BOOK ONE. THE BOOK OF BEGINNINGS
Canto Four. The Secret Knowledge
On a height he stood that looked towards greater heights.
अब अश्वपति एक ऐसी ऊंचाई पर खडा़ था जहां से और महत्तर शिखर दिखायी देते थे।
Our early approaches to the Infinite
Are sunrise splendours on a marvellous verge
While lingers yet unseen the glorious sun.
चिरन्तन प्रभु की ओर बढ़ते हमारे प्रारम्भिक चरण जैसे
एक अद्भुत क्षितिज पर सूर्योदय की कान्तिमय छटाएं हैं
जिसके पीछे तेजस्वी सूर्य अभी भी अद़ृश्य छिपा है।
What now we see is a shadow of what must come.
वर्तमान में हम जो देख पाते हैं वह आने वाली भावी की एक छाया मात्र है।
The earth’s uplook to a remote unknown
Is a preface only of the epic climb
Of human soul from its flat earthly state
To the discovery of a greater self
And the far gleam of an eternal Light.
इस पृथ्वी का सुदूर अज्ञेय की ओर ऊपर ताकना
केवल एक भूमिका मात्र है उस महाकाव्य रूपी आरोहण की,
जिसे मानव की चैत्य सत्ता को इस सम धरातलीय अवस्था से चढ़ना है
एक महत्तर आत्मचेतना के अनुसन्धान की ओर
और एक शाश्वत दिव्य ज्योति की सुदूर टिमटिमाती शिखा कीओर।
This world is a beginning and a base
Where Life and Mind erect their structured dreams;
An unborn Power must build reality.
यह जगत् तो केवल एक आरम्भ और आधार है
जहां पर प्राणशक्ति और मनःशक्ति अपने सपनों का महल रचती हैं;
एक अजात महाशक्ति को वास्तविकता की रचना करनी है।
A deathbound littleness is not all we are:
Immortal our forgotten vastnesses
Await discovery in our summit selves;
Unmeasured breadths and depths of being are ours.
मृत्युपाश से बंधी एक लघुता मात्र ही हम नहीं हैं:
हमारी विस्तृत महानताएं अमर हैं
जो हमारी सत्ता के शिखरों पर पुनःसंधान की प्रतीक्षा में हैं;
सत्ता की अमापित गहराइयां और विस्तार सब हमारे हैं।
Akin to the ineffable secrecy,
Mystic, eternal in unrealised Time,
Neighbours of Heaven are Nature’s altitudes.
गोपित अनिर्वचनीय गुह्यतासे ये सम्बन्धित हैं,
रहस्यपूर्ण हैं, शाश्वत हैं और महाकाल में अभी तक व्यक्त नहीं हैं,
ये स्वर्ग को छूती पराप्रकृति की पराकाष्ठाएं हैं।
To these high-peaked dominions sealed to our search
Too far from surface Nature’s postal routes,
Too lofty for our mortal lives to breathe,
Deep in us a forgotten kinship points
And a faint voice of ecstasy and prayer
Calls to those lucent lost immensities.
ये उत्तुंग शिखरों के साम्राज्य हमारी खोज से अछूते हैं
जो हमारी धरातली अपरा-प्रकृति के राजपथों से अति दूर हैं,
तथा इतने ऊंचे हैं कि हमारा मानव जीवन वहां श्वास नहीं ले पाता है,
पर इनकी ओर हमारे अन्तर की गहराई में एक विस्मृत सम्बन्ध इशारा करता है
और आह्लाद की एक मद्धिम वाणी और प्रार्थना उठकर
इन उज्ज्वल लुप्त विशालताओं को पुकारती है।
Even when we fail to look into our souls
Or lie embedded in earthly consciousness,
Still have we parts that grow towards the Light,
Yet are there luminous tracts and heavens serene
And Eldoradoes of splendour and ecstasy[46]
And temples to the Godhead none can see.
तथापि जब भी हम निज अन्तरात्माओं में अवलोकना भूल जाते हैं
या अपनी भौतिक चेतना के साथ बेसुध सोते रहते हैं,
तब भी हमारे कुछ अंश प्रकाश की ओर बढ़ते रहते हैं,
यहां पर अभी भी आलोकमय पथ और शान्त अन्तरिक्ष हैं
और कान्तिमय छटाओं और भाव-आह्लाद के स्वर्णिम वृन्दावन हैं
और देव-सत्ताओं के मन्दिर हैं जिन्हें कोई देख नहीं सकता है।
A shapeless memory lingers in us still
And sometimes, when our sight is turned within,
Earth’s ignorant veil is lifted from our eyes;
There is a short miraculous escape.
हमारे अन्तर में एक आकारहीन स्मृति अभी तक चिपकी है
औ’ कभी-कभी, जब हमारी द़ृष्टि अन्तर्मुखी होती है,
पार्थिवता का अज्ञान-पट हमारी आंखों से उठा देती है;
तब वहां एक अल्पकालीन अद्भुत मुक्ति में हम पहुंच जाते हैं।
This narrow fringe of clamped experience
We leave behind meted to us as life,
Our little walks, our insufficient reach.
Our souls can visit in great lonely hours
Still regions of imperishable Light,
All-seeing eagle-peaks of silent Power
And moon-flame oceans of swift fathomless Bliss
And calm immensities of spirit Space.
संकुचित अनुभव की एक संकीर्ण झालर सम इस जीवन को
जो हमारी बांट में आया है, पीछे छोड़ देते हैं,
अपने लघु विहारों को, अपनी अपर्याप्त पहुंचों को तज देते हैं,
हमारी जीव-सत्ताएं इन महत्त्वपूर्ण एकाकी घड़ियों में
अविनाशी दिव्य-ज्योति के शान्त क्षेत्रों में रमण कर सकती हैं,
नीरव परा-शक्ति के गरुड़ाचारी सर्वद्रष्टा शिखरों पर
और अगाध परमानन्द के तीव्र शशि शीतल-ज्वाल सागरों पर
और आत्माकाश की प्रशान्त विशालताओं में रम सकती हैं।
In the unfolding process of the Self
Sometimes the inexpressible Mystery
Elects a human vessel of descent.
परमात्म-चेतना को विकसित करने के प्रयास में
कभी-कभी वह अव्यक्त लीलाधर परमेश्वर
चुन लेता है एक मानवपात्र अवतरण के लिए।
A breath comes down from a supernal air,
A presence is borne, a guiding Light awakes,
A stillness falls upon the instruments:
Fixed sometimes like a marble monument,
Stone-calm, the body is a pedestal
Supporting a figure of eternal Peace.
तब दिव्य परिवेश की एक प्राण-वायु नीचे उतर आती है
एक उपस्थिति वहन कर लाती है, एक पथप्रदर्शिका आत्म-ज्योति जल उठती है,
पात्र के अवयवों पर एक नीरव शान्ति छा जाती है:
द़ृढ़ता से जमी, एक संगमरमरी स्मारक सम अचल
पाषाणीय स्थिरता प्राप्त कर यह देह बन जाती है
एक पीठिका, जिस पर दिव्य शान्ति की प्रतिमा स्थापित होती है।
Or a revealing Force sweeps blazing in;
Out of some vast superior continent
Knowledge breaks through trailing its radiant seas,
And Nature trembles with the power, the flame.
या एक सर्वद्रष्टा प्रज्वलित दिव्य ऊर्जा अन्तर में प्रवेश कर जाती है;
किसी विशाल श्रेष्ठतर महाद्वीप से बाहर निकली प्रज्ञा है
यह बाधाओं को पार करती अपने पीछे ज्योति सागरों को घसीटती आ जाती है,
और सम्पूर्ण प्रकृति इस शक्ति के दबाव से, अग्नि-तेज से, कांप उठती है।
A greater Personality sometimes
Possesses us which yet we know is ours:
Or we adore the Master of our souls.
एक महत्तर आत्म-व्यक्तित्व कभी-कभी हमको
अधिकृत कर लेता है जो हमें अपना जैसा ही लगता हैः
या हम अपनी आत्मा के आराध्य को पूजते हैं।
Then the small bodily ego thins and falls;
No more insisting on its separate self,
Losing the punctilio of its separate birth,
It leaves us one with Nature and with God.
तब इस शरीर का लघु अहम् क्षीण हो मिट जाता है;
यह पृथक् व्यक्तित्व का आग्रह तज देता है,
अपनी पृथक्-उत्पत्ति की औपचारिकता खो देता है,
यह हमें समस्त प्रकृति और प्रभु के साथ एक होने को छोड़ जाता है।
In moments when the inner lamps are lit
And the life’s cherished guests are left outside,
Our spirit sits alone and speaks to its gulfs.[47]
उन घड़ियों में जब अन्तर के प्रकाश दीप जल उठते हैं
और इस जीवन के प्राणप्रिय अतिथि बाहर छूट जाते हैं,
हमारी चैत्य-सत्ता एकाकी बैठ निज गर्तों से सम्पर्क करती है।
A wider consciousness opens then its doors;
Invading from spiritual silences
A ray of the timeless Glory stoops awhile
To commune with our seized illumined clay
And leaves its huge white stamp upon our lives.
एक बृहत्तर चेतना इसके द्वारों को खोल देती है;
आध्यात्मिक प्रशान्तताओं से धावा बोलती आ जाती है
चिरन्तन प्रभु-तेजस्विता की एक किरण कुछ देर को नीचे झुक आती है,
हमारी इस अधिकृत आलोकित माटी से संलाप करने
और हमारे जीवनों पर निज विशाल शुभ्र छाप छोड़ जाती है।
In the oblivious field of mortal mind,
Revealed to the closed prophet eyes of trance
Or in some deep internal solitude
Witnessed by a strange immaterial sense,
The signals of eternity appear.
मर्त्य मन के इस धूमिल प्रदेश में,
समाधि के सर्वद्रष्टा बन्द नेत्रों के समक्ष प्रकट हो गये
या किसी गहन अन्तस्तल के एकान्त में
एक विचित्र सूक्ष्म बोध द्वारा साक्षीभाव से जो देखे गये,
शाश्वतता के संकेत चिह्न वहां अभिव्यक्त हो उठे।
The truth mind could not know unveils its face,
We hear what mortal ears have never heard,
We feel what earthly sense has never felt,
We love what common hearts repel and dread;
Our minds hush to a bright Omniscient;
A Voice calls from the chambers of the soul;
We meet the ecstasy of the Godhead’s touch
In golden privacies of immortal fire.
मन जिसे जानता नहीं था ऐसे सत्य ने अपना मुख प्रकटा दिया
तब हम वह श्रवण कर सकते हैं, जो नश्वर कानों ने पहले कभी नहीं सुना था,
हम वह अनुभूति पाते जिसे पार्थिव बोध ने कभी अनुभव नहीं किया,
हम उसे प्रेम करते हैं जिसे सामान्य ह्रदय परे हटाता घृणा करता है;
एक तेजस्वी सर्वज्ञता के सम्मुख हमारे मन शान्त मौन हो जाते हैं;
अन्तरात्मा के कक्षों से एक दिव्य वाणी पुकारती है;
अमर-अग्नि के स्वर्णिम अन्तरधाम में
हमें प्रभु-स्पर्श की आनन्दानुभूति मिलती है।
These signs are native to a larger self
That lives within us by ourselves unseen;
Only sometimes a holier influence comes,
A tide of mightier surgings bears our lives
And a diviner Presence moves the soul.
Or through the earthly coverings something breaks,
A grace and beauty of spiritual light,
The murmuring tongue of a celestial fire.
ये संकेत चिह्न एक महत्तर आत्म-स्वभाव के सहज अंग हैं
जो हमारी द़ृष्टि से अगोचर अन्तर में रहते हैं;
केवल कभी जब एक अधिक पावन प्रभाव आ जाता है,
प्रबलतर लहरों का एक ज्वार हमारे जीवनों पर छा जाता है
और एक दिव्यतर प्रभु सान्निध्य चैत्य सत्ता को स्पन्दित कर देता है;
या कुछ है जो भौतिक आवरणों को भंग कर डालता है,
जो आध्यात्मिक प्रकाश की एक कान्ति और शोभा है,
एक दिव्याग्नि की बोलती ज्वाला-शिखा है।
Ourself and a high stranger whom we feel,
It is and acts unseen as if it were not;
It follows the line of sempiternal birth,
Yet seems to perish with its mortal frame.
हमें अपने आत्मव्यक्तित्व का एक उदात्त अपरिचित सम अनुभव होता है,
वह सत् है और अद़ृश्य कार्य करता है मानों वह है ही नहीं;
वह अनन्त जन्म परम्परा का अनुसरण करता है,
तभी नश्वर काया के साथ नष्ट हो गया लगता है।
Assured of the Apocalypse to be,
It reckons not the moments and the hours;
Great, patient, calm it sees the centuries pass,
Awaiting the slow miracle of our change
In the sure deliberate process of world-force
And the long march of all-revealing Time. [48]
आगामी भविष्य के सत्य उद़्घाटन के प्रति वह आश्वस्त है,
यह क्षणों और घड़ियों को नहीं गिनता;
महान, धीर, शान्त यह सदियों को गुजरते देखता है,
हमारे रूपान्तर के मन्द चमत्कार की प्रतीक्षा करता है
भौतिक जगत्-शक्ति के इस निश्चित सुविचारित विकास-क्रम के आयोजन में
और पूर्ण उद़्घाटित त्रिकालीय दीर्घ प्रयाण में वह प्रतीक्षारत है।
It is the origin and the master-clue,
A Silence overhead, an inner Voice,
A living image seated in the heart,
An unwalled wideness and a fathomless point,
The truth of all these cryptic shows in space,
The Real towards which our strivings move,
The secret grandiose meaning of our lives.
यही मूल उद़्गम है और मुख्य सूत्र है,
मस्तक के ऊर्ध्व में यह चरम नीरवता है, अन्तर में एक दिव्य वाणी है,
हृदय में एक जीवंत छवि आसीन है,
एक असीम विस्तार और एक अथाह बिन्दु है,
चित्ताकाश में घटित इन सब गूढ़ द़ृश्यों का यही सत्य है,
यही वह सत्-तत्त्व है जिसकीओर हमारे प्रयास गतिशील हैं,
हमारे जीवनों का यही गुह्य भव्यार्थ है।
A treasure of honey in the combs of God,
A Splendour burning in a tenebrous cloak,
It is our glory of the flame of God,
Our golden fountain of the world’s delight,
An immortality cowled in the cape of death,
The shape of our unborn divinity.
प्रभु के मधु-छत्तों का यही मधु-कोष है,
अज्ञान के एक काले लबादे में प्रज्वलित यह एक देवआभामण्डल है,
प्रभु की ज्वाला की यह कान्तिमय गरिमा हमारी है,
संसार के सुख का हमारा सुनहरा झरना यही है,
मृत्यु का दुशाला ओढे़ हुए एक अमरत्व है,
हमारे अजात देवत्व का यह भावी रूप है।
It guards for us our fate in depths within
Where sleeps the eternal seed of transient things.
अन्तर की गहनताओं में यह हमारी नियति की हमारे लिए रक्षा करता है
नश्वर तत्त्वों के अन्तर में यह अविनाशी बीजाणु सोया है।
Always we bear in us a magic key
Concealed in life’s hermetic envelope.
अपने अन्तर में हम सतत एक जादुई चाबी छिपाये रहते हैं
यह जीवन के प्राण-रुद्ध एक खोल में बन्द है।
A burning witness in the sanctuary
Regards through Time and the blind walls of Form;
A timeless Light is in his hidden eyes;
He sees the secret things no words can speak
And knows the goal of the unconscious world
And the heart of the mystery of the journeying years.
इस देहरूपी मन्दिर के गुह्य गर्भ में एक प्रज्वलित साक्षी द़ृष्टि है
जो युगान्तरों के मध्य विभिन्नाकारों की अन्धी दीवारों के पार अवलोकती है;
उसके छिपे नेत्रों में एक कालातीत दिव्य प्रकाश है;
वह उन गुप्त वस्तुओं को जो अनिर्वचनीय हैं, देखता है
और इस अचित् अज्ञ जगत् के लक्ष्य को जानता है
और गुजरते वर्षों के रहस्य के मर्म को जानता है।
But all is screened, subliminal, mystical;
It needs the intuitive heart, the inward turn,
It needs the power of a spiritual gaze.
किन्तु यह सब पट के पीछे छिपा, अवचेतन, रहस्यपूर्ण है;
इसे अपेक्षा है अन्तर्बोध की, अन्तर्बोधी हृदय की अन्तर कीओर मुड़ी द़ृष्टि की,
इसे आवश्यकता है एक आध्यात्मिक द़ृष्टि के सामर्थ्य की।
Else to our waking mind’s small moment look
A goalless voyage seems our dubious course
Some Chance has settled or hazarded some Will,
Or a Necessity without aim or cause
Unwillingly compelled to emerge and be.
अन्यथा हमारे जागते मानस की लघु क्षणिक द़ृष्टि को
यह हमारा अनिश्चित जीवन-पथ एक उद्देश्यहीन यात्रा ही लगता है
जिसे किसी दैव-संयोग ने निश्चित कर दिया है या किसी दैवी संकल्प ने
दांव पर लगा दिया है, या बिना लक्ष्य या कारण की एक वैश्विक अनिवार्यता है
जिसे अनिच्छा से अभिव्यक्त होने और जीने को बाध्य किया गया है।
In this dense field where nothing is plain or sure,
Our very being seems to us questionable,
Our life a vague experiment, the soul
A flickering light in a strange ignorant world,[49]
The earth a brute mechanic accident,
A net of death in which by chance we live.
इस घने जटिल क्षेत्र में जहां कुछ भी सरल या निश्चित नहीं है,
हमारा निजी अस्तित्व ही हमें एक प्रश्नवाचक चिह्न जान पड़ता है,
हमारा जीवन एक धुंधला-सा प्रयोग लगता है,
यह हमारी आत्मा एक विचित्र अज्ञ संसार में एक टिमटिमाती-सी ज्योति है,
यह धरती एक जड़यान्त्रिक दुर्घटना लगती है,
मृत्यु का एक पाश है जिसमें हम संयोगसे जीवित हैं।
All we have learned appears a doubtful guess,
The achievement done a passage or a phase
Whose further end is hidden from our sight,
A chance happening or a fortuitous fate.
हमने जो सब सीखा है एक शंका भरे अनुमान जैसा है
सब सफलताएं एक पथ या एक अवस्था सम दीखती हैं
जिसका अग्रिम छोर हमारी द़ृष्टि से छिपा है,
एक अनायास घटित घटना या एक दैव नियति लगती है।
Out of the unknown we move to the unknown.
हम अज्ञात से बाहर निकलते हैं, अज्ञात में लौट जाते हैं।
Ever surround our brief existence here
Grey shadows of unanswered questionings;
The dark Inconscient’s signless mysteries
Stand up unsolved behind Fate’s starting line;
An aspiration in the Night’s profound,
Seed of a perishing body and half-lit mind,
Uplifts its lonely tongue of conscious fire
Towards an undying Light for ever lost.
Only it hears, sole echo of its call,
The dim reply in man’s unknowing heart
And meets, not understanding why it came
Or for what reason is the suffering here,
God’s sanction to the paradox of life
And the riddle of the Immortal’s birth in Time.
हमारा यहां पर अल्पवास सतत घिरा रहता है
अनुत्तरित प्रश्नों की धूमिल छायाओं से;
अन्धकारमय आदि अचित् के चिह्नविहीन रहस्य से
जो बिना समाधान के दैवनियति की आरम्भ-रेखा के पीछे खड़े हैं।
इस घोर रात्रि के गहन-अन्तर में एक अभीप्सा है,
यह नश्वर देह और अर्ध-चेतन मन का एक बीज है,
जो सचेत अग्नि का अपना एकाकी स्फुलिंग ऊर्ध्व में फेंकता है
एक अमर पराज्योति की ओर जो सदा के लिए खो गयी है;
परन्तु यह केवल अपनी पुकार की एकाकी गूंज सुन पाता है,
जो मानव के अन्तर में अनजाने ही मन्द प्रत्युत्तर बन आता है
और हमसे मिलता है, पर हम समझ नहीं पाते कि यह क्यों आया है
या यहां के दुःख का कारण क्या है,
जीवन की विषम समस्या के लिए प्रभु की स्वीकृति क्यों है
तथा दिक्काल में अमरतत्त्व के जन्म की यह पहेली क्यों है।
Along a path of aeons serpentine
In the coiled blackness of her nescient course
The Earth-Goddess toils across the sands of Time.
युगों के बलखाते पथ के साथ-साथ
अपनी निश्चेतना के कुण्डलित अन्धकारमय मार्ग पर
यह पृथ्वी-देवी महाकाल की मरुभूमि को पार करने के श्रम में लगी है।
A Being is in her whom she hopes to know,
A Word speaks to her heart she cannot hear,
A Fate compels whose form she cannot see.
उसके अन्तर में एक दिव्य सत्ता है जिसको वह जानने की आशा करती है,
उसके हृदय में एक परम शब्द ध्वनित है जिसे वह सुन नहीं सकती है,
वह एक दैवी नियति से बाध्य है जिसकी आकृति देख नहीं सकती है।
In her unconscious orbit through the Void
Out of her mindless depths she strives to rise,
A perilous life her gain, a struggling joy;
A Thought that can conceive but hardly knows
Arises slowly in her and creates
The idea, the speech that labels more than it lights;
A trembling gladness that is less than bliss
Invades from all this beauty that must die.
महाकाश के मध्य वह अपनी अचित् कक्षा में घूमती
अपनी चित्तहीन अगाधताओं से ऊपर उठ आने का प्रयत्न करती है,
एक संकटभरा जीवन, एक संघर्षपूर्ण सुख उसकी सिद्धि हैं;
एक ऐसा आत्म-संकल्प है जो ग्रहण कर सकता है किन्तु अधिक जानता नहीं है
उसके अन्दर शनै: शनै: प्रस्फुटित होता है और सर्जन करता है
विभाव का, उस वाचा का जो प्रकाश देने से अधिक वस्तुओं का नामकरण करती है;
एक कम्पित प्रसन्नता का जो आनन्द की अपेक्षा हीन है
यह सबको उस मोहिनी से आक्रामित करती है जिसे अन्त में नष्ट होना ही है।
Alarmed by the sorrow dragging at her feet[50]
And conscious of the high things not yet won,
Ever she nurses in her sleepless breast
An inward urge that takes from her rest and peace.
अपने कदमों से लिपटी घिसटती यातना से अति व्याकुल
उन उदात्त वस्तुओं के प्रति सचेत है जिन्हें वह अभी तक जीत नहीं सकी है,
वह अपनी अनिद्रित छाती में एक आन्तरिक लालसा पोषती है
जिसने उसका विश्राम और शान्ति छीन ली है।
Ignorant and weary and invincible
She seeks through the soul’s war and quivering pain
The pure perfection her marred nature needs,
A breath of Godhead on her stone and mire.
अज्ञ और क्लान्त और अपराजिता बनी,
वह आत्म-संघर्ष और मार्मिक पीड़ा में खोजती रहती है
उस विशुद्ध सम्पूर्णता को, जो उसकी कलंकित प्रकृति की आवश्यकता है,
अपनी जड़ता और पंकिलता पर देवत्व का एक श्वास खोजती है।
A faith she craves that can survive defeat,
The sureness of a love that knows not death,
The radiance of a truth for ever sure.
जो पराजय में जीवित रह सके ऐसे एक विश्वास की याचिका है,
जो मृत्यु से अपरिचित है ऐसे एक अटल प्रेम की माधुरी को
एक सत्य की उस दीप्ति को जो सतत निश्चित एवं स्थिर हो।
A light grows in her, she assumes a voice,
Her state she learns to read and the act she has done,
But the one needed truth eludes her grasp,
Herself and all of which she is the sign.
उसके अन्तर में एक ज्योतिशिखा उदित हो उठती है, उसे एक वाचा मिल जाती है,
वह निज स्थिति और सम्पादित कर्म का अध्ययन करना सीखती है,
किन्तु एक अनिवार्य सत्य उसकी पकड़ से छूट जाता है,
जो उसका आत्मतत्त्व है और अखिल की आत्मा है जिसकी वह चिह्न रूप है।
An inarticulate whisper drives her steps
Of which she feels the force but not the sense;
A few rare intimations come as guides,
Immense divining flashes cleave her brain,
And sometimes in her hours of dream and muse
The truth that she has missed looks out on her
As if far off and yet within her soul.
एक अस्पष्ट सी फुसफुसाहट उसके कदमों का संचरण करती है
जिसके बल का तो वह अनुभव पाती है किन्तु समझ नहीं पाती है;
कुछ विरले संकेत पथ-प्रदर्शकों समान आते हैं,
विशाल तीव्र भविष्यदर्शी प्रकाश के स्फुरण उसकी बुद्धि को विद्ध कर डालते हैं,
और कभी-कभी उसके स्वप्न और चिन्तन की घड़ियों में
उसका खोया हुआ सत्य उसके अन्तर से बाहर उसे देखता है
मानों अति दूर होकर भी, उसकी अन्तरात्मा में बसा है।
A change comes near that flees from her surmise
And, ever postponed, compels attempt and hope,
Yet seems too great for mortal hope to dare.
एक रूपान्तर पास आता है पर उसकी विवेचना से दूर उड़ जाता है,
और, सतत स्थगित हो, उसे आशा और प्रयास करने को बाध्य कर जाता है,
तथापि नश्वर आशा के साहस हित यह अति विशाल दिखता है।
A vision meets her of supernal Powers
That draw her as if mighty kinsmen lost
Approaching with estranged great luminous gaze.
दिव्य शक्तियों का एक देव-दर्शन पृथ्वी को मिलता है
जो उसे एक वरिष्ट बिछुड़े बन्धु समान आकर्षित करता है
वे उसके पास उदासीन महती द्युतिमान चितवन साथ ले आती हैं।
Then is she moved to all that she is not
And stretches arms to what was never hers.
तब वह उस सब की ओर गतिमान हो उठती है जो वह स्वयं नहीं है
और जो उसका कभी अपना नहीं था उसकी ओर हाथ फैला देती है।
Outstretching arms to the unconscious Void,
Passionate she prays to invisible forms of Gods
Soliciting from dumb Fate and toiling Time
What most she needs, what most exceeds her scope,
A Mind unvisited by illusion’s gleams,
A Will expressive of soul’s deity,
A Strength not forced to stumble by its speed,[51]
A Joy that drags not sorrow as its shade.
अचेत शून्याकाश की ओर बांहें फैलाकर,
भाव-विभोर हो वह देवताओं के अद़ृश्य रूपों से प्रार्थना करती है
मूक महानियति और प्रयासरत युगों से मुक्ति पाने की याचना करती है,
जो उसकी सर्वाधिक आवश्यकता है, पर उसकी पहुंच से बहुत परे है,
आवश्यकता है एक ऐसे श्रेष्ठ मानस की जिसमें भ्रान्ति की झलकें न हों,
एक शिव-संकल्प की जो चैत्य-सत्ता के देवत्व को अभिव्यक्त करे,
एक श्रेष्ठ शौर्य की जो निज वेग के करण ठोकर खाकर न गिरे,
एक विशुद्ध हर्ष की जो अपनी छाया में शोक को साथ घसीटता न लाये।
For these she yearns and feels them destined hers:
Heaven’s privilege she claims as her own right.
इनके लिए वह लालायित है और ये उसी के लिए हैं, ऐसा अनुभव करती है:
स्वर्ग की सुविधा पर वह अपना निजी अधिकार सम दावा करती है।
Just is her claim the all-witnessing Gods approve,
Clear in a greater light than reason owns:
Our intuitions are its title-deeds;
Our souls accept what our blind thoughts refuse.
उसका दावा न्यायोचित है यह सभी साक्षी देवता स्वीकारते हैं,
हमारी तर्क-बुद्धि की अपेक्षा एक महत्तर प्रकाश में यह स्पष्ट प्रकट है:
हमारे अन्तर्बोध की प्रेरणाएं इसके प्रमाणपत्र हैं;
हमारे अन्धे विचार इसे नकारते हैं पर हमारी अन्तरात्माएं स्वीकारती हैं।
Earth’s winged chimeras are Truth’s steeds in Heaven,
The impossible God’s sign of things to be.
पृथ्वी की पंखदारी कल्पनाएं स्वर्ग में सनातन सत्य के अश्व हैं,
आज की असम्भावना भावी पदार्थों के भागवत संकेत हैं।
But few can look beyond the present state
Or overleap this matted hedge of sense.
किन्तु बहुत अल्प जन इस वर्तमान परिस्थिति के पार अवलोकते हैं
या इस जटिल इन्द्रिय बोध की बाड़ को कूद पार कर सकते हैं।
All that transpires on earth and all beyond
Are parts of an illimitable plan
The One keeps in his heart and knows alone.
वह सब जो इस धरा पर और अन्य लोक में घटित होता है
एक असीम महायोजना के भाग हैं
जिसे परमैकम् प्रभु अपने अन्तर में रखता है और केवल वही ज्ञाता है।
Our outward happenings have their seed within,
And even this random Fate that imitates Chance,
This mass of unintelligible results,
Are the dumb graph of truths that work unseen:
The laws of the Unknown create the known.
हमारी बाहरी घटनाओं के कारण-बीज हमारे अन्तर में हैं,
और इस उद्देश्यहीन दैवनियति का भी है जो विधि के संयोगसम दिखती है,
हमारी बौद्धिकता से परे परिणामों का यह अम्बार,
उन सत्यों का मूक रेखांकन है जो अगोचर कार्य करते हैं:
परम-अज्ञेय के ये विधान द़ृश्य-सृष्टि की रचना करते हैं।
The events that shape the appearance of our lives
Are a cipher of subliminal quiverings
Which rarely we surprise or vaguely feel,
Are an outcome of suppressed realities
That hardly rise into material day:
They are born from the spirit’s sun of hidden powers
Digging a tunnel through emergency.
हमारे जीवनों के रूप का आकार गढ़ने वाली ये घटनाएं
अवचेतना के स्पन्दनों की एक शून्यमात्र हैं
जिन्हें हम कदाचित् ही अनुभव कर पाते या आश्चर्यचकित होते हैं,
ये एक दमित वास्तविकताओं की एक उपज हैं
जो बहुत कम हमारे संसारी दिवस में ऊपर उठ सामने आती हैं:
ये आत्मा के अन्तर सूर्य की गुप्त शक्तियों से उत्पन्न होती हैं
जो आपात्-काल में अन्तर में सुरंग खोद प्रकट हो जाती हैं।
But who shall pierce into the cryptic gulf
And learn what deep necessity of the soul
Determined casual deed and consequence?
लेकिन कौन है जो इस गुह्य गोपनीय खाड़ी में उतरेगा
और जानेगा कि अन्तरात्मा की क्या गहन आवश्यकता थी
जिसने सामान्य कार्य और परिणाम को निश्चित किया था?
Absorbed in a routine of daily acts,
Our eyes are fixed on an external scene;
We hear the crash of the wheels of Circumstance
And wonder at the hidden cause of things.
दैनिक कर्मों की एक दिनचर्या में मग्न,
हमारे नेत्र एक बहिर्जीवन द़ृश्य पर लगे हुए हैं;
दैवी परिस्थिति में काल चक्कों का गिरना हम सुनते हैं
और वस्तुओं, घटनाओं के प्रच्छन्न कारण पर आश्चर्यचकित होते हैं।
Yet a foreseeing Knowledge might be ours,
If we could take our spirit’s stand within,
If we could hear the muffled daemon voice.[52]
अभी भी एक दूरदर्शीदैवीज्ञान हमारा हो सकता है,
यदि हम अपनी आत्म-सत्ता के अन्तर में स्थित हो जाते,
यदि हम अपनी दमित प्रेरणात्मक अन्तर-वाणी सुन सकते।
Too seldom is the shadow of what must come
Cast in an instant on the secret sense
Which feels the shock of the invisible,
And seldom in the few who answer give
The mighty process of the cosmic Will
Communicates its image to our sight,
Identifying the world’s mind with ours.
कभी कदाचित् अनिवार्य भावी की छाया
पलभर को आ पड़ती है हमारे गुह्य अन्तर्बोध पर
और उसे अद़ृश्य के स्पर्शानुभव का आघात दे जाती है,
तथा कभी-कभी प्रत्युत्तर देने वालों में से कुछ को
यह वैश्विक शिव संकल्प की महती प्रक्रिया
मानवीय द़ृष्टि के समक्ष अपनी छवि प्रकटा देती है,
सृष्टि के विश्व-मानस के साथ हमारे मन की तदात्मता करा देती है।
Our range is fixed within the crowded arc
Of what we observe and touch and thought can guess
And rarely dawns the light of the Unknown
Waking in us the prophet and the seer.
इस परिपूर्ण शक्ति-चाप के अन्दर हमारा सीमित क्षेत्र निश्चित है
हमारे निरीक्षण और स्पर्श बोध की तथा विचार के अनुमान की सीमा है
और विरले क्षणों में परम-अज्ञेय का प्रकाश उदित हो उठता है
जो हमारे अन्तर में द्रष्टा और ऋषि को जगा देता है।
The outward and the immediate are our field,
The dead past is our background and support;
Mind keeps the soul prisoner, we are slaves to our acts;
We cannot free our gaze to reach wisdom’s sun.
हमारा क्षेत्र बहिर्मुखी तात्कालिकता का है,
और मृत भूतकाल हमारी पृष्ठभूमि तथा आधार है;
मन अन्तरात्मा को बन्दी बना रखता है, हम अपने कर्मों के दास हैं;
प्रज्ञा के सूर्य तक पहुंचने को हम अपनी द़ृष्टि को मुक्त नहीं कर पाते हैं।
Inheritor of the brief animal mind,
Man, still a child in Nature’s mighty hands,
In the succession of the moments lives;
To a changing present is his narrow right;
His memory stares back at a phantom past,
The future flees before him as he moves;
He sees imagined garments, not a face.
क्षणिक पाशविक बल का उत्तराधिकारी,
मानव, विश्व-प्रकृति के सामर्थ्यशाली हाथों में अभी भी एक बालक है,
वह क्षणों के अनुक्रमण में जीता है;
एक प्रतिपल बदलते वर्तमान पर ही उसका संकीर्ण सीमित अधिकार है;
अपनी स्मृति में वह पीछे मुड़कर अतीत की एक प्रेत छाया को घूरता है,
ज्यों ज्यों वह आगे बढ़ता है भविष्य उसके सामने से उड़ता जाता है;
वह कल्पित वस्त्रों को ही देख पाता है, वस्त्रधारी का मुख नहीं देखता।
Armed with a limited precarious strength,
He saves his fruits of work from adverse chance.
एक सीमित अस्थिर सामर्थ्यसे सुसज्जित हो,
वह विरोधी दुर्भाग्य से कर्म के अपने फलों की रक्षा कर लेता है।
A struggling ignorance is his wisdom’s mate.
He waits to see the consequence of his acts,
He waits to weigh the certitude of his thoughts,
He knows not what he shall achieve or when;
He knows not whether at last he shall survive,
Or end like the mastodon and the sloth
And perish from the earth where he was king.
उसके विवेक कीसाथिन एक संघर्ष-रत अविद्या है:
अपने कर्मों का परिणाम देखने की वह प्रतीक्षा करता है,
अपने विचारों की सत्यता को परखने की वह प्रतीक्षा करता है,
किन्तु क्या पायेगा या कब प्राप्त करेगा वह नहीं जानता;
अन्त तक वह जीवित रह पायेगा या नहीं, वह नहीं जानता,
या अन्त में प्राक्-ऐतिहासिक विशाल जन्तुओं समान नष्ट हो जायेगा
और इस पृथ्वी पर जहां का वह राजा था लोप हो जायेगा।
He is ignorant of the meaning of his life,
He is ignorant of his high and splendid fate.
वह अपने जीवन की यथार्थता के विषय में अनजान है,
वह अपनी उन्नत और गौरवपूर्ण नियति के विषय में अनजान है।
Only the Immortals on their deathless heights
Dwelling beyond the walls of Time and Space,
Masters of living, free from the bonds of Thought,[53]
Who are overseers of Fate and Chance and Will
And experts of the theorem of world-need,
Can see the Idea, the Might that change Time’s course,
Come maned with light from undiscovered worlds,
Hear, while the world toils on with its deep blind heart,
The galloping hooves of the unforeseen event,
Bearing the superhuman rider, near
And, impassive to earth’s din and startled cry,
Return to the silence of the hills of God;
As lightning leaps, as thunder sweeps, they pass
And leave their mark on the trampled breast of Life.
केवल अमर देवगण जो अपनी अमर ऊर्ध्वताओं में
विश्व-दिक्काल की सीमाओं के परे बसते हैं,
वे प्राणियों के प्रभु हैं,बौद्धिक विचार के बन्धनों से मुक्त हैं,
वे प्रारब्ध और देय नियति एवं अटल संकल्प के सर्वेक्षक हैं
जग-आवश्यकता के मापदण्ड के विशेषज्ञ हैं,
वे देख सकते हैं परम-विभाव की दिव्यशक्ति को जो काल का मार्ग बदल देती है,
यह ज्योति केशधारिणी यहां अशोधित लोकों से उतरकर,
सुनती है, सरपट दौड़ती अद़ृश्य दैवी घटना की पगध्वनि को,
जिस पर सवार अतिमानव समीप आ रहा है,
जब कि यह जगत् अपने अन्धे गहन हृदय के साथ श्रम-क्लान्त संघर्ष में लगा है,
तत्पश्चात् यह पृथ्वी के चीत्कार और आर्तनाद से उदासीन हो,
परमात्मा के शान्त नीरव शिखरों की ओर लौट जाती है;
और वज्र-विद्युती-चमक सम, तूफान सम वे भी गुजर जाते हैं
और जग-जीवन की कुचली छाती पर अपने चिह्न छोड़ जाते हैं।
Above the world the world-creators stand,
In the phenomenon see its mystic source.
इस जगत् के ऊर्ध्व में वे विश्वकर्मा, निर्माता प्रतिष्ठित हैं,
इस जग-द़ृश्यावलि के पीछे छिपे इसका गुह्य स्रोत देखते हैं।
These heed not the deceiving outward play,
They turn not to the moment’s busy tramp,
But listen with the still patience of the Unborn
For the slow footsteps of far Destiny
Approaching through huge distances of Time,
Unmarked by the eye that sees effect and cause,
Unheard mid the clamour of the human plane.
वे इसकी छलनामयी बहिर्लीला की ओर ध्यान नहीं देते,
समय के पलों की व्यस्त उछल-कूद कीओर नहीं मुड़ते,
किन्तु शान्त धैर्य के साथ उस अजात प्रभु की सुनते हैं
सुदूर से आती दिव्य-भावी के मन्द-मन्द पदचापों की ध्वनि को
जो युगों की दीर्घ-दूरियां पार करती आ रही हैं,
किन्तु कार्य और कारण परीक्षण करते नेत्र उसे लक्ष्य नहीं कर पाते
उसे मानवीय स्तर के कोलाहल के मध्य कान सुन नहीं सकते।
Attentive to an unseen Truth they seize
A sound as of invisible augur wings,
Voices of an unplumbed significance,
Mutterings that brood in the core of Matter’s sleep.
पर एक अगोचर परम सत्य पर एकाग्र हो वे पकड़ लेते हैं
एक ध्वनि को, एक अद़ृश्य शुभ-पंखों की सरसराहट की जैसी,
एक अखनित महत्ता कीवाचाओं की उच्चारण जैसी,
जड़तत्त्व की सुषुप्ति के मर्म में ध्यानमग्न गुंजारों की जैसी है।
In the heart’s profound audition they can catch
The murmurs lost by life’s uncaring ear,
A prophet-speech in thought’s omniscient trance.
वे अन्तर ह्रदय की गहन श्रवणेन्द्रिय द्वारा ग्रहण कर लेते हैं
उन फुसफुसाहटों को, जिन्हें प्राण के असावधान कान सुन नहीं पाते,
विचार की सर्वज्ञाता समाधि में वे एक द्रष्टा ऋषि की वाणी सुन लेते हैं।
Above the illusion of the hopes that pass,
Behind the appearance and the overt act,
Behind the clock-work chance and vague surmise,
Amid the wrestle of force, the trampling feet,
Across the triumph, fighting and despair,
They watch the Bliss for which earth’s heart has cried,
On the long road which cannot see its end
Winding undetected through the sceptic days
And to meet it guide the unheedful moving world.[54]
क्षणिक आशाओं की मृगतृष्णा के ऊर्ध्व में,
इस बाहरी प्रदर्शन तथा प्रकट कर्म के पीछे,
इस यन्त्रवत् घटनाचक्र एवं संदिग्ध अनुमान के पीछे,
अधिकार-बल की कुश्ती में, कुचलते दौड़ते पांवों तले,
शोक-सन्ताप एवं हर्ष की चिल्लाहटों के परे
इस विजय, संग्राम और निराशा के परे वे प्रतीक्षा कर रहे हैं
उस आत्मासुख की जिसके लिए धरा का हृदय रोता रहा है
इस दीर्घ पथ पर जो स्वयं अपना अन्त देख नहीं सकती है
इन अनिश्चित शंकापूर्ण दिवसों के मध्य यह धरती अलक्षित घूम रही है
उस आनन्द को भेंटने जो इस बेसुध भ्रमित संसार को मार्ग दिखाता है।
Thus will the masked Transcendent mount his throne.
ऐसे ही एक दिन वह परात्पर प्रभु अपने सिंहासन पर आरूढ़ हो जाता है।
When darkness deepens strangling the earth’s breast
And man’s corporeal mind is the only lamp,
As a thief’s in the night shall be the covert tread
Of one who steps unseen into his house.
जब अंधकार गहरा होता है इस धरती के वक्ष में श्वास घुटने लगता है
और मानव के पास संसारी मन का ही प्रकाश होता है,
तब उस घोर निशा में एक चोर समान इसके दबे पांव की आहट होती है,
उस एकम् की जो अपने ही गेह में अगोचर रहता है।
A Voice ill-heard shall speak, the soul obey,
A power into mind’s inner chamber steal,
A charm and sweetness open life’s closed doors
And beauty conquer the resisting world,
The truth-light capture Nature by surprise,
A stealth of God compel the heart to bliss
And earth grow unexpectedly divine.
अब तक अश्रुत मन्द सत्यगिरा तब बोलेगी, जिसे सुनकर जीव आज्ञापालन करेगा,
तब मन के अन्तर-कक्ष में एक आत्मबल चुपके से जाग जायेगा,
और जीवन के बन्द द्वार एक शोभा और माधुर्य की ओर उद़्घाटित हो उठेंगे
और इस प्रतिरोधी संसार पर सुन्दरता शासन करेगी,
और इस समस्त प्रकृति को हठात् परम सत्य की ज्योति अधिकृत कर चौंका देगी,
तब चितचोर की यह चोरी हृदय कोभावविभोर कर बांध लेगी
और यह जड़-धरा सहसा दिव्यता की ओर विकसित हो उठेगी।
In Matter shall be lit the spirit’s glow,
In body and body kindled the sacred birth;
Night shall awake to the anthem of the stars,
The days become a happy pilgrim march,
Our will a force of the Eternal’s power,
And thought the rays of a spiritual sun.
इस जड़तत्त्व में आत्मा की आभा प्रकाशमान हो जायेगी,
काया से काया प्रज्वलित हो इस जन्म को पावन बना देगी;
सितारों के मंगलगान से यह अन्धरात्रि जाग उठेगी,
ये दिवस तब एक सुखी प्रसन्न तीर्थ-यात्रा बन जायेंगे,
हमारे संकल्प शाश्वतप्रभु के बल की एक ऊर्जा हो जायेंगे,
और ये विचार सब एक आध्यात्मिक सूर्य की किरण होंगे।
A few shall see what none yet understands;
God shall grow up while the wise men talk and sleep;
For man shall not know the coming till its hour
And belief shall be not till the work is done.
पर इस चैत्य जन्म को विरले ही देख पायेंगे क्योंकि इसे कोई समझा नहीं है;
अन्तर में जब प्रभु विकसित होता रहा पर विज्ञजन विवाद और नींद में डूबे रहे;
और क्योंकि मानव इसके आगमन का मुहूर्त जान नहीं पायेगा
जब तक यह कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता है उसे विश्वास नहीं आयेगा।
A consciousness that knows not its own truth,
A vagrant hunter of misleading dawns,
Between the being’s dark and luminous ends
Moves here in a half-light that seems the whole:
An interregnum in Reality
Cuts off the integral Thought, the total Power;
It circles or stands in a vague interspace,
Doubtful of its beginning and its close,
Or runs upon a road that has no end;
Far from the original Dusk, the final Flame
In some huge void Inconscience it lives,
Like a thought persisting in a wide emptiness.
यहां एक विशाल चेतना है जो अपने आत्मसत्य को नहीं जानती,
यह एक स्वेच्छाचारिणी भ्रामक उषाओं के पीछे दौड़ती शिकारी है,
यह मानव जीव के अन्धेरे और प्रकाशमान दो तटों के मध्य में,
एक सम्पूर्ण सम दिखते एक धुंधले अर्ध-प्रकाश में गतिशील है:
परम-सत् में यह एक मध्यांतरीय चेतना है
जो पूर्ण सत्यविचार को, समग्र-आत्मबल को मध्य से काट देती है;
यह एक अस्पष्ट धूमिल अन्तराकाश में स्थित है या चक्कर खाती रहती है,
यह अपने आदि और अन्त के बारे में शंकित है,
या एक अन्तहीन पथ पर दौड़ती रहती है;
अपनी मूल जड़ता कीधूसरता से दूर है, अपनी अन्तिम आत्मशिखा से भी दूर
यह किसी विशाल शून्य घोर अचित् चेतना में रहती है,
एक विस्तृत रिक्तता में बसे एक विचार सम बसती है।
As if an unintelligible phrase [55]
Suggested a million renderings to the Mind,
It lends a purport to the random world.
जैसे कोई एक अबोधगम्य सूत्र हो
जिसकीलाखों व्याख्याएं मानव-मन को सुझा दी गयी हों,
जिसने इस उद्देश्यहीन संसार को एक सार्थकता उधार दे दी हो।
A conjecture leaning upon doubtful proofs,
A message misunderstood, a thought confused
Missing its aim is all that it can speak
Or a fragment of the universal word.
संदिग्ध प्रमाणों पर आधारित एक अनुमान है
एक गलत समझाया गया सन्देश है, एक संभ्रमितविचार है
जो अपने लक्ष्य को भूल चुका है और केवल इतना ही बोल पाता है
या विश्व आदि-शब्द का एक अंश हीबता सकता है।
It leaves two giant letters void of sense
While without sanction turns the middle sign
Carrying an enigmatic universe,
As if a present without future or past
Repeating the same revolution’s whirl
Turned on its axis in its own Inane.
यह पार्श्व के दो महा-शब्दों को अर्थ-शून्य छोड़ देती है
तथा बिना अनुमति के मध्यम चिह्न पर घूमती है
यह एक जटिल गुह्य विश्व को धारण कर वहन किये चल रही है,
मानों बिना भूत या भविष्य का एक वर्तमान हो
जो उसी परिक्रमा के चक्र को बार-बार दुहरा रहा हो
अपने निजी महाशून्य में अपनी ही धुरी पर घूमता हो।
Thus is the meaning of creation veiled;
For without context reads the cosmic page:
Its signs stare at us like an unknown script,
As if appeared screened by a foreign tongue
Or code of splendour signs without a key
A portion of a parable sublime.
इस प्रकार सृष्टि का अर्थ ही आवरण में छिप जाता है;
क्योंकि बिना भूमिका के जब ब्रह्माण्ड का पृष्ठ पढ़ा जाता हैः
तब इसके चिह्न हमें एक अज्ञात लिपि समान घूरते हैं,
एक विदेशी भाषा के पीछे छिपे जैसे दिखायी देते हैं
या बिना कुंजी के भव्य चिह्नों की सूत्र तालिका हो
एक अलौकिक रूपक का एक छोटा-सा अंश मात्र हो।
It wears to the perishable creature’s eyes
The grandeur of a useless miracle;
Wasting itself that it may last awhile,
A river that can never find its sea,
It runs through life and death on an edge of Time;
A fire in the Night is its mighty action’s blaze.
इस नश्वर प्राणी की आंखों के समक्ष तब यह संसार
एक निरर्थक माया की शोभा को धारण किये लगता है
जो कुछ देर को जीवित रहने के लिए स्वयं को क्षय कर रहा है,
एक सरिता समान है जो निज सागर को कभी पा नहीं सकती,
महाकाल की धार पर जीवन और मृत्यु के मध्य दौड़ती है;
पर अचित् अन्धरात्रि में भी एक अग्नि है जो इसके पराक्रमी कर्म की ज्वाला है।
This is our deepest need to join once more
What now is parted, opposite and twain,
Remote in sovereign spheres that never meet
Or fronting like far poles of Night and Day.
अभी जो विलग हैं, विरोधी हैं और पृथक् विभाजित हैं,
अपने एकछत्रीय स्तरों में एकाकी हैं जो कभी नहीं मिलते दिखते
या एक दूसरे के सामने ‘रात्रि’ और ‘दिवस’ सम दो सुदूर ध्रुव में स्थित हैं,
इनको एक बार फिर से जोड़ देना है, यही हमारी गहनतम आवश्यकता है।
We must fill the immense lacuna we have made,
Re-wed the closed finite’s lonely consonant
With the open vowels of Infinity,
A hyphen must connect Matter and Mind,
The narrow isthmus of the ascending soul:
We must renew the secret bond in things,
Our hearts recall the lost divine Idea,
Reconstitute the perfect word, unite [56]
The Alpha and the Omega in one sound;
Then shall the Spirit and Nature be at one.
Two are the ends of the mysterious plan.
हमें इस भीषण गर्त को भरना होगा जो हमने ही निर्मित किया है,
इस बन्द अनित्य के एकाकी व्यंजन को फिर से
चिरन्तनता के खुले स्वरों से जोड़ देना होगा,
जड़-तत्त्व और मनःशक्ति को एक संयोजक रेखा द्वारा मिलाना होगा,
आरोही चैत्य-पुरुष के लिए एक संकीर्ण सेतु बनाना होगा:
पदार्थों में गोपित गुह्य एकसूत्रता का नवीकरण करना होगा,
हमारे हृदयों से लुप्त दिव्य महाभाव को फिर स्थापित करना होगा,
पूर्ण परम-शब्द का पुनःगठन करना होगा,
आदि शब्द और अन्तिम वर्ण को एक ध्वनि में जोड़ना होगा;
तब विश्वात्मा और विश्व-प्रकृति एक हो जायेंगे
ये दोनों एक ही गुह्य योजना के दो ध्रुव हैं।
In the wide signless ether of the Self,
In the unchanging Silence white and nude,
Aloof, resplendent like gold dazzling suns
Veiled by the Ray no mortal eye can bear,
The Spirit’s free and absolute potencies
Burn in the solitude of the thoughts of God.
परमात्म तत्त्व के विशाल लक्षणहीन गुह्याकाश में
अविकारी, विशुद्ध धवल नग्न मूक ब्रह्म में,
अद्वितीय, स्वर्ण सूर्यों समान दीप्ति से चकाचौंध करती
उस दिव्य-किरण के पीछे गोपित है जिसे कोई मर्त्य नयन सह नहीं सकते,
ये जीवात्मा की नग्न और परिपूर्ण सामर्थ्यताएं
प्रभु संकल्पों के एकान्त में नीरव प्रज्वलित हैं।
A rapture and a radiance and a hush
Delivered from the approach of wounded hearts,
Denied to the Idea that looks at grief,
Remote from the Force that cries out in its pain,
In his inalienable bliss they live.
एक हर्षोल्लास और एक कान्ति और एक शान्ति हैं,
आहत हृदयों की पहुंच से विमुक्त हैं
उस दैवीविभाव को जो दुःख कीओर देखता है उसे नकारती हैं,
अपनी पीड़ासे चीत्कार करती अपराप्रकृति से अति दूर,
वे शक्तियां प्रभु के अभिन्न आनन्द में वास करती हैं।
Immaculate in self-knowledge and self-power,
Calm they repose on the eternal Will.
आत्म-ज्ञान और आत्म-बल की निर्मल अमरता में
वे शान्त स्थिर शाश्वत शिव संकल्प में विश्राम करती हैं।
Only his law they count and him obey;
They have no goal to reach, no aim to serve.
वे केवल उसी के विधान को मानती और अनुपालन करती हैं;
उन्हें किसी लक्ष्य को नहीं पाना है, किसी ध्येय को पूरा नहीं करना है।
Implacable in their timeless purity,
All barter or bribe of worship they refuse;
Unmoved by cry of revolt and ignorant prayer
They reckon not our virtue and our sin,
They bend not to the voices that implore,
They hold no traffic with error and its reign:
They are guardians of the silence of the Truth,
They are keepers of the immutable decree.
अपनी अकाल पवित्रता में वे अप्रशमित और अविकारी हैं,
सकल विनिमय या पूजा की रिश्वत को वे अस्वीकारती हैं;
विद्रोह की पुकार और अज्ञानी प्रार्थना पर द्रवित नहीं होतीं
वे हमारे सद़्गुण और हमारे पाप का विचार नहीं करतीं;
याचना की करुण ध्वनियों से नहीं झुकतीं,
वे दोष और उसके साम्राज्य का साथ नहीं देतीं:
वे चिर-सत्य की नीरवता की संरक्षिका शक्ति हैं,
अविकारी अटल आज्ञप्ति की वे पालनकर्त्री हैं।
A deep surrender is their source of might,
A still identity their way to know,
Motionless is their action like a sleep.
एक गहन समर्पण उनकी शक्ति का स्रोत है,
एक स्थिर तदात्मता ज्ञान प्राप्त करने की उनकी विधि है,
उनकी सक्रियता निद्रा समान स्थिर गतिहीन है।
At peace, regarding the trouble beneath the stars,
Deathless, watching the works of Death and Chance,
Immobile, seeing the millenniums pass,
Untouched while the long map of Fate unrolls,
They look on our struggle with impartial eyes,
And yet without them cosmos could not be.
शान्तिपूर्वक, नभ के तारों तले दुःख का निरीक्षण करती हैं,
अमर, वे मृत्यु-देव और विधाता के कार्यों को परखती हैं,
अटल रहकर, युगों को गुज़रते देखकर,
अस्पर्श्य रहती हैं जबकि विश्व-नियति का दीर्घ नक्शा खुलता रहता है,
वे हमारे संघर्ष को निष्पक्ष नयनों से अवलोकती हैं,
और फिर भी उनके बिना इस सृष्टि की रचना कभी नहीं हो सकती।
Impervious to desire and doom and hope,[57]
Their station of inviolable might
Moveless upholds the world’s enormous task,
Its ignorance is by their knowledge lit,
Its yearning lasts by their indifference.
वे कामना और विनाश और आशा से प्रभावित नहीं होतीं,
अति पावन विशुद्ध सामर्थ्यशाली ध्यान में वे प्रतिष्ठित हैं
अचल द़ृढ़तापूर्वक जगत् के प्रचण्ड कार्यभार को सम्भाले हैं,
यहां की अविद्या उनके ज्ञान से आलोकित है,
उनकी उदासीनता द्वारा इस जग की लालसा जीवित है।
As the height draws the low ever to climb,
As the breadths draw the small to adventure vast,
Their aloofness drives man to surpass himself.
ऊंचाइयां ज्यों निम्नता को आरोहण करने को आकर्षित करती हैं,
विस्तार ज्यों लघुता को विशाल साहसी यात्रा हेतु पुकारता है,
उनकी उदासीनता मानव को स्वयंसे आगे बढ़ने को प्रेरित करती है।
Our passion heaves to wed the eternal calm,
Our dwarf-search mind to meet the Omniscient’s force.
हमारी भावनाएं शाश्वत-प्रशान्ति को वरण करने को उमगती हैं,
हमारा वामन-खोजी मन सर्वज्ञ प्रभु की ज्योति से मिलन हित उमड़ता है,
हमारे असहाय हृदय सर्वशक्तिशाली के तेज को अपने अन्तर में स्थापित कर लेतेहैं।
Acquiescing in the wisdom that made hell
And the harsh utility of death and tears,
Acquiescing in the gradual steps of Time,
Careless they seem of the grief that stings the world’s heart,
Careless of the pain that rends its body and life;
Above joy and sorrow is that grandeur’s walk:
They have no portion in the good that dies,
Mute, pure, they share not in the evil done;
Else might their strength be marred and could not save.
नरक की रचनाकार दैवी प्रज्ञा को उनकी मौन स्वीकृति प्राप्त है
और मृत्यु और अश्रुओं की कटु उपयोगिता को वे स्वीकारती हैं,
त्रिकाल की धीमी क्रमिक पदचापों में उन्हीं की स्वीकृति है,
जगत् हृदय के सन्ताप और पीड़ा-दंश के प्रति वे उदासीन दिखती हैं,
इसके शरीर और जीवन को विदीर्ण करते दुःख के प्रति लापरवाह हैं;
सुख और दुःख के परे वे भव्यता से विचरण करती हैं:
उस पुण्य में जो मर जाता है उसका कोई अंश वे ग्रहण नहीं करती हैं,
मौन, पवित्र, वे किसी पाप में भाग नहीं लेती हैं;
जिससे कहीं उनकी शक्ति कलंकित न हो जाये और वे रक्षा न कर पायें।
Alive to the truth that dwells in God’s extremes,
Awake to a motion of all-seeing Force,
The slow venture of the long ambiguous years
And the unexpected good from woeful deeds,
The immortal sees not as we vainly see.
प्रभु की चरमताओं में बसने वाले चिर सत्य के प्रति वे सचेत हैं,
सर्वद्रष्टा चित्-शक्ति के एक गति संचालन के प्रति जाग्रत् हैं,
इन दीर्घ अस्पष्ट वर्षों का यह धीमा मन्द परिणाम
और निराशाजनक कर्मों से मिले ये आशातीत शुभ फल,
इन्हें अविनाशी तत्त्व, हमारी अहंकारी द़ृष्टि समान नहीं परखता है।
He looks on hidden aspects and screened powers,
He knows the law and natural line of things.
वह छिपे हुए पहलुओं और पट के पीछे ढके बलों को देखता है,
वह वस्तुओं के विधान और स्वाभाविक गति को जानता है।
Undriven by a brief life’s will to act,
Unharassed by the spur of pity and fear,
He makes no haste to untie the cosmic knot
Or the world’s torn jarring heart to reconcile.
एक क्षणिक जीवन का मनोरथ उसे कार्य करने को प्रेरित नहीं करता,
दया और भय के अंकुश से वह व्याकुल नहीं होता,
इस ब्रह्माण्ड की ग्रन्थि को खोल देने की अथवा
इस जगत् के विदीर्ण हृदय को जोड़ने की उसे कोई शीघ्रता नहीं है।
In Time he waits for the Eternal’s hour.
अनन्त काल से वह शाश्वत प्रभु की घड़ी की प्रतीक्षा करता है।
Yet a spiritual secret aid is there;
While a tardy Evolution’s coils wind on
And Nature hews her way through adamant
A divine intervention thrones above.
तथापि एक आध्यात्मिक गुह्य सहायता यहां विद्यमान है;
जब एक शिथिल दैवी विकास-क्रम के कुण्डल मन्थर गति से खुलते हैं
और समस्त प्रकृति देवी अभेद्यता के मध्य अपना पथ काट बनाती है
पर एक दिव्य हस्तक्षेप यहां ऊर्ध्व में अपना आधिपत्य बनाये रखता है।
Alive in a dead rotating universe
We whirl not here upon a casual globe[58]
Abandoned to a task beyond our force;
Even through the tangled anarchy called Fate
And through the bitterness of death and fall
An outstretched Hand is felt upon our lives.
एक मृत घूमते ब्रह्माण्ड में जीवित
हम यहां ऐसे ही एक आकस्मिक भूमण्डल पर नहीं आये हैं
जैसे अपनी शक्ति से परे का एक कार्य सौंप हमें छोड़ दिया हो;
तथापि इस जटिल अराजकता में जिसे दैवी भाग्य कह पुकारते हैं
और मृत्यु तथा पतन की इस कटुता के मध्य
हम अपने जीवनों पर एक वरदहस्त की सुरक्षा का अनुभव पाते हैं।
It is near us in unnumbered bodies and births;
In its unshaken grasp it keeps for us safe
The one inevitable supreme result
No will can take away and no doom change,
The crown of conscious Immortality,
The godhead promised to our struggling souls
When first man’s heart dared death and suffered life.
यह असंख्य देहों औ’ जन्मों में हमारे साथ होता है;
अपनी द़ृढ़ पकड़ में यह हमारे लिए सुरक्षित रखता है
उस अद्वितीय अनिवार्य परम परिणाम फल को
जिसे कोई संकल्प चुरा नहीं सकता औ’ कोई सर्वनाश बदल नहीं सकता है,
सचेत चैतन्य अमरतत्त्व का यही शीर्ष शिखर है,
हमारी संघर्षरत अन्तरात्माओं को देवता द्वारा दिया यह वचन था
जब प्रथम मनुज हृदय ने मृत्यु का सामना कर जीवन में दुःख झेला था।
One who has shaped this world is ever its lord:
Our errors are his steps upon the way;
He works through the fierce vicissitudes of our lives,
He works through the hard breath of battle and toil,
He works through our sins and sorrows and our tears,
His knowledge overrules our nescience;
Whatever the appearance we must bear,
Whatever our strong ills and present fate,
When nothing we can see but drift and bale,
A mighty Guidance leads us still through all.
जिस परमैकम् ने इस संसार को आकार दिया वही इसका स्वामी है:
हमारे दोष उसके मार्ग पर चलते हुए उसी के कदम हैं;
हमारे जीवनों के विषम उतार-चढा़वों द्वारा वही कार्य करता है,
संग्राम और कठोर श्रम की बोझिल श्वास में वही कार्य करता है,
हमारे पापों, दुःखों और अश्रुओं के माध्यम से भी वह कार्य करता है,
प्रभु का ज्ञान हमारी निश्चेतना को अधिकृत कर मिटा देता है;
हमारा रूप-रंग चाहेकैसा भी क्यों न हो,
हमारे पाप औ’ वर्तमान दुर्भाग्य औ’ दोष कितने भी बोझिल क्यों न हों,
जब हमें कुछ भी सहारा न दिखे और नाव मंझधार में हो,
इस सबके मध्य हमें एक शक्तिशाली आत्म-पथप्रदर्शक लिये चलता है।
After we have served this great divided world
God’s bliss and oneness are our inborn right.
जब हम इस महान् खण्ड-खण्ड बंटे संसार कीसेवा से निवृत्त हो जाते हैं
तब प्रभु के आनन्द और एकत्व पर हमारा सहज अधिकार होता है।
A date is fixed in the calendar of the Unknown,
An anniversary of the Birth sublime:
Our soul shall justify its chequered walk,
All will come near that now is naught or far.
परम अज्ञेय प्रभु के पंचांग में एक तिथि निश्चित है,
दिव्य-जन्म की एक पावन-जयन्ती निश्चित है:
तभी हमारा आत्म-पुरुष अपनी चतुरंगी चाल का औचित्य सिद्ध कर पायेगा,
अभी तक जो नहीं है वा सुदूर है तब सब समीप आ जायेगा।
These calm and distant Mights shall act at last.
अन्त में ये शान्त और सुदूरवासिनी दिव्य प्तमर्थताएं कार्य-संचालन करेंगी।
Immovably ready for their destined task,
The ever-wise compassionate Brilliances
Await the sound of the Incarnate’s voice
To leap and bridge the chasms of Ignorance
And heal the hollow yearning gulfs of Life
And fill the abyss that is the universe.
अपने नियत कार्यभार के लिए वे द़ृढ़ और तत्पर हैं,
ये चिरप्रज्ञ करुणामयी दीप्तिमयी आत्म-शक्तियां हैं
अवतारी-पुरुष कीवाचा की ध्वनि सुनने की प्रतीक्षा में हैं
घोर अविद्या के गर्तों को उछलकर सेतु बन्ध करने को
और जीवन की लालसा के खोखलेविवरों को पाट देने को
और इस विश्व की अन्धी पातालीय खाड़ी को भर देने की प्रतीक्षा में हैं।
Here meanwhile at the Spirit’s opposite pole
In the mystery of the deeps that God has built[59]
For his abode below the Thinker’s sight,
In this compromise of a stark absolute Truth
With the Light that dwells near the dark end of things,
In this tragi-comedy of divine disguise,
This long far seeking for joy ever near,
In the grandiose dream of which the world is made,
In this gold dome on a black dragon base,
The conscious Force that acts in Nature’s breast,
A dark-robed labourer in the cosmic scheme
Carrying clay images of unborn gods,
Executrix of the inevitable Idea
Hampered, enveloped by the hoops of Fate,
Patient trustee of slow eternal Time,
Absolves from hour to hour her secret charge.
तब तक यहां परमात्मा के विरोधी इस चरम-ध्रुव पर
प्रभु द्वारा रचित अगाध गर्तों की गोपनीयता में
उसने मानव की विचारशील द़ृष्टि के नीचे निज आवास बनाया है,
एक आवरणहीन परम भागवत-सत्य की स्वीकृति में
भौतिक पदार्थों के अन्धे छोर पर बसती आत्मज्योति के साथ हुए समझौते में,
मुखौटे में छिपे देवत्व के दुःखी-प्रहसन में,
सतत समीप बसते आनन्द हित दीर्घ युगों से चली आती खोज में,
जिससे इस जगत् की सृष्टि हुई है उस भव्य स्वप्न में,
एक कालिया-नाग रूपी तामसिक आधार पर रखे स्वर्णछत्र में,
यह सचेत चित्शक्ति है जो अपराप्रकृति के वक्ष में कार्यरत है,
काले लबादे में ढकी एक श्रमिक है इस विश्व योजना में
जो ढो रही है अजात देवताओं की माटी की प्रतिमाएं,
वह इस अनिवार्य भवितव्यता के दिव्य-भाव की कार्य-व्यवस्थापिका है
पर विधि के बन्धनों से घिरी और जकड़ी है,
इस मद्धिम चिर त्रिकाल की धीर निष्पादिका है,
वह प्रत्येक घड़ी अपने गुप्त कार्यभार को सम्पादित करती है।
All she foresees in masked imperative depths;
The dumb intention of the unconscious gulfs
Answers to a will that sees upon the heights,
And the evolving Word’s first syllable
Ponderous, brute-sensed, contains its luminous close,
Privy to a summit victory’s vast descent
And the portent of the soul’s immense uprise.
इन छिपी आवश्यक गहनताओं में वह सकल भविष्य देखती है;
इन अचेत गर्तों का मौन प्रयोजन जानती है
वह उच्चताओं कीओर अवलोकते एक आत्म-संकल्प को उत्तर देती है,
और वह विकसित होते आदि परम शब्द का प्रथम अक्षर है
जो तामसिक, अपरिष्कृत है, पर निज ज्योति को अन्तर में धारण किये है,
एक उच्चशिखर की विजय आरोहण से पहले का विशाल अवतरण है
और आत्मपुरुष के महान् आरोहण का यह शुभ पूर्व लक्षण है।
All here where each thing seems its lonely self
Are figures of the sole transcendent One:
Only by him they are, his breath is their life;
An unseen Presence moulds the oblivious clay.
यहां जहां प्रत्येक पदार्थ अपने में एकाकी व्यक्तित्व दिखता है
वास्तव में वे सब विभिन्नाकार हैं उसी अद्वितीय परात्पर प्रभु के:
केवल उसी के द्वारा वे अस्तित्व में हैं, उनके प्राण उसी के श्वास हैं;
एक अद़ृश्य परम सत् इस अचेत माटी को ढालता है।
A playmate in the mighty Mother’s game,
One came upon the dubious whirling globe
To hide from her pursuit in force and form.
सर्वशक्तिशालिनी मां भगवती की लीला में वही एक सखा-खिलाड़ी है,
एक अनिश्चित घूमते भूमण्डल पर वह कैवल्य यहां आया था
स्वयं को छिपाने, जब देवी ने शक्ति और रूप धारण कर उसका पीछा किया था।
A secret spirit in the Inconscient’s sleep,
A shapeless Energy, a voiceless Word,
He was here before the elements could emerge,
Before there was light of mind or life could breathe.
घोर जड़ अचित् को तामसिक निद्रा में एक गुह्य चैत्य सत्ता है,
एक आकार-रहित चित्-शक्ति, एक नादहीन परम शब्द है,
पंच-तत्त्वों के उदित होने से प्रथम वह आत्म-तत्त्व यहां विद्यमान था,
वह इस मन के प्रकाश से पहले या जीवन के श्वास लेने से पहले था।
Accomplice of her cosmic huge pretence,
His semblances he turns to real shapes
And makes the symbol equal with the truth:[60]
He gives to his timeless thoughts a form in Time.
प्रकृति देवी की ब्रह्माण्डीय विशाल योगमाया में वह भागीदार है,
अपने प्रतीकाभासों को वह वास्तविक आकृतियों में बदल देता है
और उस प्रतीक को सत्य के समान बना देता हैः
‘वह’ निज अकाल विचारों को दिक्काल में आकार देता है।
He is the substance, he the self of things;
She has forged from him her works of skill and might:
She wraps him in the magic of her moods
And makes of his myriad truths her countless dreams.
वह तत्त्व का सार है, वस्तुओं की आत्म-सत्ता है;
प्रकृति ने निज कार्यों का शिल्प औ’ शक्ति उसी से खोद निकाली हैः
वह उसे निज भावतरंगों के जादू में लपेट लेती है
और उसके असंख्य सत्यों से अपने अनगिनत सपने रच डालती है।
The Master of being has come close to her,
An immortal child born in the fugitive years.
सत्ता का परमेश्वर उसके समीप स्वयं उतर आया है,
इस नश्वर पलायनकारी काल में एक अमर देव शिशु प्रकटा है।
In objects wrought, in the persons she conceives,
Dreaming she chases her idea of him,
And catches here a look and there a gest:
Ever he repeats in them his ceaseless births.
प्रकृति उसे पदार्थों में गढ़ती है, व्यक्तित्वों में धारण करती है,
उसके बारे में अपनी भावना के अनुसार सपनाती उसके पीछे दौड़ती है,
और एक झलक यहां और एक भंगिमा वहां पकड़ लेती है:
वह भी इनमें सतत अपने अविराम जन्मों को दुहराता रहता है।
He is the Maker and the world he made,
He is the vision and he is the seer;
He is himself the actor and the act,
He is himself the knower and the known,
He is himself the dreamer and the dream.
वह परम स्रष्टा है और स्वयं अपने द्वारा रचित संसार भी वह है
वह आत्म-दर्शन है और वह आत्मद्रष्टा भी है;
वह स्वयं अपना अभिनेता है और यह द़ृश्य भी वह स्वयं है
वह स्वयं आत्म-ज्ञाता है और ज्ञान भी है,
वह स्वयं स्वप्नद्रष्टा है और स्वप्न भी है।
There are Two who are One and play in many worlds;
In Knowledge and Ignorance they have spoken and met
And light and darkness are their eyes’ interchange.
वे दो दिव्यताएं हैं पर वे एकम् हैं जो अनेक लोकों में लीला करते हैं;
विद्या और अविद्या में वे बोलते और मिलते हैं
ज्योति और अन्धकार उनके नयनों का आदान-प्रदान है।
Our pleasure and pain are their wrestle and embrace,
Our deeds, our hopes are intimate to their tale;
They are married secretly in our thought and life.
हमारे सुख दुःख उनका आलिंगन औ’ संघर्ष हैं,
हमारे कर्म, हमारी आशाओं के साथ उनकी कहानी आबद्ध है;
हमारे विचार और जीवन में वे गुप्त रूप से गठबंधित हैं।
The universe is an endless masquerade:
For nothing here is utterly what it seems,
It is a dream-fact vision of a truth
Which but for the dream would not be wholly true,
A phenomenon stands out significant
Against dim backgrounds of eternity;
We accept its face and pass by all it means;
A part is seen, we take it for the whole.
यह विश्व उनकी एक अनन्त लीला की रंगभूमि है:
क्योंकि यहां जो दिखता है वह पूरी तरह वैसा नहीं है;
यह एक सत्य का एक स्वप्न-तथ्य दर्शन है
पर यदि इस स्वप्न का अस्तित्व न होता तो यह पूर्ण सत्य नहीं बन पाता,
शाश्वतता की धूमिल पृष्ठभूमि के सामने
यह एक द़ृश्य-प्रपंच भी महत्त्वपूर्ण दिखता है;
हम इसका रूप तो स्वीकारते हैं पर सम्पूर्ण अर्थ छोड़ जाते हैं;
जो एक अंशमात्र दिखता है, हम इसे सम्पूर्ण समझ लेते हैं।
Thus have they made their play with us for roles:
Author and actor with himself as scene,
He moves there as the Soul, as Nature she.
इस प्रकार उन्होंने अपना नाटक रचा है हमें पात्र बनाकर:
स्वयं लेखक और अभिनेता और अपने को द़ृश्य बनाकरः
वह स्वयंआत्मपुरुष रूप में गतिशील है, शक्ति-रूपा प्रकृति देवी हैं।
Here on the earth where we must fill our parts,
We know not how shall run the drama’s course;
Our uttered sentences veil in their thought.[61]
यहां इस धरती पर जहां हमें अपनी भूमिकाएं निबाहनी हैं,
हम यह भी नहीं जानते कि इस नाटक का विषय क्या मोड़ लेगा;
क्योंकि हमारे उच्चारित वाक्य आत्म-पुरुष और प्रकृति के विचार को ढक लेते हैं।
Her mighty plan she holds back from our sight:
She has concealed her glory and her bliss
And disguised the Love and Wisdom in her heart.
परा-प्रकृति अपनी महती योजना को हमारी द़ृष्टि सेछिपा रखती है:
उसने अपनी महिमा औ’ अपने आत्मानन्द को गुप्त रखा है
और दिव्य प्रेम औ’ पराप्रज्ञा को अपने हृदय में छद्मवेशसे छिपा दिया है।
Of all the marvel and beauty that are hers
Only a darkened little we can feel.
उसके सम्पूर्ण आद़्भुत्य और सौन्दर्य का
हम यहां केवल अल्प कलुषित अंश मात्र अनुभव करते हैं।
He too wears a diminished Godhead here;
He has forsaken his omnipotence,
His calm he has foregone and infinity.
आत्मा भी यहां एक सूक्ष्म देवांश बन रहता है;
उसने अपनी शान्ति और अनन्तता को त्याग दिया है,
उसने अपनी सर्वव्यापकता का परित्याग कर दिया है।
He knows her only, he has forgotten himself;
To her he abandons all to make her great.
वह केवल प्रकृति को पहचानता है, और स्वयं को भूल चुका है;
उसे गुरुता प्रदान करने को वह अपना सब उस पर न्योछावर कर देता है।
He hopes in her to find himself anew,
Incarnate, wedding his infinity’s peace
To her creative passion’s ecstasy.
प्रकृति में स्वयं को पुन: पा लेने की वह पूरी आशा करता है,
देह धरकर, वह अपनी अनन्त शान्ति का गठबन्धन
प्रकृति की सृजन-शक्ति के आवेगपूर्ण उल्लास से करने की अभीप्सा करता है।
Although possessor of the earth and heavens,
He leaves to her the cosmic management
And watches all, the Witness of her scene.
यद्यपि वह इस पृथ्वी और स्वर्गों का अधिपति है,
पर इस ब्रह्माण्ड की व्यवस्था वह उस पर छोड़ देता है
और समस्त का निरीक्षण करता है, उसकी लीला का वही साक्षी-पुरुष है।
A supernumerary on her stage,
He speaks no words or hides behind the wings.
प्रकृति के रंगमंच पर वह एक अतिरिक्त पात्र बन रहता है,
जो पर्दे के पीछे छिपा रहता है या मौन निःशब्द रहता है।
He takes birth in her world, waits on her will,
Divines her enigmatic gesture’s sense,
The fluctuating chance turns of her mood,
Works out her meanings she seems not to know
And serves her secret purpose in long Time.
वह उसके संसार में जन्म लेता है, उसी की इच्छा का अनुसरण करता है,
प्रकृति के रहस्यमय संकेत को आत्मबोध द्वारा समझ जाता है,
वह उसके मनोभाव के हठात् मोड़ लेते चंचल भाव को जानता है,
वह उन अर्थों को सुलझा लेता है जिन्हें वह स्वयं समझ नहीं पाती है
और वह महायुग के दीर्घ काल में उसका गुह्य उद्देश्य पूरा करता रहता है।
As one too great for him he worships her;
He adores her as his regent of desire,
He yields to her as the mover of his will,
He burns the incense of his nights and days
Offering his life, a splendour of sacrifice.
जैसे वह उसके लिए अति महान हो ऐसे वह उसे पूजता है;
उसकी कामना की साम्राज्ञी हो ऐसे वह उसे आराधता है,
उसके संकल्प की संचालिका हो जैसे, ऐसे वह अपने को उसे सौंप देता है,
वह अपनी रात्रियों और दिवसों की धूप जलाता है
अपने जीवन की आहुति चढ़ाता है, जो यज्ञानुष्ठान का एक गौरव है।
A rapt solicitor for her love and grace,
His bliss in her to him is his whole world:
He grows through her in all his being’s powers;
He reads by her God’s hidden aim in things.
उसके प्रेम और कृपा का वह एक विमुग्ध प्रार्थी है,
पुरुष के सकल सुख का वास प्रकृति में ही है, वही उसका सम्पूर्ण संसार है:
उसके द्वारा वह अपनी सत्ता कीशक्तियों में वर्धित होता है;
वह प्रभु के छिपे लक्ष्य को उसी की भाषा से वस्तुओं में पढ़ता है।
Or, a courtier in her countless retinue,
Content to be with her and feel her near
He makes the most of the little that she gives
And all she does drapes with his own delight.[62]
या प्रकृति के अनेक सभासदों में वह भी एक दरबारी हो,
जो केवल उसके साथ रहकर और उसकी समीपता का अनुभव पा सन्तुष्ट है
जो कुछ अल्पमात्र वह उसे दे देती है उसी को अत्यधिक बना लेता है
और जो सब वह करती है उसेवह अपने आनंद से संवार धारण कर लेता है।
A glance can make his whole day wonderful,
A word from her lips with happiness wings the hours.
उसकी एक चितवन आत्म-पुरुष के पूरे दिन को अद्भुत बना सकती है,
उसके होठों से फूटा एक शब्द घड़ियों को सुख के पंख लगा देता है।
He leans on her for all he does and is:
He builds on her largesses his proud fortunate days
And trails his peacock-plumaged joy of life
And suns in the glory of her passing smile.
वह अपनी अभिव्यक्ति तथा सकल कार्य हित उसी पर निर्भर है;
वह उसके उदार दान पर अपने गरिमामय भाग्यशाली दिवसों को रचता है,
और अपने जीवन के सुख को मोर-पंख समान प्रदर्शित करता विचरता है
और वह उसकी उड़ती मुस्कान की गरिमा में धूप सेंकता है।
In a thousand ways he serves her royal needs;
He makes the hours pivot around her will,
Makes all reflect her whims; all is their play:
This whole wide world is only he and she.
सहस्त्रों विधियों द्वारा वह उसकी शाही आवश्यकताओं की पूर्ति करता है;
उसके संकल्प के चारोंओर वह अपने घण्टों को घुमाता रहता है,
समस्त में उसी की मनमौजों को आभासित करता है; सम्पूर्ण सृष्टि उनका ही नाटक है:
यह अखिल विशाल जगत् केवल पुरुष और प्रकृति है।
This is the knot that ties together the stars:
The Two who are one are the secret of all power,
The Two who are one are the might and right in things.
यही ग्रन्थि है जी सितारों को आपस में बांध रखती हैः
ये‘दो परम्’ जो एकम् हैं सम्पूर्णशक्ति का गुप्त रहस्य हैं,
ये ‘दो परम्’ जो एक हैं पदार्थों में सामर्थ्य औ’ यथार्थ हैं।
His soul, silent, supports the world and her,
His acts are her commandment’s registers.
पुरुष का आत्मत्व, मौन, इस संसार औ’ प्रकृति का आधारतत्त्व है,
उसके कर्मों में प्रकृति के आदेश लिखे होते हैं।
Happy, inert, he lies beneath her feet:
His breast he offers for her cosmic dance
Of which our lives are the quivering theatre,
And none could bear but for his strength within,
Yet none would leave because of his delight.
प्रसन्नचित्त, वह उसके चरणों में निष्क्रिय लेटा रहता है:
उसके ब्रह्माण्डीय नृत्य के लिए अपनी छाती खोल देता है
हमारे जीवन भी उसी नृत्य की कम्पित रंगशाला हैं,
और इसका भार कोई नहीं सह पाता यदि आत्म-बल अन्तर में न होता,
फिर भी कोई नहीं छोड़ पाता क्योंकि उसका आत्मानन्द साथ है।
His works, his thoughts have been devised by her,
His being is a mirror vast of hers:
Active, inspired by her he speaks and moves;
His deeds obey her heart’s unspoken demands:
Passive, he bears the impacts of the world
As if her touches shaping his soul and life:
His journey through the days is her sun-march;
He runs upon her roads; hers is his course.
उसके कर्मों, उसके विचारों को प्रकृति ही निर्धारित करती है,
आत्मपुरुष की सत्ता प्रकृति का ही एक विशाल दर्पण है;
उसके द्वारा प्रेरित हो वह सक्रिय हो बोलता और गति करता है;
उसके हृदयों की अनकही मांगों को पूरी करने को वह कर्म करता है:
निष्क्रिय होकर वह जगत् के आघातों को सहता है,
मानों प्रकृति के स्पर्शोंसे उसकी आत्मा औ’ जीवन रूपायित होते हैं:
दिवसों के मध्य उसकी यात्रा में प्रकृति का उज्ज्वल प्रयाण गुजरता है;
वह उसी के मार्गों पर दौड़ता है, उसका पथ ही उसकी दिशा है।
A witness and student of her joy and dole,
A partner in her evil and her good,
He has consented to her passionate ways,
He is driven by her sweet and dreadful force.
उसके सुख औ’ दान का वह साक्षी और विद्यार्थी है,
उसके शुभ औ’ उसके अशुभ में वह हिस्सेदार है,
उसकी आवेशभरी युक्तियों का अनुमन्ता वह है,
वह उसकी मधुर और भीषण ऊर्जा द्वारा संचालित होता है।
His sanctioning name initials all her works;
His silence is his signature to her deeds;
In the execution of her drama’s scheme,[63]
In her fancies of the moment and its mood,
In the march of this obvious ordinary world
Where all is deep and strange to the eyes that see
And Nature’s common forms are marvel-wefts,
She through his witness sight and motion of might
Unrolls the material of her cosmic Act,
Her happenings that exalt and smite the soul,
Her force that moves, her powers that save and slay,
Her Word that in the silence speaks to our hearts,
Her silence that transcends the summit Word,
Her heights and depths to which our spirit moves,
Her events that weave the texture of our lives
And all by which we find or lose ourselves,
Things sweet and bitter, magnificent and mean,
Things terrible and beautiful and divine.
स्वीकृति रूप उसके लघु हस्ताक्षर प्रकृति के सकल कार्यों पर अंकित हैं;
आत्म-पुरुष का मौन ही हस्ताक्षर है प्रकृति के दस्तावेजों पर;
प्रकृति अपने नाटक की परियोजना के प्रस्तुतीकरण में
अपनी कल्पनाओं के क्षणों में और मौज तरंगों में,
इस प्रत्यक्ष दिखते साधारणसे संसार के इस प्रयाण में
जहां पर द्रष्टा के नयनों के लिए सब गहन औ’ विचित्र है
प्रकृति देवी के साधारण आकार भी चमत्कार से बुने हैं
वह आत्म-पुरुष की साक्षी द़ृष्टि और शक्ति-संचालन द्वारा
अपने ब्रह्माण्डीय दिव्य-कर्म के द्रव्यों को उद़्घाटित कर प्रकटाती है,
प्रकृति की घटनाएं अन्तर पुरुष को उन्नत करती और उस पर आघात करती हैं,
उसी की ऊर्जा संचालन करती है और उसी की शक्तियां रक्षा करती और मारती हैं,
उसी का परम शब्द है जो नीरवता में हमारे अन्तर में बोलता है,
उसी की निःशब्दता है जो परम शब्द के शिखर को पार कर जाती है,
उसी की ऊंचाइयां और गहनताएं है जहां हमारी आत्मा गति करती है,
प्रकृति के ही व्यापार हमारे जीवनों का ताना-बाना बुनते हैं
और वे सब सम्भावनाएं जिनके द्वारा हम स्वयं को पा लेते या खो देते हैं,
वस्तुएं जो मधुर और कड़वी हैं, भव्य और नीच हैं,
वस्तुएं जो भयानक हैं और मनोहर और दिव्य हैं।
Her empire in the cosmos she has built,
He is governed by her subtle and mighty laws.
इस सकल ब्रह्माण्ड में उसने अपने साम्राज्य की सृष्टि बनायी है,
पुरुष भी उसके सूक्ष्म और सक्षम विधानों द्वारा शासित है।
His consciousness is a babe upon her knees,
Her endless space is the playground of his thoughts,
His being a field of her vast experiment;
She binds to knowledge of the shapes of Time
And the creative error of limiting mind
And chance that wears the rigid face of fate
And her sport of death and pain and Nescience,
His changed and struggling immortality.
उसकी चेतना प्रकृति की गोद में खेलता एक शिशु है,
उसकी अनन्त दिशाएं बाल-विचारों के लिए क्रीड़ा का मैदान हैं,
उसका व्यक्तित्व प्रकृति के विशाल परीक्षण का क्षेत्र है,
वह युगान्तरीय ज्ञान के आकारों को आपस में जोड़ देती है
और सीमित मन की रचनात्मक भूलों औ’ दोषों को
और उस दैवयोग को जो भाग्य का कठोर वेष धारण कर आता है
औ’ अपने मृत्यु और पीड़ा एवं घोर निश्चेतना के खेल के साथ,
पुरुष की परिवर्तित और संघर्षरत अमरता को मिला दिया है।
His soul is a subtle atom in a mass,
His substance a material for her works.
उसकी आत्मा इस स्थूल ढेर में एक अति सूक्ष्म अणु है,
उसका सारतत्त्व प्रकृति के कार्यों के लिए एक भौतिक-तत्त्व है।
His spirit survives amid the death of things,
He climbs to eternity through being’s gaps,
He is carried by her from Night to deathless Light.
पदार्थों की मृत्यु के बीच भी उसका जीव-तत्त्व सुरक्षित रहता है,
सत्ता के अन्तरालों के द्वारा वह शाश्वतता की ओर चढ़ता है,
प्रकृति ही उसे काल-निशा से अमर दिव्य प्रकाश कीओर ले जाती है।
This grand surrender is his free-will’s gift,
His pure transcendent force submits to hers.
यह भव्य समर्पण उसके अपने स्वतन्त्र संकल्प का उपहार है,
पुरुष की विशुद्ध परा-शक्ति भी प्रकृति को समर्पित है।
In the mystery of her cosmic ignorance,
In the insoluble riddle of her play,
A creature made of perishable stuff,
In the pattern she has set for him he moves,[64]
He thinks with her thoughts, with her trouble his bosom heaves;
He seems the thing that she would have him seem,
He is whatever her artist will can make.
उसकीभौतिक-अविद्या की इस गुह्य जटिलता में,
उसकी लीला की समाधान से परे की इस पहेली में,
वह नश्वर तत्त्व से रचित एक प्राणी बन रहता है,
प्रकृति द्वारा निर्धारित सीमित रूप-रेखा में वह संचरण करता है,
वह उसके विचारों से सोचता है, उसके कष्ट से उसकी छाती भर आती है;
वह वस्तु को वैसे ही देखता है जैसे वह उसकी प्रतीति कराती है,
वह वही बन जाता है जो उसका शिल्पी संकल्प उसे बना देता है।
Although she drives him on her fancy’s roads,
At play with him as with her child or slave,
To freedom and the Eternal’s mastery
And immortality’s stand above the world,
She moves her seeming puppet of an hour.
यद्यपि प्रकृति उसे अपनी कल्पना के पथों पर चलाती है,
वह उसके साथ अपने शिशु समान या दास समान खेलती है,
पर वह अपने इस एक घड़ी के कठपुतली सम दिखते पुतले को
संचारित करती है मुक्ति की और चिरन्तन की पूर्णता कीओर,
और संसार की उच्चतम स्थिति अमरता कीओर।
Even in his mortal session in body’s house
An aimless traveller between birth and death,
Ephemeral dreaming of immortality,
To reign she spurs him. He takes up her powers;
He has harnessed her to the yoke of her own law.
यहां तक कि इस देह-गेह के अपने मर्त्य-सत्र में भी,
जीवन और मृत्यु के मध्य यात्रा करता वह एक लक्ष्यहीन पथिक है,
अति अल्पजीवी है पर अमरता का स्वप्न देखता है,
उसे राज्य करने को वह एड़ लगाती है।वह प्रकृति की शक्तियों पर अधिकार कर
उसे उसके अपने ही विधान के हल में जोत देता है।
His face of human thought puts on a crown.
तब वह उसके मानवीय विचारशील मस्तक पर एक मुकुट जैसा सुशोभित हो जाता है।
Held in her leash, bound to her veiled caprice,
He studies her ways if so he may prevail
Even for an hour and she work out his will;
He makes of her his moment passion’s serf:
To obey she feigns, she follows her creature’s lead:
For him she was made, lives only for his use.
प्रकृति के पाश में जकड़ा, उसकी गुप्त माया की छलना से बंधा,
वह उसी की विधियों का अध्ययन करता है जिससे उस पर अधिकार कर सके
कुछ अवधि के लिए वह उसकी मनोकामना के अनुसार कार्य करती है;
पर वह उसे अपने क्षणिक भावावेश की दासी बना लेता है:
उसके आदेशानुसार चलने का स्वांग रचती है पर वह अपने जीव का अनुकरण करती है:
उसी के लिए तो वह बनी थी, केवल उसी के उपयोग हित वह जीवित है।
But conquering her, then is he most her slave;
He is her dependent, all his means are hers;
Nothing without her he can, she rules him still.
किन्तु जय करने के पश्चात् भी वह उसका पूर्णता से दास है;
वह उसी पर आश्रित है, उसके सकल साधन प्रकृति के है;
उसके बिना वह कुछ भी नहीं है, उस पर अभी तक प्रकृति का शासन है।
At last he wakes to a memory of Self:
He sees within the face of deity,
The Godhead breaks out through the human mould:
Her highest heights she unmasks and is his mate.
अन्त में एक दिन परमात्मा तत्त्व की स्मृति उसमें जाग उठती हैः
वह निज अन्तर में दिव्यता का मुख अवलोकता है;
नर के ढांचे से नारायण बाहर झांकता है;
प्रकृति अपने सर्वोच्च शिखरों को उद़्घाटित कर उसकी सहचरी बन जाती है।
Till then he is a plaything in her game;
Her seeming regent, yet her fancy’s toy,
A living robot moved by her energy’s springs,
He acts as in the movements of a dream,
An automaton stepping in the grooves of Fate,
He stumbles on driven by her whip of Force:
His thought labours, a bullock in Time’s fields;
His will he thinks his own, is shaped in her forge.
जब तक वह उसकी लीला में मात्र खेल की एक वस्तु रहता है;
उसका अधिपति दिखता है, फिर भी उसकी मन-तरंगों का एक खिलौना है,
एक जीता-जागता रोबोट जो उसकी ऊर्जा के स्त्रोतों से गति करता है,
जैसे एक स्वप्न में चलता हो ऐसे वह कार्य करता है
एक स्वचालित कल-पुतला आकर महाभाग्य के खांचों में जुड़ गया हो,
जो प्रकृति की दैवी ऊर्जा के चाबुक से संचालित गिरता पड़ता चलता हो:
वह अपने विचारों से ऐसे श्रम में जुता रहता है जैसे काल के खेत का एक बैल हो;
जिस मनोरथ को वह अपना निजी सोचता है, उसे भी प्रकृति ने अपनी भट्ठी में गढ़ा है।
Obedient to World-Nature’s dumb control,[65]
Driven by his own formidable Power,
His chosen partner in a titan game
Her will he has made the master of his fate,
Her whim the dispenser of his pleasure and pain;
He has sold himself into her regal power
For any blow or boon that she may choose:
Even in what is suffering to our sense,
He feels the sweetness of her mastering touch,
In all experience meets her blissful hands;
On his heart he bears the happiness of her tread
And the surprise of her arrival’s joy
In each event and every moment’s chance.
विश्व-प्रकृति देवी के मूक नियन्त्रण की वह आज्ञा मानता है,
वह अपनी निजी दुर्जेय आत्म-शक्ति द्वारा संचालित हो,
इस घोर विशाल लीला में अपने द्वारा चुनी इस साथिन की इच्छा को
उसने अपनी नियति की स्वामिनी बना लिया है,
प्रकृति की सनक उसके हर्ष और पीड़ा कीदाता है;
उसने स्वयं को उसकी शाही शक्ति के हाथों बेच दिया है
वह उसके लिए आघात या वरदान कुछ भी चुन लेती है:
यहां तक हमारे बोध को जो यातनाकारी लगता है,
वह उसमें भी उसके उत्कृष्ट स्पर्श की मधुरता का अनुभव पाता है,
सकल अनुभूतियों में उसी के सुखदायी हाथ का स्पर्श पाता है;
अपने हृदय पर वह उसके चरण-चाप को सुख से सहता है
और उसके आगमन पर हर्ष से चकित रह जाता है
और प्रत्येक घटना और प्रत्येक मुहूर्त का अवसर उसे आनन्द से भर देता है।
All she can do is marvellous in his sight:
He revels in her, a swimmer in her sea,
A tireless amateur of her world-delight,
He rejoices in her every thought and act
And gives consent to all that she can wish;
Whatever she desires he wills to be:
The Spirit, the innumerable One
He has left behind his lone eternity,
He is an endless birth in endless Time,
Her finite’s multitude in an infinite space.
उसकी द़ृष्टि में उसके समस्त कार्य अद्भुत हैं:
वह उसी में रमता है; उसी के सागर का एक तैराक है,
उसके संसारी-सुख का एक उत्साही रसिया है,
वह उसके प्रत्येक विचार और कर्म में हर्षित होता है
और उसकी सकल कामनाओं हित स्वीकृति दे देता है;
जो वह चाहती है वह वही बनने का संकल्प करता है:
वह सर्वभूतेश्वर है, असंख्य प्राणियों का परमैकम् है
उसने अपनी कैवल्य अनन्तता को पीछे छोड़ दिया है,
वह चिर-काल में जन्मता एक अनन्त जन्म है,
प्रकृति की अनित्य बहुसंख्या में एक नित्य आकाश है।
The master of existence lurks in us
And plays at hide and seek with his own Force;
In Nature’s instrument loiters secret God.
सृष्टि का स्वामी हमारे अन्तर में छिपा बसता है
और अपनी आत्म चित्शक्ति के साथ लुका-छिपी खेलता है;
रहस्यमय परमेश्वर विश्व-प्रकृति में उसका साधन बन रमता है।
The Immanent lives in man as in his house;
He has made the universe his pastime’s field,
A vast gymnasium of his works of might.
यह अन्तर्यामी मानव के अन्तर में निज धाम सम रहता है;
उसने इस विश्व को अपनी लीला की भूमि बनाया है,
अपनी शक्ति के कार्यों के लिए एक विशाल कर्म-क्षेत्र बनाया है।
All-knowing he accepts our darkened state,
Divine, wears shapes of animal or man;
Eternal, he assents to Fate and Time,
Immortal, dallies with mortality.
सर्वज्ञ-प्रभु ने हमारी अन्ध अज्ञान की स्थिति को स्वीकारा है,
देवता ने पशु या मानव का रूप धारा है;
चिरन्तन होकर भी वह दैवनियति और काल के बन्धन में बंध गया है,
अमर होकर वह मृत्यु के संग विहार कर विचरता है।
The All-Conscious ventured into Ignorance,
The All-Blissful bore to be insensible.
वह परम चैतन्य इस घोर अचित् अविद्या में अवतरित हुआ है,
सच्चिदानन्द-घन ने संज्ञाहीन-अचित् का बोझ उठाया है।
Incarnate in a world of strife and pain,[66]
He puts on joy and sorrow like a robe
And drinks experience like a strengthening wine.
इस संसार के संघर्ष और पीड़ा में अवतरित होकर,
वह हर्ष और विषाद को एक वस्त्र सम ओढ़ लेता है
और अनुभव को एक बलवर्धक मदिरा सम पी लेता है।
He whose transcendence rules the pregnant Vasts,
Prescient now dwells in our subliminal depths,
A luminous individual Power, alone.
वह जिसकी परात्परता इन सार-गर्भित असीम विस्तारों पर राज्य करती है,
वह त्रिलोकदर्शी अब हमारी अवचेतन गहनताओं में बसता है,
वह एक तेजस्वी व्यक्तिगत चित्-शक्ति, एकाकी है।
The Absolute, the Perfect, the Alone
Has called out of the Silence his mute Force
Where she lay in the featureless and formless hush
Guarding from Time by her immobile sleep
The ineffable puissance of his solitude.
उस परंतप ने, उस पूर्ण तत्त्व ने उस परमैकम् ने
अपनी मूक पराशक्ति का चिर-नीरवता से बाहर आवाहन किया था
जहां पर वह अरूपायित और आकारहीन निस्तब्धता में सोयी थी,
अपनी अचल निद्रा के द्वारा वह महाकाल से रक्षा कर रही थी
उसके एकान्त की अनिर्वचनीय तपस्या की।
The Absolute, the Perfect, the Alone
Has entered with his silence into space:
He has fashioned these countless persons of one self;
He lives in all, who lived in his Vast alone;
Space is himself and Time is only he.
वह परंतप, वह पूर्णतत्त्व, वह परमैकम्
निज नीरवता के साथ दिशाओं में प्रवेश कर गया:
उसने अपनी एक सत्ता से इन असंख्य सत्ताओं को रच डाला है;
उसने अपनी आत्म-शक्ति कीलाखों आकारों में सृष्टि कर डाली है;
अब वह समस्त में बसता है, जो अपने एकाकी महाकाश में बसता था;
वह स्वयं ही भुवनाकाश है और महाकाल भी केवल वह है।
The Absolute, the Perfect, the Immune,
One who is in us as our secret self,
Our mask of imperfection has assumed,
He has made this tenement of flesh his own,
His image in the human measure cast
That to his divine measure we might rise;
Then in a figure of divinity
The Maker shall recast us and impose
A plan of godhead on the mortal’s mould
Lifting our finite minds to his infinite,
Touching the moment with eternity.
वह परंतप, वह पूर्णतत्त्व, वह अविकारी प्रभु,
वह परमैकम् है जो हमारे में हमारा गुह्य जीव है,
उसने हमारी अपूर्णता के छद्मवेष को धारण किया है,
उसने इस मांसल देह को अपना निजी गेह बनाया है,
अपने प्रतिबिम्ब को मानवीय सांचे में ढाल दिया है,
जिससे उसके दिव्य माप में हम उन्नत हो सकें;
तब विश्वकर्मा हमें फिर से एक दिव्यता के आकार में
ढाल देगा, और आरोपित कर देगा देवत्व में
एक योजना इस नश्वर मानव काया पर,
इस तरह हमारे नश्वर मनों को अपनी अमरता की ओर उठाकर,
इस क्षण को शाश्वतता का संस्पर्श दे देगा।
This transfiguration is earth’s due to heaven:
A mutual debt binds man to the Supreme:
His nature we must put on as he put ours;
We are sons of God and must be even as he:
His human portion, we must grow divine.
यह रूपान्तर पृथ्वी को स्वर्ग से मिलनेवाला एक देना-पावना हैः
एक आपसी ऋण ने मानव को पुरुषोत्तम से बांध दिया है:
हमें उसकी प्रकृति अपनानी है जैसे उसने हमारी धारणा की है;
हम उसके बालक हैं और हमें उसके समान बनना है:
उसके मानवीय अंश, हमें दिव्य बनकर विकसित होना है।
Our life is a paradox with God for key.
हमारा जीवन एक विरोधाभास है, जिसकी कुंजी परमेश्वर है।
But meanwhile all is a shadow cast by a dream
And to the musing and immobile Spirit
Life and himself don the aspect of a myth,[67]
The burden of a long unmeaning tale.
किन्तु अभी तो सब एक स्वप्न में छायी एक धूमिलता है
और इस विचारशील और अचल-स्थिर जीवात्मा को
यह अपना जीवन और स्वयं अपना व्यक्तित्व तक एक रहस्यपूर्ण रूप है,
एक लम्बी अर्थहीन बोझिल कथा सम भारी लगता है।
For the key is hid and by the Inconscient kept;
The secret God beneath the threshold dwells.
क्योंकि घोर-अचित् ने इसकी कुंजी को छिपा लिया है;
यह गुह्य प्रभु अचित् की अवसीमा के तले में बसता है।
In a body obscuring the immortal Spirit
A nameless Resident vesting unseen powers,
With Matter’s shapes and motives beyond thought
And the hazard of an unguessed consequence,
An omnipotent indiscernible Influence,
He sits, unfelt by the form in which he lives
And veils his knowledge by the groping mind.
वह अविनाशी परम-तत्त्व एक देह के तमस में ओझल हो गया है
अनामी दिव्यगृही को उसने अनेक अद़ृश्य शक्तियों से सज्जित कर दिया है,
जड़तत्त्व की आकृतियों में और विचारातीत उद्देश्यों के साथ
और एक अकल्पित परिणाम के संकटों को उठाता
एक सर्वशक्तिशाली अगोचर बुद्धि से परे वह अन्तर में आसीन है,
पर वह जिस शरीर में रहता है वही उसको अनुभव नहीं कर पाता है,
क्योंकि इस टटोलते मन से वह अपनी पहचान छिपा लेता है।
A wanderer in a world his thoughts have made,
He turns in a chiaroscuro of error and truth
To find a wisdom that on high is his.
अपने विचारों द्वारा रचित इस जगत् में विचरता एक घुमक्कड़ है,
जिसे उसने सत्य औ’ भ्रान्ति के एक धूप-छाया के चित्र में बदल दिया है
वह एक प्रज्ञा को खोजता फिरता है जो उच्च लोक में उसकी अपनी है।
As one forgetting he searches for himself;
As if he had lost an inner light he seeks:
As a sojourner lingering amid alien scenes
He journeys to a home he knows no more.
ज्यों कोई स्वयं को विस्मृत कर अपने को ही खोजता हो;
जैसे कि वह अपने अन्तरप्रकाश को खोकर उसे ढूंढ़ता हो:
वह एक प्रवासी सम है जो अपरिचित द़ृश्यों में भटकता है
वह उस गृह की ओर जिसकी उसे स्मृति नहीं है, यात्रा करता है।
His own self’s truth he seeks who is the Truth;
He is the Player who became the play,
He is the Thinker who became the thought;
He is the many who was the silent One.
वह अपना आत्म-सत्य खोजता है स्वयं परम-सत्य है,
वह स्वयं लीलाधर है जो लीला बन गया,
वह परम विचारक है जो विचार बन गया,
वह असंख्य रूपों में है जो मौन परमेकम् था।
In the symbol figures of the cosmic Force
And in her living and inanimate signs
And in her complex tracery of events
He explores the ceaseless miracle of himself,
Till the thousandfold enigma has been solved
In the single light of an all-witnessing Soul.
इस ब्रह्माण्डीय दैवी-ऊर्जा के प्रतीक आकारों में
और प्रकृति के जीवन्त औ’ निर्जीव चिह्नों में
और उसकी घटनाओं की जटिल नक्काशी में
वह स्वयं के अनन्त चमत्कार का अन्वेषण करता है,
जब तक यह सहस्त्रपर्ती पहेली सुलझ नहीं जाती है
एक सर्व-साक्षी परमात्मा की अकेली ज्योति में।
This was his compact with his mighty mate,
For love of her and joined to her for ever
To follow the course of Time’s eternity,
Amid magic dramas of her sudden moods
And the surprises of her masked Idea
And the vicissitudes of her vast caprice.
अपनी सक्षम साथिन के साथ यही उसका समझौता था,
उसके प्रेम के निमित्त और उससे सदा के लिए जुड़ जाने के लिए
महाकाल के मार्ग पर अनन्त युगों तक उसके पीछे चलने का,
प्रकृति की हठात् उठती मनमौजी तरंगों के जादुई नाटकों में
और उसके छद्मवेषी पराभाव की विचित्रताओं में
और उसके विशाल मायावी छलावों में अनुसरण करने का।
Two seem his goals, yet ever are they one
And gaze at each other over bourneless Time;
Spirit and Matter are their end and source.[68]
यद्यपि उसके दो ध्येय दिखते हैं, पर वे सतत एक हैं
और अनन्त युगों के ऊर्ध्व में एक दूसरे को अपलक निहारते;
आत्म-तत्त्व और जड़-तत्त्व उनका आदि और अन्त है।
A seeker of hidden meanings in life’s forms,
Of the great Mother’s wide uncharted will
And the rude enigma of her terrestrial ways
He is the explorer and the mariner
On a secret inner ocean without bourne:
He is the adventurer and cosmologist
Of a magic earth’s obscure geography.
जीवन के आकारों में छिपे अर्थों को खोजता एक जिज्ञासु है,
जगदीश्वरी मां के फैले इस विशाल अज्ञात संकल्प का
तथा उसके पार्थिव पथों की इस अगठित कठिन समस्या का
वह अन्वेषक है और नाविक है
इस अन्तर के असीम रहस्यमय महासागर काः
वह साहसी अभियानों का यात्री है और विद्यार्थी है ब्रह्माण्ड का,
इस जादुई भूमण्डल के अस्पष्ट भूगोल का विज्ञानी है।
In her material order’s fixed design
Where all seems sure and, even when changed, the same,
Even though the end is left for ever unknown
And ever unstable is life’s shifting flow,
His paths are found for him by silent fate;
As stations in the age’s weltering flood
Firm lands appear that tempt and stay awhile,
Then new horizons lure the mind’s advance.
प्रकृति की भौतिक जड़ व्यवस्था की द़ृढ़ योजना में
जहां सब निश्चित दिखता है और परिवर्तन करने पर, वैसा ही रहता है
यद्यपि अन्त सदा ही अज्ञात रखा जाता है
और जीवन का अस्थिर प्रवाह सतत बदलता रहता है,
फिर भी मौन नियति उसके लिए मार्गों को खोज लेती है;
युगों के गहरे लहराते बाढ़ प्रवाहों में पड़ावों जैसे
द़ृढ़ भूमिखण्डप्रकट होते हैं जो कुछ देर ठहरने को आकर्षित करते हैं
तब नव क्षितिज उदित हो मन को प्रगतिहितललचाते हैं।
There comes no close to the finite’s boundlessness,
There is no last certitude in which thought can pause
And no terminus of the soul’s experience.
पर कहीं भी इस अनित्यता की असीमता का अन्त नहीं दिखायी देता,
यहां कोई अन्तिम सत्य नहीं है जहां विचार विश्राम ले सके
और अन्तरात्मा की अनुभूति का कोई समापन नहीं है।
A limit, a farness never wholly reached,
An unattained perfection calls to him
From distant boundaries in the Unseen:
A long beginning only has been made.
एक सीमा, एक दूरी है पर उस तक पूर्णत: कभी पहुंच नहीं पाते,
अज्ञात प्रभु की सुदूर सीमाओं से
एक अप्राप्त पूर्णता उसको पुकारती है:
अभी तो केवल एक दीर्घ आरम्भ मात्र हो पाया है।
This is the sailor on the flow of Time,
This is World-Matter’s slow discoverer,
Who, launched into this small corporeal birth,
Has learnt his craft in tiny bays of self,
But dares at last unplumbed infinitudes,
A voyager upon eternity’s seas.
त्रिकाल के प्रवाह का यही नाविक है,
इस भौतिक जड़-तत्त्व का चिरकारी अन्वेषक है,
जिसे, इस छोटी पंचतत्त्वीय देह में जन्म देकर उतार दिया गया है,
उसने अपना शिल्प अहम् की लघु खाड़ियों में सीखा है,
किन्तु अन्त में अगाध असीमताओं की ओर जाने का साहस करता है,
वह शाश्वतताओं के सागरों का एक दुस्साहसी वीर नाविक है।
In his world-adventure’s crude initial start
Behold him ignorant of his godhead’s force,
Timid initiate of its vast design.
अपनी साहसी संसार-यात्रा की अनगढ़ आरम्भिक प्रस्थान बेला में
वह अपने दैवी आत्म-शौर्य से अनजान दिखायी देता है,
इसकी विशाल परियोजना का एक भयभीत नया दीक्षक लगता है।
An expert captain of a fragile craft,
A trafficker in small impermanent wares,
At first he hugs the shore and shuns the breadths,
Dares not to affront the far-off perilous main.[69]
इस नाजुक नश्वर नौका का एक निपुण नाविक वह
तुच्छ अस्थायी पदार्थों का एक व्यापारी लगता है,
प्रथम वह तट से चिपका चलता है और विस्तारों से बचता है,
सुदूर की संकटभरी मुख्य धारा में जाने का साहस नहीं करता है।
He in a petty coastal traffic plies,
His pay doled out from port to neighbour port,
Content with his safe round’s unchanging course,
He hazards not the new and the unseen.
वह एक छोटे तटीय यातायात में व्यापार करता है,
एक बन्दरगाह से दूसरे तक पहुंचते हुए उसका वेतन चुक जाता है,
वह अपनी अपरिवर्तित सुरक्षित फेरी के साथ सन्तुष्ट दिखता है,
वह नये अज्ञात खतरे मोल नहीं लेता है।
But now he hears the sound of larger seas.
किन्तु अब उसे महत्तर सागरों का नाद सुनायी पड़ता है।
A widening world calls him to distant scenes
And journeyings in a larger vision’s arc
And peoples unknown and still unvisited shores.
एक विस्तृत लोक के सुदूर द़ृश्यों से उसका आवाहन आता है
और एक बृहत्तर परात्पर-दर्शन के घेरे यात्रा हित पुकारते हैं
और अभी तक अज्ञात जन औ’ अदर्शित तटों से निमन्त्रण आता है।
On a commissioned keel his merchant hull
Serves the world’s commerce in the riches of Time
Severing the foam of a great land-locked sea
To reach unknown harbour lights in distant climes
And open markets for life’s opulent arts,
Rich bales, carved statuettes, hued canvases,
And jewelled toys brought for an infant’s play
And perishable products of hard toil
And transient splendours won and lost by the days.
उसका व्यापारी-पोत एक अधिकृत तट पर
युग की समृद्धियों द्वारा संसार के व्यापार की सेवा करता है
एक महान् भूमिखण्डसेघिरे सागर की लहरों को काटता चलता है
सुदूर परिवेश में अज्ञात बंदरगाह पर चमकते प्रकाश तक पहुंच जाने को,
और जीवन के समृद्ध शिल्पों के लिए नयी मण्डियां खोलने को,
मूल्यवान् माल,तक्षित मूर्तियां, रंगीन चित्रपटों की,
और बच्चों के खेलहित लाये जड़ाऊ खिलौनों की,
और कठोर परिश्रम से तैयार नाशवान् पदार्थों की
और क्षण भंगुर विजित शोभाओं की जो शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं।
Or passing through a gate of pillar-rocks,
Venturing not yet to cross oceans unnamed
And journey into a dream of distances
He travels close to unfamiliar coasts
And finds new haven in storm-troubled isles,
Or, guided by a sure compass in his thought,
He plunges through a bright haze that hides the stars,
Steering on the trade-routes of Ignorance.
अथवाशिला-स्तम्भों के एक द्वार से निकलता है,
किन्तु अभी भी अनामी महासागरों को पार करने का
और सुदूर में स्थित स्वप्न लोक कीओर बढ़ने का साहस नहीं करता
वह अपरिचित तटों से लगा लगा चलता है
और तूफान में पीड़ित हो टापुओं पर नये आश्रय पा जाता है,
या अपने चिन्तन में एक निश्चित ध्रुव संकेत से पथदर्शन पा,
वह अविद्या के तिजारती-सागर पथों पर स्वयं संचरण करता हुआ
एक चमकीली धुंध में जो अपने में तारों को छिपाये है, गोता खा जाता है।
His prow pushes towards undiscovered shores,
He chances on unimagined continents:
A seeker of the islands of the Blest,
He leaves the last lands, crosses the ultimate seas,
He turns to eternal things his symbol quest;
Life changes for him its time-constructed scenes,
Its images veiling infinity.
उसकी पतवार नाव को अब अनजान तटों पर धकेल देती है,
तब हठात् अकल्पित महाद्वीपों पर पहुंच जाता है:
धन्य-आत्माओं के द्वीपों का वह एक खोजी
अन्तिम भूमिखण्डों को पीछे छोड़ देता है, अन्तिम सागरों को पार कर जाता है,
वह अपनी खोज के प्रतीक रूप शाश्वत वस्तुओं की ओर घूम जाता है;
जीवन अब अपने काल-रचितद़ृश्योंको उसके लिए बदल देता है,
जो नित्यता पर पर्दा डाले थे ये उसी के अपने प्रतिबिम्ब हैं।
Earth’s borders recede and the terrestrial air
Hangs round him no longer its translucent veil.
पार्थिव सीमाएं पीछे हट जाती हैं और भौतिक वातावरण
उसके चारोंओर झीने पर्दे सम अब और नहीं टंगा है।
He has crossed the limit of mortal thought and hope,
He has reached the world’s end and stares beyond;[70]
The eyes of mortal body plunge their gaze
Into Eyes that look upon eternity.
वह मानवीय विचार और आशा की सीमा पार कर चुका है,
अब वह संसारी सीमा को पार कर परात्पर को अवलोकता है;
नश्वर देही के नयन अपनी द़ृष्टि को उन दिव्य नयनों में
मज्जित कर देते हैं जोचिरन्तनता कीओर लगी हैं।
A greater world Time’s traveller must explore.
त्रिकाल के पथिक को एक महत्तर लोक का अनुसंधान करना है।
At last he hears a chanting on the heights
And the far speaks and the unknown grows near:
He crosses the boundaries of the unseen
And passes over the edge of mortal sight
To a new vision of himself and things.
अन्त में वह शिखरों पर एक संकीर्तन ध्वनि सुनता है
सुदूर बुलाता है और अज्ञात समीप आ जाता है:
वह अगोचर की सीमाएं पार कर आगे बढ़ जाता है
और मानवीय द़ृष्टि की धार के ऊपर से कूद निकल जाता है,
पदार्थों में और स्वयं में एक नव-दर्शन प्रवेश पा जाता है।
He is a spirit in an unfinished world
That knows him not and cannot know itself:
The surface symbol of his goalless quest
Takes deeper meanings to his inner view;
His is a search of darkness for the light,
Of mortal life for immortality.
एक अपूर्ण अधकचरे जगत् में वह एक जीव-सत्ता है
जो परम् को नहीं जानती और स्वयं को नहीं पहचान सकतीः
यही उसके उद्देश्यहीन खोज का सतही प्रतीक है
जो उसके अन्तर्दर्शन में एक गहनतर सार्थकता भर देता है;
उसकी अन्धी अज्ञानी खोज भी उसी ज्योति के लिए है,
नश्वर जीवन भी अमरता के लिए है।
In the vessel of an earthly embodiment
Over the narrow rails of limiting sense
He looks out on the magic waves of Time
Where mind like a moon illumines the world’s dark.
एक पार्थिव देहरूपी इस नौका में
सीमित इन्द्रिय बोध की संकरी सीमा पर खड़ा
वह महाकाल की चमत्कारी लहरों को अवलोकता है
जहां पर मन एक चन्द्र समान इस संसार के अन्धेरे को ज्योतित करता है।
There is limned ever retreating from the eyes,
As if in a tenuous misty dream-light drawn,
The outline of a dim mysterious shore.
उसकी द़ृष्टि से सतत अपसरती एक चमकीली रेखा है
जैसे एक जटिल धुंधले स्वप्न-प्रकाश में आंकी गयी हो
यह एक धूमिल रहस्यपूर्ण तट की रूप-रेखा सम दिखती है।
A sailor on the Inconscient’s fathomless sea,
He voyages through a starry world of thought
On Matter’s deck to a spiritual sun.
इस जड़-अचित् के अगाध सागर का एक नाविक है,
जो विचार लोक के तारामण्डल तले अपनी यात्रा करता
जड़तत्त्व की नौका पर चढ़ एक आध्यात्मिक सूर्य की ओर बढ़ता है।
Across the noise and multitudinous cry,
Across the rapt unknowable silences,
Through a strange mid-world under supernal skies,
Beyond earth’s longitudes and latitudes,
His goal is fixed outside all present maps.
इस कोलाहल और भांति-भांति की पुकारों को पार करता,
वह आत्म-तल्लीन अज्ञात नीरवताओं को पार कर जाता है,
श्रेष्ठ अम्बर तले वह एक विचित्र मध्य-लोक से गुजरता है,
पृथ्वी की रेखांश और अक्षांश के परे निकल जाता है,
वर्तमान सकल मानचित्रों से बाहर उसका लक्ष्य निश्चित है।
But none learns whither through the unknown he sails
Or what secret mission the great Mother gave.
पर कोई नहीं जानता कि किस अज्ञात कीओर वह बढ़ाजाता है
या कौन-सा गोपनीय कार्य उसे महिमामयी जगज्जननी ने सौंपा है।
In the hidden strength of her omnipotent Will,
Driven by her breath across life’s tossing deep,
Through the thunder’s roar and through the windless hush,
Through fog and mist where nothing more is seen,
He carries her sealed orders in his breast.[71]
माता के सर्वशक्तिशाली शिवसंकल्प के गुप्त तेजस् द्वारा प्रेरित हो,
वह उसी की प्राण वायु से जीवन की उछाल लेती गहराइयां पार करता है,
तूफानों के गर्जन के मध्य और वायु-विहीन सन्नाटे से हो,
धुंध औ’ कुहरे के बीच में से जहां कुछ भी दिखता नहीं है,
वह जगज्जननी के मुहर-बन्द आदेशों को अपने वक्ष में लिये चलता है।
Late will he know, opening the mystic script,
Whether to a blank port in the Unseen
He goes or, armed with her fiat, to discover
A new mind and body in the city of God
And enshrine the Immortal in his glory’s house
And make the finite one with Infinity.
बाद में जब वह खोलकर उस गुह्य लिपि को पढे़गा तो जानेगा,
किंवा अगोचर ब्रह्म के एक सूने बंदरगाह पर वह जायेगा,
या मां की अनुज्ञप्ति से सज्जित, एक नव-चित्त औ’ देह के संधान हित
पुरुषोत्तम प्रभु के लोक में प्रवेश करेगा
और अमरत्व को अपने गरिमाशाली गृह में स्थापित करेगा
और अनित्य को नित्यता से जोड़ एक कर देगा।
Across the salt waste of the endless years
Her ocean winds impel his errant boat,
The cosmic waters plashing as he goes,
A rumour around him and danger and a call.
अन्तहीन वर्षों की खारी बर्बादी को पार कर
परा-प्रकृति की समुद्री हवाएं उसकी विपथगामी नौका को प्रेरित करती हैं,
ज्यों ज्यों वह बढ़ता है तो विश्वसागर के प्रशान्त जल उमड़ते हैं,
उसे चारों ओर से कानाफूसी और संकट और एक आवाहन घेर लेते हैं।
Always he follows in her force’s wake.
पर वह आद्याशक्ति की जाग्रत् चेतना का अनुसरण कर बढ़ता जाता है।
He sails through life and death and other life,
He travels on through waking and through sleep.
A power is on him from her occult force
That ties him to his own creation’s fate,
And never can the mighty traveller rest
And never can the mystic voyage cease,
Till the nescient dusk is lifted from man’s soul
And the morns of God have overtaken his night.
वह जीवन और मरण और अनेक जीवनों के मध्य नैया खेता चलता है,
वह जागरण और निद्रा में भी यात्रा करता रहता है,
एक आत्मबल उसके साथ है जो माता की गुह्य पराशक्ति का है
जो उसे उसकी अपनी सृष्टि की नियति से बांध देता है,
और यह तेजस्वी तीर्थ-यात्री कभी भी विश्राम नहीं ले सकता
और इस रहस्यमय यात्रा का विराम नहीं हो सकता है,
जब तक अविद्या की धुंध मानव के प्राण पर से उठ नहीं जाती
और प्रभु की उषाएं उसकी रात्रि का अवसान नहीं कर देतीं।
As long as Nature lasts, he too is there;
For this is sure that he and she are one.
जब तक यहां प्रकृति देवी का शासन रहेगा, वह भी यहीं रहेगा,
क्योंकि प्रकृति और पुरुष एक हैं यही अटल सत्य है।
Even when he sleeps, he keeps her on his breast:
Whoever leaves her, he will not depart
To repose without her in the Unknowable.
जब वह निद्रालीन होता है, वह उसे निज वक्ष पर धारण कर रखता है:
प्रकृति को चाहे कोई भी क्यों न त्याग दे, वह उसे नहीं छोड़ेगा
उसके बिना वह अज्ञात परब्रह्म में विश्राम करने नहीं जायेगा।
There is a truth to know, a work to do;
Her play is real; a Mystery he fulfils:
There is a plan in the Mother’s deep world-whim,
A purpose in her vast and random game.
यहां एक सत्य का उद़्घाटन करना है, एक कार्य सम्पादित करना है;
माता की लीला यथार्थ है; पुरुष एक पूर्ण रहस्य की आपूर्ति करता है:
माता की इस जग-लीला की गहनता में एक योजना है,
इस विराट् निरुद्देश्य दिखते खेल में एक सार्थकता है।
This ever she meant since the first dawn of life,
This constant will she covered with her sport,
To evoke a person in the impersonal Void,
With the Truth-Light strike earth’s massive roots of trance,
Wake a dumb self in the inconscient depths
And raise a lost power from its python sleep
That the eyes of the Timeless might look out from Time
And the world manifest the unveiled Divine.[72]
जीवन के प्रथम उषा काल से अब तक सतत उसकी यही सार्थक योजना रही है
इस स्थिर संकल्प को उसने अपनी लीला के पीछे आवृत रखा है,
जिससे इस निर्वैयक्तिक शून्य ब्रह्म में एक दिव्य व्यक्ति चेतना प्रकटा सके,
परम-ऋत ज्योति से पार्थिव जड़ता की समाधिस्थ घोर जड़ोंको काट सके,
इस अचेतन की अज्ञ गहनताओं में एक मूक चैत्य पुरुष को जगा सके
और एक लुप्त दैवी बल को इसकी कुम्भकर्णी निद्रा से उठा दे
जिससे कालातीत प्रभु के नेत्र इस कालभूमि से बाहर देख सकें
और इस भूतल पर आवरणहीन दिव्यता अभिव्यक्त हो जाये।
For this he left his white infinity
And laid on the Spirit the burden of the flesh,
That Godhead’s seed might flower in mindless Space.[73]
इसीलिए उसने अपनी शुभ्र विशुद्ध शाश्वतता त्यागी थी
और इस जीवात्मा पर मांसल नश्वर देह का भार रखा था,
जिससे देवत्व का बीज मनहीन दिक्काल में प्रस्फुटित हो सके।
END OF CANTO FOUR