BOOK SEVEN. THE BOOK OF YOGA
Canto Two. The Parable of the Search for the Soul
As in the vigilance of the sleepless night
Through the slow heavy-footed silent hours,
Repressing in her bosom its load of grief,
She sat staring at the dumb tread of Time
And the approach of ever-nearing Fate,
A summons from her being’s summit came,
A sound, a call that broke the seals of Night.
जिस समय नीरव घड़ियों की मन्द बोझिल निर्दय पगध्वनि को सुनती
उस निद्राहीन रात्रि में सतर्क चौकस बनी,
दुःख के अपने बोझको निज अन्तर में दबाये, सावित्री
एकाकी बैठी महाकाल की मूक गति को घूर रही थी
और अविराम समीप आती दैवनियति का आगमन देख रही थी,
तभी उसकी सत्ता के आत्मशिखर से एक आवाहन आता सुनायी पड़ा,
एक ध्वनि, एक पुकार जिसने घोर अन्धरात्रि की ग्रन्थियों को भंग कर दिया।
Above her brows where will and knowledge meet
A mighty Voice invaded mortal space.
सावित्री के भूमध्य आज्ञाचक्र में जहां संकल्प और प्रज्ञा का संगम होता है
वहां से एक महती आत्मवाणी ने उठ उसके देहाकाश को भर दिया।
It seemed to come from inaccessible heights
And yet was intimate with all the world
And knew the meaning of the steps of Time
And saw eternal destiny’s changeless scene
Filling the far prospect of the cosmic gaze.
ऐसे लग रहा था जैसे यह अगम्य उच्चताओंसे आ रही थी
फिर भी सकल संसार के अति समीप घनिष्ठ थी
और त्रिकाल के चरणों की सार्थकता जानती थी
और शाश्वत विश्व-भाग्य के अपरिवर्तनीय दृश्य को अवलोक रही थी
यह वैश्विक दृश्य सुदूर सम्भावना से भरा हुआ था।
As the Voice touched, her body became a stark
And rigid golden statue of motionless trance,
A stone of God lit by an amethyst soul.
ज्यों ही इस दिव्य गिरा ने उसकी देह को स्पर्श किया
उसका शरीर अचल समाधि की एक कठोर स्तम्भित स्वर्णमूर्ति बन गया,
जैसे प्रभु का एक पाषाण एक नील-रक्तवर्णी आत्मा से ज्योतित हो उठा।
Around her body’s stillness all grew still:
Her heart listened to its slow measured beats,
Her mind renouncing thought heard and was mute:
“Why camest thou to this dumb deathbound earth,
This ignorant life beneath indifferent skies
Tied like a sacrifice on the altar of Time,
O spirit, O immortal energy,
If ’twas to nurse grief in a helpless heart
Or with hard tearless eyes await thy doom?
उसकी देह की स्थिरता के चहुं ओर समस्त अब स्तब्ध स्थिर था:
केवल उसका हृदय अपनी मन्द-तालमयी धड़कनें सुनता था,
उसके मन ने विचारश्रृंखला त्याग उस वाणी को सुना और मूक हो गया:
‘‘इस मूढ़ मृत्युपाश में जकड़ी पृथ्वी पर तू क्यों आयी थी,
उदासीन गगनों के तले इस अज्ञानी जीवन से
तू त्रिकालीय यज्ञवेदी पर एक बलि समान बंधी है,
हे आत्मा, हे अमर ओजस्विनी,
क्या तू एक असहाय हृदय में दुःख को पोषित करने
या अश्रुहीन पाषाणी नेत्रों से निज सर्वनाश की प्रतीक्षा करने आयी है?
Arise, O soul, and vanquish Time and Death.”
उठ, ओ आत्मा जाग, और काल और मृत्यु के बन्धनों को मिटा दे’’
But Savitri’s heart replied in the dim night:
“My strength is taken from me and given to Death,
Why should I lift my hands to the shut heavens
Or struggle with mute inevitable Fate[474]
Or hope in vain to uplift an ignorant race
Who hug their lot and mock the saviour Light
And see in Mind Wisdom’s sole tabernacle,
In its harsh peak and its inconscient base
A rock of safety and an anchor of sleep?
किन्तु उस धूमिल रात्रि में सावित्री के हृदय ने उत्तर दिया:
‘‘मेरी शक्ति छीन कर मृत्यु को सौंप दी गयी है।
स्वर्ग के बन्द द्वारों पर याचना हित मैं अपने हाथ क्यों फैलाऊं
इस मूक अनिवार्य दैवनियति से क्यों संघर्ष करूं,
या एक अज्ञजाति-उत्थान हित व्यर्थ आशा करूं,
जो अपने प्रारब्ध से चिपकी, संरक्षिका पराज्योति का उपहास करती है
और मानसिक प्रज्ञा में ही अपनी एकमात्र सुरक्षा देखती है,
इसकी निर्दय पराकाष्ठा में और इसके जड़ अचित् मूलाधार में
सुरक्षा की एक दृढ़ शिला और विश्राम का एक आश्रय देखती है?
Is there a God whom any cry can move?
क्या यहां कोई ईश्वर है जिसे एक आर्तनाद विचलित कर सकता है?
He sits in peace and leaves the mortal’s strength
Impotent against his calm omnipotent Law
And Inconscience and the almighty hands of Death.
वह तो अपनी शान्ति में विराजमान नश्वर मानव-बल को अपने
शान्त सर्वव्यापी दैव-विधान के सामने असहाय निर्बल छोड़ देता है
और जड़ अचित् और मृत्यु के शक्तिशाली हाथों में सौंप देता है।
What need have I, what need has Satyavan
To avoid the black meshed net, the dismal door,
Or call a mightier Light into life’s closed room,
A greater Law into man’s little world?
मुझे और सत्यवान् को कोई आवश्यकता नहीं।
इस काल-पाश से बचने की, इस नैराश्य द्वार से पलायन की,
या एक सामर्थ्यशाली दिव्य प्रकाश को इस जीवन के बन्द कक्ष में लाने की,
मानव के इस तुच्छ लघु संसार में एक महत्तर विधान की?
Why should I strive with earth’s unyielding laws
Or stave off death’s inevitable hour?
धरा के अनम्य विधानों के संग मैंक्यों संघर्ष करूं
या मृत्यु की इस अनिवार्य घड़ी को टालने का प्रयास क्यों करूं?
This surely is best to pactise with my fate
And follow close behind my lover’s steps
And pass through night from twilight to the sun
Across the tenebrous river that divides
The adjoining parishes of earth and heaven.
निश्चय ही, मेरे लिए उत्तम है अपने भाग्यानुसार आचरण करना
और अपने प्रेमी के कदमों का अनुसरण कर पीछे पीछे चलना
और इस रात्रि की धूमिलता को पार कर उस सूर्य की ओर बढ़ना,
उस निरानन्दी वैतरणी को पार करनाजो स्वर्ग और पृथ्वी की
संलग्न सीमाओं की विभाजिका है, यही मेरे हित में सर्वोत्तम है।
Then could we lie inarmed breast upon breast,
Untroubled by thought, untroubled by our hearts,
Forgetting man and life and time and its hours,
Forgetting eternity’s call, forgetting God.”
तब हम आलिंगनबद्ध हो हृदय जोड़े एक संग शयन कर सकेंगे
विचारों से आक्रान्त एवं हृदयों द्वारा व्यथित नहीं होंगे,
वहां मानव और जीवन और काल एवं इसकी घड़ियों की चिन्ता न होगी,
शाश्वतता की पुकार विस्मृत कर, परमेश कोभूल, शान्ति से विश्राम करेंगे।’’
The Voice replied: “Is this enough, O spirit?
उस गुह्यगिरा ने उत्तर दिया: ‘‘हे जीवसत्ता, क्या इतना तेरे लिए पर्याप्त है?
And what shall thy soul say when it wakes and knows
The work was left undone for which it came?
और तू अपनी अन्तरात्मा से क्या कहेगी जब वह जागेगी और जानेगी
कि वह कार्य अधूरा छूट गया है जिसे करने वह यहां आयी थी?
Or is this all for thy being born on earth
Charged with a mandate from eternity,
A listener to the voices of the years,
A follower of the footprints of the gods,
To pass and leave unchanged the old dusty laws?
क्या केवल इसी सबके लिए ही तेरी सत्ता इस धरती पर जन्मी है?
तू तो चिरन्तन से उत्तरदायित्व ले एक आदेश के संग आयी है,
तू युगों की वाणियों की एक श्रोता है,
देवों के पदचिह्नों की एक अनुगामिनी है,
क्याइन रूढ़िगत धूल-धूसरित नियमों को परिवर्तित किये बिना चली जायेगी?
Shall there be no new tables, no new Word,
No greater light come down upon the earth
Delivering her from her unconsciousness,
Man’s spirit from unalterable fate?[475]
क्या यहां नव तालिकाएं, नव देववाणी नहीं गुंजित होगी,
इस धरती पर कोई महत्तर नवीन ज्योति नहीं उतरेगी
जो उसे उसकी अचेतावस्था से मुक्ति दिला देगी,
मानव की आत्मा को उसके अपरिवर्तनीय दैवी विधान से मुक्त करा देगी?
Cam’st thou not down to open the doors of Fate,
The iron doors that seemed for ever closed,
And lead man to truth’s wide and golden road
That runs through finite things to eternity?
क्या तू नीचे भाग्यविधाता के द्वारों को खोलने नहीं उतरी थी?
वे लौह द्वार जो सदैव बन्द दिखायी देते हैं,
और मानव को सत्य के विस्तृत और स्वर्ण मार्ग कीओर ले जाते हैं,
जो पथ क्षणिक पदार्थों के मध्य से निकल शाश्वतता कीओर जाता है।
Is this then the report that I must make,
My head bowed with shame before the Eternal’s seat,—
His power he kindled in thy body has failed,
His labourer returns, her task undone?”
तब जाकर मुझे यही विवरण देना होगा,
परमात्मा के समक्ष निज शीश लज्जासे झुका लेना होगा,
कि जो शक्ति उसने तेरी देह में प्रज्ज्वलित की थी वह सब निष्फल रही,
अपने कार्य को अधूरा छोड़कर उसका श्रमिक वापिस आ गया है?
Then Savitri’s heart fell mute, it spoke no word.
तब सावित्री का अन्तर बोल न पाया, हृदय मूक हो गया।
But holding back her troubled rebel heart,
Abrupt, erect and strong, calm like a hill,
Surmounting the seas of mortal ignorance,
Its peak immutable above mind’s air,
A Power within her answered the still Voice:
“I am thy portion here charged with thy work,
As thou myself seated for ever above,
Speak to my depths, O great and deathless Voice,
Command, for I am here to do thy will.”
किन्तु निज व्यथित विद्रोही उर को पीछे हटा,
हठात् एक ऋजु, शक्तिशाली, उपगिरि समान शान्त, उसके अन्तर की
एक चित्शक्ति मर्त्य अविद्या के सागरों पर सीधी आसीन प्रकट हो गयी
जिसका विकारहीन शिखर मन के वातावरण के ऊपर था,
उसके अन्तर की इस महाशक्ति ने उस नीरव दिव्य वाचा को उत्तर दिया:
‘‘मैं तेरा ही अंश हूं जिसे तेरे कार्य का उत्तरदायित्व सौंपा गया है,
जैसे कि ऊर्ध्व में आसीन तू सतत मम आत्मा है,
हे महान् अमर देववाणी, तू मम गहनताओं का सन्देश दे,
क्योंकि मैं यहां तेरे संकल्प-पूर्ति हित नियुक्त हूं, अतः आदेश दे।’’
The Voice replied: “Remember why thou cam’st:
Find out thy soul, recover thy hid self,
In silence seek God’s meaning in thy depths,
Then mortal nature change to the divine.
तब देव-वाचा ने उत्तर दिया: ‘‘स्मरण कर तू यहां किसलिए आयी है:
अपनी आत्मा का संधान कर, अपने गोपित आत्मतत्त्व को पुन: खोज ले,
नीरवता की निज गहनताओं में प्रभु की यथार्थता को प्राप्त कर ले,
तब तेरी यह नश्वर प्रकृति दिव्यता में परिवर्तित हो जायेगी।
Open God’s door, enter into his trance.
भगवत्ता के द्वार खोल, उसकी समाधि में प्रवेश कर जा।
Cast Thought from thee, that nimble ape of Light:
In his tremendous hush stilling thy brain
His vast Truth wake within and know and see.
अपने अन्दर से विचारशक्ति बाहर कर दे, यह परा ज्योति की दक्ष नक्काल है:
फिर उसकी घोर नीरवता में अपने मस्तिष्क को शान्त कर ले
परम विशाल शाश्वत सत्य को अन्तर में जाग्रत् कर, ज्ञान पा और देख सत्य दृष्टि से।
Cast from thee sense that veils thy spirit’s sight:
In the enormous emptiness of thy mind
Thou shalt see the Eternal’s body in the world,
Know him in every voice heard by thy soul:
In the world’s contacts meet his single touch;
All things shall fold thee into his embrace.
अतीन्द्रिय बन क्योंकि इन्द्रिय संवेदन ने तेरी आत्मदृष्टि पर पर्दा डाल दिया है:
तब अपने मन के विशाल चित्ताकाश की शून्यता में
तू इस संसार में चिरन्तन प्रभु की काया देख पायेगी,
निज अन्तरात्मा द्वारा सुनी प्रत्येक वाणी में उसे जानेगी,
जगत् के स्पर्शों में केवल उसी प्रभु की अनुभूति पायेगी;
सकल वस्तुएं तुझे उसके आलिंगन में बांध देंगी।
Conquer thy heart’s throbs, let thy heart beat in God:
Thy nature shall be the engine of his works,
Thy voice shall house the mightiness of his Word:
Then shalt thou harbour my force and conquer Death.” [476]
अपने हृदय की धड़कनों पर विजय प्राप्त कर, उसे प्रभु में स्पन्दित होने दे:
तब तेरा स्वभाव उसके कार्यों का यन्त्रसाधन हो जायेगा,
तेरी वाणी उसके सत्य-शब्द की स्थितियों को धारण करेगी:
तब तू मेरी सामर्थ्य का आधार बनेगी और मृत्यु पर विजय पायेगी।’’
Then Savitri by her doomed husband sat,
Still rigid in her golden motionless pose,
A statue of the fire of the inner sun.
अपने हतभागी पति के पास बैठी सावित्री,
अभी तक अपनी स्वर्णिम अचल मुद्रा में स्तम्भित,
अन्तर-सूर्य की एक अग्निल-प्रतिमा बनी।
In the black night the wrath of storm swept by,
The thunder crashed above her, the rain hissed,
Its million footsteps pattered on the roof.
उस काली रजनी में आंधी रौद्ररूप धारण किये चल रही थी,
सावित्री के ऊर्ध्व में बिजली कड़कती, वर्षा फुंकारती गिरती,
लक्ष-लक्ष पदचापों से छत पर पटापट ध्वनि करती।
Impassive mid the movement and the cry,
Witness of the thoughts of mind, the moods of life,
She looked into herself and sought for her soul.
इस आन्दोलन और चीत्कार के मध्य वह उदासीन थी,
मन के विचारों, जीवन के मनोभावों को द्रष्टा बनी देख रही थी,
फिर उसने आत्मसंधान हित निज अन्तर में अवलोका।
A dream disclosed to her the cosmic past,
The crypt-seed and the mystic origins,
The shadowy beginnings of world-fate:
A lamp of symbol lighting hidden truth
Imaged to her the world’s significance.
एक स्वप्नावस्था ने उसे वैश्विक आदिभूत का दर्शन करा दिया,
उसके गुह्यबीज और रहस्य से पूर्ण आदि मूल कारणों को,
जगत्-प्रारब्ध के धूमिल आरम्भों को प्रतिबिम्बित कर दिया:
प्रतीकात्मक एक दीपक ने गोपित सत्य को प्रकाशित कर दिया
इस संसार की सार्थकता को सावित्री के समक्ष चित्रित कर दिया।
In the indeterminate formlessness of Self
Creation took its first mysterious steps,
It made the body’s shape a house of soul
And Matter learned to think and person grew;
She saw Space peopled with the seeds of life
And saw the human creature born in Time.
परम-तत्त्व की निराकारी अपरिमित रिक्तता में
जब सृष्टि ने अपने रहस्यपूर्ण चरणों को पहली बार धरा था,
और आत्मा का गेह बनाने को इस शरीर का निर्माण किया था
और कैसे जड़तत्त्व में मनन शक्ति जागी और व्यक्ति का विकास हुआ;
उसने दिक्काल को जीवन के बीजाणुओं सेआबाद होते देखा
और मनुज नाम के प्राणी को काल में जन्म लेते अवलोका।
At first appeared a dim half-neutral tide
Of being emerging out of infinite Nought:
A consciousness looked at the inconscient Vast
And pleasure and pain stirred in the insensible Void.
सर्वप्रथम एक धूमिल अर्ध-अलिंगी सत्ता का एक ज्वार प्रकटा
यह अनन्त असत् शून्य ब्रह्म से बाहर की ओर उमड़ रहा था:
उस अचित् विराट् कीओर एक चेतना ने देखा
और उस संज्ञाहीन महाशून्य में पीड़ा और हर्ष तरंगित हो उठा।
All was the deed of a blind World-Energy:
Unconscious of her own exploits she worked,
Shaping a universe out of the Inane.
यह सब आन्दोलन एक अन्धी वैश्व-भौतिक ऊर्जा का कार्य था,
जो स्वयं अपने कारनामों से अनजान बनी कार्यरत रहती,
और इस विराट् शून्याकाश में से एक विश्व का रूपायण करती।
In fragmentary beings she grew aware:
A chaos of little sensibilities
Gathered round a small ego’s pinpoint head;
In it a sentient creature found its poise,
It moved and lived a breathing, thinking whole.
अब आंशिक प्राणियों में वह सचेत हो विकसित होने लगी:
क्षुद्र संवेदनों की एक अव्यवस्था उत्पन्न हो उठी
जो एक क्षुद्र अहम् के आणविक-शीर्ष के चहुं ओर एकत्र हो गयी;
इस गर्त में से एक संवेदनशील प्राणी ने सन्तोलन प्राप्त कर लिया,
यह गतिशील और श्वासधारी जीवित प्राणी, एक मननशीलता पूर्ण था।
On a dim ocean of subconscient life
A formless surface consciousness awoke:
A stream of thoughts and feelings came and went,[477]
A foam of memories hardened and became
A bright crust of habitual sense and thought,
A seat of living personality
And recurrent habits mimicked permanence.
अवचेतन प्राण-जीवन के एक धुंधले सागर पर
एक आकारहीन ऊपरी सतही चेतना जागीः
विचार और भावनाओं की एक धारा की लहर उठी और बह गयी,
इसकी स्मृतियों का एक फेन जमकर कड़ा हो गया
और स्वाभाविक बोध और विचार की एक चमकीली पर्त बन गया,
इस जीवन्त व्यक्तित्व का अब एक आसन तैयार हो गया
और प्रकृति में आदतों का पुनरावर्तन और नकल करने में स्थायित्व आ गया।
Mind nascent laboured out a mutable form,
It built a mobile house on shifting sands,
A floating isle upon a bottomless sea.
उदीयमान मानस ने श्रमपूर्वक एक अस्थिर आकार ले लिया,
इसने खिसकती रेत पर एक चलता-फिरता घर बना लिया,
एक अतल सागर पर एक बहते टापू को रच लिया।
A conscious being was by this labour made;
It looked around it on its difficult field
In the green wonderful and perilous earth;
It hoped in a brief body to survive,
Relying on Matter’s false eternity.
इस परिश्रम द्वारा एक सचेत प्राणी का निर्माण हुआ;
जिसने इस हरी-भरी अद्भुत और संकटों से भरी पृथ्वी पर
फैले अपने दुष्कर कार्य-क्षेत्र को चहुं ओर से अवलोका;
इसने एक क्षणिक काया में जीवित बचे रहने की आशा की,
जड़तत्त्व की मिथ्या अमरता पर पूर्ण विश्वास किया।
It felt a godhead in its fragile house;
It saw blue heavens, dreamed immortality.
अपनी क्षणभंगुर काया में इसने एक देवत्व की अनुभूति पायी;
नील नभों कीओर देख अमरता का सपना देखा।
A conscious soul in the Inconscient’s world
Hidden behind our thoughts and hopes and dreams,
An indifferent Master signing Nature’s acts
Leaves the vicegerent mind a seeming king.
इस जड़तत्त्व के अचित्-जगत् में एक सचेत आत्मा है,
यह हमारे विचारों, आशाओं और सपनों के पीछे छिपी है,
एक तटस्थ अधिपति है जो विश्व-प्रकृति के कार्यों की अनुमन्ता है
पर अपने प्रतिनिधि मन को एक राजा सम स्वीकार लेती है।
In his floating house upon the sea of Time
This regent sits at work and never rests:
He is a puppet of the dance of Time;
He is driven by the hours, the moment’s call
Compels him with the thronging of life’s need
And the babel of the voices of the world.
महाकाल के सिंधु पर बहते निज घर में बैठा
यह राजा-मन अविराम कार्य करता है और कभी विश्राम नहीं लेता:
काल भैरव के नृत्य में वह एक पुतले सम नाचता है;
जो घड़ियों द्वारा चालित है, क्षण-क्षण की पुकारें उसे
जीवन-आवश्यकताओं से घेर विवश बना देती हैं
और उसे संसार की ध्वनियों से बांध देती हैं।
This mind no silence knows nor dreamless sleep,
In the incessant circling of its steps
Thoughts tread for ever through the listening brain;
It toils like a machine and cannot stop.
यह मन नीरवता से अनजान है नींद में भी सपनाता है,
अपने कदमों के सतत घूमते चक्र में
इसकीश्रोता बुद्धि में संकल्प-विकल्प सदैव उठते रहते हैं;
यह एक मशीन सम कार्य करता है और रुक नहीं सकता है।
Into the body’s many-storeyed rooms
Endless crowd down the dream-god’s messages.
इस शरीर के अनेक स्तरीय कक्षों में
स्वप्न-देव की अनन्त भीड़ सन्देशों के साथ नीचे उतर आती है।
All is a hundred-toned murmur and babble and stir,
There is a tireless running to and fro,
A haste of movement and a ceaseless cry,
The hurried servant senses answer apace
To every knock upon the outer doors,
Bring in life’s visitors, report each call,[478]
Admit the thousand queries and the calls
And the messages of communicating minds
And the heavy business of unnumbered lives
And all the thousandfold commerce of the world.
यहां सैकड़ों रंगों का स्वर गुंजन, फुसफुसाहट और हलचल है,
आवागमन की एक अथक दौड़-धूप वहां पर है,
संचालन की एक उतावली और अविराम चीत्कार है,
इसके फुर्तीलेइन्द्रिय-अनुचर शीघ्रता से उत्तर देते हैं
बहिर्द्वारों पर होती प्रत्येक खटखटाहट पर आतुर दौड़ते हैं,
काल के भेंटकर्ताओं को अन्दर ला, प्रत्येक भेंट का विवरण देते हैं,
वे सहस्त्रों प्रश्नों और पुकारों को मन तक ले जाते हैं
और अन्य संचरण करते मनों के सन्देशों को
और अगणित जीवनों के गम्भीर व्यापारों को
और इस संसार की सहस्त्र परतों के समस्त कार्यकलाप को पहुंचाते हैं।
Even in the tracts of sleep is scant repose;
He mocks life’s steps in strange subconscient dreams,
He strays in a sublime realm of symbol scenes,
His night with thin-air visions and dim forms
He packs or peoples with slight drifting shapes
And only a moment spends in silent self.
यह निद्रित अवस्था में भी अत्यल्प विश्राम लेता है;
विचित्र अवचेतन के सपनों में जीवन के पहलुओं की नकल करता है,
वह सूक्ष्म-क्षेत्र के प्रतीक दृश्यों में भटकता है,
अपनी रात्रि को वायवी-सूक्ष्म दर्शनों और धूमिल आकारों से
वह भर लेता है या नगण्य सरसराते बहते रूपों को बसा लेता है
और मात्र पलभर ही आत्म-नीरवता में मौन रह पाता है।
Adventuring into infinite mind-space
He unfolds his wings of thought in inner air,
Or travelling in imagination’s car
Crosses the globe, journeys beneath the stars,
To subtle worlds takes his ethereal course,
Visits the gods on life’s miraculous peaks,
Communicates with Heaven, tampers with Hell.
असीम चित्ताकाश की साहसी उड़ानों में
वह विचार के निज पंखों को अन्तर वातावरण में फैला देता है,
या कल्पना के घोड़े पर सवार हो भूमण्डल को पार कर जाता है,
तारों के तले वह आकाश की यात्रा करता है,
सूक्ष्म लोकों तक अपना वायवीय विद्युती मार्ग अपनाता है,
प्राणशक्ति के शिखरों पर उच्च देवों से भेंटता है,
उन्नत स्वर्ग से सम्पर्क करता है, रौरव नरक से सांठगांठ रखता है।
This is the little surface of man’s life.
मनुज जीवन का यह नन्हा धरातली रूप है।
He is this and he is all the universe;
He scales the Unseen, his depths dare the Abyss;
A whole mysterious world is locked within.
वह यह भी है और सम्पूर्ण विश्व भी है;
वह अदृश्य चरमता को माप सकता है, उसकी गहनताएं घोर गर्त को चुनौती देती हैं;
एक सम्पूर्ण रहस्यमय जगत् उसके अन्तर में कैद है।
Unknown to himself lives a hidden king
Behind rich tapestries in great secret rooms;
An epicure of the spirit’s unseen joys,
He lives on the sweet honey of solitude:
A nameless god in an unapproachable fane,
In the secret adytum of his inmost soul
He guards the being’s covered mysteries
Beneath the threshold behind shadowy gates
Or shut in vast cellars of inconscient sleep.
स्वयं से अज्ञात अन्तर में एक गोपित अधिपति रहता है
इन वैभवशाली बाहरी चित्रपटों के पीछे वह महान् गुह्य कक्षों में बसता है;
जीव के अलक्षित सुखों का वही एक भोक्ता है,
एकान्त के मधुर मधु पर वह जीता हैः
एक नामहीन देवता है एक अगम्य मन्दिर में,
अपनी अन्तरतम आत्मा के गुह्य गर्भगृह में
वह सत्ता की गोपित गुह्यताओं की सुरक्षा करता है,
जो प्राण की देहलीज के नीचे, छायावी द्वारों के पीछे
या अचित् तमस् के विशाल तहखानों में बन्द हैं।
The immaculate Divine All-Wonderful
Casts into the argent purity of his soul
His splendour and his greatness and the light
Of self-creation in Time’s infinity
As into a sublimely mirroring glass.
परम-पुनीत परमेश्वर अखिल अद्भुत सर्वेश्वर
मानव चैत्य सत्ता की रजत-शुभ्र निर्मलता में
प्रभु अपनी शोभा और अपनी महानता और प्रकाश को
त्रिकाल की नित्यता में आत्म-सर्जन हित ऐसे ढालता है
जैसे वह एक लोकोत्तर दर्पण के शीशे में स्वयं को प्रतिबिम्बित करता हो।
Man in the world’s life works out the dreams of God.[479]
मानव इस संसार के कार्यों में प्रभु के सपनों को सम्पादित करता है।
But all is there, even God’s opposites;
He is a little front of Nature’s works,
A thinking outline of a cryptic Force.
किन्तु वहां सबका अस्तित्व है, प्रभु के विरोधी रूप तक उसमें हैं;
वह तो विश्व-प्रकृति के कार्य हेतु एक लघु अग्रभाग है,
एक निगूढ़ महाशक्ति की एक मनीषी बाहरी रूप-रेखा है।
All she reveals in him that is in her,
Her glories walk in him and her darknesses.
उसके अन्तर में जो गोपित है उस सबको वह मानव में प्रकटाती है,
उसकी श्रेष्ठताएं और उसकी अन्धताएं सब मानव में गतिशील हैं।
Man’s house of life holds not the gods alone:
There are occult Shadows, there are tenebrous Powers,
Inhabitants of life’s ominous nether rooms,
A shadowy world’s stupendous denizens.
मानव के जीवन-रूपी गेह में मात्र देवताओं की ही प्रतिष्ठा नहीं हैः
वहां पर गुह्य प्रेतच्छायाएं और तमस् की घोर शक्तियां भी रहती हैं,
ये जीवन के अशुभ निम्न अधोगामी कक्षों की वासी हैं,
एक छायापूर्ण जगत् की ये भीषण निवासिनियां हैं।
A careless guardian of his nature’s powers,
Man harbours dangerous forces in his house.
अपने स्वभाव की शक्तियों का एक असावधान संरक्षक,
मनुज निज काया में विनाशकारी बलों को आश्रय देता है।
The Titan and the Fury and the Djinn
Lie bound in the subconscient’s cavern pit
And the Beast grovels in his antre den:
Dire mutterings rise and murmur in their drowse.
ये आसुरी औ’ प्रचण्ड क्रोध और दानवी शक्तियां
अवचेतन के पाताल गर्त में बंधी पड़ी रहती हैं
और आदिम-पशु उसकी अन्तरतम मांद में घिघियाता रहता हैः
उनकी उनींदी दशा में भीषण गुर्राहटें और बड़बड़ाहटें ऊपर उठ आती हैं।
Insurgent sometimes raises its huge head
A monstrous mystery lurking in life’s deeps,
The mystery of dark and fallen worlds,
The dread visages of the adversary Kings.
यह विद्रोही कभी-कभी निज विशाल शीश उठा लेता है
जीवन की गहनताओं में एक भीषण रहस्य गोपित है,
यह अन्धे और पतित लोकों का रहस्य है,
विरोधी आसुरी राजाओं के ये भयानक चेहरे हैं।
The dreadful powers held down within his depths
Become his masters or his ministers;
Enormous they invade his bodily house,
Can act in his acts, infest his thought and life.
मानव गर्तों में भीषण शक्तियां दमित हैं
ये उसकी सलाहकार मन्त्री या स्वामिनी बन जाती हैं;
प्रचण्ड रुप हो वे उसके शरीर-रूपी गेह पर आक्रमण कर देती हैं,
उसके कर्मों में कार्यशील बन, उसके विचार औ’ जीवन को ग्रस्त कर लेती हैं।
Inferno surges into the human air
And touches all with a perverting breath.
मानवीय वातावरण में एक भीषण ज्वाल उमड़ने लगती है
और यह निज दूषित श्वास से सबको स्पर्श करती है।
Grey forces like a thin miasma creep
Stealing through chinks in his closed mansion’s doors,
Discolouring the walls of upper mind
In which he lives his fair and specious life,
And leave behind a stench of sin and death:
Not only rise in him perverse drifts of thought
And formidable formless influences,
But there come presences and awful shapes:
Tremendous forms and faces mount dim steps
And stare at times into his living-rooms,
Or called up for a moment’s passionate work[480]
Lay a dire custom’s claim upon his heart:
Aroused from sleep, they can be bound no more.
ये मटमैली शक्तियां एक सूक्ष्म विषैले धुएं सम रेंगतीं,
उसके देह भवन के बन्द द्वारों की फाटनों से घुस आती हैं,
ऊपरी सतही मन की दीवारों को मलिन कर देती हैं
जिसके अन्दर मानव अपना सुहावना एवं सत्याभासी जीवन जीता है,
और वे अपने पीछे पाप और मृत्यु की दुर्गन्ध छोड़ जाती हैं:
मानव के अन्तर में विचार की विकृत धाराएं
और भंयकर आकारहीन प्रभाव ही केवल नहीं उठते,
बल्कि उसमें घोर विरूपताएं और उपस्थितियां आने लगती हैं:
भीषण आकृतियां और चेहरे अंधेरी सीढ़ियां चढ़ते आते हैं
और कभी-कभी वे उसके आवास कक्षों में घूरते हैं,
या पल भर को आवेशपूर्ण कार्य हित ऊपर बुला लेने पर,
मानव के हृदय पर एक घोर अधिकार का दावा करती हैं:
एक बार नींद से उठाये जाने पर, उन्हें अब और बांधा नहीं जा सकता है।
Afflicting the daylight and alarming night,
Invading at will his outer tenement
The stark gloom’s grisly dire inhabitants
Mounting into God’s light all light perturb.
दिन के प्रकाश को वेदनापूर्ण औ’ रात्रि को भयानक बना देती हैं,
इच्छानुसार उसके बाहरी आवासों पर आक्रमण कर देती हैं।
नग्न निराशा की बीभत्स भयंकरी निवासिनियां
प्रभु की ज्योति पर सवार हो सकल प्रकाश को व्यथित कर डालती हैं।
All they have touched or seen they make their own,
In Nature’s basement lodge, mind’s passages fill,
Disrupt thought’s links and musing sequences,
Break through the soul’s stillness with a noise and cry
Or they call the inhabitants of the abyss,
Invite the instincts to forbidden joys,
A laughter wake of dread demoniac mirth
And with nether riot and revel shake life’s floor.
वे जिस किसी को स्पर्श करती या देखती हैं उस पर अधिकार कर लेती हैं,
विश्व-प्रकृति के पाताल-कक्ष की वासिनियां मन के प्रवेशमार्गों को भर देती हैं,
विचार-श्रृंखला को विच्छेदित कर चिन्तन-क्रमों को भंग कर डालती हैं,
आत्मा की नीरव स्थिरता को एक कोलाहल और चीत्कार से बेध देती हैं
या अन्तर अधोगर्त के अन्य निवासियों को बुला लेती हैं,
मानव स्वभाव की वृत्तियों को निषेधात्मक सुखों के लिए निमन्त्रित करती हैं,
तब भयानक पैशाचिक उन्माद का एक अट्टहास जागता है
जो अधोलोक के विद्रोह और पतित रंगरेलियों से जीवन के धरातल को हिला देता है।
Impotent to quell his terrible prisoners,
Appalled the householder helpless sits above,
Taken from him his house is his no more.
अपने घोर भीषण बन्दियों को अधिकृत करने में असमर्थ,
भयभीत गृहस्वामी असहाय ऊपर बैठा रहता है,
उसका घर उससे छीन लिया गया है अब यह उसका नहीं रहा है।
He is bound and forced, a victim of the play,
Or, allured, joys in the mad and mighty din.
वह बन्दी है और बाध्य है, इस नाटक का एक शिकार बन गया है,
या प्रलोभित हो इस पागलपन और प्रचण्ड हंगामे में प्रसन्न रहता है।
His nature’s dangerous forces have arisen
And hold at will a rebel’s holiday.
उसके स्वभाव की विनाशी ऊर्जाएं जाग जाती हैं
और स्वेच्छा से एक विद्रोह का पुनीत पर्व मनाती हैं।
Aroused from the darkness where they crouched in the depths,
Prisoned from the sight, they can be held no more;
His nature’s impulses are now his lords.
उस तमस् से जहां वे गर्तों में छिपी उनींद रही थीं उठा ली गयी हैं,
दृष्टि से दूर बन्दिनी थीं, अब उन्हें पकड़कर और नहीं रखा जा सका;
उसके स्वभाव के आवेग ही अब उसके स्वामी हैं।
Once quelled or wearing specious names and vests
Infernal elements, demon powers are there.
कभी वे दमित थे या सत्याभासी नामों और पोशाकों को धारण किये थे
ये नारकीय तत्त्व, दानवीय बल सब वहीं पर रहते हैं।
Man’s lower nature hides these awful guests.
मनुष्य की निम्नतर प्रकृति इन भीषण अतिथियों को छिपा रखती है।
Their vast contagion grips sometimes man’s world.
उनकी विस्तृत संक्रामकता कभी-कभी मानव जगत् को जकड़ लेती है।
An awful insurgence overpowers man’s soul.
एक भयानक विद्रोह भावना मानव के प्राण पर अधिकार कर लेती है।
In house and house the huge uprising grows;
Hell’s companies are loosed to do their work,
Into the earth-ways they break out from all doors,
Invade with blood-lust and the will to slay
And fill with horror and carnage God’s fair world.
घर-घर में एक विशाल विद्रोह पनपने लगता हैः
नारकीय संस्थाओं को अपना कार्य करने की खुली छूट दे दी जाती है,
पार्थिव विधियों में वे प्रत्येक द्वार से प्रवेश कर जाती हैं,
खून की प्यासी वे कत्ल की इच्छा से आक्रमण कर देती हैं
और प्रभु की मनोहर जगती को यन्त्रणा और हत्याकाण्ड से भर देती हैं।
Death and his hunters stalk a victim earth;
The terrible Angel smites at every door:[481]
An awful laughter mocks at the world’s pain
And massacre and torture grin at Heaven:
All is the prey of the destroying force;
Creation rocks and tremble top and base.
मृत्यु और उसके शिकारी एक शिकार सम धरती को रौंद डालते हैं;
यह भीषण देवता प्रत्येक द्वार पर आघात करता हैः
एक वीभत्स अट्टहास जग-पीड़ा का उपहास करता है
और हत्याकाण्ड एवं यन्त्रणा द्वारा सुरलोक को चिढ़ाता हैः
उस सर्वनाशी शक्ति के सभी शिकार हैं;
सृष्टि डोल जाती है और शिखर एवं आधार तक कांप उठते हैं।
This evil Nature housed in human hearts
A foreign inhabitant, a dangerous guest:
The soul that harbours it it can dislodge,
Expel the householder, possess the house.
यह पापी और घोर प्रकृति मानव के अन्तरों में बसती है,
यह एक विजातीय निवासी है, एक संकटपूर्ण विनाशी अतिथि हैः
जो प्राण इसे आश्रय देता है यह उसे ही निष्कासित कर देती है,
गृहस्वामी को निकाल घर को अधिकृत कर लेती है।
An opposite potency contradicting God,
A momentary Evil’s almightiness
Has straddled the straight path of Nature’s acts.
एक विरोधी बल है जो प्रभु को खण्डन करता है,
एक क्षणिक घोर पाप का सर्वसमर्थ रूप है
जिसने विश्वप्रकृति के कार्यों के सहज सीधे पथों को खोद डाला है।
It imitates the Godhead it denies,
Puts on his figure and assumes his face.
यह जिस भागवत अंश का निषेध करता है उसी की नकल भी करता है,
उसका आकार धारण कर उसी का रूप बना लेता है।
A Manichean creator and destroyer,
This can abolish man, annul his world.
एक आसुरी जग का निर्माता और विध्वंसक है,
यह मानव को नष्ट कर, उसके संसार का अस्तित्व मिटा सकता है।
But there is a guardian power, there are Hands that save,
Calm eyes divine regard the human scene.
किन्तु एक संरक्षिका सामर्थ्य है, यहां सुरक्षा प्रदान करते अभयहस्त हैं,
शान्त नेत्रों की दिव्य दृष्टि इस मानवीय दृश्य का निरीक्षण करती है।
All the world’s possibilities in man
Are waiting as the tree waits in its seed:
His past lives in him; it drives his future’s pace;
His present’s acts fashion his coming fate.
मानव के अन्तर में इस जगत् की समस्त सम्भावनाएं
वैसे ही प्रतीक्षारत हैं जैसे एक वृक्ष अपने बीज में प्रतीक्षा करता हैः
मानव का अतीत उसके अन्तर में है; यही उसे भविष्य के प्रति प्रेरित करता है;
उसके वर्तमान कर्म उसकी आगामी नियति का आकार बनाते हैं।
The unborn gods hide in his house of Life.
उसकी प्राणशक्ति द्वारा निर्मित इस घर में अजात देवता छिपे हैं।
The daemons of the unknown overshadow his mind
Casting their dreams into live moulds of thought,
The moulds in which his mind builds out its world.
अज्ञात के प्रेरक बल उसके मन पर छा जाते हैं
जो विचार के संजीवित सांचों में अपने सपने ढाल देते हैं,
उन्हीं सांचों में मानव का मन अपना संसार निरमाता है।
His mind creates around him its universe.
उसका मन अपने चहुं-ओर अपना विश्व रचता है।
All that has been renews in him its birth,
All that can be is figured in his soul.
इस संसार के जन्म में वह उस सबको जो अतीत था पुनः बना लेता है;
आगे की समस्त सम्भावना उसकी अन्तरात्मा में रूपायित है।
Issuing in deeds it scores on the roads of the world,
Obscure to the interpreting reason’s guess,
Lines of the secret purpose of the gods.
अपने संसार के पथों पर यह अपने कर्मों द्वारा सब हिसाब बराबर करता है,
जिसका अनुमान लगा व्याख्या करना तर्कबुद्धि के लिए कठिन है,
यह तो देवताओं के गुह्य उद्देश्य की रेखाएं हैं।
In strange directions runs the intricate plan;
Held back from human foresight is their end.
And the far intention of some ordering Will
Or the order of life’s arbitrary Chance
Finds out its settled poise and fated hour.[482]
यह जटिल योजना विचित्र दिशाओं की ओर ले जाती है;
जिनका अन्त मानवीय दूरदर्शी दृष्टि से भी छिपा है
और किसी व्यवस्थापक दिव्य संकल्प का सुदूर का प्रयोजन है,
या जीवन का निरंकुश दैवी-अवसर भी इसी की व्यवस्था है
जो अपनी निश्चित चाल और भाग्य द्वारा नियत घड़ी खोज लेता है।
Our surface watched in vain by reason’s gaze,
Invaded by the impromptus of the unseen,
Helpless records the accidents of Time,
The involuntary turns and leaps of life.
हमारी बहिर्चेतना का तर्कबुद्धि से देखना व्यर्थ हो जाता है,
जब अदृश्य की तात्कालिक घटनाओं का आक्रमण होता है
जीव असहाय उन्हें महाकाल की दुर्घटनाओं सम दर्ज करता है,
ये जीवन के आकस्मिक मोड़ हैं और इसकी उछालें हैं।
Only a little of us foresees its steps,
Only a little has will and purposed pace.
हममें से अल्पजन ही इसके चरणचाप का पूर्वाभास पाते हैं।
अति अल्पजन ही संकल्प और उद्देश्यपूर्ण गति समझ पाते हैं।
A vast subliminal is man’s measureless part.
मानव की असीम चेतना का एक विशाल भाग अवचेतना में डूबा है।
The dim subconscient is his cavern base.
यही धूमिल अधोचेतना उसके गर्त की आधारशिला है।
Abolished vainly in the walks of Time
Our past lives still in our unconscious selves
And by the weight of its hidden influences
Is shaped our future’s self-discovery.
काल के गतिचक्र से निष्फलता से जो मिटा दिया गया है
हमारा वह अतीत अभी भी हमारे अचेत व्यक्तित्वों में जीवित है
और इसके गोपित प्रभावों की गुरुता से
हमारे भविष्य का आत्म-संधान रूपायित होता है।
Thus all is an inevitable chain
And yet a series seems of accidents.
इस प्रकार यह सब एक अनिवार्य श्रृंखला है
और फिर भी आकस्मिक घटित घटनाओं का एक क्रम लगता है।
The unremembering hours repeat the old acts,
Our dead past round our future’s ankles clings
And drags back the new nature’s glorious stride,
Or from its buried corpse old ghosts arise,
Old thoughts, old longings, dead passions live again,
Recur in sleep or move the waking man
To words that force the barrier of the lips,
To deeds that suddenly start and o’erleap
His head of reason and his guardian will.
भूली-बिसरी घड़ियां उन्हीं पुराने कर्मों को दोहराये जाती हैं,
हमारे भविष्य के चरणों के चहुं ओर ही हमारा मृत भूत लिपटा है
और यह नव प्रकृति की भव्य प्रगति को पीछे घसीटता है
या फिर इसके दबे हुए शव से पुराने प्रेत उठ आते हैं,
रूढ़ विचार, पुरानी लालसाएं, मृत आवेश पुनः जीवित हो उठते हैं;
नींद में बार बार आते हैं या जाग्रत् मानव के शब्दों में उतरकर
उसके ओष्ठों की सीमा तोड़ कर संचालन हित बाध्य कर देते हैं,
हठात् ऐसे कर्मों की ओर जो अकस्मात् आरम्भ हो जाते हैं,
ये उसके विवेक के चरम बिन्दु को और संरक्षिका इच्छा-शक्ति को उलांघ जाते हैं।
An old self lurks in the new self we are;
Hardly we escape from what we once had been:
In the dim gleam of habit’s passages,
In the subconscient’s darkling corridors
All things are carried by the porter nerves
And nothing checked by subterranean mind,
Unstudied by the guardians of the doors
And passed by a blind instinctive memory,
The old gang dismissed, old cancelled passports serve,
Nothing is wholly dead that once has lived.
हमारे इस नवीन व्यक्तित्व में एक पुराना आत्मतत्त्व छिपा है;
हम कभी जो एक बार रह चुके हैं उससे बचना अति कठिन हैः
अपनी आदतों के गलियारों की धूमिल चमक में,
अवचेतन के अन्धेरे दालानों में
सभी चीजें भारवाहक नाड़ियों द्वारा ले आयी जाती हैं
और अतिभौतिक मन द्वारा कभी जांची नहीं जाती हैं,
द्वारों के प्रहरियों द्वारा उनका कभी निरीक्षण नहीं किया जाता है
और एक अन्धी सहज स्मृति द्वारा प्रवेश करा दिया जाता है,
पुराना संगठन विसर्जित होने पर भी, पुराने रद्द पारपत्रों से काम चल जाता है।
कभी जो जीवित था वह मरकर भी कभी पूरी तरह नहीं मरता है।
In dim tunnels of the world’s being and in ours
The old rejected nature still survives;
The corpses of its slain thoughts raise their heads [483]
And visit mind’s nocturnal walks in sleep,
Its stifled impulses breathe and move and rise;
All keeps a phantom immortality.
इस जग सत्ता और हमारी सत्ताओं की धूमिल कन्दराओं में
यह पुराना बहिष्कृत स्वभाव तब भी सुरक्षित जीवित रहता है;
इसके निहत विचारों के शव फिर से अपना शीश उठा लेते हैं
और नींद में मन के रात्रि-विहार में उसे भेंटते हैं,
तब इसके अवरुद्ध आवेश श्वास लेते, गति करते और ऊपर आ जाते हैं;
सकल सत्ताओं की एक छायाभासी अमरता बची रहती है।
Irresistible are Nature’s sequences:
The seeds of sins renounced sprout from hid soil;
The evil cast from our hearts once more we face.
Our dead selves come to slay our living soul.
भौतिक स्वभाव के घटनाक्रम अति सम्मोहक हैं:
परित्यक्त पापों के बीज छिपी धरती पर फूट पड़ते हैं;
हमारे अपने हृदयों से निकाल फेंका दुर्गुण पुनः हमारे सामने आ खड़ा होता है,
हमारा मृत व्यक्तित्व हमारी जीवित अन्तरात्मा का वध करने आ जाता है।
A portion of us lives in present Time,
A secret mass in dim inconscience gropes;
Out of the inconscient and subliminal
Arisen, we live in mind’s uncertain light
And strive to know and master a dubious world
Whose purpose and meaning are hidden from our sight.
हमारा केवल एकांश ही वर्तमान काल में जीता है,
एक गुप्त अचेत अम्बार है जो धूमिल निश्चेतना में टटोलता रहता है;
इस निश्चेतन और अवचेतन से ऊपर उठ कर,
हम मन के अनिश्चित प्रकाश में बसते हैं
और एक द्विविधापूर्ण जगत् को जानने और प्रभुता पाने में लगे रहते हैं
जिसका प्रयोजन और अर्थ हमारी अपनी दृष्टि से ओझल है।
Above us dwells a superconscient god
Hidden in the mystery of his own light:
Around us is a vast of ignorance
Lit by the uncertain ray of human mind,
Below us sleeps the Inconscient dark and mute.
हमारे ऊर्ध्व में एक परम चैतन्य निवास करता है
जो स्वयं अपनी आत्म-ज्योति के रहस्य में छिपा हैः
हमारे चहुं ओर एक विशाल अविद्या का साम्राज्य है
जिस पर हम अपनी मानवीय मन की अस्थिर किरण से प्रकाश डालते हैं,
हमारे नीचे काला और मौन घोर अचित् अचेत सोता है।
But this is only Matter’s first self-view,
A scale and series in the Ignorance.
किन्तु यह तो जड़-तत्त्व का प्रथम आत्मनिरीक्षण है,
इस घोर अविद्या की क्रमबद्धता में और एक सीढ़ी है।
This is not all we are or all our world.
हम सब केवल इतने ही नहीं हैं या हमारा संसार मात्र इतना ही नहीं है।
Our greater self of knowledge waits for us,
A supreme light in the truth-conscious Vast:
It sees from summits beyond thinking mind,
It moves in a splendid air transcending life.
हमारे ज्ञान की महत्तर आत्मा हमारी प्रतीक्षा कर रही है,
इस सत्य-चेतना के चरम-विस्तार में एक परमा ज्योति हैः
यह विवेचनशील मन से परे के शिखरों से अवलोकती है,
यह जीवन के पार एक भव्य वायुमण्डल में गतिशील है।
It shall descend and make earth’s life divine.
यह अवतरित होगी और पृथ्वी के जीवन को दिव्य बना देगी।
Truth made the world, not a blind Nature-Force.
सनातन सत्य ने इस जगत् को रचा है, किसी अन्धी जड़ प्रकृति की आदि ऊर्जा ने नहीं।
For here are not our large diviner heights;
Our summits in the superconscient’s blaze
Are glorious with the very face of God:
There is our aspect of eternity,
There is the figure of the god we are,
His young unaging look on deathless things,
His joy in our escape from death and Time,
His immortality and light and bliss.
क्योंकि यहां पर हमारी विशाल दिव्यतर उच्चताएं नहीं हैं;
हमारी पराकाष्ठाएं पराचेतना में प्रज्वलित हैं
और वे प्रभु के स्वयं अपने मुख की भव्यता से सुशोभित हैं:
हमारा चिरन्तन दिव्य पक्ष वहीं है,
हमारी यथार्थ देवाकृति भी वहीं पर है,
अमर वस्तुओं पर उसकी चिर युवा दृष्टि टिकी है,
हमारा मृत्यु और काल-सीमा को उलांघ पलायन कर जाने का आनन्द उसी का है
अमरता और पराज्योति और परमसुख का अनुभव उसी का है।
Our larger being sits behind cryptic walls:[484]
There are greatnesses hidden in our unseen parts
That wait their hour to step into life’s front:
We feel an aid from deep indwelling Gods:
One speaks within, Light comes to us from above.
हमारी महत्तर सत्ता का अस्तित्व गुह्य दीवारों के पीछे छिपा हैः
हमारे अदृष्ट भागों में उत्कृष्टताएं निहित हैं
जो जीवन में समक्ष आने की अपनी घड़ी की प्रतीक्षा में हैं:
हम अपने अन्तर्वासी देवताओं से सहायता की अनुभूति पाते हैं;
प्रभु हमारे अन्तर में बोलते हैं, दिव्य प्रकाश ऊपर से आ जाता है।
Our soul from its mysterious chamber acts;
Its influence pressing on our heart and mind
Pushes them to exceed their mortal selves.
अन्तर में आत्मपुरुष अपने गुह्य कक्ष से कार्य करता रहता है;
इसका प्रभाव हमारे हृदय औ’ मन पर दबाव डालता है
और इन्हें अपने मर्त्य व्यक्तित्वों से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है।
It seeks for Good and Beauty and for God;
We see beyond self’s walls our limitless self,
We gaze through our world’s glass at half-seen vasts,
We hunt for the Truth behind apparent things.
यह चैत्य-पुरुष सर्वकल्याणकारी पूर्ण सौन्दर्य एवं प्रभु को खोजता है;
तब हम अपने अहम् की सीमाओं से परे अनन्त आत्मा का दर्शन पाते हैं,
अपने संसाररूपी दर्पण के माध्यम से हम अर्धगोचर विस्तारों को अवलोकते हैं,
इन व्यक्त पदार्थों के पीछे जाकर ही हम नित्य सत्य का संधान करते हैं।
Our inner Mind dwells in a larger light,
Its brightness looks at us through hidden doors;
Our members luminous grow and Wisdom’s face
Appears in the doorway of the mystic ward:
When she enters into our house of outward sense,
Then we look up and see, above, her sun.
हमारी अन्तर मनःशक्ति एक बृहत्तर प्रकाश में निवास करती है,
इसकी दीप्ति प्रच्छन्न द्वारों के मध्य से हमें अवलोकती है;
हमारे अंग ज्योतिर्मय हो उठते हैं और सत्य प्रज्ञा देवी
गुह्य कक्ष के द्वारमार्ग पर हठात् प्रकट हो उठती हैः
जब यह देवी हमारे काया-भुवन के बहिर् इन्द्रिय-बोध में प्रवेश कर जाती है,
और तब हम ऊर्ध्व में उसकी तेजस्विता के दर्शन पाते हैं।
A mighty life-self with its inner powers
Supports the dwarfish modicum we call life;
It can graft upon our crawl two puissant wings.
एक समर्थ महाप्राण अपनी आन्तरिक शक्तियों को साथ ले
हमारी इस बौनी लघुता को सहारा देता है जिसे हम जीवन कह पुकारते हैं;
यह हमारी इस घिसटन पर दो शक्तिशाली पंख लगा सकता है।
Our body’s subtle self is throned within
In its viewless palace of veridical dreams
That are bright shadows of the thoughts of God.
हमारी देह का सूक्ष्म आत्मतत्त्व अन्तर सिंहासन पर
अपने सत्य सपनों के दृश्यविहीन राजभवन में आसीन है
जो प्रभु के संकल्प विचारों के उज्ज्वल प्रतिबिम्ब हैं।
In the prone obscure beginnings of the race
The human grew in the bowed apelike man.
मानवजाति के धूमिल आरम्भों की अधो-अवस्था में
झुके हुए वानर सम मानव से इस मानवजाति का विकास हुआ है।
He stood erect, a godlike form and force,
And a soul’s thoughts looked out from earthborn eyes;
Man stood erect, he wore the thinker’s brow:
He looked at heaven and saw his comrade stars;
A vision came of beauty and greater birth
Slowly emerging from the heart’s chapel of light
And moved in a white lucent air of dreams.
एक देवता सम आकार और ओज से पूर्ण, वह सीधा खड़ा हो गया,
और एक आत्मा के संकल्पों ने उसके भू-जात नयनों से बाहर देखा;
सीधा खड़ा मानव, मननशील मस्तक धारण किये थाः
उसने स्वर्ग की ओर देखा और अपने साथी सितारों को निरखा;
उसके हृदय के प्रकाश मन्दिर से धीरे-धीरे उभर कर
सौन्दर्य और महत्तर जन्म का एक दर्शन सामने आया
और वह सपनों के एक शुभ्र पारदर्शी परिवेश में विचरने लगा।
He saw his being’s unrealised vastnesses,
He aspired and housed the nascent demi-god.
उसने निज सत्ता के असिद्ध विस्तारों को अवलोका,
उसने अभीप्सा की और अन्तर में अर्ध-देवता की नवजात छवि बसा ली।
Out of the dim recesses of the self
The occult seeker into the open came:[485]
He heard the far and touched the intangible,
He gazed into the future and the unseen;
He used the powers earth-instruments cannot use,
A pastime made of the impossible;
He caught up fragments of the Omniscient’s thought,
He scattered formulas of omnipotence.
निज स्वार्थ चेतना के अंधेरे कोटरों के बाहर आ
वह गुह्य जिज्ञासु अब खुले में आ गयाः
उसने सुदूर का नाद सुना और अस्पर्श्य को स्पर्श किया,
उसने भविष्य में ताका और अदृश्य को देख लिया;
उसने उन ऊर्जाओं का उपयोग किया जिनका पार्थिव यन्त्र उपयोग नहीं कर सकते,
असम्भव को उसने एक मनोरंजन बना लिया;
सर्वज्ञ-परमेश के संकल्प के कुछ अंशों को वह धर पाया,
सर्वशक्तिमान् प्रभु के सूत्रों को उसने बिखेर दिया।
Thus man in his little house made of earth’s dust
Grew towards an unseen heaven of thought and dream
Looking into the vast vistas of his mind
On a small globe dotting infinity.
इस प्रकार अनन्त पर अंकित एक छोटी-सी गोल भूमि पर
मानव, धरती की माटी से रचित इस देह रूपी नन्हें गेह पर
अपने चित्त के विशाल विस्तारों में अवलोक कर,
एक अगोचर स्वर्ग के संकल्प और स्वप्न की ओर विकसित हो गया।
At last climbing a long and narrow stair
He stood alone on a high roof of things
And saw the light of a spiritual sun.
अन्त में एक दीर्घ और संकरी सीढ़ियां चढ़ता
वह पदार्थों की एक उन्नत छत पर पहुंच एकाकी खड़ा हो जाता है,
और एक आध्यात्मिक सूर्य-प्रभा को देखता है।
Aspiring he transcends his earthly self;
He stands in the largeness of his soul new-born
Redeemed from encirclement by mortal things
And moves in a pure free spiritual realm
As in the rare breath of a stratosphere.
महाप्राण से पूर्ण वह निज पार्थिव सत्ता को पार कर जाता है;
अब वह अपनी आत्मा के नवजन्म की चैत्य-विशाल उदारता में खड़ा है;
मर्त्य-वस्तुओं द्वारा रचित सीमित घेरों से मुक्त हो
आध्यात्मिक क्षेत्र की एक पावनता और स्वाधीनता में ऐसे विचरण करता है
मानों एक समताप मण्डल के दुर्लभ परिवेश में हो;
A lost end of far lines of divinity,
He mounts by a frail thread to his high source;
He reaches his fount of immortality,
He calls the Godhead into his mortal life.
दिव्यता की सुदूर सीमाओं का एक अन्तिम छोर हो,
अपने उन्नत उद़्गम की ओर एक दुर्बल सूत्र से चढ़ता;
अमरता के अपने आत्म-स्त्रोत तक पहुंच जाता है
और अपने नश्वर जीवन में भागवत अंश का आवाहन करता है।
All this the spirit concealed had done in her:
A portion of the mighty Mother came
Into her as into its own human part:
Amid the cosmic workings of the Gods
It marked her the centre of a wide-drawn scheme,
Dreamed in the passion of her far-seeing spirit
To mould humanity into God’s own shape
And lead this great blind struggling world to light
Or a new world discover or create.
सावित्री के अन्तर में उसकी आत्मा ने यह सब गोपित रहकर सिद्ध कर लियाः
उसके मानवीय अंश में सामर्थ्यशालिनी भगवती माता का
एक अंश अवतरित हो ऐसे समा गया, जैसे वह उसी का भाग होः
परम देवों की इस ब्रह्माण्डीय कार्य-प्रणालियों के मध्य
इसने एक विस्तृत परियोजना का उसे केन्द्रबिन्दु चुन लिया,
माता ने अपनी दूरदर्शी चित्-शक्ति के आवेश में सपना देशा
मानवता को ईश्वर के स्वरूप में ढालने का
और इस महान् अन्धी संघर्षरत जगती को प्रकाश की ओर ले जाने का
या एक नवीन संसार का संधान करने या निर्माण करने का।
Earth must transform herself and equal Heaven
Or Heaven descend into earth’s mortal state.
इस धरती को स्वयं को रूपान्तरित कर स्वर्ग का समकक्ष बनना होगा
या स्वर्ग को पृथ्वी की नश्वर-अवस्था में अवतरण करना होगा।
But for such vast spiritual change to be,
Out of the mystic cavern in man’s heart
The heavenly Psyche must put off her veil[486]
And step into common nature’s crowded rooms
And stand uncovered in that nature’s front
And rule its thoughts and fill the body and life.
किन्तु आने वाले ऐसे विशाल आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए,
मानव हृदय की गुह्य कन्दरा से बाहर आ
दिव्य चैत्य सत्ता को अपना घूंघट उठाना होगा
और साधारण प्रकृति के भीड़भरे कक्षों में प्रवेश कर
उस प्रकृति के सामने निरावरण खड़े होना होगा
इसे विचारों पर, देह पर और जीवन पर शासन कर पूर्ण बनाना होगा।
Obedient to a high command she sat:
Time, life and death were passing incidents
Obstructing with their transient view her sight,
Her sight that must break through and liberate the god
Imprisoned in the visionless mortal man.
एक उच्चादेश का अनुसरण करती सावित्री वहां अचल बैठी थीः
काल, जीवन औ’ मृत्यु सब गुजरती घटनाएं
अपने क्षणिक दृश्य द्वारा उसकी दृष्टिसीमा पर बाधा बन गयी थीं,
उसे निज दृष्टि अवरोधक को तोड़ इस देवता को मुक्त करना है
जो अन्धे मानव की नश्वरता में कैद है।
The inferior nature born into ignorance
Still took too large a place, it veiled her self
And must be pushed aside to find her soul. [487]
अविद्या में जन्मी इस अपरा प्रकृति ने
जो अब तक उसके जीवन को विशालता से घेरे है उसकी सत्ता को ढक लिया है,
उसे इस घूंघट को हटा निज आत्मा का संधान करना है।
END OF CANTO TWO