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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Two. Canto Fourteen (Eng-Hindi)

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BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS

Canto Fourteen. In World-Soul

 

A covert answer to his seeking came.

योगी की जिज्ञासा का एक आवृत्त उत्तर आया।

In a far-shimmering background of Mind-Space
A glowing mouth was seen, a luminous shaft;
A recluse-gate it seemed, musing on joy,
A veiled retreat and escape to mystery.

मनाकाश की एक सुदूर झिलमिलाती पृष्ठभूमि पर
यह एक दीप्तिमय मुखमण्डल सम दिखायी दिया, एक जगमगाता झरोखा-सा;
एक अकेला द्वार, जो आनन्द के ध्यान में मग्न दिखता था,
एक पटाच्छादित आश्रयस्थली और गुह्यता में बच निकलने का मार्ग था।

Away from the unsatisfied surface world
It fled into the bosom of the unknown,
A well, a tunnel of the depths of God.

इस धरातली असन्तुष्ट संसार से दूर जाने को
जैसे यह अज्ञेय के अन्तर में पलायन कर गया हो,
एक कूप सरिस, प्रभु गहनताओं की एक सुरंग में लोप हो गया।

It plunged as if a mystic groove of hope
Through many layers of formless voiceless self
To reach the last profound of the world’s heart,
And from that heart there surged a wordless call
Pleading with some still impenetrable Mind,
Voicing some passionate unseen desire.

यह उसमें ऐसे डूब गया था मानों आशा की एक गुह्य नाली हो
जो निराकारी वाणीहीन आत्मव्यक्तित्व की अनेक परतों से निकल
इस जगत्-हृदय की अन्तिम गहराई में पहुंच पायी थी,
और फिर उस हृदय से वहां एक शब्दहीन पुकार घुमड़ उठी
जो अभी तक दुर्बोध किसी मानव-सत्ता से निवेदन कर रही थी,
किसी भावावेशभरी अदृश्य कामना को वाणी दे रही थी।

As if a beckoning finger of secrecy
Outstretched into a crystal mood of air,
Pointing at him from some near hidden depth,
As if a message from the world’s deep soul,
An intimation of a lurking joy
That flowed out from a cup of brooding bliss,
There shimmered stealing out into the Mind
A mute and quivering ecstasy of light,
A passion and delicacy of roseate fire.

मानों एक स्फटिक सम निर्मल स्पष्ट वातावरण में
गुह्यता की एक अंगुली उठा बुला रही हो
किसी समीप की गुप्त गहराई से योगी कीओर संकेत करती,
विश्व की गहनात्मा से जैसे एक सन्देश उसकी ओर पठा रही थी,
एक छिपे हुए हर्ष का एक ज्ञापन जैसा
आत्म-मग्न आनन्द के पात्र से झरझर झर रहा था,
प्रकाश की एक मूक और कम्पित भाव-समाधि का एक आह्लाद
उज्ज्वल गुलाबी अन्तराग्नि का एक प्रेमावेग और मृदुता,
चुपके से प्रवेश कर उस मानव-सत्ता में झिलमिलाने लगा।

As one drawn to his lost spiritual home
Feels now the closeness of a waiting love,
Into a passage dim and tremulous
That clasped him in from day and night’s pursuit,
He travelled led by a mysterious sound.

ज्यों कोई अपने खोये आत्मिक गेह की ओर खिंचता है
और एक प्रतीक्षारत प्रिय की समीपता अनुभव करता है,
वैसे ही एक धूमिल और कम्पित पथ से
तत्-सत् ने योगी को दिन रात की दौड़-धूप से निकाल आलिंगन में बांध लिया,
अब वह एक रहस्यमय नाद द्वारा प्रेरित हो यात्रा करता था।

A murmur, multitudinous and lone,
All sounds it was in turn, yet still the same.

यह एक फुसफुसाहट, बहुगुंजित या एकाकी नाद जैसा,
क्रम से सभी विभिन्न ध्वनियों में गुंजित था, फिर भी एक ही स्वर था।

A hidden call to unforeseen delight[289]
In the summoning voice of one long-known and loved,
But nameless to the unremembering mind,
It led to rapture back the truant heart.

अभूतपूर्व सुख के प्रति उठता एक छिपा आवाहन था
जो किसी पुराने परिचित और अतिप्रिय की वाणी में आमन्त्रण दे रहा था,
किन्तु विस्मरणशील मन के लिए अनामी था,
यह इस पलायन करते चित्त को प्रहर्ष की ओर लौटा लाया था।

The immortal cry ravished the captive ear,
Then, lowering its imperious mystery,
It sank to a whisper circling round the soul.

इसके अमरनाद ने बन्दी श्रवणों में सुधारस घोल विभोर कर डाला।
फिर अपनी उद्धत ध्वनि के रहस्य को धीमा बना
एक गूंज बन आत्मा के चहुंदिश परिक्रमा करता रहा।

It seemed the yearning of a lonely flute
That roamed along the shores of memory
And filled the eyes with tears of longing joy.
A cricket’s rash and fiery single note,
It marked with shrill melody night’s moonless hush
And beat upon a nerve of mystic sleep
Its high insistent magical reveille.

यह एक एकाकी वंशी की आतुर ध्वनि सम सुनायी देती
जो स्मृति के तटों के साथ साथ विहार करती
और नयनों को लालायित हर्ष के अश्रुओं से भर देती
एक झींगुर का तीव्र और अग्निल एकाकी स्वर
निज तीखी धुन से चन्द्रहीनरात्रि के मौन को भंग करता,
और गुह्य निद्रा की एक नाड़ी पर ताल देता
अपने उच्च आग्रही जादुई बिगुल जगाने को बजाता।

A jingling silver laugh of anklet bells
Travelled the roads of a solitary heart;
Its dance solaced an eternal loneliness:
An old forgotten sweetness sobbing came.

नूपुर के घुंघरुओं की एक रजत हास्य की रुनझुन
एकाकी हृदय के मार्गों पर यात्रा करती आती;
इसके नृत्य कीझंकार एक शाश्वत अकेलेपन को सांत्वना प्रदान करती:
एक विस्मृत आदि माधुरी सिसकती आ भेंटती।

Or from a far harmonious distance heard
The tinkling pace of a long caravan
It seemed at times, or a vast forest’s hymn,
The solemn reminder of a temple gong,
A bee-croon honey-drunk in summer isles
Ardent with ecstasy in a slumberous noon,
Or the far anthem of a pilgrim sea.

अथवा एक स्मृति मधुर दूरी से आ सुनायी देती
एक लम्बे काफिले के चलने की मधुर घंटियों की ध्वनि
यह कभी-कभी एक विस्तृत वन के ऋचागान सम लगती,
एक मन्दिर के घण्ट-नाद की शान्त स्मृति को जगा देती
उष्ण-द्वीपों में मधु-तृप्त मधु-छत्ते की गुंजार आती
एक अलसायी दुपहरी में हर्ष से मदमाती मधुमक्खियों की,
अथवा सुदूर से एक तीर्थयात्री सागर के स्तवन-गान सम सुनायी देती।

An incense floated in the quivering air,
A mystic happiness trembled in the breast
As if the invisible Beloved had come
Assuming the sudden loveliness of a face
And close glad hands could seize his fugitive feet
And the world change with the beauty of a smile.

उस कम्पित समीर पर एक धूप की सुगन्ध लहराती आयी,
अन्तस्तल एक रहस्यपूर्ण प्रसाद से सिहर उठा
जैसे कि अगोचर प्रियतम हठात् एक लावण्यपूर्ण वदन धर
अति समीप आ गया हो और मुदित करों ने
उसके पलायनकारी चरणों को जकड़ लिया
और उस स्मित की सुषमा ने उस जगत् को बदल दिया हो।

Into a wonderful bodiless realm he came,
The home of a passion without name or voice,
A depth he felt answering to every height,
A nook was found that could embrace all worlds,
A point that was the conscious knot of space,
An hour eternal in the heart of Time.[290]

एक अद्भुत अशरीरी क्षेत्र में योगी आ पहुंचा,
बिना नाम या वाचा का भावातिरेक का धाम था,
एक गहनता थी जो प्रत्येक उच्चता का उत्तर देती,
एक कोना खोज लिया गया जो सकल लोकों को आलिंगन में भर सकता था,
यह आत्माकाश की सचेत ग्रन्थि में एक बिन्दु था,
त्रिकाल के अन्तरहृदय में एक शाश्वत मुहूर्त था।

The silent soul of all the world was there:
A Being lived, a Presence and a Power,
A single Person who was himself and all
And cherished Nature’s sweet and dangerous throbs
Transfigured into beats divine and pure.

सकल संसार की मौन विश्वात्मा वहां उपस्थित थी:
एक परम-सत्ता, एक परम उपस्थिति और एक चित्शक्ति,
एक अद्वितीय विश्व पुरुष जो आत्मरुप और सर्वभूतात्मा था
और विश्व प्रकृति की मधुर और अनिष्टकारी धड़कनों को हृदय में संजोता
और उन्हें दिव्य और शुचि-पावन स्पन्दनों में बदल देता।

One who could love without return for love,
Meeting and turning to the best the worst,
It healed the bitter cruelties of earth
Transforming all experience to delight;
Intervening in the sorrowful paths of birth
It rocked the cradle of the cosmic Child
And stilled all weeping with its hand of joy;
It led things evil towards their secret good,
It turned racked falsehood into happy truth;
Its power was to reveal divinity.

परमैकम् जो प्रेम करता पर प्रेम का प्रतिदान नहीं मांगता,
यह उत्तम और अधम कीओर समभाव से मुड़ता एवंभेंटता,
यह पार्थिव जीवन की कटु क्रूरताओं के घावों को भर देता,
सकल अनुभव को आनन्द में रूपान्तरित कर देता;
जन्म के दुःखदायी मार्गों पर हस्तक्षेप कर
सृष्टि के दिव्य शिशु के पालने को झुलाता
और अपने सुखदायी कर द्वारा समस्त रोदन शान्त कर देता;
अनिष्टकर वस्तुओं को यह उनकी गुप्त शुभता कीओर मोड़ देता,
शोषणकारी मिथ्यात्व को प्रसादकारी सत्य में बदल देता;
गुह्य दिव्यता प्रकटाने की शक्ति इसी कीथी।

Infinite, coeval with the mind of God,
It bore within itself a seed, a flame,
A seed from which the Eternal is new-born,
A flame that cancels death in mortal things.

यह प्रभु के मन के साथ सम-सामयिक, नित्य था,
यह निज अन्तर में एक बीज, एक ज्वाला वहन करता,
एक बीज जिससे शाश्वत नव-जन्म ले जन्मता है,
एक ऐसी ज्वाला जो नश्वर वस्तुओं में मृत्यु रद्द करती है।

All grew to all kindred and self and near,
The intimacy of God was everywhere,
No veil was felt, no brute barrier inert,
Distance could not divide, Time could not change.

समस्त सर्व की सादृश्यता में विकसित हो, एकात्म और समीप आ गया;
परमेश की घनिष्ठता वहांसर्वत्र व्याप्त थी,
किसी आवरण की अनुभूति नहीं आयी, तमस् की कोई पशविक बाधा नहीं थी
दूरियां विलगा नहीं सकीं, काल परिवर्तन ला नहीं पाया।

A fire of passion burned in spirit-depths,
A constant touch of sweetness linked all hearts,
The throb of one adoration’s single bliss
In a rapt ether of undying love.

आत्म-गहनताओं में तीव्र उत्साह की एक ज्वाला प्रज्वलित थी;
माधुरी का एक अविराम स्पर्श सकल हृदयों को जोड़ता,
अमर प्रेम के एक आत्म-निमग्न विद्युती-आकाश में
भक्तिभाव के अद्वितीय सुखानन्द की पुलकन स्पन्दित थी।

An inner happiness abode in all,
A sense of universal harmonies,
A measureless secure eternity
Of truth and beauty and good and joy made one.

एक अन्तर प्रसन्नता का सबमें वास था
वैश्विक सुसंगति का एक बोध था,
सत्य और शिव एवं सौन्दर्य तथा आनन्द के
एक अनन्त अमेय सुरक्षित शाश्वतता में सब एकात्म थे।

There was the welling core of finite life;
A formless spirit became the soul of form.

यहीं पर अनित्य जीवन का उमड़ता मर्मस्थल था
एक निराकारी चित्शक्ति यहांआकार की जीवात्मा बन गयी।

 

All there was soul or made of sheer soul-stuff:
A sky of soul covered a deep soul-ground.[291]

यहां पर समस्त आत्मा था या आत्मतत्त्व से निर्मित था;
आत्मा का एक आकाश एक गहन आत्म-क्षेत्र पर छाया था।

All here was known by a spiritual sense:
Thought was not there but a knowledge near and one
Seized on all things by a moved identity,
A sympathy of self with other selves,
The touch of consciousness on consciousness
And being’s look on being with inmost gaze
And heart laid bare to heart without walls of speech
And the unanimity of seeing minds
In myriad forms luminous with the one God.

यहां पर समस्त का ज्ञान एक आत्म-बोध द्वारा हो जाता:
विचार का अभाव था किन्तु ज्ञान समीप था
और सकल वस्तुओं को एक तदात्मता से अधिकृत करता एकत्व था,
सत्ता का अन्य व्यक्तित्वों के साथ अपनत्व का एक आत्मभाव था,
चेतना का अन्य की चेतना के साथ सहज स्पर्शानुभव होता
और जीव जीव को अन्तर्तम दृष्टि से परखता,
वाणी की सहायता के बिना भी हृदय अन्य हृदयों के लिए अनावृत था
और द्रष्टा मनों के मैत्रीभावमें
असंख्य रूपों में एक ही परमेश प्रकाशमान था।

Life was not there, but an impassioned force
Finer than fineness, deeper than the deeps,
Felt as a subtle and spiritual power,
A quivering out from soul to answering soul,
A mystic movement, a close influence,
A free and happy and intense approach
Of being to being with no screen or check,
Without which life and love could never have been.

प्राणजीवन वहां विद्यमान नहीं था किन्तु एक ओजस्विनी ऊर्जा
मृदुता से भी मृदुतर, गहनताओं से भी गहनतर थी,
यह एक सूक्ष्म और आत्म-शक्ति सम अनुभव होती,
आत्मा के प्रत्युत्तर में यह आत्मा से एक स्पन्दन सम निकलती,
एक गुह्य संचालन, एक घनिष्ठ प्रभाव,
एक मुक्त और प्रसन्न और प्रगाढ़ अन्तर्तम आगमन,
एक जीव का जीव कीओर आवरणहीन अबाधित अभिगमन,
बिना जिसके जीवन और प्रेम यहां कभी भी अभिव्यक्त नहीं हो सकते थे।

Body was not there, for bodies were needed not,
The soul itself was its own deathless form
And met at once the touch of other souls
Close, blissful, concrete, wonderfully true.

काया का वहां अस्तित्व नहीं था, क्योंकि देहों की आवश्यकता नहीं थी,
आत्मा स्वयं निज अमर आत्मस्वरूपा थी
और तत्काल ही दूसरे अन्य आत्माकारों के साथ
घनिष्ठ, आनन्दपूर्ण, अद्भुत रूप से साकार सत्य-स्पर्श से भेंटती।

As when one walks in sleep through luminous dreams
And, conscious, knows the truth their figures mean,
There where reality was its own dream,
He knew things by their soul and not their shape:
As those who have lived long made one in love
Need word nor sign for heart’s reply to heart,
He met and communed without bar of speech
With beings unveiled by a material frame.

जैसे कोई निद्रा में दीप्तिमय सपनों के मध्य विचरण करता हो
और सचेत हो, उन आकारों के यथार्थ सत्य को समझता हो,
यहां जहां पर यह वास्तविकता ही इसका अपना निजी स्वप्न बन गयी,
यह वस्तुओं को उनकी आत्मा द्वारा पहचानता उनकी आकृतियों से नहीं:
उन युगलों समान जो दीर्घकाल तक संग रहते प्रेम में एक प्राण हो जाते हैं
उनके हृदय को हृदय के प्रत्युत्तर में शब्द अथवा संकेत आवश्यक नहीं होते,
वैसे ही योगीवाणी बिना भेंटता और संलाप करता
उन सत्ताओं से जो एक भौतिक देहाकार द्वारा आच्छन्न नहीं थीं।

There was a strange spiritual scenery,
A loveliness of lakes and streams and hills,
A flow, a fixity in a soul-space,
And plains and valleys, stretches of soul-joy,
And gardens that were flower-tracts of the spirit,
Its meditations of tinged reverie.

वहां पर एक विचित्र आध्यात्मिक दृश्य था,
जो सरोवरों और सरिताओं और पहाड़ियों से बना अतिरमणीय,
एक आत्माकाश में एक बहाव, एक ठहराव,
और मैदान और घाटियां, आत्मानन्द का फैलाव,
और आत्म-चेतना के फूलों से भरे पथ उपवनों जैसे,
इसकी ध्यान-समाधियों के रंगीन दिवास्वप्न थे।

Air was the breath of a pure infinite.[292]

वहां का वातावरण एक शुचि चिरन्तनता का श्वास था।

A fragrance wandered in a coloured haze
As if the scent and hue of all sweet flowers
Had mingled to copy heaven’s atmosphere.

एक रंगीन धुंध में एक सुगन्ध प्रवाहित थी
मानों स्वर्गिक वातावरण की प्रतिकृति सृष्ट करने को
सकल मधुर पुष्पों के रंगों और गन्धों को मिला दिया हो।

Appealing to the soul and not the eye
Beauty lived there at home in her own house,
There all was beautiful by its own right
And needed not the splendour of a robe.

ऐसी सुन्दरता जो आत्मा को आकर्षित करती, दृष्टि को नहीं
वहां अपने घर समान वह निश्चिन्त हो निवास करती
अपने निजी अधिकार से वहां समस्त वस्तुएं सुरम्य थीं,
और उन्हें सजाने को एक पोशाक और वैभव की आवश्यकता नहीं थी।

All objects were like bodies of the Gods,
A spirit symbol environing a soul,
For world and self were one reality.

सकल पदार्थ ही परमेश की काया सम शोभित थे,
एक जीव के चहुं ओर एक आत्मा प्रतीक रूप में व्याप्त थी,
क्योंकि वहां जगत् और जगत्पति दोनों की एक ही यथार्थता थी।

Immersed in voiceless internatal trance
The beings that once wore forms on earth sat there
In shining chambers of spiritual sleep.

निःशब्द गर्भायित समाधि में निमग्न
वे जीव जो पृथ्वी पर कभी देह में थे, वहां पर
आत्म-सुषुप्ति के प्रकाशमान कक्षों में आसीन थे।

Passed were the pillar-posts of birth and death,
Passed was their little scene of symbol deeds,
Passed were the heavens and hells of their long road;
They had returned into the world’s deep soul.

वे जीवन और मरण की यात्रा-चौकी के स्तम्भों से गुजर चुके थे,
उनके सांकेतिक कर्मों के लघु दृश्य भी बीत गये थे,
उनकी दीर्घ यात्रा-पथ के स्वर्ग और नरक पार हो गये थे;
अब वे विश्वात्मा की गहनता में पुनः लौट आये थे।

All now was gathered into pregnant rest:
Person and nature suffered a slumber change.

अब समष्टि गर्भायित विश्राम में समाहित एवं केन्द्रित थी:
चैत्य पुरुष और स्वभाव एक परिवर्तन की सुषुप्ति में थे।

In trance they gathered back their bygone selves,
In a background memory’s foreseeing muse
Prophetic of new personality
Arranged the map of their coming destiny’s course:
Heirs of their past, their future’s discoverers,
Electors of their own self-chosen lot,
They waited for the adventure of new life.
A Person persistent through the lapse of worlds,
Although the same for ever in many shapes
By the outward mind unrecognisable,
Assuming names unknown in unknown climes
Imprints through Time upon the earth’s worn page
A growing figure of its secret self,
And learns by experience what the spirit knew,
Till it can see its truth alive and God.

इस समाधि में उन्होंने अपने विगत व्यक्तित्वों को पीछे समेट कर,
स्मृति-पटल के भविष्यदर्शी चिन्तन की एक पृष्ठभूमि पर
एक नव-व्यक्तित्व की भवितव्यता को
अपने आगामी भाग्य पथ के मानचित्र पर सजा लिया था:
अपने भूतकाल के उत्तराधिकारियों के, अपने भविष्य के अन्वेषकों के,
इस आत्म-निर्वाचित समूह के वे स्वयं चयनकर्ता थे,
और अब वे एक नये जीवन की साहसी-यात्रा की प्रतीक्षा में थे,
एक चैत्यपुरुष जो जीवनों के विलय के मध्य भी स्थायी रहता है,
अनेक रूप परिवर्तनों के मध्य भी सतत एक ही रहता है
किन्तु बहिर्मन उसको पहिचान नहीं पाता है,
अज्ञात युगों में वह अज्ञात नाम धारण करता है
कालयात्रा के मध्य इस पृथ्वी के जीर्ण पृष्ठ पर छाप छोड़ जाता है,
अपने गोपित आत्म-व्यक्तित्व की जो उसका विकसित होता आकार है,
और तब तक अनुभव द्वारा अपने ही आत्मगोपित ज्ञान को सीखता रहता है,
जब तक यह अपने आत्म-सत्य को जीवन्त एवं प्रभु को देख नहीं लेता।

Once more they must face the problem-game of birth,
The soul’s experiment of joy and grief[293]
And thought and impulse lighting the blind act,
And venture on the roads of circumstance
Through inner movements and external scenes,
Travelling to self across the forms of things.

फिर से एक बार उन्हें जन्म धारण कर इस जग-लीला की पहेली का सामना करना है,
अन्तरात्मा के सुख एवं दुःख के प्रयोग को करना है,
और अपने अन्धे कर्म को प्रकशित करते संकल्प औ’ आवेग से भेंटना है,
और संसारी-परिस्थिति के पथों पर संकट झेलना है,
अन्तर्गतियों और बहिर्द़ृश्यों के मध्य से गुजरना है,
वस्तुओं की इन रूपाकृतियों की यात्रा द्वारा अपनी आत्मसत्ता तक पहुंचना है।

Into creation’s centre he had come.

अश्वपति अब सृष्टि के अन्तर-केन्द्र में आ पहुंचा।

The spirit wandering from state to state
Finds here the silence of its starting-point
In the formless force and the still fixity
And brooding passion of the world of Soul.

एक स्थिति से दूसरी स्थिति तक विचरती हमारी चैत्य सत्ता
यहां अपने आदि आरम्भ-बिन्दु की नीरवता प्राप्त करती है,
यहां की निराकारी ऊर्जा और स्थिर निश्चलता में
और आत्म-लोक की ध्यानावेश समाधि में डूब जाती है।

All that is made and once again unmade,
The calm persistent vision of the One
Inevitably re-makes, it lives anew:
Forces and lives and beings and ideas
Are taken into the stillness for a while;
There they remould their purpose and their drift,
Recast their nature and re-form their shape.

अब तक जो सब बनाया है यहांपुन: एक बार अगठित रूप में आ जाता है,
परमैकम् का शान्त अध्यवसायी स्वरूप
अनिवार्यता से पुन: गठित हो, यह नव जीवन धर लेता है:
शक्तियां, प्राण और जीवन एवं धारणाएं
सभी इस स्थिर नीरवता में कुछ क्षण को ले जाये जाते हैं;
वहां वे अपने लक्ष्य और अपनी जीवनगति का नवगठन कर लेते हैं,
अपने स्वभाव को पुनर्गठित कर और अपने आकार का नवरुपायण करते हैं।

Ever they change and changing ever grow,
And passing through a fruitful stage of death
And after long reconstituting sleep
Resume their place in the process of the Gods
Until their work in cosmic Time is done.

वे सतत परिवर्तित होते हैं और परिवर्तन से विकसित होते हैं,
और मृत्यु की एक फलदायिनी अवस्था से गुजर
और दीर्घ मूलभूत स्वस्थ शयनावस्था के पश्चात्
वे देवों की कार्यप्रणाली में अपना स्थान ग्रहण करते हैं
जब तक ब्रह्माण्डीय कालचक्र में उनका कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता।

Here was the fashioning chamber of the worlds.

यहां पर इन जगतों के नवरुपायण हेतु एक कक्ष था।

An interval was left twixt act and act,
Twixt birth and birth, twixt dream and waking dream,
A pause that gave new strength to do and be.

कर्म और कर्म के मध्य एक अन्तराल छोड़ा जाता था,
जन्म और जन्म के मध्य, स्वप्न और जाग्रत स्वप्न में
एक अवकाश होता है जो कर्महित और व्यक्त होने की नयी शक्ति देता।

Beyond were regions of delight and peace,
Mute birth-places of light and hope and love,
And cradles of heavenly rapture and repose.

इस लोक के परे आत्मसुख और शान्ति के क्षेत्र थे,
ये ज्योति और आशा और प्रेम के मूक जन्मस्थान थे,
स्वर्गिक भाव-समाधि और विश्राम के पोषणकारी क्षेत्र थे।

In a slumber of the voices of the world
He of the eternal moment grew aware;
His knowledge stripped bare of the garbs of sense
Knew by identity without thought or word,
His being saw itself without its veils,
Life’s line fell from the spirit’s infinity.

सांसारिक कोलाहलों की एक नींद में
योगी इस शाश्वत मुहूर्त के प्रति सजग हो उठा;
उसका ज्ञान इन्द्रियबोध की पोशाकें उतार नग्न हो गया
और विचार और शब्द के बिना तदात्मता द्वारा सब जान गया,
उसकीसत्ता ने निरावृत हो अपना आत्मरूप देख लिया,
आत्मा की शाश्वतता से जीवन की सीमारेखा मिट गयी।

Along a road of pure interior light,
Alone between tremendous Presences, [294]
Under the watching eye of nameless Gods,
His soul passed on, a single conscious power,
Towards the end which ever begins again,
Approaching through a stillness dumb and calm
To the source of all things human and divine.

पुनीत विशुद्ध अन्तर्ज्योति के एक मार्ग पर, एकाकी
विस्मयकारी देव-सान्निध्यों के मध्य अकेली,
अनामी विशाल देवताओं की सतर्क दृष्टि के नीचे हो,
उसकी आत्मा, एक अद्वितीय सचेत शक्ति, आगे बढ़ चली,
उस अन्त कीओर जो सतत पुन: आरम्भ हो नित्य नूतन रहता है,
एक स्थिर मूक और निश्चल शान्ति को पार कर यह
समस्त दैवी और मानवीय वस्तुओं के मूल उद़्गम पर जा पहुंची।

There he beheld in their mighty union’s poise
The figure of the deathless Two-in-One,
A single being in two bodies clasped,
A diarchy of two united souls,
Seated absorbed in deep creative joy;
Their trance of bliss sustained the mobile world.

वहां योगी ने अवलोका अपने सामर्थ्यशाली एकत्व के आसन में
आसीन उस अकाल शिव-शक्ति की युग्माकृति जो एकाकार है,
एक कैवल्य सत्ता में दो आलिंगनबद्ध देह,
दो संयोजित आत्माओं की एक द्वितन्त्रीय शासन-प्रणाली है,
गहन सर्जनात्मक आनन्द में तल्लीन वे विराजमान हैं;
उनकी परमानन्द की समाधि ही इस चल संसार की गति आधार है।

Behind them in a morning dusk One stood
Who brought them forth from the Unknowable.

उनके पीछे एक उषाकालीन धूसरता में परम भगवती खड़ी हैं
जो उन्हें अज्ञेय ब्रह्म से निकाल यहां लायी हैं।

Ever disguised she awaits the seeking spirit;
Watcher on the supreme unreachable peaks,
Guide of the traveller of the unseen paths,
She guards the austere approach to the Alone.

सदैव प्रच्छन्न रहकर वह खोजी आत्मा की प्रतीक्षा करती हैं;
उन अगम्य चरम शिखरों की एक सतर्क प्रहरी,
अगोचर मार्गों के यात्री को पथ दर्शाती,
परम कैवल्य कीओर जाते तपस्या के पथ की रक्षा करती हैं।

At the beginning of each far-spread plane
Pervading with her power the cosmic suns
She reigns, inspirer of its multiple works
And thinker of the symbol of its scene.

सुदूर तक विस्तृत प्रत्येक स्तर के आरम्भ में
अपनी चित्शक्ति के बह्माण्डीय सूर्यों से उसे व्याप्त कर
वह शासन करती हैं, इसके विविध कार्यों की प्रेरक
और इसके प्रतीकात्मक दृश्य की चिन्तक हैं।

Above them all she stands supporting all,
The sole omnipotent Goddess ever-veiled
Of whom the world is the inscrutable mask;
The ages are the footfalls of her tread,
Their happenings the figure of her thoughts,
And all creation is her endless act.

इन सबके ऊर्ध्व में इन सबको आधार देती स्थित,
वह अद्वितीय सर्वशक्तिशाली महादेवी सदैव आवृत रहती हैं
यह जगत् उनका निगूढ़ अवगुण्ठन है;
ये युग उनकी चाल के चरणचाप हैं,
ये घटनाएं उन्हीं के संकल्पों की आकृतियां हैं;
सकल सृष्टि उन्हीं की अनन्त क्रिया है।

His spirit was made a vessel of her force;
Mute in the fathomless passion of his will
He outstretched to her his folded hands of prayer.

योगी की आत्मा अब भगवती तेजस् की एक पात्र बना दी गयी;
अपने संकल्प के अगाध आवेश में अवाक् हो
उसने अपने बद्ध करों को प्रार्थना हित भगवती की ओर फैला दिया।

Then in a sovereign answer to his heart
A gesture came as of worlds thrown away,
And from her raiment’s lustrous mystery raised
One arm half-parted the eternal veil.

तब उसके अन्तर वंदन के एक भव्य प्रत्युत्तर के रूप में
एक संकेत आया जैसे कि लोकों को दूर धकेल दिया हो,
और भगवती के परिधान की प्रोज्ज्वल निगुह्यता से
एक हाथ ने उठ उस शाश्वत घूंघट को आधा खोल दिया।

A light appeared still and imperishable.

अविनाशी और निश्चल नीरव एक प्रकाश प्रकट हो गया।

Attracted to the large and luminous depths[295]
Of the ravishing enigma of her eyes,
He saw the mystic outline of a face.

भगवती के नेत्रों के सम्मोहक रहस्य से विवश हो,
उसकी विशाल प्रदीप्त गहनताओं द्वारा आकर्षित हो,
योगी ने एक मुखमण्डल की गुह्य रूप-रेखा देखी।

Overwhelmed by her implacable light and bliss,
An atom of her illimitable self
Mastered by the honey and lightning of her power,
Tossed towards the shores of her ocean ecstasy,
Drunk with a deep golden spiritual wine,
He cast from the rent stillness of his soul
A cry of adoration and desire
And the surrender of his boundless mind
And the self-giving of his silent heart.

वह उसके अप्रशम्य तीव्र प्रकाश और आनन्द से अभिभूत हो गया,
उसी के अनन्त आत्मतत्त्व का वह एक परमाणु
जिसे भगवती शक्ति के माधुर्य और विद्युत् ने परिप्लावित कर डाला,
और अपने प्रहर्ष के सागरों के तटों कीओर फेंक दिया,
अध्यात्म की एक गहन स्वर्ण वारुणी पी वह मदमस्त हो गया,
उसकी आत्मा की प्रशान्तता को चीर उससे फूट पड़ी
आराधना और कामना की एक पुकार
और उसके असीम मानस का पूर्ण समर्पण
और उसके नीरव स्थिर प्राण का आत्मार्पण।

He fell down at her feet unconscious, prone.[296]

वह उसके चरणों पर अचेत, साष्टांग प्रणत हो गिर गया।

END OF CANTO FOURTEEN