystic joy
As if sun-beams made living and divine,
The golden-bosomed Apsara goddesses,
In groves flooded from an argent disk of bliss
That floated through a luminous sapphire dream,
In a cloud of raiment lit with golden limbs
And gleaming footfalls treading faery swards,[676]
Virgin motions of bacchant innocences
Who know their riot for a dance of God,
Whirled linked in moonlit revels of the heart.

प्रहर्ष की रेखाओं से विरचित लावण्यमय शरीरों में,
वे परमानन्द को छलकाते मनमोहक माधुरी के रूप थे,
मनःशक्ति के सूर्य शिलाओं से पटे आंगन के फर्श पर जगमगाते चरणों से,
सुरलोक की साकी देवी शाश्वत की सोमसुरा को ढाल रही थी,
दीप्त देहों का एक गुंफन था, द्रवित आत्माओं का एक मिश्रण था
जो परस्पर उलझे सुख और समीपता को आंक रहा था,
सतत जुड़े जीवनों का सामञ्जस्यपूर्ण विचरण
एक रहस्यमय हर्ष की आवेशपूर्ण एकात्मता में जुड़ा
मानों सूर्य-किरणें जीवन्त और दिव्य बना दी गयी हों,
स्वर्ण वक्षस्थलों से सज्जित दिव्य अप्सराएं,
आनन्द के एक रजत मण्डल से निकले सुख कुंजों में भीड़ लगाये
वे एक दीप्त नीलमणिमय सपने में तैरती-सी आतीं,
सतरंगी मेघ चुनरी में अपने स्वर्णांगों को चमकाती
और जगमगाते पदचापों से परीलोक के वनों में विचरती,
सरल निष्कपट सुरोत्सव की वे अक्षत गतियां थीं
जो अपने रासरंग को एक नटराज के नृत्य सम लेतीं,
प्रणय के उस मदनोत्सव की ज्योत्स्ना में हाथ पकड़ थिरकतीं-घूमतीं।

Impeccable artists of unerring forms,
Magician builders of sound and rhythmic words,
Wind-haired Gandharvas chanted to the ear
The odes that shape the universal thought,
The lines that tear the veil from Deity’s face,
The rhythms that bring the sounds of wisdom’s sea.

निर्दोष आकारों के परिपक्व वन्दनीय शिल्पकार,
नाद और छंदबद्ध शब्दों के चमत्कारी संगीतकार,
पवनकेशी गंधर्वगण श्रवणों में आलाप भरते
उन मन्त्रों का, जिनसे वैश्विक संकल्प का रूपायण हुआ है,
जिन सूत्रों से दिव्यता के मुख पर पड़ा घूंघट छिन्न-भिन्न हो जाता है,
ये काव्य छन्द हैं जो प्रज्ञा के सागर से ध्वनियों को ले आते हैं।

Immortal figures and illumined brows,
Our great forefathers in those splendours moved;
Termless in power and satisfied of light,
They enjoyed the sense of all for which we strive.

इन अमर देवों की आकृतियों में और तेजस्वी मस्तकों में,
हमारे महान् पूर्वज भी इन भव्यताओं में विचरण करते हैं;
अकाल शक्ति और प्रकाश में सन्तुष्ट बने,
वे उस सकल बोध का भाग करते हैं जिसके लिए हम सतत प्रयासरत हैं।

High seers, moved poets saw the eternal thoughts
That, travellers from on high, arrive to us
Deformed by our search, tricked by costuming mind,
Like gods disfigured by the pangs of birth,
Seized the great words which now are frail sounds caught
By difficult rapture on a mortal tongue.

महान् ऋषि, द्रवित कवि सब उन शाश्वत संकल्पों के द्रष्टा हैं
जो बोध, उस उन्नत लोक से यात्री सम चलकर, हम तक पहुंचता है,
पर हमारी खोजबीन द्वारा विकृत हो, दिखावटी सज्जित मन द्वारा छला जाता है,
यह प्रसव वेदना से विकृत हुए देवता सम यहां आ पाता है,
और एक मानवी जिह्वा पर दुष्कर प्रहर्ष द्वारा पकड़ लिया जाता है
किन्तु यहां अब यह महान् शब्द मात्र दुर्बल ध्वनि भर रह जाता है।

The strong who stumble and sin were calm proud gods.

वे बली पुरुष जो यहां लड़खड़ाते और पापी हैं वहां शान्त गर्वीले देवता थे।

There lightning-filled with glory and with flame,
Melting in waves of sympathy and sight,
Smitten like a lyre that throbs to others’ bliss,
Drawn by the cords of ecstasies unknown,
Her human nature faint with heaven’s delight,
She beheld the clasp to earth denied and bore
The imperishable eyes of veilless love.
More climbed above, level to level reached,
Beyond what tongue can utter or mind dream:
Worlds of an infinite reach crowned Nature’s stair.

वहां पर विद्युती-तेज महिमा और ज्वाला से परिपूर्ण है,
जो सहानुभूति और दर्शन की लहरों में पिघल जाता है,
एक वीणा सम आघातित हो अन्यों के सुखानन्द से झंकृत होती है,
अज्ञात भाव-समाधियों के तारों द्वारा आकर्षित है,
सावित्री का मानवीय स्वभाव अब स्वर्गिक हर्ष से मूर्छित था,
उसने उस आलिंगन को जो पृथ्वी हित वर्जित था, अवलोका
और उन अविनाशी नेत्रों के आवरणहीन प्रेम को धारण किया।
वह और ऊपर चढ़ गयी, स्तर पर स्तर पार करती गयी,
ये परमधाम शब्दों से अवर्णनीय या मानसिक अनुमान से परे हैं:
एक अनन्त प्रसारण के ये दिव्य लोक विश्व-प्रकृति गति के शीर्ष हैं।

There was a greater tranquil sweetness there,
A subtler and profounder ether’s field
And mightier scheme than heavenliest sense can give.

वहां एक महत्तर शान्त माधुरी का साम्राज्य है,
एक सूक्ष्मतर एवं गूढ़तर विद्युती-ईथर का व्योमाकाश है,
और सर्वोच्च स्वर्गिक बोध जिसे पा न सका ऐसी महत्तर योजना है।

There breath carried a stream of seeing mind,
Form was a tenuous raiment of the soul:
Colour was a visible tone of ecstasy;[677]
Shapes seen half immaterial by the gaze
And yet voluptuously palpable
Made sensible to touch the indwelling spirit.

वहां पर प्रणव श्वास द्रष्टा मन की धारा को वहन कर बहता,
आकृति हमारी आत्मा द्वारा पहना एक सूक्ष्म परिधान थी:
रंग मानों अन्तर-आह्लाद की एक दृष्टिगोचर आभा थे;
दृष्टि द्वारा देखी आकृतियां अर्ध-भौतिक लगती थीं
और फिर भी विलासी और भोग्य
अन्तर्वासी चैत्यसत्ता को स्पर्श करने हित संवेदनशील थीं।

The high perfected sense illumined lived
A happy vassal of the inner ray,
Each feeling was the Eternal’s mighty child
And every thought was a sweet burning god.

उत्तम परिपूर्ण इन्द्रिय-चेतना प्रबुद्ध थी
यह अन्तर्दीप्त किरण की एक प्रमुदित सेविका बन रहती,
प्रत्येक भावना चिरन्तन प्रभु की समर्थ बालिका
और प्रत्येक विचार एक मधुमय प्रज्वलित देवता।

Air was a luminous feeling, sound a voice,
Sunlight the soul’s vision and moonlight its dream.

वायु एक उज्ज्वल अनुभूति देती, नाद एक वाणी था,
सूर्यप्रकाश आत्मा का दर्शन और ज्योत्स्ना इसका सपना।

On a wide living base of wordless calm
All was a potent and a lucid joy.

निःशब्द शान्ति के एक विशाल जीवन्त आधार पर
समस्त एक समर्थ और चमकती स्वच्छ प्रसन्नता थी।

Into those heights her spirit went floating up
Like an upsoaring bird who mounts unseen
Voicing to the ascent his throbbing heart
Of melody till a pause of closing wings
Comes quivering in his last contented cry
And he is silent with his soul discharged,
Delivered of his heart’s burden of delight.

उन उच्चताओं पर उसकी आत्मा बहती-सी ऊपर उठी,
ऊंचाइयों पर उड़ते एक विहंग समान जो अदृश्य ऊपर उड़ते हुए
उस आरोहण पर अपने स्पन्दित हृदय-संगीत को तब तक गाता जाता
जब तक बन्द होते पंखों का विराम आ,
उसकी अन्तिम तृप्त धुन में स्पन्दित नहीं हो जाता,
और अपनी आत्मा की मुक्ति के साथ वह मौन हो जाता,
और निज हृदय आनन्द के भार से वह भी मुक्ति पा जाता है।

Experience mounted on joy’s coloured breast
To inaccessible spheres in spiral flight.
There Time dwelt with Eternity as one;
Immense felicity joined rapt repose.

वहां अनुभव हर्ष के रंगीन वक्ष पर सवार हो
घुमावदार उड़ान से परात्पर क्षेत्रों में पहुंच जाता है
जहां पर त्रिकाल शाश्वतता से एक हो रहता है;
असीम आत्मानन्द भावविभोर प्रशान्ति से जुड़ा है।

 

As one drowned in a sea of splendour and bliss
Mute in the maze of these surprising worlds
Turning she saw their living knot and source,
Key to their charm and fount of their delight,
And knew him for the same who snares our lives
Captured in his terrifying pitiless net,
And makes the universe his prison camp
And makes in his immense and vacant vasts
The labour of the stars a circuit vain
And death the end of every human road
And grief and pain the wages of man’s toil.

ज्यों कोई श्री और आत्मरति के एक सागर में आ डूबे,
इन अद्भुत चमत्कारी लोकों की भूलभुलैया में अवाक्-सा घूमे,
सावित्री ने मुड़कर इन लोकों की संजीवित ग्रन्थि औ’ स्रोत को देखा,
जो उनकी मोहिनी की कुंजी और उनके आनन्द का उद़्गम था,
और वह पहचान गयी कि यही हमारे जीवनों को बांधता कालपाश है
जो हमें अपने भयानक निर्दय जाल में पकड़ बन्दी बना लेता है,
और इसने विश्व को अपना बन्दी-शिविर बना लिया है
और अपने विशाल और रिक्त विस्तारों में
इन तारों की परिधि-परिक्रमा के श्रम को निष्फल बना देता है
और मृत्यु से प्रत्येक प्राणी की जीवनयात्रा का अन्त कर देता है।
और मानव के श्रम का वेतन क्लेश और पीड़ा से चुकाता है।

One whom her soul had faced as Death and Night
A sum of all sweetness gathered into his limbs[678]
And blinded her heart to the beauty of the suns.

यह वही था जिसे उसकी आत्मा ने यम और अज्ञरात्रि सम सामना किया था
किन्तु अब उसी के अंगों में बसे सकल माधुरी के योग ने
सावित्री के हृदय को सूर्यों के सौन्दर्य के प्रति अंधा बना दिया।

Transfigured was the formidable shape.

अब वह भीषण घोर आकार पूर्णतः रूपान्तरित था।

His darkness and his sad destroying might
Abolishing for ever and disclosing
The mystery of his high and violent deeds,
A secret splendour rose revealed to sight
Where once the vast embodied Void had stood.

उसका अन्धकार और उसका विनाशकारी बल
सदा के लिए उन्मूलित हो गया और निज सत्य-रूप व्यक्त कर
उसने अपने महान् और घोर कर्मों का रहस्य खोल दिया,
एक गुह्य भव्याकार सावित्री की दृष्टि के सामने प्रकट हो उठा
वहां जहां पर वह विशाल भयदायी शून्याकार खड़ा था।

Night the dim mask had grown a wonderful face.

रात्रि के धूमिल मुखौटे पर अब एक अद्भुत मुख उदीयमान था।

The vague infinity was slain whose gloom
Had outlined from the terrible Unknown
The obscure disastrous figure of a god,
Fled was the error that arms the hands of grief,
And lighted the ignorant gulf whose hollow deeps
Had given to nothingness a dreadful voice.

उस धूमिल शाश्वतता का वध हो गया था, जिसके
काले विषाद ने उस भीषण अज्ञात से निकले
एक विनाशकारी धुंधले देव का आकार धरा था,
भ्रम और दोष जो दुःख के हाथों के शस्त्र हैं, पलायन कर गये,
और उन अज्ञ खाड़ियों को प्रकाशमय कर दिया जिनकी
खोखली गहनताओं ने उस असत्-शून्य को घोर वाचा प्रदान की थी।

As when before the eye that wakes in sleep
Is opened the sombre binding of a book,
Illumined letterings are seen which kept
A golden blaze of thought inscribed within,
A marvellous form responded to her gaze
Whose sweetness justified life’s blindest pain;
All Nature’s struggle was its easy price,
The universe and its agony seemed worth-while.

ज्यों नींद से तुरन्त जागे नेत्रों के सामने
काले आवरण में ढकी एक पुस्तक सहसा खोल दी जाये,
इसके दीप्तिमय अक्षरों में छिपी दिखायी दे
संकल्प की एक स्वर्ण ज्वाला जो अन्तर पर उकेरी है,
वैसे ही एक चमत्कारी आकार ने उसकी दृष्टि का उत्तर दिया
जिसकी रूप माधुरी ने जीवन की अन्धतम पीड़ा को न्यायोचित सिद्ध कर दिया;
सकल विश्व-प्रकृति का संघर्ष भी इसके लिए छोटा हो गया था,
यह सृष्टि और इसकी व्यथा अब जैसे सार्थक हो उठी।

As if the choric calyx of a flower
Aerial, visible on music’s waves,
A lotus of light-petalled ecstasy
Took shape out of the tremulous heart of things.

मानों एक आकाश-कुसुम का कोश पंखुरियों को सम्भाले
संगीत की लहरों पर लहराता दिखायी दिया हो,
प्रेम विभोर प्रकाश-पंखुरियों वाले एक कमल-पुष्प ने
पदार्थों के भीरु, कातर अन्तर से बाहर आ रूप धर लिया हो।

There was no more the torment under the stars,
The evil sheltered behind Nature’s mask;
There was no more the dark pretence of hate,
The cruel rictus on Love’s altered face.

अब नभ के तले कोई त्रास शेष नहीं रहा,
अपरा-प्रकृति के मुखौटे के पीछे अब अशुभ नहीं छिपा था;
घृणा का एक भी मलिन पापी प्रदर्शन यहां नहीं रहा,
परम प्रेम के इस परिवर्तित मुख पर क्रूर व्यंग्य का विकार नहीं था।

Hate was the grip of a dreadful amour’s strife;
A ruthless love intent only to possess
Has here replaced the sweet original god;
Forgetting the Will-to-love that gave it birth,
The passion to lock itself in and to unite,
It would swallow all into one lonely self,[679]
Devouring the soul that it had made its own,
By suffering and annihilation’s pain
Punishing the unwillingness to be one,
Angry with the refusals of the world,
Passionate to take but knowing not how to give.

घृणा एक घोर आततायी प्रेमी के संघर्ष की जकड़न थी;
एक निष्ठुर प्रेमी जो केवल अधिकृत करना चाहता है
उसने यहां भौतिकता में मधुर आदि देव का स्थान ले लिया।
वह प्रेम के उस दिव्य संकल्प को भूल गया जिसने उसे जन्म दिया,
स्वयं को कैद करने और एकत्व में बंधने के आवेश में,
यह अपने एकाकी व्यक्तित्व में सबको निगल लेना चाहता,
उस आत्मा को जिसे इसने अपना बनाया है उसका भक्षण कर
दुःख भोगकर और विनाश करने की पीड़ा देकर
वह अपने से एक होने के अनिच्छुकों को दण्ड देता,
इस संसार की अस्वीकृतियों पर क्रोधित,
वह लेने को आतुर है किन्तु देना नहीं जानता।

Death’s sombre cowl was cast from Nature’s brow;
There lightened on her the godhead’s lurking love.

मृत्यु का काला घूंघट अब भौतिक प्रकृति के माथे से हट गया था;
वहां अब उस, देव-पुरुष की छिपी हंसी से यह हर्षित थी।

All grace and glory and all divinity
Were here collected in a single form;
All worshipped eyes looked through his from one face;
He bore all godheads in his grandiose limbs.

सकल सौम्यता और महिमा और सम्पूर्ण दिव्यता
एक अकेली आकृति में यहां आज एकत्रित थी;
सृष्टि की आराधती दृष्टि सावित्री के नेत्रों से उसे देख रही थी;
अपने श्री-पूरित अंगों में वह सकल दिव्य-रूपों को धारण किये था।

An oceanic spirit dwelt within;
Intolerant and invincible in joy
A flood of freedom and transcendent bliss
Into immortal lines of beauty rose.

एक सागर सम विशाल चेतना का उसके अन्तर में वास था;
प्रहर्ष में वह अधीर और अजेय था
मुक्ति और परात्पर आत्मरति का एक सैलाब बना,
सौन्दर्य की अमर रेखाओं में रूपायित वह खड़ा था।

In him the fourfold Being bore its crown
That wears the mystery of a nameless Name,
The universe writing its tremendous sense
In the inexhaustible meaning of a word.

चतुर्भुजी पुरुषोत्तम ने इसे अपने किरीट सम पहन रखा था
जो एक अनामी परम-नाम का रहस्य धारण करता है,
इसके अमर अक्षय ओंकार शब्द के अविनाशी अर्थ में
सृष्टि ने अपना विशाल सार्थक बोध लिखा है।

In him the architect of the visible world,
At once the art and artist of his works,
Spirit and seer and thinker of things seen,
Virât, who lights his camp-fires in the suns
And the star-entangled ether is his hold,
Expressed himself with Matter for his speech:
Objects are his letters, forces are his words,
Events are the crowded history of his life,
And sea and land are the pages of his tale,
Matter is his means and his spiritual sign;
He hangs the thought upon a lash’s lift,
In the current of the blood makes flow the soul.

उस देवाकृति में इस दृश्य जगत् का स्रष्टा आसीन है,
वह निज कृतियों की कला एवं कलाकार दोनों है
आत्म चित्सत्ता औ’ द्रष्टा और दृश्य पदार्थों का मनीषी ऋषि है,
सूर्यों में अपने शिविर की देवाग्नि जलाता विराट् पुरुष है
और तारों को आपस में उलझाये इस विद्युतीय आकाश पर उसका नियन्त्रण है,
वह स्वयं को जड़तत्त्व की वाचा द्वारा अभिव्यक्त करता है:
सकल कर्म-पदार्थ उसके अक्षर हैं, ऊर्जाएं उसके शब्द हैं,
उसके जीवन का इतिहास विश्व-घटनाओं से भरा हुआ है,
और सागर और भूमि उसकी गाथा के पृष्ठ हैं,
जड़तत्त्व उसका साधन और उसकी आत्मा का चिह्न है;
उसकी पलक मात्र उठने पर संकल्प व्यर्थ हो जाता है,
देह के रक्त-प्रवाह में वह आत्म-चेतना बहा देता है।

His is the dumb will of atom and of clod;
A Will that without sense or motive acts,
An Intelligence needing not to think or plan,
The world creates itself invincibly;
For its body is the body of the Lord[680]
And in its heart stands Virât, King of kings.

इस माटी के ढेले और अणु में छिपा मूक संकल्प उसी का है;
एक दैवी संकल्प जो बिना बोध या उद्देश्य के कार्यरत है,
एक परा-प्रज्ञा जिसे सोचने या योजना बनाने की आवश्यकता नहीं है,
यह जगत् स्वयं को अजेय भाव से रचता है;
क्योंकि इसकी यह काया प्रभु की देह है
और इसके हृदय में राज-राजेश्वर विराट् विराजता है।

In him shadows his form the Golden Child
Who in the Sun-capped Vast cradles his birth:
Hiranyagarbha, author of thoughts and dream,
Who sees the invisible and hears the sounds
That never visited a mortal ear,
Discoverer of unthought realities,
Truer to Truth than all we have ever known,
He is the leader on the inner roads;
A seer, he has entered the forbidden realms;
A magician with the omnipotent wand of thought,
He builds the secret uncreated worlds.

बाल-हिरण्यदेव का आकार उसकी छाया में आभासित है
वह परम सूर्य के दिव्य विस्तार में दिव्य शिशु के जन्म का पोषण-कर्ता:
वह हिरण्यगर्भ है, विचारों और सपनों का रचनाकार है,
अगोचर को देखता है और उन नादों को सुनता है
जो मर्त्य श्रवणों ने कभी नहीं सुने हैं,
अचिन्त्य सत्य-यथार्थों का अन्वेषक है
हमारे ज्ञात परम-सत्य से कही बृहत्तर सत्य है,
वह हमारे अन्तर्मार्गों का गुरु-नेता है;
एक द्रष्टा है जो निषेधित साम्राज्य में आ गया है;
संकल्प का सर्वशक्तिशाली दण्ड धारण किये एक जादूगर है,
वह गुह्य रहस्यमय अर्चित लोकों का निर्माता है।

Armed with the golden speech, the diamond eye,
His is the vision and the prophecy:
Imagist casting the formless into shape,
Traveller and hewer of the unseen paths,
He is the carrier of the hidden fire,
He is the voice of the Ineffable,
He is the invisible hunter of the light,
The Angel of mysterious ecstasies,
The conqueror of the kingdoms of the soul.

वह स्वर्णिम वाचा से और हीरे सम ज्योतित नेत्रों से सुसज्जित है,
उसका दर्शन दिव्य है और सत्य भविष्यवाणी हैः
छविकार वह निराकार को साकार रूप में गढ़ता है,
अगोचर मार्गों का निर्माता और पथिक है,
गुह्य देवाग्नि का वह वहनकर्ता धावक है,
अनिर्वचनीय ब्रह्म की देव-वाचा है,
परम ज्योति का अगोचर आखेटक है,
रहस्यमय भाव-समाधियों का देवदूत है,
इस चैत्य-सत्ता के साम्राज्यों का विजेता है।

A third spirit stood behind, their hidden cause,
A mass of superconscience closed in light,
Creator of things in his all-knowing sleep.

एक तीसरी जीवात्मा जो उनका गुह्य कारण थी, पीछे खड़ी थी,
यह परा-चेतना प्रकाश के एक पुंज से घिरी,
अपनी सर्वज्ञानी सुषुप्ति में वह वस्तुओं की स्रष्टा थी।

All from his stillness came as grows a tree;
He is our seed and core, our head and base.

यह अखिल उसकी स्थिर नीरवता से एक वृक्ष सम वर्धित हुआ है;
वही हमारा बीज और सारतत्त्व है, हमारा शीर्ष और आधारभूत है।

All light is but a flash from his closed eyes:
An all-wise Truth is mystic in his heart,
The omniscient Ray is shut behind his lids:
He is the Wisdom that comes not by thought,
His wordless silence brings the immortal word.

हमारा समस्त प्रकाश उसके बन्द नेत्रों से कौंधती एक ज्योति है:
एक सर्वज्ञ परम-सत्य उसके हृदय में गुह्य गोपित है,
एक सर्वव्यापी दिव्य रश्मि उसकी पलकों की ओट में छिपी है:
वह सत्य प्रज्ञा है जो विचार द्वारा धरी नहीं जा सकती है,
उसकी शब्दहीन नीरवता उस अमर देववाक् को ले आती है।

He sleeps in the atom and the burning star,
He sleeps in man and god and beast and stone:
Because he is there the Inconscient does its work,
Because he is there the world forgets to die,
He is the centre of the circle of God,[681]
He is the circumference of Nature’s run.

वह परमाणु में और प्रज्वलित तारे में सोया है,
वह मानव और देवता एवं पशु औ’ पाषाण में सोया है:
क्योंकि वह यहां उपस्थित है जड़-अचित् चेतना निज कार्य में रत है
क्योंकि वह यहां है यह लोक मरना भूल जाता है,
वह परमेश्वर के युग-चक्र का केन्द्र है,
वह प्रकृति देवी की गति-चक्र की परिधि है।

His slumber is an Almightiness in things,
Awake, he is the Eternal and Supreme.

उसकी निद्रा पदार्थों में एक परमशक्ति है,
जाग्रत् अवस्था में वह चिरन्तन और परमेश्वर है।

Above was the brooding bliss of the Infinite,
Its omniscient and omnipotent repose,
Its immobile silence absolute and alone.

ऊर्ध्व में चिरन्तन का ध्यानमग्न आत्मसुख,
इसका सर्वसमर्थ और सर्वज्ञ शान्त विश्राम,
इसका स्थिर अचल मौन परिपूर्ण और कैवल्य है।

All powers were woven in countless concords here.

सकल शक्तियां यहां असंख्य सुसंगतियों में बुनी हुई थीं।

The bliss that made the world in his body lived.
Love and delight were the head of the sweet form,
In the alluring meshes of their snare
Recaptured, the proud blissful members held
All joys outrunners of the panting heart
And fugitive from life’s outstripped desire.

सृष्टि का सर्जनहार परमानन्द उसकी देह में रहता,
सौम्य स्वरूप का मस्तक प्रेम और हर्ष से रचित था
जिसने मोहक पाश के अपने जाल में पुन: धर लिया
गर्वीले सुखदायी अंगों में पकड़ बन्द कर लिया
हमारे हांफते थकित हृदय से भागते सुखों को
और जीवन से पलायन करती नग्न कामना को।

Whatever vision has escaped the eye,
Whatever happiness comes in dream and trance,
The nectar spilled by love with trembling hands,
The joy the cup of Nature cannot hold,
Had crowded to the beauty of his face,
Were waiting in the honey of his laugh.

नेत्र से बचकर जो भी देवदर्शन निकल पाता,
जो भी प्रसन्नता सपने और समाधि में प्राप्त होती,
यह प्रेम में पगे कांपते करों से अमृत रस बिखेर जाती,
उस हर्ष के प्याले को विश्व-प्रकृति संभाल नहीं पाती,
ये सब आकर उसकी मुखश्री की शोभा में एकत्र हो गये थे
और अब उसके हास्य-अमृत में कैद प्रतीक्षा में खड़े थे।

Things hidden by the silence of the hours,
The ideas that find no voice on living lips,
The soul’s pregnant meeting with infinity
Had come to birth in him and taken fire:
The secret whisper of the flower and star
Revealed its meaning in his fathomless look.

उन घड़ियों की नीरवता में छिपी सब वस्तुएं,
जीवित अधरों से जो वाचा में परिवर्तित न हो पायीं ऐसी धारणाएं,
चिरन्तन के साथ जीवसत्ता का सारगर्भित मिलन
यह उस देवता में जन्म धारण कर तेजोमय हो गया:
पुष्प और तारे की एक रहस्यमयी गुपचुप फुसफुसाहट ने
अपना अर्थ उस देव की अगाध दृष्टि में खोल दिया।

His lips curved eloquent like a rose of dawn;
His smile that played with the wonder of the mind
And stayed in the heart when it had left his mouth
Glimmered with the radiance of the morning star
Gemming the wide discovery of heaven.

उषा के एक गुलाब सम उसके वाक्पटु अक्षर वक्रता लिये थे;
उसकी स्मित मन के साथ अद्भुत ढंग से खेलती
और जब उसके अधरों से विलगाती तो हृदय में आ बसती
भोर के तारे की दीप्ति से ऐसे जगमगाती
जैसे स्वर्ग के खोजी मार्ग को रत्नों से सजा रही थी।

His gaze was the regard of eternity;
The spirit of its sweet and calm intent
Was a wise home of gladness and divulged
The light of the ages in the mirth of the hours,
A sun of wisdom in a miracled grove.

उसकी चितवन शाश्वत की दृष्टि थी;
इसके मधुमय और शान्त उद्देश्य की यह आत्मा थी,
प्रसाद का एक विज्ञ-भवन थी
और जिसने घड़ियों के आमोद में युगों का प्रकाश प्रकटा दिया,
एक चमत्कारी कुंज-वन में एक प्रज्ञा का सूर्य था।

In the orchestral largeness of his mind[682]
All contrary seekings their close kinship knew,
Rich-hearted, wonderful to each other met
In the mutual marvelling of their myriad notes
And dwelt like brothers of one family
Who had found their common and mysterious home.

उस देव के मन की संगीतमयी विस्तृतता में
सब विरोधी संधान अपने अटूट सम्बन्धों को जानते थे,
उदार मना, वे आश्चर्य से भर एक दूसरे से भेंटते
अपने स्वरों की विभिन्नता पर आपस में विस्मय करते
और एक परिवार के सहोदरों सम रहते जैसे
उन्होंने अपना सर्वजनीय और रहस्यमय घर खोज लिया हो।

As from the harp of some ecstatic god
There springs a harmony of lyric bliss
Striving to leave no heavenly joy unsung,
Such was the life in that embodied Light.

मानों किसी प्रेम पगे देवता की वीणा से
वहां संगीत की एक तालबद्ध आनन्द-धारा बहती हो
जो स्वर्गिक सुख की प्रत्येक तरंग को गान में जुटी हो,
उस साकारी परा-ज्योति का ऐसा ही जीवन था।

He seemed the wideness of a boundless sky,
He seemed the passion of a sorrowless earth,
He seemed the burning of a world-wide sun.

वह देवता स्वयं एक अनन्त व्योम का विस्तार सम लग रहा था,
एक शोक-विहीन धरा के आवेश सम दिख रहा था,
वह विश्व-सम विस्तृत सूर्य की ज्वाला जैसा दिख रहा था।

Two looked upon each other, Soul saw Soul.

अब दोनों ने एक-दूसरे को निहारा, जीवात्मा ने परमात्मा को देखा।

 

Then like an anthem from the heart’s lucent cave
A voice soared up whose magic sound could turn
The poignant weeping of the earth to sobs
Of rapture and her cry to spirit song:
“O human image of the deathless word,
How hast thou seen beyond the topaz walls
The gleaming sisters of the divine gate,
Summoned the genii of their wakeful sleep,
And under revelation’s arches forced
The carved thought-shrouded doors to swing apart,
Unlocked the avenues of spiritual sight
And taught((( Alternative: Alternative: “Vistaed”))) the entries of a heavenlier state
To thy rapt soul that bore the golden key?

तभी एक वंदना सम वाणी हृदय की रुपहली गुहा से
ऊर्ध्व की ओर उठने लगी, जिसकी चमत्कारी ध्वनि धरा के
हृदय-विदारक रुदन को भाव-समाधि की सिसकी में,
और उसके चीत्कार को आत्म संगीत में बदल सकती थी।
‘‘अमरनाद की हे मानवी प्रतिमा,
तूने क्यों इन पुखराजी प्राचीरों के परे देखा
ये तो भागवत द्वार की जगमगाती सहोदरा हैं,
जिन्हें निद्रा से सचेत कर तूने बन्द घोर शक्ति को आमन्त्रण दिया है,
और आत्मदर्शन के तोरणों के तले उत्कीर्ण विचारों से ढके
स्वर्ग के द्वारों को बलात् खोल कर,
आत्मिक दृश्य की वीथियों के बन्द ताले खोल दिये हैं
और अपनी तन्मय आत्मा को जो इस स्वर्णकुंजी की धारक है
उसे एक स्वर्गतर स्तर में प्रवेश करना क्यों सिखा दिया है?

In thee the secret sight man’s blindness missed
Has opened its view past Time, my chariot course,
And death, my tunnel which I drive through life
To reach my unseen distances of bliss.

वह गुह्य दर्शन जो मानव की अन्धता के कारण विस्मृत हो गया है
तुझमें वह कालातीत दृश्य खुल गया है, यही मेरे रथ का मार्ग है,
और मृत्यु, मेरी सुरंग है जिसमें से गुजर जीवन पथ पर संचालित हो
मैं अपने परमानन्द की अगोचर दूरियों तक पहुंचता हूं।

I am the hushed search of the jealous gods
Pursuing my wisdom’s vast mysterious word
Seized in the thousand meeting ways of heaven.

मैं इन ईर्ष्यालु देवताओं की मूक तलाश हूं
ये मेरी प्रज्ञा के विशाल गुह्य कर्म के पीछे लगे रहते हैं
पर स्वर्ग की सहस्त्रों मिलन-राहों पर वे इससे अधिगत होते हैं।

I am the beauty of the unveiled Ray[683]
Drawing through the deep roads of the infinite night
The unconquerable pilgrim soul of earth
Beneath the flaring torches of the stars.

मैं आवरणहीन दिव्य रश्मि का वह सौन्दर्य हूं
जो इन तारों की प्रज्वलित मशालों तले
धरती की अजेय तीर्थयात्री चैत्यात्मा को
अनन्त रात्रि के गहन पथों पर आकर्षित करता है।

I am the inviolable Ecstasy;
They who have looked on me, shall grieve no more.

मैं अनाहत प्रेम-समाधि का प्रहर्ष हूं:
जो मेरी ओर देखते हैं, वे कभी दुःख नहीं भोगेंगे।

The eyes that live in night shall see my form.

तमस्-रात्रि में बसे नेत्र भी मेरा दर्शन पायेंगे।

On the pale shores of conscious foaming straits
That flow beneath a grey tormented sky
Two powers from one original ecstasy born
Pace near, but parted in the life of man;
One leans to earth, the other yearns to the skies:
Heaven in its rapture dreams of perfect earth,
Earth in its sorrow dreams of perfect heaven.

एक धूसर व्यथित नभ तले प्रवाहित
फेनिल जलडमरुओं के पीत तटों पर स्थित
दो शक्तियां एक ही आदि परमानन्द से जन्मी
अति समीप हैं किन्तु मानव-जीवन में वे विलग हो गयी हैं,
एक धरा की ओर झुकी है, दूसरी स्वर्गों हित लालायित है:
स्वर्ग अपने आत्मोल्लास में परिपूर्ण धरती का स्वप्न देखता है,
धरा निज शोकाकुल सपनों में परिपूर्ण स्वर्ग की लालसा करती है।

The two longing to join, yet walk apart,
Idly divided by their vain conceits;
They are kept from their oneness by enchanted fears;
Sundered mysteriously by miles of thought,
They gaze across the silent gulfs of sleep.

दोनों मिलन हित लालायित हो पृथक् विचरण करते हैं,
निज गर्वीले अभिमान में भरे व्यर्थ विभाजित रहते हैं,
अपने मायावी आतंक से ग्रसित वे एकत्व से दूर हो गये हैं;
कोसों लम्बे विचार में फंस निगूढ़ता से पृथक् हो गये हैं,
निद्रा की मूक खाड़ी के दो तटों से वे एक-दूसरे को ताकते हैं।

Or side by side reclined upon my vasts
Like bride and bridegroom magically divorced
They wake to yearn, but never can they clasp
While thinly flickering hesitates uncrossed
Between the lovers on their nuptial couch
The shadowy eidolon of a sword.

या मेरे विस्तारों पर वर-वधू समान साथ-साथ लेटे हैं
पर माया के चमत्कार से विच्छेदित हैं,
वे सचेत होने को लालायित हैं, किन्तु आलिंगनबद्ध नहीं हो सकते
जब तक उनकी सुहाग शय्या पर उन प्रेमियों के मध्य में
एक पतली झपझपाती तलवार की छाया चमकती है
जिसे वे पार करने से झिझकते डरते हैं।

But when the phantom flame-edge fails undone,
Then never more can space or time divide
The lover from the loved; Space shall draw back
Her great translucent curtain, Time shall be
The quivering of the spirit’s endless bliss.

किन्तु जब इस तीखी-धार का भूत असफल हो मिट जायेगा,
तब फिर कभी यह काल औ’ आकाश अलग नहीं कर पायेगा
इस प्रेमी और प्रेमिका को; यह अन्तराकाश पीछे हटा लेगा
अपने इस महान् पारभासी पट को,
त्रिकाल तब आत्मा के अनन्त परमानन्द से स्पन्दित हो उठेगा।

Attend that moment of celestial fate.

दिव्य सौभाग्य के उस मुहूर्त में तू भी आमन्त्रित है।

Meanwhile you two shall serve the dual law
Which only now the scouts of vision glimpse
Who pressing through the forest of their thoughts
Have found the narrow bridges of the gods.

तब तक तुम दोनों उस द्विविधा के विधान का पालन करोगे
जिसकी अब तक केवल दिव्य द्रष्टा अग्रचरों ने ही झलक पायी है
उन्होंने अपने संकल्पों के जंगल के मध्य आगे बढ़
देवताओं के संकीर्ण सूक्ष्म सेतुओं को खोज लिया है।

Wait patient of the brittle bars of form
Making division your delightful means[684]
Of happy oneness rapturously enhanced
By attraction in the throbbing air between.

आकार की इन झणभंगुर शलाकाओं पर तू धैर्य से प्रतीक्षा कर
इस पृथकता को अपना आनन्द का साधन बना ले
एक प्रसन्न एकत्व का, जो तुम दोनों के मध्य आकर्षण द्वारा
इस स्पन्दित दूरी के प्रेमाह्लाद को और बढ़ा देगा।

Yet if thou wouldst abandon the vexed world,
Careless of the dark moan of things below,
Tread down the isthmus, overleap the flood,
Cancel thy contract with the labouring Force,
Renounce the tie that joins thee to earth-kind,
Cast off thy sympathy with mortal hearts.

फिर भी यदि तू इस शोकाकुल संसार को त्यागना चाहती है,
धरातल पर बसे प्राणियों की उदास दुःखी कराह की तुझे चिंता नहीं है
तो इस संगम क्षेत्र को पददलित कर, इस प्लावन के पार आ जा,
इस कठिन श्रमरत महाशक्ति के साथ निज संधिपत्र रद्द कर दे;
धराजाति से जोड़ती निज ग्रन्थि को काट दे,
इन नश्वर हृदयों से अपनी सहानुभूति मिटा दे।

Arise, vindicate thy spirit’s conquered right:
Relinquishing thy charge of transient breath,
Under the cold gaze of the indifferent stars
Leaving thy borrowed body on the sod,
Ascend, O soul, into thy blissful home.

उठ, अपनी आत्मा के विजित अधिकार का प्रमाण दे:
नश्वर श्वास की अपनी इस बोझिल काया को त्याग दे,
इन उदासीन तारों की भावहीन ठंडी दृष्टि के तले
उस तृण की भूमि पर निज उधार ली देह त्याग दे,
हे आत्मा, अपने आत्मानन्द के पावन धाम पर आरोहण कर।

Here in the playground of the eternal Child
Or in domains the wise Immortals tread
Roam with thy comrade splendour under skies
Spiritual lit by an unsetting sun,
As godheads live who care not for the world
And share not in the toil of Nature’s powers:
Absorbed in their self-ecstasy they dwell.

यहां शाश्वत बाल प्रभु की लीला-भूमि में
या विज्ञ अमरात्माओं के विचरण धाम में
अपने सहचर के साथ इन स्वर्ग गगनों की शोभा में विहार कर
ये आत्मा के ज्योतित धाम हैं जहां सूर्य अस्त नहीं होता है,
देवताओं सम विहार कर जिन्हें इस संसार की चिन्ता नहीं है
और विश्व जड़-प्रकृति की शक्तियों के श्रम में भागीदार नहीं हैं:
अपनी आत्मरति में निमग्न वे रमण करते हैं।

Cast off the ambiguous myth of earth’s desire,
O immortal, to felicity arise.”

पार्थिव कामना की द्वयर्थक धूमिल गाथा से परे हटकर,
हे अमरात्मा, इस परमानन्द में आरोहण कर।’’

 

On Savitri listening in her tranquil heart
To the harmony of the ensnaring voice
A joy exceeding earth’s and heaven’s poured down,
The bliss of an unknown eternity,
A rapture from some waiting Infinite.

निज शान्त अन्तर में जब सावित्री ने
इस वशीकरणी वाणी का संगीत सुना
तब भू-द्युलोक से अधिक महत्तर एक आनन्द उस पर बरसने लगा,
यह परम-सुख एक अज्ञ चिरन्तनता से आया था,
किसी प्रतीक्षारत चिर-नित्यता से अवतरित एक प्रहर्ष था।

A smile came rippling out in her wide eyes,
Its confident felicity’s messenger
As if the first beam of the morning sun
Rippled along two wakened lotus-pools:
“O besetter of man’s soul with life and death
And the world’s pleasure and pain and Day and Night,
Tempting his heart with the far lure of heaven,
Testing his strength with the close touch of hell,[685]
I climb not to thy everlasting Day,
Even as I have shunned thy eternal Night.

सावित्री के विशाल नेत्रों में एक स्मित लहरा उठी,
यह उसके आत्मविश्वासी अन्तर सुख की देवदूती
मानों प्रभात के सूर्य की प्रथम रश्मि हो
जो दो जाग्रत् कमल-सरोवरों पर अठखेली करती हो।
‘‘मानव आत्मा को जीवन-मरण से बांधते, हे विधाता,
इस संसार के सुख-दुःख औ’ दिवा-रात्रि के निर्माता,
मानव हृदय को सुदूर स्वर्ग का आकर्षण दे ललचाते हो,
और नारकीय यन्त्रणाओं से उसकी शक्ति की परीक्षा लेते हो,
मैं तेरे चिरदिवस पर आरोहण अस्वीकारती हूं,
वैसे ही जैसे मैंने तेरी चिर कालरात्रि को नहीं स्वीकारा था।

To me who turn not from thy terrestrial Way,
Give back the other self my nature asks,
Thy spaces need him not to help their joy;
Earth needs his beautiful spirit made by thee
To fling delight down like a net of gold.

मैं तेरे पार्थिव जीवन से मुंह मोड़ कर नहीं आऊंगी
पर तू मेरी प्रकृति का पूरक मेरा आत्मपुरुष लौटा दे।
तेरे अन्तरिक्षों को अपने हर्षवर्धन हित उसकी सहायता नहीं चाहिये;
पर तेरे द्वारा रचित उसकी सौम्य आत्मसत्ता की धरती को आवश्यकता है
जिससे वह भू पर हर्ष को स्वर्ण-जाल सम फैला सके।

Earth is the chosen place of mightiest souls;
Earth is the heroic spirit’s battlefield,
The forge where the Arch-mason shapes his works.

यह धरा सर्वशक्तिशाली आत्मपुरुषों का मनोनीत क्षेत्र है;
वीर तेजस्वी चैत्यात्माओं की यह धरा संग्रामभूमि है,
यह भट्टी है जहां विश्वकर्मा निज कृतियां रूपायित करता है।

Thy servitudes on earth are greater, king,
Than all the glorious liberties of heaven.
The heavens were once to me my natural home,
I too have wandered in star-jewelled groves,
Paced sun-gold pastures and moon-silver swards
And heard the harping laughter of their streams
And lingered under branches dropping myrrh;
I too have revelled in the fields of light
Touched by the ethereal raiment of the winds,
Thy wonder-rounds of music I have trod,
Lived in the rhyme of bright unlabouring thoughts,
I have beat swift harmonies of rapture vast,
Danced in spontaneous measures of the soul
The great and easy dances of the gods.

हे राजराजेश्वर, पृथ्वी पर तेरी सेवाएं
इस स्वर्ग की भव्य मुक्तियों की अपेक्षा अधिक महत्तर हैं
कभी ये देवलोक मेरे नैसर्गिक धाम थे,
मैं इन तारों जड़ित नन्दनवनों में विचरण करती थी,
धूप की स्वर्ण-चरागाहों और रजत ज्योत्स्ना के वनों में विहार करती
और उनकी धाराओं में गुंजित हास्य को सुनती
और गंध रस टपकाती शाखाओं तले विराम लेती;
पवन के वायवीय सूक्ष्म वस्त्रों का स्पर्श पाकर
मैं दिव्य प्रकाश के स्थलों में रंगरेलियां करती,
संगीत की तेरी चमत्कारी परिक्रमाओं में भी घूमी हूं,
उज्ज्वल श्रमहीन विचारधारा की सुरलहरी में भी रही हूं,
विशाल प्रेम-समाधि की त्वरित सुसंगतियों पर ताल दी है,
मैं आत्मा के सहज तालों पर भी नाची हूं
ये महान् और सहज नृत्य सब देवताओं के हैं।

Oh, fragrant are the lanes thy children walk
And lovely is the memory of their feet
Amid the wonder-flowers of Paradise:
A heavier tread is mine, a mightier touch.

हां, कितनी सुगन्धित हैं वे वीथियां जहां तेरे देव-बालक-वृन्द चलते हैं
और सुरलोक के अद्भुत पुष्पों के मध्य दौड़ते
उनके चपल-चरणों की स्मृति कितनी मनभावन है:
किन्तु मेरी चाल अब बोझिल है, स्पर्श अधिक शक्तिशाली है।

There where the gods and demons battle in night
Or wrestle on the borders of the Sun,
Taught by the sweetness and the pain of life
To bear the uneven strenuous beat that throbs
Against the edge of some divinest hope,
To dare the impossible with these pangs of search,
In me the spirit of immortal love
Stretches its arms out to embrace mankind.[686]

वहां जहां देव और असुर रात्रि में संग्रामरत रहते हैं
या सूर्यदेव की सीमाओं पर मल्लयुद्ध करते हैं,
वे भी जीवन की माधुरी और पीड़ा द्वारा प्रशिक्षण पाते हैं
इस ऊंची नीची कठिन उद्यमी धड़कन को सह पाने की
जो किसी दिव्यतम आशा की धार के सहारे स्पन्दित है,
संधान की इन पीड़ाओं के साथ असम्भव को चुनौती देती,
मेरे अन्तर में अमर प्रेम की आत्मा भुजा फैलाये
सकल मानवजाति का आलिंगन करने खड़ी है।

Too far thy heavens for me from suffering men.

इन दु:ख भोगते मनुष्यों से है प्रभु, मेरे लिए तेरे स्वर्ग अति सुदूर हैं।

Imperfect is the joy not shared by all.

जिस आनन्द में सब भाग न ले सकें वह अधूरा है।

Oh to spread forth, oh to encircle and seize
More hearts till love in us has filled thy world!

ओह कितना सुखकर है स्वयं को विस्तृत करना और घेरकर
अधिक हृदयों को बांधते जाना जब तक हमारा प्रेम तेरे संसार को भर न दे!

O life, the life beneath the wheeling stars
For victory in the tournament with death,
For bending of the fierce and difficult bow,
For flashing of the splendid sword of God!

हे प्राण पुरुष! इन परिभ्रमण करते तारों के तले यह जीवन,
मृत्यु के साथ होती प्रतियोगिता में, जीतने को मिला है
इस कठोर भीषण शिवधनुष को झुकाने हित मिला है,
प्रभु की भव्य तीक्ष्ण तलवार को चमकाने हित मिला है!

O thou who soundest the trumpet in the lists,
Part not the handle from the untried steel,
Take not the warrior with his blow unstruck.

हे देव, रणभूमि में तू ही तो शंखध्वनि गुंजाता रहा है
आज इस सान पर चढ़ी कटार से उसकी मूठ पृथक् न कर,
इस योद्धा को वार करने का अवसर दिये बिना दूर न कर।

Are there not still a million fights to wage?

क्या अभी वहां पर लक्ष लक्ष संग्राम करने बाकी नहीं रहे?

O King-smith, clang on still thy toil begun,
Weld us to one in thy strong smithy of life.

हे सृष्टिकर्ता, तेरे श्रम का तो यह आरम्भ भर है, गढ़ता जा,
जीवन रूपी अपनी इस तपती भट्टी में हमें एकत्व से जोड़ता जा।

Thy fine-curved jewelled hilt call Savitri,
Thy blade’s exultant smile name Satyavan.

तेरे सुगठित रत्नजड़ित मूठ का नाम सावित्री है,
तेरी असि-धार सम उज्ज्वल स्मित का नाम सत्यवान् है।

Fashion to beauty, point us through the world.

तेरे सौन्दर्य से सज्जित हमें इस जग की ओर मोड़ दे।

Break not the lyre before the song is found;
Are there not still unnumbered chants to weave?

गीत गाने से पहले ही इस वीणा को तोड़ न दे;
क्या अभी असंख्य गीत गाने बाकी नहीं रहे?

O subtle-souled musician of the years,
Play out what thou hast fluted on my stops;
Arise from the strain their first wild plaint divined
And that discover which is yet unsung.

हे युगान्तरों के अगोचर आत्मपुरुष, संगीतकार
मेरे परदों पर जो तूने धुन भरी है उसे वंशी में श्वास भर बजा दे;
उनकी प्रथम पशु-विषाद की ध्वनि से फूटी उस तान को उठा ले
और हम खोज लें उस नव संगीत को जो अभी तक गाया नहीं गया है।

I know that I can lift man’s soul to God,
I know that he can bring the Immortal down.

मैं जानती हूं कि मैं मनुज की चैत्यात्मा को प्रभु तक उठा सकती हूं,
मैं जानती हूं कि वह अमरत्व को नीचे उतार ला सकता है।

Our will labours permitted by thy will
And without thee an empty roar of storm,
A senseless whirlwind is the titan’s force
And without thee a snare the strength of gods.

हमारा संकल्प तेरे संकल्प से अनुमति पा श्रमरत है
और तेरे बिना यह झंझावात का एक रीता गर्जन है,
एक आसुरी शक्ति का एक अर्थहीन चक्रवात है
और तेरे बिना देवताओं की शक्ति भी एक मायाजाल है।

Let not the inconscient gulf swallow man’s race
That through earth’s ignorance struggles towards the Light.

हे देव, इस अचित् की खाड़ी में मानवजाति को गिरने से बचा ले
वह पृथ्वी की अज्ञता के मध्य तेरी पराज्योति की ओर बढ़ने को संघर्षरत है।

O thunderer with the lightnings of the soul,
Give not to darkness and to death thy sun,
Achieve thy wisdom’s hidden firm decree
And the mandate of thy secret world-wide love.”

हे मेघराजेन्द्र, इस जीवात्मा पर बिजलियां गिरा कर
अपने सूर्य को मृत्यु और अन्धकार से आच्छादित न कर,
अपनी प्रज्ञा के गोपित अटल विधान को सिद्ध कर
और निज गुह्य जग-व्याप्त प्रेम की आज्ञप्ति की पूर्ति कर।’’

Her words failed lost in thought’s immensities[687]
Which seized them at the limits of their cry
And hid their meaning in the distances
That stir to more than ever speech has won
From the Unthinkable, end of all our thought,
And the Ineffable from whom all words come.

सावित्री के शब्द विचार की महत्ताओं में असफल लोप हो गये
इसने उन्हें उनकी पुकार की अन्तिम सीमाओं पर ग्रहण कर लिया
और उनके अर्थों को दूरियों में छिपा दिया
इसने वाचा को अभूतपूर्व विजय हित झकझोर दिया
उस अचिन्तनीय से, जो हमारे विचार संकल्प का विलय है,
तथा उस अनिर्वचनीय से जिससे हमारे सकल शब्द उदित हो जन्मते हैं।

 

Then with a smile august as noonday heavens
The godhead of the vision wonderful:
“How shall earth-nature and man’s nature rise
To the celestial levels, yet earth abide?

तब दोपहर के उज्ज्वल नभों सम भव्य मुस्कान बिखेरता
वह अद्भुत सुदर्शन भागवत अंश बोला:
‘‘कैसे इस पृथ्वी का अस्तित्व टिक पायेगा
कैसे पार्थिव प्रकृति औ’ मानव स्वभाव दिव्य बन स्वर्ग तक उठ पायेगा?

Heaven and earth towards each other gaze
Across a gulf that few can cross; none touch,
Arriving through a vague ethereal mist
Out of which all things form that move in space,
The shore that all can see but never reach.

स्वर्ग औ’ पृथ्वी के मध्य की अलंघनीय खाड़ी के आरपार से
वे एक-दूसरे को देखते हैं, स्पर्श नहीं कर पाते,
एक अस्पष्ट ईथरीय धुंध से ये बाहर निकले थे
जिससे इस ब्रह्माण्ड में भ्रमती सकल वस्तुओं ने आकार लिया है,
यही वह क्षितिज का तट है जिसे सब देखते हैं पर पहुंच नहीं पाते हैं।

Heaven’s light visits sometimes the mind of earth;
Its thoughts burn in her sky like lonely stars;
In her heart there move celestial seekings soft
And beautiful like fluttering wings of birds,
Visions of joy that she can never win
Traverse the fading mirror of her dreams.

देवलोक का प्रकाश धरा के मन को कभी-कभी आ छू लेता है;
इसके संकल्प भू-आकाश पर एकाकी तारों सम जल उठते हैं;
भू देवी के हृदय में स्वर्गिक जिज्ञासाएं हल्के-से जाग जाती हैं
ये पखेरुओं के पंखों सम फड़फड़ाती मृदु मनोहर,
अति आनन्द के दिव्य दर्शन हैं, जिन्हें वह कभी अपना नहीं बना सकी
उसके सपनों के धुंधले दर्पण पर बांकी चाल चलते ये गुजर जाते हैं।

Faint seeds of light and bliss bear sorrowful flowers,
Faint harmonies caught from a half-heard song
Fall swooning mid the wandering voices’ jar,
Foam from the tossing luminous seas where dwells
The beautiful and far delight of gods,
Raptures unknown a miracled happiness
Thrill her and pass half-shaped to mind and sense.

पार्थिव प्रकाश और सुख के तेजहीन बीज क्लेशपूर्ण पुष्पों को जन्म देते हैं,
एक आधे मन से सुने गीत से धरी गयी क्षीण रागिनियां हैं
जो घोर परिवेश में घूमती कर्कश ध्वनियों में अचेत हो खो जाती हैं,
इन उमड़ते ज्योतित फेन से सज्जित सागरों पर
जहां देवों का सौन्दर्य और सुदूर का आनन्द बसता है,
अज्ञात भाव-समाधियां हैं, एक अद्भुत प्रसन्नता है
जो धरती को स्पन्दित कर, मन और बोध में अधूरी धरी जाती हैं।

Above her little finite steps she feels,
Careless of knot or pause, worlds which weave out
A strange perfection beyond law and rule,
A universe of self-found felicity,
An inexpressible rhythm of timeless beats,
The many-movemented heart-beats of the One,
Magic of the boundless harmonies of self,
Order of the freedom of the infinite,[688]
The wonder-plastics of the Absolute.

भूदेवी अपनी लघु औ’ नश्वर स्थितियों के ऊर्ध्व में,
ग्रन्थि बंधन से लापरवाह या विराम के अवकाश में
अनुभव पाती है उन लोकों का जहां विधान औ’ नियम से परे,
एक अद्भुत पूर्णता से रचित विश्व है, आत्मसिद्ध आनन्दधाम है,
जहां अकाल तालों की एक अव्यक्त छन्दबद्ध रागिनी है,
परमैकम् की बहुविधाओं में गतिशील प्राण-स्पन्दन है,
आत्मतत्त्व की अनन्त मुक्त सुसंगतियों का जादू है,
अनन्त स्वाधीनता की क्रम व्यवस्था है,
परंतप प्रभु के अद्भुत सुनम्य तत्त्वों की रचना है।

There is the All-Truth and there the timeless bliss.

यह धाम निखिल सत्य और कालातीत परमानन्द का है।

But hers are fragments of a star-lost gleam,
Hers are but careless visits of the gods.

जब कि धरा पर ये एक लुप्त तारे की चमक के अवशेष मात्र हैं,
और देवों के अनिश्चित भूले-बिसरे दर्शन उसके हिस्से में आये हैं।

They are a Light that fails, a Word soon hushed
And nothing they mean can stay for long on earth.

वे एक दिव्य ज्योति है जो असफल हो जाती है, एक दैवी वाचा
जो शीघ्र मौन हो जाती है और इनकी सार्थकता धरा पर अधिक नहीं टिक पाती है।

There are high glimpses, not the lasting sight.

इनकी उन्नत झलकियां मिल जाती हैं पर ये स्थायी दर्शन नहीं हैं।

A few can climb to an unperishing sun,
Or live on the edges of the mystic moon
And channel to earth-mind the wizard ray.

अति अल्पजन हैं जो एक अविनाशी सूर्य तक चढ़ पाते हैं
या इस गुह्य चन्द्रमा के तटों पर बस पाते हैं
और उस अलौकिक रश्मि को पार्थिव मन की नाड़ियों में पठा सकते हैं।

The heroes and the demi-gods are few
To whom the close immortal voices speak
And to their acts the heavenly clan are near.

धरा पर वीर नायक और अर्ध-देव अति अल्प हैं
जिनके माध्यम से एकता की अमर वाचाएं उच्चारित होती हैं
और जिनके कर्मों में दिव्य सम्बन्ध व्यक्त होते हैं।

Few are the silences in which Truth is heard,
Unveiling the timeless utterance in her deeps;
Few are the splendid moments of the seers.

ऐसी नीरवताएं अति विरल हैं जिनमें अमर सत्य के शब्द सुनायी दें,
अपनी गहनताओं में जो कालातीत उच्चारणों को उद़्घाटित करें;
द्रष्टा ऋषियों के समीप भी ऐसे भव्य क्षण अति अल्प हैं।

Heaven’s call is rare, rarer the heart that heeds;
The doors of light are sealed to common mind,
And earth’s needs nail to earth the human mass,
Only in an uplifting hour of stress
Men answer to the touch of greater things:
Or, raised by some strong hand to breathe heaven-air,
They slide back to the mud from which they climbed;
In the mud of which they are made, whose law they know
They joy in safe return to a friendly base,
And, though something in them weeps for the glory lost
And greatness murdered, they accept their fall.

वहां स्वर्ग के प्रति आह्वानों का अभाव है, और इसको सुनने वाले अन्तर विरले हैं;
साधारण मन के लिए अन्तर्ज्योति के द्वार बन्द हैं
संसारी आवश्यकताएं मानव समूह को पृथ्वी से जकड़े हैं,
केवल तनाव की उन्नायक घड़ी में
मानव महत्तर तत्त्वों के स्पर्श का उत्तर देते हैं:
या, किसी समर्थ हाथ द्वारा स्वर्गिक पवन में श्वास लेने को उठा दिये जाते हैं,
पर फिर उसी पंकिलता में फिसल जाते हैं जहां से वे उठे थे;
जिस माटी से बने हैं, वे उसी के विधान को जानते हैं
एक सुहृद् आधार पर सुरक्षित लौट आने पर हर्षित होते हैं,
और तब भी उस लुप्त महिमा के लिए और हत महानता के लिए
उनके अन्तर में कोई रोता है, किन्तु वे निज पतन का स्वीकार लेते हैं।

To be the common man they think the best,
To live as others live is their delight.

साधारण मनुष्य बन रहना ही वे सर्वोत्तम सोचते हैं,
अन्यों समान जीवित रहने में ही उनका सुख है।

For most are built on Nature’s earthly plan
And owe small debt to a superior plane;
The human average is their level pitch,
A thinking animal’s material range.

क्योंकि अधिकतर मानव विश्व-प्रकृति की भौतिक योजनानुसार रचित हैं
और एक दिव्यतर स्तर का उन पर कोई ऋण नहीं है;
उनके स्तर की पराकाष्ठा मानवता का सामान्य स्तर भर है,
एक मनीषी पशु की यही भौतिक सीमा है।

In the long ever-mounting hierarchy,
In the stark economy of cosmic life
Each creature to its appointed task and place[689]
Is bound by his nature’s form, his spirit’s force.

इस निरन्तर चढ़ती दीर्घ परम्परा के क्रम में,
ब्रह्माण्डीय सृष्टि के इस नग्न मितव्ययी विधान में
प्रत्येक प्राणी अपने निश्चित कार्य और स्थान पर नियुक्त है
अपने स्वभाव की सीमा में, अपने अन्तर्बल से बद्ध है।

If this were easily disturbed, it would break
The settled balance of created things;
The perpetual order of the universe
Would tremble, and a gap yawn in woven Fate.

यदि इसे इसकी सहजता से क्षुब्ध कर दिया गया,
तो यह इस सृष्टि का निश्चित सन्तुलन भंग कर देगा;
इस विश्व की स्थायी क्रम-व्यवस्था हिला देगा,
सुघड़ता से बुनी हुई इस विश्व-नियति में एक दरार डाल देगा।

If men were not and all were brilliant gods,
The mediating stair would then be lost
By which the spirit awake in Matter winds
Accepting the circuits of the Middle Way,
By heavy toil and slow aeonic steps
Reaching the bright miraculous fringe of God,
Into the glory of the Oversoul.

यदि मानवजाति नहीं होती और सब तेजस्वी देवता होते,
तब इस यात्रा को मध्य से जोड़ती सीढ़ी न होती
जिसके माध्यम से आत्म-चेतना जड़तत्त्व में जागती है
और इस मध्य मार्ग द्वारा परिपथों पर संचरण स्वीकारती है,
इस कठिन श्रम और मन्द युगान्तरीय चरणों को पार करती
यह आत्मा प्रभु के दीप्तिमय अद्भुत तट पर पहुंच जाती है,
परमात्मा की भव्य महिमा में प्रवेश पा जाती है।

My will, my call is there in men and things;
But the Inconscient lies at the world’s grey back
And draws to its breast of Night and Death and Sleep.

मेरा संकल्प, मेरी पुकार मानव और पदार्थों में विद्यमान है;
किन्तु इस संसार की धूमिल पीठ पर अचित् महाशक्ति चढ़ी है
और वह इसे अपनी अज्ञरात्रि, मृत्यु और घोर तमस् की छाती से चिपका रखती है।

Imprisoned in its dark and dumb abyss
A little consciousness it lets escape
But jealous of the growing light holds back
Close to the obscure edges of its cave
As if a fond ignorant mother kept her child
Tied to her apron strings of Nescience.

इसे अपने अंधेरे और मूक गर्तता में बन्दी बनाये है
केवल अल्पमात्र सचेतनता को उस तक पहुंचने देती है,
किन्तु वर्धित होते प्रकाश को ईर्ष्या से भर यह रोक लेती है
अपनी कन्दरा के धूमिल तटों पर मानव को जकड़ रखती है
एक अज्ञानी माता सम निज लाड़ले शिशु को
घोर निश्चेतना के अपने आंचल से बांध रखती है।

The Inconscient could not read without man’s mind
The mystery of the world its sleep has made:
Man is its key to unlock a conscious door.

मानव मन के बिना यह अचित् महाशक्ति पढ़ नहीं पाती
इस संसार के रहस्य को, जिसे इसने अपनी सुषुप्ति में रचा है:
एक सचेतनता का द्वार खोलने को मानव ही इसकी कुंजी है।

But still it holds him dangled in its grasp:
It draws its giant circle round his thoughts,
It shuts his heart to the supernal Light,
A high and dazzling limit shines above,
A black and blinding border rules below:
His mind is closed between two firmaments.

किन्तु फिर भी यह उसे अपनी मुट्ठी में पकड़े रखती हैः
उसके विचारों के चहुं ओर अपना विशाल चक्रव्यूह खींच देती है,
उसके हृदय को बन्द कर पराज्योति को उस तक आने नहीं देती।
ऊर्ध्व में एक उन्नत और जगमगाता क्षितिज प्रकाशमान है,
एक काली और अन्धी सीमा का शासन धरातल पर है:
इन दो गगनों के मध्य उसका मानस बन्दी है।

He seeks through words and images the Truth,
And, poring on surfaces and brute outsides
Or dipping cautious feet in shallow seas,
Even his Knowledge is an Ignorance.

वह शब्दों और प्रतिबिम्बों द्वारा अमर सत्य को खोजता है,
और, धरातलों पर एवं बाहरी जड़-जगत् का परीक्षण करता है
या उथले सागर-तल में सावधानी से पांवों को डुबा देता है,
यहां तक कि उसका सम्पूर्ण ज्ञान भी एक अविद्या है।

He is barred out from his own inner depths;
He cannot look on the face of the Unknown.[690]

वह अपनी आत्मा की गहराइयों से भी अनजान है;
वह परम-अज्ञेय का दर्शन कैसे कर सकता है।

How shall he see with the Omniscient’s eyes,
How shall he will with the Omnipotent’s force?

कैसे वह सर्वज्ञता के नयनों से देख सकेगा,
कैसे वह सर्वसमर्थ प्रभु की शक्ति के साथ निज संकल्प जोड़ पायेगा?

O too compassionate and eager Dawn,
Leave to the circling aeons’ tardy pace
And to the working of the inconscient Will,
Leave to its imperfect light the earthly race:
All shall be done by the long act of Time.

ओ करुणा की सिन्धु अति आतुर उषा,
इन परिक्रमा करते युगों को उनकी मन्द गति पर छोड़ दे
और इस अचित् दैवी संकल्प की प्रक्रिया को चलने दे,
इस पार्थिव जाति को इसके अधूरे धूमिल प्रकाश में रहने दे:
महाकाल के दीर्घसूत्री संचालन में सब कार्य सिद्ध हो जायेगा।

Although the race is bound by its own kind,
The soul in man is greater than his fate:
Above the wash and surge of Time and Space,
Disengaging from the cosmic commonalty
By which all life is kin in grief and joy,
Delivered from the universal Law
The sun-like single and transcendent spirit
Can blaze its way through the mind’s barrier wall
And burn alone in the eternal sky,
Inhabitant of a wide and endless calm.

यद्यपि यह जाति स्वयं अपने स्वभाव की बन्दिनी है,
पर मानव की आत्मसत्ता उसकी नियति से अधिक महत्तर है:
दिक्काल की इस धोवन और उफान से ऊपर है,
स्वयं को इस वैश्विक जन-सामान्य से पृथक् कर
जिसमें समस्त प्राण-जीवन दुःख-सुख में साथी हैं,
इस वैश्व परम-विधान से मुक्त हो
सूर्य सम अद्वितीय और परात्पर जीवात्मा
तू इस मन की अवरोधक दीवार के मध्य अपने तेज से पथ बनाती
इस शाश्वत आत्माकाश में एकाकी प्रज्वलित हो सकती है,
एक विशाल औ’ अनन्त शान्ति की वासिनी हो सकती है।

O Flame, withdraw into thy luminous self
Or else return to thy original might
On a seer-summit above thought and world;
Partner of my unhoured eternity,
Be one with the infinity of my power:
For thou art the World Mother and the Bride.

हे आत्मज्वाल, तू अपनी आत्मदीप्ति में स्वयं को समेट ले।
अन्यथा अपनी आदि शक्ति में आश्रय लेने
इस विचार और संसार के ऊर्ध्व में एक द्रष्टा शिखर पर लौट जा;
तू मेरी अकाल शाश्वतता की सहयोगिनी है,
आ, मेरी चित्-शक्ति की चिरन्तनता में एक हो जा:
क्योंकि तू ही जगन्माता है और चिर वधू है।

Out of the fruitless yearning of earth’s life,
Out of her feeble unconvincing dream,
Recovering wings that cross infinity
Pass back into the Power from which thou cam’st.

पार्थिव जीवन की इस निष्फल लालसा से बाहर आ,
इस प्राण के क्षीण अविश्वसनीय सपने से बाहर आ,
इस अनित्य को पार करने वाले पंखों को पुनः प्राप्त कर
उसी चित्-शक्ति में जहां से तू आयी थी लौट जा।

To that thou canst uplift thy formless flight,
Thy heart can rise from its unsatisfied beats
And feel the immortal and spiritual joy
Of a soul that never lost felicity.

तू अब अपनी निराकारी उड़ान में फिर उठ सकती है,
तेरा हृदय भी अपनी अधीर धड़कनों से उन्नत हो सकता है
और एक आत्मा के आध्यात्मिक आनन्द औ’ अमरत्व की अनुभूति
पा सकता है, क्योंकि वह निज आत्मानन्द कभी नहीं खोती।

Lift up the fallen heart of love which flutters,
Cast down desire’s abyss into the gulfs.

इस अनुरागी, कम्पित, पतित हृदय को उन्नत करके
लालसा के गर्त को अचित् खाड़ियों में फेंक दे।

For ever rescued out of Nature’s shapes
Discover what the aimless cycles want,
There intertwined with all thy life has meant,[691]
Here vainly sought in a terrestrial form.

विश्व-प्रकृति के आकारों से सदा के लिए उद्धार पा
संधान कर इन लक्ष्यहीन युगों की आवश्यकता का
और समस्त जीवों के संग गुंथे अपने जीवन के इस अर्थ का,
जो यहां एक पार्थिव आकार में निष्फलता से खो जाता है।

Break into eternity thy mortal mould;
Melt, Lightning, into thy invisible flame.

निज नश्वर काया को भंग कर शाश्वतता में प्रवेश कर;
हे तड़ित् दामिनी, स्वयं को निज अदृश्य ज्वाल में पिघला दे!

Clasp, Ocean, deep into thyself thy wave,
Happy for ever in the embosoming surge.

हे सागर, निज गहराई में अपनी लहर का आलिंगन कर ले,
वक्ष से चिपकी उर्मि में सतत आनन्द का अनुभव ले ले।

Grow one with the still passion of the depths,
Then shalt thou know the Lover and the Loved,
Leaving the limits dividing him and thee.

गहनताओं के स्थिर आवेश से एकात्म में वर्धित हो जा।
तभी तू चिर प्रेमी औ’ प्रियतमा को पहचान पायेगी,
और उससे विभाजित करती सीमाओं को हटा पायेगी।

Receive him into boundless Savitri,
Lose thyself into infinite Satyavan,
O miracle where thou beganst there cease!”

ओ सावित्री, इस अनन्त मुक्ति में उसका स्वागत कर,
स्वयं को शाश्वत सत्यवान् में विलय कर।
ओ अद़्भुते, जहां से तूने आरम्भ किया था, वहीं तो इति है!’’

 

But Savitri answered to the radiant God:
“In vain thou temptst with solitary bliss
Two spirits saved out of a suffering world;
My soul and his indissolubly linked
In the one task for which our lives were born,
To raise the world to God in deathless Light,
To bring God down to the world on earth we came,
To change the earthly life to life divine.

तब सावित्री ने उस तेजोमय परमेश को उत्तर दिया:
‘‘व्यर्थ ही ओ देव, हमें अपने ऐकान्तिक आनन्द से ललचा रहा है
एक पीड़ित संसार से तू दो आत्माओं को सुरक्षा दे रहा है;
मेरी और सत्यवान् की आत्मा ने अटूटता से बद्ध हो
एक नियत कार्य हित यहां जन्म लिया है,
यह कार्य इस जग को प्रभु की अमर ज्योति में उन्नत करने का है,
इस जग की पार्थिवता में परमेश को उतार लाने का है,
इस धरा के जीवन को हम दिव्य जीवन में बदलने आये हैं।

I keep my will to save the world and man;
Even the charm of thy alluring voice,
O blissful godhead, cannot seize and snare.

इस संसार और मानव की सुरक्षा का संकल्प मैंने लिया है;
तेरी मोहक वाचा का जादू भी, हे आनन्दघन देव,
अपने पाश में मुझे बांध फंसा नहीं पायेगा।

I sacrifice not earth to happier worlds.

मैं सुखतर लोकों के लिए धरा की बलि नहीं चढ़ाऊंगी।

Because there dwelt the Eternal’s vast Idea
And his dynamic will in men and things,
So only could the enormous scene begin.

क्योंकि वहीं पर तो चिरन्तन का विराट् महाभाव रहता है
और उसका ओजस्वी संकल्प मनुष्य औ’ वस्तुओं में सक्रिय है,
केवल तभी तो वह अपने इस भीषण जगदृश्य को आरम्भ कर सका है।

Whence came this profitless wilderness of stars,
This mighty barren wheeling of the suns?

अन्यथा तारों की यह निरर्थक वीरानताएं कहां से आयी हैं,
यह शक्तिशाली बंजरता सूर्यों की क्यों परिक्रमा कर रही है?

Who made the soul of futile life in Time,
Planted a purpose and a hope in the heart,
Set Nature to a huge and meaningless task
Or planned her million-aeoned effort’s waste?

त्रिकाल में इस निष्फल जीवन में प्राण किसने डाला है,
हृदय में किसने एक प्रयोजन औ’ एक आशा भरी है,
प्रकृति देवी को एक विशाल एवं अर्थहीन कार्य में लगाया है
या किसने उसके लाखों युगों के श्रम को व्यर्थ बना दिया?

What force condemned to birth and death and tears
These conscious creatures crawling on the globe?

इस भूगोलक पर रेंगते इन सचेत प्राणियों को
किस शक्ति ने जन्म-मृत्यु औ’ अश्रुओं से दण्डित किया?

If earth can look up to the light of heaven[692]
And hear an answer to her lonely cry,
Not vain their meeting, nor heaven’s touch a snare.

यदि पृथ्वी सुरलोक के प्रकाश को सिर उठाकर देख सकती है
और अपनी एकाकी पुकार का उत्तर सुन सकती है,
तो उनका मिलन फलहीन नहीं है, देव-स्पर्श छलावा नहीं है।

If thou and I are true, the world is true;
Although thou hide thyself behind thy works,
To be is not a senseless paradox;
Since God has made earth, earth must make in her God;
What hides within her breast she must reveal.

यदि मैं और तू सत्य हैं तो यह जगत् भी सत्य है;
यद्यपि तू स्वयं को निज कार्यों के पीछे छिपा रखता है,
अभिव्यक्त होना एक निस्सार व्यर्थ का मायाजाल नहीं है;
क्योंकि प्रभु ने इस धरती को रचा है, तो अब धरा को स्वयं को प्रभु में रचना है,
जो उसके अन्तर में छिपा है उसे प्रकटाना है।

I claim thee for the world that thou hast made.

तेरी इस रचना के लिए मैं तुझे अधिकार से मांगती हूं।

If man lives bound by his humanity,
If he is tied for ever to his pain,
Let a greater being then arise from man,
The superhuman with the Eternal mate
And the Immortal shine through earthly forms.

यदि मानव को निज मानवता की सीमा में बंधे रहना है,
यदि उसे निज पीड़ा से सतत जुडे़ रहना है,
तो इस मानव से महत्तर सत्ता को इसमें से उदित होने दे,
परा-मानव को व्यक्त करके अमरत्व का सहचर बना दे
और इन पार्थिव आकृतियों के माध्यम से चिरन्तन को प्रकटा दे।

Else were creation vain and this great world
A nothing that in Time’s moments seems to be.

अन्यथा यह सृष्टि व्यर्थ है और यह महान् जग निस्सार है
जैसा कि यह महाकाल की घड़ियों में प्रतीति देता है।

But I have seen through the insentient mask;
I have felt a secret spirit stir in things
Carrying the body of the growing God:
It looks through veiling forms at veilless truth,
It pushes back the curtain of the gods;
It climbs towards its own eternity.”

किन्तु मैंने इस निश्चेतन मुखौटे के पीछे देख जान लिया है;
पदार्थों में संचालित एक गुह्य चैत्य शक्ति की अनुभूति पायी है
जो इस देह में विकसित होते प्रभु की काया को वहन कर रही हैः
यह आकृतियों के पट के पीछे गोपित निरावरण सत्य को देखती है;
देवताओं के मुख पर पड़े पर्दे को हटा देती है;
और अपनी आत्म शाश्वतता की ओर चढ़ती है।’’

But the god answered to the woman’s heart:
“O living power of the incarnate Word,
All that the Spirit has dreamed thou canst create:
Thou art the force by which I made the worlds,
Thou art my vision and my will and voice.

किन्तु देवता का उत्तर पुन: नारी हृदय में गूंज उठा:
‘‘हे अवतारी देव-वाचा की जीवन्त शक्ति,
विश्वात्मा ने जो स्वप्न देखा है तू उसकी निर्मात्री हैः
जिसके द्वारा मैं लोकों को रचता हूं तू वह चित्-शक्ति है,
तू मेरा दर्शन है, संकल्प और मेरी वाणी है।

But knowledge too is thine, the world-plan thou knowest
And the tardy process of the pace of Time.

तू ही मेरी प्रज्ञा है, इस संसार-योजना की ज्ञाता है
और इन चतुर्युगों की शिथिल मन्द प्रक्रिया की भी ज्ञाता है।

In the impetuous drive of thy heart of flame,
In thy passion to deliver man and earth,
Indignant at the impediments of Time
And the slow evolution’s sluggard steps,
Lead not the spirit in an ignorant world
To dare too soon the adventure of the Light,
Pushing the bound and slumbering god in man
Awakened mid the ineffable silences[693]
Into endless vistas of the unknown and unseen,
Across the last confines of the limiting Mind
And the Superconscient’s perilous border line
Into the danger of the Infinite.

किन्तु अपने हृदय ज्वाल के इस तीव्र आवेशपूर्ण संचालन में,
मनुज और पृथ्वी को मुक्त करने के अपने आवेश में,
महाकाल की इन अवरोधक शक्तियों से क्रोधित हो
और धीमे विकास-क्रम-चक्र के शिथिल चरणों पर रुष्ट हो,
इस चैत्य सत्ता को एक अज्ञानी जग में न प्रकटा
इस पराज्योति को इस साहसी यात्रा पर चलाने की शीघ्रता न दिखा,
तू मानव में सोये देवता को और इन सीमाओं को धक्का देकर
इन अनिर्वचनीय नीरवताओं के मध्य जगाकर
उसे अज्ञात और अदृश्य दृश्यों के असीम विस्तारों में धकेल,
इस सीमित मनःशक्ति की अन्तिम कारा के पार
और परम चित्-शक्ति की संकटभरी सीमा-रेखा पर
मानव को अभी चिरन्तन के संकटों की ओर प्रेरित न कर

But if thou wilt not wait for Time and God,
Do then thy work and force thy will on Fate.

किन्तु यदि तू ईश्वर और काल की प्रतीक्षा नहीं कर सकती,
तो तू निज कार्य सम्पन्न कर और विधाता को अपने संकल्प से बांध ले।

As I have taken from thee my load of night
And taken from thee my twilight’s doubts and dreams,
So now I take my light of utter Day.

जैसे मैंने अपनी कालनिशा का बोझ तुझ पर से उतार लिया है
अपनी धूमिल द्वाभा की शंका और सपनों को मिटा दिया है,
वैसे ही अब मैं अपने परिपूर्ण चिर-दिवस का प्रकाश हटा लेता हूं।

These are my symbol kingdoms but not here
Can the great choice be made that fixes fate
Or uttered the sanction of the Voice supreme.

ये दोनों मेरे प्रतीक-साम्राज्य हैं किन्तु इनमें यहां नियति की दिशा
निश्चित करने का महाचुनाव नहीं हो सकता है
या सर्वोच्च देववाक्य का अनुमोदन उच्चारा नहीं जा सकता है।

Arise upon a ladder of greater worlds
To the infinity where no world can be.

महत्तर लोकों की एक सीढ़ी पर तू और ऊपर चढ़ जा
उस चिरन्तनता की ओर जहां किसी लोक का अस्तित्व नहीं है।

But not in the wide air where a greater Life
Uplifts its mystery and its miracle,
And not on the luminous peaks of summit Mind,
Or in the hold where subtle Matter’s spirit
Hides in its light of shimmering secrecies,
Can there be heard the Eternal’s firm command
That joins the head of destiny to its base.

किन्तु इस विशाल उदार परिवेश में जहां एक महत्तर जीवनीशक्ति
अपने रहस्यों औ’ माया पर से पर्दा उठा लेती है,
और मनःशक्ति के उन्नत द्युतिमान शिखरों पर यह चुनाव सम्भव नहीं है,
या सूक्ष्म जड़तत्त्व की चैत्य सत्ता के उस कोष्ठागार में
जहां उसकी चित्-शक्ति ने अपने प्रकाश के जगमगाते रहस्य छिपाये हैं
इन गुह्य स्तरों पर चिरन्तन सत्य का निश्चित आदेश सुनायी नहीं देता है
जो तत् नियति के शीर्ष को इसके आधार से जोड़ता है।

These only are the mediating links;
Not theirs is the originating sight
Nor the fulfilling act or last support
That bears perpetually the cosmic pile.

ये तो सब बीच की मध्यस्थ कड़ियां हैं;
उनके अन्तर में आदि मूलतत्त्व की दृष्टि नहीं है
उनके कर्म स्वयं में परिपूर्ण नहीं है या वे अन्तिम आधार नहीं हैं
जो तत् स्वयं पर इस ब्रह्माण्डीय अम्बार को सतत धारण किये है, ये वे नहीं हैं।

Two are the Powers that hold the ends of Time;
Spirit foresees, Matter unfolds its thought,
The dumb executor of God’s decrees,
Omitting no iota and no dot,
Agent unquestioning, inconscient, stark,
Evolving inevitably a charged content,
Intention of his force in Time and Space,
In animate beings and inanimate things
Immutably it fulfils its ordered task.
It cancels not a tittle of things done;
Unswerving from the oracular command[694]
It alters not the steps of the Unseen.

ये दो दिव्य चित्-शक्तियां हैं जो दोनों ध्रुवों के मध्य दिक्काल को थामे हैं;
आत्मा भविष्यद्रष्टा दूरदर्शी है, जड़तत्त्व इसके संकल्पों को प्रकटाता है,
प्रभु की आज्ञप्तियों का वही मूक कार्यपालक है,
जो कण मात्र या बिन्दु भर पथ से विचलित नहीं होता है,
ऐसा प्रतिनिधि है जो शंका नहीं करता, सटीक और अचित् है,
अनिवार्यता से विकसित हुआ एक सन्तुष्ट प्रभारी है
इन काल और दिशाओं में उसकी शक्ति का एक उद्देश्य है,
जिसे सचेत सत्ताओं में और संज्ञाहीन वस्तुओं में परिपूर्ण करता है;
यह अपने नियत कार्यभार को निर्विकारिता से पूर्ण करता है,
सम्पादित वस्तुओं का यह अधिकार रद्द नहीं कर सकता है;
गुह्य-दैवी आदेश से विचलित नहीं हो सकता
अगोचर के कदमों को यह बदल नहीं सकता।

If thou must indeed deliver man and earth
On the spiritual heights, look down on life,
Discover the truth of God and man and world;
Then do thy task knowing and seeing all.

यदि तुझे वास्तव में मानव और धरा को मुक्त कर
आध्यात्मिक उच्चताओं तक उठाना है तो इस जग-जीवन की अवहेलना कर,
नर एवं नारायण तथा जग के सत्य का अन्वेषण कर;
तब सब जानकर और देखकर अपना कर्तव्य पूरा कर।

Ascend, O soul, into thy timeless self;
Choose destiny’s curve and stamp thy will on Time.”

हे आत्मा, अपने अकाल परमात्म-तत्त्व की ओर आरोहण कर,
नियति के इस मोड़ का चयन कर और त्रिकाल पर अपनी छाप लगा।’’

He ended and upon the falling sound
A power went forth that shook the founded spheres
And loosed the stakes that hold the tents of form.

तब ह्रास होती गिरा पर वह देवता चुप हो गया
एक शक्ति निकल गयी जिसने उन प्रतिष्ठित स्तरों को हिला दिया
और उन खूंटियों को जिनसे आकार की कनातें बंधी थीं, ढीला कर दिया।

Absolved from vision’s grip and the folds of thought,
Rapt from her sense like disappearing scenes
In the stupendous theatre of Space
The heaven-worlds vanished in spiritual light.

दर्शन की पकड़ और विचार के पर्तों से छुटकारा पा,
सावित्री के तन्मय चित्त से दृश्यों सम यह अन्तर्धान हो गया
उसके अन्तराकाश के विशाल रंगमंच से
समस्त स्वर्ग के मण्डलाकार आत्मिक ज्योति में विलीन हो गये।

A movement was abroad, a cry, a word,
Beginningless in its vast discovery,
Momentless in its unthinkable return:
Choired in calm seas she heard the eternal Thought
Rhythming itself abroad unutterably
In spaceless orbits and on timeless roads.

चहुं ओर एक गति-संचालन था, एक आवाहन, एक शब्द गुंजित था
अपने विराट् अनुसन्धान में यह अनादि था,
अपनी अचिन्त्य वापसी में अकाल तत्त्व था:
शान्ति-सागरों के समवेत गायन में सावित्री ने शाश्वत दिव्य संकल्प सुना
जो स्वयं यहां-वहां से अध्वनित संगीतस्वर में
दिशाहीन व्योममण्डलों में और अकाल पथों पर गूंज रहा था।

In an ineffable world she lived fulfilled.

एक अनिर्वचनीय लोक में वह आत्मसिद्ध पूर्णता में स्थित हो गयी थी।

An energy of the triune Infinite,
In a measureless Reality she dwelt,
A rapture and a being and a force,
A linked and myriad-motioned plenitude,
A virgin unity, a luminous spouse,
Housing a multitudinous embrace
To marry all in God’s immense delight,
Bearing the eternity of every spirit,
Bearing the burden of universal love,
A wonderful mother of unnumbered souls.
All things she knew, all things imagined or willed;
Her ear was opened to ideal sound,
Shape the convention bound no more her sight,
A thousand doors of oneness was her heart.
A crypt and sanctuary of brooding light[695]
Appeared, the last recess of things beyond.

त्रिरूपी नित्य-प्रभु की एक ऊर्जा बनी
एक अमेय सत्य ब्रह्म में अधिष्ठित थी,
एक आनन्दरूपा औ’ एक सत्ता और एक शक्ति थी,
एक अकेली कड़ी और असंख्य गतियों की बहुलता थी,
एक अक्षत एकता, एक ज्योतिर्मयी सहचरी थी,
बहुविध आलिंगन को धारण किये
अखिल का प्रभु के विशाल आनन्द से परिणय कराती,
प्रत्येक जीव-सत्ता की शाश्वतता को वहन करती
विश्व-प्रेम के भार को धारण करती,
असंख्य प्राणियों की एक अद़्भुत जननी:
सब तत्त्वों की ज्ञाता, सम्पूर्ण कल्पित या इच्छित पदार्थों को जानती:
आदर्श ध्वनियां उसके श्रवणों में सतत प्रवेश कर सकती थीं,
उसकी दृष्टि आकार और रूढ़ियों की सीमा से परे देखती,
एकात्मता के सहस्र द्वार उसके हृदय में खुले थे।
ध्यानमग्न ज्योति की एक गुहा औ’ आश्रयस्थल प्रकटा,
यह परात्पर पदार्थों का अन्तिम पड़ाव था।

Then in its round the enormous fiat paused,
Silence gave back to the Unknowable
All it had given. Still was her listening thought.

तब अपनी परिक्रमाओं में वह घोर आदेश थम गया,
मूक नीरवता ने परम अज्ञेय को वह समस्त लौटा दिया
जो इसे मिला था। सावित्री का श्रोता भाव भी मौन था।

The form of things had ceased within her soul.

उसके आत्माकाश में पदार्थों का रूपायन समाप्त हो गया।

Invisible that perfect godhead now.

वह परिपूर्ण दिव्यांश देव अब अगोचर था।

Around her some tremendous spirit lived,
Mysterious flame around a melting pearl,
And in the phantom of abolished Space
There was a voice unheard by ears that cried:
“Choose, spirit, thy supreme choice not given again;
For now from my highest being looks at thee
The nameless formless peace where all things rest.

उसके चहुं ओर कोई घोर चित्शक्ति बस रही थी,
एक पिघलते मुक्ता के चहुं ओर एक रहस्यमयी ज्वाला थी,
लोप हुए स्वर्गाकाश की उस प्रेत छाया में एक वाणी
जिसे हमारे भौतिक कान सुन नहीं सकते हैं, वहां गूंज उठी थी:
‘‘हे आत्मसत्ता चुन, अपना सर्वोच्च चयन कर, फिर अवसर नहीं पायेगी;
क्योंकि अभी मेरी उच्चतम सत्ता तुझे अवलोक रही है
यह अनामी निराकारी शान्ति है जहां सब तत्त्व विश्रान्ति में लीन हैं।

In a happy vast sublime cessation know,—
An immense extinction in eternity,
A point that disappears in the infinite,—
Felicity of the extinguished flame,
Last sinking of a wave in a boundless sea,
End of the trouble of thy wandering thoughts,
Close of the journeying of thy pilgrim soul.

एक प्रसन्न विराट् परिपूर्ण अवसान में यह विलय है,-
शाश्वतता में एक पूर्ण निष्पत्ति है, यह जान ले,
एक बिन्दु है जो अनन्तता में विलीन हो जाता है,-
बुझी हुई आत्म-शिखा का परमानन्द है,
एक अगाध सागर में एक लहर का अन्तिम विलोपन है,
तेरे सम्भ्रमित विचारों के कष्ट का अन्त है,
तेरी तीर्थयात्री आत्मसत्ता की यात्रा का निर्वाण है।

Accept, O music, weariness of thy notes,
O stream, wide breaking of thy channel banks.”

हे संगीत, अपने सुरों रागिनियों की क्लान्ति स्वीकार ले,
हे सरिता, निज धारा का तट तोड़ विशालता में बिखर जाना मान ले।’’

The moments fell into eternity.

तत्काल वे पल शाश्वतता में गिर खो गये।

But someone yearned within a bosom unknown.
And silently the woman’s heart replied:
“Thy peace, O Lord, a boon within to keep
Amid the roar and ruin of wild Time
For the magnificent soul of man on earth.

किन्तु एक अनजाने वक्ष में किसी की लालसा को जगा गये
और धीरे से उस सन्नारी के हृदय ने उत्तर दिया:
‘‘तेरी शान्ति, हे प्रभु, अन्तर में रखने हित वरदान दे,
विकराल काल गर्जन और विभीषिकाओं के मध्य में
यह शान्ति पृथ्वी पर मानव की भव्य अन्तरात्मा के लिए है।

Thy calm, O Lord, that bears thy hands of joy.”

तेरी यह शान्त नीरवता, तेरे आनन्द से भरे वरदायी हाथ हैं, स्वामी।’’

Limitless like ocean round a lonely isle
A second time the eternal cry arose:
“Wide open are the ineffable gates in front.

महासागर सम एक एकाकी छोटे द्वीप को घेरे हुए हो ऐसी
वह शाश्वत गिरा फिर दूसरी बार पुकार उठी:
‘‘तेरे सामने फिर अनिर्वचनीय द्वार पूरी तरह खुले हैं।

My spirit leans down to break the knot of earth,
Amorous of oneness without thought or sign
To cast down wall and fence, to strip heaven bare,
See with the large eye of infinity,[696]
Unweave the stars and into silence pass.”

मेरी चित्शक्ति तेरी पार्थिव ग्रन्थि को तोड़ने नीचे झुकी है,
पूर्ण एकत्व की प्रणयी बन जा यह विचार एवं गुणातीत है
इस दीवार और बाड़ को गिरा, स्वर्ग को अनावृत कर दे,
तू अब चिरन्तनता की विशाल दृष्टि से अवलोक,
इन व्योममण्डलों की बुनावट उधेड़ कर शाश्वत नीरवता में प्रवेश कर।’’

In an immense and world-destroying pause
She heard a million creatures cry to her.

एक भीषण और सृष्टि-विनाशकारी विराम के उस पल में
सावित्री ने लक्ष-लक्ष प्राणियों के आर्तनाद को सुना।

Through the tremendous stillness of her thoughts
Immeasurably the woman’s nature spoke:
“Thy oneness, Lord, in many approaching hearts,
My sweet infinity of thy numberless souls.”

निज विचार-शक्ति की उस घोर स्थिर नीरवता में
उस सन्नारी की विशाल अमेय प्रकृति बोली:
‘‘तेरा एकत्व, स्वामी, इन तुझ तक आते अनेक हृदयों में बसता है,
तेरे इन अनगिनत जीवों में बसी, यही मेरी मधुर नित्यता है।’’

Mightily retreating like a sea in ebb
A third time swelled the great admonishing call:
“I spread abroad the refuge of my wings.

सागर में प्रचण्डता से पीछे उतरते भाटे समान
चेतावनी देती वह महती वाणी तीसरी बार पुन: उमड़ी:
‘‘मैं अपने पंखों का आश्रय सुदूर तक विस्तृतता से फैलाये हूं।

Out of its incommunicable deeps
My power looks forth of mightiest splendour, stilled
Into its majesty of sleep, withdrawn
Above the dreadful whirlings of the world.”

इसकी अगम्य, अस्पर्शनीय गहनताओं के बाहर
मेरी सामर्थ्यशाली शोभामयी चित्शक्ति प्रतीक्षा में अवलोकती
अपनी भव्य सुषुप्ति में निश्चल, अविकारी, उदासीन,
इस संसार के कालचक्रों की भीषणता के ऊर्ध्व में अन्तर्मुखी स्थित है।’’

A sob of things was answer to the voice,
And passionately the woman’s heart replied:
“Thy energy, Lord, to seize on woman and man,
To take all things and creatures in their grief
And gather them into a mother’s arms.”

उस देववाणी का प्रत्युत्तर पदार्थों में बसते एक सिसकते रोदन ने दिया,
और आवेश से पूरित सावित्री का हृदय बोला:
‘‘तेरी शक्ति, हे प्रभु, नर-नारी को अधिकृत कर रखने की है,
सकल वस्तुओं और प्राणियों को उनके दुःख में उठाकर
एक माता की भुजाओं में भर लेने की है।’’

Solemn and distant like a seraph’s lyre
A last great time the warning sound was heard:
“I open the wide eye of solitude
To uncover the voiceless rapture of my bliss,
Where in a pure and exquisite hush it lies
Motionless in its slumber of ecstasy,
Resting from the sweet madness of the dance
Out of whose beat the throb of hearts was born.”

शान्त और दूर से आते एक देवदूत के इकतारे समान
एक अन्तिम भव्य घड़ी में वह चेतावनी की गूंज फिर सुनायी दी:
‘‘मैं अपनी एकान्त नीरवता का विशाल नेत्र खोल
अपने परमानन्द का शब्दहीन आह्लाद प्रकटाता हूं,
एक विशुद्ध और उत्कृष्ट मौन में
यह अपनी सुषुप्ति की भाव-समाधि में अचल प्रतिष्ठित है,
अपने विश्व नृत्य की मधुर उत्तेजना से परे विश्रामरत है
इसी की ताल से हृदयों की धड़कनें बाहर निकल जन्मी हैं।’’

Breaking the silence with appeal and cry
A hymn of adoration tireless climbed,
A music beat of winged uniting souls,
Then all the woman yearningly replied:
“Thy embrace which rends the living knot of pain,
Thy joy, O Lord, in which all creatures breathe,
Thy magic flowing waters of deep love,
Thy sweetness give to me for earth and men.”[697]

तब उस परम नीरवता को अनुरोध और पुकार से भंग करती
आराधना की एक आरती अथक भाव से आरोहण कर गयी,
पंखधारी संयुक्त चैत्य सत्ताओं के एक गीत की यह ताल थी,
और उस सम्पूर्ण नारी सत्ता ने लालायित हो उत्तर दिया:
‘‘तेरा आलिंगन ही तो पीड़ा की जीवित ग्रन्थि काटता है,
तेरे हर्ष में ही तो, हे नाथ, समस्त प्राणी-जगत् श्वास लेता है,
तेरे गहन प्रेम की ये अद्भुत बहती धाराएं,
अपने इस माधुर्य को, हे स्वामी, मुझे धरती औ’ मानव हित सौंप दे।’’

 

Then after silence a still blissful cry
Began, such as arose from the Infinite
When the first whisperings of a strange delight
Imagined in its deep the joy to seek,
The passion to discover and to touch,
The enamoured laugh which rhymed the chanting worlds:
“O beautiful body of the incarnate Word,
Thy thoughts are mine, I have spoken with thy voice.

कुछ देर मौन के पश्चात् एक स्थिर परम सुखदायी ध्वनि
आरम्भ हो, एक चिरन्तन से ऐसे उठने लगी
जैसे कि एक विचित्र सुखानुभूति की प्रथम गुनगुनाहट हो
अन्तर की गहनता में संधान के प्रथम हर्ष की कल्पना हो,
खोज लेने और स्पर्श करने का प्रथम आवेश हो,
कीर्तन करते लोकों के नाद को संगीतमय करता मनमोहक हास्य हो:
‘‘हे अवतारी परमवाक् की लावण्यमयी काया,
तेरा संकल्प मेरा ही है, तेरी वाणी से मैं बोला हूं।

My will is thine, what thou hast chosen I choose.
All thou hast asked I give to earth and men.

मेरी इच्छा तू ही है, जो तूने वरा है मैं वही चुनता हूं:
जो सब तूने मांगा है मैं पृथ्वी और मानव हित देता हूं।

All shall be written out in destiny’s book
By my trustee of thought and plan and act,
The executor of my will, eternal Time.

मेरे संकल्प औ’ योजना एवं कर्म-विधायक द्वारा
यह सब नियति की पुस्तक में लिखा जायेगा,
मेरी वसीयत का कार्यभारी व्यवस्थापक शाश्वत काल द्वारा अंकित रहेगा।

But since thou hast refused my maimless Calm
And turned from my termless peace in which is expunged
The visage of Space, and the shape of Time is lost,
And from happy extinction of thy separate self
In my uncompanioned lone eternity,—
For not for thee the nameless worldless Nought,
Annihilation of thy living soul
And the end of thought and hope and life and love
In the blank measureless Unknowable,—
Because thou hast obeyed my timeless will
I lay my hands upon thy soul of flame,
I lay my hands upon thy heart of love,
I yoke thee to my power of work in Time.

क्योंकि तूने मेरी अक्षत प्रशान्तता को अस्वीकारा है
और मेरी अकाल शान्ति से मुख मोड़ लिया है जिसके अन्तर में
दिशाकाश का आकार और त्रिकाल का रूप मिट जाता है,
और अपने पृथक् व्यक्तित्व को मेरे प्रसन्न निर्वाण में मिटा
मेरी एकाकी निःसंग शाश्वतता में लीन होना अस्वीकारा है,
क्योंकि यह अनामी शब्दहीन असत् शून्य तेरे लिए नहीं है,
अपनी जीवन्त चैत्य सत्ता को मिटा
और इस शून्य अमेय परम अज्ञेय निर्वाण में
विचार, आशा, जीवन एवं प्रेम का अन्त करना तुझे स्वीकार नहीं है,
मैं तेरी तेजस्विनी आत्म-शिखा पर आशीष करों को धरता हूं,
तेरे प्रेमपूर्ण हृदय पर निज आशीष हस्त को धरता हूं
और तुझे दिक्काल में अपनी कर्मरत चित्-शक्ति के साथ जोड़ता हूं।

Because thou hast obeyed my timeless will,
Because thou hast chosen to share earth’s struggle and fate
And leaned in pity over earth-bound men
And turned aside to help and yearned to save,
I bind by thy heart’s passion thy heart to mine
And lay my splendid yoke upon thy soul.

क्योंकि तूने मेरे अकाल संकल्प का अनुपालन किया है,
क्योंकि तूने धरा के संघर्ष और भाग्य में हिस्सा बंटाना चुना है
और करुणा से भर इन धरती से बंधे मनुष्यों की ओर तू झुकी है
और सहायता औ’ सुरक्षा देने को लालायित उनकी ओर मुड़ी है,
मैं प्राण के भावावेश द्वारा अपने हृदय को तेरे हृदय से बांधता हूं
और तेरी आत्मा पर अपना भव्य जुआ रखता हूं।

Now will I do in thee my marvellous works.

अब तेरे द्वारा मैं अपने अद्भुत कार्यों को पूरा करूंगा।

I will fasten thy nature with my cords of strength,
Subdue to my delight thy spirit’s limbs
And make thee a vivid knot of all my bliss,[698]
And build in thee my proud and crystal home.

तेरे स्वभाव को अपने शक्ति-सूत्रों से बांधूंगा,
तेरे चैत्य सत्ता के अंगों को अपने आनन्द से वशीभूत कर
मैं तुझे अपनी आत्मरति की एक स्पष्ट स्वच्छ ग्रन्थि बनाऊंगा
और तुझमें अपना गौरवान्वित पारभासी स्फटिक गृह निर्मित करूंगा।

Thy days shall be my shafts of power and light,
Thy nights my starry mysteries of joy
And all my clouds lie tangled in thy hair
And all my springtides marry in thy mouth.

तेरे दिवस मेरी ऊर्जा और प्रकाश की किरणें होंगे,
तेरी रातें मेरे हर्ष के रहस्यों से तारामण्डित होंगी
मेरे सकल घनमेघ तेरी केशराशि में उलझ रहेंगे,
और मेरे सकल वसन्त ऋतु के ज्वार तेरे मुख पर मुदित बसेंगे।

O Sun-Word, thou shalt raise the earth-soul to Light
And bring down God into the lives of men;
Earth shall be my work-chamber and my house,
My garden of life to plant a seed divine.

हे सूर्य-दिव्यवाचा, तू अवश्य पार्थिव जीव को पराप्रकाश तक उठायेगी
और प्रभु को मानव जीवनों में उतार लायेगी;
यह धरा मेरा कर्मक्षेत्र और मेरा धाम बनेगी,
प्राण में एक दिव्यता का बीज रोपने हित मेरा उपवन होगी।

When all thy work in human time is done,
The mind of earth shall be a home of light,
The life of earth a tree growing towards heaven,
The body of earth a tabernacle of God.

जब मानव जीवन में तेरा समस्त कार्य सम्पादित हो जायेगा
तब पृथ्वी का मानस प्रकाश का एक भवन होगा,
धरा का यह जीवन स्वर्ग की ओर विकसित होता एक वृक्ष होगा,
धरा का यह शरीर प्रभु का एक मन्दिर होगा।

Awakened from the mortal’s ignorance
Men shall be lit with the Eternal’s ray
And the glory of my sun-lift in their thoughts
And feel in their hearts the sweetness of my love
And in their acts my Power’s miraculous drive.

इस मर्त्य-नश्वर अज्ञान से जागृत मानव
परात्पर प्रभु की किरण से ज्योतित हो उठेंगे
और उनके विचारों में मेरे प्रकाश में उन्नत होता गौरव झलकेगा
और वे निज अन्तरों में मेरी प्रेम माधुरी का अनुभव पायेंगे
और उनके कर्म मेरी दिव्य ऊर्जा की अद्भुत प्रेरणा से संचालित होंगे।

My will shall be the meaning of their days;
Living for me, by me, in me they shall live.

उनके दिवसों की सार्थकता में मेरा संकल्प कार्य करेगा;
वे मेरे लिए जियेंगे, मेरे द्वारा, मुझमें वे जीवन धारण करेंगे।

In the heart of my creation’s mystery
I will enact the drama of thy soul,
Inscribe the long romance of Thee and Me.

अपनी दृष्टि के गुह्य हृदयान्तर में
मैं तेरी अन्तरात्मा में नाटक की लीला करूंगा,
‘मेरी’ औ’ ‘तेरी’ इस दीर्घ प्रणय लीला को उत्कीर्ण करूंगा।

I will pursue thee across the century;
Thou shalt be hunted through the world by love,
Naked of ignorance’ protecting veil
And without covert from my radiant gods.
No shape shall screen thee from my divine desire.
Nowhere shalt thou escape my living eyes.

शताब्दियों को पार करता मैं तेरा पीछा करूंगा;
इस संसार के मध्य प्रेम द्वारा तेरा शिकार करूंगा
जब सुरक्षा देता अज्ञान का यह घूंघट हट जायेगा
और मेरे तेजोमय देवताओं का आवरण फिसल जायेगा।
मेरी दिव्य लालसा से तुझे कोई आकृति छिपा न पायेगी,
मेरे प्राणवन्त नेत्रों से तू कहीं बच नहीं पायेगी।

In the nudity of thy discovered self
In a bare identity with all that is,
Disrobed of thy covering of humanity,
Divested of the dense veil of human thought,
Made one with every mind and body and heart,
Made one with all nature and with self and God,
Summing in thy single soul my mystic world[699]
I will possess in thee my universe,
The universe find all I am in thee.

अनुसंधानित तेरी चैत्य सत्ता की इस नग्नता में,
सकल अस्तित्व के साथ एक निपट एकात्मता में,
मानवतारूपी अपने इस आवरण से विवस्त्र हो,
मानव विचारधारा के इस घने पट को हटाकर
प्रत्येक मन औ’ शरीर तथा हृदय से एकात्म हो
प्रभु औ’ परमात्मतत्त्व औ’ सकल प्रकृति से एक हो,
तू अपनी अकेली आत्मा में मेरे गुह्य जगत् को समाहित कर लेगी,
तब तुझमें मैं अपने विश्व को अधिकृत करूंगा,
और यह विश्व मुझे सम्पूर्णत: तुझमें पा जायेगा।

Thou shalt bear all things that all things may change,
Thou shalt fill all with my splendour and my bliss,
Thou shalt meet all with my transmuting soul.

तू निज अन्तर में समस्त तत्त्वों को धारण कर उनका रूपान्तर कर देगी,
तू अखिल विश्व को मेरी भव्यता और मेरे आनन्द से भर देगी
तू सबको अपनी रूपान्तरकारिणी आत्म-सत्ता से भेंटेगी।

Assailed by my infinitudes above,
And quivering in immensities below,
Pursued by me through my mind’s wall-less vast,
Oceanic with the surges of my life,
A swimmer lost between two leaping seas
By my outer pains and inner sweetnesses
Finding my joy in my opposite mysteries
Thou shalt respond to me from every nerve.

ऊर्ध्व में मेरी अनन्तताओं से आक्रामित,
नीचे गर्तताओं की विशालताओं से कम्पित होगी,
पर मैं अपने मन की असीमताओं द्वारा तेरा पीछा करता रहा हूं,
मेरे जीवन के इन अति गहन उतार-चढ़ावों के मध्य तू
एक तैराक सम इन दो उफनते सागरों में खोयी, तैरती
मेरी बहिर्पीड़ाओं और अन्तर माधुर्यों में भटकती
मेरे विरोधी द्वन्द्वों के रहस्यों में मेरे आनन्द को खोजती
तू अपने प्रत्येक नाड़ी-स्पन्दन से मुझे प्रत्युत्तर देती है।

A vision shall compel thy coursing breath,
Thy heart shall drive thee on the wheel of works,
Thy mind shall urge thee through the flames of thought,
To meet me in the abyss and on the heights,
To feel me in the tempest and the calm
And love me in the noble and the vile,
In beautiful things and terrible desire.

तब एक दिव्यदर्शन तेरे प्रवाहित श्वास को विवश बना,
तेरा हृदय तुझे कर्म-चक्र पर घुमायेगा,
तेरा मन विचार की ज्वालाओं के मध्य तुझे प्रेरित करेगा,
मुझसे मिलने पाताल की गर्तों में औ’ शिखरों पर भेंटने,
झंझावाती तूफानों और शान्ति में मुझे अनुभव करने,
सज्जन और दुराचारी में मुझे प्रेम करने,
सुन्दर पदार्थों और भीषण इच्छाओं में मुझे पाने को।

The pains of hell shall be to thee my kiss,
The flowers of heaven persuade thee with my touch.

नारकीय पीड़ाएं तेरे लिए मेरा चुम्बन होंगी,
सुरलोक के कुसुम मेरे स्पर्श द्वारा पीछा कर तुझे विवश कर देंगे।

My fiercest masks shall my attractions bring.

मेरे घोरतम मुखौटे भी तुझे आकर्षित करेंगे।

Music shall find thee in the voice of swords,
Beauty pursue thee through the core of flame.

तलवारों की टंकार में तुझे संगीत के स्वर मिलेंगे,
तप्त ज्वाला के मर्म में तुझे सौन्दर्य की प्रतीति होगी।

Thou shalt know me in the rolling of the spheres
And cross me in the atoms of the whirl.

इन घूमते लुढ़कते नक्षत्र-मण्डलों में तू मेरा परिचय पायेगी
और परमाणुओं के भंवरचक्रों में तू मुझे भेंटेगी।

The wheeling forces of my universe
Shall cry to thee the summons of my name.

मेरी सृष्टि की ये चक्रवाती ऊर्जाएं
मेरे नाम की दुहाई देती तुझे पुकारेंगी।

Delight shall drop down from my nectarous moon,
My fragrance seize thee in the jasmine’s snare,
My eye shall look upon thee from the sun.

मेरे सुधाकर-शशि से आनन्द-सुधा बूंद बूंद नीचे टपकेगी,
मेरी ही सुगन्ध चमेली को पाश बना तुझे पकड़ लेगी,
सूर्य से मेरे नेत्र तुझे अपलक देखेंगे।

Mirror of Nature’s secret spirit made,
Thou shalt reflect my hidden heart of joy,
Thou shalt drink down my sweetness unalloyed
In my pure lotus-cup of starry brim.[700]

विश्व-प्रकृति की रहस्यमयी आत्मा का दर्पण बनी,
तू मेरे गुप्त हृदय के हर्ष को प्रतिबिम्बित करेगी,
मेरे विशुद्ध माधुरी रस का तू छककर पान करेगी
मेरे पावन कमल-पात्र को तारांकित किनारी तक लबालब भरकर।

My dreadful hands laid on thy bosom shall force
Thy being bathed in fiercest longings’ streams.

अपने घोर करों को तेरे वक्ष पर धर तुझे विवश कर दूंगा
तेरी सत्ता को घोर लालसाओं की धाराओं में डुबो दूंगा।

Thou shalt discover the one and quivering note
And cry, the harp of all my melodies,
And roll, my foaming wave in seas of love.

तब तू उस अद्वितीय औ’ कम्पित स्वर का संधान करेगी,
ओ मेरे सकल रागिनियों की वीणा, तू पुकारेगी, गायेगी
मेरे प्रेम सागर की ओ तरंगित लहर, तू लोटी लोटी फिरेगी।

Even my disasters’ clutch shall be to thee
The ordeal of my rapture’s contrary shape:
In pain’s self shall smile on thee my secret face:
Thou shalt bear my ruthless beauty unabridged
Amid the world’s intolerable wrongs,
Trampled by the violent misdeeds of Time
Cry out to the ecstasy of my rapture’s touch.

मेरे अनर्थों की पकड़ भी तेरे लिए बन जायेगी
ऐसी अग्निपरीक्षा जो मेरे आनन्द का परिवर्तित रूप धर आयेगी:
पीड़ा के अन्तर में तू मेरा गोपित मुख मुस्कुराता पायेगी:
और इस जग के असहनीय अनाचारों के मध्य भी
तू मेरी निर्मम मोहिनी को बिना अपवाद सहन करेगी,
युगों के हिंसक आघातों द्वारा पददलित हो
मेरे आह्लादपूर्ण स्पर्श की आनन्दानुभूति को पुकारेगी।

All beings shall be to thy life my emissaries;
Drawn to me on the bosom of thy friend,
Compelled to meet me in thy enemy’s eyes,
My creatures shall demand me from thy heart.

तेरे जीवन के सकल जीव मेरे प्रतिनिधि होंगे;
निज सुहृद् बन्धु के वक्ष को मुझसे आकर्षित हो भेंटेगी,
अपने वैरी के नयनों में तू मुझसे मिलने को बाध्य होगी,
मेरा प्राणी-जगत् तेरे अन्तर में मुझे भेंटने की मांग करेगा।

Thou shalt not shrink from any brother soul.

तू किसी भी बन्धु आत्मा से दूर नहीं हट पायेगी।

Thou shalt be attracted helplessly to all.

असहाय-सी बनी तू सबकी ओर खिंच जायेगी।

Men seeing thee shall feel my hands of joy,
In sorrow’s pangs feel steps of the world’s delight,
Their life experience its tumultuous shock
In the mutual craving of two opposites.

तेरे दर्शन में मानव मेरे आनन्द-कर का सुखदायी अनुभव पायेंगे,
दु:ख की वेदनाओं में जगन्नाथ की आनन्दमयी पदचाप सुनेंगे,
अपने जीवन-अनुभव के प्रचण्ड आघात को
वे दो विरोधियों की आपसी टकराव की लालसा सम पायेंगे।

Hearts touched by thy love shall answer to my call,
Discover the ancient music of the spheres
In the revealing accents of thy voice,
And nearer draw to me because thou art:
Enamoured of thy spirit’s loveliness
They shall embrace my body in thy soul,
Hear in thy life the beauty of my laugh,
Know the thrilled bliss with which I made the worlds.

तेरे प्रेम के स्पर्श-प्राप्त हृदय मेरे आवाहन का उत्तर देंगे,
तेरी वाणी के व्यक्त होते उतार-चढ़ावों में
वे व्योममण्डल का आदि संगीत संधान कर लेंगे
और क्योंकि तू विद्यमान है वे मेरे और समीप खिंच आयेंगे:
तेरी चैत्य सत्ता की सुरम्यता के वशीभूत हो
वे तेरी सत्ता में मेरी देह का आलिंगन करेंगे,
तेरे जीवन में मेरे हास्य की मोहकता सुनेंगे,
वे उस स्पन्दित अन्तर-आनन्द को जिससे मैंने लोक रचे हैं, जानेंगे।

All that thou hast, shall be for others’ bliss,
All that thou art, shall to my hands belong.

जो सब तेरी सम्पदा है, यह अन्यों के आत्मसुख के लिए होगी,
जो सब तेरा अस्तित्व है, उस समस्त पर मेरा अधिकार है।

I will pour delight from thee as from a jar,
I will whirl thee as my chariot through the ways,
I will use thee as my sword and as my lyre,
I will play on thee my minstrelsies of thought.[701]

एक कलश समान मैं तुझसे सुखधार उड़ेलूंगा,
अपने रथ समान मैं तुझे इन मार्गों पर ले डोलूंगा,
अपनी तलवार और इकतारे सम तेरा उपयोग करूंगा,
मैं तुझ पर अपने संकल्पों की चारण-काव्यगाथा को अभिनीत करूंगा।

And when thou art vibrant with all ecstasy,
And when thou liv’st one spirit with all things,
Then will I spare thee not my living fires,
But make thee a channel for my timeless force.

और जब तू पूर्णत: भावभरी भक्ति से स्पन्दित हो उठेगी,
और सकल पदार्थों के संग एकात्म हो जायेगी,
तब मैं तुझे अपनी जीवन्त अग्नियों से नहीं बचाऊंगा,
वरन् तुझे अपनी कालातीत ऊर्जा की एक नलिका बना दूंगा।

My hidden presence led thee unknowing on
From thy beginning in earth’s voiceless bosom
Through life and pain and time and will and death,
Through outer shocks and inner silences
Along the mystic roads of Space and Time
To the experience which all Nature hides.

मेरी गुप्त उपस्थिति अनजाने तेरा पथप्रदर्शन करती रही है
जब से धरा के शब्दहीन वक्ष में तेरा आरम्भ हुआ था तब से
इस जीवन और पीड़ा में समस्त काल में तथा कल्पना एवं मृत्यु में,
बहिराघातों के मध्य और अन्तर मौन में
मैं तुझे दिक्काल के गुह्य मार्गों पर निरन्तर बढ़ाता रहा
उस आत्म-अनुभव की ओर जिसे सकल प्रकृति गोपित रखती है।

Who hunts and seizes me, my captive grows:
This shalt thou henceforth learn from thy heart-beats.

जो मेरा पीछा कर मुझे पकड़ लेता है, मेरा बन्दी बन विकसित होता है:
यह ज्ञान तू अब से अपनी हृदय-धड़कनों से सीख लेगी।

For ever love, O beautiful slave of God!

सतत प्रेम में डूब जा, ओ प्रभु की सुन्दरी दासी।

O lasso of my rapture’s widening noose,
Become my cord of universal love.

मेरे प्रेमानन्द के विस्तृत होते फंदे की, ओ फांसी,
विश्व प्रेम से बांधती बन जा मेरी डोरी।

The spirit ensnared by thee force to delight
Of creation’s oneness sweet and fathomless,
Compelled to embrace my myriad unities
And all my endless forms and divine souls.
O Mind, grow full of the eternal peace;
O Word, cry out the immortal litany:
Built is the golden tower, the flame-child born.

तेरे द्वारा फंसी आत्माएं जगदानन्द से विवश बनीं
इस सृष्टि की एकात्मता और अगाध माधुरी से बंध जायेंगी;
मेरी असंख्य एकताओं को और मेरे अनन्त रूपों को
और दिव्यात्माओं को आलिंगन करने को विवश होंगी
हे मानससत्ता, तू शाश्वत शान्ति से पूर्ण हो विकास कर;
हे आदि शब्द, अमर स्तुति का गान कर:
स्वर्ण मीनार का सर्जन हो गया है, ज्योति-शिशु जन्म ले चुका है।

 

“Descend to life with him thy heart desires.

‘‘जा जीवन में निज हृदय-कामनाओं के नाथ को साथ ले पदार्पण कर।

O Satyavan, O luminous Savitri,
I sent you forth of old beneath the stars,
A dual power of God in an ignorant world,
In a hedged creation shut from limitless self,
Bringing down God to the insentient globe,
Lifting earth-beings to immortality.

हे सत्यवान्, हे तेजस्विनी सावित्री,
इन तारों तले मैंने तुम्हें आदि काल से पठाया है,
एक अज्ञानी जगत् में प्रभु की युगल-शक्ति के रूप में,
असीम आत्मचेतना से घिरी एक सीमित सृष्टि में,
प्रभु को इस निश्चेतन जग में उतार लाने,
पृथ्वी की जीव-सत्ताओं को अमरत्व की ओर उठाने।

In the world of my knowledge and my ignorance
Where God is unseen and only is heard a Name
And knowledge is trapped in the boundaries of mind
And life is hauled in the drag-net of desire
And Matter hides the soul from its own sight,
You are my Force at work to uplift earth’s fate,[702]
My self that moves up the immense incline
Between the extremes of the spirit’s night and day.

मेरी विद्या और मेरी अविद्या के इस संसार में
जहां प्रभु अगोचर है और केवल परम नाम सुनायी देता है
और सकल ज्ञान मन की सीमाओं में फंस रह गया है
और जीवन-कामना के पाश में बंधा खींचा जाता है
और जड़तत्त्व ने स्वयं अपनी दृष्टि से अन्तरात्मा को छिपा लिया है,
तू मेरी ओज-शक्ति इस धरा के भाग्योत्थान में कार्यरत है,
मेरी व्यक्ति-सत्ता है जो जीव के रात्रि-दिवस के चरम तटों के
मध्य गतिशील, इस घोर चढ़ाई पर धीरे-धीरे चढ़ती है।

He is my soul that climbs from nescient Night
Through life and mind and supernature’s Vast
To the supernal light of Timelessness
And my Eternity hid in moving Time
And my boundlessness cut by the curve of Space.

सत्यवान् मेरा आत्मपुरुष है जो निश्चेतना की अन्धरात्रि से
प्राण औ’ मन औ’ पराप्रकृति के दिव्य विस्तार के मध्य से
निकल, कालातीत पराज्योति को ओर आरोहण करता है
और त्रिकाल की गति में छिपी वह मेरी शाश्वतता है
ब्रह्माण्डीय दिशाकाश से वक्रता द्वारा काटा गया मेरी अनन्तता का अंश है।

It climbs to the greatness it has left behind
And to the beauty and joy from which it fell,
To the closeness and sweetness of all things divine,
To light without bounds and life illimitable,
Taste of the depths of the Ineffable’s bliss,
Touch of the immortal and the infinite.

यह अपने पीछे छूटी निज आत्म-महत्ता की ओर चढ़ता है
और उस सौन्दर्य औ’ हर्ष की ओर जहां से यह गिरा था,
सकल भागवत वस्तुओं की मधुरता औ’ सान्निध्य की ओर,
असीम अनन्त ज्योति और असीम प्राण की ओर,
अनिर्वचनीय के आनन्द-रस की गहनताओं की ओर,
नित्यता की ओर और अमरत्व के स्पर्श की ओर प्रगति करता है।

He is my soul that gropes out of the beast
To reach humanity’s heights of lucent thought,
And the vicinity of Truth’s sublime.

वह मेरा जीव-पुरुष है जो पशु काया के बाहर टटोलता रहता है
मानव-उच्चताओं के दीप्तिमय विचार तक पहुंचने के प्रयास में,
और परम सत्य का श्रेष्ठ सान्निध्य पाने को श्रमरत है।

He is the godhead growing in human lives
And in the body of earth-being’s forms,
He is the soul of man climbing to God
In Nature’s surge out of earth’s ignorance.

वह चैत्य पुरुष है जो मानव जीवनों में विकासशील है
और पार्थिव सत्ता के आकारों की मानव काया में हैः
धरती के अज्ञान से इस अपरा प्रकृति की तरंग से बाहर आ
वह प्रभु की ओर चढ़ती मानव की चैत्यात्मा है।

O Savitri, thou art my spirit’s Power,
The revealing voice of my immortal Word,
The face of Truth upon the roads of Time
Pointing to the souls of men the routes to God.

ओ सावित्री, तू मेरे आत्म-तत्त्व की चित्-शक्ति है,
मेरे अमर आदिशब्द को प्रकटाती मेरी वाणी है,
युग के पथों पर प्रकाश करती नित्य सत्य की मुखश्री है
जो मानव जीवात्मा को प्रभु मार्गों की ओर संकेत कर दिखाती है।

While the dim light from the veiled Spirit’s peak
Falls upon Matter’s stark inconscient sleep
As if a pale moonbeam on a dense glade,
And Mind in a half-light moves amid half-truths
And the human heart knows only human love
And life is a stumbling and imperfect force
And the body counts out its precarious days,
You shall be born into man’s dubious hours
In forms that hide the soul’s divinity
And show through veils of the earth’s doubting air
My glory breaking as through clouds a sun,
Or burning like a rare and inward fire,[703]
And with my nameless influence fill men’s lives.

जब परमात्मा के आच्छन्न शिखर से धूमिल प्रकाश
जड़तत्त्व की नितान्त अचित् निद्रा पर ऐसे गिरता है
जैसे कि एक सघन वनस्थली पर एक विवर्ण चन्द्रकिरण आ गिरे,
और मनःशक्ति एक अर्ध-प्रकाश में अर्ध-सत्यों में भटके
और मानव हृदय केवल मानवीय प्रेम को पहचाने
और जीवन ठोकर खाता अपनी अपूर्ण ऊर्जा में लड़खड़ाये
और यह शरीर अपने अनिश्चित दुर्भाग्य के दिवस गिने,
ऐसे मानव की संदिग्ध घड़ियों में तू जन्म लेती है
उन आकृतियों में जो आत्मा का देवत्व छिपा रखती हैं
और पृथ्वी के शंकालु परिवेश पट के पीछे से
तू मेरी महिमा को मेघों के मध्य चमकते सूर्य सम दीखेगी,
या एक विरल अन्तराग्नि सम प्रज्वलित होगी,
मेरे अनामी प्रभाव से मानव जीवनों को परिपूर्ण कर देगी।

Yet shall they look up as to peaks of God
And feel God like a circumambient air
And rest on God as on a motionless base.

तथापि वे ऊर्ध्व की ओर ऐसे ताकेंगे जैसे प्रभु के शिखरों को देखते हों
और प्रभु को एक सर्वव्याप्त वायु सम अनुभव करेंगे
और प्रभु पर एक स्थिर आधार सम विश्वास रख शान्त रहेंगे।

Yet shall there glow on mind like a horned moon
The spirit’s crescent splendour in pale skies
And light man’s life upon his Godward road.

मानस के ऊपर एक अर्धचन्द्राकार सम प्रकाश होगा
मन के पीतवर्णी आकाश में यह आत्मा की अर्धचन्द्राकार श्री होगी
जो प्रभु की ओर जाते मानव जीवन को आलोकित कर देगी।

But more there is concealed in God’s Beyond
That shall one day reveal its hidden face.

किन्तु ईश्वर की परात्परता में जो और अधिक गोपित है
वह अपना अवगुण्ठित मुख एक दिन अवश्य प्रकटायेगा।

Now mind is all and its uncertain ray,
Mind is the leader of the body and life,
Mind the thought-driven chariot of the soul
Carrying the luminous wanderer in the night
To vistas of a far uncertain dawn,
To the end of the Spirit’s fathomless desire,
To its dream of absolute truth and utter bliss.

किन्तु अभी तो मन और इसकी अनिश्चित किरण ही सर्वस्व है,
इस देह औ’ प्राण का नेता मन ही है,
यह मन इस जीव का विचार-संचालित रथ है
जो इस रात्रि के मध्य इस दीप्तिमय पर्यटक का वहन कर
एक सुदूर की अनिश्चित उषा के परिदृश्यों की ओर ले जा रहा है,
अन्तरात्मा की अगाध कामना की पूर्ति की ओर,
परम सत्य और परम-आनन्द के इसके स्वप्न की ओर।

There are greater destinies mind cannot surmise,
Fixed on the summit of the evolving Path
The Traveller now treads in the Ignorance,
Unaware of his next step, not knowing his goal.

पर मन के अनुमान से परे यहां और महत्तर विधियों के विधान हैं
ये विकासक्रम महापथ के शिखर पर अटल स्थित हैं,
यह यात्री जीव अभी अविद्या के मार्गों पर चल रहा है,
यह अपने अगले चरण के बारे में अचेत है और लक्ष्य से अनजान है।

Mind is not all his tireless climb can reach,
There is a fire on the apex of the worlds,
There is a house of the Eternal’s Light,
There is an infinite truth, an absolute power.

उसके अथक आरोहण की पहुंच केवल मन तक ही नहीं है,
इन लोकों की धुरी पर एक दिव्याग्नि प्रज्वलित है,
वहां शाश्वत ज्योति का एक भवन है
एक चिर-सत्य है, एक परंतप शक्ति है।

The spirit’s mightiness shall cast off its mask;
Its greatness shall be felt shaping the world’s course.
It shall be seen in its own veilless beams,
A star rising from the Inconscient’s night,
A sun climbing to Supernature’s peak.

परमात्मा की शक्ति वहां अपना मुखौटा उतार देगी;
इस संसार के पथ का रूपायण करती महिमा की अनुभूति होगी:
यह तब अपनी आवरणहीन आत्मकिरणों में दीखेगी,
इस घोर अचित् की रात्रि में एक तारे सम उदित होती
परा-प्रकृति के शिखर पर एक सूर्य सम आरोहण करती।

Abandoning the dubious Middle Way
A few shall glimpse the miraculous Origin
And some shall feel in you the secret Force
And they shall turn to meet a nameless tread,
Adventurers into a mightier Day.

इस अनिश्चित संदिग्ध मध्य-मार्ग को तज कर चलने वाले
विरले ही होंगे जो इस चमत्कारी दिव्य आरम्भ की झलक पायेंगे
और कुछ तुझमें उस गुह्य दिव्य ऊर्जा का अनुभव पायेंगे,
और वे एक अनामी पगध्वनि को भेंटने निज जीवन-पथ पर मुड़ जायेंगे,
पुण्य दिवस में प्रवेश करते वे साहसी वीर होंगे।

Ascending out of the limiting breadths of mind,
They shall discover the world’s huge design[704]
And step into the Truth, the Right, the Vast.

मन के सीमित श्वासों से निकल वे ऊर्ध्व में चढ़ जायेंगे,
संसार की विराट् योजना का संधान करने
और परम-ऋत, नित्य शिव, परम विराट् में पदार्पण करने।

You shall reveal to them the hidden eternities,
The breath of infinitudes not yet revealed,
Some rapture of the bliss that made the world,
Some rush of the force of God’s omnipotence,
Some beam of the omniscient Mystery.

इन गोपित शाश्वतताओं को तू उनके लिए प्रकटा देगी,
अभी तक अव्यक्त अनन्तता के प्राणश्वास को,
इस जग के स्रष्टा परमानन्द के किसी आत्म-प्रसाद को,
प्रभु की सर्वशक्तिशाली ऊर्जा के किसी प्रवेग को,
सर्वज्ञाता परम-रहस्य की किसी किरण को दर्शा देगी।

But when the hour of the Divine draws near,
The Mighty Mother shall take birth in Time
And God be born into the human clay
In forms made ready by your human lives.

किन्तु जब भागवत घड़ी समीप आयेगी
तब शक्तिरूपा मां भगवती पार्थिव काल में जन्म लेगी
और इस मानवीय माटी में प्रभु का जन्म होगा
उन आकारों में जिन्हें तेरे मानव जीवनों ने तैयार कर रचा है।

Then shall the Truth supreme be given to men.
There is a being beyond the being of mind,
An Immeasurable cast into many forms,
A miracle of the multitudinous One.
There is a consciousness mind cannot touch,
Its speech cannot utter nor its thought reveal.

तब सर्वोच्य अमर सत्य मानवजाति को दिया जायेगाः
मन की सत्ता से परे भी एक सत्ता का अस्तित्व है,
एक अमेय परम सत्ता का जो अनेक आकारों में गठित है
बहुविध परमैकम् का यह एक चमत्कार है,
यहां एक चेतना है जिसे मन स्पर्श नहीं कर सकता है,
वाणी इसकी अभिव्यक्त नहीं कर सकती न विचार प्रकटा सकता है।

It has no home on earth, no centre in man,
Yet is the source of all things thought and done,
The fount of the creation and its works.
It is the originer of all truth here,
The sun-orb of mind’s fragmentary rays,
Infinity’s heaven that spills the rain of God,
The Immense that calls to man to expand the Spirit,
The wide Aim that justifies his narrow attempts,
A channel for the little he tastes of bliss.

इसका पृथ्वी पर कोई धाम नहीं है, मानव में कोई केन्द्र नहीं है,
फिर भी समस्त विचारित और कृत वस्तुओं का आदिस्त्रोत है,
इस सृष्टि और इसके कार्यों का उद़्गम है,
यहां के समस्त सत्यों का मूल कारण है,
मन की खण्डित बिखरी किरणों का सूर्यमण्डल है,
चिरन्तन का देवलोक है जो प्रभु-कृपा का मेह बरसाता है,
वह विराट् उदार है जो मानव को आत्म-विस्तार हित टेरता है,
विस्तृत परम लक्ष्य है जो मानव को आत्म-विस्तार हित टेरता है,
विस्तृत परम लक्ष्य है जो उसके सीमित प्रयासों का औचित्य सिद्ध करता है,
उसकी एक प्रणाली है जिससे वह तनिक-सा परमानन्द का रस लेता है।

Some shall be made the glory’s receptacles
And vehicles of the Eternal’s luminous power.

कुछ इस महिमा के पात्र बनाये जायेंगे
चिरन्तन प्रभु की तेजस्वी शक्ति के वे वाहन बनेंगे।

These are the high forerunners, the heads of Time,
The great deliverers of earth-bound mind,
The high transfigurers of human clay,
The first-born of a new supernal race.

ये महान् अग्रगामी दूत हैं, युगों के शिरोमणि हैं,
पार्थिवता से जकड़े मन के महान् विमोचक हैं,
मानव काया की माटी के ये श्रेष्ठ रुपान्तरकर्ता हैं,
एक नूतन अभिनव दिव्यजाति के ये प्रथम-जात हैं।

The incarnate dual Power shall open God’s door,
Eternal supermind touch earthly Time.

यह युगल अवतारी चित्शक्ति प्रभु के द्वारों को खोल देगी,
अनन्त सत्य-मन इस पार्थिव काल का स्पर्श करेगा।

The superman shall wake in mortal man
And manifest the hidden demi-god
Or grow into the God-Light and God-Force[705]
Revealing the secret deity in the cave.

इस नश्वर मानव में तब सत्य अतिमानव जागेगा
और गुह्य अर्धदेव को अभिव्यक्त करेगा
या प्रभु-प्रकाश और भागवत चित्शक्ति में विकसित होगा,
अन्तरस्थ गर्भ-गृह में गुह्य देव को प्रकटा देगा।

Then shall the earth be touched by the Supreme,
His bright unveiled Transcendence shall illumine
The mind and heart, and force the life and act
To interpret his inexpressible mystery
In a heavenly alphabet of Divinity’s signs.

तब यह पृथ्वी पुरुषोत्तम प्रभु का स्पर्श पायेगी,
दिव्य उज्जवल उद़्घाटित परात्पर-तत्त्व से भर देगी
इस मन औ’ प्राण को औ’ जीवन एवं कर्म को बाध्य कर देगी
प्रभु की अव्यक्त गुह्यता की व्याख्या करने
दिव्यता के संकेतों की एक दिव्य वर्णमाला बनाने को।

His living cosmic spirit shall enring,
Annulling the decree of death and pain,
Erasing the formulas of the Ignorance,
With the deep meaning of beauty and life’s hid sense,
The being ready for immortality,
His regard crossing infinity’s mystic waves
Bring back to Nature her early joy to live,
The metred heart-beats of a lost delight,
The cry of a forgotten ecstasy,
The dance of the first world-creating Bliss.

प्रभु की जीवन्त विश्वात्मा गुंजित हो उठेगी,
मृत्यु और पीड़ा की इस आज्ञप्ति को भंग करती
इस अज्ञ अविद्या के सूत्रों को मिटाती,
वह सौन्दर्य के गहन अर्थ औ’ जीवन के गुह्य बोध के साथ
अमरत्व के लिए तत्पर मानव सत्ता में आ बसेगी,
उसकी दृष्टि नित्य की गुह्य लहरें पार करती
आदि प्रकृति के उसके आरम्भिक जीवन के हर्ष को लौटा लायेगी,
एक लुप्त काम्य सुख के छन्दबद्ध हृदय-स्पन्दनों को,
एक विस्मय आत्म-रति के चीत्कार को,
प्रथम जगत् रचनाकार आनन्दघन देव के नृत्य को ले आयेगी।

The Immanent shall be the witness God
Watching on his many-petalled lotus-throne,
His actionless being and his silent might
Ruling earth-nature by Eternity’s law,
A thinker waking the Inconscient’s world,
An immobile centre of many infinitudes
In his thousand-pillared temple by Time’s sea.

इस सबका साक्षी अन्तर्यामी ईश्वर होगा
वह अपने सहस्त्रदल कमलासन पर विराजमान अवलोकता है,
अपनी निष्क्रिय सत्ता को और अपनी मूक शक्ति को
अनन्त शाश्वत विधान द्वारा पार्थिव प्रकृति पर शासन करके,
एक मनीषी द्वारा इस जड़-अचित् के संसार को जगाता है,
यह अनेक नित्यताओं का एक अचल केन्द्र
अपने सहस्त्र-स्तम्भी मन्दिर में महाकाल के सागर पर स्थित है।

Then shall the embodied being live as one
Who is a thought, a will of the Divine,
A mask or robe of his divinity,
An instrument and partner of his Force,
A point or line drawn in the infinite,
A manifest of the Imperishable.

तब यह देहधारी सत्ता प्रभु के विचार से एक हो,
भगवान् का एक संकल्प बन जीवन धारेगी,
उसकी दिव्यता का एक मुखौटा या परिधान होगी,
उसकी चित्शक्ति का एक यन्त्र और भागीदार होगी,
अनन्तता में अंकित एक बिन्दु या रेखा होगी,
अविनाशी अक्षर की एक अभिव्यक्ति होगी।

The supermind shall be his nature’s fount,
The Eternal’s truth shall mould his thoughts and acts,
The Eternal’s truth shall be his light and guide.

परम सत्य-मन उसके स्वभाव का उद़्गम स्त्रोत होगा,
चिरन्तन सत्य उसके विचारों औ’ कर्मों को ढालेगा
चिरन्तन सत्य उसका प्रकाश और गुरु होगा।

All then shall change, a magic order come
Overtopping this mechanical universe.

समस्त तब परिवर्तित हो जायेगा, एक अद़्भुत विधान आ
इस यान्त्रिक विश्व को व्याप्त कर उसके ऊर्ध्व में छा जायेगा।

A mightier race shall inhabit the mortal’s world.

एक अधिक समर्थ-जाति का इस नश्वर संसार में वास होगा।

On Nature’s luminous tops, on the Spirit’s ground,[706]
The superman shall reign as king of life,
Make earth almost the mate and peer of heaven
And lead towards God and truth man’s ignorant earth
And lift towards godhead his mortality.

विश्व-प्रकृति के द्युतिमान शिखरों पर, विश्वात्मा की धरती पर,
अतिमानव तब जीवन का अधिपति बन शासन करेगा,
इस पृथ्वी को प्रायः स्वर्ग की सहचरी और समकक्ष बना देगा,
और मनुज के अज्ञानी हृदय को प्रभु औ’ सत्य की ओर ले जायेगा
और उसकी मर्त्यता को देवत्व की ओर उठा देगा।

A power released from circumscribing bounds,
Its height pushed up beyond death’s hungry reach,
Life’s tops shall flame with the Immortal’s thoughts,
Light shall invade the darkness of its base.

चहुं ओर से घिरे बंधनों से विमोचित एक ऊर्जा होगी
जिसकी ऊंचाई मृत्यु की भूखी पहुंच से परे उन्नत होगी,
इस जीवन के शिखरों पर अमरता के संकल्प प्रज्वलित होंगे,
इसके मूलाधार के अन्धकार को प्रकाश विदीर्ण कर देगा।

Then in the process of evolving Time
All shall be drawn into a single plan,
A divine harmony shall be earth’s law,
Beauty and Joy remould her way to live:
Even the body shall remember God,
Nature shall draw back from mortality
And Spirit’s fires shall guide the earth’s blind force;
Knowledge shall bring into the aspirant Thought
A high proximity to Truth and God.

तब युगों की विकास-प्रक्रिया में
समष्टि की एक अद्वितीय योजना आंकी जायेगी,
एक दिव्य सहयोगिता इस धरती का तब नवविधान होगी,
सौन्दर्य औ’ हर्ष मिल इस जीवन-पथ को नव-रूप में ढालेंगेः
नश्वर देह भी प्रभु स्मृति से पूर्ण होगी,
उसकी प्रकृति का स्वभाव मर्त्यता से परे हट जायेगा
और आत्म-भाव का तेज इस पृथ्वी की अन्धी शक्ति का गुरु होगा;
आत्मज्ञान मानव के अभीप्सु संकल्प में प्रवाहित हो
प्रभु का सान्निध्य और दिव्य सत्य की उच्च समीपता ले आयेगा।

The supermind shall claim the world for Light
And thrill with love of God the enamoured heart
And place Light’s crown on Nature’s lifted head
And found Light’s reign on her unshaking base.

तब सत्यमन इस संसार को पराज्योति के लिए अधिकृत कर
अनुरागी हृदय को प्रभु-प्रेम से स्पन्दित कर देगा
और पराज्योति का मुकुट विश्व-प्रकृति के उन्नत ललाट पर धर
इसके अचल आधार पर दिव्य ज्योति का शासन स्थापित कर देगा।

A greater truth than earth’s shall roof-in earth
And shed its sunlight on the roads of mind;
A power infallible shall lead the thought,
A seeing Puissance govern life and act,
In earthly hearts kindle the Immortal’s fire.

पार्थिव सत्य से एक महत्तर सत्य पृथ्वी पर वितान सम छा जायेगा
और यह अपना प्रकाश मन के पथों पर बिखरा देगा;
एक अमोघ ऊर्जा विचार का मार्ग दर्शन करेगी,
एक द्रष्टा आत्म-शक्ति प्राण और कर्म पर शासन करेगी,
पार्थिव हृदयों मे अमर देवाग्नि प्रज्वलित होगी।

A soul shall wake in the Inconscient’s house;
The mind shall be God-vision’s tabernacle,
The body intuition’s instrument,
And life a channel for God’s visible power.

इस जड़-अचित् के घर में एक चैत्यात्मा जाग उठेगी;
यह चित्त प्रभु-दर्शन का मन्दिर होगा,
यह काया सहजबोध का यन्त्र बनेगी,
और प्राण-जीवन प्रभु की दृश्य शक्ति की एक प्रणाली होगी।

All earth shall be the Spirit’s manifest home,
Hidden no more by the body and the life,
Hidden no more by the mind’s ignorance;
An unerring Hand shall shape event and act.

सकल धरा परमात्मा की अभिव्यक्ति का धाम होगी,
इस शरीर और जीवन में अब और छिपा नहीं सकेगा;
एक अचूक विधाता का हाथ घटना औ’ कर्म का रूपायण कर देगा।

The Spirit’s eyes shall look through Nature’s eyes,
The Spirit’s force shall occupy Nature’s force.[707]

जड़-प्रकृति के नेत्रों को माध्यम बना अन्तरात्मा के नेत्र देखेंगे,
अन्तरात्मा की शक्ति प्रकृति की शक्ति का स्थान ले लेगी।

This world shall be God’s visible garden-house,
The earth shall be a field and camp of God,
Man shall forget consent to mortality
And his embodied frail impermanence.

यह जगत् प्रभु का उद्यान-भवन होगा,
यह धरती प्रभु का एक क्षेत्र और शिविर होगी,
मानव अपनी नश्वरता का अनुमोदन नहीं करेगा
और अपनी दुर्बल काया की क्षणभंगुरता भूल जायेगा।

This universe shall unseal its occult sense,
Creation’s process change its antique front,
An ignorant evolution’s hierarchy
Release the Wisdom chained below its base.

यह विश्व निज आत्म-रहस्य की कुंजी प्रकटा देगा,
सृष्टि के कार्य करने के ढंग की पुरातन प्रक्रिया बदल जायेगी,
एक अज्ञानी विकास-क्रम की परम्परा
इस सृष्टि के मूलाधार में बंधी प्रज्ञा को मुक्त कर देगी।

The Spirit shall be the master of his world
Lurking no more in form’s obscurity
And Nature shall reverse her action’s rule,
The outward world disclose the Truth it veils;
All things shall manifest the covert God,
All shall reveal the Spirit’s light and might
And move to its destiny of felicity.

विज्ञानमय-पुरुष अपने संसार का स्वामी होगा
यह आकार के धूमिल आवरण में और छिपा नहीं रहेगा
और विश्व-प्रकृति अपना कर्म-विधान ही परिवर्तित कर देगी,
यह व्यक्त बहिर्जगत् आत्म-सत्य से घूंघट हटा उसे प्रकटा देगा;
सकल पदार्थ आत्मगोपित प्रभु को अभिव्यक्त करेंगे,
समष्टि विश्वात्मा की ज्योति औ’ शक्ति सामने ले आयेगी
और परमानन्द की अपनी नियति की ओर गतिशील होगी।

Even should a hostile force cling to its reign
And claim its right’s perpetual sovereignty
And man refuse his high spiritual fate,
Yet shall the secret Truth in things prevail.

यदि एकाध विद्वेषी शक्ति फिर भी अपनी प्रभुता से चिपकी
और अपने स्थायी आधिपत्य की घोषणा करती रही
और यदि मानव निज उन्नत आत्मिक नियति को अस्वीकार करे,
तब भी तत्त्वों में गोपित नित्य-सत्य अवश्य स्थापित होगा।

For in the march of all-fulfilling Time
The hour must come of the Transcendent’s will:
All turns and winds towards his predestined ends
In Nature’s fixed inevitable course
Decreed since the beginning of the worlds
In the deep essence of created things:
Even there shall come as a high crown of all
The end of Death, the death of Ignorance.

क्योंकि सर्वसिद्ध त्रिकाल के इस प्रयाण में
परात्पर भागवत संकल्प का मुहूर्त अवश्य आयेगाः
सकल पदार्थ अपने निश्चित भावी लक्ष्य की ओर घूमते बढ़ते हैं
विश्व-प्रकृति के अपने नियत अनिवार्य पथ पर चलते बढ़ते हैं
यह सब सृष्टि के आरम्भ में ही आदेशित था
इन सृष्ट-पदार्थों के गहन सारतत्त्व की आज्ञप्ति में:
इस सकल के एक उच्च शीर्ष मुकुट सम यहां आयेगी
मृत्यु की समाप्ति, घोर अविद्या की मृत्यु भी।

But first high Truth must set her feet on earth
And man aspire to the Eternal’s light
And all his members feel the Spirit’s touch
And all his life obey an inner Force.

किन्तु सर्वप्रथम विशाल नित्य-सत्य को पृथ्वी पर निज चरण धरने होंगे
और मानव को सतत शाश्वत ज्योति की अभीप्सा कर
अपने सब अंगों में परमात्मा का स्पर्शानुभव पाना होगा
और अपने समस्त जीवन द्वारा एक अन्तर आत्मशक्ति का अनुसरण करना होगा।

This too shall be; for a new life shall come,
A body of the Superconscient’s truth,
A native field of Supernature’s mights:
It shall make earth’s nescient ground Truth’s colony,
Make even the Ignorance a transparent robe[708]
Through which shall shine the brilliant limbs of Truth
And Truth shall be a sun on Nature’s head
And Truth shall be the guide of Nature’s steps
And Truth shall gaze out of her nether deeps.

यह सब यहां होगा ही; क्योंकि एक नवजीवन को आना है,
पराचेतना के सत्य को एक शरीर धारण करना है,
परा-प्रकृति की सम्भावनाओं का एक नैसर्गिक सहज क्षेत्र बनना हैः
यह पृथ्वी की निश्चेतन भूमि को परम-सत्य का उपनिवेश बना देगा,
इस अविद्या के पट को भी एक पारभासी परिधान बना देगा
जिसके माध्यम से चिर-सत्य के द्युतिमान अंग चमकेंगे
और यह नित्य-सत्य विश्व-प्रकृति के माथे पर एक सूर्य बन दमकेगा
और यह नित्य-सत्य जड़-प्रकृति के पगों को मार्ग दिखायेगा
और यह सत्य उसकी पातालीय गहनताओं से निकल उदित हो उठेगा।

When superman is born as Nature’s king
His presence shall transfigure Matter’s world:
He shall light up Truth’s fire in Nature’s night,
He shall lay upon the earth Truth’s greater law;
Man too shall turn towards the Spirit’s call.

जब दिव्य मानव विश्व-प्रकृति का नृपति बन जन्मेगा
उसकी उपस्थिति से इस भौतिक संसार का रुपान्तर हो जायेगाः
वह ऋत की ज्योति से भौतिक प्रकृति की रात्रि प्रज्वलित करेगा,
वह चिर सत्य का महत्तर विधान पृथ्वी पर अध्यारोपित करेगा;
यह मनुज भी तब परमात्मा के आवाहन की ओर मुड़ जायेगा।

Awake to his hidden possibility,
Awake to all that slept within his heart
And all that Nature meant when earth was formed
And the Spirit made this ignorant world his home,
He shall aspire to Truth and God and Bliss.

वह अपनी गोपित सम्भावना के प्रति जाग्रत् हो,
उसके हृदय में जो सोया है उसके प्रति सचेत हो जायेगा
और जब पृथ्वी सृष्ट हुई थी और परमेश्वर ने इस अज्ञानी संसार में
निज धाम बनाया था उस प्रकृति देवी के सकल अर्थ के प्रति सचेतन हो,
वह परम सत्य और परमेश्वर एवं परमानन्द हित अभीप्सा करेगा।

Interpreter of a diviner law
And instrument of a supreme design
The higher kind shall lean to lift up man.

एक दिव्यतर विधान का भाष्यकर
और एक सर्वोत्तम योजना का यन्त्र बन,
एक महत्तर वर्ग इस मानव के उत्थान हित नीचे आयेगा।

Man shall desire to climb to his own heights.

मानव तब निज पराकाष्ठाओं को पाने की अभीप्सा करेगा।

The truth above shall wake a nether truth;
Even the dumb earth become a sentient force.

यह उच्च सत्य एक निम्न अधोसत्य को जगायेगा,
यह मूक अचेत धरा तब एक सचेत शक्ति बन जायेगी।

The Spirit’s tops and Nature’s base shall draw
Near to the secret of their separate truth
And know each other as one deity.

आत्म-चेतना की उच्चताएं औ’ भौतिक प्रकृति की मूलाधार गहनताएं
अपने पृथक् सत्य के रहस्य से आकर्षित हो समीप आ जायेंगे
और एक-दूसरे को एक देवता सम पहचान लेंगीं।

The Spirit shall look out through Matter’s gaze
And Matter shall reveal the Spirit’s face.

भौतिक तत्त्वों के नेत्रों से परमात्म तत्त्व बाहर देखेगा
और जड़तत्त्व में परमात्मा का मुख दिखायी देगा।

Then man and superman shall be at one
And all the earth become a single life.

तब मानव और अतिमानव मिल एक हो जायेगा
और सम्पूर्ण धरती का जीवन एक ही आत्मश्वास भरेगा।

Even the multitude shall hear the Voice
And turn to commune with the Spirit within
And strive to obey the high spiritual law:
This earth shall stir with impulses sublime,
Humanity awake to deepest self,
Nature the hidden godhead recognise.

सामान्य जन तक को अन्तर्नाद सुनायी देगा
और वह अन्तर्मुखी हो परमतत्त्व से सम्भाषण करेगा
और श्रेष्ठ आध्यात्मिक विधानानुसार रहने का प्रयास करेगाः
यह भूमि तब उदात्त अन्तर्वेगों से आन्दोलित हो उठेगी,
मानवता अपनी गहनतम आत्म-चेतना में जाग जायेगी,
प्रकृति तब अपने गोपित देवत्व को पहचान लेगी।

Even the many shall some answer make
And bear the splendour of the Divine’s rush
And his impetuous knock at unseen doors.[709]

फिर भी अनेक होंगे जो कुछ उत्तर देने का प्रयास करेंगे
और दिव्यता के भव्य आवेग को वहन करेंगे
और अदृश्य द्वारों पर उसकी उत्साही दस्तक सुनेंगे।

A heavenlier passion shall upheave men’s lives,
Their mind shall share in the ineffable gleam,
Their heart shall feel the ecstasy and the fire,
Earth’s bodies shall be conscious of a soul;
Mortality’s bond-slaves shall unloose their bonds,
Mere men into spiritual beings grow
And see awake the dumb divinity.

एक अलौकिक आवेश मानव-जीवनों में उथल-पुथल मचा देगा,
उस अवर्णनीय प्रकाशपुंज में उनका मन भी हिस्सा लेगा,
उनके प्राण उस प्रहर्ष और ज्वाला के तेज का अनुभव पायेंगे।
पृथ्वी के शरीर एक आत्मा के प्रति सचेत हो उठेंगे;
मृत्यु के बंधुआ दास अपने बन्धनों को खोल डालेंगे,
और तुच्छ मानव आध्यात्मिक सत्ताओं में विकसित हो जायेंगे
और इस मूक दिव्यता को जाग्रत् होते देखेंगे।

Intuitive beams shall touch the nature’s peaks,
A revelation stir the nature’s depths:
The Truth shall be the leader of their lives,
Truth shall dictate their thought and speech and act,
They shall feel themselves lifted nearer to the sky,
As if a little lower than the gods.

स्वभाव के शिखरों को अन्तर्प्रेरणा की किरणें स्पर्श करेंगी,
स्वभाव की गहराइयों को एक आत्मदर्शन हिला देगा;
आत्म-सत्य उनके जीवनों का नेता होगा
आत्म-सत्य उनके विचार औ’ वाचा तथा कर्म-संचालन करेगा,
वे स्वयं उन्नत हो नभ को समीपतर अनुभव करेंगे,
अपने को देवों की अपेक्षा अल्प मात्र ही न्यून अनुभव करेंगे।

For knowledge shall pour down its radiant streams
And even darkened mind quiver with new life
And kindle and burn with the Ideal’s fire
And turn to escape from mortal ignorance.

क्योंकि तब विद्या द्युतिमान धाराओं में नीचे प्रवाहित कर दी जायेगी
और अन्धतम मन भी नवप्राण का स्पन्दन पायेगा
और परम आदर्श की ज्वाला से प्रज्वलित हो जल उठेगा
और मर्त्य अज्ञान से बच निकलने को नूतन पथ पर मुड़ जायेगा।

The frontiers of the Ignorance shall recede,
More and more souls shall enter into light,
Minds lit, inspired, the occult summoner hear
And lives blaze with a sudden inner flame
And hearts grow enamoured of divine delight
And human wills tune to the divine will,
These separate selves the Spirit’s oneness feel,
These senses of heavenly sense grow capable,
The flesh and nerves of a strange ethereal joy
And mortal bodies of immortality.

अविद्या की सीमा-चौकियां सब पीछे छूट जायेंगी,
और अधिक जीव-सत्ताएं प्रकाश में प्रवेश पायेंगी,
मानस-सत्ताएं प्रज्वलित, प्रेरित हो गुह्य अन्तर्होता को सुनेंगी
और मानव जीवन हठात् एक अन्तर्दीप्ति से प्रकाशित हो जायेंगे,
और प्राण दिव्यानन्द के अनुरागी भक्त बन जायेंगे
और मानव के सब संकल्प भागवत संकल्प से एकस्वर में जुड़ जायेंगे,
ये पृथक् व्यक्तित्व सम विश्वात्मा से एकता की अनुभूति पायेंगे,
ये इन्द्रियां स्वर्गिक बोध से सक्षम हो विकसित होंगी,
देह की मांसपेशियां और नाड़ियां एक विचित्र अलौकिक मोद से मुदित
यह मानव नश्वर काया अमरता के योग्य बनेगी।

A divine force shall flow through tissue and cell
And take the charge of breath and speech and act
And all the thoughts shall be a glow of suns
And every feeling a celestial thrill.

उसके ऊतकों और रोम-कूपों में एक दिव्य ऊर्जा प्रवाहित होगी
और श्वास औ’ वाचा तथा कर्म-संचालन को अधिकृत कर
और समस्त संकल्प विचारों को एक सूर्यालोक सम चमका देगी
और प्रत्येक भावना को एक स्वर्गिक भाव से स्पन्दित कर देगी।

Often a lustrous inner dawn shall come
Lighting the chambers of the slumbering mind;
A sudden bliss shall run through every limb
And Nature with a mightier Presence fill.

बहुधा एक ज्योतिर्मय उषा उदित हो
सोये अचेत मन के कक्षों को आलोकित कर देगी,
प्रत्येक अंग हठात् एक हर्ष की लहर से लहरा उठेंगे
और समस्त प्रकृति एक महत्तर परम सान्निध्य से भर जायेगी।

Thus shall the earth open to divinity
And common natures feel the wide uplift,[710]
Illumine common acts with the Spirit’s ray
And meet the deity in common things.

इस प्रकार यह पृथ्वी दिव्यता की ओर उद़्घाटित होगी
और साधारण स्वभावों में भी विशाल उत्थान की अनुभूति होगी,
साधारण कर्म परमात्मा की रश्मि से प्रकाशित होंगे
और साधारण स्वभावों में भी विशाल उत्थान की अनुभूति होगी,
साधारण कर्म परमात्मा की रश्मि से प्रकाशित होंगे
और साधारण वस्तुओं में देवता को भेंटेंगे।

Nature shall live to manifest secret God,
The Spirit shall take up the human play,
This earthly life become the life divine.”

प्रकृति देवी गुह्य प्रभु को व्यक्त करने को जीवन धरेगी,
आत्म चित्-शक्ति इस मानव लीला का भार उठा लेगी,
यह पार्थिव जीवन तब दिव्य जीवन बन जायेगा।’’

 

The measure of that subtle music ceased.

उस सूक्ष्म संगीत के स्वर अब थम गये थे।

Down with a hurried swimming floating lapse
Through unseen worlds and bottomless spaces forced
Sank like a star the soul of Savitri.

सावित्री की चैत्यात्मा एक तारे समान डूबने लगी
एक द्रुतगामी बहाव के साथ अनदेखे लोकों में तैरती बहती-सी
वह अगाध अनजान दिशाओं के मध्य नीचे खिंचने लगी।

Amidst a laughter of unearthly lyres
She heard around her nameless voices cry
Triumphing, an innumerable sound.

अलौकिक देव-वीणाओं से उठते एक मधुर हास्य में
उसने अपने चारों ओर अनामी ध्वनियों को सुना पुकारते,
विजयघोष करता, यह एक असंख्य स्वरों का नाद था।

A choir of laughing winds to meet her came.

दौड़ उस भेंटने को आते मरुतों का एक समवेत गायन था।

She bore the burden of infinity
And felt the stir of all ethereal space.

उसने शाश्वत का भार उठाया था
और सम्पूर्ण पारलौकिक विद्युती आकाशीय आन्दोलन का अनुभव लिया था।

Pursuing her in her fall, implacably sweet,
A face was over her which seemed a youth’s,
Symbol of all the beauty eyes see not,
Crowned as with peacock plumes of gorgeous hue
Framing a sapphire, whose heart-disturbing smile
Insatiably attracted to delight,
Voluptuous to the embraces of her soul.

उसके इस धरावतरण के ऊर्ध्व में उसके पीछे-पीछे चल रहा था
एक अति मनोहर मधुर मुखड़ा जो एक युवा का-सा लग रहा था,
नेत्र जिसे देख न पायें ऐसे पूर्ण सौन्दर्य का वह प्रतीक था
अति शोभनीय रंगों के मोरपंखी मुकुट धारण कर शोभित
एक नीलमणि सम तनाकृति, हृदय को मथती एक स्मित
आनन्दसुख की अतृप्त पिपासा को जगाती,
उसकी आत्मा के आलिंगन-विलास में मग्न थी।

Changed in its shape, yet rapturously the same,
It grew a woman’s dark and beautiful
Like a mooned night with drifting star-gemmed clouds,
A shadowy glory and a stormy depth,
Turbulent in will and terrible in love.

अपना रूप-परिवर्तन करके भी प्रेम विभोरता में वैसा ही,
अब यह एक श्यामा सुन्दरी नारी वेश में बदल गया
एक शशिमण्डिता रजनी सम जिसके तारे जटित केश मेघ उड़ रहे थे,
एक छायाभासी शोभा और एक तूफानी गहराई लिये,
जिसकी इच्छा प्रचण्ड थी और प्रेम में घोर थी।

Eyes in which Nature’s blind ecstatic life
Sprang from some spirit’s passionate content,
Missioned her to the whirling dance of earth.

उसके नेत्रों में प्राण-प्रकृति का अन्धा जीवन-हर्षोन्माद झलक रहा था
जो किसी आत्मा के आवेशपूर्ण सारांश तत्त्व से कूद निकला था,
इसने अब सावित्री को पृथ्वी के घूमते नृत्य के मध्य पठा दिया।

Amidst the headlong rapture of her fall
Held like a bird in a child’s satisfied hands,
In an enamoured grasp her spirit strove
Admitting no release till Time should end,
And, as the fruit of the mysterious joy,
She kept within her strong embosoming soul[711]
Like a flower hidden in the heart of spring
The soul of Satyavan drawn down by her
Inextricably in that mighty lapse.

अपने सिर के बल पतन की इस भाव-समाधि के मध्य
वह एक बालक के तुष्ट करों में पक्षी सम सुरक्षित धरे थी,
एक प्रेम-भरी पकड़ में उसकी आत्मा प्रयासरत थी
जो युगान्त तक उसकी मुक्ति को नहीं स्वीकार रही थी,
और, मानों उस रहस्यमय आनन्द के फलस्वरुप,
उसने अपनी शक्तिशाली आत्मा के अन्तर घेरे में सत्यवान् को
ऐसे छिपा लिया जैसे वसंत के अंतर में पुष्प छिपा ले
सत्यवान् की आत्मा उससे आकर्षित नीचे खिंच रही थी
उस घोर पतन के मध्य भी वह जटिलता से उससे जुड़ी थी।

Invisible heavens in a thronging flight
Soared past her as she fell. Then all the blind
And near attraction of the earth compelled
Fearful rapidities of downward bliss.

अगोचर स्वर्ग एक सामूहिक उड़ान में उड़ते
उसके समीप से तीव्रगति से निकल गये।
तब पास आती पृथ्वी के अन्धे आकर्षण से विवश हो
पतन की प्रसन्नता ने भयभीतकारी वेग को और तीव्र कर दिया।

Lost in the giddy proneness of that speed,
Whirled, sinking, overcome she disappeared
Like a leaf spinning from the tree of heaven,
In broad unconsciousness as in a pool;
A hospitable softness drew her in
Into a wonder of miraculous depths,
Above her closed a darkness of great wings
And she was buried in a mother’s breast.

उस तीव्रगति के चकराते अधोमुखी पतन में खोयी,
सावित्री घूमती, डूबती, अभिभूत बनी ओझल हो गयी।
स्वर्ग के वृक्ष से गिरी चक्कर खाती एक पत्ती जैसी
विशाल अचेतनता के एक कुण्ड में मानों समा गयी;
एक सत्कार करती मृदुलता ने उसे अन्तर में खींच लिया
चमत्कारी गहनताओं की एक विचित्रता में लपेट लिया,
उसके ऊर्ध्व में एक अन्धकार के विशाल पंखों ने उसे अपने में बन्द कर लिया
और वह एक माता के वक्ष में आकर समा गयी।

Then from a timeless plane that watches Time,
A Spirit gazed out upon destiny,
In its endless moment saw the ages pass.

तब एक कालातीत स्तर से त्रिकाल की निरीक्षिका दृष्टि,
एक परम चित्-शक्ति ने नियति को अवलोका,
इसने अपने इस अनन्त क्षण में युगों को गुजरते देखा।

All still was in a silence of the gods.
अभी तक सब देवताओं के एक मौन में डूबा हुआ था।
The prophet moment covered limitless Space
And cast into the heart of hurrying Time
A diamond light of the Eternal’s peace,
A crimson seed of God’s felicity;
A glance from the gaze fell of undying Love.

वह भागवत मुहूर्त असीम दिव्याकाश को व्याप्त किये था
और जिसे तीव्रता से दौड़ते त्रिकाल के अन्तर में फेंक दिया गया था,
शाश्वत प्रभु की शान्ति की एक हीरे सम इस ज्योति को,
परमेश्वर के आह्लाद के इस अरुण बीज को;
उस दृष्टि से अमर दिव्य-प्रेम की एक चितवन गिरी।

A wonderful face looked out with deathless eyes;
A hand was seen drawing the golden bars
That guard the imperishable secrecies.

एक अद़्भुत लावण्यपूर्ण आनन से अमर नेत्रों ने बाहर देखा;
अविनाशी रहस्यों की रक्षा करता प्रहरी एक हाथ
स्वर्णशलाकाओं को हटाता दिखायी दिया।

A key turned in a mystic lock of Time.

त्रिकाल के गुह्य ताले में जैसे एक कुंजी लग गयी थी।

But where the silence of the gods had passed,
A greater harmony from the stillness born
Surprised with joy and sweetness yearning hearts,
An ecstasy and a laughter and a cry.

किन्तु अब देवताओं की नीरवता गुजर चुकी थी,
वहां उस स्थिरता में एक महत्तर समस्वरता उत्पन्न हो गयी
जिसने लालायित हृदयों को हर्ष और माधुरी से चकित कर दिया,
यह एक प्रहर्ष और एक हास्य और एक आवाहन था।

A power leaned down, a happiness found its home.

एक शक्ति नीचे झुक आयी, एक प्रसन्नता ने अपना घर खोज लिया।

Over wide earth brooded the infinite bliss.[712]

विस्तृत पृथ्वी के ऊपर अनन्त परमानन्द ध्यानमग्न था।

END OF CANTO ONE
END OF BOOK ELEVEN