BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS
Canto Nine. The Paradise of the Life-Gods
Around him shone a great felicitous Day.
योगी के चहुं ओर एक महान् अभिनन्दनीय पुण्य दिवस दीप्तिमान था।
A lustre of some rapturous Infinite,
It held in the splendour of its golden laugh
Regions of the heart’s happiness set free,
Intoxicated with the wine of God,
Immersed in light, perpetually divine.
किसी आह्लादपूर्ण नित्य परम की एक शोभा का वहां विस्तार था,
यह अपने स्वर्ण-हास्य की प्रभा में धारण किये था
हृदय की मुक्त प्रसन्नता से भरे राज्यों को,
प्रभु की अनुरागी मदिरा से मदमस्त,
प्रभु-प्रकाश में मज्जित, चिर-दिव्य था।
A favourite and intimate of the Gods
Obeying the divine command to joy,
It was the sovereign of its own delight
And master of the kingdoms of its force.
परम देवों का सुहृद् और उनका प्रियपात्र,
आनन्दित रहने की देवाज्ञा का अनुपालन करता,
यह अपने आत्मानन्द की प्रभुसत्ता से सम्पन्न था
और अपनी शक्ति के साम्राज्यों का स्वामी था।
Assured of the bliss for which all forms were made,
Unmoved by fear and grief and the shocks of Fate
And unalarmed by the breath of fleeting Time
And unbesieged by adverse circumstance,
It breathed in a sweet secure unguarded ease
Free from our body’s frailty inviting death,
Far from our danger zone of stumbling Will.
उस आनन्द के प्रति आश्वस्त था जिसके लिए सृष्टि-आकार रचे गये थे,
भय और दुःख में स्थिर था और विधाता के आघातों से
और युग के भागते चरणों के श्वास द्वारा त्रस्त न होता
और प्रतिकूल परिस्थिति इसे बांध न पाती,
यह एक मधुर सुरक्षित मुक्त विश्रान्ति में श्वास लेता
मृत्यु को आमन्त्रित करती हमारी शारीरिक दुर्बलता से मुक्त,
लड़खड़ाते मानस-संकल्प के हमारे संकट क्षेत्र से यह अति दूर था।
It needed not to curb its passionate beats;
Thrilled by the clasp of the warm satisfied sense
And the swift wonder-rush and flame and cry
Of the life-impulse’s red magnificent race,
It lived in a jewel-rhythm of the laughter of God
And lay on the breast of universal love.
इसे अपने आवेशों की धड़कनों पर नियन्त्रण रखना आवश्यक नहीं था;
तप्त तृप्त इन्द्रियालिंगन द्वारा रोमांचित हो सिहरता
और प्राणावेश की अरुणिम भव्य जीवन दौड़ की पुकार से
और अद़्भुत-प्रवेग की द्रुतता से और उत्तेजना से पुलकित होता,
यह प्रभु-हास्य के हीरक संगीत में बसता
और विश्व-प्रेम के वक्ष पर शीश धर लेटा रहता।
Immune the unfettered Spirit of Delight
Pastured his gleaming sun-herds and moon-flocks
Along the lyric speed of griefless streams
In fragrance of the unearthly asphodel.
उन्मुक्त और निर्बाध परमानन्द का यह आत्मपुरुष ग्वाला
अपने चमकते सूर्य-गौयूथों और चन्द्र-किरणों के समूहों को
अशोक धाराओं को संगीतमयी गति के साथ चलते तटों पर
अलौकिक पुष्प की बहती सुरभि में चराता था।
A silence of felicity wrapped the heavens,
A ceaseless radiance smiled upon the heights;
A murmur of inarticulate ravishment
Trembled in the winds and touched the enchanted soil;[233]
Incessant in the arms of ecstasy
Repeating its sweet involuntary note
A sob of rapture flowed along the hours.
नभों को एक स्वर्गिकसुख की नीरवता ने जैसे लपेट रखा हो,
शिखरों पर एक लापरवाह मुस्कान की कान्ति बिखरी हुई थी;
काम-तृप्ति सुख की अस्पष्ट-सी एक गुनगुनाहट थी
जो हवाओं पर कांपती आती और मन्त्रमुग्ध धरा को छू जाती;
अविरत भाव-समाधि की भुजाओं में बंधी
अनजाने ही अपना मधुर स्वर सतत दोहराये जाती
काल घड़ियों में भी आह्लाद की एक सिसकारी प्रवाहित होती।
Advancing under an arch of glory and peace,
Traveller on plateau and on musing ridge,
As one who sees in the World-Magician’s glass
A miracled imagery of soul-scapes flee
He traversed scenes of an immortal joy
And gazed into abysms of beauty and bliss.
यश और शान्ति के एक मुख्य द्वार के तले प्रगतिपथ पर बढ़ता,
योगीयात्री समभूमि पर और ध्यानमग्न पर्वतमाला पर चलता
उन आत्म-प्रदेश के उड़ते दृश्यों के एक कल्पित चमत्कार को
ऐसे अवलोक रहा था जैसे यह विश्व-मायापति का जादुई दर्पण हो,
उसने एक अमर हर्ष के दृश्यों को सामने से गुजरने देखा
और सौन्दर्य तथा आत्मानन्द की खाड़ियों में झांका।
Around him was a light of conscious suns
And a brooding gladness of great symbol things;
To meet him crowded plains of brilliant calm,
Mountains and violet valleys of the Blest,
Deep glens of joy and crooning waterfalls
And woods of quivering purple solitude;
Below him lay like gleaming jewelled thoughts
Rapt dreaming cities of Gandharva kings.
सचेत सूर्यों का एक प्रकाश उसके चहुं ओर व्याप्त था
और महान् प्रतीक पदार्थों का एक ध्यानमग्न प्रसाद फैला था;
उसे भेंटने तेजस्वी शान्त स्तरों के समूह घेरे थे,
सिद्धात्माओं के पर्वत और नील-लोहित घाटियां,
आनन्द के गहन पर्वत-पथ और मृदु-गुंजारित झरने
और अरुण नील एकान्तता से कम्पित वन भीड़ लगाये थे;
उसके चरण-तले जगमगाते रत्नों समान विचार के
गंधर्व-राजाओं के स्वप्न में डूबे नगर पसरे पडे़ थे।
Across the vibrant secrecies of Space
A dim and happy music sweetly stole,
Smitten by unseen hands he heard heart-close
The harp’s cry of the heavenly minstrels pass,
And voices of unearthly melody
Chanted the glory of eternal love
In the white-blue moonbeam air of Paradise.
आत्माकाश की उस स्पन्दित गुह्यता के उस पार से
एक मन्द और प्रसन्न संगीत की धुन मधुरता से चुपके से प्रवेश कर गयी,
अगोचर करों द्वारा आहत हो उसने निज-हृदय के समीप सुनी
उन वीणाओं की पुकार जो गुजरते दिव्य चरणों की थी,
और अलौकिक धुन की उन ध्वनियों को
जो अमर प्रेम को महिमा का कीर्तन करतीं
स्वर्ग के उस शुभ्र-नील ज्योत्सना से भरे वातावरण में विद्यमान थीं।
A summit and core of all that marvellous world,
Apart stood high Elysian nameless hills,
Burning like sunsets in a trance of eve.
उस चमत्कारी लोक की समष्टि का एक शिखर और मर्मस्थल,
सुरलोक की अनामी पहाड़ियों में उन्नत पृथक् ही खडा़ दिखता था,
संध्या की एक समाधि में सूर्यास्त सम प्रज्वलित था।
As if to some new unsearched profundity,
Into a joyful stillness plunged their base;
Their slopes through a hurry of laughter and voices sank,
Crossed by a throng of singing rivulets,
Adoring blue heaven with their happy hymn,
Down into woods of shadowy secrecy:
Lifted into wide voiceless mystery
Their peaks climbed towards a greatness beyond life.
जैसे किसी अशोधित नवीन गहनगूढ़ता की खोज में हों,
उन्होंने निज मूलाधार को एक हर्षपूर्ण स्थिरता में डुबो दिया;
उनकी ढलानें हास्य और कोलाहलों के बीच तीव्रता से उतर गयी थीं,
मार्ग में जिन्हें कलकल करती धाराएं काट रही थीं,
अपनी प्रसन्न ऋचाओं से जैसे नीलाकाश की आराधना करतीं,
ये नीचे जा छायादार वनों की गोपनीयता में छिप गयी थीं:
उनके शिखर विस्तृत स्वरहीन रहस्य में उन्नत हो
जीवन से परे एक महानता कीओर चढ़ गये।
The shining Edens of the vital gods[234]
Received him in their deathless harmonies.
प्राण-देवताओं के दीप्तिमान नन्दनकाननों ने
अपने अमर सामञ्जस्यपूर्ण मैत्रीभाव के मध्य योगी का स्वागत किया।
All things were perfect there that flower in Time;
Beauty was there creation’s native mould,
Peace was a thrilled voluptuous purity.
यहां दिक्काल में पुष्पित होते सकल पदार्थ वहां परिपूर्ण थे;
सौन्दर्य सृष्टि का वहां नैसर्गिक सहज संचक था,
और शान्ति एक रोमांचक विलासिनी शुचिता थी।
There Love fulfilled her gold and roseate dreams
And Strength her crowned and mighty reveries;
Desire climbed up, a swift omnipotent flame,
And Pleasure had the stature of the gods;
Dream walked along the highway of the stars;
Sweet common things turned into miracles:
Overtaken by the spirit’s sudden spell,
Smitten by a divine passion’s alchemy,
Pain’s self compelled transformed to potent joy
Curing the antithesis between heaven and hell.
प्रणय की देवी वहां अपने सुनहरे और गुलाबी सपनों को पूरा करती
और प्राणशक्ति अपनी सामर्थ्यपूर्ण सर्वोच्च कल्पनाओं को सिद्ध करती;
कामना एक तत्पर सर्वशक्तिशालिनी ज्वाला समान ऊपर आरोहण करती,
और आमोद-प्रमोद देवताओं की समकक्षता में आते;
सितारों के राजपथ के साथ-साथ स्वप्न विचरण करते;
प्रिय सामान्य पदार्थ सकल चमत्कारों में बदल गये थे:
हठात् प्राणतत्त्व के सम्मोहन से अधिकृत हो,
एक दिव्य प्रेमावेश के रसायन द्वारा विवश बनी,
पीड़ा की सत्ता स्वयं को प्रभावकारी हर्ष में परिणत करने को बाध्य हो गयी
जिससे स्वर्ग और नरक के मध्य की विरोधिता मिट गयी।
All life’s high visions are embodied there,
Her wandering hopes achieved, her aureate combs
Caught by the honey-eater’s darting tongue,
Her burning guesses changed to ecstasied truths,
Her mighty pantings stilled in deathless calm
And liberated her immense desires.
सम्पूर्ण प्राण-जीवन के उच्च दर्शन वहां रूपायित थे,
उसकी भटकती आशाएं परिपूर्ण हो जातीं, उसके स्वर्णिम मधुकोष जैसे
मधु-भक्षियों की झपटती जीभ द्वारा धर लिये जाते,
प्राणशक्ति के ज्वलन्त अनुमान सब आह्लादपूर्ण सत्यों में बदल गये,
उसकी भीषण लिप्साएं अमर प्रशान्तता में स्थिर हो गयीं
और जिससे उसकी महान् आकांक्षाएं सब मुक्त हो गयीं।
In that Paradise of perfect heart and sense
No lower note could break the endless charm
Of her sweetness ardent and immaculate;
Her steps are sure of their intuitive fall.
आदर्श हृदय और इन्द्रियबोध के उस स्वर्ग में
एक भी निम्न स्वर उस अनन्त मनमोहक शोभा की
तीव्र माधुरी और निर्मलता को भंग नहीं कर पाया था;
वहां प्राणशक्ति के कदम अपने अन्तर्भासित पतन के प्रति आश्वस्त हैं।
After the anguish of the soul’s long strife
At length were found calm and celestial rest
And, lapped in a magic flood of sorrowless hours,
Healed were his warrior nature’s wounded limbs
In the encircling arms of Energies
That brooked no stain and feared not their own bliss.
प्राण को दीर्घ संघर्ष की वेदना के पश्चात्
अन्त में जाकर शान्ति और स्वर्गिक विश्राम प्राप्त हुआ था
और सन्तापरहित घड़ियों के एक जादुई प्लावन में डुबकी लगा
उसकी योद्धा प्राणप्रकृति के घायल अंग
दिव्य-ऊर्जाओं के घेरों में बंधे, अब स्वस्थ थे,
ये ऊर्जाएं किसी दाग को सह नहीं पातीं और अपने आत्मानन्द में अभय रहतीं।
In scenes forbidden to our pallid sense
Amid miraculous scents and wonder-hues
He met the forms that divinise the sight,
To music that can immortalise the mind
And make the heart wide as infinity
Listened, and captured the inaudible[235]
Cadences that awake the occult ear:
Out of the ineffable hush it hears them come
Trembling with the beauty of a wordless speech,
And thoughts too great and deep to find a voice,
Thoughts whose desire new-makes the universe.
हमारे मन्द संवेदन हित निषेधित इन दृश्यों में
अलौकिक सुगन्धों और अद्भुत रंगों के मध्य में
योगी उन आकारों से भेंटा जो दृष्टि को दिव्य बना देते हैं,
उस संगीत को जो मन को अमरत्व प्रदान करता है
और हृदय को अनन्त सम उदार कर देता है
सुना, और उन अश्रव्य धुनों को पकड़ लिया
जो गुह्य श्रुति की शक्ति को जगा देती:
वाचातीत मौन से यह उन्हें बाहर निकलते सुनती
ये एक निःशब्द वाणी की मधुरता से कम्पित होती
और उन महान् औ’ अति गहन विचारों से, जिन्हें वाणी व्यक्त नहीं कर पाती
स्पन्दित है उन विचारों की आकांक्षा इस विश्व को नव रूपों में रचती है।
A scale of sense that climbed with fiery feet
To heights of unimagined happiness,
Recast his being’s aura in joy-glow,
His body glimmered like a skyey shell;
His gates to the world were swept with seas of light.
संवेदन की एक मापनी जो तेजस्वी चरणों से चढ़ती
प्रसन्नता की अकल्पित उच्चताओं कीओर आरोहण कर गयी,
योगी की सत्ता के प्रभामण्डल को आनन्द-दीप्ति में पुनःगठित कर दिया,
उसका शरीर एक आकाशीय-खोल समान झिलमिलाने लगा;
संसार कीओर खुलते उसके इन्द्रिय-द्वारों को ज्योति-सागरों ने धो डाला।
His earth, dowered with celestial competence,
Harboured a power that needed now no more
To cross the closed customs-line of mind and flesh
And smuggle godhead into humanity.
उसकी पार्थिवता अब दिव्य सक्षमता से सम्पन्न
एक शक्ति का आश्रय स्थान थी और उसे जरूरत नहीं रही
इस मन और देह की बन्द चुंगी-सीमा पार करने की
और मानवता के अन्तर में चोरी चुपके देवत्व लाने की।
It shrank no more from the supreme demand
Of an untired capacity for bliss,
A might that could explore its own infinite
And beauty and passion and the depth’s reply
Nor feared the swoon of glad identity
Where spirit and flesh in inner ecstasy join
Annulling the quarrel between self and shape.
उस सर्वोच्च मांग से जो आत्मानन्द हित अथक सामर्थ्य की थी
अब घबराकर और पीछे नहीं हटी,
एक शक्ति जो अपनी आत्म-नित्यता का संधान कर सकती थी।
और सौन्दर्य और आवेश और गहनताओं का उत्तर खोज सकती थी
और प्रसन्न एकात्मता को मूर्छा से भयभीत नहीं थी,
जहां देह और आत्मा अन्तर-भावसमाधि में एक हो
देही और देह के बीच के संघर्ष को मिटा देते हैं।
It drew from sight and sound spiritual power,
Made sense a road to reach the intangible:
It thrilled with the supernal influences
That build the substance of life’s deeper soul.
यह दर्शन और नाद से आध्यात्मिक बल खींचती,
इन्द्रिय-बोध को स्पर्शातीत तक पहुंचने का मार्ग बना लेती:
यह उन ईश्वरीय प्रभावों से रोमांचित होती
जो जीवन के गहनतर आत्मतत्त्व के निर्माता हैं।
Earth-nature stood reborn, comrade of heaven.
पार्थिव-प्रकृति नव-जन्म धारण कर, स्वर्ग की सहचरी बन खड़ी थी।
A fit companion of the timeless Kings,
Equalled with the godheads of the living Suns,
He mixed in the radiant pastimes of the Unborn,
Heard whispers of the Player never seen
And listened to his voice that steals the heart
And draws it to the breast of God’s desire,
And felt its honey of felicity
Flow through his veins like the rivers of Paradise,
Made body a nectar-cup of the Absolute.
कालातीत देवेन्द्रों का एक योग्य सखा,
वह प्राणदाता सूर्यों के दिव्यांशों का समकक्ष बन गया,
उन अजन्मा देवों की दीप्तिमान लीलाओं से जुड़ गया,
उस अगोचर लीलाधर के अस्फुट स्वरों को सुनता
और उसकी मन हर लेने वाली वाणी भी सुनता
प्रभु प्रेम की लालसा हृदय आकर्षित करती,
और योगी ने मधुर लालित्य से पूर्ण इसके मधु-रस का रसपान किया
जो उसकी नाड़ियों के मध्य दिव्य-सरिताओं सम बहने लगा,
जिसने काया को परमेश का एक अमृत-कलश बना दिया।
In sudden moments of revealing flame,[236]
In passionate responses half-unveiled
He reached the rim of ecstasies unknown;
A touch supreme surprised his hurrying heart,
The clasp was remembered of the Wonderful,
And hints leaped down of white beatitudes.
सत्य प्रकाशिनी आत्मज्वाला के आकस्मिक क्षणों में,
आधे घूंघट के पीछे छिपी अनुरागावेश की प्रतिक्रियाओं के मध्य
वह अज्ञात आह्लादों के तट पर जा पहुंचा था;
परात्पर के एक स्पर्श ने उसके उतावले हृदय को चौंका दिया,
पुरुषोत्तम-आलिंगनकी स्मृति को जगा दिया,
और धवल अमल परमानन्दों के संकेत कूद नीचे उतर आये।
Eternity drew close disguised as Love
And laid its hand upon the body of Time.
चिरन्तनता दिव्य प्रेम का भेष बदल समीप खिंच आयी
और काल की काया पर अपना हाथ धर दिया।
A little gift comes from the Immensitudes,
But measureless to life its gain of joy;
All the untold Beyond is mirrored there.
दिव्य विस्तारों से एक छोटा-सा वरदान आता है,
किन्तु जीवन हित इसका आनन्द-लाभ अमित होता है;
वहां सम्पूर्ण अज्ञात परात्पर इसमें प्रतिबिम्बित होता है।
A giant drop of the Bliss unknowable
Overwhelmed his limbs and round his soul became
A fiery ocean of felicity:
He foundered drowned in sweet and burning vasts:
The dire delight that could shatter mortal flesh,
The rapture that the gods sustain he bore.
अज्ञेय परमानन्द के एक विराट् बिन्दु ने
उसके अंगों को प्रबलता से अभिभूत कर दिया
और उसकी अन्तरात्मा के चारोंओर आनन्द एक प्रचण्ड सिन्धु सम उमड़ पड़ा:
वह मधुर और प्रज्वलित विस्तारों में डूब निमग्न हो गया:
वह नग्न प्रखर हर्ष जो नश्वर शरीर को चूर्ण विचूर्ण कर सकता था,
जिस हर्षोन्माद का देवता पोषण करते हैं उसे योगी ने निज अन्तर में धारण कर लिया।
Immortal pleasure cleansed him in its waves
And turned his strength into undying power.
अमर प्रसन्नता ने अपनी तरंगों से उसे निर्मल बना दिया
और उसके बल को अमरता प्रदान कर दी।
Immortality captured Time and carried Life.[237]
अमरता ने त्रिकाल पर निज अधिकार कर उसके सकल जीवन का भार उठा लिया।
END OF CANTO NINE