BOOK THREE. THE BOOK OF THE DIVINE MOTHER
Canto Two. The Adoration of the Divine Mother
A stillness absolute, incommunicable,
Meets the sheer self-discovery of the soul;
A wall of stillness shuts it from the world,
A gulf of stillness swallows up the sense
And makes unreal all that mind has known,
All that the labouring senses still would weave
Prolonging an imaged unreality.
एक अकथनीय, अव्यवहार्य, सर्वोच्च स्थिरता,
आत्म-पुरुष को अपनी विशुद्ध आत्म-संधान की यात्रा में आ भेंटती है;
अचल शक्ति की एक दीवार जो इसे संसार से पृथक् रखती है,
प्रशान्ति की एक खाड़ी जो इन्द्रियबोध निगल जाती है
और मन द्वारा अर्जित सकल ज्ञान को मिथ्या कर देती है,
और उस सबको भी जिसे श्रमरत इन्द्रियां भविष्य में रचेंगी
एक कल्पित मिथ्या को बढ़ा दीर्घ बनाती जायेंगी।
Self’s vast spiritual silence occupies space;
Only the Inconceivable is left,
Only the Nameless without space and time:
Abolished is the burdening need of life:
Thought falls from us, we cease from joy and grief;
The ego is dead; we are free from being and care,
We have done with birth and death and work and fate.
परमात्मा की विशाल आत्मिक नीरवता परमाकाश में व्याप्त है;
यहां पहुंच केवल अचिन्त्य परम शेष रह जाता है,
दिक्कालसे रहित कैवल्य नामातीत बचा रहता है:
जीवन की भाराक्रान्त आवश्यकता वहां समाप्त हो जाती है:
विचार हमसे च्युत हो जाते हैं, हम सुख और दुःख से छूट जाते हैं;
हमारा अहम् मर जाता है; हम व्यक्तित्व और चिन्ता से मुक्त हो जाते हैं,
हम जन्म और मृत्यु और कर्म और भाग्य से निवृत्त हो जाते हैं।
O soul, it is too early to rejoice!
हे आत्मा, पर अभी आनन्दोत्सव हित उतावली न दिखा!
Thou hast reached the boundless silence of the Self,
Thou hast leaped into a glad divine abyss;
But where hast thou thrown self’s mission and self’s power?
तू परमात्मा की अनन्त नीरव शान्ति में आ पहुंची है,
तू इस प्रभु-प्रसाद की दिव्य खाड़ी में छलांग लगा आ कूदी है;
किन्तु तू अपनी आत्मा का उद्देश्य और परमात्म शक्ति कहां फेंक आयी है?
On what dead bank on the Eternal’s road?
इस चिरन्तन की यात्रा में उसे कौन-से मृत तट पर छोड़ आयी है?
One was within thee who was self and world,
What hast thou done for his purpose in the stars?
तेरे अन्तर में जो कैवल्य बसा था जो तेरी चैत्य सत्ता और संसार था,
इन नक्षत्रों तले तूने उसकी उद्देश्य-पूर्ति हित क्या किया?
Escape brings not the victory and the crown!
यह पलायन तेरे लिये विजय और शीर्ष मुकुट नहीं ला सकता!
Something thou cam’st to do from the Unknown,
But nothing is finished and the world goes on,
Because only half God’s cosmic work is done.
उस अज्ञेय परम से तू किसी निमित्त को लेकर आयी थी,
किन्तु कुछ भी कार्यपूर्ति नहीं की और यह जग-चक्र चलता जा रहा है,
क्योंकि प्रभु की सृष्टि का कार्य अभी आधा ही हो पाया है।
Only the everlasting No has neared
And stared into thy eyes and killed thy heart:
But where is the Lover’s everlasting Yes,
And immortality in the secret heart,
The voice that chants to the creator Fire,
The symbolled OM, the great assenting Word,[310]
The bridge between the rapture and the calm,
The passion and the beauty of the Bride,
The chamber where the glorious enemies kiss,
The smile that saves, the golden peak of things?
अभी तू केवल उस चिर-निषेध के समीप पहुंची है
और उसने तेरे नयनों में घूरकर तेरे हृदय का वध कर डाला है:
किन्तु उस दिव्य प्रियतम की चिर-स्वीकृति कहां खो आयी है,
और गुप्त हृदय का वासी वह अमरत्व कहां है,
परम-स्रष्टा अग्निदेव का आवाहन करती वह वाचा,
महान् स्वीकारात्मक पराशब्द, वह प्रतीकात्मक ओऽम् कहां है,
आह्लाद और शान्ति को मध्य से जोड़ता वह सेतु कहां है,
दिव्य-वधू के अन्तर का अनुराग और सौन्दर्य कहां है,
वह कक्ष जहां भव्य विरोधी द्वंद्व गले मिलते हैं,
वस्तुओं की स्वर्णशिखा, सुरक्षा प्रदान करती वह स्मित कहां है?
This too is Truth at the mystic fount of Life.
विश्व-जीवन के इस गुह्य उद़्गम के ये सभी चरम सत्य हैं।
A black veil has been lifted; we have seen
The mighty shadow of the omniscient Lord;
But who has lifted up the veil of light
And who has seen the body of the King?
एक काला घूंघट हट गया है; हमने दर्शन कर लिये हैं
उस सर्वज्ञ प्रभु की सामर्थ्यशाली छाया के;
किन्तु ज्योतिर्मुख पर पड़ाघूंघट किसने उठाया है
और राजराजेश्वर की काया किसने देखी है?
The mystery of God’s birth and acts remains
Leaving unbroken the last chapter’s seal,
Unsolved the riddle of the unfinished Play;
The cosmic Player laughs within his mask,
And still the last inviolate secret hides
Behind the human glory of a Form,
Behind the gold eidolon of a Name.
प्रभु का जन्म और कर्म रहस्य बने हुए हैं
इस अन्तिम अध्याय की मुहर अभी तक टूटी नहीं है,
इस अधूरी जीवन-लीला की पहेली अभी सुलझी नहीं है;
वह विश्व लीलाधारी अपने माया-मुखौटे के पीछे हंसता है,
और एक देवोपम इस भव्य मानवीय आकार के पीछे
अभी तक अन्तिम अक्षत गोपित
एक महान् नाम के स्वर्ण प्रतिबिम्ब के पीछे वह छिपा है।
A large white line has figured as a goal,
But far beyond the ineffable suntracks blaze.
What seemed the source and end was a wide gate,
A last bare step into eternity.
एक विशाल श्वेत रेखा एक लक्ष्य सम अंकित है,
किन्तु सुदूर परात्परता में अनिर्वचनीय सूर्य-पथ प्रज्वलित है:
अब तक जो उद़्गम और अन्तिम लक्ष्य जैसा दिखायी दिया है
वह एक विस्तृत द्वार है,शाश्वतता में प्रवेश का एक अनावृत अन्तिम चरण है।
An eye has opened upon timelessness,
Infinity takes back the forms it gave,
And through God’s darkness or his naked light
His million rays return into the Sun.
कालातीत पर एक नेत्र खुल गया है,
यहांशाश्वतता अपने प्रदत्त आकारों को अपने में समेट लेती है,
और या तो प्रभु के अन्धकार के मध्य से गुजर या
खुले प्रकाश के पथ से हो उसकी लाखों किरणें सूर्यदेव में लौट जाती हैं।
There is a zero sign of the Supreme;
Nature left nude and still uncovers God.
यहां इस धाम में पुरुषोत्तम का चिह्न शून्य है;
प्रकृति यहां रीती है और फिर भी प्रभु को प्रकटाती है।
But in her grandiose nothingness all is there:
When her strong garbs are torn away from us,
The soul’s ignorance is slain but not the soul.
The zero covers an immortal face.
किन्तु उसी महती शून्यता में समस्त व्याप्त है:
जब स्वभाव का शक्तिशाली आवरण हमसे नोच कर फेंक दिया जाता है,
तब जीव की अविद्या मर जाती है जीव नहीं मरता है
इस शून्य ने एक अमरानन को ढक रखा है।
A high and black negation is not all,
A huge extinction is not God’s last word,
Life’s ultimate sense, the close of being’s course,
The meaning of this great mysterious world.
एक महान् और शून्य निर्वाण ही सम्पूर्णता नहीं है,
एक विशाल पूर्ण विलोपन प्रभु का अन्तिम आदेश नहीं है,
जीवन का मूल सिद्धान्त बोध, जीव की यात्रा की इति नहीं है,
इस महान् रहस्यमय जगत् की यह सार्थकता नहीं है।
In absolute silence sleeps an absolute Power.
इस पूर्ण नीरव शान्ति में एक परिपूर्ण चित्-शक्ति सोयी है।
Awaking, it can wake the trance-bound soul[311]
And in the ray reveal the parent sun:
It can make the world a vessel of Spirit’s force,
It can fashion in the clay God’s perfect shape.
जाग्रत् हो, यह समाधिस्थ आत्म पुरुष को जगा सकती है
और यह रश्मि अपने जनक सूर्य को प्रकटा सकती है:
इस संसार को आत्मा की चित्शक्ति का एक पात्र बना सकती है,
यह इस अचित् माटी में प्रभु का परिपूर्ण रूप सजा सकती है।
To free the self is but one radiant pace;
Here to fulfil himself was God’s desire.
इस आत्म-पुरुष को मुक्त करना तो मात्र एक तेजोमय कदम है;
इस धरा पर प्रभु स्वयं परिपूर्ण रूप में व्यक्त होना चाहते हैं।
Even while he stood on being’s naked edge
And all the passion and seeking of his soul
Faced their extinction in some featureless Vast,
The Presence he yearned for suddenly drew close.
तथापि जब योगी सत्ता के नग्न शून्य तट पर खड़ा था
और उसके सकल भावावेग और आत्मान्वेषण सामने
किसी व्यक्तित्वहीन चरम विराट् में विलोपन की प्रतीक्षा में थे,
हठात् वह दिव्य सान्निध्य जिसके लिए वह लालायित था समीप खिंच आया।
Across the silence of the ultimate Calm,
Out of a marvellous Transcendence’ core,
A body of wonder and translucency
As if a sweet mystic summary of her self
Escaping into the original Bliss
Had come enlarged out of eternity,
Someone came infinite and absolute.
अन्तिम महाशान्ति की नीरवता के उस पार से,
एक अद्भुत परात्परता के मर्म-स्थल से
बाहर निकली पारभासी तेजोमयी आद़्भुत्य की एक काया
जो स्वयं अपने आत्मतत्त्व की एक मधुर गुह्य सारांश बनी
वह उस आदि आत्मानन्द में पलायन कर गयी थी
अब शाश्वतता से वर्धित रूप में बाहर निकल आयी,
कोई नित्या और परिपूर्णा बाहर आयी।
A being of wisdom, power and delight,
Even as a mother draws her child to her arms,
Took to her breast Nature and world and soul.
प्रज्ञा की एक आत्मा,शक्ति और आनन्द-रूपा थी,
जैसे कोई माता अपने शिशु को निज बांहों में भर लेती है,
उसने अपने वक्ष में सकल प्रकृति और जगती और जीव को चिपका लिया।
Abolishing the signless emptiness,
Breaking the vacancy and voiceless hush,
Piercing the limitless Unknowable,
Into the liberty of the motionless depths
A beautiful and felicitous lustre stole,
Imaged itself in a surprising beam
And built a golden passage to his heart
Touching through him all longing sentient things.
उस लक्षणहीना शून्यता का अन्त कर दिया,
और वाचाहीन नीरवता और रिक्तता को भंग कर डाला,
उस निस्सीम चरम-अज्ञेय को भेद कर,
उन अचल गहनताओं की स्वच्छन्दता में
यह सुन्दर और लालित्यपूर्ण श्री-आभा चुपके से प्रवेश कर गयी।
उस पराशक्ति, दिव्य ज्योति, परमानन्द का कोई शब्द वर्णन नहीं कर सकते
उसने स्वयं को एक चमत्कारी किरण में अनूदित कर,
योगी के हृदय तक एक स्वर्ण-सेतु रच लिया
और उसके माध्यम से सकल लालायित संवेदनशील पदार्थों को स्पर्श किया।
A moment’s sweetness of the All-Beautiful
Cancelled the vanity of the cosmic whirl.
सम्पूर्ण-श्रीशोभा की एक पल की माधुरी ने
वैश्विक कर्म-चक्र के गर्व को खण्डित कर दिया।
A Nature throbbing with a Heart divine
Was felt in the unconscious universe;
It made the breath a happy mystery
And brought a love sustaining pain with joy;
A love that bore the cross of pain with joy
Eudaemonised the sorrow of the world,[312]
Made happy the weight of long unending Time,
The secret caught of God’s felicity.
तभी परा-प्रकृति के एक दिव्य हृदय की धड़कन
इस अचेत विश्व में अनुभव की गयी;
जिसने हमारे श्वास को एक सुखद रहस्य बना दिया।
एक प्रेम जिसने पीड़ा की सूलीको सहर्ष सहा था,
उसने इस जगती के दुःख को आत्मप्रसाद में बदल दिया,
लम्बे अन्तहीन युगों के बोझ को सुखदायी बना दिया,
प्रभु आनन्द का गुप्त रहस्य अब योगी ने धर लिया।
Affirming in life a hidden ecstasy
It held the spirit to its miraculous course;
Carrying immortal values to the hours
It justified the labour of the suns.
जीवन में गोपित आह्लाद की पुष्टि पाकर
इसी ने उसकी आत्मा को अपनी चमत्कारी यात्रा पर स्थिर रखा;
अमर मान्यताओं को हमारे नश्वर घण्टों में उतार कर
इसी ने इन कालगठित सूर्यों के श्रम को न्यायोचित ठहराया।
For one was there supreme behind the God.
क्योंकि वहां ईश्वर के पीछे एक सर्वोच्च-सत्ता उपस्थित थी।
A Mother Might brooded upon the world;
A Consciousness revealed its marvellous front
Transcending all that is, denying none:
Imperishable above our fallen heads
He felt a rapturous and unstumbling Force.
एक महती मातृशक्ति इस संसार के ऊर्ध्व में ध्यानमग्न आसीन थी;
एक पराचेतना ने अपना अद्भुत पुरोदर्शनप्रकटा दिया
सकल अस्तित्व से परात्पर होकर भी, इसने किसी का निषेध नहीं किया:
हमारे पतित शीर्षों के ऊपर विराजती अविनाशी देवी
योगी ने उस आह्लादमयी और अबाध पराशक्ति की अनुभूति पायी।
The undying Truth appeared, the enduring Power
Of all that here is made and then destroyed,
The Mother of all godheads and all strengths
Who, mediatrix, binds earth to the Supreme.
वह अमर सत्य की देवीप्रकटी, वह सर्वाधार स्थायी पराशक्ति
उस समष्टि की है जो यहां बनती और फिर नष्ट हो जाती है,
वह सकल देवांशों और समस्त शक्तियों की मां भगवती
वही मध्यस्था है जो पृथ्वी को परमेश्वर से जोड़ती।
The Enigma ceased that rules our nature’s night,
The covering Nescience was unmasked and slain;
Its mind of error was stripped off from things
And the dull moods of its perverting will.
वह गूढ़ पहेली जो हमारे स्वभाव की अन्धता पर शासन करती है समाप्त हो गयी,
सत्य को छिपाती अन्धी निश्चेतना का घूंघट उठा, वध कर दी गयी;
इसके दूषित मन को वस्तुओं से विलगा कर हटा दिया
और इसके विकृत संकल्प के धूमिल मनोभावों का अन्त हो गया।
Illumined by her all-seeing identity
Knowledge and Ignorance could strive no more;
No longer could the titan Opposites,
Antagonist poles of the world’s artifice,
Impose the illusion of their twofold screen
Throwing their figures between us and her.
माता की सर्व-द्रष्टा एकात्मता द्वारा प्रकाशमय बनी
विद्या और अविद्या को प्रयास कीऔर आवश्यकता नहीं रही;
दैत्याकारी विश्व-विरोधी द्वन्द्व अब और ठहर न सके,
जो इस संसार की चतुराई के प्रतिरोधी दो ध्रुव हैं,
अब वे इस माया के दोहरे-पट को अध्यारोपित कर
अपनी आकृतियों से हमारे और माता के बीच पर्दा नहीं डाल सके।
The Wisdom was near, disguised by its own works,
Of which the darkened universe is the robe.
अपनी आत्मकृतियों के अन्तर में छिपी, प्रज्ञादेवी यहीं समीप हैं
जिनको यह अज्ञानमय जगत् आवरण बन गोपित रखता है।
No more existence seemed an aimless fall,
Extinction was no more the sole release.
अब यह सृष्टि एक लक्ष्यहीन पतन नहीं लगती थी,
निर्वाण ही अब एकमात्र मुक्ति नहीं रही थी।
The hidden Word was found, the long-sought clue,
Revealed was the meaning of our spirit’s birth,
Condemned to an imperfect body and mind,
In the inconscience of material things
And the indignity of mortal life.
गुह्यपरम-नाद की प्राप्ति हो गयी, यही चिर-संधान की कुंजी थी,
हमारी आत्मा के जन्म का अर्थ भी उद़्घाटित हो गया,
कि वह क्यों एक अपूर्ण देह और मन से बंधी
इन जड़ वस्तुओं की इस अचित् अवस्था से जुड़ी
मर्त्य जीवन में अपमानित होने को दण्डित थी।
A Heart was felt in the spaces wide and bare,[313]
A burning Love from white spiritual founts
Annulled the sorrow of the ignorant depths;
Suffering was lost in her immortal smile.
इन आकाशों के विस्तार और रीतेपन में एक महाप्राण की अनुभूति आयी,
शुभ श्वेत आत्मिक स्रोतों से उदित एक ज्वलन्त दिव्य प्रेम ने
तमस् की अज्ञ गहनताओं के कष्टों को मिटा दिया;
भगवती की अमर स्मित में सब क्लेश समाप्त हो गया।
A Life from beyond grew conqueror here of Death;
To err no more was natural to mind;
Wrong could not come where all was light and love.
परात्परता के एक महाप्राण ने यहां धरा पर मृत्यु को जीत लिया;
भूल या दोष करना अब मन का सहज स्वभाव नहीं रहा;
जहां पूर्ण प्रकाश और सब प्रेममय था वहां पाप का प्रवेश नहीं हो सकता था।
The Formless and the Formed were joined in her.
Immensity was exceeded by a look,
A Face revealed the crowded Infinite.
Incarnating inexpressibly in her limbs
The boundless joy the blind world-forces seek,
Her body of beauty mooned the seas of bliss.
माता के अन्तर में निराकारी ब्रह्म और साकार पुरुषोत्तम एकत्व में जुड़े थे:
विराट् की सीमा को पार करती एक चितवन ने अवलोका,
एक श्री-आनन ने प्रकट हो उस परिपूर्ण चिरन्तनता को दिखा दिया,
माता के अंगों से अनिर्वचनीय असीम आह्लाद सुख झर-झर बह रहा था
वह अनन्त सुख जिसे अन्धी संसारी-शक्तियां खोजती हैं,
उसके सौन्दर्य की काया में आनन्द के सिंधु शशि-सम प्रतिबिम्बित थे।
At the head she stands of birth and toil and fate,
In their slow round the cycles turn to her call;
Alone her hands can change Time’s dragon base.
वह यहां के जन्म और कठोर श्रम तथा नियति के ऊपर आसीन है,
ये युग अपने मन्द गतिचक्रों में उसी की पुकार पर घूमते हैं;
केवल उसी के हाथ हैं जो त्रिकाल के शेषनाग की धुरी बदल सकते हैं।
Hers is the mystery the Night conceals;
The spirit’s alchemist energy is hers;
She is the golden bridge, the wonderful fire.
उसी के रहस्य को यह अज्ञान की अन्धरात्रि छिपाये रहती है;
हमारी आत्मचेतना कीकीमियागर ऊर्जा भी उसी की है;
वह स्वर्ण-सेतु है, अलौकिक दिव्याग्नि है।
The luminous heart of the Unknown is she,
A power of silence in the depths of God;
She is the Force, the inevitable Word,
The magnet of our difficult ascent,
The Sun from which we kindle all our suns,
The Light that leans from the unrealised Vasts,
The joy that beckons from the impossible,
The Might of all that never yet came down.
परम-अज्ञेय का दीप्तिमान हृदय भी वह है,
प्रभु की अथाह गहनताओं में नीरवता की एक शक्ति है;
वह आदि-शक्ति है, सृष्टि हित अनिवार्य आदि शब्दब्रह्म है,
हमारे कठिन दुरूह आरोहण को आकर्षित करती चुम्बक है,
वह अदिति माता है जिससे हमारे आदित्य प्रज्वलित होते हैं,
वह दिव्य ज्योति है जो अगम्य परात्परों से नीचे झुक आती है,
वह आत्म-प्रसाद है जो असम्भव उच्चता से संकेत कर बुलाती है,
वह समष्टि की परमाशक्ति है जो अभी तक यहां कभी अवतरित नहीं हुई है।
All Nature dumbly calls to her alone
To heal with her feet the aching throb of life
And break the seals on the dim soul of man
And kindle her fire in the closed heart of things.
मौन भाव सेसकल विश्व-प्रकृति केवल उसी को टेरती है
कि उसकी चरणधूलि पा जीवन-पीड़ा की कसक थम जाये
और मानव की धूमिल आत्मा पर लगे ताले सब टूट जायें
और उसकी ज्वाला पदार्थों के बन्द अन्तरों में प्रज्वलित हो उठे।
All here shall be one day her sweetness’s home,
All contraries prepare her harmony;
Towards her our knowledge climbs, our passion gropes,
In her miraculous rapture we shall dwell,
Her clasp will turn to ecstasy our pain.
तब एक दिन आयेगा जब यह धरा उसकी माधुरी का धाम बनेगी,
सकल विरोधी द्वन्द्व-भाव उसके सामञ्जस्य के रचनाकार होंगे;
हमारा ज्ञान सब उसी के दिश बढ़ता है, हमारे भावावेश उसी को खोजते हैं;
उसकी अद्भुत आत्मरति में एक दिन हम बसेंगे,
तब उसका आलिंगन हमारी पीड़ा को आह्लाद में बदल देगा।
Our self shall be one self with all through her.[314]
हमारी व्यक्तिसत्ता उसके माध्यम से समष्टि से एकात्म हो जायेगी।
In her confirmed because transformed in her,
Our life shall find in its fulfilled response
Above, the boundless hushed beatitudes,
Below, the wonder of the embrace divine.
हमारा जीवन उसके अन्तर में प्रतिष्ठित है अत: रूपान्तरित हो
एक दिन अवश्य यह अपनी पूर्णता का प्रत्युत्तर पा जायेगा,
यह ऊर्ध्व में, इस अनन्त मौन चिदानन्द से,
और धरातल पर, दिव्य आद़्भुत्य का आलिंगन करेगा।
This known as in a thunder-flash of God,
The rapture of things eternal filled his limbs;
Amazement fell upon his ravished sense;
His spirit was caught in her intolerant flame.
यह सब उसे जैसे प्रभु की विद्युतीय कौंधन ने ज्ञात करा दिया,
उसके अंगों में शाश्वत पदार्थों का आत्मसुख बहने लगा;
उसका प्रेमपगा विवश बना चित्त विस्मय से चकित रह गया;
उसकी आत्मसत्ता माता के दुर्दमनीय असह्य प्रेम से जल उठी।
Once seen, his heart acknowledged only her.
एक ही दर्शन में, योगी का हृदय अब केवल उसको ही पहचानता।
Only a hunger of infinite bliss was left.
अब केवल अनन्त-आत्मानन्द की एक पिपासा शेष थी।
All aims in her were lost, then found in her;
His base was gathered into one pointing spire.
सकल लक्ष्य माता के अन्तर में पहुंच खो गये, फिर उसी में प्राप्त हो गये;
उसका सकल आधार अब एकध्येयी शिखर-बिन्दु पर केन्द्रित था।
Thus was a seed cast into endless Time.
अनन्त महाकाल में यह एक बीज रोपित हो गया।
A Word is spoken or a Light is shown,
A moment sees, the ages toil to express.
ऐसे क्षण में एक शब्दब्रह्म उच्चारित होता है, एक दैवी प्रकाश दिखायी देता है,
युगों द्वारा जिसे व्यक्त करने का श्रम चलता है, वह मुहूर्त दिख जाता है।
So flashing out of the Timeless leaped the worlds;
An eternal instant is the cause of the years.
ऐसे में उस कालातीत से कौंधते उछलते लोक उत्पन्न हो जाते हैं;
वर्षों का कारण (जन्मदाता) एक शाश्वत पल ही होता है।
All he had done was to prepare a field;
His small beginnings asked for a mighty end:
For all that he had been must now new-shape
In him her joy to embody, to enshrine
Her beauty and greatness in his house of life.
योगी ने तो मात्र एक क्षेत्र तैयार किया था;
अब उसके लघु आरम्भों ने एक सामर्थ्यशाली अन्त मांगा:
क्योंकि अब तक वह जो सब था उसको एक नव-रूप लेना होगा
अपने अन्तर को भगवती का आनन्द धाम बनाना होगा,
उसकी सुषमा और महत्ता को निज जीवन में बसाना होगा।
But now his being was too wide for self;
His heart’s demand had grown immeasurable:
His single freedom could not satisfy,
Her light, her bliss he asked for earth and men.
किन्तु अभी तो उसकी सत्ता अपने व्यक्तित्व हित अति विस्तृत थी
उसके हृदय की याचना असीम हो फैल गयी थी:
अपनी अकेली मुक्ति अब उसे सन्तोष नहीं दे सकी,
परमा-ज्योति को और उसके आनन्द को, अब उसने धरा और मानव हित मांगा।
But vain are human power and human love
To break earth’s seal of ignorance and death;
His nature’s might seemed now an infant’s grasp;
Heaven is too high for outstretched hands to seize.
किन्तु मानवीय बल और मानवीय प्रेम निष्फल रहे
धरती पर लगी इस अन्ध-अज्ञान और मृत्यु की मुद्रा तोड़ने में,
मानव स्वभाव की सामर्थ्य केवल एक शिशु की मुट्ठी सम लघु है;
जिसके फैले हुए हाथों की पकड़ के लिए स्वर्ग अति उच्च है।
This Light comes not by struggle or by thought;
In the mind’s silence the Transcendent acts
And the hushed heart hears the unuttered Word.
यह पराज्योति संघर्ष से या विचार द्वारा ग्रहण नहीं की जाती;
इस मानसकी नीरव शान्ति में परात्परता कार्य करती है
और हृदय के मौन में अनुच्चारित परम-नाद सुनायी देता है।
A vast surrender was his only strength.
केवल एक प्रशस्त समर्पण ही अब उसकी एकमात्र शक्ति थी।
A Power that lives upon the heights must act,[315]
Bring into life’s closed room the Immortal’s air
And fill the finite with the Infinite.
एक परम शक्ति जो उच्चताओं पर बसता है उसे कर्मक्षेत्र में आना होगा,
जीवन के अवरुद्ध कक्ष में अमर श्वास कोलाना होगा
और इस अनित्य नश्वरता को नित्य अमरत्व से भरना होगा।
All that denies must be torn out and slain
And crushed the many longings for whose sake
We lose the One for whom our lives were made.
जो इसका निषेध करेगा उस सबको वध कर मिटा देना होगा
और उन अनेक वासनाओं को कुचल देना होगा
जिनके कारण हम उस परमैकम् को खो देते हैं जिसके लिए हमने जीवन धारा था।
Now other claims had hushed in him their cry:
Only he longed to draw her presence and power
Into his heart and mind and breathing frame;
Only he yearned to call for ever down
Her healing touch of love and truth and joy
Into the darkness of the suffering world.
अब योगी के अन्तर में अन्य दावों का कोलाहल शान्त था:
वह तो निज हृदय और मन और इस श्वासित काया में
केवल परमेश्वरी का सान्निध्य और शक्ति पाने को आतुर था;
वह तो केवल उसे सतत नीचे उतार लाने को लालायित था
इस शोक संतप्त संसार के अन्धकार में
उसके प्रेम और सत्य एवं आनन्द के प्राणदायी स्पर्श का अभिलाषी था।
His soul was freed and given to her alone.[316]
उसकी अन्तरात्मा अब मुक्त हो केवल माता को समर्पित थी।
END OF CANTO TWO