BOOK TWO. THE BOOK OF THE TRAVELLER OF THE WORLDS
Canto Four. The Kingdoms of the Little Life
A quivering trepidant uncertain world
Born from that dolorous meeting and eclipse
Appeared in the emptiness where her feet had trod,
A quick obscurity, a seeking stir.
उस सन्तापकारी मिलन और ग्रहण से जन्मा
एक कम्पित व्याकुल अनिश्चित लोक प्रकट हो उठा
उस रिक्त-आकाश में जहां पतिता देवी के चरण पड़े थे,
वहां एक छटपटाती अस्पष्टता थी, एक खोज की हलचल मची थी।
There was a writhing of half-conscious force
Hardly awakened from inconscient sleep
And tied to an instinct-driven Ignorance,
To find itself and find its hold on things.
अर्ध-जाग्रत् ऊर्जा की यह एक कुलबुलाहट थी
जो अचित्-निद्रा से अभी पूरी तरह जागी नहीं थी,
घोर अज्ञान की एक सहज संचालित गति से बंधी
यह स्वयं को खोजती और वस्तुओं को अपने अधिकार में कर लेने को छटपटाती।
Inheritor of poverty and loss,
Assailed by memories that fled when seized,
Haunted by a forgotten uplifting hope,
It strove with a blindness as of groping hands
To fill the aching and disastrous gap
Between earth-pain and the bliss from which Life fell.
यह दरिद्रता और घाटे की उत्तराधिकारिणी,
स्मृतियों द्वारा आक्रमित होती जो पकड़ने पर उड़ जातीं,
एक विस्मृत उन्नति की आशा सदा इसका पीछा किया करती।
यह एक अन्धे प्रयास में ऐसे जुटी रहती जैसे हाथों से टटोलती
इस पीड़ादायक और विनाशकारी गर्त को भर देने हित संघर्ष में लगी थी,
यह गर्त पार्थिव-पीड़ा और उस परमानन्द के मध्य है जहां से प्राणशक्ति गिरी थी।
A world that ever seeks for something missed,
Hunting for a joy that earth has failed to keep.
यह लोक सतत किसी खोयी वस्तु को खोजता रहता है,
जिसे यह धरती सम्भाल रख न पायी ऐसे एक हर्ष को खोजता है।
Too near to our gates its unappeased unrest
For peace to live on the inert solid globe:
It has joined its hunger to the hunger of earth,
It has given the law of craving to our lives,
It has made our spirit’s need a fathomless gulf.
इसकी अशान्त व्याकुलता हमारी चेतना के द्वार के इतने समीप है
कि शान्ति इस जड़-स्थूल भूगोलक पर स्थिर नहीं रह पाती है।
इसने अपनी बुभुक्षा को पृथ्वी की क्षुधा से जोड़ दिया,
और हमारे जीवनों पर लालसा का नियम आरोपित कर,
हमारे जीव की आवश्यकता को एक अथाह गर्त बना दिया।
An Influence entered mortal night and day,
A shadow overcast the time-born race;
In the troubled stream where leaps a blind heart-pulse
And the nerve-beat of feeling wakes in sense
Dividing Matter’s sleep from conscious Mind,
There strayed a call that knew not why it came.
नश्वर मानव दिवस और रात्रि के मध्य इसका प्रभाव प्रवेश कर गया,
काल में जन्मी जाति पर एक छाया का अन्धेरा छा गया है;
विक्षुब्ध रक्तधार में अब एक अन्धी हृदय-धड़कन उछलती है
और भावना का एक नाड़ी-स्पन्दन इन्द्रिय बोध को जगा देता है
यह जड़तत्त्व की निद्रा से सचेत मनश्शक्ति को पृथक कर देता है,
वहां अब चित्त में एक पुकार भटकने लगी जो नहीं जानती कि यहांक्यों आयी है।
A Power beyond earth’s scope has touched the earth;
The repose that might have been can be no more;
A formless yearning passions in man’s heart,
A cry is in his blood for happier things:[132]
Else could he roam on a free sunlit soil
With the childlike pain-forgetting mind of beasts
Or live happy, unmoved, like flowers and trees.
धरा की परिधि से परे की एक प्राणशक्ति ने इस धरा को छू लिया;
यहां की जड़-शान्ति का विश्राम उसने सब हर लिया;
मानव के हृदय को एक आकारहीन लालसा के आवेशों से भर दिया,
उसके रक्त में सुखतर पदार्थों हित एक चीत्कार दौड़ने लगा:
अन्यथा वह भी एक मुक्त धूप में भूमि पर घूमता
पशुओं समान भोला मन लिये पीडा़ को भूलाडोलता
अथवा फूल पादपों समान अचल प्रसन्न जीवन जीता।
The Might that came upon the earth to bless
Has stayed on earth to suffer and aspire.
वह महाशक्ति जो इस धरा पर आशीष देने आयी थी,
वह इस पृथ्वी पर दुःख सहने और अभीप्सा करने ठहर गयी।
The infant laugh that rang through time is hushed:
Man’s natural joy of life is overcast
And sorrow is his nurse of destiny.
वह बालवत् हंसी जो काल में गूंजी थी अब मौन थी:
मानव के सहज स्वाभाविक हर्ष में जीने के सुख पर बदली छा गयी;
और वेदना पीड़ा ही उसके भाग्य की धाय बन गयी।
The animal’s thoughtless joy is left behind,
Care and reflection burden his daily walk:
He has risen to greatness and to discontent,
He is awake to the Invisible.
पशु-जीवन का विवेकहीन सुख पीछे छूट गया,
चिन्ता और मनन ने उसकी दिनचर्या को बोझिल बना दिया;
मानव महत्ता और असन्तोष दोनों में उन्नत हो गया,
वह परम-अगोचर के प्रति जाग उठा।
Insatiate seeker, he has all to learn:
He has exhausted now life’s surface acts,
His being’s hidden realms remain to explore.
वह असन्तुष्ट खोजी है, उसे सम्पूर्ण सब सीखना है:
अब वह जीवन के सतही कर्मों को नि:शेष कर चुका है,
पर उसकी सत्ता के प्रच्छन्न अन्तर-साम्राज्यों का संधान शेष है।
He becomes a mind, he becomes a spirit and self;
In his fragile tenement he grows Nature’s lord.
वह मन बन जाता है, वह एक आत्म-सत्ता औ’ अहम् बन जीता है,
अपने भंगुर आवास में वह अपरा प्रकृति का स्वामी बन विकसित होजाता है।
In him Matter wakes from its long obscure trance,
In him earth feels the Godhead drawing near.
उसकी देह का भौतिक जड़तत्त्व अपनी दीर्घ धूमिल सुषुप्ति से जागता है,
मानव के अन्तर में धरा दिव्यांश को समीप आते अनुभव करती है।
An eyeless Power that sees no more its aim,
A restless hungry energy of Will,
Life cast her seed in the body’s indolent mould;
It woke from happy torpor a blind Force
Compelling it to sense and seek and feel.
एक नेत्रहीन जड़शक्ति जोअपना लक्ष्य देख नहीं पाती है,
यह दिव्य संकल्प की एक अधीर क्षुधातुर ऊर्जा है,
प्राणशक्ति ने अपना बीज इस देह के जड़ ढांचे में रोप दियाः
इसने एक अन्धी आदि-शक्ति को तामसिक निद्रा सुख से उठा दिया
और इसे इन्द्रियबोध और खोज औ’ अनुभव हित बाध्य कर दिया।
In the enormous labour of the Void
Perturbing with her dreams the vast routine
And dead roll of a slumbering universe
The mighty prisoner struggled for release.
घोर रिक्तता के उस भीषण परिश्रम में
उसकी दिनचर्या को प्राणशक्ति ने अपने सपनों से व्याकुल कर
और एक सोये विश्व के निर्जीव गतिचक्र को व्यथित कर,
उस महावीर बन्दी को अपनी मुक्ति हित संघर्ष करने को बाध्य कर दिया।
Alive with her yearning woke the inert cell,
In the heart she kindled a fire of passion and need,
Amid the deep calm of inanimate things
Arose her great voice of toil and prayer and strife.
प्राण की ललक ने संज्ञाहीन कोषाणु को जाग्रत्, सचेत कर,
मानव-हृदय में उसने आवेश औ’ आवश्यकता की एक अग्नि जला दी;
जड़-अचर पदार्थ की उस गहन शान्ति के मध्य
घोर श्रम और संघर्ष भरी उसकी प्रार्थना की महती गिरा गूंज उठी।
A groping consciousness in a voiceless world,
A guideless sense was given her for her road;
Thought was withheld and nothing now she knew
But all the unknown was hers to feel and clasp.[133]
एक निःशब्द जगत् में जिज्ञासा की एक खोजी चेतना थी
पर एक निर्देशकहीन बोध ही उसे अपने मार्ग पर चलने को मिला था;
पर अभी विचार अभिव्यक्त नहीं हुआ था और उसे कुछ भी भौतिक ज्ञान नहीं था,
किन्तु सम्पूर्ण अजात चराचर अनुभव और आलिंगन करने को उसका अपना था।
Obeying the push of unborn things towards birth
Out of her seal of insentient life she broke:
In her substance of unthinking mute soul-strength
That cannot utter what its depths divine,
Awoke a blind necessity to know.
जन्म लेने को तत्पर अजन्मे पदार्थों के प्रसव दबाब के कारण
वह अपने जड़-जीवन की मुहर तोड़ बाहर आ गयी:
विचारहीन मौन अपने आत्मबल के सारतत्त्व में
जो निज दिव्य गहनताओं के ज्ञान का उच्चारण नहीं कर सकता है,
पर उसके सार में जिज्ञासा हित एक अन्धी आवश्यकता जाग उठी।
The chain that bound her she made her instrument;
Instinct was hers, the chrysalis of Truth,
And effort and growth and striving nescience.
अब उसने उसी श्रृंखला को अपना साधन बना लिया जिससे वह बंधी थी;
यह उसके पास आत्मप्रेरणा, शाश्वत सत्य के अपरिपक्व कोष रूप में थी,
और प्रयास एवं विकास और श्रमरत निश्चेतना साथ थी।
Inflicting on the body desire and hope,
Imposing on inconscience consciousness
She brought into Matter’s dull tenacity
Her anguished claim to her lost sovereign right,
Her tireless search, her vexed uneasy heart,
Her wandering unsure steps, her cry for change.
इस देह पर कामना और आशा से आघात कर,
अचित् में चेतना आरोपित कर,
वह जड़-महातत्त्व के मन्द दुराग्रही जीवन में ले आयी
अपने खोये राज्याधिकार के सन्तापभरे दावे की यातना को,
अपनी अथक खोज को, अपने पीड़ित अशान्त हृदय को,
अपने भटकते डगमगाते कदमों को, परिवर्तन हित अपनी चीत्कार को।
Adorer of a joy without a name,
In her obscure cathedral of delight
To dim dwarf gods she offers secret rites.
एक अनामी हर्ष की वह पुजारिन,
अपने धूमिल उल्लास के पूजा-भवन में
धुंधलेवामन देवताओं को गुह्य अनुष्ठानों को अर्पित करती।
But vain unending is the sacrifice,
The priest an ignorant mage who only makes
Futile mutations in the altar’s plan
And casts blind hopes into a powerless flame.
किन्तु यह समर्पण व्यर्थ और अन्तहीन है,
वहां का पुजारी एक अज्ञ वक्ता
जो केवल वेदी की योजना में निष्फल परिवर्तन करता रहता
और एक बलहीन दीपशिखा में अन्धी आशाओं को फेंकता रहता।
A burden of transient gains weighs down her steps
And hardly under that load can she advance;
But the hours cry to her, she travels on
Passing from thought to thought, from want to want;
Her greatest progress is a deepened need.
क्षणिक लाभों का एक भार उसके कदमों को बोझिल कर देता है
और उस भार से दबी वह अति कठिनता से आगे बढ़ पाती है;
किन्तु समय उसे पुकारता है, वह यात्रा करती चलती है
विचार से विचार तक, इच्छा से इच्छा तक गुजरती जाती है;
उसकी महानतम उन्नति भी एक गहन अनिवार्यता है।
Matter dissatisfies, she turns to Mind;
She conquers earth, her field, then claims the heavens.
जड़-महाभूत से असन्तुष्ट हो, मनश्शक्ति कीओर मुड़ जाती है;
प्रथम पृथ्वी को जीतती है जो उसका क्षेत्र है, तब स्वर्गों पर अधिकार जताती है।
Insensible, breaking the work she has done
The stumbling ages over her labour pass,
And still no great transforming light came down
And no revealing rapture touched her fall.
अबोध, संवेदनहीन, ठोकर खाते युग उसके सम्पादित कार्यों को
तोड़ते हुए, उसके सकल श्रम के ऊपर से गुजर जाने हैं,
किन्तु फिर भी कोई रूपान्तरकारी प्रकाश नीचे नहीं उतरा
और किसी आत्म-ज्ञानी हर्षोल्लास ने उसके पतन का स्पर्श नहीं पाया।
Only a glimmer sometimes splits mind’s sky
Justifying the ambiguous providence
That makes of night a path to unknown dawns
Or a dark clue to some diviner state.[134]
केवल एक झलक कभी-कदास चित्ताकाश को चीर देती है
जो इस अस्पष्ट-सी नियति को न्यायोचित ठहरा देती है,
अन्धी रात को अनजान उषाओं कीओर जाता एक मार्गबना देती है
या किसी दिव्यतर स्थिति की ओर इशारा करता एक काला चिह्न बना देती है।
In Nescience began her mighty task,
In Ignorance she pursues the unfinished work:
For Knowledge gropes, but meets not Wisdom’s face.
घोर निश्चेतना में ही उसका भीषण प्रयास आरम्भ हुआ था,
अविद्या की स्थिति में भी वह अपने अपूर्ण कार्य में लगी रहती;
यद्यपि उसका सम्पूर्ण ज्ञान खोजता है, किन्तु प्रज्ञादेवी का दर्शन नहीं पाती है।
Ascending slowly with unconscious steps,
A foundling of the gods she wanders here
Like a child-soul left near the gates of Hell
Fumbling through fog in search of Paradise.
अचेत कदमों से वह धीरे-धीरे चढ़ती,
देवों का एक पोषित शिशु होकर भी वह यहां भटकती है
मानों एक बाल-आत्मा समान उसे नरक के द्वारों पर छोड़ दिया हो
और वह स्वर्ग की खोज में धुंध के मध्य भटक रही हो।
In this slow ascension he must follow her pace
Even from her faint and dim subconscious start:
So only can earth’s last salvation come.
प्राण-जीवन की इस धीमी चढाई में राजा को उसके पीछे चलना होगा
यहां तक कि उसका मन्द धुंधले अवचेतन आरम्भ से अनुसरण करना होगाः
क्योंकि केवल तभी धरा को अन्तिम मुक्ति मिल पायेगी।
For so only could he know the obscure cause
Of all that holds us back and baffles God
In the jail-delivery of the imprisoned soul.
केवल योगी ही अब इसके धूमिल आदि कारण को जानता था
कि क्या है जो हमारी प्रगति को रोक लेता है और बन्दिनी आत्म-सत्ता का
जब कारागृह से मुक्ति का समय होता है, तो प्रभु को भी भ्रमित कर देता है।
Along swift paths of fall through dangerous gates
He chanced into a grey obscurity
Teeming with instincts from the mindless gulfs
That pushed to wear a form and win a place.
वह पतन के शीघ्रगामी मार्गों से गिरता संकटभरे द्वारों से निकलता
एक धूसर धूमिल भूमि में आ पहुंचा
यह मनहीन गर्तों से उठी मूल-प्रवृत्तियों से भरी थी
जो रूपायित होने और एक स्थान पा लेने को धक्का लगा रही थी।
Life here was intimate with Death and Night
And ate Death’s food that she might breathe awhile;
She was their inmate and adopted waif.
यहां का प्राण-जीवन मृत्यु और अन्धकार के साथ घनिष्ठ था
और यह मृत्यु-प्रदत्त भोजन करता जिससे वह कुछ अवधि जीवित रह सके;
वह उनकी आश्रिता और पालिता अनाथ थी।
Accepting subconscience, in dumb darkness’ reign
A sojourner, she hoped not any more.
उस मूक अन्धकार के क्षेत्र में उसने अवचेतन को स्वीकार लिया था,
एक प्रवासिनी, अब किसी से कुछ और की आशा नहीं रखती थी।
There far away from Truth and luminous thought
He saw the original seat, the separate birth
Of the dethroned, deformed and suffering Power.
चिर-सत्य और दीप्तिपूर्ण विचार से अति दूर वहां
योगी ने उस राजच्युत, विकृत और पीड़ित महाशक्ति के
उस पृथक् जन्म को देखा, उसका आदि पीठ-स्थान देखा।
An unhappy face of falsity made true,
A contradiction of our divine birth,
Indifferent to beauty and to light,
Parading she flaunted her animal disgrace
Unhelped by camouflage, brutal and bare,
An authentic image recognised and signed
Of her outcast force exiled from heaven and hope,
Fallen, glorying in the vileness of her state,
The grovel of a strength once half divine,
The graceless squalor of her beast desires,[135]
The staring visage of her ignorance,
The naked body of her poverty.
मिथ्यात्व का अप्रसन्न मुख अब सत्य बन गया,
यह हमारे दिव्य जन्म का एक विरोधाभास था,
जो सौन्दर्य और प्रकाश के प्रति उदासीन था,
वह निज पशुता के कलंक का तमाशा दिखा प्रदर्शन करती
यहां बिना किसी आवरण के वह असभ्य और नग्न थी,
यही एक प्रमाणित छवि थी जो सर्वविदित औ’ कलंक से चिह्नित
अपनी परित्यक्त शक्ति की, जो स्वर्ग औ’ आशा से निष्कासित हो,
पतिता, अपनी निकृष्ट दशा में गौरव अनुभव करती,
कभी जो अर्ध-देवी थी अब मात्र एक भ्रष्ट पतिता बल थी,
निज पशु-वासनाओं की अशिष्ट पंकिलता थी,
निज अज्ञान का एक घूरता चेहरा थी,
निज दारिद्रय की नग्न देह थी।
Here first she crawled out from her cabin of mud
Where she had lain inconscient, rigid, mute:
Its narrowness and torpor held her still,
A darkness clung to her uneffaced by Light.
यहां वह पहले पहल अपने माटी के घरौंदे से रेंग बाहर आयी
जहां पर वह अचेत, अकड़ी, मूक पड़ी थी:
इसकी संकीर्णता और आलस्य ने अभी तक उसे जकड़ रखा था,
एक ऐसा अन्धकार उससे चिपका था जिस पर दिव्य प्रकाश भी प्रभावहीन था।
There neared no touch redeeming from above:
The upward look was alien to her sight,
Forgotten the fearless godhead of her walk;
Renounced was the glory and felicity,
The adventure in the dangerous fields of Time:
Hardly she availed, wallowing, to bear and live.
वहां एक भी मुक्तिदायी स्पर्श सुरलोक से उसके समीप नहीं पहुंचा था:
ऊपर कीओर देखना उसकी द़ृष्टि के लिए अपरिचित था,
वह निर्भय दिव्यता अपनी चाल तक भूल चुकी थी;
उस महिमा और सुखानन्द को भी त्याग चुकी थी,
दिक्काल के संकटपूर्ण क्षेत्रों में उसे दुस्साहसी यात्रा की याद नहीं थी:
मौज करना, सहना और जीवित रहना छोड़कर उसकी अन्य कोई उपलब्धि नहीं थी।
A wide unquiet mist of seeking space,
A rayless region swallowed in vague swathes,
That seemed, unnamed, unbodied and unhoused,
A swaddled visionless and formless mind,
Asked for a body to translate its soul.
जिज्ञासु चित्ताकाश का एक विस्तृत अशान्त धुंधलका फैला था
एक प्रकाश-विहीन क्षेत्र पर मानों धुंधली पट्टियां बंधी थीं,
यह अनामी, अशरीरी और बिना गेह का लग रहा था,
वास्तव मेंयह एक द़ृष्टिहीन और आकारहीन मन का पिण्ड था,
जो अपनी अन्तरात्मा का अर्थ अनूदित करने को एक देह मांगता था।
Its prayer denied, it fumbled after thought.
इसकी प्रार्थना अस्वीकृत हो गयी, तो यह विचार को टटोलने लग गया।
As yet not powered to think, hardly to live,
It opened into a weird and pigmy world
Where this unhappy magic had its source.
पर अभी तक इसे मनन का बल प्राप्त नहीं था, अति कठिनाई से जीवित था,
अत: यह एक विचित्र बौने जगत् की ओर उद़्घाटित हो उठा
जहां इस हर्ष-विहीन जादू का अपना मूल स्रोत था।
On dim confines where Life and Matter meet
He wandered among things half-seen, half-guessed,
Pursued by ungrasped beginnings and lost ends.
उस धूमिल सीमान्त पर जहां प्राणशक्ति और आदि जड़तत्त्व मिलते हैं
योगी अर्ध-गोचर, अर्ध-कल्पित वस्तुओं के बीच भटकता रहा,
जिनके अग्राह्य आरम्भ और लुप्त अन्त उसका पीछा करते।
There life was born but died before it could live.
वहां जीवन जन्मता तो था किन्तु जीवित रहने के पहले मर जाता था।
There was no solid ground, no constant drift;
Only some flame of mindless Will had power.
वहां कोई स्थूल आधार भूमि नहीं थी, कोई अविरत बहाव नहीं था;
केवल किसी मनहीन संकल्प की अग्नि का बल था।
Himself was dim to himself, half-felt, obscure,
As if in a struggle of the Void to be.
उसकी स्वयं की सत्ता ही उसे अपने में धूमिल, अधूरी-अस्पष्ट लग रही थी,
मानों ‘नास्ति’ की रिक्तता अस्तित्व हित संघर्ष करती हो।
In strange domains where all was living sense
But mastering thought was not nor cause nor rule,
Only a crude child-heart cried for toys of bliss,
Mind flickered, a disordered infant glow,
And random shapeless energies drove towards form
And took each wisp-fire for a guiding sun.
इन वैचित्र्यपूर्ण स्तरों में जहां सृष्टि जीवित होने का बोधमात्र थी
कोई प्रभुताशाली विचार नहीं था, न उद्देश्य था न कोई नियम था,
केवल एक अनगढ़ बाल-हृदय जो सुख के खिलौनों हित रोता,
मन एक अनियमित दुर्बल नन्हीं दीपशिखा सम टिमटिमाता,
और निरुद्देश्य आकारहीन ऊर्जाएं आकार कीओर भागतीं
और प्रत्येक अग्नि-स्फुलिंग को एक पथ-प्रदर्शक सूर्य समझतीं।
This blindfold force could place no thinking step;[136]
Asking for light she followed darkness’ clue.
आंख पर पट्टी बंधी यह अन्धी ऊर्जा कोई विचारशील पग उठा नहीं सकती थी;
प्रकाश कीयाचना करती यह अन्धकार के सुराग का अनुसरण करती।
An inconscient Power groped towards consciousness,
Matter smitten by Matter glimmered to sense,
Blind contacts, slow reactions beat out sparks
Of instinct from a cloaked subliminal bed,
Sensations crowded, dumb substitutes for thought,
Perception answered Nature’s waking blows
But still was a mechanical response,
A jerk, a leap, a start in Nature’s dream,
And rude unchastened impulses jostling ran
Heedless of every motion but their own
And, darkling, clashed with darker than themselves,
Free in a world of settled anarchy.
एक अचित्-महाशक्ति चेतना को टटोलती खोजती-फिरती,
जड़ता पर जड़तत्त्व ने आघात कर इसमें इन्द्रिय-बोध चमका दिया,
अन्धेसम्पर्कों, धीमी प्रतिक्रियाओं से नैसर्गिक बोध की चिनगारियां
एक गुप्त अवचेतना के धरातल से फूट-फूट उठतीं,
संवेदनों की भीड़ लगगयी, विचार का स्थान मूक भावनाओं ने भर दिया,
प्राण प्रकृति के जाग्रत करते प्रहारों का उत्तर प्रत्यक्ष-बोध देता
किन्तु यह अभी तक एक यान्त्रिक प्रत्युत्तर था,
प्राण-प्रकृति के सपने में जब एक झटका या एक उछाल आता,
तब ढीठ असभ्य आवेगी अन्तर्वेग धक्का लगा दौड़ते
वे केवल अपने को छोड़कर अन्य किसी भावना के प्रति लापरवाह थे,
और ये कलुषित लघुताएं, अपने से घोरतर कालिमाओं से जा भिड़ जाते,
अव्यवस्था की अचल निरंकुशता की जगती में ये स्वतन्त्र थे।
The need to exist, the instinct to survive
Engrossed the tense precarious moment’s will
And an unseeing desire felt out for food.
अस्तित्व की आवश्यकता ने, जीवित रहने की सहज प्रवृत्ति ने
उस तनावपूर्ण संदिग्ध क्षणिक संकल्प को निगल लिया
और एक अन्धी कामना ने भोजन की खोज आरम्भ कर दी।
The gusts of Nature were the only law,
Force wrestled with force but no result remained:
Only were achieved a nescient grasp and drive
And feelings and instincts knowing not their source,
Sense-pleasures and sense-pangs soon caught, soon lost,
And the brute motion of unthinking lives.
केवल प्राण-प्रकृति के भावावेगों का वहां विधान चलता था,
ऊर्जा के साथ ऊर्जा भिड़ती किन्तु कुछ भी परिणाम नहीं निकलता:
केवल एक निश्चेतना की पकड़ औ’ संचरण की उपलब्धि ही मिल पायी थीं
क्योंकि भावनाओं और प्रवृत्तियों को अपने स्त्रोत का ज्ञान नहीं था,
इन्द्रिय-सुख औ’ दुःख शीघ्र प्राप्त होते, पर शीघ्र खो जाते थे,
और विचारहीन जीवनों का संचालन ऐसा ही पाशविक था।
It was a vain unnecessary world
Whose will to be brought poor and sad results
And meaningless suffering and a grey unease.
यह एक निष्फल अनावश्यक जगत् था
जिसके अस्तित्व का संकल्प तुच्छ औ’ उदास परिणाम लाया था
और एक निरर्थक यातना औ’ एक धूसर अशान्ति लाया था।
Nothing seemed worth the labour to become.
यहां पर कुछ भी अस्ति के श्रम का औचित्य सिद्ध नहीं करता था।
But judged not so his spirit’s wakened eye.
किन्तु योगी की चैतन्य जाग्रत् द़ृष्टि ने उस जगती के विषय में निर्णय नहीं लिया।
As shines a solitary witness star
That burns apart, Light’s lonely sentinel,
In the drift and teeming of a mindless Night,
A single thinker in an aimless world
Awaiting some tremendous dawn of God,
He saw the purpose in the works of Time.
ज्यों एक एकाकी साक्षी तारा चमकता है,
दिव्य प्रकाश के एक अकेले प्रहरी सम, सबसे पृथक् हो जलता है,
एक मनहीन-जड़-रात्रि के इस प्रवाह में और रेलपेल में,
वैसे ही एक अकेला मनीषी इस लक्ष्यहीन जगत् में
प्रतीक्षा कर रहा था परमेश्वर की महती उषा के आगमन की,
उसने युगों के इन कार्यों में विशेष उद्देश्य को देख लिया था।
Even in that aimlessness a work was done
Pregnant with magic will and change divine.[137]
वह जान गया कि उस निरुद्देश्यता में भी एक लक्ष्य सम्पादित है
जो उस जादुई संकल्प और दिव्य रूपान्तर से गर्भित था।
The first writhings of the cosmic serpent Force
Uncoiled from the mystic ring of Matter’s trance;
It raised its head in the warm air of life.
ये ब्रह्माण्डीय कुण्डलिनी महाशक्ति की प्रथम कुलबुलाहटें
जो जड़तत्त्व की समाधि के गुह्य चक्र से खुली थीं;
और इसने निज शीश प्राण-जीवन की उष्ण वायु में उठाया था।
It could not cast off yet Night’s stiffening sleep
Or wear as yet mind’s wonder-flecks and streaks,
Put on its jewelled hood the crown of soul
Or stand erect in the blaze of spirit’s sun.
यह अभी तक जड़-रात्रि की श्वास-रोधित निद्रा को हटा नहीं पायी थी
या मन की अद्भुत-धारियों और रंगों को पहन नहीं पायी थी,
आत्म-चेतना का अपना रत्न-जड़ित छत्ररूपी फन धारण नहीं कर पायी थी
अथवा आत्म-जगत् के सूर्यालोक में सीधी खड़ी नहीं हो पायी थी।
As yet were only seen foulness and force,
The secret crawl of consciousness to light
Through a fertile slime of lust and battening sense,
Beneath the body’s crust of thickened self
A tardy fervent working in the dark,
The turbid yeast of Nature’s passionate change,
Ferment of the soul’s creation out of mire.
इसी से अभी तक केवल बीभत्सता और ऊर्जा ही दिखायी देती,
यह चेतना के प्रकाश की ओर गुप्त घिसटन है
जो यह भोग-लिप्सा के उपजाऊ दलदल में इन्द्रिय पर चोट लगने पर करती है,
इस देह की तामसिक चेतना कीस्थूल पपड़ी के तले
इस अन्धेरे में एक धीमी अविरत क्रिया सतत चलती है,
अपरा-प्रकृति के आवेश भरे परिवर्तन का यह खमीरी उफान है,
जड़ता के कीचड़ में से, आत्मा की सर्जनता के फलरूप उठा क्षोभ का उबाल है।
A heavenly process donned this grey disguise,
A fallen ignorance in its covert night
Laboured to achieve its dumb unseemly work,
A camouflage of the Inconscient’s need
To release the glory of God in Nature’s mud.
एक स्वर्गिक प्रक्रिया ने यह धूसर आवरण पहन लिया है,
एक पतित अज्ञता अपने रात्रि के गुप्त गेह में
अपने मूक गोपित कार्य-सिद्धि हेतु श्रम में लगी है,
जड़-अचित् की आवश्यकता तो मात्र एक आवरण का दिखावा है
यह तो जड़-प्रकृति की माटी में प्रभु की महिमा व्यक्त करने में व्यस्त है।
His sight, spiritual in embodying orbs,
Could pierce through the grey phosphorescent haze
And scan the secrets of the shifting flux
That animates these mute and solid cells
And leads the thought and longing of the flesh
And the keen lust and hunger of its will.
योगी की चितवन, खगोलीय वृत्तों में आध्यात्मिकता की अवतार थी,
जो इस भूरी दीप्तिमय धुंध को भेद सकती थी
और इस अस्थिर स्राव के रहस्यों का परीक्षण कर सकती थी
जो इन मूक और जड़-स्थूल कोषों को जीवन्त बनाता है
और शरीर को लालसा और विचार की ओर ले जाता
और इसकी कामेच्छा और बुभुक्षा को संचालित करता है।
This too he tracked along its hidden stream
And traced its acts to a miraculous fount.
इसको भी यात्री ने इसकी छिपी धारा के साथ चल खोज निकाला
और इसके कर्मों का एक चमत्कारी स्रोत आंक डाला।
A mystic Presence none can probe nor rule,
Creator of this game of ray and shade
In this sweet and bitter paradoxical life,
Asks from the body the soul’s intimacies
And by the swift vibration of a nerve
Links its mechanic throbs to light and love.
एक गुह्य दिव्य-अस्तित्व जिसे कोई खोज और अधिकृत नहीं कर सकता है,
वही इस धूप औ’छाया के खेल का रचयिता है
इस मीठी-कड़वी जीवनयात्रा की पहेली का निर्माता है,
वही इस देह में आत्मा की घनिष्ठताएं मांगता है
और एक नाड़ी के तीव्र स्पन्दन द्वारा
इसकी यान्त्रिक धड़कनों को प्रकाश और प्रेम से जोड़ देता है।
It summons the spirit’s sleeping memories
Up from subconscient depths beneath Time’s foam;
Oblivious of their flame of happy truth, [138]
Arriving with heavy eyes that hardly see,
They come disguised as feelings and desires,
Like weeds upon the surface float awhile
And rise and sink on a somnambulist tide.
यह जीव की सुप्त स्मृतियों का आवाहन करता
उन्हें युगों के फेन तले अवचेतन गहनताओं से उठा लेता है;
वह प्रसन्न-सत्य की अपनी ज्वाला को विस्मृत कर चुकी हैं,
निद्रा से अलसाई पलकों के साथ जो कठिनाई से खुल पाती हैं,
वे भावनाओं और कामनाओं का रूप धर आ पहुंचती हैं,
जीवन के धरातल पर कुछ देर तिनके सम बहती
और एक अर्ध-सोये भाटे सम सागर पर उठती और डूब जाती हैं।
Impure, degraded though her motions are,
Always a heaven-truth broods in life’s deeps;
In our obscurest members burns that fire.
यद्यपि इस जीवन की हलचलें अशुद्ध और पतित हैं,
पर एक दिव्य-सत्य जीवन की गहनताओं में ध्यानमग्न है;
इस प्राणशक्ति के धूमिलतम अंगों में वह अग्नि प्रज्वलित है।
A touch of God’s rapture in creation’s acts,
A lost remembrance of felicity
Lurks still in the dumb roots of death and birth,
The world’s senseless beauty mirrors God’s delight.
सृष्टि के कार्यों में प्रभु के आनन्द का एक स्पर्श है,
परमोल्लास की एक खोयी स्मृति अभी तक
जन्म और मृत्यु की मूक मूल-जड़ों में चिपकी है;
इस लोक की अबोध सुन्दरता में प्रभु का आनन्द प्रतिबिम्बित है।
That rapture’s smile is secret everywhere;
It flows in the wind’s breath, in the tree’s sap,
Its hued magnificence blooms in leaves and flowers.
उस आत्मानन्द की स्थित सब स्थानों पर गोपित है;
वह वायु के श्वास में बहती है, तरु-रस में प्रवाहित है,
पुष्पों और पल्लवों में विविध रंगों में विकसित है।
When life broke through its half-drowse in the plant
That feels and suffers but cannot move or cry,
In beast and in winged bird and thinking man
It made of the heart’s rhythm its music’s beat;
It forced the unconscious tissues to awake
And ask for happiness and earn the pang
And thrill with pleasure and laughter of brief delight,
And quiver with pain and crave for ecstasy.
जब प्राण ने अपनी अर्ध-चेतन स्थिति में इस वनस्पति में प्रवेश किया
जो अनुभूति पाती है और दुःखी होती है किन्तु मूक औ’ अचर है,
पशु में और पक्षी में और मनीषी मनुज में
इसने उनके ह्रदय स्पन्दन को अपने संगीत की लय बना लिया;
इसने संज्ञाहीन तन्तुओं को जागने को विवश कर दिया
और सुख की याचना करने और पीड़ा का वेतन पाने को
और प्रसन्नता से पुलकित होने और क्षणिक हर्ष में हंसने को,
और दर्द से कम्पित होने और उल्लास की लालसा से भर दिया।
Imperative, voiceless, ill-understood,
Too far from light, too close to being’s core,
Born strangely in Time from the eternal Bliss,
It presses on heart’s core and vibrant nerve;
Its sharp self-seeking tears our consciousness;
Our pain and pleasure have that sting for cause;
Instinct with it, but blind to its true joy
The soul’s desire leaps out towards passing things.
यह प्राणशक्ति अनिवार्य, वाचाहीन, कुख्यात है,
प्रकाश से अति दूर है पर जीव के मर्मस्थल के अति-समीप है,
यह चिरन्तन आत्मानन्द का अंश इस दिक्काल में अपरिचिता आ जन्मी है,
यह द़ृश्य के मर्म पर दबाव डालती है और नाड़ी को स्पन्दित करती है;
इसकी तीक्ष्ण आत्म-गवेषणा हमारी चेतना को चीर डालती है;
हमारी पीड़ा और प्रसन्नता का कारण यही दंश है:
इसकी एक सहज प्रेरणा को साथ ले, किन्तु अपने सत्य हर्ष के प्रति अन्धी
जीव की कामना क्षणिक पदार्थों कीओर लपकती है।
All Nature’s longing drive none can resist,
Comes surging through the blood and quickened sense;
An ecstasy of the infinite is her cause.
इस अपरा प्राण-प्रकृति कीलालसा की गति को कोई रोक नहीं सकता,
यह रक्त शिराओं में उफनती और इन्द्रिय में वेग भरती आती है;
चिरन्तन की एक आनन्द धारा इस प्राण का आदि कारण है।
It turns in us to finite loves and lusts,
The will to conquer and have, to seize and keep,
To enlarge life’s room and scope and pleasure’s range,[139]
To battle and overcome and make one’s own,
The hope to mix one’s joy with others’ joy,
A yearning to possess and be possessed,
To enjoy and be enjoyed, to feel, to live.
यही हमारे अन्तर में नश्वर प्रेमों और भोगों कीओर मुड़ जाता है,
इसका संकल्प जय एवं अधिकृत कर प्राप्त एवं संग्रह करने का हो जाता है,
जीवन के कक्ष का विस्तार करना और हर्षकी सीमा औ’ दायरा बढ़ाना,
युद्ध करना औ’वश में करना और उसे अपना बना लेना,
अपने हर्ष को अन्यों के सुख के साथ जोड़ने की आशा करना,
अधिकृत होने और अधिकार में लेने की यह एक लालसा है,
जो भोगने की और भोग्या बनने की, अनुभव पाने की और जीवित रहने की है।
Here was its early brief attempt to be,
Its rapid end of momentary delight
Whose stamp of failure haunts all ignorant life.
यही इसका प्रारम्भिक क्षणिक प्रयास था अस्तित्व में आने का,
पर इसके क्षणिक सुख पर तात्कालिक अन्त की मुहरछाप
इसके प्रत्येक अज्ञ-जीवन की असफलता पर लगी है।
Inflicting still its habit on the cells
The phantom of a dark and evil start
Ghostlike pursues all that we dream and do.
यह अपनी कलुषित आदत प्रत्येक कोषाणु पर अभी तक थोपती है
एक काले औ’ अशुभ आरम्भ का वह प्रेत
हमारे सपनों औ’ कर्मों का भूत समान पीछा करता है।
Although on earth are firm established lives,
A working of habit or a sense of law,
A steady repetition in the flux,
Yet are its roots of will ever the same;
These passions are the stuff of which we are made.
यद्यपि इस पृथ्वी पर सुद़ृढ़ स्थापित प्राण-जीवन है
प्राकृतिक स्वभाव की यह एक प्रक्रिया है या इन्द्रिय का एक विधान है,
इस निरन्तर प्रवाह में एक निश्चित पुनरावर्तन है,
फिर भी इसके संकल्प की जड़े सतत एक समान हैं;
क्योंकि इन्हीं भावावेशों के इसी तत्त्व से हम सब रचित हैं।
This was the first cry of the awaking world.
तमस् से जागते जगत् का यही सर्वप्रथम रुदन था।
It clings around us still and clamps the god.
Even when reason is born and soul takes form,
In beast and reptile and in thinking man
It lasts and is the fount of all their life.
यह अभी तक हमें चहुं ओर से घेरे है और देवता को छिपाये है,
यहां तक कि जब विवेक जन्म ले लेता है और चैत्य पुरुष का आकार बनता है,
पर पशु में, सर्पों में और मननशील मनुष्यों में
इसका अस्तित्व बना रहता है और यह उनके सकल जीवन में प्रवाहित है।
This too was needed that breath and living might be.
इसकी आवश्यकता थी जिससे प्राण और जीवन बना रहे।
The spirit in a finite ignorant world
Must rescue so its prisoned consciousness
Forced out in little jets at quivering points
From the Inconscient’s sealed infinitude.
एक अनित्य अज्ञ संसार में इस आत्म-सत्ता को
सुरक्षित रखना होगा, जिससे इसकी बन्दिनी चेतना को
बाध्य कर दिया जाये कम्पित छिद्रों से नन्हें फव्वारों में फूटने को
जड़-अचित् की पूर्णत: बन्द अनन्तताओं से।
Then slowly it gathers mass, looks up at Light.
तब धीरे-धीरे यह आत्मपुंज एकत्रित होकर दिव्य प्रकाश कीओर देखता है।
This Nature lives tied to her origin,
A clutch of nether force is on her still;
Out of unconscious depths her instincts leap;
A neighbour is her life to insentient Nought.
यह अपरा प्राण-प्रकृति अपने उद़्गम से बंधी रहकर ही जीवित है,
अधोलोक की ऊर्जा ने अभी तक उसे जकड़ रखा है;
उसकी अन्तःप्रेरणाएं अचित्-संज्ञाहीन गहनताओं से उछलती हैं;
संज्ञाहीन महाशून्य उसके जीवन का एक पड़ोसी है।
Under this law an ignorant world was made.
इसी विधान के अन्तर्गत इस अज्ञ जगती का निर्माण हुआ है।
In the enigma of the darkened Vasts,
In the passion and self-loss of the Infinite
When all was plunged in the negating Void,
Non-Being’s night could never have been saved
If Being had not plunged into the dark[140]
Carrying with it its triple mystic cross.
इन अन्धकारमय विश्व-विस्तारों की इस समस्या में,
इस चिरन्तनता की आत्म-क्षरता औ’ भावावेश में
जब सकल नकारात्मक शून्यब्रह्म में निमग्न था,
असत्-परम-सत्ता की रात्रि कभी सुरक्षित न रह पाती
यदि यह परम-सत्ता निज त्रि-गुणीय गुह्य त्रिशूल को
अपने साथ लेकर इस अन्धकार में डूबी न होती।
Invoking in world-time the timeless truth,
Bliss changed to sorrow, knowledge made ignorant,
God’s force turned into a child’s helplessness
Can bring down heaven by their sacrifice.
अकाल सत्य को इस दिक्काल में आमन्त्रित कर,
आनन्द दुःख में बदल गया, ज्ञान अज्ञान बन गया,
प्रभु की ऊर्जा एक शिशु की असहायता में रूपान्तरित हो गयी
जिससे ये निज बलिदानों द्वारा स्वर्ग को उतार सके।
A contradiction founds the base of life:
The eternal, the divine Reality
Has faced itself with its own contraries;
Being became the Void and Conscious-Force
Nescience and walk of a blind Energy
And Ecstasy took the figure of world-pain.
इस जीवन का आधार एक विरोधाभास पर आधारित है:
यह चिरन्तन, दिव्य शाश्वत यथार्थ आत्मपुरुष
अपनी ही आत्मविपरीतताओं के सामने स्वयं खड़ा है;
परम्-सत्ता चरमशून्य-निराकार और महाशक्ति बन गयी
और निश्चेतना और एक अन्धी जड़-महाशक्ति की गति बन गयी
फिर उसी आत्मानन्द ने जग-पीड़ा का आकार धर लिया है।
In a mysterious dispensation’s law
A Wisdom that prepares its far-off ends
Planned so to start her slow aeonic game.
एक रहस्यपूर्ण विधान के वितरण में
एक दैवी प्रज्ञा ने इसके सुदूर स्थित तटों को तैयार किया है
इसी ने अपनी मन्दगति युगों की लीला कोआरम्भ करने की योजना बनायी है।
A blindfold search and wrestle and fumbling clasp
Of a half-seen Nature and a hidden Soul,
A game of hide and seek in twilit rooms,
A play of love and hate and fear and hope
Continues in the nursery of mind
Its hard and heavy romp of self-born twins.
यह एक अन्धी खोज है और आपसी कुश्ती औ’ टटोलता आलिंगन है
जो एक अगोचर अपराप्रकृति और एक गोपित चैत्य-आत्मा के मध्य होता है
संसार के झुटपुटे कक्षों में वे लुका-छिपी के एक खेल में लगे हैं,
प्यार औ’ घृणा के मध्य और भय एवंआशा के मध्य होती
एक लीला है जो मन की शिशु-शाला में
इन स्वयं-जात जुड़वां शिशुओं की कठिन जोरदार धमाचौकड़ी सम चलती रहती है।
At last the struggling Energy can emerge
And meet the voiceless Being in wider fields;
Then can they see and speak and, breast to breast,
In a larger consciousness, a clearer light,
The Two embrace and strive and each know each
Regarding closer now the playmate’s face.
अन्त में यह संघर्षरत दिव्य-ऊर्जा अभिव्यक्त हो सकेगी
और मूक परम-सत्ता से उसके विशालतर क्षेत्रों में भेंट सकेगी;
तब दोनों एक महत्तर चेतना में, एक स्पष्टतर प्रकाश में,
वे देखते और बोलते और हृदय जुड़ा एक दूसरे से भेंटते हैं,
वे दोनों घोर प्रतिद्वन्द्वी आलिंगनबद्ध हो प्रयास कर एक-दूसरे को समझते हैं
और समीप आ अपने खेल के साथी का मुख निहारते हैं।
Even in these formless coilings he could feel
Matter’s response to an infant stir of soul.
इन आकार-हीन कुण्डलों में भी योगी देख सकता था
एक शिशु चैत्यात्मा के आलोड़न के प्रति जड़तत्त्व के अन्तर में उठते प्रत्युत्तर को।
In Nature he saw the mighty Spirit concealed,
Watched the weak birth of a tremendous Force,
Pursued the riddle of Godhead’s tentative pace,
Heard the faint rhythms of a great unborn Muse.
सकल प्राण-प्रकृति में उसने शक्तिशाली दिव्य परम-सत्ता को छिपे देखा,
एक विशाल ऊर्जा के उस दुर्बल जन्म को अवलोका,
उस भागवत तत्त्व की संकोचपूर्णगति की समस्या का पीछा किया,
एक महान् अजात दिव्य-संगीत के मन्द छन्दों को सुना।
Then came a fierier breath of waking life,
And there arose from the dim gulf of things
The strange creations of a thinking sense,[141]
Existences half-real and half-dream.
तब एक जागते महाप्राण की एक ज्वलन्त श्वास वहां आ पहुंची,
और वस्तुओं की उस अन्धी खाड़ी से उदित हो उठने लगी
एक मनीषी बोध की विचित्र रचनाएं
जो अर्ध-यथार्थ और आधे स्वप्न की सृष्टियां थीं।
A life was there that hoped not to survive:
Beings were born who perished without trace,
Events that were a formless drama’s limbs
And actions driven by a blind creature will.
एक जीवन भी वहां था पर जिसके बचने की आशा नहीं थीः
प्राणी जन्म लेते पर बिना कोई अवशेष छोड़े नष्ट हो जाते,
घटनाएं एक आकारहीन नाटक के अंग समान थीं
और क्रियाएं एक अन्धे प्राणी के संकल्प द्वारा संचालित होतीं।
A seeking Power found out its road to form,
Patterns were built of love and joy and pain
And symbol figures for the moods of Life.
तब एक संधानकर्त्री महाशक्ति ने रूपायित होने का अपना मार्ग खोज लिया,
अब प्रेम और हर्ष औ’ पीड़ा के नमूने बनाये जाते
और प्राण-शक्ति के भावों के अनुसार प्रतीक रूप गढ़ लिये जाते थे।
An insect hedonism fluttered and crawled
And basked in a sunlit Nature’s surface thrills,
And dragon raptures, python agonies
Crawled in the marsh and mire and licked the sun.
एक कीट में भोग-भावना फड़फड़ाई और रेंगने लगी
और आदि-प्रकृति की धरातली धूप के आनन्द में मग्न हो गयी,
और ड्रैगनों के सुखोन्माद, अजगरी भाग यन्त्रणाएं दलदल में रेंगती
और धरा के कीचड़ में धूप चाटती थीं।
Huge armoured strengths shook the frail quaking ground,
Great puissant creatures with a dwarfish brain,
And pigmy tribes imposed their small life-drift.
उनके भीषण कवचधारी बलों ने इस सुकुमार कम्पित धरा को हिला डाला,
भीमाकारी अतिबली प्राणी थे पर जिनका मस्तिष्क अति लघु था,
और बौनी आदिम जाति ने अपना क्षुद्र जीवन-प्रवाह यहां स्थापित किया।
In a dwarf model of humanity
Nature now launched the extreme experience
And master-point of her design’s caprice,
Luminous result of her half-conscious climb
On rungs twixt her sublimities and grotesques
To massive from infinitesimal shapes,
To a subtle balancing of body and soul,
To an order of intelligent littleness.
मानव के एक वामन प्रतिमान में
अब प्रकृति देवी ने चरम-अनुभूति का चरण आरम्भ कर दिया
और जो उसके नमूने के शिल्प का चरम-बिन्दु है,
उसके अर्ध-चेतन आरोहण का यह ज्योतिर्मय परिणाम है
उसकी महत्ताओं और विकृतियों के मध्य की सीढ़ियों पर
आणविक आकारों से महाकायों की चढ़ाई से यह निकला है,
देह और देही को एक सूक्ष्मता तक सन्तुलित कर
यह बुद्धि की एक व्यवस्थित लघु सीमा तक पहुंच गया है।
Around him in the moment-beats of Time
The kingdom of the animal self arose,
Where deed is all and mind is still half-born
And the heart obeys a dumb unseen control.
युगान्तरों की क्षणिक धड़कनों में बसा यह साम्राज्य
जो पशु चेतना का था उसके चहुं ओर व्यक्त हो उठा,
जहां पर कर्म ही महत्त्वपूर्ण है और मन अभी तक अर्ध-चेतन है
और हृदय एक मूक अद़ृश्य नियन्त्रण के अनुशासन में है।
The Force that works by the light of Ignorance,
Her animal experiment began,
Crowding with conscious creatures her world-scheme;
But to the outward only were they alive,
Only they replied to touches and surfaces
And to the prick of need that drove their lives.
यह दैवी-ऊर्जा अविद्या के प्रकाश में कार्य करती है,
उसने अपना शारीरिक विषयी प्रयोग आरम्भ कर दिया,
अपनी जग-योजना को सचेत जीवों की भीड़ से भर दिया;
किन्तु वे केवल बाहरी धरातल के प्रति जीवित थे,
वे केवल स्पर्शों औ’ सतही इन्द्रियबोध का उत्तर देते
और आवश्यकता की चुभन ही उनके जीवनों को संचारित करती।
A body that knew not its own soul within,
There lived and longed, had wrath and joy and grief;
A mind was there that met the objective world[142]
As if a stranger or enemy at its door:
Its thoughts were kneaded by the shocks of sense;
It captured not the spirit in the form,
It entered not the heart of what it saw;
It looked not for the power behind the act,
It studied not the hidden motive in things
Nor strove to find the meaning of it all.
एक देह जो अपने अन्तर्वासी पुरुष को स्वयं नहीं जानती,
वहां जीवित और लालायित थी, क्रोधित औ’ हर्षित और दुःखित थी;
एक मन भी वहां था जो बहिर्जगत् को ऐसे भेंटता
जैसे उसके द्वार पर कोई अपरिचित या वैरी आ खड़ा हो;
इसके विचार इन्द्रिय-आघातों द्वारा मथे जाते;
यह आकार में निहित चैत्य-सत्ता को नहीं धर पाता,
यह जो देखता उसके मर्म तक पहुंच नहीं पाता;
कर्म के पीछे छिपी उस शक्ति को नहीं देखता,
पदार्थों में गुप्त उद्देश्य को यह नहीं पढ़ पाता
इस सकल के अर्थ कोखोजने का भी प्रयास नहीं करता।
Beings were there who wore a human form;
Absorbed they lived in the passion of the scene,
But knew not who they were or why they lived:
Life had for them no aim save Nature’s joy
And the stimulus and delight of outer things;
They worked for the body’s wants, they craved no more.
Content to breathe, to feel, to sense, to act,
Identified with the spirit’s outward shell.
एक मानवीय रूप धारण किये हुए वहां सत्ताएं थीं;
वे उस परिवेश के भावावेगों में निमग्न रहती थीं,
किन्तु वे कौन थीं या क्यों वे जीवित थीं, यह नहीं जानती थीं:
अपरा प्रकृति के हर्ष को छोड़कर, इस जीवन में उनका अन्य कोई लक्ष्य नहीं था
और जो बहिर्पदार्थों के सुख और उद्दीपन से सार्थक था;
वे दैहिक आवश्यकता पूर्ति हित कर्म करने और अधिक कीलालसा नहीं रखते,
वे श्वास लेने, अनुभव करने, संवेदन और कर्म में सन्तुष्ट रहते,
वे आत्मा के बहिरावरण इस देह से स्वयंको अभिन्न मानते थे।
The veiled spectator watching from their depths
Fixed not his inward eye upon himself
Nor turned to find the author of the plot,
He saw the drama only and the stage.
उनकी गहनताओं से वह गोपित द्रष्टा सब देखता रहता
पर अपनी अन्तर्द़ृष्टि को अपने पर वह टिका कर नहीं रखता
और न इस कथानक के रचनाकार को खोजने का प्रयास करता,
वह तो केवल नाटक और रंगमंच में खोया था।
There was no brooding stress of deeper sense,
The burden of reflection was not borne:
Mind looked on Nature with unknowing eyes,
Adored her boons and feared her monstrous strokes.
वहां गहनतर बोध का कोई मननशील तनाव नहीं था,
चिन्तन-मनन का बोझ कभी उठाया नहीं था:
मन इस त्रिगुणी-प्रकृति को अबोध द़ृष्टि से अवलोकता,
उसके वरदानों को पूजता और उसके दानवीय प्रहारों से डरता।
It pondered not on the magic of her laws,
It thirsted not for the secret wells of Truth,
But made a register of crowding facts
And strung sensations on a vivid thread:
It hunted and it fled and sniffed the winds,
Or slothed inert in sunshine and soft air:
It sought the engrossing contacts of the world,
But only to feed the surface sense with bliss.
यह प्रकृति-विधानों के मायावी विषय पर नहीं सोचता,
यह सनातन सत्य के गुह्य स्रोतों का ज्ञान पाने को प्यासा नहीं था,
किन्तु तथ्यों की बहुलता को अवश्य अपने में अंकित कर रखता था
और संवेदनों को एक रंगीन सजीव सूत्र में पिरो रखता था:
यह शिकार करता और मैदान छोड़ भाग जाता औ’ हवाओं कोसूंघता,
या धूप और मन्द शीतल पवन में आलस्य से लेटा रहता:
यह संसार के तल्लीन कर देने वाले सम्बन्धों को खोजता,
किन्तु यह सब ऊपरी इन्द्रिय सुख के पोषण हित करता था।
These felt life’s quiver in the outward touch,
They could not feel behind the touch the soul.
ये जन जीवन का कम्पन बहिर्स्पर्श में अनुभव करते थे,
पर इस स्पर्श के पीछे छिपी आत्मानुभूति को नहीं पाते थे।
To guard their form of self from Nature’s harm,
To enjoy and to survive was all their care.
अपने व्यक्तिसत्ता के आकारों की विश्व-प्रकृति की क्षति से रक्षा करना,
मोद मनाना और जीवित रहना बस उनकी इतनी ही चिंता रहती।
The narrow horizon of their days was filled[143]
With things and creatures that could help and hurt:
The world’s values hung upon their little self.
उनके दिवसों का संकुचित क्षितिज परिपूर्ण था
ऐसे पदार्थों औ’ प्राणियों से जो सहायता और क्षति दोनों कर सकते थे:
संसार के मूल्य मानों उनकी लघु व्यक्ति सत्ता पर निर्भर थे।
Isolated, cramped in the vast unknown,
To save their small lives from surrounding Death
They made a tiny circle of defence
Against the siege of the huge universe:
They preyed upon the world and were its prey,
But never dreamed to conquer and be free.
इस विशाल अपरिचित विस्तार में एकाकी, वे आपस में सिमटे थे,
अपने लघु जीवनों में वे अपने चारों ओर से चिरमृत्यु से घिरे थे
अत: अपनी सुरक्षा का एक लघु घेरा
उन्होंने इस विशाल ब्रह्माण्ड के मोर्चे के विरुद्ध बना लिया था:
वे इस संसार में शिकार करते और इसके शिकारी भी बन जाते,
किन्तु कभी इसे विजित करने और मुक्त होने का स्वप्न नहीं देखते।
Obeying the World-Power’s hints and firm taboos
A scanty part they drew from her rich store;
There was no conscious code and no life-plan:
The patterns of thinking of a little group
Fixed a traditional behaviour’s law.
वे विश्व-महाशक्ति के संकेतों औ’ अटल रूढ़ियों का अनुसरण करते
उसके वैभवशाली भण्डार से अति-अल्प भाग वे पाते थे;
वहां कोई प्रबुद्ध नियम-तालिका और कोई जीवन-परियोजना नहीं थी:
एक नन्हें संगठन के विचार-आदर्शों ने
एक पारम्परिक व्यवहार का विधान निश्चित कर दिया था।
Ignorant of soul save as a wraith within,
Tied to a mechanism of unchanging lives
And to a dull usual sense and feeling’s beat,
They turned in grooves of animal desire.
वे अन्तरात्मा से अनजान थे और उसको एक अन्तरवासी जीव सम जानते,
अपरिवर्तनशील जीवनों की एक यान्त्रिकता से बंधे
और एक नीरस सहजबोध और भावना की धड़कन से बंधे,
वे शारीरिक इच्छा की धुरी के चहुं ओर घूमते रहते।
In walls of stone fenced round they worked and warred,
Did by a banded selfishness a small good
Or wrought a dreadful wrong and cruel pain
On sentient lives and thought they did no ill.
पाषाण की चारदीवारी में घिरे वे कार्य करते औ’’ लड़ते झगड़ते,
कबीले स्वार्थ से बंधे कभी छोटा-सा कल्याण कर देते
या शान्त जीवनों पर भीषण अन्याय और हिंसक पीड़ाओं को
बरसा देते, और कोई दुष्कर्म किया है ऐसा नहीं सोचते।
Ardent from the sack of happy peaceful homes
And gorged with slaughter, plunder, rape and fire,
They made of human selves their helpless prey,
A drove of captives led to lifelong woe
Or torture a spectacle made and holiday,
Mocking or thrilled by their torn victim’s pangs;
Admiring themselves as titans and as gods
Proudly they sang their high and glorious deeds
And praised their victory and their splendid force.
सुखी शान्त घरों को उजाड़ने में अति तत्पर
और हत्याओं, लूटमार, बलात्कार और अग्निकाण्ड से छके रहते,
उन्होंने मानवीय जनसत्ताओं को अपना असहाय शिकार बना लिया था,
उन्हें एक झुण्ड में बन्दी बना रखते और जीवनभर यातना देते
उन्हें त्रास देना या सताना उनके लिए तमाशा या पवित्र उत्सव था,
अपने विदीर्ण शिकार की चीत्कारों का मजाक उड़ाते या मोद मनाते;
अपने को दानवों समान और देवताओं सम मान प्रसन्न होते
गर्वसे भर वे अपने महान् औ’ प्रतापी कार्यों का गान करते
और अपनी विजय औ’ शानदार सैन्यबल की प्रशंसा करते।
An animal in the instinctive herd
Pushed by life impulses, forced by common needs,
Each in his own kind saw his ego’s glass;
All served the aim and action of the pack.
एक पशु-झुण्ड की सहज प्रवृत्ति के समान एक दूसरी पशु-देह थी
जो प्राणिक आवेगों से एवं सामाजिक आवश्यकताओं से बाध्य हो धकेली जाती,
प्रत्येक अपनी निज जाति में अपने अहम् का दर्पण देखता;
यूथ का प्रत्येक सदस्य कबीले के उद्देश्य और कार्य की पूर्ति करता।
Those like himself, by blood or custom kin,
To him were parts of his life, his adjunct selves,[144]
His personal nebula’s constituent stars,
Satellite companions of his solar I.
वे जो स्वयं उससे रक्त द्वारा या रिवाज से अभिन्न होते,
वे उसके जीवन का अंग, उससे जुड़े उसके व्यक्तित्व थे,
उसकी व्यक्तिगत नीहारिका के उपग्रही तारे थे,
उसके अहम् सौरमण्डल के साथी उपग्रह थे।
A master of his life’s environment,
A leader of a huddled human mass
Herding for safety on a dangerous earth
He gathered them round him as if minor Powers
To make a common front against the world,
Or, weak and sole on an indifferent earth,
As a fortress for his undefended heart,
Or else to heal his body’s loneliness.
अपने जीवन के परिवेश का वह स्वामी
मनुष्य के एक संगठित झुण्ड का एक नेता,
वह एक संकट से पूर्ण धरती पर सुरक्षा हित अपने चारोंओर
उन्हें मानों लघु महाबलियों समान एकत्रित कर रखता था,
जिससे इस संसार के विरुद्ध एक संयुक्त मोर्चा बना सके,
अथवा, इस उदासीन भूमि पर स्वयं को एकाकी और दुर्बल जान,
या अपने शारीरिक अकेलेपन का अभाव दूर करने को,
अपने अरक्षित हृदय तथा जीवन के लिए एक दुर्ग बना लिया।
In others than his kind he sensed a foe,
An alien unlike force to shun and fear,
A stranger and adversary to hate and slay.
अपनी जाति के अलावा वह अन्य सबको शत्रु मानता,
एक विदेशी विपक्षी शक्ति जिससे बचता और डरता,
एक अपरिचित और विरोधी जो घृणा और वध के योग्य होता।
Or he lived as lives the solitary brute;
At war with all he bore his single fate.
अन्यथा वह एकाकी वन्य-पशु का जीवन जीता;
सबसे युद्ध करता और अपनी नियति का भार अकेला वहन करता।
Absorbed in the present act, the fleeting days,
None thought to look beyond the hour’s gains,
Or dreamed to make this earth a fairer world,
Or felt some touch divine surprise his heart.
इन्हीं सब वर्तमान कार्यों में मग्न, उनका जीवन बीत जाता
किसी को भी क्षणिक लाभ से परे द़ृष्टिपात करने का विचार न आता,
अथवा कोई इस पृथ्वी को एक सुखकर क्षेत्र बनाने का स्वप्न न देखता,
या अपने हृदय में दिव्य स्पर्श से चकित होने का अनुभव न पाता।
The gladness that the fugitive moment gave,
The desire grasped, the bliss, the experience won,
Movement and speed and strength were joy enough
And bodily longings shared and quarrel and play,
And tears and laughter and the need called love.
इन भगोड़े क्षणों से जो पल भर का सुख मिल जाता,
यही कामना की आपूर्ति, सुखानुभूति, विजय का अनुभव होता,
उसको संचालन और गति और बल का हर्ष पर्याप्त लगता,
और शारीरिक ललक की साझेदारी औ’ युद्ध और खेल में मगन रहता।
और हंसना एवं रोना और देह की आवश्यकता को प्रेम का नाम देता।
In war and clasp these life-wants joined the All-Life,
Wrestlings of a divided unity
Inflicting mutual grief and happiness
In ignorance of the Self for ever one.
युद्ध और आलिंगन में ये जीवनअपेक्षाएं सकल प्राण-जीवन को जोड़ देती हैं,
यह एक विभाजित एकता का मल्लयुद्ध है
जो आत्म-चेतना के अज्ञान में एक-दूसरे पर दुःख और सुख थोपती रहती है
उस आत्म-चेतना के अन्धकार में जो सतत एक है।
Arming its creatures with delight and hope
A half-awakened Nescience struggled there
To know by sight and touch the outside of things.
एक अर्ध-जाग्रत् प्राण की निश्चेतना वहांसंघर्षरत थी
इसने अपने प्राणियों को हर्ष औ’ आशा से सुसज्जित कर दिया
जिससे वे देख और स्पर्श कर बाह्य वस्तुओं को जान लें।
Instinct was formed; in memory’s crowded sleep
The past lived on as in a bottomless sea:
Inverting into half-thought the quickened sense
She felt around for truth with fumbling hands,
Clutched to her the little she could reach and seize[145]
And put aside in her subconscient cave.
सहज-बुद्धि अंकुरित हो गयी थी; संस्मरणों कीभीड़भरी निद्रा में
अतीत ऐसे जीवित था जैसे कि एक अथाह सागर के एक तल में:
प्राण-शक्ति फुर्तीले इन्द्रिय-बोध द्वारा अनुभव को अधकचरे विचार में बदलकर
अपने चहुं ओर सत्य को टटोलते हाथों से खोजती फिरती,
और जहां तक पहुंचती उस अल्प को ही झपट कर पकड़ लेती
और अपनी अवचेतन की कन्दरा में एक ओर धर देती।
So must the dim being grow in light and force
And rise to his higher destiny at last,
Look up to God and round at the universe,
And learn by failure and progress by fall
And battle with environment and doom,
By suffering discover his deep soul
And by possession grow to his own vasts.
जिससे यह मन्द-बुद्धि प्राणी प्रकाश औ’ शौर्य में वर्धित हो जाये
और अन्त में निज महत्तर नियति में उन्नत हो जाये,
इस विश्व के कर्म-घेरे में प्रभु को अवलोके,
पराजय से सीखे औरपतन द्वारा प्रगति करे
और परिस्थिति औ’ सर्वनाश से संग्राम करे,
दुःख-यातना में अपनी गहन अन्तरात्मा का शोधन करे
और आत्म-प्राप्ति द्वारा अपनी विशालताओं में विकसित हो जाये।
Half-way she stopped and found her faith no more.
वह इस आधे पथ पर रुक गयी थी और आत्मविश्वास खो चुकी थी।
Still nothing was achieved but to begin,
Yet finished seemed the circle of her force,
Only she had beaten out sparks of ignorance,
Only the life could think and not the mind,
Only the sense could feel and not the soul,
Only was lit some heat of the flame of Life,
Some joy to be, some rapturous leaps of sense.
All was an impetus of half-conscious Force,
A spirit sprawling drowned in dense life-foam,
A vague self grasping at the shape of things.
अभी तक इस आरम्भ के सिवाय उसने कुछ भी सिद्धि नहीं पायीथी,
तथापि उसकी ऊर्जा का चक्र समाप्त हो गया दिखता था,
केवल कुछ अज्ञान कीचिंगारियों को पीट निकाल पायी थी,
केवल प्राण-जीवन में विचार जागा था, मन अस्तित्व में अभी नहीं आया था
केवल इन्द्रियानुभव था आत्मा की अनुभूति नहीं थी,
प्राण-शक्ति कीवह ज्वाला-मात्र कुछ ताप जगा पायी थी,
अस्ति का कुछ हर्ष, बोध की कुछ उल्लसित उछालें थी
यह समस्त अर्धचेतन प्राण-ऊर्जा की एक प्रवेगी गति थी,
एक अन्तरात्मा इस घने प्राण-फेन में आ पसरकर डूब गयी थी,
वस्तुओं के इस रूप में यह एक धूमिल आत्म-प्राप्ति जैसी थी।
Behind all moved seeking for vessels to hold
A first raw vintage of the grapes of God,
On earth’s mud a spilth of the supernal Bliss,
Intoxicating the stupefied soul and mind
A heady wine of rapture dark and crude,
Dim, uncast yet into spiritual form,
Obscure inhabitant of the world’s blind core,
An unborn godhead’s will, a mute desire.
मानों इस सकल की पृष्ठभूमि में वह पात्रों को खोजती घूम रही हो
प्रभु की द्राक्षाओं की प्रथम कच्ची मदिरा को ढालने को,
अलौकिक परमानन्द की एक छलकती बूंद ने इस धरती को माटी पर,
अन्तरात्मा औ’ मन को मदमत्त कर संभ्रमित कर दिया
गहरी और अधपकी हर्षोन्माद की एक तेज-तीखी मदिरा,
जो धुंधली थी, अभी तक आध्यात्मिक आकार में तैयार नहीं थी,
यह संसार के अंधे मर्म की संदिग्ध निवासिनी,
एक अजात देवत्व का संकल्प, एक मूक विश्व-कामना थी।
A third creation now revealed its face.
एक अन्य तीसरी सृष्टि ने अब अपना मुख दिखलाया।
A mould of body’s early mind was made.
देह के आरम्भिक मन का एक सांचा तैयार हो गया।
A glint of light kindled the obscure World-Force;
It dowered a driven world with the seeing Idea
And armed the act with Thought’s dynamic point:
A small thinking being watched the works of Time.
ज्योति की इस एक चमक ने अस्पष्ट जग-ऊर्जा को प्रकाशित कर दिया;
जिसने इस चालित जग को द़ृष्टिवान् विभाव प्रदान किया
और इसके कर्म को विचार के उत्साही उद्देश्य से सजा दियाः
एक नन्हीं विचारशील सत्ता ने युगों के कार्यों का निरीक्षण किया।
A difficult evolution from below
Called a masked intervention from above;[146]
Else this great, blind inconscient universe
Could never have disclosed its hidden mind,
Or even in blinkers worked in beast and man
The Intelligence that devised the cosmic scheme.
अब नीचे गर्त से एक कठिन विकास-परम्परा ने
ऊपर स्वर्ग से एक आच्छादित शक्ति को हस्तक्षेप हित पुकारा;
अन्यथा यह महान्, अंधा अचित् विश्व
कभी अपने गुप्त मन को प्रकट नहीं कर पाता,
अथवा दिव्यप्रज्ञा जिसने इस ब्रह्माण्डीय योजना को रचा है, अप्रकट रहती,
जो पशु और मानव के अन्धकार में स्फुलिंगों में कार्यरत है।
At first he saw a dim obscure mind-power
Moving concealed by Matter and dumb life.
सर्वप्रथम योगी ने एक धूमिल अस्पष्ट मन-शक्ति को देखा
जो जड़तत्त्व में और मूढ़ प्राण में आच्छादित गतिशील थी।
A current thin, it streamed in life’s vast flow
Tossing and drifting under a drifting sky
Amid the surge and glimmering tremendous wash,
Released in splash of sense and feeling’s waves.
एक क्षीण-सी धारा, यह प्राण के विराट् प्रवाह में बहती,
एक उदासीन अस्थिर नभतले यह जीवनधारा में डूबती टकराती
और इस चमकते घोर प्रवाह के मध्य उफनती उतराती,
इन्द्रिय बोध औ’ भावनाओं की लहरों पर बहने छोड़ दी गयी थी।
In the deep midst of an unconscious world
Its huddled waves and foam of consciousness ran
Pressing and eddying through a narrow strait,
Carrying experience in its crowded pace.
एक जड़ अचेत जगत् कीगहनता के मध्य
मनशक्ति की सिमटी लहरें और चेतना के फेन दौड़ रहे थे
एक संकुचित दरार के बीच में से दबाव डालते चक्कर खाते,
ये अपनी संकुलित बोझिल गति में अनुभव को वहन कर ले जा रहे थे।
It flowed emerging into upper light
From the deep pool of its subliminal birth
To reach some high existence still unknown.
यह अपने अलौकिक जन्म के गहन कुण्ड से उभर
बहती हुई ऊपरी बाह्य प्रकाश में प्रकट हो गयी
अभी तक अज्ञात किसी उच्च अवस्था तक पहुंचना चाहती थी।
There was no thinking self, aim there was none:
All was unrecognised stress and seekings vague.
यहां अभी तक कोई मननशील अहम् नहीं था, कोई लक्ष्य नहीं था:
सब अव्यवस्थित अनजाना दबाव था और धूमिल संधान था।
Only to the unstable surface rose
Sensations, stabs and edges of desire
And passion’s leaps and brief emotion’s cries,
A casual colloquy of flesh with flesh,
A murmur of heart to longing wordless heart,
Glimmerings of knowledge with no shape of thought
And jets of subconscious will or hunger’s pulls.
केवल अस्थिर धरातल तक उठते
इन्द्रियावेग थे, कामना के आघात और तीक्ष्णताएं थीं
और आवेश की छलांगें औ’ क्षणिक भावों की चीत्कारें थीं,
मांसल देह की देह के संग एक अनियमित मिलन विचार-गोष्ठी होती,
शब्दहीन हृदय-लालसा के प्रति अन्य हृदय की एक फुसफुसाहट उठती,
ज्ञान की चमकें फूटतीं जिनमें विचार के आकार नहीं होते,
और अवचेतन संकल्प की फुहारें अथवा भूख के आकर्षण उठते।
All was dim sparkle on a foaming top:
It whirled around a drifting shadow-self
In an inconscient flood of Force in Time.
एक फेनिल शिखर पर सब मन्द धूमिल चमक-दमक थी:
यह एक अस्थिर छायाभासी अहम् के चारोंओर चक्कर खाती
एक अचित महाऊर्जा के प्लावन पर आदि-काल से घूम रही थी।
Then came the pressure of a seeing Power
That drew all into a dancing turbid mass
Circling around a single luminous point,
Centre of reference in a conscious field,
Figure of a unitary Light within.
तब एक द्रष्टा महाशक्ति के दबाव का चाप पड़ा
जिसने समस्त को एक अव्यवस्थित नृत्य-समूह में खींच लिया
और सबको एक अकेले ज्योतिर्मान बिन्दु के चारोंओर घुमा दिया,
एक सचेत क्षेत्र का यह केन्द्र-बिन्दु
अन्तर्वासी एक एकात्मिका पराज्योति का रूप था।
It lit the impulse of the half-sentient flood,
Even an illusion gave of fixity[147]
As if a sea could serve as a firm soil.
इसने अर्ध-संवेदनों की बाढ़ में अन्तःप्रेरणा जगा दी,
यहां तक कि स्थिरता का एक भ्रम डाल दिया
मानों सागर एक द़ृढ़ धरातल समान हो सकता हो।
That strange observing Power imposed its sight.
उस विलक्षण निरीक्षिका महाशक्ति ने अपनी द़ृष्टि वहां टिका दी।
It forced on flux a limit and a shape,
It gave its stream a lower narrow bank,
Drew lines to snare the spirit’s formlessness.
इसने उस धारा पर एक सीमा और एक आकृति आरोपित कर दी,
प्राण-शक्ति के प्रवाह पर एक निम्नतर संकीर्ण तट बना,
उस आत्म-चेतना की आकारहीनता को रेखाओं से बांध दिया।
It fashioned the life-mind of bird and beast,
The answer of the reptile and the fish,
The primitive pattern of the thoughts of man.
इसने पक्षी और पशु में प्राणिक मन रच डाला,
सरीसृप और मछली के प्राण में उसने प्रत्युत्तर जगाया,
मानव के विचारों की आदि रूपरेखा को उसी ने बनाया था।
A finite movement of the Infinite
Came winging its way through a wide air of Time;
A march of Knowledge moved in Nescience
And guarded in the form a separate soul.
चिरन्तनता का यह एक सान्त गति संचालन था
जो युगान्तरों के विस्तृत वातावरण के मध्य इस मार्ग पर उड़ताआया था;
जड़-निश्चेतना में ज्ञान के चरण बढ़ने लगे
और आकार में एक पृथक अन्तरात्मा की सुरक्षा देने लगे।
Its right to be immortal it reserved,
But built a wall against the siege of death
And threw a hook to clutch eternity.
इसने अपने अमरत्व के अधिकार को आरक्षित रखा,
किन्तु मृत्यु की मोर्चाबन्दी के विरोध में एक दीवार चुन दी
और चिरन्तन को फंसाने को एक कांटा फेंक दिया।
A thinking entity appeared in Space.
एक मननशील व्यक्तित्व दिक्काल के आकाश में प्रकट हो गया।
A little ordered world broke into view
Where being had prison-room for act and sight,
A floor to walk, a clear but scanty range.
एक नन्हा व्यवस्थित जगत् अब द़ृष्टिगोचर हो उठा
जहां पर सत्ता के पास कार्य करने औ’ देखने को एक कारागृह था,
चलने को एक धरातल था, यह एक स्पष्ट किन्तु संकरा क्षेत्र था।
An instrument-personality was born,
And a restricted clamped intelligence
Consented to restrain in narrow bounds
Its seeking; it tied the thought to visible things,
Prohibiting the adventure of the Unseen
And the soul’s tread through unknown infinities.
एक उपकरणीय व्यक्तित्व ने वहां जन्म लिया,
और इस सीमित जकड़ी बौद्धिक प्रतिभा ने
इन संकीर्ण बन्धनों के नियन्त्रण में बंधकर अपना संधान करना स्वीकारा;
इसने अपने विचार को द़ृश्य पदार्थों से बांध दिया,
अद़ृश्यता की ओर आत्मा की साहसी यात्रा पर प्रतिबन्ध लगा
और अन्तरात्मा के कदमों को अज्ञात चिरन्तनताओं कीओर बढ़ने से रोक दिया।
A reflex reason, Nature-habit’s glass
Illumined life to know and fix its field,
Accepting a dangerous ignorant brevity
And the inconclusive purpose of its walk,
And profit by the hour’s precarious chance
In the allotted boundaries of its fate.
एक चिन्तन-मनन का विवेक दिया, प्रकृति के स्वभाव-दर्पण ने जीवन को
जानने समझने को प्रकाश दिया और इसका क्षेत्र निश्चित कर दिया,
एक संकटकारिणी अज्ञ-क्षुद्रता को स्वीकार कर लिया
और अपने जीवन-विहार के उद्देश्य की अनिश्चयता को जान
अपने भाग्य द्वारा प्रदत्त बन्धनों की सीमाओं में बंधना
और घड़ी के संदिग्ध संयोग द्वारा लाभ उठाना स्वीकार लिया।
A little joy and knowledge satisfied
This little being tied into a knot
And hung on a bulge of its environment,
A little curve cut off in measureless Space,
A little span of life in all vast Time. [148]
अपने छोटे-से हर्ष और ज्ञान से सन्तुष्ट
यह क्षुद्र-प्राणी एक ग्रन्थि में बंध गया
और अपने परिवेश की एक खूंटी से टंग गया,
मापातीत अन्तराकाश से काटा गया यह एक नन्हा कटा हुआ कटाव,
अनन्त विराट्-काल में एक छोटा-सा जीवन-काल।
A thought was there that planned, a will that strove,
But for small aims within a narrow scope,
Wasting unmeasured toil on transient things.
वहां योजना करता एक विचार था, संघर्ष प्रयास में लगा एक संकल्प था,
किन्तु एक सीमित क्षेत्र के अन्तर्गत अति लघु उद्देश्यों के लिए था,
क्षणिक वस्तुओं पर जो असीम परिश्रम को व्यर्थ लुटाता था।
It knew itself a creature of the mud;
It asked no larger law, no loftier aim;
It had no inward look, no upward gaze.
यह स्वयं को माटी द्वारा निर्मित एक प्राणी जानता;
यह किसी उच्चतर विधान की, या महत्तर परिवेश की मांग नहीं करता;
यह अपने अन्तर में नहीं अवलोकता और न ऊर्ध्व कीओर ताकता।
A backward scholar on logic’s rickety bench
Indoctrinated by the erring sense,
It took appearance for the face of God,
For casual lights the marching of the suns,
For heaven a starry strip of doubtful blue;
Aspects of being feigned to be the whole.
तर्कज्ञान के जर्जर आसन पर बैठा एक पिछड़ा विद्यार्थी
जिसे एक भ्रामक दोषपूर्ण बोध द्वारा शिक्षित किया गया था,
वह मात्र प्रतिबिम्ब को प्रभु का मुख समझता,
सामान्य ज्योतियों को सूर्यों की परिक्रमा मानता,
संदिग्ध नीलिमा की एक तारावलि को स्वर्ग जानता;
सत्ता के आंशिक पक्षों में सम्पूर्णता का स्वांग भरता।
There was a voice of busy interchange,
A market-place of trivial thoughts and acts:
A life soon spent, a mind the body’s slave
Here seemed the brilliant crown of Nature’s works,
And tiny egos took the world as means
To sate awhile dwarf lusts and brief desires,
In a death-closed passage saw life’s start and end
As though a blind alley were creation’s sign,
As if for this the soul had coveted birth
In the wonderland of a self-creating world
And the opportunities of cosmic Space.
वहां पर एक व्यस्त लेन-देन का कोलाहल था,
यह क्षुद्र विचारों और कर्मों का एक हाट-बाजार था:
शीघ्र समाप्त होता एक जीवन शरीर का दास एक मन था
जो यहां प्राणप्रकृति के कार्यों में जगमगाता राजमुकुट जैसा दिखता,
और लघु अहंकारों ने इस जगत् को साधन सम बना लिया था
कुछ देर को तुच्छ वासनाओं और क्षणिक कामनाओं को सन्तुष्ट करने का,
एक मृत्यु से अवरुद्ध मार्ग पर जीवन का उदय औ’ अस्त देखा
मानों एक अन्धी बन्द गली ही सृष्टि का हस्ताक्षर हो,
मानों इसी के लिए जीवात्मा ने जन्म की अभिलाषा
एक आत्म-रचित संसार के इस अद्भुत प्रदेश में
और ब्रह्माकाश में विस्तृत इन सुयोगों में की थी।
This creature passionate only to survive,
Fettered to puny thoughts with no wide range
And to the body’s needs and pangs and joys,
This fire growing by its fuel’s death,
Increased by what it seized and made its own:
It gathered and grew and gave itself to none.
यह प्राणी तो केवल जीवित रहने को लालायित था,
क्षुद्र विचारों कीबेड़ियों से बंधा उसका क्षेत्र अति सीमित था
और शारीरिक आवश्यकताओं औ’ पीड़ाओं औ’ सुखों से बंधा था,
यह अग्नि अपनी मृत्यु के ईंधन से प्रज्वलित होती
और जिसे अपना बना अधिकार में ले लेती उसी से वर्धित होतीः
यह संचय करती और विकसित होती और स्वयं को किसी को न देती।
Only it hoped for greatness in its den
And pleasure and victory in small fields of power
And conquest of life-room for self and kin,
An animal limited by its feeding-space.
यह केवल अपनी कन्दरा में महान् होने की आशा करती
और अपने अधिकार के लघु क्षेत्रों में सुख और विजय की
और जीवन-कक्ष में अपने और स्वजन हित जयाकांक्षा रखती,
अपने चरागाह की सीमा में बंधे पशु समान थी।
It knew not the Immortal in its house,
It had no greater deeper cause to live.
यह अपने गृह में बसते अमरतत्त्व को नहीं पहचानती थी,
जीवित रहने का इसके पास अन्य कोई महत्तर कारण नहीं था।
In limits only it was powerful;[149]
Acute to capture truth for outward use,
Its knowledge was the body’s instrument;
Absorbed in the little works of its prison-house
It turned around the same unchanging points
In the same circle of interest and desire,
But thought itself the master of its jail.
केवल अपनी सीमाबद्धता में यह शक्तिशाली थी;
यह सत्य को अपने बाहरी उपयोग हित धर लेने को अति आतुर रहती,
इसका ज्ञान भी शारीरिक लाभ का साधन था;
अपने बन्दीगृह के तुच्छ कार्यों में निमग्न रहती
उन्हीं अपरिवर्तनीय केन्द्रों के चारोंओर चक्कर लगाती
अभिरुचि और कामना के उसी परिचित घेरे में घूमती,
किन्तु स्वयं को निज कारा का स्वामी सोचती।
Although for action, not for wisdom made,
Thought was its apex or its gutter’s rim:
It saw an image of the external world
And saw its surface self, but knew no more.
यद्यपि इसकी रचना कार्य हित हुई थी, विवेक के लिए नहीं बनी थी,
किन्तु विचार ही इसकी पराकाष्ठा या इसकी नाली का ऊपरी किनारा था:
इस बाहरी संसार का एक प्रतिबिम्ब इसने देखा था
और अपनी सत्ता का धरातल देखा था, पर और अधिक नहीं जानती थी।
Out of a slow confused embroiled self-search
Mind grew to a clarity cut out, precise,
A gleam enclosed in a stone ignorance.
एक मन्द, भ्रमित, जटिल आत्म-गवेषणा में से
मनशक्ति एक स्पष्ट कटे हुए, निश्चित रूप में उभर आयी
मानों एक अज्ञान के पाषाण में एक द्युति को धर लिया गया हो।
In this bound thinking’s narrow leadership
Tied to the soil, inspired by common things,
Attached to a confined familiar world,
Amid the multitude of her motived plots,
Her changing actors and her million masks,
Life was a play monotonously the same.
दास-विचार की इस संकुचित नेतागिरी में
यह इस धरती से बंधी, सामान्य पदार्थों द्वारा संप्रेरित होती,
एक सीमित परिचित जगत् से जुड़ी,
अपने उत्प्रेरक कथानकों के असंख्य पात्रों के मध्य,
उसके बदलते अभिनेताओं और उसके लाखों मुखौटों में,
प्राण-जीवन का एक वही पुराना नीरस नाटक था।
There were no vast perspectives of the spirit,
No swift invasions of unknown delight,
No golden distances of wide release.
आत्म-सत्ता का वहां उदार विशाल द़ृष्टिकोण नहीं था,
वहां अज्ञात आनन्द के हठात् आक्रमण नहीं होते,
विस्तृत मोक्ष की ओर जाते कोई स्वर्ण पथ नहीं थे।
This petty state resembled our human days
But fixed to eternity of changeless type,
A moment’s movement doomed to last through Time.
यह क्षुद्र अवस्था हमारे मानवीय दिवसों से मिलती-जुलती है
किन्तु अपरिवर्तनशील ढंग कीशाश्वतता से आबद्ध है,
एक क्षण की गति भी अनन्तकाल तक जीवित रहने को शापित है।
Existence bridge-like spanned the inconscient gulfs,
A half-illumined building in a mist
Which from a void of Form arose to sight
And jutted out into a void of Soul.
यह सृष्टि एक सेतु समान उन अचित् की खाड़ियों को जोड़ती,
मानों एक धुंधलके में एक अर्धप्रकाशित भवन
जो परमाकार की एक शून्यता से उदित हो द़ृष्टिगोचर हो गया
और परमात्मा के शून्याकाश में हठात् उभर आया था।
A little light in a great darkness born,
Life knew not where it went nor whence it came.
एक घोर अन्धकार में एक लघु ज्योति किरण उत्पन्न हो गयी,
प्राण-शक्ति अभी तक नहीं जानती थी कि उसे कहां जाना था या कहांसे आयी थी।
Around all floated still the nescient haze.[150]
उस सकल सृष्टि के चहुं ओर निश्चेतना की धुंध तैर रही थी।
END OF CANTO FOUR