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At the Feet of The Mother

SAVITRI Book Four. Canto Three (Eng-Hindi)

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BOOK FOUR. THE BOOK OF BIRTH AND QUEST

Canto Three. The Call to the Quest

 

A morn that seemed a new creation’s front,
Bringing a greater sunlight, happier skies,
Came, burdened with a beauty moved and strange
Out of the changeless origin of things.

एक प्रभात जो एक नवीन सृष्टि का द्वार सम दिखता,
एक महत्तर सूर्य प्रकाश, प्रसन्नतर दिशाओं के साथ आ पहुंचा,
एक गतिशील और विचित्र सौन्दर्य से यह बोझिल था
जैसे पदार्थों के अविकारी आदि स्रोत से यह उदित हुआ हो।

An ancient longing struck again new roots.
The air drank deep of unfulfilled desire;
The high trees trembled with a wandering wind
Like souls that quiver at the approach of joy,
And in a bosom of green secrecy
For ever of its one love-note untired
A lyric coïl cried among the leaves.

एक सनातन लालसा ने पुनः नई जड़ों का जाल फैलाया
इस वातावरण में एक अतृप्त कामना ने छक कर पान किया;
एक डोलते पवन ने उच्च तरु शिखरों को कंपा दिया
उन अन्तरात्माओं समान जो आनन्द-आगमन से सिहर उठती हैं,
और उस हरित रहस्य के अन्तर में
सतत अथक भाव से अपने एक ही प्रेमी-स्वर को दोहराती
पत्तों के बीच छिपी एक सुरीली कोयल कूक रही थी।

Away from the terrestrial murmur turned
Where transient calls and answers mix their flood,
King Aswapathy listened through the ray
To other sounds than meet the sense-formed ear.

इस पृथ्वी की मरमरी ध्वनियों से दूर के उस स्तर से
जहां क्षणिक पुकार और उसके उत्तर निज उद़्गम स्रोत में खो जाते हैं,
राजा अश्वपति ने इस रश्मि के माध्यम से सुन लिया
उन अन्य ध्वनियों को जिन्हें हमारी श्रवण इन्द्रियां सुन नहीं पातीं।

On a subtle interspace which rings our Life,
Unlocked were the inner spirit’s trance-closed doors:
The inaudible strain in Nature could be caught;
Across this cyclic tramp of eager lives,
Across the deep urgency of present cares,
Earth’s wordless hymn to the Ineffable
Arose from the ardent heart of the cosmic Void;
He heard the voice repressed of unborn Powers
Murmuring behind the luminous bars of Time.

हमारे जीवन की सीमा को घेरे हुए एक सूक्ष्म मध्याकाश पर,
जहां हमारी अन्तश्चेतना के समाधि में बन्द द्वार खुल जाते हैं:
जहां विश्व-प्रकृति की वह अश्रव्य तान पकड़ी जा सकती है;
व्यग्र जीवनों के उस गतिशील घूमती चाल के उस पार से,
वर्तमान चिन्ताओं के इन गहन आग्रहों के परे से,
ब्रह्माण्डीय असत् शून्य के नीरव अन्तर से उठती
अनिर्वचनीय के प्रति पृथ्वी की निःशब्द ऋचा उसे सुनायी दी;
उसने अजात महाशक्तियों की दमित वाणी सुनी
जो महाकाल की दीप्तिमयी शलाकाओं के पीछे गुंजित थीं।

Again the mighty yearning raised its flame
That asks a perfect life on earth for men
And prays for certainty in the uncertain mind
And shadowless bliss for suffering human hearts
And Truth embodied in an ignorant world
And godhead divinising mortal forms.

अब फिर से उस बलशाली लालसा ने अपनी ज्वाला ऊंची उठा दी
जो धरती पर मानव हित एक परिपूर्ण जीवन मांगती
और इस अनिश्चित मन में निश्चयता हित प्रार्थना करती
और सन्तप्त मानव हृदयों के लिए निर्मल आनन्द चाहती
और एक अज्ञ अन्धे संसार में परम सत्य की काया की
और इन नश्वर आकारों हित एक देवांश की दिव्यता मांगती।

A word that leaped from some far sky of thought,[369]
Admitted by the cowled receiving scribe
Traversed the echoing passages of his brain
And left its stamp on the recording cells.

संकल्प के किसी दूरस्थ व्योम से छूटा एक शब्द सहसा वहां आ पहुंचा,
जिसे आवृत ग्रहणकर्ता अन्तर-लिपिक ने अन्दर प्रवेश करवाया
यह राजा के मस्तिष्क के गलियारों में गूंजता चक्कर लगाने लगा
और फिर निज छाप रिकॉर्डिंग कोषों पर छोड़ गया।

“O Force-compelled, Fate-driven earth-born race,
O petty adventurers in an infinite world
And prisoners of a dwarf humanity,
How long will you tread the circling tracks of mind
Around your little self and petty things?

‘‘हे बन्दी-तेजस्वी बल, भाग्य नियन्त्रित पृथ्वी पर जन्मी जाति,
एक अनन्त विश्व में लघु यात्राओं के साहसी वीरो,
और एक वामन मानवता के बन्दियो,
कब तक तुम इस मन के गोलाकार पथों पर चक्कर लगाते रहोगे
अपनी क्षुद्र अहम् सत्ता और नगण्य वस्तुओं से घिरे रहोगे?

But not for a changeless littleness were you meant,
Not for vain repetition were you built;
Out of the Immortal’s substance you were made;
Your actions can be swift revealing steps,
Your life a changeful mould for growing gods.

क्योंकि एक रूपान्तरहीन क्षुद्रता के लिए तुम नहीं बने,
एक निष्फल आवर्तन हेतु तुम नहीं रचे गये;
अमर-अविनाशी के द्रव्य से तुम्हारा सर्जन हुआ है;
तुम्हारे कर्म ही अति तीव्रता से तुम्हारी अभिव्यक्ति के चरण बन सकते हैं,
तुम्हारा जीवन विकसित होती देव-सत्ताओं का एक परिवर्तनशील सांचा है।

A Seer, a strong Creator, is within,
The immaculate Grandeur broods upon your days,
Almighty powers are shut in Nature’s cells.

एक दिव्य द्रष्टा, एक सामर्थ्यपूर्ण सर्जनहार, तुम्हारे अन्तर में है,
वहां अमल श्रीमहिमा तुम्हारे दिवसों की संरक्षिका ध्यानासीन है,
सर्वशक्तिशालीशक्तियां इस विश्व-प्रकृति के कोषों में कैद हैं।

A greater destiny waits you in your front:
This transient earthly being if he wills
Can fit his acts to a transcendent scheme.

एक महत्तर नियति तुम्हारे सम्मुख प्रतीक्षा में खड़ी है:
यह क्षणिक पार्थिव प्राणी यदि संकल्प कर ले
तो निज कर्मों को एक परात्पर की योजना से जोड़ सकता है।

He who now stares at the world with ignorant eyes
Hardly from the Inconscient’s night aroused,
That look at images and not at Truth
Can fill those orbs with an immortal’s sight.

वह जो इस समय अज्ञानी नेत्रों से इस जगत् को घूरता है
जो घोर अचित् की रात्रि से अभी कुछ समय पहले उठा है,
जो अभी केवल छाया को देखता है अमर सत्य नहीं देख पाता,
वह अब निज नयन कोटरों में एक अमरदेव की चितवन भर सकता है।

Yet shall the godhead grow within your hearts,
You shall awake into the spirit’s air
And feel the breaking walls of mortal mind
And hear the message which left life’s heart dumb
And look through Nature with sun-gazing lids
And blow your conch-shells at the Eternal’s gate.

तथापि तुम्हारे हृदय-चक्रों में देवांश विकसित होता रहेगा,
तुम आत्मा के परिवेश में एक दिन अवश्य जागोगे,
और नश्वर मन की गिरती दीवारों का अनुभव पाओगे,
जीवन के हृदय को शान्त करने वाले सन्देश को सुनोगे
और इस विश्व-प्रकृति के अन्तर में सूर्य सम दृष्टि से अवलोकोगे,
और चिरन्तन के द्वार पर पहुंच अपने विजयी शंखो से नाद करोगे।

Authors of earth’s high change, to you it is given
To cross the dangerous spaces of the soul
And touch the mighty Mother stark awake
And meet the Omnipotent in this house of flesh
And make of life the million-bodied One.

धरा के उच्च रूपान्तरकारी लेखाकार,तुम्हें यह अधिकार दिया गया है
इस आत्मसत्ता के इन आपातकारी दिशाओं को पार करने का
और सर्वशक्तिमयी भगवती माता को स्पर्श कर पूरी तरह जगाने का,
और सर्वशक्तिमय प्रभुको इस हाड़मांस की देह में भेंटने का
और इन लक्ष-लक्ष देह में बसे परमैकम् को जीवन में उतारने का।

The earth you tread is a border screened from heaven,
The life you lead conceals the light you are.[370]

यह तेरे विचरण की धरती एक सीमा है जिसने स्वर्ग को विलग कर दिया है;
यह तेरे जीवन-यापन की विधि उस ज्योति को जो तू स्वयं है ढक लेती है।

Immortal Powers sweep flaming past your doors;
Far-off upon your tops the god-chant sounds
While to exceed yourselves thought’s trumpets call,
Heard by a few, but fewer dare aspire,
The nympholepts of the ecstasy and the blaze.

अमर शक्तियां तेरे द्वारों से झिलमिलाती चक्कर लगा निकल जाती हैं
सुदूर में तेरे शिखरों पर देव-नाद गूंजता है,
जब स्वयं से आगे बढ़ जाने को संकल्प की भेरी पुकारती है,
कुछ सुन लेते हैं, किन्तु अल्पजन ही अभीप्सा का साहस कर पाते हैं,
वे प्राणिक आह्लाद और ऊपरी तड़क-भड़क के दीवाने हैं।

An epic of hope and failure breaks earth’s heart;
Her force and will exceed her form and fate.

आशा और असफलताओं का एक महाकाव्य धरती का हृदय तोड़ देता है;
पर उसकी ऊर्जा और संकल्प उसकी आकृति औ’ नियति से महत्तर है।

A goddess in a net of inconscience caught,
Self-bound in the pastures of death she dreams of life,
Self-racked with the pains of hell aspires to joy,
And builds to hope her altars of despair,
Knows that one high step might enfranchise all
And, suffering, looks for greatness in her sons.

क्षणभंगुरता के एक जाल में फंसी वह एक देवी है,
मृत्यु के चरागाहों में स्वयं को बांध वह जीवन का स्वप्न देखती है,
नारकीय-पीड़ाओं से आत्म-जर्जरित वह आनन्द की अभीप्सा करती है,
निज निराशा कीवेदियों पर वह आशा के महल रचती है,
एक महान् कदम ही सकल को मुक्ति दिला देगा, यह जानती है
और, दुःख भोगती, वह निज पुत्रों में उस महत्ता को खोजती है।

But dim in human hearts the ascending fire,
The invisible Grandeur sits unworshipped there;
Man sees the Highest in a limiting form
Or looks upon a Person, hears a Name.

किन्तु मानव हृदयों में अभीप्सा की आरोही शिखा अभी मद्धिम है
वह अगोचर श्रीशोभा अपूजितवहां आसीन है;
नर अभी नारायण को एक सीमित आकार में ही देखता है
या एक महात्मा पर श्रद्धा करता है, एक दिव्य नाम का श्रवण करता है।

He turns for little gains to ignorant Powers
Or kindles his altar lights to a demon face.

वह क्षुद्र लाभों के लिए अविद्या की महाशक्तियों की ओर मुड़ता है
अथवा निज पूजा के दीपक को एक आसुरी बल के लिए जलाता है।

He loves the Ignorance fathering his pain.

वह उस अविद्या से प्रेम करता है जो उसकी पीड़ा की जन्मदात्री है।

A spell is laid upon his glorious strengths.
He has lost the inner Voice that led his thoughts,
And masking the oracular tripod seat
A specious Idol fills the marvel shrine.

उसके प्रतापी बल एक मायाजाल से बाधित हैं;
अपने विचारों की मार्गदर्शिका अन्तर की दिव्यवाचा को उसने खो दिया है,
और उस दिव्य वाणी के त्रिगुणी आसन को ढक कर
एक सत्य का आभास देती प्रतिमा उस भव्य मन्दिर में स्थापित कर दी है।

The great Illusion wraps him in its veils,
The soul’s deep intimations come in vain,
In vain is the unending line of seers,
The sages ponder in unsubstantial light,
The poets lend their voice to outward dreams,
A homeless fire inspires the prophet tongues.

उस महामाया ने उसे अपने पर्दों में लपेट लिया है,
अन्तरात्मा के गूढ़ सन्देश अब निष्फल ही आते हैं,
द्रष्टा ऋषियों की अनन्त रेखा अर्थहीन हो जाती है,
ऋषिजन एक अपर्याप्त प्रकाश में चिन्तन करते हैं,
कवि बहिर्जगत् के सपनों को निज वाणी उधार दे देते हैं,
एक गृहविहीन होताग्नि पैगम्बर की वाचा में प्रेरणा भरती है।

Heaven’s flaming lights descend and back return,
The luminous Eye approaches and retires;
Eternity speaks, none understands its word;
Fate is unwilling and the Abyss denies;
The Inconscient’s mindless waters block all done.

स्वर्ग की उज्जवल विभूतियां अवतरित हो लौट जाती हैं,
ज्योतिपूर्ण दिव्य-दृष्टि आगन्तुक सम आ चली जाती है;
चिरन्तन बोलता है, उसके शब्द कोई समझ नहीं पाता है;
नियति अनिच्छुक है और घोर अचित् की खाड़ी निषेध करती है;
घोर अचित् जड़ता की अविवेकी बाधाएं सकल सम्पादित कार्य को रुद्ध कर देती हैं।

Only a little lifted is Mind’s screen.[371]
The Wise who know see but one half of Truth,
The strong climb hardly to a low-peaked height,
The hearts that yearn are given one hour to love,
His tale half-told, falters the secret Bard;
The gods are still too few in mortal forms.”

उच्चमानस का पट केवल अल्पमात्र ही ऊपर उठ पाता है;
विज्ञ ज्ञानीजन भी केवल अर्ध सत्य देख पाते हैं,
यहां वीर अति कठिनाई से एक निम्न शिखर तक चढ़ पाते हैं,
लालायित अन्तरों को प्रेमहित मात्र एक घड़ी मिल पाती है।
निज अधूरी कहानी कहते हुए, अन्तर का गुह्य दिव्य-चारण अटक जाता है;
अभी तक मानव-काया में अति अल्प देवता ही प्रकटे हैं।’’

The Voice withdrew into its hidden skies.

इतना कह वह आकाशीय दिव्यवाणी अपने गुह्य अन्तरिक्षों, को लौट गयी।

But like a shining answer from the gods
Approached through sun-bright spaces Savitri.

किन्तु देवताओं से आये एक दीप्तिमय उत्तर सम
धूप में खिली दिशाओं से निकल सावित्री वहां आती दिखी।

Advancing amid tall heaven-pillaring trees,
Apparelled in her flickering-coloured robe,
She seemed burning towards the eternal realms
A bright moved torch of incense and of flame
That from the sky-roofed temple-soil of earth
A pilgrim hand lifts in an invisible shrine.

वह स्वर्ग-स्तम्भोंसम तरुवरों के मध्य हीबढ़ी आ रही थी
झिलमिलाते रंगीन वस्त्रों में सुशोभित ऐसी दिख रही थी
मानों चिरन्तन के साम्राज्यों कीओर जलती और गति करती
वह प्रदीप्त धूप और दीप की एक चमकती ज्योतिशिखा थी,
धरती रूपी मन्दिर की माटी से, जिसकी छत पर गगन तना था,
एक तीर्थयात्री के करों ने जिसे अगोचर देवस्थली कीओर उठा रखा था।

There came the gift of a revealing hour:
He saw through depths that reinterpret all,
Limited not now by the dull body’s eyes,
New-found through an arch of clear discovery,
This intimation of the world’s delight,
This wonder of the divine Artist’s make
Carved like a nectar-cup for thirsty gods,
This breathing Scripture of the Eternal’s joy,
This net of sweetness woven of aureate fire.

तभी वहां एक सत्य-उजागर घड़ी निज उपहार ले आ पहुंची:
राजा ने गहनताओं के अन्तर में इस दृश्य की नूतन परिभाषा कर दी,
अब उसकी दृष्टि इन स्थूल भौतिक नेत्रों में सीमित नहीं थी,
एक स्पष्ट अनुसन्धान के तले उसने नयी-खोज द्वारा जान लिया,
विश्वानन्द के इस दैवी सन्देश को पहचान लिया,
दिव्य कलाकार प्रभु द्वारा रचित इस चमत्कारी रचना को
जिसे एक अमृत कलश सम पिपासु देवों के लिए गढ़ा था,
चिरन्तन प्रभु हास्य के इस श्वासित वेद वाक्य को,
और स्वर्णिम ज्वाला की माधुरी से बुने इस मधुर जाल को।

Transformed the delicate image-face became
A deeper Nature’s self-revealing sign,
A gold-leaf palimpsest of sacred births,
A grave world-symbol chiselled out of life.

वह सुकुमार मुख-छवि परिवर्तित हो
एक गहनतर विश्व-प्रकृति का आत्म-प्रकाशित चिह्न बन गयी,
पुण्य-जन्मों की नव लिखित फलक को एक स्वर्ण-पत्री
वह जीवन से उत्कीर्ण एक गम्भीर विश्व-प्रतीक बन गयी।

Her brow, a copy of clear unstained heavens,
Was meditation’s pedestal and defence,
The very room and smile of musing Space,
Its brooding line infinity’s symbol curve.

उसका भाल, निर्मल निष्कलंक स्वर्गों की एक अनुकृति था,
जो ध्यान की पीठिका और सुरक्षा देता,
एक ध्यानमग्न महाव्योम की स्मित और निज कक्ष था,
इसके चिन्तन की रेखा शाश्वत का प्रतीकात्मक घुमाव था।

Amid her tresses’ cloudy multitude
The long eyes shadowed as by wings of Night
Under that moon-gold forehead’s dreaming breadth
Were seas of love and thought that held the world;
Marvelling at life and earth they saw truths far.[372]

उसके केशों के घने मेघ-जाल के मध्य
उसके विशाल नयन मानों घोर निशा के पंखों से आच्छादित
उस स्वर्ण चन्द्र ललाट के सपनाते श्वास तले
प्रेम और चिन्तन के सागर थे जो इस संसार को धारण किये थे;
जीवन और धरा पर विस्मय से भरे वे सुदूर के सत्यों को देख रहे थे।

A deathless meaning filled her mortal limbs;
As in a golden vase’s poignant line
They seemed to carry the rhythmic sob of bliss
Of earth’s mute adoration towards heaven
Released in beauty’s cry of living form
Towards the perfection of eternal things.

उसके नश्वर अंगों में एक अमर सारतत्त्व प्रवाहित था;
मानों एक स्वर्णिम कलश की हृदयस्पर्शी रेखा में
वे पृथ्वी की स्वर्ग के प्रति मूक आराधना की छन्दमय आनन्द की सिसकी को धारण किये थे
जिसे वह पूजन के लिए एक जीवित आकार के सौन्दर्य में
मुक्त कर से भर देती है
और शाश्वत पदार्थों सम परिपूर्ण बना देती है।

Transparent grown the ephemeral living dress
Bared the expressive deity to his view.

सावित्री का क्षणिक जीवन्त परिधान अब पारदर्शी हो गया
और योगी की दृष्टि के सम्मुख भावमयी दिव्यता स्पष्ट हो उठी।

Escaped from surface sight and mortal sense
The seizing harmony of its shapes became
The strange significant icon of a Power
Renewing its inscrutable descent
Into a human figure of its works
That stood out in life’s bold abrupt relief
On the soil of the evolving universe,
A godhead sculptured on a wall of thought,
Mirrored in the flowing hours and dimly shrined
In Matter as in a cathedral cave.

जो हमारी ऊपरी दृष्टि और मानवीय बोध से पकड़ में नहीं आती,
अब राजा की दृष्टि ने इसके आकारों की संगीतमयी छवि में धर ली
एक दिव्य शक्ति की अद्भुत महत्त्वपूर्ण छवि को
जो अपने अबोधगम्य निगूढ़ अवतरण को दोहराती
एक मानवाकार में रूपायित हो इसके कार्यों को सम्पादित करती है,
जो जीवन के स्पष्ट समाधान रूप में सामने खड़ी थी,
वह इस विचारशील विश्व की नश्वर माटी पर,
संकल्प की दीवार पर तक्षित एक दिव्यता थी,
बीतती घड़ियों के कालदर्पण में प्रतिबिम्बित थी
और जड़तत्त्व के एक मन्दिर कीकंदरा में अंधेरे में प्रतिष्ठित थी।

Annulled were the transient values of the mind,
The body’s sense renounced its earthly look,
Immortal met immortal in their gaze.

उसके मानव मन के क्षणिक मूल्य हटात् रह होकर मिट गये,
शारीरिक इन्द्रियबोध ने अपने भौतिक दृष्टिकोण त्याग दिये;
अमरत्व अपनी चितवन में अमरता से भेंटा।

Awaked from the close spell of daily use
That hides soul-truth with the outward form’s disguise,
He saw through the familiar cherished limbs
The great and unknown spirit born his child.

वह दैनिक व्यवहार की समीपता के मोहपाश से जाग्रत् हो गया
जो आत्म-सत्य को बहिरावरण से छिपा गोपित रखता है,
राजा ने उन परिचित प्रिय अंगों के मध्य देखी
वह महती और अपरिचित आत्मा जो उसकी पुत्री हो जन्मी थी।

An impromptu from the deeper sight within,
Thoughts rose in him that knew not their own scope.

अन्तरतम की गहनतम दृष्टि से तत्काल ही उसमें उठने लगी
वे विचारधाराएं जिन्हें स्वयं अपने आत्म-विस्तार का ज्ञान नहीं था।

Then to those large and brooding depths whence Love
Regarded him across the straits of mind,
He spoke in sentences from the unseen Heights.

तब उन विशाल और ध्यानमग्न गहनताओं से जहां से दिव्य प्रेम
मानस के संकीर्ण मार्गों के उस पार से उसे देख रहा था,
उन अगोचर शिखरों के उतरे वाक्यों में, वह बोला।

A casual passing phrase can change our life.
For the hidden prompters of our speech sometimes
Can use the formulas of a moment’s mood
To weigh unconscious lips with words from Fate:
“O Spirit, traveller of eternity,
Who camest from the immortal spaces here
Armed for the splendid hazard of thy life[373]
To set thy conquering foot on Chance and Time,
The moon shut in her halo dreams like thee.

क्योंकि कभी-कभी हमारी वाणी की गुप्त प्रेरक शक्तियां
एक क्षण के मनोभाव के सूत्रों का उपयोग कर लेती हैं
और अचेत ओष्ठों से महाभाग्य के वचनों का उच्चारण करवा देती हैं:
तब संयोग से निकला एक वाक्य हमारा जीवन परिवर्तित कर सकता है।
‘‘ओ चित्-शक्ति, शाश्वतता की पथिक,
तू अमर धामों से उतर यहां आयी है
अपनी जीवन-यात्रा के शौर्यपूर्ण संकट हित तू सुसज्जित है।
निज विजयी चरण तू देवयोग और महाकाल के वक्ष पर धरने आयी है,
शशि निज आभामण्डल में बन्दी बना तेरे जैसा होने का सपना देखता है।

A mighty Presence still defends thy frame.

एक शक्तिशाली दिव्य उपस्थिति अभी भी तेरे आकार की सुरक्षा करती है।

Perhaps the heavens guard thee for some great soul,
Thy fate, thy work are kept somewhere afar,
Thy spirit came not down a star alone.

सम्भव है सुरलोकों ने तुझे किसी महान् आत्मा हित सुरक्षित रखा है,
तेरा भाग्य, तेरा कर्म कहीं और सुदूर में निर्धारित है,
तेरी आत्मा यहां एकाकी तारा बन जीने नहीं आयी है।

O living inscription of the beauty of love
Missalled in aureate virginity,
What message of heavenly strength and bliss in thee
Is written with the Eternal’s sun-white script,
One shall discover and greaten with it his life
To whom thou loosenest thy heart’s jewelled strings.

ओप्रेमी सौन्दर्य की जीवन्त शिलालेख,
तुझे स्वर्णिम अक्षत निर्दोषता में प्रबुद्धता से लिखा गया है,
स्वर्गिक शक्ति और प्रेमानन्द का जो सन्देश तुझमें
चिरन्तन सूर्य-शुभ्र लिपि में लिखा है,
इसे एक दिन कोई खोज लेगा और अपने जीवन को महत्तर कर लेगा
उसी के लिए तू अपने हृदय के रत्नजड़ित सूत्रों को खोल देगी।

O rubies of silence, lips from which there stole
Low laughter, music of tranquillity,
Star-lustrous eyes awake in sweet large night
And limbs like fine-linked poems made of gold
Stanzaed to glimmering curves by artist gods,
Depart where love and destiny call your charm.

ओ, शान्ति की मणियों सम अधरों की स्वामिनी,
जिन पर मन्द-मन्द हास्य, प्रशान्ति का संगीत चुपके से खो गया है,
सितारों-सम चमकते तेरे नेत्र इस विशाल मधुर रात्रि में जागते हैं,
और सुकोमलता से स्वर्ण रचित अंग कविता सम छन्दित है
जिन्हें दिव्य कलाकार ने द्युतिमान पदरचना सम घुमाव दिये हैं,
प्रस्थान कर, वहां चली जा, जहां नियति और प्रेम तेरी मोहिनी को पुकारता है।

Venture through the deep world to find thy mate.

इस गहन संसार में उतरने का साहस कर अपना जीवन साथी खोज ले।

For somewhere on the longing breast of earth,
Thy unknown lover waits for thee the unknown.

क्योंकि कहीं इस लालायित धरा के वक्ष पर अनजाने
तेरा अज्ञात प्रेमी तेरी प्रतीक्षा में खड़ा है।

Thy soul has strength and needs no other guide
Than One who burns within thy bosom’s powers.

तुझमें आत्म-शक्ति है और किसी अन्य निर्देशक की तुझे आवश्यकता नहीं है
केवल उस एक प्रभु के सिवाय जो तेरे अन्तर के बलों में प्रज्वलित है।

There shall draw near to meet thy approaching steps
The second self for whom thy nature asks,
He who shall walk until thy body’s end
A close-bound traveller pacing with thy pace,
The lyrist of thy soul’s most intimate chords
Who shall give voice to what in thee is mute.

तब यहां तेरे आतुर चरणों के आगमन से खिंच समीप आ जायेगा
वह तेरी आत्मा का अर्धांग, जिसकी कामना तेरे स्वभाव की मांग है,
वह तेरे संग संग इस देह का अन्त होने तक साथ चलेगा
तेरा अभिन्न सहचर पथिक तेरे कदमों से कदम मिला चलेगा,
तेरी आत्मा रूपी वीणा के अति आत्मीय तारों का वह वादक होगा
वह तेरे अन्तर में जो मूक छिपा है उसे वाणी देगा।

Then shall you grow like vibrant kindred harps,
One in the beats of difference and delight,
Responsive in divine and equal strains,
Discovering new notes of the eternal theme.

तब तुम दोनों सादृश्य-स्पन्दित युगल वीणाओं सम विकसित होगे,
भिन्नता और आनन्द की धड़कनों में एक हो बजोगे,
दिव्यता और समान तनावों में एक दूसरे को प्रत्युत्तर दोगे,
शाश्वत संगीत के नये सुरों का तुम संधान करोगे।

One force shall be your mover and your guide,
One light shall be around you and within;
Hand in strong hand confront Heaven’s question, life:[374]
Challenge the ordeal of the immense disguise.

एक हीओजस्विनी शक्ति तुम्हारी प्रेरक पथप्रदर्शक होगी,
एक परम ज्योति तुम्हारे चहुं-दिश और अन्तर में होगी;
हाथ में हाथ लेशक्तिरूप हो दिव्यलोक के प्रश्न का, इस जीवन का सामना कर:
इस घोर आवरण के पीछे छिपी विपत्ति की चुनौती स्वीकार कर।

Ascend from Nature to divinity’s heights;
Face the high gods, crowned with felicity,
Then meet a greater God, thy self beyond Time.”

इस अपरा-प्रकृति से दिव्यता के शिखरों पर आरोहण कर;
यशस्वितासे सम्मानित हो, उच्च देवों का सामना कर,
तत्पश्चात् भेंट कर एक महत्तर देव से, निज आत्मतत्त्व अकाल पुरुष से।’’

This word was seed of all the thing to be.
A hand from some Greatness opened her heart’s locked doors
And showed the work for which her strength was born.

यही शब्द आगामी सकल वस्तुओं का बीज मन्त्र था:
किसी चरम महत्ता से एक हाथ ने आ, सावित्री के हृदय के बंद द्वारों को खोल दिया
जिस कार्य हित यह शक्तिरूपा जन्मी थी वह दर्शा दिया।

As when the mantra sinks in Yoga’s ear,
Its message enters stirring the blind brain
And keeps in the dim ignorant cells its sound;
The hearer understands a form of words
And, musing on the index thought it holds,
He strives to read it with the labouring mind,
But finds bright hints, not the embodied truth:
Then, falling silent in himself to know
He meets the deeper listening of his soul:
The Word repeats itself in rhythmic strains:
Thought, vision, feeling, sense, the body’s self
Are seized unulterably and he endures
An ecstasy and an immortal change;
He feels a Wideness and becomes a Power,
All knowledge rushes on him like a sea:
Transmuted by the white spiritual ray
He walks in naked heavens of joy and calm,
Sees the God-face and hears transcendent speech:
An equal greatness in her life was sown.

जैसे कि एक मन्त्र जब योगदीक्षा में श्रवणों में निमज्जित होता है,
जिसका सन्देश अन्धे मस्तिष्क में प्रवेश कर उसे आन्दोलित कर डालता है
और निज नाद को अंधेरे अज्ञ कोषाणुओं में स्थापित कर देता है;
और श्रोता केवल शब्दों का एक आकार समझ पाता है
और, इसमें धारित सांकेतिक विचार पर मनन करता है,
वह इसे अपने श्रमरत मन से पढ़ने का प्रयास करता है,
किन्तु केवल दीप्तिमय चिह्नों को ही पाता है, रूपायित सत्य नहीं धर पाता:
तब आत्म-ज्ञान हित वह स्वयं नीरवता में स्थित हो जाता है
वह अन्तर में अपनी चैत्य सत्ता की गहनतर श्रुति को भेंटता है:
जहां परम शब्द, छंदात्मक स्वरों में स्वयं को अविराम दोहराता रहता है;
विचार, दर्शन, भावना, इन्द्रियबोध, इस शरीर का व्यक्तित्व
सब अवर्णनीय रूप से अभिग्रसित हो जाते हैं और वह
एक भावसमाधि और एक अमर परिवर्तन सहता है;
वह एक दिव्य विशालता का अनुभव पाता है और स्वयं एक महाशक्ति हो जाता है,
सकल विद्या उसके अन्तर में एक सागर सम उमड़ती है:
उस शुभ्र निर्मल आत्मिक किरण द्वारा तत्त्वांतरित हो
वह हर्ष और शान्ति के खुले स्वर्गों में विचरण करता है,
प्रभु का दर्शन पाता है और परात्परता की वाणी सुनता हैः
ऐसी ही समान महत्ता सावित्री के जीवन में आरोपित थी।

Accustomed scenes were now an ended play.
Moving in muse amid familiar powers,
Touched by new magnitudes and faery signs,
She turned to vastnesses not yet her own;
Allured her heart throbbed to unknown sweetnesses,
The secrets of an unseen world were close.

अब तक के परिचित दृश्य जैसे एक नाटक की समाप्ति थी:
ध्यानमग्ना वह परिचित तेजस्विताओं के मध्य संचालित थी,
नव-विस्तारों और ज्वलन्त सूक्ष्म चिह्नों का स्पर्श पाती,
वह उन विशालताओं कीओर जो अभी तक उसकी अपनी नहीं थीं मुड़ गयी;
उसका हृदय आकर्षित हो अज्ञात माधुरी से स्पन्दित था,
एक अगोचर जगत् के सब रहस्य उसके समीप आ गये।

The morn went up into a smiling sky;
Cast from its sapphire pinnacle of trance
Day sank into the burning gold of eve;
The moon floated, a luminous waif through heaven,[375]
And sank below the oblivious edge of dream;
Night lit the watch-fires of eternity.

वह प्रभात एक मुस्कुराते व्योम में ऊपर चढ़ आया था;
समाधि की अपनी नील उच्चता से निकाला जा
दिवस डूब गया, संध्या की प्रज्वलित स्वर्णिमता में जा छिप गया;
ऊर्ध्व नभों के मध्य एक दीप्तिमान आवारा सम, चन्द्रमा तिरता निकला
और स्वप्न के धूमिल तट के तले पहुंच डूब गया;
निशा ने शाश्वतता की प्रहरी-अग्नियां प्रज्वलित कर दीं।

Then all went back into mind’s secret caves;
A darkness stooping on the heaven-bird’s wings
Sealed in her senses from external sight
And opened the stupendous depths of sleep.

तब समस्त जगत् मन की गुह्य कन्दराओं में पीछे लौट गया;
स्वर्ग-पक्षी के पंखों पर एक अन्धकार झुक आया
जिसने उसकी इन्द्रियों को बहिर्दृश्यजगत् हित मुहरबन्द कर दिया
और निद्रा की विशाल गहराइयों को उद़्घाटित कर दिया।

When the pale dawn slipped through Night’s shadowy guard,
Vainly the new-born light desired her face;
The palace woke to its own emptiness;
The sovereign of its daily joys was far;
Her moonbeam feet tinged not the lucent floors:
The beauty and divinity were gone.

जब पीतवर्णी उषा घोर रात्रि के छायावी पहरे के मध्य धीरे से फिसली,
तब उस नवजात प्रकाश की सावित्री को देखने की कामना निष्फल रही;
वह राजमहल आज अपने ही सूनेपन में जागा था;
इसके दैनिक हर्षोल्लास की रानी दूर चली गयी थी;
उसके चरणों की चन्द्रिका आज उन चमकते फर्शों पर रंग नहीं छोड़ रही थी:
वह श्रीशोभा और दिव्यता जा चुकीथी।

Delight had fled to search the spacious world.[376]

आनन्दमयी इन जगत्-विस्तारों में प्रिय की खोज में उड़ गयी थी।

END OF CANTO THREE