BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS
Canto Fifteen. The Kingdoms of the Greater Knowledge
After a measureless moment of the soul
Again returning to these surface fields
Out of the timeless depths where he had sunk,
He heard once more the slow tread of the hours.
उस अन्तरात्मा के एक अमेय अनन्त पल के पश्चात्
उन कालातीत अगाधताओं से जहां वह डूब गया था
योगी पुनःइन ऊपरी क्षेत्रों कीओर बाहर आ गया,
एक बार फिर से वह घड़ियों की मन्द चाल को सुनने लगा।
All once perceived and lived was far away;
Himself was to himself his only scene.
पर कभी जो सब अनुभूत प्रत्यक्ष और जीया गया था अब सुदूर था;
अब स्वयं के लिए उसका आत्म-व्यक्तित्व ही एकमात्र दृश्य था।
Above the Witness and his universe
He stood in a realm of boundless silences
Awaiting the Voice that spoke and built the worlds.
आत्म-साक्षी पुरुष एवं उसके विश्व के वह ऊपर था
निस्सीम प्रशान्तताओं के एक क्षेत्र में खड़ा वह परम-वाचा हित प्रतीक्षारत था
जो उसके अन्तर में बोली थी तथा जिसने इन जगतों को रचा था।
A light was round him wide and absolute,
A diamond purity of eternal sight;
A consciousness lay still, devoid of forms,
Free, wordless, uncoerced by sign or rule,
For ever content with only being and bliss;
A sheer existence lived in its own peace
On the single spirit’s bare and infinite ground.
एक ज्योति उसके चहुं ओर विस्तार और पूर्णता से व्याप्त थी,
यह शाश्वत दृष्टि की एक हीरे सम शुचिता थी;
आकारों से हीन, एक सचेतनता स्थिर ध्यानमग्न थी,
मुक्त, निःशब्द, संकेत या नियम से बाध्य नहीं थी,
केवल आत्मसत्ता और आत्मानन्द में नित्य सन्तुष्ट रहती;
यह नितान्त सत्य की अपनी आत्मशान्ति में पूर्णत: वास करती
एवं उस अकेली आत्मा की अनावृत रिक्तता और अनन्त क्षेत्र में रहती।
Out of the sphere of Mind he had arisen,
He had left the reign of Nature’s hues and shades;
He dwelt in his self’s colourless purity.
मन-शक्ति के क्षेत्र से बाहर निकल वह उन्नत हो ऊपर उठ,
अब त्रिगुणीय प्रकृति के रंगों और आभासों का राज्य पीछे छोड़ चुका था;
वह निज आत्म-व्यक्तित्व की गुणातीत विशुद्धता में रहता।
It was a plane of undetermined spirit
That could be a zero or round sum of things,
A state in which all ceased and all began.
यह संकल्पहीन आत्म-चेतना का एक स्तर था
यह एक शून्य भी हो जाता या पदार्थों का एक जोड़ बन जाता,
एक ऐसी अवस्था जिसमें सब शेष हो जाते और सबका आरम्भ होता।
All it became that figures the absolute,
A high vast peak whence spirit could see the worlds,
Calm’s wide epiphany, wisdom’s mute home,
A lonely station of Omniscience,
A diving-board of the Eternal’s power,
A white floor in the house of All-Delight.
जो सब परम तत्त्व को प्रकट करता यह वह सब रूप धर लेता,
एक उच्च विशाल उन्नत शिखर जहां से आत्मपुरुष इन जगतों को देख सकता,
प्रशान्त नीरवता की विशाल प्रभु-अभिव्यक्ति, प्रज्ञा का मौन भवन,
परम-सर्वज्ञेश्वर का एक एकाकी धाम,
चिरन्तन की शक्ति का नीचे कूदने के लिए एक तख्ता,
सर्वानन्द सुखधाम के घर में लगाया एक शुभ्र श्वेत फर्श बन जाता।
Here came the thought that passes beyond Thought,
Here the still Voice which our listening cannot hear,
The Knowledge by which the Knower is the Known,[297]
The Love in which Beloved and Lover are one.
यहां जो संकल्प विचार आता वह दैवी-संकल्प का अतिक्रम कर जाता है,
यहां निःशब्द परावाक् हैं जिसे हमारे भौतिक कान नहीं सुन सकते,
पराविद्या है जिसमें ज्ञाता और ज्ञान एक हो जाते हैं,
वह दिव्य प्रेम है जिसमें प्रियतम और प्रिया दोनों एक हैं।
All stood in an original plenitude,
Hushed and fulfilled before they could create
The glorious dream of their universal acts;
Here was engendered the spiritual birth,
Here closed the finite’s crawl to the Infinite.
यहांसकल एक आदि मूलावस्था की प्राचूर्यता में स्थित थे,
अपने वैश्विक कार्यों के वैभवशाली स्वप्न की सृष्टि आरम्भ करने से
पूर्व की अवस्था में, वे मौन और परिपूर्ण सन्तुष्ट खड़े थे;
यहीं पर आत्मिक जन्म बीजारोपित हो अंकुरित हुआ था,
यहां पहुंच अनित्य का नित्य कीओर घिसटना समाप्त हो गया।
A thousand roads leaped into Eternity
Or singing ran to meet God’s veilless face.
यहां से प्रभु के आवरणहीन मुखमण्डल को भेंटने
सहस्त्रों मार्ग उछलते-गाते चिरन्तनता कीओर दौड़ते।
The known released him from its limiting chain,
He knocked at the doors of the Unknowable.
परम-ज्ञेय ने अब योगी को अपनी सीमित श्रृंखला से मुक्त कर दिया;
विमुक्त उसने परम अज्ञेय के द्वारों को जा खटखटाया।
Thence gazing with an immeasurable outlook
One with self’s inlook into its own pure vasts,
He saw the splendour of the spirit’s realms,
The greatness and wonder of its boundless works,
The power and passion leaping from its calm,
The rapture of its movement and its rest,
And its fire-sweet miracle of transcendent life,
The million-pointing undivided grasp
Of its vision of one same stupendous All,
Its inexhaustible acts in a timeless Time,
A space that is its own infinity.
तब अपनी आत्म-तत्त्व की अन्तर्द़ृष्टि से एकात्म हो
उसने निज विशुद्ध विस्तारों में एक असीम सम्भावना पर दृष्टि गड़ाकर देखा,
एवं आत्मा के राज्यों के ऐश्वर्य को अवलोका,
इसके अनन्त कार्यों की महत्ता और आद़्भुत्य को देखा,
इसकी आत्म-शान्तिसे उछल निकलते बल और आवेश को,
इसके गतिसंचरण और विश्राम के आह्लादपूर्ण सुख को,
और देखा इसके परात्पर जीवन के अग्निल मधुर चमत्कार को,
अति विराट् सर्वेश्वर के एक ही रूप की अविभाजित पहुंच को
जो विभिन्न पथों के लक्ष-लक्ष संकेतों द्वारा इसका दर्शन कराती,
कालातीत त्रिकाल में इसके अक्षय कर्मों को अवलोका,
एक ऐसी दिशा जो स्वयं अपनी आत्म-चिरन्तनता है।
A glorious multiple of one radiant Self,
Answering to joy with joy, to love with love,
All there were moving mansions of God-bliss;
Eternal and unique they lived the One.
वहां एक भव्य अनन्तता का एक दीप्तिमान परमात्म तत्त्व था,
जो हर्ष का हर्ष से और प्रेम का प्रेम से उत्तर देता,
वहां पर समस्त परमानन्द के संचालित भुवन थे;
चिरन्तन और अद्वितीय वे परमैकम् में रहते।
There forces are great outbursts of God’s truth
And objects are its pure spiritual shapes;
Spirit no more is hid from its own view,
All sentience is a sea of happiness
And all creation is an act of light.
वहां की ऊर्जाएं सब प्रभु-सत्य के विशाल प्रस्फुटन हैं
और पदार्थ इसके विशुद्ध आत्मिक आकार हैं;
आत्मा अब अपनी ही द़ृष्टि से और छिपी नहीं रहती
सकल संवेदन प्रसन्नता का एक सागर है
और सम्पूर्ण सृष्टि प्रकाश की एक दीप्तीमयी क्रिया है।
Out of the neutral silence of his soul
He passed to its fields of puissance and of calm
And saw the Powers that stand above the world,
Traversed the realms of the supreme Idea
And sought the summit of created things
And the almighty source of cosmic change. [298]
योगी आत्मा की उस उदासीन नीरवता से बाहर आ
इसकी शक्ति और शान्ति के क्षेत्रों के मध्य से गुजरा
और उन महाशक्तियों को जो इस संसार के ऊर्ध्व में स्थित हैं देखा,
इस परम विभाव के राज्यों को पार कर उसने
सृष्ट वस्तुओं की पराकाष्ठा को खोजा
और विश्व रूपान्तर के सर्वशक्तिशाली स्त्रोत का संधान किया।
There knowledge called him to her mystic peaks
Where thought is held in a vast internal sense
And feeling swims across a sea of peace
And vision climbs beyond the reach of Time.
यहां पर प्रज्ञा ने उसका अपने गुह्य शिखरों पर आवाहन किया
जहां पर संकल्प को एक बृहत् अन्तर्चित्तबोध ने धारण किया है
और भावना एक शान्ति के सागर पर तैरती है
और आत्मदर्शन त्रिकाल की पहुंच से परे उन्नत है।
An equal of the first creator seers,
Accompanied by an all-revealing light
He moved through regions of transcendent Truth
Inward, immense, innumerably one.
प्रथम स्रष्टा ऋषियों का एक समकक्ष हो,
वह एक सर्व उद़्घाटनकारी ज्योति को साथ लेकर
ऋत के परात्पर क्षेत्रों में विचरण करता
आन्तरिक, विशाल, बहु संख्या के एकत्व में बसता है।
There distance was his own huge spirit’s extent;
Delivered from the fictions of the mind
Time’s triple dividing step baffled no more;
Its inevitable and continuous stream,
The long flow of its manifesting course,
Was held in spirit’s single wide regard.
वहां पर सब उसकी अपनी विराट् आत्मा का ही प्रसार था;
वह अपने मन की भ्रमितकारी कल्पनाओं से विमुक्त हो गया था
त्रिकाल के त्रिगुणीय विभाजनकारी कदम अब उसे भ्रमित न करते;
इसकी अनिवारी और अविराम बहती धारा,
सुदीर्घ प्रवाह वर्तमान को अभिव्यक्त करता इसका पथ,
अब सब आत्मा की एकाकी विशाल चितवन द्वारा धर लिया जाता।
A universal beauty showed its face;
The invisible deep-fraught significances,
Here sheltered behind form’s insensible screen,
Uncovered to him their deathless harmony
And the key to the wonder-book of common things.
उसे अब काल के मुख पर एक विश्व-सौन्दर्य का दर्शन होता:
अगोचर गहनता में दमित वे महत्ताएं,
जो संसार में शरीर के अचेत पट के पीछे सुरक्षित रहती हैं,
अब उन्होंने अपनी अमर सामञ्जस्यता में योगी के सम्मुख स्वयं को प्रकटा दिया
और सर्वसाधारण वस्तुओं की अद्भुत पुस्तिका की कुंजी प्रदान कर दी।
In their uniting law stood up revealed
The multiple measures of the uplifting force,
The lines of the World-Geometer’s technique,
The enchantments that uphold the cosmic web
And the magic underlying simple shapes.
उत्थानकारी बल-ऊर्जा के बहुगुणा परिमाण एवं माप सब
अपने संयुक्त विधान में प्रकट हो स्थिर खडे़ थे,
ब्रह्माण्डीय रेखा-गणितज्ञ की तकनीकी रेखाएं,
वह वशीकरणी माया जिसने इस विश्व-जाल को थाम रखा है
और इन सरल रूपों में छिपा जादू प्रकट होसामने आ गया।
On peaks where Silence listens with still heart
To the rhythmic metres of the rolling worlds,
He served the sessions of the triple fire.
उन शिखरों पर जहां दिव्य नीरवता स्थिर हृदय से
इन लुढ़कते घूमते जगतों के संगीतबद्ध छन्दोंको सुनती है,
वहां पर योगी ने इस त्रिगुणीय देवाग्नि के सूत्रों का अनुसरण किया।
On the rim of two continents of slumber and trance
He heard the ever unspoken Reality’s voice
Awaken revelation’s mystic cry,
The birth-place found of the sudden infallible Word
And lived in the rays of an intuitive Sun.
सुषुप्ति और समाधि के दो महाद्वीपों के उस कोर पर
योगी ने चिर अकथित परा-सत् की वाणी को सुना
जाग्रत् आत्म-उद़्घाटन की गुह्य घोषणा को सुना,
सहसा प्रस्फुटित अमोघ परा-शब्द का जन्म-स्थान उसे मिल गया
और एक अन्तर्बोध के सूर्य के प्रकाश में वह रहने लगा।
Absolved from the ligaments of death and sleep
He rode the lightning seas of cosmic Mind
And crossed the ocean of original sound;
On the last step to the supernal birth [299]
He trod along extinction’s narrow edge
Near the high verges of eternity,
And mounted the gold ridge of the World-dream
Between the slayer and the saviour fires;
The belt he reached of the unchanging Truth,
Met borders of the inexpressible Light
And thrilled with the presence of the Ineffable.
मृत्यु और निद्रा के दैहिक पाशों से विमुक्त बना
वह वैश्विक मनशक्ति के विद्युती सागरों पर सवार हो
आदि नाद के महासागर को पार कर गया;
दिव्य जन्म के अन्तिम चरण पर
वह विलय के संकीर्ण तट के साथ-साथ चला
यह शाश्वतता की उच्च सीमाओं के समीप था,
और भक्षक और संरक्षक अग्नियों के मध्य से गुजरता
वह जग-स्वप्न की स्वर्ण पर्वत श्रेणी पर चढ़ गया;
अब वह विकारहीन ऋत के कटिबन्ध क्षेत्र में जा पहुंचा,
अव्यक्त परा ज्योति की सीमाओं से जा भेंटा
और अनिर्वचनीय परम के सान्निध्य से रोमांचित हो उठा।
Above him he saw the flaming Hierarchies,
The wings that fold around created space,
The sun-eyed Guardians and the golden Sphinx
And the tiered planes and the immutable Lords.
अपने ऊर्ध्व में उसने तेजोमय देवों की क्रम-परम्पराओं को देखा,
सृष्टि की अनन्त-दिशाओं को चारोंओर से लपेटे उनके पक्षों को देखा,
सूर्य सम नेत्रों के विश्व संरक्षक पितरों और स्वर्ण दिव्य प्रहरी को
और स्तर पर स्तर चढ़ते इन लोकों के निर्विकारी प्रभु-देवों को देखा।
A wisdom waiting on Omniscience
Sat voiceless in a vast passivity;
It judged not, measured not, nor strove to know,
But listened for the veiled all-seeing Thought
And the burden of a calm transcendent Voice.
परम सर्वज्ञेश्वर की परिचर्या में एक प्रज्ञा
विशाल स्थिर निष्क्रियता में निःशब्द बैठी थी;
यह विचारती नहीं, मापती नहीं, जानने का प्रयास भी नहीं करती,
किन्तु सर्वदर्शी उस गोपित परा-संकल्प को ध्यान से सुनती
और एक शान्त परात्पर दिव्य वाचा की टेक पर ध्यान लगाती।
He had reached the top of all that can be known:
His sight surpassed creation’s head and base;
Ablaze the triple heavens revealed their suns,
The obscure Abyss exposed its monstrous rule.
वह उस पराकाष्ठा पर पहुंच गया जहां से सब जाना जा सकता है:
उसकी दृष्टि सृष्टि के शीर्ष और मूलाधार को पार कर गयी;
जाज्वल्यमान त्रिस्तरीय स्वर्गों ने अपने सूर्यों को प्रकटा दिया,
उस अन्धकारमय पातालखाड़ी ने अपना भीषण शासन व्यक्त कर दिया।
All but the ultimate Mystery was his field,
Almost the Unknowable disclosed its rim.
अब केवल अन्तिम गुह्य परम को छोड़ बाकी सब उसका क्षेत्र था।
अज्ञेय-ईश्वर ने भी प्रायः अपनी सीमा के तटों को खोल दिया।
His self’s infinities began to emerge,
The hidden universes cried to him;
Eternities called to eternities
Sending their speechless message still remote.
उसकी आत्मचेतना की अनन्तताएं प्रस्फुटित होने लगीं,
अन्तर्गोपित विश्व-जगत् उसे पुकारते;
चिन्तन अब नित्यता का आवाहन करते
यद्यपि वे दूर थे पर अपना वाणीहीन सन्देश पठाते।
Arisen from the marvel of the depths
And burning from the superconscious heights
And sweeping in great horizontal gyres
A million energies joined and were the One.
अन्तर गहनताओं के चमत्कार से उदित होती
और परा चित्शक्ति के शिखरों से प्रज्वलित होती
और विशाल क्षैतिजीय चक्करदार घुमावों से नीचे उतरती
एक लक्ष ऊर्जाएं वहां संयुक्त और परमैकम् थीं।
All flowed immeasurably to one sea:
All living forms became its atom homes.
सकल अमेय रूप से एक सागर की ओर प्रवाहित थाः
सकल जीवित आकार इसके आणविक धाम बन गये थे।
A Panergy that harmonised all life
Held now existence in its vast control;
A portion of that majesty he was made.
सकल जीवन कोसमस्वर बनाती एक दिव्य ऊर्जा ने
अब अस्तित्व को अपने विशाल नियन्त्रण में कर लिया;
उस भव्य प्रभुता का योगी एक भाग बन गया।
At will he lived in the unoblivious Ray.[300]
वह उस अविस्मरणीय दिव्य रश्मि में स्वेच्छा से बस गया।
In that high realm where no untruth can come,
Where all are different and all is one,
In the Impersonal’s ocean without shore
The Person in the World-Spirit anchored rode;
It thrilled with the mighty marchings of World-Force,
Its acts were the comrades of God’s infinite peace.
उस उन्नत साम्राज्य में कोई भी असत्य प्रवेश नहीं कर सकता,
जहां सब भिन्न हैं और सब एक हैं,
उस निर्वैयक्तिक आत्मा के तटहीन महासागर में
पुरुषोत्तम उस विश्वात्मा में दृढ़ता से प्रतिष्ठित था,
यह भौतिक महाशक्ति के सामर्थ्यशाली प्रयाणों पर पुलकित होता,
इस महाशक्ति के कर्म सब प्रभु की चिर शान्ति के सहकर्मी हैं।
An adjunct glory and a symbol self,
The body was delivered to the soul,—
An immortal point of power, a block of poise
In a cosmicity’s wide formless surge,
A conscious edge of the Transcendent’s might
Carving perfection from a bright world-stuff,
It figured in it a universe’s sense.
महिमा का एक सहयोगी और आत्मव्यक्तित्व का एक प्रतीक बना
यह भौतिक शरीर भी अब आत्मा को समर्पित था,-
बल-सामर्थ्य का एक अमर बिन्दु, सुसन्तुलन का यह पिण्ड,
इस ब्रह्माण्डीय विराट् आकारहीनता के उफान में एक आकार है,
परात्परता की शक्ति की एक सचेत धार है
जो एक प्रतिभाशाली संसारी-तत्त्व से पूर्णता तराशती है,
यह इसमें एक विश्व-बोध को रूपायित करती है।
There consciousness was a close and single weft;
The far and near were one in spirit-space,
The moments there were pregnant with all time.
वहां चेतना एक घनिष्ठ और इकहरा पारदर्शी वस्त्र थी;
उस आत्माकाश में दूरी और निकटता दोनों एक थीं,
वहां के प्रत्येक पल में सम्पूर्ण काल समाया था।
The superconscient’s screen was ripped by thought,
Idea rotated symphonies of sight,
Sight was a flame-throw from identity;
Life was a marvellous journey of the spirit,
Feeling a wave from the universal Bliss.
धी-संकल्प ने पराचेतना के पर्दे को चीर दिया था,
दृष्टि-दर्शन के रागों को विभाव दुहराता,
एकात्मभाव से निकली दृष्टि एक ज्वाला-क्षेपण होती;
इस जीवात्मा का जीवन एक अद्भुत यात्रा थी,
भावना वैश्विक परमसुख की एक लहर थी।
In the kingdom of the Spirit’s power and light,
As if one who arrived out of infinity’s womb
He came new-born, infant and limitless
And grew in the wisdom of the timeless Child;
He was a vast that soon became a Sun.
वह उस परमात्व-तत्त्व की शक्ति और ज्योति के साम्राज्य में आ पहुंचा,
जैसे कि कोई शाश्वतता के गर्भ से निकल आ गया हो
वह नव-जन्म ले, नव शिशु बन और अनन्त हो उठा
और उस अकाल बाल-प्रभु की प्रज्ञा में विकसित हो गया;
वह विशालता को प्राप्त कर शीघ्र ही एक आदित्य बन गया।
A great luminous silence whispered to his heart;
His knowledge an inview caught unfathomable,
An outview by no brief horizons cut:
He thought and felt in all, his gaze had power.
एक महती ज्योतित नीरवता उसके अन्तर में गुंजायमान थी;
उसकी विद्या एक अन्तर्द़ृष्टि थी जिसमें अगाध को धारण कर लिया गया था,
एक बहिर्द़ृष्टि थी जिसे कोई क्षणिक क्षितिज बांध नहीं पाया:
वह सबके अन्तर में सोचता और अनुभव करता, उसकी चितवन शक्तिशाली थी।
He communed with the Incommunicable;
Beings of a wider consciousness were his friends,
Forms of a larger subtler make drew near;
The Gods conversed with him behind Life’s veil.
वह परम अनिर्वचनीय से सम्पर्क रखता;
एक बृहत्तर-चेतना कीसत्ताएं उसकी बन्धु थीं,
एक विशालतर सूक्ष्मतर गठन की आकृतियां समीप खिंच आयी थीं;
प्राण-जीवन के पट के पीछे से देवता उससे संलाप करते।
Neighbour his being grew to Nature’s crests.
उसकी सत्ता विश्व प्रकृति के शिखरों को छूने लगी।
The primal Energy took him in its arms;[301]
His brain was wrapped in overwhelming light,
An all-embracing knowledge seized his heart:
Thoughts rose in him no earthly mind can hold,
Mights played that never coursed through mortal nerves:
He scanned the secrets of the Overmind,
He bore the rapture of the Oversoul.
आदि दिव्य-ऊर्जा ने अब उसे निज बांहों में थाम लिया;
उसका मस्तिष्क एक अदमनीय ज्योति से वेष्टित था,
एक सर्व-आलिंगनकारी विद्या ने उसके हृदय पर अधिकार कर लिया:
उसके अन्तर में वे संकल्प उठते जिन्हें कोई भौतिक मन धर नहीं पाया है,
ऐसे समर्थ बल क्रीड़ारत थे जैसे नश्वर नारियों में कभी नहीं बहे:
योगी ने अधिमानस के रहस्यों को परखा देखा,
उसने ऊर्ध्व में स्थित परमात्मा के प्रहर्ष का परम सुख सहा।
A borderer of the empire of the Sun,
Attuned to the supernal harmonies,
He linked creation to the Eternal’s sphere,
His finite parts approached their absolutes,
His actions framed the movements of the Gods,
His will took up the reins of cosmic Force.[302]
इस गुह्य सूर्यदेव के साम्राज्य का वह एक सीमान्तवासी बन गया,
दिव्य सुसंगतियों के साथ उसका स्वर एक था,
उसने सृष्टि को चिरन्तन प्रभु के स्तर से जोड़ दिया था।
उसके नश्वर भागों ने अपनी चरम पूर्णता को प्राप्त कर लिया,
उसकी समस्त क्रियाएं देवों की गतियों को आकार देतीं,
उसके आत्मसंकल्प ने ब्रह्माण्डीय महाशक्ति की बागडोर सम्भाल ली।
END OF CANTO FIFTEEN
END OF BOOK TWO